भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 की धारा 73 के तहत क्षति के प्रकार

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Indian Contract Act

यह लेख नोएडा के सिम्बायोसिस लॉ स्कूल की छात्रा Khushi Agarwal ने लिखा है। इस लेख में, उन्होंने भारतीय सविंदा अधिनियम, 1872 की धारा 73 के तहत क्षति (डैमेज) के प्रकारों की अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की है। इस लेख का अनुवाद Namra Nishtha Upadhyay द्वारा किया गया है।

Table of Contents

परिचय

भारतीय सविंदा अधिनियम, 1872 की धारा 73, संविदा के उल्लंघन के कारण हुए नुकसान या क्षति के लिए मुआवजा प्रदान करती है। जब एक संविदा का उल्लंघन किया जाता है, तो इस तरह के उल्लंघन के परिणामस्वरूप जो भी पक्ष पीड़ित होता है, वह किसी भी नुकसान या क्षति के लिए मुआवजा प्राप्त करने का हकदार होता है। उल्लंघन के परिणामस्वरूप होने वाली किसी भी छोटी और अप्रत्यक्ष (इनडायरेक्ट) हानि या क्षति के लिए ऐसा मुआवजा नहीं दिया जाएगा।

संविदा  द्वारा बनाए गए दायित्वों के समान दायित्वों का निर्वहन (डिस्चार्ज) करने में विफलता के लिए मुआवजा

यदि संविदा के तहत बनाए गए दायित्वों का निर्वहन नहीं किया जाता है, तो कोई भी व्यक्ति जो निर्वहन करने में विफल रहता है, वह उल्लंघन करने वाले पक्ष से उसी मुआवजे को प्राप्त करने का हकदार होता है जैसे कि उस व्यक्ति ने इसे निर्वहन करने के लिए संविदा किया था।

व्याख्या

संविदा के उल्लंघन के परिणामस्वरूप होने वाली हानि या क्षति का आकलन करने में, संविदा के गैर-प्रदर्शन के कारण होने वाली असुविधा को दूर करने के लिए मौजूद साधनों पर विचार किया जाना चाहिए।

उदाहरण 

‘A’ एक निश्चित तरीके से ‘B’ के घर की मरम्मत करने और अग्रिम (एडवांस) रूप से धन प्राप्त करने का संविदा करता है। ‘A’ संविदा के अनुसार घर की मरम्मत नहीं करता है। ‘B’ संविदा के अनुरूप मरम्मत करने की लागत को ‘A’ से वसूल करने का हकदार है।

एक नाव का मालिक ‘X’, ‘Y’ के साथ संविदा में आता है की वह एक निश्चित दिन पर मिर्जापुर में बिक्री के लिए जूट का एक माल ले जाएगा। नाव किसी अपरिहार्य (अनअवॉयडेबल) कारण से निश्चित समय पर वहां से चल नहीं पाती है, जिससे मिर्जापुर में माल के आने में, संविदा के तहत तय किए गए समय से अधिक देरी हो जाती है। उस तारीख के बाद, माल आने से पहले जूट की कीमत गिर जाती है। इसलिए ‘X’ द्वारा ‘Y’ को देय मुआवजे की मात्रा, मिर्जापुर कार्गो के लिए उस समय प्राप्त की जाने वाली कीमत के बीच का अंतर है, जो जिस समय इसे संविदा के अनुसार भेजा जाना था और इसके उस समय का बाजार मूल्य है जब यह वास्तव में वहां पहुंची थी।

विभिन्न प्रकार की क्षति क्या हैं?

