कर्मचारी राज्य बीमा कानूनों के लिए नियोक्ता की मार्गदर्शिका – अवधारणाएं और अनुपालन

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यह लेख आरएमएलएनएलयू, लखनऊ से Madhurima Dutta द्वारा लिखा गया है। यह लेख ईएसआई (कर्मचारी राज्य बीमा ) अधिनियम 1948 के तहत कर्मचारी और श्रमिको को दिए जाने वाले लाभों और इसमें दिए गए नियमो और विनियमो पर चर्चा करता है। इस लेख का अनुवाद Divyansha Saluja के द्वारा किया गया है।

परिचय

ईएसआईसी भारत सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त (ऑटोनॉमस) निगम है। कर्मचारी राज्य बीमा भारतीय श्रमिकों के लिए एक स्व-वित्तपोषित (सेल्फ फाइनेंस) सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य बीमा योजना है। प्रति माह 15000 रुपये या उससे कम वेतन पाने वाले सभी कर्मचारियों के लिए, नियोक्ता 4.75 प्रतिशत का योगदान देता है और कर्मचारी 1.75 प्रतिशत का योगदान देता है, कुल हिस्सेदारी 6.5 प्रतिशत है। इस निधि (फंड) का प्रबंधन ईएसआई निगम (ईएसआईसी) द्वारा ईएसआई अधिनियम 1948 में निर्धारित नियमों और विनियमों के अनुसार किया जाता है।

औद्योगिक (इंडस्ट्रियल) क्षेत्र किसी देश की संपत्ति को बेहतर बनाने में प्रमुख भूमिका निभाता है। ताकि उद्योग अपने मुख्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर सकें, यानी, उपलब्ध संसाधनों का सर्वोत्तम संभव उपयोग और उत्पादन के कारकों की उत्पादकता में सुधार कर सके, कार्यबल को बीमारी, मातृत्व, रोजगार की चोट से उत्पन्न शारीरिक और वित्तीय संकट आदि, से बचाने की चिंता किए बिना, ईएसआई योजना तैयार की गई थी।

नियोक्ता अपने कर्मचारियों के पंजीकरण, योगदान के प्रेषण (रेमिटेंस) और अधिनियम के प्रावधानों के अनुपालन के माध्यम से योजना के कामकाज में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं।

प्रशासन

राष्ट्रीय स्तर पर, ईएसआईसी योजना को ईएसआईसी (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) नामक एक वैधानिक निकाय द्वारा प्रशासित किया जाता है, जिसे 1948 के ईएसआई अधिनियम के तहत स्थापित किया गया है। इस वैधानिक निकाय में नियोक्ताओं, कर्मचारियों, केंद्र सरकार, विभिन्न राज्य सरकारों, चिकित्सा पेशेवर और संसद सदस्य की ओर से प्रतिनिधि शामिल हैं।

निगम के सदस्यों में से एक स्थायी समिति का गठन किया जाता है जो इस ईएसआईसी योजना के प्रशासन और कार्यान्वयन (इंप्लीमेंटेशन) के लिए कार्यकारी निकाय के रूप में कार्य करती है।

चिकित्सा लाभ परिषद जो एक वैधानिक निकाय है, इस योजना के लाभार्थियों को चिकित्सा देखभाल/स्वास्थ्य देखभाल के प्रावधान से संबंधित मामलों में ईएसआईसी को सलाह देती है। ईएसआईसी का मुख्य कार्यकारी महानिदेशक (डायरेक्टर जनरल) होता है जो निगम और इसकी स्थायी समिति का पदेन (एक्स ऑफिसियो) सदस्य भी होता है।

विकेंद्रीकरण (डिसेंट्रलाइजेशन) प्रक्रिया के भाग के रूप में, भारतीय संघ के प्रत्येक राज्य में क्षेत्रीय बोर्डों का गठन किया गया है। इस योजना को और अधिक प्रभावी बनाने और पूरी प्रक्रिया को और अधिक जवाबदेह बनाने के लिए, ईएसआईसी योजना के सुचारू कामकाज के लिए जमीनी स्तर पर सलाहकार निकाय के रूप में स्थानीय समितियों का गठन किया गया है।

