कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 12

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Company Act 2013

यह लेख गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय की छात्रा Aadrika Malhotra के द्वारा लिखा गया है। यह लेख कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 12 का विस्तृत विश्लेषण प्रदान करता है। किसी कंपनी के पंजीकृत (रजिस्टर्ड) कार्यालयों से निपटने के दौरान, कुछ प्रावधान और विनिर्देश होते हैं जिन्हें ध्यान में रखा जाना चाहिए। यह लेख दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि केंद्र -1, विधि संकाय की छात्रा Neetu Goyat के द्वारा अनुवादित किया गया है।

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परिचय

कंपनी अधिनियम, 2013 (जिसे आगे “अधिनियम” के रूप में संदर्भित किया गया है) भारत में निगमों (कॉरपोरेशन) की कार्यक्षमता को नियंत्रित करता है। यह अधिनियम पहली बार वर्ष 1956 में पारित किया गया था जो भाभा समिति द्वारा प्रदान की गई सिफारिशों पर आधारित था। फिर कई संशोधनों के बाद, इस अधिनियम ने अंततः 2013 में बड़े बदलावों के साथ अपना लंबा लिखित रूप ले लिया और तब से इसे कई बार संशोधित किया गया है। कंपनी अधिनियम, 2013 के अध्याय II धारा 12 के तहत किसी कंपनी के कार्यालय के पंजीकरण के लिए जरूरी आवश्यकताओं के बारे में बताया गया है, जो प्रत्येक कंपनी को एक पंजीकृत कार्यालय बनाए रखने के लिए एक जनादेश (मैंडेट) देता है, जो उस कंपनी को सूचित सभी संचार और कार्यवाही को प्राप्त करता है और साथी ही उन्हे स्वीकार करता है। किसी कंपनी का पंजीकृत कार्यालय उस कंपनी के अधिवास को भी तय करने में मदद करता है। 

एक कंपनी में पंजीकृत कार्यालय की प्रासंगिकता

प्रत्येक कंपनी के पास, उसे 2013 के कंपनी अधिनियम के तहत निगमित करने के 30 दिनों के भीतर एक पंजीकृत कार्यालय होना चाहिए। कार्यालय को एम.सी.ए. में पंजीकृत होने की आवश्यकता होती है और प्रत्येक कार्यालय इसके लिए एक विशिष्ट पता प्रदान करता है। कंपनी का रजिस्ट्रार उस स्थान पर निर्भर करेगा जहां यह कंपनी पंजीकृत है, जिसके लिए कंपनी से पते के प्रमाण की आवश्यकता होगी जैसे कि लीज डीड, इसके स्वामित्व के कागजात, किराया, या अन्य समझौते।

सरकार डाक के द्वारा कंपनी के लिए सभी आधिकारिक संचार और कानूनी दस्तावेज भेजने के लिए उसके पंजीकृत कार्यालय का उपयोग करती है। कुछ दस्तावेज हैं जिन्हें कंपनी द्वारा बनाए रखा जाना चाहिए जिनका कानूनी प्राप्तियों के रूप में महत्व होगा। एक पंजीकृत कार्यालय और एक कॉर्पोरेट कार्यालय के बीच एक बड़ा अंतर है, जिसमें पंजीकृत कार्यालय एक भौतिक स्थान है जहां कानूनी दस्तावेजों को आगे के संचार के लिए डाक के द्वारा संग्रहीत (स्टोर्ड) किया जाता है। कॉरपोरेट कार्यालय वह जगह है जहां एक कंपनी के अधिकारी काम करते हैं।

 

