कल्पेबल होमीसाइड और मर्डर

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Indian Penal Code
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इस ब्लॉग पोस्ट में, एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा के छात्र Maanas Tumuluri, कल्पेबल होमीसाइड और मर्डर के अपराध और इसके विभिन्न पहलुओं के बारे में बताते हैं। इस लेख का अनुवाद Sakshi Gupta द्वारा किया गया है।

परिचय (इंट्रोडक्शन)

मनुष्य हमारे देखने के लिए इतिहास दर्ज होने से पहले से ही मारे जा रहे थे। आज, सेडिशन और ट्रीज़न को छोड़कर, किसी अन्य व्यक्ति का मर्डर सबसे गंभीर अपराधों में से एक है। अपराध को होमीसाइड के रूप में जाना जाता है यानी, दूसरे इंसान का मर्डर करना। कल्पेबल होमीसाइड और मर्डर दो ऐसे शब्द हैं जिनका इस्तेमाल आमतौर पर इस अपराध को परिभाषित करने के लिए किया जाता है। इन गंभीर अपराधों के पीड़ितों को न्याय प्रदान करते समय इन दो शब्दों के बीच का अंतर कानूनी व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। होमीसाइड को जस्टीफाइड होमीसाइड भी कहा जा सकता है। किसी भी अन्य अपराध की तरह, मर्डर एक व्यक्ति के साथ-साथ पूरे समाज के लिए एक अपराध है। यह शांति भंग करता है, और जनता के बीच दहशत (पैनिक) और उन्माद (हिस्टीरिया) पैदा करता है, खासकर जब एक सीरियल किलर को खुला हुआ माना जाता है।

कल्पेबल होमीसाइड और मर्डर के बीच अंतर करने का सबसे आसान तरीका यह है कि मर्डर के सभी अपराध कल्पेबल होमीसाइड के दायरे में आते हैं, लेकिन सभी कल्पेबल होमीसाइड्स, मर्डर के दायरे में नहीं आते है। मर्डर दो अपराधों में से अधिक गंभीर है और लगभग सभी देशों में लंबी सजा का है।

इंडियन पीनल कोड की धारा 299

यह धारा कल्पेबल होमीसाइड को परिभाषित करती है, ‘कोई भी व्यक्ति किसी को मारने के इरादे से एक कार्य करता है, और वो कार्य उसकी मौत का कारण बनता है, या मारने के इरादे से ऐसी शारीरिक चोट पहुंचाता है जिससे उसकी मौत होने की संभावना है, या इस ज्ञान के साथ कार्य करता है की इस कार्य से उसकी मौत होने की संभावना है, तो वह कल्पेबल होमीसाइड का अपराध करता है।’

इंडियन पीनल कोड की धारा 300

यह धारा मर्डर को ‘कल्पेबल होमीसाइड के रूप में परिभाषित करती है, अगर यह निम्नलिखित में से किसी एक या सभी शर्तों को पूरा करती है: –

  1. जिस कार्य से मृत्यु हुई है वह कार्य मारने के इरादे से किया गया है, या
  2. यदि यह ऐसी शारीरिक चोट पहुंचाने के इरादे से किया जाता है, जिसे अपराधी जानता है कि इससे उस व्यक्ति की मृत्यु होने की संभावना है जिसे नुकसान हुआ है, या
  3. यदि यह किसी व्यक्ति को शारीरिक चोट पहुंचाने के इरादे से किया गया है और जो शारीरिक चोट पहुंचाई गई है वो आर्डिनरी कोर्स ऑफ नेचर में मृत्यु का कारण बनने के लिए पर्याप्त है, या-
  4. यदि कार्य करने वाला व्यक्ति जानता है कि यह इतना ज्यादा खतरनाक है कि यह सभी संभावनाओं (प्रोबेबिलिटी) में, मृत्यु का कारण बनता है, या ऐसी शारीरिक चोट का कारण बनता है जिससे मृत्यु होने की संभावना है, और बिना किसी बहाने के मौत और चोट के जोखिम के लिए ऐसा कार्य करता है।

