पार्कर वर्सेस साउथ ईस्टर्न रेलवे कंपनी (पार्कर बनाम दक्षिण पूर्वीय रेलवे कंपनी)

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Parker vs. South Eastern Railway Company
Image Source - https://rb.gy/3mgyoj

यह लेख दामोदरम संजीवय्या नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, विशाखापत्तनम की  छात्रा  Sri Vaishnavi M.N. द्वारा लिखा गया है। इस लेख में वह पार्कर बनाम दक्षिण पूर्वीय रेलवे कंपनी का परीक्षण करती है। इस लेख का अनुवाद Divyansha Saluja द्वारा किया गया है।

परिचय (इंट्रोडक्शन)

पार्कर बनाम दक्षिण पूर्वीय रेलवे कंपनी में अंग्रेजी न्यायालय (इंग्लिश कोर्ट) ने यह निर्णय लिया की संविदा (कॉन्ट्रैक्ट) को ना पढ़ना, संविदा की शर्तों (कांट्रेक्चुअल टर्म्स) से बचने का बहाना नहीं माना जा सकता।यह केस अंग्रेजी संविदा कानून (इंग्लिश कॉन्ट्रैक्ट लो) के अपवर्जन उपधारा या खंड (एक्सक्लूजन क्लॉस) का एक उत्तम उदाहरण है। अंग्रेजी न्यायालय ने यह भी कहा कि संविदा के अपवर्जन खंड या एक्सक्लूजन क्लॉस पर ग्राहक का ध्यान आकर्षित करने के लिए पर्याप्त उपाय किए जाने चाहिए और जो पार्टी एक्सक्लूजन क्लॉस पर निर्भर होती है, उसे आवश्यक ध्यान आकर्षित करने के लिए इसे स्पष्ट और आकर्षक अक्षरों में प्रिंट करवाना चाहिए।

केस के तथ्य (फैक्ट्स ऑफ़ द केस )

मिस्टर पार्कर  ने चेरिंग क्रॉस रेलवे स्टेशन के अमानती सामानघर (क्लोकरूम) में अपना एक बैग छोड़ा, जिसका शुल्क दो शत (2 सेंट) था। उन्होंने शुल्क का भुगतान किया और उनको एक रसीद मिली। 

अमानती सामानघर की टिकट रसीद के पीछे यह उपनियम लिखा होता है कि “ यदि कोई भी वस्तु यहां से खो जाती है, जिसका मूल्य £10 के बराबर या उससे अधिक हो, तो उसके लिए दक्षिण पूर्वीय रेलवे कंपनी और साथ ही चेरिंग रेलवे स्टेशन, जिम्मेदार नहीं होंगे। 

सामने की तरफ एक वाक्य लिखा हुआ था – “पीछे देखें” मगर मिस्टर पार्कर ने पीछे की ओर नहीं पढ़ा क्योंकि उन्हें लगा कि यह टिकट उनके शुल्क भुगतान की रसीद मात्र ही है, हालांकि उन्होंने यह स्वीकार भी किया कि उन्हें पता था कि इस रसीद में अधिनियम लिखा हुआ था। 

मिस्टर पाकर का £10 से अधिक मूल्य का बैग चेरिंग क्रॉस रेलवे स्टेशन के अमानती सामानघर में खो गया। उन्होंने चेरिंग क्रॉस रेलवे स्टेशन के मालिक दक्षिण पूर्वीय रेलवे कंपनी पर मुकदमा दायर किया। न्यायालय के समक्ष विधि का प्रश्न (क्वेश्चन ऑफ लॉ ) यह उठा कि क्या यह उपनियम मिस्टर पार्कर  पर लागू होगा या नहीं और रेलवे कंपनी नुकसान का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार होगी या नहीं?