एक कंपनी में एक पंजीकृत कार्यालय का महत्व 

कंपनी अधिनियम की धारा 12 के अनुसार, एक कंपनी के पास एक पंजीकृत कार्यालय होना चाहिए जिसे उस कंपनी के सभी कानूनी दस्तावेज प्राप्त होने चाहिए। पंजीकृत कार्यालय एक कंपनी के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वह जगह है जहां किसी कंपनी के सभी कानूनी और आधिकारिक संचार भेजे जाते हैं। यह कंपनी के अधिवास (डोमिसाइल) को निर्धारित करता है और कंपनी को एक अच्छी कॉर्पोरेट छवि देता है यदि यह एक प्रतिष्ठित क्षेत्र में स्थित है। यह बदले में, व्यापार की बिक्री को बढ़ाता है और साथ ही ग्राहकों के सामने कंपनी के लिए एक अच्छी छवि भी बनाता है।        

कंपनी के पंजीकृत कार्यालय में परिवर्तन  

कोई भी व्यक्ति, उचित प्रक्रियाओं के साथ किसी भी स्तर पर किसी कंपनी के पंजीकृत कार्यालय को बदल सकता है। कंपनी के उद्घाटन के बाद पंजीकृत कार्यालय की स्थितियों में हर बदलाव की सूचना परिवर्तन के तीस दिनों के भीतर रजिस्ट्रार को प्रस्तुत की जानी चाहिए। किसी शहर की स्थानीय सीमाओं के बाहर के मामले में, कंपनी के द्वारा एक विशेष प्रस्ताव पारित किया जाएगा। अधिकार क्षेत्र (जुरिस्डिक्शन) बदलने के मामले में, रजिस्ट्रार के परिवर्तन के लिए क्षेत्रीय निदेशक (रीजनल डायरेक्टर) की ओर निर्देशित परिवर्तन होंगे। प्रत्येक कंपनी को पंजीकृत कार्यालय का नाम और पता डालना होगा और हर कार्यालय, जिसमें कंपनी के संचालन को संभाला जा रहा है, के बाहर वही नाम और पता मुद्रित रूप में लगाना होगा।

एक कंपनी के लिए एक पंजीकृत कार्यालय की आवश्यकता 

पंजीकृत कार्यालय, निजी कंपनी के अधिवास या कंपनी के रजिस्ट्रार (आर.ओ.सी.) द्वारा निगमन की स्थिति का भी निर्धारण करता है, जिसे पंजीकरण के लिए आवेदन प्रस्तुत किए जाने चाहिए, जो उस राज्य द्वारा भी निर्धारित किया जाता है जिसमें पंजीकृत कार्यालय स्थित है। यह कार्यालय कंपनी को प्राप्त किसी भी संचार को स्वीकार करने में सक्षम करेगा और इसमें किसी भी बदलाव को तुरंत सूचित किया जाना चाहिए। यह कानूनी मुद्दों के अलावा कंपनी के उचित मेलिंग पते की पुष्टि के रूप में काम करेगा। सरकार द्वारा जारी किए गए कागजात की वितरण के लिए आधिकारिक संपर्क हमेशा पंजीकृत कार्यालय ही होता है। 

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 12 का विस्तृत विश्लेषण

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 12 को कई उप-धाराओं और खंडों में विभाजित किया गया है, जिन्हें नीचे समझाया गया है। 

एक पंजीकृत कार्यालय के लिए जनादेश

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 12(1) के तहत यह कहा गया है कि किसी कंपनी के निगमन के तीस दिनों के भीतर, उसके पास एक पंजीकृत कार्यालय होना चाहिए, जो सभी संचार और नोटिस प्राप्त कर सकता है और उन्हें स्वीकार कर सकता है। एक निर्दिष्ट आई.एफ.एस.सी. होना चाहिए। सार्वजनिक और निजी कंपनी का आई.एफ.एस.सी. (भारतीय वित्तीय प्रणाली कोड) केंद्र में अपना पंजीकृत कार्यालय होना चाहिए जो विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 में निर्दिष्ट विशेष आर्थिक क्षेत्र में स्थित है और जहां इसे संचालन करने के लिए लाइसेंस प्राप्त होता है।

पुष्टिकरण (वेरिफिकेशन)