सामान्य और विशेष क्षति

सामान्य और विशेष क्षति के बीच अंतर निम्नलिखित हैं:

सामान्य क्षति विशेष क्षति
सामान्य क्षति उस क्षति को संदर्भित करता है जो घटनाओं के सामान्य क्रम के दौरान स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होती है।  विशेष क्षति वे हैं जो, निश्चित रूप से, प्रतिवादी के उल्लंघन से उत्पन्न नहीं होती हैं और केवल तभी वसूल की जा सकती हैं जब वे संविदा करने के समय पक्षों के उचित विचार में थी।
अभिवचनों (प्लीडिंग्स) के संबंध में, शिकायत की गई क्षति को एक प्राकृतिक और संभावित परिणाम माना जाता है। यह उन क्षति को संदर्भित करता है जिन्हें विशेष रूप से अनुरोध और सिद्ध किया जाना चाहिए।
सबूत के संबंध में, यह आम तौर उस क्षति को संदर्भित करता है, जो  विशेष रूप से गैर-आर्थिक रूप से मौद्रिक (मॉनेटरी) संदर्भ में सटीक मात्रा का ठहराव करने में सक्षम नहीं हैं।  यह उन क्षति को संदर्भित करता है जिनकी गणना वित्तीय (फाइनेंशियल) रूप से की जा सकती है। यह उस आर्थिक नुकसान की सही मात्रा का प्रतिनिधित्व करता है जो दावेदार तथ्यों से साबित करता है कि।

नाममात्र (नॉमिनल) क्षति

यदि प्रतिवादी संविदा के उल्लंघन के लिए उत्तरदायी पाया जाता है, तो वादी नाममात्र क्षति का हकदार है, भले ही कोई वास्तविक क्षति साबित न हो। यदि किसी कानूनी अधिकार का उल्लंघन होता है तो नाममात्र का हर्जाना दिया जाता है और यदि यह किसी वास्तविक क्षति को उत्पन्न नहीं करता है, तो यह उल्लंघन के कारण फैसले में सफल होने का अधिकार देता है।

निम्नलिखित परिस्थितियों में, वादी को नाममात्र क्षति दी जाती है:

  • प्रतिवादी ने एक तकनीकी उल्लंघन किया और वादी स्वयं संविदा को निष्पादित (एग्जिक्यूट) करने का इरादा नहीं रखता था;
  • शिकायतकर्ता संविदा के उल्लंघन के परिणामस्वरूप हुए नुकसान को साबित करने में विफल रहता है;
  • उसे वास्तविक क्षति हुई है, और ऐसा प्रतिवादी के गलत कार्य के कारण नहीं हुआ है, बल्कि शिकायतकर्ता के स्वयं के आचरण या किसी बाहरी घटना के कारण हुआ है;
  • शिकायतकर्ता वास्तविक नुकसान की परवाह किए बिना अपने कानूनी अधिकारों के उल्लंघन को स्थापित करने की कोशिश कर सकता है। जहां राशि निर्धारित करने का कोई आधार नहीं है। यह विचार कि मामूली क्षति एक मामूली राशि का संकेत नहीं देती है, गलत है; नाममात्र क्षति का मतलब है एक छोटी राशि है जो किसी छोटे घटना की वजह से देनी पड़ती है। नाममात्र क्षति को उस राशि के रूप में परिभाषित किया गया है जिसके बारे में बात की जा सकती है, लेकिन जो मात्रा के संदर्भ में मौजूद नहीं है।

जहां नुकसान छोटा और गिनने योग्य है, प्रदान किया गया हर्जाना, हालांकि छोटा है, लेकिन वह नाममात्र क्षति नहीं है।

यदि उल्लंघन की तिथि पर बाजार दर साबित नहीं होती है, तो वादी मामूली हर्जाने का हकदार होगा। हालांकि, यह तथ्य कि खरीदार को माल की डिलीवरी में विक्रेता की विफलता के परिणामस्वरूप कोई वास्तविक नुकसान नहीं होता है, खरीदार को नाममात्र क्षति देने का कोई कारण नहीं है।

