अंशदायी लापरवाही

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Law of Torts

यह लेख इंदौर इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ के तृतीय वर्ष के छात्र Suryansh Singh द्वारा लिखा गया है। यह लेख मुख्य रूप से अंशदायी लापरवाही (कंट्रीब्यूटरी नेगलिजेंस) और उसके घटकों की अवधारणा पर चर्चा करता है। इस लेख का अनुवाद Divyansha Saluja के द्वारा किया गया है।

Table of Contents

परिचय

लापरवाही एक प्रकार का टॉर्ट है जिसका अर्थ है एक व्यक्ति द्वारा उसके कर्तव्य (देखभाल करने का कर्तव्य) का उल्लंघन, जो दूसरे व्यक्ति को नुकसान पहुंचाता है। यह प्रतिवादी की ओर से उसके कार्य, जिसे करने के लिए वह बाध्य है, में लापरवाही और अज्ञानता है, जो एक तर्कसंगत (रेशनल) और विवेकपूर्ण व्यक्ति नहीं करेगा।

सामान्य तौर पर, लापरवाही एक कर्तव्य का पालन करने में चूक है जिसके परिणामस्वरूप वादी को क्षति पहुंचती है। व्यक्ति और संपत्ति दोनों के संबंध में लापरवाही की जाती है।

किसी भी प्रकार के कार्य को करने से बचने के लिए देखभाल और उपाय करने के लिए कर्तव्य का उल्लंघन लापरवाही के दायित्व को बढ़ाने के लिए बुनियादी आवश्यकता है। लापरवाही के लिए मुकदमा तब उत्पन्न होता है जब कर्तव्य का उल्लंघन होता है जिसे कानून द्वारा मान्यता प्राप्त है।

दृष्टांत (इलस्ट्रेशन)

  1. यदि कोई डॉक्टर सर्जरी करते समय गलती से अपना एक उपकरण वादी के शरीर के अंदर छोड़ देता है, तो यह कार्रवाई योग्य लापरवाही को जन्म देगा क्योंकि डॉक्टर ने अपनी ओर से लापरवाही की थी और देखभाल करने के अपने कर्तव्य को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया था।
  2. यदि A, जो गलत साइड से गाड़ी चला रहा था, की दूसरी कार से टक्कर होती है, तो उसकी ओर से भी लापरवाही की गई कही जाएगी और मुआवजे का भुगतान करने के लिए वह उत्तरदायी होगा।

ऑस्टिन के अनुसार – लापरवाही के मामले में एक पक्ष ऐसा कार्य नहीं करता है जिसके लिए वह बाध्य है; वह एक सकारात्मक कर्तव्य का उल्लंघन करता है।

देखभाल के कर्तव्य की अवधारणा

देखभाल का कर्तव्य अपने आप में कर्तव्य या दायित्व को अधिक सावधान, उचित और तर्कसंगत होने के लिए कहता है ताकि यह किसी भी प्रकार की हानि या क्षति को जन्म न दे। आम तौर पर, यदि इस तरह के कर्तव्य के प्रदर्शन में किसी प्रकार का उल्लंघन होता है तो यह लापरवाही के दायित्व को जन्म देता है जिसके लिए मुआवजे का भुगतान किया जाता है।

यह अवधारणा डोनोग्य बनाम स्टीवेन्सन 1932 ए.सी. 562 के ऐतिहासिक मामले से सामने आई थी।

तत्काल मामले में, वादी गैस्ट्रोएंटेराइटिस (आंतों में संक्रमण) से पीड़ित थे, क्योंकि उसने अदरक की बियर का सेवन किया था जिसमें उसे एक विघटित घोंघे (डिकंपोज्ड स्नेल) के अवशेष मिले थे। अदरक की बियर बनाने के कार्य प्रतिवादी द्वारा किया गया था। यह माना गया कि प्रतिवादी ने देखभाल करने के अपने कर्तव्य की लापरवाही की थी, जिससे वादी को क्षति हुई थी।

तत्काल मामले में, लॉर्ड एटकिन ने देखभाल के कर्तव्य की अवधारणा को पुनर्गठित (रिस्ट्रक्चर) किया। उनके अनुसार, किसी ऐसे कार्य को करने से बचने के लिए हमेशा उचित उपाय करना चाहिए जिसके परिणाम आपके पड़ोसी को हानि पहुंचाने की संभावना रखते हैं।