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 12(2) के तहत यह कहा गया है, कि एक कंपनी को अपने निगमन के तीस दिनों के भीतर रजिस्ट्रार द्वारा सभी सत्यापन प्रस्तुत करना होगा। एक निर्दिष्ट आई.एफ.एस.सी. सार्वजनिक या निजी कंपनी के मामले में, कंपनी साठ दिनों के भीतर रजिस्ट्रार को सूचित कर सकती है। ऐसे दस्तावेज स्वामित्व के समझौते, कंपनी के नाम और सी.आई.एन., बिजली के बिल या बैंक की स्टेटमेंट की कॉपी हो सकते हैं। पंजीकृत कार्यालय का प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए आई.एन.सी. -22 फॉर्म को अन्य समर्थन दस्तावेजों के साथ भरना होगा जो वह कंपनी संबंधित रजिस्ट्रार से प्राप्त कर सकती है।  

कंपनी (निगमन) नियम, 2014 के नियम 25 के तहत पंजीकृत कार्यालय के सत्यापन का प्रावधान दिया गया है। आई.एन.सी. 22 में सत्यापन फॉर्म, एक शुल्क और किसी भी दस्तावेज के साथ दायर किया जाएगा, जिसमें कंपनी के नाम पर एक पंजीकृत कार्यालय का शीर्षक, पट्टे (लीज) की एक नोटरीकृत प्रति, भुगतान किए गए किराए की एक प्रति, स्थान का उपयोग करने के लिए स्वामित्व के प्रमाण के साथ मालिक का प्राधिकरण (आथोराइजेशन), और दस्तावेज़ पर पते के साथ उपयोगिता सेवाओं का प्रमाण शामिल होना चाहिए, जो दो महीने से अधिक पुराना नहीं होना चाहिए। 

पंजीकृत कार्यालय का नाम निर्दिष्ट करने के बाद की प्रक्रिया 

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 12(3) के तहत एक पंजीकृत कार्यालय की स्थापना के लिए कुछ आवश्यकताएं प्रदान की गई है जिन्हें प्रत्येक कंपनी द्वारा पूरा करने की आवश्यकता होती है। आवश्यकताओं को नीचे सूचीबद्ध किया गया है:

  1. पंजीकृत कार्यालय का नाम और पता संबद्ध (अफिक्स) करे और इसे हर कार्यालय या स्थान जहां व्यवसाय किया जा रहा है, के बाहर उस क्षेत्र के लोगों द्वारा समझे जाने वाले स्पष्ट अक्षरों या भाषाओं में एक विशिष्ट स्थिति में चित्रित करें।  
  2. कंपनी की मुहर पर नाम 
  3. पंजीकृत कार्यालय और सी.आई.एन. (कॉर्पोरेट पहचान संख्या) का नाम और पता एक टेलीफोन और फैक्स नंबर, ई मेल, वेबसाइट के साथ सभी व्यावसायिक पत्रों, बिलहेड्स, पत्र  और आधिकारिक प्रकाशन प्राप्त करें। 
  4. हुंडी, एक्सचेंज बिल, वचन पत्र और अन्य दस्तावेजों पर नाम मुद्रित करें।  

यदि यह एक व्यक्ति कंपनी है, तो इसे पंजीकृत कार्यालय के नाम के साथ ब्रैकेट में मुद्रित किया जाएगा। यदि कंपनी के लेटरहेड पर पंजीकृत कार्यालय का पता और सी.आई.एन. का उल्लेख नहीं किया गया है तो कंपनी को दंडित किया जाएगा। 

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 12(3)(c), 1 अप्रैल, 2014 को लागू हुई थी, इसलिए कंपनियों को परिवर्तनों को शामिल करने के लिए अपने लेटरहेड को पुनर्मुद्रित करने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, जहां भी आवश्यक हो, डिजिटल हस्ताक्षर में परिवर्तन किए जाने चाहिए। यदि किसी कंपनी ने पिछले दो वर्षों में अधिनियम में अपना नाम बदल दिया है, तो कंपनी को पूर्व नाम का उपयोग करना जारी रखना चाहिए। 