आधारभूत संरचना

दिन-प्रतिदिन के प्रशासन और संचालन का प्रबंधन करने के लिए, ईएसआईसी का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। मुख्यालय के अलावा, भारत के विभिन्न राज्यों में क्षेत्रीय कार्यालय और उप-क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ-साथ पूरे भारत के औद्योगिक शहरों में 800 और उससे अधिक शाखा कार्यालय हैं।

ईएसआईसी अधिनियम के तहत पंजीकरण

पंजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी प्रतिष्ठान (एस्टेब्लिशमेंट)/कंपनी/संगठन के प्रत्येक नियोक्ता और उसके वेतन उद्देश्यों के लिए नियोजित प्रत्येक कर्मचारी को इस ईएसआईसी योजना के उद्देश्य के लिए पहचाना जाता है और उनके लिए उनके व्यक्तिगत रिकॉर्ड स्थापित किए जाते हैं।

  • इस प्रक्रिया में पहला चरण प्रत्येक कारखाने/दुकान/प्रतिष्ठान के बारे में विवरण प्राप्त करना है जिसे ईएसआईसी अधिनियम के तहत शामिल किया जा सकता है।
  • इसके बाद ऐसे संगठन की पहचान करने के लिए क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा एक नंबर यानी कोड नंबर का आवंटन किया जाता है।
  • उपर्युक्त प्रक्रिया देय/भुगतान किए गए योगदान/सहायता और नियोक्ताओं के संबंधित दायित्वों का ट्रैक बनाए रखने में मदद करती है।
  • परिणामी चरण क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा शामिल किए गए कारखानों के कर्मचारियों का पंजीकरण करना और एक नंबर यानी बीमा नंबर आवंटित करके ऐसे व्यक्तियों की पहचान करना है।

यह प्रक्रिया उन लाभों के दस्तावेजीकरण के लिए आवश्यक रिकॉर्ड स्थापित करने की सुविधा प्रदान करती है जिनके लिए बीमाधारक कर्मचारी पात्रता मानदंड के आधार पर इस ईएसआईसी योजना के तहत हकदार हो सकता है।

प्रत्येक नियोक्ता/कर्मचारी का एक व्यक्तिगत रिकॉर्ड भविष्य में समय-समय पर सुचारू रूपांतरण की सुविधा प्रदान करेगा। यह एक नियामक के रूप में काम करेगा और नियोक्ताओं से अनुपालन प्राप्त करने और संबंधित बीमाधारक व्यक्तियों को लाभ प्रदान करने के उद्देश्य से रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए उचित ट्रैक रखेगा।

नियोक्ताओं का पंजीकरण

ईएसआई अधिनियम की धारा 2A इस प्रकार बताती है:

  • धारा 2A: कारखानों और प्रतिष्ठानों का पंजीकरण- प्रत्येक कारखाने या प्रतिष्ठान जिस पर यह अधिनियम लागू होता है, उसे ऐसे समय के भीतर और ऐसे तरीके से पंजीकृत किया जाएगा जो इस संबंध में बनाए गए नियमों में निर्दिष्ट किया जा सकता है।

अधिनियम में इस प्रावधान के अनुवर्ती (फॉलो अप) के रूप में, विनियमन (रेगुलेशन) 10B को ईएसआई (सामान्य) विनियम, 1950 में शामिल किया गया है। यह विनियमन इस प्रकार है:

  • 10B – कारखानों या प्रतिष्ठानों का पंजीकरण:

किसी कारखाने या प्रतिष्ठान के संबंध में नियोक्ता जिस पर अधिनियम पहली बार लागू होता है और जिस पर नियोक्ता का कोड नंबर अभी तक आवंटित नहीं किया गया है और किसी कारखाने या प्रतिष्ठान के संबंध में नियोक्ता जिस पर अधिनियम पहले लागू होता है लेकिन फिलहाल लागू होना बंद हो गया है, अधिनियम लागू होने के 15 दिनों के भीतर उचित क्षेत्रीय अधिकारी को, जैसा भी मामला हो, प्रपत्र 01 (इसके बाद नियोक्ता के पंजीकरण प्रपत्र के रूप में संदर्भित) में पंजीकरण की घोषणा प्रस्तुत करनी होगी।।

नियोक्ता के पंजीकरण प्रपत्र पर प्रस्तुत किए जाने वाले सभी आवश्यक विवरणों और सूचनाओं की सच्चाई के लिए नियोक्ता जिम्मेदार होगा।