पर्याप्त क्षति

ऐसे मामलों में जहां एक अपराध सिद्ध हो जाता है, कई प्राधिकरण (अथॉरिटीज) पर्याप्त क्षति का दावा कर सकते हैं, भले ही यह न केवल मुश्किल हो, बल्कि निश्चित या सटीकता के साथ क्षति की गणना करना भी असंभव हो। हालांकि, इन सभी मामलों में, उल्लंघन की सीमा स्थापित की गई है क्योंकि एक पक्ष संविदा को पूरा करने में पूरी तरह से विफल रहा है। हालांकि, जहां उल्लंघन आंशिक (पार्शियल) है और विफलता की सीमा निर्धारित की जाती है, तो केवल नाममात्र क्षति प्रदान की जाती है। वादी जो यह नहीं दिखा सकता है कि उल्लंघन के बाद उसने संविदा  किया होगा, वह एक खराब वित्तीय स्थिति में होता है, और आमतौर पर वह संविदा के उल्लंघन के लिए केवल नाममात्र क्षति की वसूली करता है।

जहां एक प्रतिवादी उसके लिए बेचे या निर्मित माल को स्वीकार करने से इनकार करता है, वादी उन्हें तीसरे पक्ष को उसी शर्तों पर बेचता है जैसे प्रतिवादी सहमत होता है और एक समान लाभ कमाता है, वादी मामूली क्षति का हकदार होगा यदि मांग, समान वस्तुओं की आपूर्ति (सप्लाई) से अधिक है; लेकिन अगर आपूर्ति मांग से अधिक हो जाती है, तो वादी प्रतिवादी के संविदा पर अपने लाभ के नुकसान की वसूली का हकदार होगा।

गंभीर और अनुकरणीय (इग्ज़ेम्प्लरी) क्षति

कुछ परिस्थितियों में, प्रतिवादी के इरादों या व्यवहार को ध्यान में रखते हुए, अदालत क्षति के सामान्य उपाय से अधिक पुरस्कार दे सकती है। ऐसा नुकसान हो सकता है:

              गंभीर क्षति

          अनुकरणीय क्षति

गंभीर क्षति, वह क्षति होती है, जो पीड़ित को मानसिक संकट या घायल संवेदनाओं (सेंसेशन) के लिए उन परिस्थितियों में क्षतिपूर्ति करती है, जिसमे पीड़ित को नुकसान हुआ था या उस स्थिती में जिस में प्रतिवादी के गलत कार्य के कारण नुकसान में या गलत कार्य करने के बाद प्रतिवादी के व्यवहार में वृद्धि हुई थी।  अनुकरणीय क्षति का उद्देश्य प्रतिवादी को सजा देना है यह दंडात्मक (प्यूनिटिव) नही है और ना ही यह प्रतिवादी को नुकसान की भरपाई करने का इरादा रखते है, बल्कि यह प्रतिवादी को दंडित करते है।
यह प्रकृति में प्रतिपूरक (कंपेंसेटरी) है।  यह दंडात्मक प्रकृति का है।

जहां प्रतिवादी को चोट पहुंचाने के इरादे, आचरण या तरीके ने वादी को उसकी गरिमा और गर्व की उचित भावनाओं को चोट पहुंचाकर क्षति को बढ़ा दिया हो, तब वादी को मुआवजा देने के लिए दिया गया नुकसान बढ़ जाएगा। ये क्षति के रूप में दिए गए हैं, लेकिन संविदा में नहीं, क्योंकि प्रतिवादी के उद्देश्यों और आचरण को क्षति का आकलन करते समय ध्यान में नहीं रखा जाना चाहिए और इसे निराशा या चोट की भावनाओं के संबंध में सम्मानित नहीं किया जाना चाहिए। इस प्रकार, यदि किसी कर्मचारी को उसकी नौकरी से गलत तरीके से हटा दिया जाता है, तो उसे देय हर्जाने में उस तरीके के लिए मुआवजा शामिल नहीं होगा जिस तरह से उसे हटाया गया है, उसकी भावनाओं या नुकसान के लिए भुगतान नहीं किया जाएगा जो उसे इस तथ्य से भुगतना पड़ सकता है कि उसको उसके कार्य से निकालने से उसके लिए नया रोजगार प्राप्त करना अधिक कठिन हों जाता है।