कंपनी को समाप्ति के बाद नए नाम को पुनर्मुद्रित करना होगा जो उस तारीख को चिह्नित करता है जब से कंपनी के पास अधिनियम के अनुसार कोई जनादेश नहीं है। 

पंजीकृत कार्यालय में परिवर्तन का प्रावधान 

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 12(4) के तहत एक पंजीकृत कार्यालय में परिवर्तन के लिए आवश्यकताओं को सूचीबद्ध किया गया है। निगमन की तारीख के बाद निर्धारित पंजीकृत कार्यालय में प्रत्येक परिवर्तन की सूचना तीस दिनों के भीतर दी जाएगी। इन आवश्यकताओं में विफल होने पर, कंपनी को नोटिस को फिर से लागू करने के लिए रजिस्ट्रार को अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करना पड़ सकता है। 

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 12(5) के तहत कहा गया है कि किसी कंपनी के पंजीकृत कार्यालय को एक विशेष प्रस्ताव के अधिकार को छोड़कर, किसी शहर, कस्बे या गांव की स्थानीय सीमाओं के बाहर नहीं बदलना चाहिए, जहां वह स्थित है। परिवर्तन तब तक नहीं किया जा सकता जब तक कि रजिस्ट्रार के कार्यालय में दायर क्षेत्रीय निदेशक के द्वारा पुष्टि की गई कोई आवेदन न हो। 

धारा 12(6) के तहत कहा गया है कि जैसा कि उप-धारा (5) में उल्लेख किया गया है, क्षेत्रीय निदेशक द्वारा कंपनी को अधिसूचित प्राप्ति की तारीख से तीस दिनों के भीतर सूचित किया जाना चाहिए, जिसके बाद यह रजिस्ट्रार के साथ साठ दिनों के भीतर एक पुष्टि दर्ज करेगा, जिसे तीस दिनों के भीतर इसे प्रमाणित करना होगा। 

धारा 12(7) के तहत कहा गया है कि उप-धारा (6) में संदर्भित प्रमाण पत्र निर्णायक (डिटरमिनिंग) सबूत होना चाहिए कि उप-धारा (5) के संदर्भ में पंजीकृत कार्यालय के परिवर्तन के लिए उल्लिखित सभी आवश्यकताओं का अनुपालन किया गया है और परिवर्तन प्रमाण पत्र पर तारीख के बाद शुरू होगा।

एक पंजीकृत कार्यालय में परिवर्तन की प्रक्रिया के बाद सेबी द्वारा कुछ नियम, एक बोर्ड संकल्प और एक अनिवार्य आई.एन.सी. -22 फॉर्म के साथ एक विशेष बोर्ड संकल्प होता है जिसे रजिस्ट्रार को प्रस्तुत करना होता है। एक पंजीकृत कार्यालय में परिवर्तन की प्रक्रिया का उल्लेख, इस लेख में बाद में किया गया है। 

किसी भी चूक या दंड के लिए प्रावधान 

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 12(8) के तहत कहा गया है कि किसी भी चूक के संबंध में, कंपनी और चूक में सभी अधिकारियों को हर दिन के लिए एक हजार रुपये का जुर्माना देना होगा जब तक की चूक जारी रहती है, और यह जुर्माना एक लाख रुपये की राशि से अधिक नहीं होगा। डिफ़ॉल्ट कंपनी की हर इमारत के सामने पंजीकृत कार्यालय के नाम के प्रदर्शन के गैर-प्रदर्शन या अधिनियम के तहत उल्लिखित किसी भी आवश्यकता का अनुपालन न करने से लेकर कुछ भी हो सकता है।