उपयुक्त क्षेत्रीय कार्यालय उस नियोक्ता को निर्देश दे सकता है जो इस विनियम के पैराग्राफ (A) की आवश्यकताओं को उसमें बताए गए समय के भीतर अनुपालन करने में विफल रहता है, उस कार्यालय को नियोक्ता के पंजीकरण प्रपत्र को ऐसे अतिरिक्त समय के भीतर विधिवत पूरा करने के लिए प्रस्तुत करें जैसा कि निर्दिष्ट किया जा सकता है और ऐसे नियोक्ता को इसके बाद, इस संबंध में उस कार्यालय द्वारा जारी निर्देशों का पालन करना होगा।

भरे हुए नियोक्ता के पंजीकरण प्रपत्र की प्राप्ति पर, उपयुक्त क्षेत्रीय कार्यालय, यदि संतुष्ट हो कि कारखाना या प्रतिष्ठान वह है जिस पर अधिनियम लागू होता है, तो उसे एक नियोक्ता का कोड नंबर आवंटित किया जाएगा (जब तक कि कारखाने या प्रतिष्ठान को नियोक्ता का कोड नंबर पहले से ही आवंटित नहीं किया गया हो) और उस नंबर के बारे में नियोक्ता को सूचित करेगा।

नियोक्ता अधिनियम, नियमों और इन विनियमों के संबंध में उसके द्वारा तैयार या पूर्ण किए गए सभी दस्तावेजों पर और उपयुक्त कार्यालय के साथ सभी पत्राचार में नियोक्ता का कोड नंबर दर्ज करेगा।

नियोक्ताओं के लिए लाभ

नियोक्ता अपने कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों या आश्रितों को निश्चित नकद भत्ता, एकमुश्त अनुदान (ग्रांट), वास्तविक खर्चों की प्रतिपूर्ति (रीइंबर्समेंट), या किसी अन्य सीमित दायरे की चिकित्सा बीमा पॉलिसी का विकल्प चुनने के रूप में चिकित्सा लाभ प्रदान करने की अपनी सभी देनदारियों से मुक्त हैं, जब तक कि यह नियोक्ता का संविदात्मक दायित्व न हो।

नियोक्ताओं को ईएसआईसी योजना के तहत शामिल किए गए कर्मचारियों के संबंध में मातृत्व लाभ अधिनियम, श्रमिक मुआवजा अधिनियम आदि की प्रयोज्यता (एप्लीकेबिलिटी) से संबंधित छूट दी गई है।

इसके परिणामस्वरूप नियोक्ताओं के पास उपयोगी और अच्छी तरह से सुरक्षित कार्यबल होता है, जो किसी संगठन की बेहतर उत्पादकता के लिए एक आवश्यक घटक है।

नियोक्ता अपने कर्मचारियों या श्रमिकों के शारीरिक संकट जैसे कि रोजगार की चोट, बीमारी या शारीरिक विकलांगता के समय किसी भी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप वेतन की हानि होती है क्योंकि बीमाधारक कर्मचारियों के संबंध में नकद लाभ का भुगतान करने की जिम्मेदारी नियोक्ता से ईएसआईसी निगम को स्थानांतरित हो जाती है।

ईएसआईसी अधिनियम के तहत योगदान के माध्यम से भुगतान की गई कोई भी राशि आयकर अधिनियम के तहत ‘आय’ की गणना में काट ली जाती है।

कारखाने/प्रतिष्ठान का आवृत्त क्षेत्र (कवरेज)

सबसे पहले, यह अधिनियम बिजली का उपयोग करने वाले और दस या अधिक व्यक्तियों को रोजगार देने वाले सभी गैर-मौसमी कारखानों पर लागू होता है, साथ ही यह गैर-बिजली का उपयोग करने वाले विनिर्माण (मैन्युफैक्चर) संगठनों और प्रतिष्ठानों पर भी लागू होता है, जो वेतन के लिए 20 या अधिक व्यक्तियों को रोजगार देते हैं और एक कार्यान्वित भौगोलिक क्षेत्र (इंप्लीमेंटेड ज्योग्राफिकल एरिया) के दायरे में आते हैं। अब तक, प्रतिष्ठानों, कंपनियों या कारखानों के कर्मचारी जो आवृत्त क्षेत्र के दायरे में आते हैं और 10,000/- रुपये प्रति माह से अधिक वेतन नहीं कमाते हैं, वे इस ईएसआईसी योजना के तहत शामिल हैं।