वाद-विषय (इशू)

जब उसने अपना बैग वहां रखा और दो शत का भुगतान किया, तो उसे एक टिकट मिला। टिकट के आगे की तरफ लिखा हुआ था कि “पीछे देखें”। टिकट के पीछे यह लिखा था कि रेलवे 10 पाउंड या उससे अधिक मूल्य की किसी भी वास्तु के लिए  जिम्मेदार नहीं है। मिस्टर पार्कर ने उपनियम नहीं पढ़ा क्योंकि उन्हें लगा कि टिकट सिर्फ भुगतान की रसीद  मात्र ही है। हालांकि, उन्होंने  यह भी स्वीकार किया कि उन्हें पता था कि रसीद  में अधिनियम लिखा हुआ। मिस्टर पार्कर का 10 पाउंड से अधिक मूल्य का बैग खो गया था। उन्होंने कंपनी पर मुकदमा दायर  किया। अदालत के समक्ष विधि का प्रश्न यह था कि क्या यह खंड मिस्टर पार्कर पर लागू होगा या नहीं। मुकदमे में, निर्णायक समिति (जूरी) ने निर्धारित किया कि मिस्टर पार्कर  ने टिकट नहीं पढ़ी थी।

तर्क (रीज़निंग)

न्यायाधीश मेलिश ने, बहुमत के लिए लिखते हुए यह कहा कि ऐसी स्थितियों के लिए कोई विशेष कानून नहीं है क्योंकि यह अलग-अलग परिस्थितियों पर निर्भर करता है। यदि टिकट प्राप्त करने वाला व्यक्ति यह नहीं जानता है कि टिकट के पीछे कोई अधिनियम लिखा हुआ है, तो वह उसकी शर्तों से बाध्य नहीं हो सकता। हालांकि, अगर वह जानता था कि पीछे अधिनियम लिखा हुआ है और वह इसे पढ़ने से इनकार कर देता  है या उसे नहीं मानता  कि इसमें संविदा की शर्तें (कन्ट्रैक्चूअल टर्म्ज़) शामिल हैं, तो वह संविदा की शर्तों के अधीन होगा और यह माना जाएगा कि नोट उसे दिया गया था ताकि उसे  उचित सूचना दि जा सके कि उस नोट में शर्तें थीं। इसलिए, न्यायाधीश कहते है कि एक नई सुनवाई (ट्राइल) का मौका दिया जाना चाहिए और निर्णायक समिति को यह निर्धारित करना चाहिए कि क्या यह उचित नोटिस होता या नहीं कि विक्रय विलेख (सेल डीड) में शर्तें शामिल होती।

न्यायाधीश ब्रैमवेल सामान रूप में स्वीकार करते हैं, और कहते हैं कि यदि अभियोक्ता (प्लेन्टिफ) अधिनियम को देखता है और इसे नहीं पढ़ता या  पढ़ता भी है पर आपत्ति नहीं करता है, तो उसे शर्तों को स्वीकार करना होगा और वह बाध्य होगा। उन्होंने दावे के साथ कहा कि यह विधि का प्रश्न है और इसलिए, निर्णायक समिति को यह घोषित करने का निर्णय लेने की आवश्यकता नहीं है कि यहां दक्षिण पूर्वीय में फैसला सुनाया जाना चाहिए।

डिवीज़नल न्यायालय (डिवीज़नल कोर्ट)

निर्णायक समिति के निर्णय को बनाए रखते हुए, गवर्नर कोलरिज सी.जे, ब्रेट जे. और लिंडले जे. ने मिस्टर पार्कर के लिए निर्णय लिया। लिंडले जे ने टिप्पणी की: ” निर्णायक समिति की खोज पर, मुझे लगता है कि हम यह दावा नहीं कर सकते हैं कि अभियोक्ता ने असाधारण शर्तों के बिना लेख को मान्यता नहीं दी थी।” इसलिए हेंडरसन वर्सेस स्टीवेन्सन इस से अलग नहीं है, शब्द जैसे कि “पीछे देखें” सभी तरह से टिकट के सार में शामिल नहीं थे।निर्णायक समिति ने यह टिप्पणी की इस मामले के विशेषज्ञ के बारे में की यह बहुत ही बेतुका है अगर अलग-अलग स्थितियों में टिकट के आगे या पीछे होने पर निर्भर करती हैं।”

अपील न्यायालय (अपीलेट कोर्ट)

अपीलेट कोर्ट ने भी माना कि सुनवाई दोबारा (रीट्रायल) होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर मिस्टर पार्कर को शर्तें पता होतीं, तो उन्हें ऐसा करना ही पड़ता। इस घटना में उसके पास कोई संकेत भी नहीं होता और किसी भी घटना में, वह संभवता ही बाध्य होता कि नोट इस तरह से दिया गया था कि इसे “उचित सलाह” में जोड़ा जाना चाहिए। मेलिश एल.जे. ने कहा :