देखभाल की मात्रा

देखभाल की मात्रा एक कार्य के परिणामस्वरुप पहुंचने वाली हानि की गंभीरता पर निर्भर करती है। यदि कोई कार्य जिसमें किसी भी प्रकार की चूक या अज्ञानता से अधिक मात्रा में हानि होने की संभावना है, तो अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है और यदि खतरा थोड़ा कम है तो कम देखभाल की आवश्यकता होती है।

यह निर्धारित करने के लिए कि क्या कोई व्यक्ति लापरवाही के लिए उत्तरदायी है, यह उस विशेष स्थिति पर कार्य करने के लिए उसकी तर्कसंगतता पर आधारित होता है।

दृष्टांत 

A जो रेलवे का द्वारपाल था, उसने Y और Z (पति और पत्नी) को गेट खोलकर आमंत्रित किया, भले ही ट्रेन उनकी ओर आ रही थी। ट्रेन ने पति-पत्नी की कार को टक्कर मार दी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। यहां A का यह कर्तव्य था कि वह इतनी बड़ी दुर्घटना से बचने के लिए हर संभव उपाय और देखभाल करे।

लापरवाही की अनिवार्यता क्या है?

  • प्रतिवादी इस तरह के कर्तव्य को निभाने के लिए कानूनी रूप से बाध्य होगा।
  • अपने कार्य को करते समय उचित देखभाल करने के लिए प्रतिवादी की अज्ञानता।
  • प्रतिवादी की लापरवाही के कारण वादी को चोट लगनी चाहिए।

फिलिप्स इंडिया लिमिटेड बनाम कुंजू पुन्नू (1974 BLR337) के तत्काल मामले में, एक डॉक्टर के खिलाफ लापरवाही का दायित्व उठाने के लिए अदालत द्वारा निम्नलिखित शर्तों को पूरा करने के लिए निर्धारित किया गया था:

  • वादी के प्रति सामान्य देखभाल करने का कानूनी दायित्व होना चाहिए 
  • ऐसे कर्तव्य की अज्ञानता होनी चाहिए 
  • कार्य और निरंतर हानि के बीच एक सीधा संबंध होना चाहिए।

सबूत का बोझ

  • वादी के ऊपर सबूत का बोझ होता है। उसे यह साबित करना होगा कि उसे प्रतिवादी की लापरवाही से चोट लगी है और उनके बीच एक निकट संबंध है।
  • रेस इप्सा लोक्विटर (एक कार्य खुद के लिए बोलता है) एक और शर्त है जिसमें वादी को कुछ भी साबित करने की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि दुर्घटना स्वयं प्रथम दृष्टया (प्राइमा फेसी) सबूत देती है।

रेस इप्सा लोक्विटर की आवश्यकताएं

  • वादी को नुकसान या चोट पहुंचाने वाले कार्य के लिए कोई सबूत नहीं होना चाहिए।
  • प्रतिवादी और वादी को नुकसान पहुंचाने वाले विषय के बीच एक संबंध होना चाहिए। लापरवाही दुर्घटना का आधार होनी चाहिए।

अंशदायी लापरवाही

अंशदायी लापरवाही का अर्थ मूल रूप से शामिल दोनों पक्षों की अज्ञानता है। यदि कोई व्यक्ति बिना ब्रेक के कार चला रहा है, और किसी अन्य व्यक्ति के साथ उसकी दुर्घटना हो जाती है जो स्वयं सड़क के गलत किनारे पर गाड़ी चला रहा था। इसके परिणामस्वरूप अंशदायी लापरवाही उत्पन्न होती है। यह अंशदायी लापरवाही के मामले में प्रतिवादी के लिए उपलब्ध बचाव है जो वादी को मुआवजा पाने से रोकता है।

प्रतिवादी की लापरवाही के परिणामों से बचने के लिए वादी की ओर से उचित देखभाल की अज्ञानता, अंशदायी लापरवाही होती है। यह अवधारणा शिथिल रूप से इस कहावत पर आधारित है- ” वोलेंटी नॉन फिट इंजुरिया” (स्वेच्छा से लगी चोट)। इसका अर्थ है कि यदि कोई व्यक्ति प्रतिवादी की लापरवाही के परिणामस्वरूप होने वाले परिणामों से बचने के लिए उचित परिश्रम नहीं कर रहा है तो लापरवाही का दायित्व उन दोनों पर ही होगा।