परिनिर्धारित (लिक्विडेटेड) और अपरिनिर्धारित (अनलिक्विडेटेड) क्षति

परिनिर्धारित क्षति उसे कहा जाता है जिन्हे पक्षों द्वारा तय किया जाता है। यह संविदा में पक्षों द्वारा, उनमें से एक की चूक पर देय राशि है, इस तरह की क्षति पर धारा 74 लागू होती है। अन्य सभी मामलों में, अदालत क्षति या हानि का आकलन करती है; इस तरह की क्षति परिनिर्धारित होती हैं। दोनो पक्ष केवल विशिष्ट प्रकार के उल्लंघन के लिए परिनिर्धारित क्षति के रूप में एक राशि तय कर सकते हैं, फिर किसी अन्य प्रकार के उल्लंघन से पीड़ित पक्ष इस तरह के उल्लंघन के परिणामस्वरूप परिनिर्धारित क्षति के लिए मुकदमा कर सकते है।

जहां, संविदा की शर्तों के तहत, यदि वस्तुएं निर्धारित तारीख से पहले वितरित नहीं की जाती है तो खरीददार सहमत दर पर क्षति का दावा करने का हकदार ही और यदि उन वस्तुओं को निर्धारित तारीख के सात दिनों के भीतर वितरित नहीं किया जाता है, तो खरीददार संविदा को रद्द करने का हकदार था और साथ ही बैंक को गारंटी राशि का भुगतान करने का भी हकदार है, लेकिन जब सामना विस्तारित (एक्सटेंडेड) अवधि के भीतर पहुंचा दिया गया था तो यह माना गया था कि खरीदार केवल सहमत दर पर क्षति का दावा करने का हकदार था और बैंक गारंटी जब्ती (कॉन्फिस्केशन) खंड को लागू नहीं किया जा सकता था क्योंकि संविदा रद्द नहीं किया गया था।

हानि या क्षति का क्या अर्थ है?

हानि या क्षति शब्द का अर्थ है:

  • शारीरिक चोट, विकलांगता (डिसएबिलिटी), आनंद की हानि, आराम की हानि, असुविधा या निराशा, घायल भावनाओं, गुस्सा, मानसिक संकट, प्रतिष्ठा की हानि के माध्यम से व्यक्तियों को नुकसान।
  • सम्पत्ति को नुकसान, अर्थात संपत्ति की क्षति या विनाश।
  • आर्थिक स्थिति को नुकसान, वह राशि है जिसके द्वारा वादी का कामकाज उसकी साधारण स्थिती से भी बदतर है, और इसमें लाभ की हानि, खर्च, लागत, तीसरे पक्ष को भुगतान की गई क्षति, आदि शामिल होंगे।

परिणामी क्षति और आकस्मिक (इंसीडेंटल) हानि

परिणामी क्षति या हानि आमतौर पर भौतिक (पेक्यूनियरी) क्षति के परिणामस्वरूप होने वाली आर्थिक हानि को संदर्भित करती है, जैसे कि किसी कारखाने में आग लगने से होने वाली क्षति के कारण लाभ की हानि। जब परिणामी क्षति को संविदा के छूट खंड के तहत उपयोग किया जाता है, तो यह उस क्षति को संदर्भित करता है जिसे केवल हेडली बनाम बैक्सेंडेल के मामले में दूसरे शीर्ष के तहत वसूल किया जा सकता है, अर्थात धारा की दूसरी शाखा, और इसमें पहली शाखा के तहत लाभ और हानि की वसूली भी शामिल हो सकती है। 

एक अन्य शब्द आकस्मिक हानि, शिकायतकर्ता द्वारा उल्लंघन के बारे में जागरूक होने और नुकसान से बचने के लिए किए गए नुकसान को संदर्भित करता है, अर्थात किसी वस्तु का प्रतिस्थापन (रिप्लेसमेंट) खरीदने या दोषपूर्ण सामान वापस करने की लागत।

जो क्षति हुई है उसकी मात्रा कैसे निर्धारित करे?