गैर-अनुपालन 

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 12(9) के तहत कहा गया है कि यदि रजिस्ट्रार का मानना है कि कंपनी सबूतों के कारण व्यवसाय नहीं कर रही है, तो रजिस्ट्रार पंजीकृत कार्यालय का निर्धारित तरीके से भौतिक सत्यापन कर सकता है, जिससे यदि उपधारा (1) के अनुपालन में कोई चूक होती है, तो रजिस्ट्रार कंपनी के नाम को हटाने के लिए कार्रवाई शुरू कर सकता है।  

अधिनियम के लिए लागू नियम 

कंपनी (निगमन) नियम, 2014 के नियम 26 में कंपनी के नाम के प्रकाशन का प्रावधान है। प्रत्येक ऑनलाइन व्यापार कंपनी को सी.आई.एन. के साथ पंजीकृत कार्यालय के नाम और पते और संबंधित व्यक्तियों के नाम और पते के तहत टेलीफोन नंबर का खुलासा करना होगा। केंद्र सरकार अन्य दस्तावेजों को अधिसूचित करेगी, जिन पर आगे की शिकायत निवारण के लिए नाम मुद्रित किया जाएगा। 

किसी कार्यालय के पंजीकरण की प्रक्रिया

नाम की मंजूरी 

पहला कदम उस नाम की मंजूरी है जो संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की कंपनी के रजिस्ट्रार (आर.ओ.सी.) द्वारा दिया जाएगा। निजी कंपनी के नाम में अंतिम शब्द प्राइवेट लिमिटेड होना चाहिए और सार्वजनिक कंपनियों के लिए लिमिटेड होना चाहिए। कंपनी के लिए चार प्रस्तावित नाम होने चाहिए और कंपनी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नाम पहले से ही उपयोग में नहीं हैं। अनुमोदन प्रस्तुत करने की तारीख से एक सप्ताह के भीतर रजिस्ट्रार द्वारा पारित किया जाता है और नाम का अनुमोदन रजिस्ट्रार का एकमात्र निर्णय है जो अनुमोदन के बाद छह महीने के लिए वैध होता है। नाम आवंटित (एलोटेड) होने के बाद मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन और आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन दायर किए जाएंगे, जिसमें विफल रहने पर कंपनी नवीकरण (रिन्यूइंग) के लिए अतिरिक्त शुल्क के साथ एक आवेदन भेजेगी। 

मेमोरेंडम और आर्टिकल्स

मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन और आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, किसी कंपनी के पंजीकृत कार्यालय को शामिल करने के लिए आर.ओ.सी. को प्रस्तुत किया जाना चाहिए। मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन कंपनी के संविधान को सूचीबद्ध करता है और साथ ही कंपनी के उद्देश्यों और दायरे और दुनिया के साथ लोगों के संबंधों को भी सूचीबद्ध करता है। मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन में कंपनी के नियम और विनियम (रेगुलेशन) हैं जो कंपनी के गठन के उद्देश्यों और परियोजनो के साथ आंतरिक मामलों का प्रबंधन करते हैं। 

आर.ओ.सी. केवल तब पंजीकरण का प्रमाण पत्र देगा जब सभी आवश्यकताओं को पूरा किया गया है और दस्तावेज आवश्यक शुल्क के साथ जमा किए गए हैं। एक निजी कंपनी केवल निगमन का प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद ही व्यवसाय शुरू कर सकती है, लेकिन एक सार्वजनिक कंपनी, कंपनी की शेयर पूंजी की सदस्यता के लिए जनता को आमंत्रित कर सकती है।

कर पंजीकरण 

जो व्यवसाय आयकर के लिए उत्तरदायी हैं, उन्हें राजस्व (रेवेन्यू) विभाग से कर पहचान पत्र, पैन और टैन नंबर के लिए फाइल करना होता है। इन आवश्यकताओं को पांच लाख से अधिक अचल संपत्ति की खरीद और बिक्री, पांच लाख से अधिक की जमा, किसी भी वाहन की बिक्री और खरीद और दस लाख से अधिक प्रतिभूतियों (सिक्योरिटीज) की बिक्री या खरीद के लिए सभी रिटर्न और दस्तावेजों पर मुद्रित किया जाना चाहिए। 