अधिनियम की धारा 1(5) के तहत, ईएसआईसी अधिनियम के प्रावधानों को निम्नलिखित वर्गों के प्रतिष्ठानों तक बढ़ा दिया गया है:

  • दुकानें एवं वाणिज्यिक (कमर्शियल) प्रतिष्ठान
  • सिनेमाघर, जिसमें पूर्वावलोकन थिएटर भी शामिल हैं
  • होटल एवं रेस्तरां
  • क्लब
  • समाचार पत्र प्रतिष्ठान
  • सड़क मोटर परिवहन प्रतिष्ठान

ईएसआईसी अधिनियम की धारा 1(5) के तहत, भारत सरकार को समय बीतने के साथ इस योजना को किसी अन्य प्रतिष्ठान या प्रतिष्ठानों के वर्ग, वाणिज्यिक, औद्योगिक, कृषि या अन्यथा तक विस्तारित करने का अधिकार है। एक राज्य सरकार आधिकारिक राजपत्र में अपने इरादे की छह महीने की सूचना प्रस्तुत करने के बाद, ईएसआईसी के परामर्श से और केंद्र सरकार की पूर्व मंजूरी के साथ इस अधिनियम के प्रावधानों का विस्तार कर सकती है; बशर्ते कि जहां इस अधिनियम के प्रावधान राज्य के किसी भी हिस्से में लागू या कार्यान्वित किए गए हैं, उक्त प्रावधान उस हिस्से के भीतर किसी भी ऐसे प्रतिष्ठान या प्रतिष्ठानों के वर्ग तक विस्तारित होंगे, यदि ऐसे प्रावधान पहले से ही समान प्रतिष्ठानों तक बढ़ाए गए हैं या उसी राज्य के दूसरे भाग में प्रतिष्ठानों का वर्ग।

वित्त

यह ईसीआईएस योजना मुख्य रूप से भारत भर में कार्यान्वित क्षेत्रों में बीमाधारक कर्मचारियों और उनके नियोक्ताओं से ऐसे कर्मचारियों को देय वेतन के एक छोटे लेकिन निर्दिष्ट प्रतिशत के योगदान से वित्त पोषित है।

40/- रुपये या उससे कम की औसत दैनिक मजदूरी प्राप्त करने वाले कर्मचारियों को उनके हिस्से के योगदान के भुगतान से छूट दी गई है, लेकिन वे इस योजना के तहत सभी सामाजिक सुरक्षा लाभों के हकदार हैं।

योगदान दरें इस प्रकार हैं:

  • कर्मचारियों का योगदान – वेतन का 1.75%
  • नियोक्ता का योगदान – वेतन का 4.75%

इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत, राज्य सरकारें प्रति व्यक्ति सीमा के भीतर अपने संबंधित राज्यों में ईएसआईसी लाभार्थियों पर होने वाले चिकित्सा व्यय पर 12.5 प्रतिशत का योगदान करती हैं। इस सीमा से अधिक का कोई भी व्यय पूरी तरह से संबंधित राज्य सरकारों द्वारा वहन किया जाता है।

कर्मचारियों और उनके नियोक्ताओं द्वारा किए गए योगदान को ईएसआईसी निधि के नाम से जाने जाने वाले एक सामान्य पूल में जमा किया जाता है, जिसका उपयोग इस योजना के तहत लाभार्थियों को चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के अलावा आश्रितों सहित बीमाधारक  व्यक्तियों और उनके परिवार के सदस्यों को नकद लाभ के भुगतान के लिए किया जाता है। निगम के प्रशासनिक और अन्य खर्चे भी इसी पूल निधि से पूरे किये जाते हैं।