कल्पेबल होमीसाइड और मर्डर में अंतर

इनके अंतर सूक्ष्म (सब्टल) हैं। कल्पेबल होमीसाइड में, एक निश्चित (डेफिनिट) मेन्स रिया है, पीड़ित को मारने का एक दुर्भावनापूर्ण (मेलीशियस) इरादा है, और पीड़ित की मृत्यु हो जाती है, लेकिन होमीसाइड करने वाला व्यक्ति मृत्यु के बारे में निश्चित नहीं हो सकता है, परंतु वह इसकी आशा कर सकताहै। यह अदालत में साबित करने के लिए जटिल (कांप्लेक्स) है, और मामले की व्यक्तिपरकता (सब्जेक्टिविटी) के आधार पर निर्णय तिरछे (एसक्यू) चल सकते हैं।

मर्डर में, हालांकि, एक निश्चित मेन्स रिया, पीड़ित को मारने का एक दुर्भावनापूर्ण इरादा है, और पीड़ित की मृत्यु हो जाती है, लेकिन मर्डर करने वाले व्यक्ति मृत्यु के बारे में निश्चित है, और इसे सुनिश्चित (इंश्योर) करने के लिए अपने रास्ते से हट भी सकता है।

उदाहरण: – A, B को गंभीर रूप से डराने और चोट पहुंचाने के इरादे से उसके पास जाता है; आगामी (एनसुइंग) हाथापाई में, A, B के पेट में घूंसा मारता है और परिणामस्वरूप B मर जाता है। A निश्चित नहीं था कि B मर जाएगा; तो A कल्पेवल होमीसाइड जो मर्डर के बराबर नहीं है, के लिए जिम्मेदार है। हालांकि, अगर A, B के घर गया होता, और B को जहर या साइनाइड का सेवन (कंज्यूम) करने के लिए मजबूर करता, A, B की मृत्यु सुनिश्चित करने के लिए अत्यधिक और गहन (एक्सट्रीम) उपाय करता, तो A मर्डर के अपराध के लिए जिम्मेदार होता।

मर्डर्स में आमतौर पर कल्पेबल होमीसाइड की तुलना में अधिक पूर्व नियोजित (प्रिमेडिटेटेड) कार्रवाई शामिल होती है, और कुछ कल्पेबल होमीसाइड पूरी तरह से जानबूझकर नहीं किए जा सकती हैं।

उदाहरण: – सलमान खान के नशे में ड्राइविंग मामले में, उनका मारने का कोई इरादा नहीं था, हालांकि, जब उनने शराब के नशे में गाड़ी चलाने का फैसला किया, तो वह एक ऐसी गतिविधि (एक्टिविटी) कर रहें थे, जिसे वे जानते थे, कि यह खुद के लिए और अपने आस पास के लोगो के लिए खतरनाक होगी। उन पर जल्दबाजी और लापरवाही (रैश एंड नेगलिजेंट एक्ट) से मौत का कारण बनने का आरोप लगाया गया – जो मर्डर के बराबर नहीं है)। एक प्रतिवादी (डिफेंडेंट) यह तर्क दे सकता है, कि उसने पीड़ित को न मारने के लिए सावधानी बरती है, अगर आरोपी पर मर्डर का आरोप लगता है,, तो उस आरोप को कल्पेबल होमीसाइड के आरोप में कर दिया जाता है, जिसमें कम सजा है।

अमेरिका में मर्डर के वर्गीकरण (क्लासिफिकेशन) की एक अच्छी प्रणाली (सिस्टम) है। गंभीर या अत्यधिक क्रूर (ब्रूटल) मर्डर्स को प्रथम डिग्री के मर्डर (जेल में जीवन या मृत्यु की सजा के साथ) के रूप में माना जाता है, जबकि “सामान्य” मर्डर्स को दूसरी डिग्री के मर्डर (जेल में जीवन तक की सजा) के रूप में आरोपित किया जाता है। वे कल्पेबल होमीसाइड को मैंसलॉटर  रूप में भी संदर्भित करते हैं, और इन्वाउलेंट्री मैंसलॉटर तब किया जा सकता है, जब किसी व्यक्ति को मारने का कोई इरादा नहीं होता है, लेकिन उसके कार्यों से आसपास के सभी लोगों के लिए खतरा होता है, और मृत्यु हो जाती है।