क्या एक पंजीकृत कार्यालय को स्थानांतरित (ट्रांसफर) किया जा सकता है

  • स्थानीय सीमाओं के भीतर: कंपनी (निगमन) नियम, 2014 के नियम 25 और 27 के अनुपालन में कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 12(3) और 12(4) के तहत पंजीकृत कार्यालय को स्थानीय सीमाओं के भीतर स्थानांतरित किया जा सकता है।
  • एक शहर से दूसरे शहर तक: कंपनी (निगमन) नियम, 2014 के नियम 27 और 28 के अनुपालन में कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 12(5) के तहत पंजीकृत कार्यालय को एक शहर से दूसरे शहर तक स्थानांतरित किया जा सकता है।
  • एक ही राज्य में एक आर.ओ.सी. से दूसरे आर.ओ.सी. तक: कंपनी (निगमन) नियम, 2014 के नियम 27 और 28 के अनुपालन में कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 12(5) और 12(6) के तहत पंजीकृत कार्यालय को एक ही राज्य में एक आर.ओ.सी. से दूसरे आर.ओ.सी. तक स्थानांतरित किया जा सकता है।  

स्थानीय सीमाओं के भीतर

यदि कंपनी शहर या कस्बे की स्थानीय सीमाओं के भीतर पंजीकृत कार्यालय को बदलना चाहती है, तो वह नीचे दी गई एक संरचित प्रक्रिया का पालन करेगी: 

  • वह कंपनी के निदेशक मंडल के साथ एक मंडल की बैठक आयोजित करेगी, जिसमें पंजीकृत कार्यालय को जहां यह वर्तमान में स्थित है, से स्थानांतरित करने के लिए एक प्रस्ताव पारित करने का निर्णय लिया जाएगा।    
  • बोर्ड प्रस्ताव के पारित होने के तीस दिनों के बाद, कंपनी संबंधित रजिस्ट्रार के साथ आई.एन.सी.-22 फॉर्म, बोर्ड संकल्प की सत्यापित प्रति के साथ दाखिल करेगी। इसके बाद कंपनी सेक्रेटरी को कंपनी का स्थान सत्यापित करने के लिए नए रजिस्टर्ड कार्यालय में जरूर जाना चाहिए। उसे यह प्रमाणित करना होगा कि उसने व्यक्तिगत रूप से कंपनी का दौरा किया था और यह कि स्थान का उपयोग कंपनी द्वारा किया जा रहा है। 
  • आई.एन.सी. -22 फॉर्म में बिजली के बिलों की प्रतियां, आदेश की प्रति, यह प्रमाण कि कंपनी द्वारा स्थान का उपयोग किया जा सकता है, पंजीकृत कार्यालय का प्रमाण, और पंजीकृत कार्यालय का उपयोग करने वाली उनके सी.आई.एन. के साथ सभी कंपनियों की सूची होनी चाहिए। 
  • यदि आवश्यक हो, तो कंपनी को पंजीकृत कार्यालय में परिवर्तन की सूचना देने वाले विज्ञापनों में एक सामान्य सूचना जारी करनी होगी और पंजीकृत कार्यालय का पता सभी स्टेशनरी, साइन बोर्ड, डायरी, या जहां भी यह कंपनी के व्यवसाय के लिए होता है, पर लगाया जाना चाहिए। कंपनी की प्रतिभूतियों के लिए स्टॉक एक्सचेंजों को भी परिवर्तन के बारे में सूचित किया जाना चाहिए। 

एक शहर से दूसरे शहर में

यदि कंपनी शहर या कस्बे की स्थानीय सीमाओं के भीतर पंजीकृत कार्यालय को बदलना चाहती है, तो वह नीचे दी गई एक संरचित प्रक्रिया का पालन करेगी: 