अंशदायी लापरवाही के सिद्धांत

  • यदि वादी स्वयं परिणामों से बचने के लिए उचित देखभाल करने के लिए लापरवाह है और नुकसान का प्रत्यक्ष (डायरेक्ट) कारण बन जाता है, तो वह कोई मुआवजा प्राप्त करने का हकदार नहीं है।
  • यदि वादी और प्रतिवादी दोनों ने इस हद तक उचित उपाय और सामान्य सावधानी बरती है कि वे दोनों ऐसे परिणामों से बचना चाहते हैं तो वादी प्रतिवादी पर मुकदमा नहीं कर सकता है।

अंशदायी लापरवाही और समग्र (कंपोजिट) लापरवाही के बीच अंतर

अंशदायी लापरवाही समग्र लापरवाही
  • अंशदायी लापरवाही का अर्थ है प्रतिवादी की लापरवाही से उत्पन्न होने वाले परिणामों से बचने के लिए वादी की ओर से हुई अज्ञानता।
  • समग्र लापरवाही का अर्थ है दो या दो से अधिक गलत काम करने वालों की ओर से ‘एक कार्य की चूक’ जिसके परिणामस्वरूप वादी को चोट लगी है।
  • वादी और प्रतिवादी दोनों को जिम्मेदार ठहराया जाता है।
  • गलत काम करने वाले या प्रतिवादी संयुक्त रूप से उत्तरदायी होते हैं।
  • वादी और प्रतिवादी के कार्यों के बीच एक निकट संबंध होता है।
  • वादी और प्रतिवादी के बीच ऐसा कोई संबंध नहीं होता है।
  • वादी और प्रतिवादी दोनों क्षति के लिए भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होते हैं।
  • वादी को लगी चोट के लिए गलत कार्य करने वालों को भुगतान करना होता है।
  • वादी द्वारा हर्जाने का दावा उसकी लापरवाही के अनुपात की सीमा तक कम कर दिया जाता है।
  • नुकसान का दावा एक हद तक कम नहीं होता है।

अंशदायी लापरवाही साबित करने का बोझ

सबूत का भार प्रतिवादी पर होता है। अंशदायी लापरवाही का बचाव करने के लिए, प्रतिवादी को यह साबित करना होता है कि वादी उसके जैसा ही जिम्मेदार है, और उसने उचित देखभाल को नजरअंदाज कर दिया है, जो प्रतिवादी की लापरवाही से उत्पन्न होने वाले ऐसे परिणामों से उसको बचा सकता था।

ग्रेट सेंट्रल रैली बनाम बेट्स (1940) 

इस मामले में, वादी को लिफ्ट के शाफ्ट से नीचे गिरने के कारण चोटें लगीं क्योंकि वह पीछे की ओर गया और उसने दरवाजे खोल दिया और यह मानकर आगे बढ़ गया कि लिफ्ट अभी भी उसी जगह पर है।

वह अंशदायी लापरवाही का दोषी था और इसलिए उसे हुए नुकसान के लिए मुआवजे की वसूली का हकदार नहीं था।

हंसराज बनाम ट्राम कंपनी, 35 बोम. 478

इस मामले में, A ने चलती ट्रामकार पर चढ़ने का प्रयास किया और अंत में वह घायल हो गया। उसने कंपनी पर मुकदमा किया। यह माना गया था कि यदि वह तब ट्रामकार पर सवार होता जब वह गति में नहीं थी तो उसके लिए हैंडलबार में एक मजबूत पकड़ बनाना और उसमे आसानी से बैठना आसान हो जाता। इसलिए इस मामले में कंपनी को उत्तरदायी नहीं ठहराया गया था।

अंशदायी लापरवाही का बचाव कब उपलब्ध नहीं है

  • जब वादी के लिए उचित देखभाल करना आवश्यक नहीं है, लेकिन प्रतिवादी कानूनी रूप से देखभाल के कर्तव्य का पालन करने के लिए बाध्य था, जिसकी विफलता के परिणामस्वरूप प्रतिवादी के लिए लापरवाही का दायित्व होगा।