छूट

ईएसआईसी अधिनियम के प्रावधान केंद्र सरकार/ राज्य सरकारों के नियंत्रण में कारखानों या प्रतिष्ठानों पर लागू नहीं होते हैं क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (अंडरटेकिंग) (पीएसयू) के साथ काम करने वाले ऐसे कर्मचारी सामाजिक सुरक्षा लाभ प्राप्त कर रहे हैं जो ईएसआईसी अधिनियम के तहत प्रदान किए गए लाभों के समान या बेहतर हैं। ऐसे प्रत्येक पीएसयू के मामले का निर्णय संबंधित प्रबंधन द्वारा कर्मचारियों को प्रदान किए जा रहे लाभों की गुणवत्ता और मात्रा की तुलना ईएसआईसी अधिनियम के तहत दिए जाने वाले और स्वीकार्य लाभों से करके किया जाता है।

योगदान

किसी कर्मचारी के संबंध में मुख्य नियोक्ता द्वारा निगम को देय राशि को योगदान कहा जाता है। इसमें कर्मचारी और नियोक्ता द्वारा देय राशि शामिल है।

नियोक्ता के लिए ईएसआईसी योगदान की गणना करना और उसे जमा करना अनिवार्य है, जिसमें नियोक्ता का हिस्सा 4.75% और कर्मचारियों का 1.75% हिस्सा शामिल होता है, जिसे उस महीने जिस महीने में वेतन दिया जाता है के अगले महीने की 21 तारीख को या उससे पहले भुगतान किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि यदि कोई कर्मचारी दैनिक औसत वेतन के रूप में 70/- रुपये तक प्राप्त करता है, तो ऐसे कर्मचारी को उसके हिस्से के योगदान के भुगतान से छूट दी जाती है। हालाँकि, नियोक्ता को कर्मचारी द्वारा प्राप्त वेतन का 4.75% नियोक्ता के हिस्से का भुगतान करना आवश्यक है।

योगदान की वसूली

पहले उदाहरण में, प्रधान नियोक्ता को प्रत्येक कर्मचारी के संबंध में नियोक्ता के योगदान का भुगतान करना आवश्यक है, चाहे वह सीधे नियोजित हो या तत्काल नियोक्ता के माध्यम से। उसके बाद, कर्मचारियों का हिस्सा उस वेतन अवधि के लिए उनके वेतन से कटौती करके वसूल किया जा सकता है जिसके लिए उनका योगदान किया गया है, हालांकि देय है। जिस अवधि के संबंध में योगदान देय है, उसके अलावा उनके कर्मचारियों के किसी भी वेतन से ऐसी कोई कटौती नहीं की जा सकती है।

चिकित्सा लाभ

ईएसआईसी योजना बीमाधारक व्यक्ति और उनके आश्रितों (उनके परिवार के सदस्यों सहित) को व्यापक प्रकार का चिकित्सा उपचार प्रदान करती है। यह ईएसआईसी औषधालयों और पैनल क्लीनिकों, डायग्नोस्टिक केंद्रों और ईएसआईसी अस्पतालों आदि के नेटवर्क के माध्यम से संभव हुआ है। लाभार्थियों को उन्नत अतिविशिष्ट (सुपर-स्पेशियलिटी) चिकित्सा संस्थानों के माध्यम से अतिविशिष्ट चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाती हैं जिन्हें रेफरल आधार पर इस उद्देश्य के लिए मान्यता प्राप्त और सूचीबद्ध किया जाता है। ईएसआईसी लाभार्थियों के अतिविशिष्ट उपचार की सुविधा के लिए धन के सुचारू प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए ईएसआईसी ने भारत भर के अधिकांश राज्यों में एक परिक्रामी (रिवॉल्विंग) निधि की स्थापना की है।

ईएसआईसी योजना के तहत सभी बीमाधारक  व्यक्ति और उनके परिवार के सदस्यों सहित उनके आश्रित ईसीआईएस योजना के तहत मुफ्त, पूर्ण और व्यापक चिकित्सा देखभाल के हकदार हैं। चिकित्सा लाभ पैकेज प्राथमिक से लेकर अतिविशिष्ट सुविधाओं तक स्वास्थ्य देखभाल के सभी पहलुओं को शामिल करता है।

अस्वस्थता लाभ

अस्वस्थता लाभ एक बीमाधारक व्यक्ति को प्रमाणित बीमारी की अवधि के दौरान समय-समय पर किए गए नकद भुगतान का प्रतिनिधित्व करता है, जब बीमाधारक  व्यक्ति वैध चिकित्सा आधार पर काम से परहेज करते हुए चिकित्सा उपचार और उपस्थिति से गुजरता है।