  • कंपनी, कंपनी के निदेशक मंडल के साथ एक बोर्ड बैठक आयोजित करेगी, जिसमें पंजीकृत कार्यालय को एक ही राज्य में एक शहर से दूसरे शहर में स्थानांतरित करने के लिए एक प्रस्ताव पारित करने का निर्णय लिया जाएगा। बोर्ड की बैठकों में उपधारा (5) के अनुसार विशेष प्रस्ताव पारित करने के लिए आम बैठक आयोजित करने की तारीख और समय तय करने के लिए एक प्रस्ताव भी पारित किया जाना चाहिए। बोर्ड की बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया जाना चाहिए ताकि आम बैठक के नोटिस को एक व्याख्यात्मक बयान के साथ अनुमोदित (अप्रूव) किया जा सके जो नोटिस पर ही चिपकाया जाएगा। बोर्ड की बैठक में कंपनी सचिव को बोर्ड की ओर से आम बैठक के संबंध में नोटिस जारी करने के लिए अधिकृत करने के लिए एक प्रस्ताव भी पारित किया जाएगा। 
  • कंपनी को कंपनी के प्रत्येक सदस्य को आम बैठक के लिए व्याख्यात्मक बयान के साथ एक नोटिस जारी करना चाहिए और इसे बोर्ड की बैठक के चौबीस घंटे के भीतर पंजीकृत कार्यालय में बदलाव के बारे में स्टॉक एक्सचेंज को सूचित करना चाहिए। यदि आवश्यक हो तो एक सार्वजनिक सूचना भी प्रकाशित की जाएगी, जिसके बाद आम बैठक आयोजित की जाएगी।  
  • आम बैठक की कार्यवाही की एक प्रति चौबीस घंटे के भीतर स्टॉक एक्सचेंज को भेजी जानी चाहिए। इस प्रकार आम बैठक में पारित विशेष प्रस्ताव तीस दिनों के भीतर आर.ओ.सी. के साथ दायर किया जाएगा। फॉर्म एम.जी.टी.-14 और आई.एन.सी.-22 को पारित विशेष प्रस्ताव की प्रमाणित प्रति, एक व्याख्यात्मक विवरण, परिवर्तन की सूचना और फाइलिंग शुल्क के साथ फाइलिंग के साथ संलग्न (अटैच्ड) किया जाएगा। 
  • इसके अलावा, कंपनी को पंजीकृत कार्यालय के परिवर्तन के लिए एक सार्वजनिक सूचना जारी करनी चाहिए और उन सभी व्यक्तियों को सूचित करना चाहिए जिनके साथ व्यवसाय बातचीत कर सकता है। नया पता कंपनी के सभी स्थिर और आधिकारिक वस्तुओं पर मुद्रित किया जाएगा जहां भी व्यवसाय होता है। नया पता सभी साइन बोर्ड, नेम प्लेट, सदस्यों के रजिस्टर और कंपनी के व्यवसाय के सभी स्थानों पर भी मुद्रित होना चाहिए।

एक ही राज्य में एक आर.ओ.सी. से दूसरे आर.ओ.सी. में

यदि कंपनी शहर या कस्बे की स्थानीय सीमाओं के बाहर पंजीकृत कार्यालय को बदलना चाहती है, तो वह नीचे दी गई एक संरचित प्रक्रिया का पालन करेगी: 