उदाहरण: – एक भरी हुई बंदूक लहराते हुए, और गलती से  गोली चल जाती है। इन्वाउलेंट्री मैंसलॉटर में आठ साल तक की सजा होती है। वायलेंट्री मैंसलॉटर या थर्ड-डिग्री मर्डर मोमेन्ट की गर्मी में किया गया मर्डर है; बिना किसी पूर्व नियोजित या योजना के (वे पंद्रह वर्ष तक की सजा का प्रावधान (प्रोविजन) करते हैं)।

होमीसाइड को भी जायज ठहराया जा सकता है। अधिकांश देश आत्मरक्षा (सेल्फ डिफेंस) की अनुमति देते हैं, हालांकि कुछ देश इस विशेषाधिकार (प्रिविलेज) के दुरुपयोग को रोकने के लिए अपने नागरिकों पर उच्च प्रतिबंध (हायर रिस्ट्रिक्शन) लगाते हैं। अमेरिका में एक “कैस्टल सिद्धांत” है। कैस्टल के सिद्धांत में कहा गया है कि एक व्यक्ति किसी भी घुसपैठिए (इंट्रूडर) के खिलाफ खुद का बचाव करने के लिए घातक (डेडली) बल तक बल का उपयोग कर सकता है, यदि वे ऐसी जगह पर हैं जिसके वे कानूनी रूप से हकदार हैं, और ऐसे कृत्यों के लिए अभियोजन (प्रॉसिक्यूशन) से सुरक्षित हैं। यह आमतौर पर तब देखा जाता है जब घर के मालिकों द्वारा पोटेंशियल हाउसब्रेकर या चोरों को मार दिया जाता है। भारत में एक समान कानून है लेकिन यह निर्धारित करता है कि एक व्यक्ति केवल अपने खिलाफ इस्तेमाल किए जा रहे बल के प्रोपोर्शनल बल का उपयोग कर सकता है, और केवल उन स्थितियों में जहां गंभीर चोट या मृत्यु का डर हो।

धारा 96-106 सभी भारत में लोगों को दिए गए निजी रक्षा (प्राईवेट डिफेंस) के अधिकार से संबंधित हैं। यह अमेरिका में लोगों को दिए गए आत्मरक्षा के अधिकारों से कहीं अधिक सीमित है, लेकिन अच्छे कारण के साथ। भारत में असूचित (अनरेपोर्टेड) अपराधों की दर बहुत अधिक है और कनविक्शन की दर कम है। जैसे, एक मर्डरर के लिए, अपराध से बचने के लिए, यह दावा करना आसान होगा कि यह कार्य आत्मरक्षा में किया गया था। हालांकि, उन्हें अब मौत की सम्भावना को साबित करना है, यह दुरुपयोग के खिलाफ एक बाधा प्रदान करता है। कठोर (हार्ष) सीमाओं (लिमिटेशन) के कारण, जो लोग वास्तव में आत्मरक्षा के लिए कार्य करते हैं, उन्हें अक्सर कठोर परिणामों का सामना करना पड़ता है।

निष्कर्ष (कनक्लूज़न)

भारतीय कानून में, कल्पेबल होमीसाइड में किसी व्यक्ति का मर्डर शामिल होता है, चाहे उसकी मंशा कुछ भी हो। इरादे का स्तर (लेवल) वह तत्व है जो इसे मर्डर से अलग करता है। तथ्य (फैक्ट) का प्रश्न यह है कि क्या आरोपी को पता था कि पीड़िता की मृत्यु हो जाएगी, या मृत्यु अनिश्चित थी। न्यायाधीश के विवेक (डिस्क्रेशन) पर, यदि अपराधी बार-बार अपराधी (रिपीट ऑफेंडर) है, या अन्य कारक हैं, तो मर्डर में रूथेलेसनेस के आधार पर आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा दी जाती है।

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