“मुझे लगता है कि, इस तरह, इन मामलों में न्यायालय समिति के ऊपर सबसे अच्छा और संभव तरीका यह है कि अगर टिकट प्राप्त करने वाले व्यक्ति ने टिकट पर कोई लेखन नहीं देखी या महसूस नहीं किया तो वह शर्तों से बाध्य नहीं है ; या इत्तफ़ाक़ से, वह जानता था  या मानता था कि लेख में शर्तें शामिल हैं, उस समय वह शर्तों से बंधा हुआ है; या अगर वह जानता था कि वह नोट पर लेख  कर रहा था, पर वह यह नहीं जानता था या आश्वस्त नहीं था इस बात से कि लेख में शर्तें शामिल हैं; इसके विपरीत, वह बाध्य होगा यदि इस तरह से नोट की  रचना के बारे में वह जानता था यह न्याय समिति के निष्कर्ष पर, एक उचित चेतावनी थी कि रचना में शर्तें शामिल थीं।”

बग्गाले एल.जे. ने सहमति व्यक्त की और अनुमान लगाया कि न्यायालय समिति एक समान परिणाम (पार्कर के समर्थन में) तक पहुंच जाएगी। ब्रैमवेल एलजे ने असहमति जताते हुए तर्क दिया कि एक समझदार चेतावनी कानून की समस्या होनी चाहिए और यह रेल संगठन के लिए शासित होता है।

फ़ैसला (जजमेंट)

एक नए परीक्षण का आदेश दिया गया। ट्रायल जज का यह आदेश कि  मिस्टर पार्कर उन शर्तों से बाधित नहीं हैं जिसे उन्होंने नहीं पढ़ा था, गलत था। पार्कर उन शर्तों से बाध्य नहीं होगा जिन्हें वह नहीं जानते थे जो नोट पर लिखी थीं, लेकिन अगर उन्हें पता था कि संविदा में शर्तें हैं या नोट पर लिखा है, तो वह तब तक बाध्य रहेगा जब तक कि बोर्ड पर्याप्त नोटिस देकर संतुष्ट नहीं हो जाता।

कानूनी सिद्धांत (लीगल प्रिंसिपल्स)

संविदा का प्रमाणित रूप (स्टैंडर्ड फॉर्म ऑफ कॉन्ट्रैक्ट)

“एक्सप्लोइटेशन ऑफ द वीकेस्ट पार्ट।” संविदा के कानून को आज एक ऐसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है जो आजकल अपने आप में ही विस्तार कर रहा है। समस्या प्रमाणित रूपों में संविदा करने के आधुनिक, व्यापक और  अभ्यास से उत्पन्न होती है। उदाहरण के लिए, भारतीय रेल प्रशासन को अनगिनत परिवहन संविदा से गुजरना पड़ता है। ऐसे बड़े पैमाने के संस्थानों (ऑर्गेनाइजेशंस) के लिए प्रत्येक व्यक्ति के साथ एक विस्तार संविदा विकसित करना बहुत मुश्किल हैI

इसलिए, वे प्रिंटेड कॉन्ट्रैक्ट फॉर्म रखते हैं। इन संविदा में बड़ी संख्या में नियम और शर्तें फाइन प्रिंट  लिखी होती  हैं, जो अक्सर अनुबंध के तहत किसी भी दायित्व को सीमित और वर्जित कर सकती हैं। एक व्यक्ति, जन संगठनों (मास ऑर्गेनाइजेशंस) के साथ मुश्किल से समझौता कर सकता है और इसलिए, उनका एकमात्र कार्य प्रस्ताव को स्वीकार करना है, चाहे वे उसे पसंद हो या नहीं। हम नियम और शर्तों को नहीं बदल सकते, और ना ही उन पर चर्चा कर सकते हैं। 