जैसे- A अपने भाई के साथ रेलगाड़ी में यात्रा कर रहा था। A को खिड़की के बाहर कुछ दिखाने के लिए वह उठा और खिड़की पर हाथ रखा जो अचानक से खुल गई। हालांकि वह दुर्घटना से बच सकता था, यह कर्मचारियों का कर्तव्य थी कि वह खिड़की को ठीक से पेंच करे जिससे ऐसी दुर्घटना न हो।

बटरफील्ड बनाम फॉरेस्टर, (1809) 11 पूर्व 60

वर्तमान मामले में वादी द्वारा वाहन चलाते समय उचित सावधानी बरतने की अज्ञानता के कारण, वह खंबे से टकरा गया जिसे प्रतिवादी द्वारा गलत तरीके से बाधित किया गया था। इसलिए प्रतिवादी की लापरवाही पर विचार किए बिना, वादी दुर्घटना से बच सकता था।

दूसरी स्थिति तब होती है जब प्रतिवादी के पास दुर्घटना से बचने के लिए सहारा लेने और उचित उपाय करने का समय होता है।

उदाहरण के लिए – यदि A तीव्र गति से बिना हेडलाइट के कार चला रहा है, और वह B को लंबी दूरी से गलत दिशा में गाड़ी चलाते हुए देखता है। दुर्घटना से बचने के लिए उसके पास सहारा लेने और उचित परिश्रम करने का समय है।

डेविस बनाम मन्न

इस मामले में प्रतिवादी तेज गति से वाहन चला रहा था, और उसने वाहन को वादी के गधे के ऊपर चढ़ा दिया। वह अपने कार्य में लापरवाह था और वादी को मुआवजे का भुगतान करने का हकदार था।

तीसरी स्थिति यह है कि जब एक प्रतिवादी को अंशदायी लापरवाही का बचाव नहीं मिलेगा, जब वह ऐसी स्थिति पैदा करता है जिसके तहत वादी को अपने जीवन के लिए आसन्न (इमिनेंट) खतरे की उचित आशंका होती है और इस तरह के खतरे से बचने के लिए उसने तर्कसंगत रूप से कार्य किया और उचित देखभाल से कार्य नहीं किया।

उदाहरण के लिए A, एक बस चालक है, जो लापरवाही से गाड़ी चला रहा था जिससे दुर्घटना होने वाली थी। लेकिन B ने समझदारी से काम लेते हुए बस से छलांग लगा दी और उसे चोटें आईं। A, B को हुए नुकसान के लिए भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है।

ब्रैंडोन बनाम ओसबोर्न

वर्तमान मामले में, प्रतिवादी को वादी को लगी चोटों के लिए उत्तरदायी ठहराया गया था, जिसने अपने पति को प्रतिवादी के कामगारों (वर्कमेन) की लापरवाही से बचाने के लिए अपने पैर को घायल कर दिया था।

चौथी स्थिति यह है कि अंशदायी लापरवाही समुद्री कानून पर लागू नहीं होती है।

पांचवीं स्थिति यह है कि अंशदायी लापरवाही बच्चों पर लागू नहीं होती है। एक बच्चे में एक वयस्क (एडल्ट) की तरह तर्कसंगत और विवेकपूर्ण ढंग से सोचने की क्षमता अनुपस्थित होती है। अनुभव की कमी और कोई भी निर्णय लेने की उनकी सूक्ष्म समझ के लिए उचित भत्ते (एलाउंस) दिए जाने चाहिए। हालांकि यदि वे अपने स्वयं के कार्यों से कोई नुकसान उठाते हैं तो वे लापरवाही के लिए उत्तरदायी होंगे।

एसएम रेलवे कंपनी लिमिटेड बनाम जयम्मल, (1924)

इस मामले में 7 साल की बच्ची को रेलवे लाइन पार करते समय इंजन ने टक्कर मार दी। रेलवे लाइन पार करते समय खतरे को समझने में सक्षम होने के कारण उसे नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था।  

अंतिम अवसर का नियम

अंतिम अवसर के नियम का अर्थ है दुर्घटना से बचने का अंतिम अवसर। यदि किसी स्थिति में वादी और प्रतिवादी दोनों अपनी ओर से लापरवाही करते हैं और जिसके पास ऐसे परिणामों से बचने का अंतिम अवसर है, वह ऐसा करने में विफल रहता है, तो वह इस तरह की दुर्घटना के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार होगा।