क्षति की मात्रा, वसूली योग्यता को नियंत्रित करने वाले कानूनी सिद्धांतों से संबंधित है; क्षति की दूरदर्शिता (रिमॉटनेस) का सिद्धांत क्षति की वसूली को सीमित करता है। क्षति की मात्रा के प्रश्न, केवल प्रदान की जाने वाली क्षति की मात्रा से संबंधित हैं और इसलिए, क्षति के माप से अलग हैं; क्षति के माप में कानून पर विचार शामिल है।

क्षति की दूरदर्शिता का क्या अर्थ है?

क्षति की दूरदर्शिता शब्द, कानूनी परीक्षण को संदर्भित करता है जिसका उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि संविदा के उल्लंघन के कारण किस प्रकार के नुकसान की भरपाई हर्जाना देकर की जा सकती है। इसे क्षति के माप या मात्रा निर्धारण करने के शब्द से अलग किया गया है, जो किसी विशेष परिणाम या हानि के लिए मुआवजे के पैसे का आकलन करने के तरीके को संदर्भित करता है जिसे बहुत छोटा नहीं माना गया है।

दूरदर्शिता का परीक्षण कैसे करें?

यह तय करने के लिए कि क्या दावा की गई क्षति बहुत छोटी है, परीक्षण यह है कि क्या क्षति ऐसी है कि इसे पक्षों द्वारा उल्लंघन के संभावित परिणाम के रूप में माना जाना चाहिए। अगर ऐसा है तो इसे छोटा नहीं माना जा सकता। क्षति का आकलन उल्लंघन के प्राकृतिक और संभावित परिणामों के आधार पर किया जाएगा। वास्तविक ज्ञान का प्रदर्शन किया जाना चाहिए कि केवल अशिष्टता (इंप्यूडेंस) और लापरवाही ज्ञान नहीं है।

प्रतिवादी केवल उचित रूप से अनुमानित नुकसान के लिए उत्तरदायी है- जिनके पास भविष्य में उल्लंघन की संभावना का अनुमान लगाने का कारण होगा यदि संविदा के दौरान सामान्य रूप से विवेकपूर्ण व्यक्ति के पास यह जानकारी थी।

क्षति की दूरदर्शिता एक तथ्य की बात है, और कानून जो एकमात्र मार्गदर्शन दे सकता है वह सामान्य सिद्धांतों को निर्धारित करना है।

हेडली बनाम बैक्सेंडेल के ऐतिहासिक मामले में क्षति की दूरदर्शिता को नियंत्रित करने वाले सिद्धांत को विस्तृत किया गया था। इस मामले में बताए गए नियम यह थे कि संविदा के उल्लंघन से घायल पक्ष केवल उस क्षति की वसूली कर सकते है जिन्हें या तो उल्लघंन से “यथोचित (रीजनेबल) रूप से, स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होने के रूप में, यानी चीजों के सामान्य क्रम के अनुसार” माना जाना था, या अनुबंध में प्रवेश करते समय दोनों पक्षों द्वारा उचित रूप से उल्लंघन के संभावित परिणाम के रूप में विचार किया जा सकता था।  यह विशेष नुकसान को समझने का आधार है। इस मामले में, न्यायालय ने स्वीकार किया कि प्रतिवादी द्वारा मरम्मत के लिए क्रैंकशाफ्ट भेजने में विफलता, वादी की मिल को रोकने का एकमात्र कारण था, जिसके परिणामस्वरूप उसे लाभ का नुकसान हुआ।

 

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