  • कंपनी को क्षेत्रीय निदेशक के साथ आवेदन दाखिल करने से एक महीने पहले स्थानीय समाचार पत्र में एक नोटिस प्रकाशित करना होगा। कंपनी से जुड़े प्रत्येक डिबेंचर धारक, जमाकर्ता और लेनदार के लिए व्यक्तिगत नोटिस होंगे।
  • विशेष प्रस्ताव पारित होने के बाद, कंपनी बोर्ड के प्रस्ताव की एक प्रति के साथ आई.एन.सी.-23 फॉर्म द्वारा क्षेत्रीय निदेशक को दायर करेगी, कंपनी के सदस्यों के लिए एक विशेष प्रस्ताव, प्रमुख प्रबंधकीय कर्मियों द्वारा एक घोषणा जिसमें कंपनी द्वारा पंजीकृत कार्यालय के लिए भुगतान की चूक नहीं करने का उल्लेख किया गया है, एक घोषणा जो वर्तमान में अभियोजन (प्रोसेक्यूशन) मामलों की सुनवाई कर रही है, राज्य के मुख्य सचिव द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित परिवर्तन की सूचना की प्रति, आम बैठक के नोटिस की प्रति, सामान्य बैठक के कार्यवृत्त (मिनट्स) की प्रति, आवेदन की सेवा का प्रमाण, की गई आपत्तियों की कोई प्रति, या कोई अन्य समर्थन दस्तावेज। 
  • क्षेत्रीय निदेशक आवेदन प्राप्त होने के तीस दिनों के भीतर पंजीकृत कार्यालय में परिवर्तन के लिए पुष्टि की सूचना देगा, जिसके बाद कंपनी साठ दिनों के भीतर रजिस्ट्रार के साथ आगे के संचार के लिए दायर करेगी।
  • रजिस्ट्रार कंपनी पर किसी भी अभियोजन मामले के अधीन फाइलिंग की तारीख से तीस दिनों के भीतर परिवर्तन को प्रमाणित करेगा। 

निष्कर्ष

कंपनी अधिनियम की धारा 12 प्रत्येक कंपनी को भारत में एक पंजीकृत कार्यालय रखने का आदेश देती है, और साथ ही इसके लिए आवश्यकताओं को भी निर्धारित करती है। एक कंपनी का एक पंजीकृत कार्यालय वह स्थान है जहां सरकार द्वारा सभी संचार और कानूनी नोटिस भेजे जा सकते हैं। इसका उल्लेख एम.ओ.ए. में तीस दिनों के भीतर रजिस्ट्रार को परिलक्षित हर बदलाव की सूचना के साथ किया जाना चाहिए, जिसमें विफल रहने पर कंपनी को जुर्माने का भुगतान करना होगा। यह प्रावधान कंपनियों के कामकाज में अधिक पारदर्शिता लाता है और प्रत्येक कंपनी को किसी भी कानूनी परेशानी से बचने के लिए इस प्रावधान का पालन करना चाहिए। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफ.ए.क्यू.)

अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप गैर-अनुपालन के लिए जारी किया गया जुर्माना क्या है?  

कंपनी और गैर-अनुपालन से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा जो हर दिन जारी रहने पर एक लाख रुपये से अधिक नहीं होगा। 

ऐसी कौन सी परिस्थिति हो सकती है जिसके द्वारा कोई कंपनी अपने पंजीकृत कार्यालय को बदल सकती है? 

कंपनियों को अपने पंजीकृत कार्यालय को बदलना चाहिए जब वे तेज गति से बढ़ रही हों और कार्यालय उस गति का पूरक (कॉम्प्लीमेंट) नहीं है जिस पर कंपनी है। ऐसी स्थिति तब भी पैदा हो सकती है जब जमीन पट्टे (लीज) पर हो और बोर्ड पट्टे में बदलाव तब करना चाहता है जब कोई दूसरी कंपनी इसमें निवेश कर रही हो।

एक पंजीकृत कार्यालय और एक प्रधान कार्यालय के बीच क्या अंतर है? 

एक पंजीकृत कार्यालय एक मुख्य स्थान है जहां कंपनी के सभी संचार रहते हैं और होते हैं। एक प्रधान कार्यालय वह स्थान है जहां सभी भागीदार मौजूद होते हैं और कंपनी के संचालन पर नियम और विनियम बनाने के लिए निर्णय लेने के लिए काम करते हैं।

क्या कोई कंपनी अपने पंजीकृत कार्यालय के पते को वाणिज्यिक (कमर्शियल) से आवासीय में बदल सकती है? 

आप एक आवासीय क्षेत्र में एक पंजीकृत कार्यालय भी चला सकते हैं। 

संदर्भ

 

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