दृष्टांत 

A अपने कुत्ते के साथ टहलने के लिए निकला है लेकिन उस पर पट्टा नहीं है। कुत्ता अचानक सड़क की ओर भागा और तेज गति से गाड़ी चला रहे B की चपेट में आ गया। यहां B के पास ब्रेक पेडल को धक्का देकर उस दुर्घटना से बचने का आखिरी मौका था।

प्रतिबंध

जहां प्रतिवादी परिणामों की गंभीरता से अवगत है और उचित उपाय करने में विफल रहता है, तो उसे उत्तरदायी ठहराया जाता है।

उदाहरण के लिए ऊपर दिए गए उदाहरण में, यदि B कुत्ते को लंबी दूरी से देखता है और फिर भी उचित देखभाल करने से बचता है जिसके परिणामस्वरूप वादी की मृत्यु हो जाती है, तो वह उत्तरदायी होगा।

प्रतिवादी के पास अंतिम अवसर होता है लेकिन कानून के अनुसार, और यह उसी के बराबर है जो उसने अपनी लापरवाही के लिए किया था।

डेविस बनाम मन्न 152 इंजी. रेप 588 (1842)

वर्तमान मामले में, प्रतिवादी ने वैगन चलाते समय वादी के गधे को मार डाला, जिसे सड़क के किनारे बेड़ियों में जकड़ा गया था। यह माना गया कि प्रतिवादी के पास उचित उपाय करके दुर्घटना से बचने का अंतिम अवसर था।

परिहार्य (अवॉयडेबल) हानियों का नियम

परिहार्य हानियों के नियम का अर्थ है किसी घायल व्यक्ति के नुकसान या क्षति को कम करने का कर्तव्य। चोट लगने के बाद वादी ऐसी चोट के प्रभाव को कम करने के लिए उचित प्रयास कर सकता है। यह नियम वादी को चोट के लिए कोई भी मुआवजा लेने के लिए अयोग्य घोषित करने के लिए कार्य करता है यदि प्रतिवादी यह साबित कर सकता है कि वादी ने नुकसान को कम करने के लिए इस तरह के प्रयासों को अनदेखा किया है।

सख्त देयता (स्ट्रिक्ट लायबिलिटी)

सख्त दायित्व का अर्थ है किसी व्यक्ति की क्षति के लिए दायित्व, भले ही वह उसकी गलती न हो। यह दायित्व तब उत्पन्न होता है जब कोई व्यक्ति अपने परिसर (प्रीमाइज) में ऐसे खतरनाक पदार्थ रखता है जो परिसर से बाहर निकलने पर जनता के लिए नुकसान का कारण बन सकता है।

रायलैंड्स बनाम फ्लेचर के मामले में प्रतिवादी ने एक जलाशय (रिजर्वायर) बनाने के लिए कुछ स्वतंत्र ठेकेदार को नियुक्त किया जिसमें उसकी कोई सक्रिय (एक्टिव) भागीदारी नहीं थी। जब स्वतंत्र ठेकेदार निर्माण के बीच में थे, उन्होंने पुराने कोयला शाफ्ट की खोज की जो ठीक से कवर नहीं किए गए थे। उचित उपाय करने और शाफ्ट को ढकने के बजाय उन्होंने काम करना शुरु रखा। इसके परिणामस्वरूप जलाशय तुरंत फट गया जिससे वादी की खदान में पानी भर गया। वादी प्रतिवादी के खिलाफ एक मुकदमा लाया जिसमें यह माना गया था कि प्रतिवादी नुकसान के लिए जिम्मेदार था।

सख्त देयता के मामले में अंशदायी लापरवाही एक बचाव नहीं है, हालांकि वादी की ओर से लापरवाही या अज्ञानता का उपयोग नुकसान के लिए दिए गए मुआवजे को कम करने के लिए किया जाता है।

निष्कर्ष

यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि अंशदायी लापरवाही प्रतिवादी के लिए उपलब्ध बचाव है जो वादी को पुरस्कार या मुआवजा प्राप्त करने से रोकता है या बचाता है। दूसरों की लापरवाही से बचने के लिए उचित परिश्रम करना किसी कार्य या अज्ञानता की चूक है। अंशदायी लापरवाही के मामले में सबूत का भार प्रतिवादी पर होता है। ऐसी कुछ शर्तें हैं जिन पर ऊपर बताए अनुसार अंशदायी लापरवाही का बचाव लागू नहीं होता है।

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