इसके अलावा, हम यह भी यहाँ देख सकते हैं कि माननीय लॉर्ड डेनिंग एम आर  ने थॉर्नटन सी शू लेन पार्किंग लिमिटेड में संकेत देते हुए कहा कि “हजारों में से किसी ने भी शर्तों को नहीं पढ़ा। अगर वह उन शर्तों को पढ़ने के लिए रुक जाते तो वह ट्रेन छोड़ देते या नाव। ” विशाल कंपनियों को ऐसी शर्तों को लागू करके व्यक्तियों की कमजोरियों का फायदा उठाने का एक अनोखा अवसर मिल जाता है जो अक्सर एक तरह के निजता नीति (प्राइवेसी लेजिसलेशन) से मिलते-जुलते हैं और यहां तक ​​​​कि कंपनी को संविदा के परिणामस्वरूप दायित्व से मुक्त भी कर सकते हैं ।

“दुरुपयोग के खिलाफ लड़ाई अदालतों के सामने आ गई है।” न्यायालय को बहुत कठिनाई हुई कमजोर पक्ष की मदद करते हुए। खासकर जब उन्होंने दस्तावेज़ (डॉक्यूमेंट) पर हस्ताक्षर (सिग्नेचर) किया। उन्हें इस बात पर विचार करने के लिए मजबूर किया गया  कि दस्तावेज़ आपको बाध्य करता है, भले ही आप इसकी शर्तों से परिचित हों  या नहीं , जिसे एस्ट्रेंज वर्सेस एफ ग्रेकोब लिमिटेड में नियम के रूप में जाना जाता है, जहां तथ्य यह थे कि मिस एल ने  पढ़े बिना एक समझौते (एग्रीमेंट) पर हस्ताक्षर किए। जिसके तहत उसने एक सिगरेट मशीन खरीदी। संविदा में मशीन में सभी प्रकार के दोषों के लिए  बाध्यता शामिल नहीं थी, और वह मशीन पूरी तरह खराब थी।

हालांकि, प्रक्रिया का पालन करने के बाद, अदालत ने पाया कि आपूर्तिकर्ता (सप्लायर) ने मिस एल को ब्लैंगकिट इग्ज़ेम्प्शन  के बारे में सूचित करने का कोई प्रयास नहीं किया। इसके बावजूद, न्यायालय ने कहा की : “जब संविदात्मक खंड (क्लॉज़) वाले दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए जाते हैं, तो धोखाधड़ी (फ्रॉड) या गलत बयानी(मिस्रप्रेजेंटेशन) के अभाव में, जो पक्ष इस पर हस्ताक्षर करता है वह बाध्य है और यह पूरी तरह से बेतुका है कि उसने दस्तावेज़ पढ़ा है या नहीं पर अगर प्रार्थक(एप्लीकेंट) ने समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किया होता तो परिणाम अलग होता।

इन संविदा को विभिन्न तरीकों से वर्णित किया गया है। “सदस्यता संविदा (मेंबरशिप कॉन्ट्रैक्ट)”, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति के पास “स्वीकार” करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता; यहां समझौता नहीं होता लेकिन केवल “बाध्यकर संविदा (कंपलसरी कॉन्ट्रैक्ट)” का एक प्रकार का कराधान (टैक्सेशन) और “निजी कानून” (प्राइवेट लॉ) का पालन होता है जिसके आधार पर व्यक्ति प्रदान की जाने वाली सेवाओं से लाभ उठा सकता है।

रक्षात्मक उपकरण (प्रोटेक्टिव डिवाइसेज)

व्यक्ति ऐसे संविदा में होने वाले शोषण की संभावना से सुरक्षित रहने का अधिकार रखता है। न्यायालय द्वारा विकसित कुछ सुरक्षा विधियां नीचे दी गई हैं।

उचित सूचना (रीज़नेबल नोटिस)

सबसे पहले अंक पर ज़िम्मेदारी,  दस्तावेज़ जारी करने वाले व्यक्ति की  होनी चाहिए कि वह प्रिंटेड अविशेषक शर्तों (जनरल कंडीशन) के लिए पर्याप्त नोटिस दे। अगर ऐसा नहीं होता तब, स्वीकर्ता (एक्सेप्टर) शर्तों से बाध्य नहीं होगा।