अस्वस्थता लाभ की अधिकतम अवधि लगातार दो लाभ अवधियों में 91 दिन है। हालाँकि, 2 दिनों की प्रतीक्षा अवधि है जिसे माफ कर दिया जाता है यदि बीमाधारक  व्यक्ति उस अवधि के 15 दिनों के भीतर बीमार प्रमाणित हो जाता है जिसके लिए अस्वस्थता लाभ का अंतिम भुगतान किया गया था। अस्वस्थता लाभ दर बीमाधारक  व्यक्ति की औसत दैनिक मजदूरी के लगभग 50% के बराबर है।

विस्तारित अस्वस्थता लाभ

91 दिनों तक देय अस्वस्थता लाभ समाप्त होने के बाद, यदि कोई बीमाधारक व्यक्ति कैंसर, तपेदिक (ट्यूबरक्यूलोसिस), कुष्ठ रोग (लेप्रोसी), मानसिक या घातक बीमारियों या किसी अन्य निर्दिष्ट दीर्घकालिक बीमारी से पीड़ित है, तो ऐसा कर्मचारी दो साल की अवधि के लिए औसत दैनिक वेतन के लगभग 70% की उच्च नकद लाभ दर पर विस्तारित बीमारी लाभ का हकदार है।

उन्नत अस्वस्थता लाभ

परिवार नियोजन के उद्देश्य से नसबंदी ऑपरेशन कराने के लिए, बीमाधारक व्यक्ति उन्नत अस्वस्थता लाभ के पात्र हैं जो अस्वस्थता लाभ की दर से दोगुना है।

मातृत्व लाभ (ईएसआई अधिनियम की धारा 50)

धारा 50 के तहत मातृत्व लाभ में बीमाकृत महिला को समय-समय पर नकद भुगतान शामिल होता है, जैसा कि गर्भपात या गर्भावस्था, कारावास, बच्चे के समय से पहले जन्म या गर्भपात के कारण उत्पन्न होने वाली बीमारी जैसे मामलों में विधिवत नियुक्त चिकित्सा अधिकारी या दाई द्वारा प्रमाणित किया जाता है।

विकलांगता लाभ

रोजगार चोट के कारण होने वाली विकलांगता के लिए विकलांगता लाभ स्वीकार्य है। प्रथम दृष्टया, अस्थायी विकलांगता लाभ (टीडीबी) तब तक देय है जब तक अस्थायी विकलांगता बनी रहती है। यदि रोजगार चोट के परिणामस्वरूप आंशिक या पूर्ण/स्थायी विकलांगता होती है, तो बीमाधारक व्यक्ति की मृत्यु तक स्थायी विकलांगता लाभ (पीडीबी) देय होता है।

इस लाभ के लिए कोई अंशदायी (कंट्रीब्यूटरी) शर्तें निर्धारित नहीं की गई हैं।

आश्रित लाभ

आश्रितों के लाभ में ईएसआईसी अधिनियम के तहत एक कर्मचारी के रूप में रोजगार की हानि के कारण मरने वाले बीमाधारक व्यक्ति के आश्रितों या परिवार के सदस्यों को समय-समय पर भुगतान शामिल होता है। ऐसे लाभों के लिए पात्रता प्राप्त करने के लिए कोई अंशदायी शर्तें या कोई मानदंड नहीं हैं। इस प्रकार, किसी दुर्भाग्यपूर्ण या अप्रत्याशित घटना में, मान लीजिए कि यदि किसी व्यक्ति की रोजगार के पहले दिन भी रोजगार की चोट से मृत्यु हो जाती है, तो उसके आश्रित या परिवार के सदस्य उपरोक्त लाभ के हकदार हैं।

अंतिम संस्कार का ख़र्च

अंतिम संस्कार का ख़र्च मृत बीमाधारक व्यक्ति के अंतिम संस्कार पर होने वाले खर्च को पूरा करने के लिए किया जाता है। यह राशि या तो परिवार के सबसे बड़े जीवित सदस्य को दी जाती है या उसकी अनुपस्थिति में उस व्यक्ति को दी जाती है जो वास्तव में अंतिम संस्कार का खर्च वहन करता है।

 

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