“संविदा के सर्वस्वीकृत रूप (स्टैंडर्ड फॉर्म ऑफ कॉन्ट्रैक्ट)” के कानूनी सिद्धांत का दूसरा संरक्षण यह है कि “अधिसूचना (नोटिफिकेशन) संविदा के साथ संयुक्त होनी चाहिए”, जिसे इस तरह से समझाया जा सकता है कि संविदा के पहले या बाद में शर्तों की अधिसूचना दी जाती है। संविदा के बाद की अधिसूचना वास्तविक संविदा संशोधन (ओरिजिनल कॉन्ट्रैक्ट अमेंडमेंट)  के बराबर होगी और दूसरे पक्ष को तब तक बाध्य नहीं करेगी जब तक कि दूसरे पक्ष से सहमति ना मिली हो। उदाहरण के लिए, एक आदमी और उसकी पत्नी ने एक होटल में एक कमरा किराए पर लिया और एक सप्ताह पहले एडवांस किराए का भुगतान कर दिया।

जब वे कमरे में रहने के लिए गए, तो दीवार  पर एक नोटिस था कि “मालिक खोई या चोरी की संपत्ति के लिए जिम्मेदार नहीं हैं, सिवाय कि अगर वस्तुओं को संरक्षण के लिए पर्सन इंचार्ज को दिया गया हो “होटल के कर्मचारियों कि लापरवाही के कारण चोरी हुई वस्तु या संपत्ति, प्रतिवादी (डिफेंडेंट) की जिम्मेदार होगी, न्यायालय ने फैसला सुनाया कि अधिसूचना समझौते का हिस्सा नहीं है।

जब किसी संविदा की पूर्ति का प्रतीक स्वचालित मशीन (ऑटोमेटिक मशीन) द्वारा टिकट देकर किया जाता है, तो प्रश्न यहउठता है कि क्या टिकट पर प्रिंटेड नोटिस उसी समय ठेकेदार (कांट्रेक्टर) को दिया गया है। इस पहलू पर कई केसेस में चर्चा की गई है, जैसे थॉर्नटन बनाम शू लेन पार्किंग लिमिटेड

अन्य प्रासंगिक वाद जनित विधि (अदर रेलीवेंट केस लॉस)

हेंडरसन बनाम स्टीवेंसन 

हेंडरसन बनाम स्टीवेन्सन  में, याचक (एप्लीकेंट) ने एक स्टीम ट्रेन टिकट खरीदा जिस पर केवल “डबलिन इन व्हाइटहेवन” शब्द  दिखाई दिया; और उसके पीछे कुछ शर्ते छिपी हुई थी, उनमें से एक यात्री या उसके सामान के नुकसान, चोट या देरी के लिए कंपनी को बध्य ना बनाने की थी।  अभियोक्ता ने नोट का पिछला भाग नहीं देखा था। कंपनी के अधिकारियों के कारण  अभियोक्ता का सामान मलबे में खो गया था। पर फिर भी  इग्ज़ेम्प्शन क्लॉज़ के बावजूद कंपनी से नुकसान की भरपाई करने का अधिकार था।

मैकिलिकन बनाम कॉम्पैनी डेस मैसेजरीज मैरीटाइम्स डी फ्रांस 

मैकिलिकन बनाम कॉम्पैनी डेस मैसेजरीज मैरीटाइम्स डी फ्रांस में, याचक ने एक उड़ान टिकट स्वीकार किया जिसमें फ्रेंच में लिखी हुई शर्तें शामिल थीं। उन्होंने कहा कि वह उनसे बंधे नहीं हैं, क्योंकि वह फ्रेंच में पढ़ने में असमर्थ हैं। इस बयान को खारिज करते हुए, मुख्य न्यायाधीश गर्थ (चीफ जस्टिस गर्थ) ने कहा, “हालांकि वह फ्रेंच नहीं समझ सकते पर वह एक व्यवसाई थे जो फ्रांसीसी भाषा से बाधित थे, क्योंकि यह बहुत स्पष्ट रूप में बताया जा सकता है कि उसमें लिखी हुई शर्तें वह थीं जो कि आरोपी लेने के लिए सहमत हुए थे।

संदर्भ (रेफरेंसेंस)

  • (1877), 2 CPD 416
  • (1875) 2 H.L. Sc. App. 470
  • (1881) ILR 6 Cal 227

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