संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम 1882 के तहत धर्मार्थ न्यास का दायरा

0
872
Transfer of Property Act

यह लेख वनस्थली विद्यापीठ की छात्रा Shobhana Aggarwal द्वारा लिखा गया है। यह लेख संपत्ति हस्तांतरण (ट्रांसफर) अधिनियम के तहत धर्मार्थ न्यास (चेरिटेबल ट्रस्ट) और उनके अस्तित्व पर चर्चा करता है। इस लेख में न्यास से संबंधित सभी पहलुओं को संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 के संदर्भ में निपटाया गया है। इस लेख का अनुवाद Sakshi Gupta के द्वारा किया गया है।

Table of Contents

परिचय

‘न्यास’ शब्द कोई नया शब्द नहीं है। यह कई वर्षों से उभरता आ रहा है। और इसका प्रयोग अभी भी किया जा रहा है। लेकिन समय के साथ-साथ यह उभरकर सामने आया और इसका दायरा व्यापक हो गया है।

न्यास की परिभाषा

‘न्यास’ शब्द को न्यास अधिनियम 1882 की धारा 3 के तहत परिभाषित किया गया है। इसका मतलब है कि किसी तीसरे पक्ष के लाभ के लिए मालिक द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को संपत्ति का कोई भी हस्तांतरण, ऐसे कार्य को न्यास के कार्य के रूप में जाना जाता है। सरल शब्दों में, न्यास पक्षों के बीच एक प्रकार की वित्तीय व्यवस्था है जिसमें न्यासी (ट्रस्टी) तीसरे पक्ष के लाभ के लिए न्यासकर्ता (ट्रस्टर) की संपत्ति रखता है।

इसलिए, यह एक प्रकार का त्रि-स्तरीय प्रत्ययी (फिडूशियरी) संबंध है जिसमें एक व्यक्ति तीसरे पक्ष के लाभ के लिए संपत्ति को दूसरे व्यक्ति को हस्तांतरित करता है।

लाभार्थी के लिए एक न्यास बनाया जाता है। लाभार्थी एक अकेला व्यक्ति हो सकता है और इसमें व्यक्तियों का समूह भी शामिल हो सकता है। आश्चर्य की बात यह है कि इसे ऐसे बच्चे के लिए भी बनाया जा सकता है जिसका अभी जन्म नहीं हुआ है।

न्यास के विभिन्न प्रकार

लाभार्थियों की पहचान से विभिन्न प्रकार के न्यास का पता लगाया जा सकता है। यह व्यक्ति के वर्ग पर भी निर्भर करता है। किस वर्ग के व्यक्ति को लाभ होने वाला है, इसे देखकर हम इसके प्रकारों के बारे में पता लगा सकते हैं।

भारत में, हमें मुख्य रूप से दो प्रकार के न्यास मिलते हैं जो हैं:

  1. सार्वजनिक न्यास
  2. निजी न्यास

सार्वजनिक न्यास

सार्वजनिक न्यास में, यह अनिश्चित है कि इसका हित कहाँ निहित है और इसे किसे सौंपा गया है। इसे सार्वजनिक न्यास के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह बड़ी संख्या में लोगों के लाभ के लिए बनाया गया होता है। तो, इस मामले में, हम कह सकते हैं कि यहां लाभार्थी बड़े पैमाने पर आम जनता हैं। सार्वजनिक न्यास को आगे दो भागों अर्थात धार्मिक और धर्मार्थ न्यास में विभाजित किया गया है।

सार्वजनिक न्यास की आवश्यकता

  • सार्वजनिक न्यास बनाने के लिए आवश्यकता यह है कि बनाया जाने वाला न्यास आम जनता के लाभ के लिए हो। ऐसे न्यास का लाभ जनता को अवश्य मिलना चाहिए।
  • सार्वजनिक न्यास बनाने के लिए इसे धर्मार्थ होना चाहिए।

निजी न्यास

निजी न्यास एक प्रकार का न्यास है जो किसी व्यक्ति के लाभ के लिए होता है। एक निजी न्यास में, इस बात को लेकर निश्चितता होती है कि हित किस पर निहित है। व्यक्तियों के लाभ के लिए एक निजी न्यास भी बनाया जा सकता है। एक निजी न्यास को आगे दो भागों में विभाजित किया जा सकता है:

  • जिनके प्राप्तकर्ताओं का समाधान किया जा सकता है;
  • जिनके प्राप्तकर्ताओं का समाधान नहीं हो पा रहा है।

एक निजी न्यास का निर्माण

एक निजी न्यास किसी भी वैध उद्देश्य के लिए बनाया जा सकता है। एक व्यक्ति जो स्वस्थ दिमाग का है, 18 वर्ष से अधिक आयु का है, और जो कानून द्वारा अनुबंध के लिए अयोग्य नहीं है, एक निजी न्यास के निर्माण का हकदार है। इंसानों के अलावा, कोई भी कंपनी या फर्म या, कोई संघ एक निजी न्यास बना सकता है।

न्यास के उल्लंघन के मामले में

न्यास के किसी भी उल्लंघन के मामले में, न्यासी नुकसान की भरपाई करने के लिए बाध्य है। लेकिन एक न्यासी नुकसान के लिए उत्तरदायी नहीं है यदि यह उसके सह-न्यासी द्वारा किया गया है और यदि उसने अपनी ओर से उचित देखभाल और परिश्रम किया है।

मोहन लाल सील और अन्य बनाम कनक लाल सील और अन्य के मामले में, यह निर्धारित किया गया था कि यद्यपि यह अधिनियम केवल निजी न्यास पर लागू होता है, इसके अलावा यह ऐसे सिद्धांत भी निर्धारित करता है जो सार्वजनिक और निजी न्यास दोनों पर समान रूप से लागू होंगे।

एक न्यास में पक्ष 

न्यास के तीन प्रमुख पक्ष हैं जो निम्नलिखित हैं:

  1. न्यासकर्ता 
  2. न्यासी
  3. लाभार्थी

न्यासकर्ता कौन है

न्यासकर्ता वह व्यक्ति होता है जो सबसे पहले एक समझौता करता है और बाद में न्यासी को परिसंपत्ति (एसेट) और संपत्ति पर नियंत्रण देता है।

न्यासकर्ता की भूमिका:

  • उनका मुख्य काम न्यास बनाना है।
  • एक अन्य भूमिका न्यासियो की नियुक्ति करना है।

न्यासी कौन है

न्यासी वह व्यक्ति होता है जो सभी न्यास के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होता है जिसके लिए उसे नियुक्त किया गया है। एक न्यासी मूल रूप से उस संपत्ति का स्वामित्व रखेगा जिसे उसे न्यास में दिया गया है।

न्यासी की भूमिका:

  • उसे न्यासकर्ता की इच्छाओं और दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए और उन पर भरोसा करना चाहिए।
  • न्यासी मुख्य रूप से न्यास के प्रशासन के लिए जिम्मेदार होता है। न्यास में कई चीज़ें शामिल हैं, उदाहरण के लिए: प्राधिकरण (अथॉरिटी) को आयकर का भुगतान करना।
  • एक न्यासी का कर्तव्य है कि वह लाभार्थी के प्रति वफादार रहे।
  • एक न्यासी का कर्तव्य है कि वह उचित देखभाल करे।
  • एक न्यासी का कर्तव्य है कि वह अपनी शक्ति या कार्य किसी अन्य व्यक्ति को न सौंपे।
  • एक न्यासी न्यासकर्ता की इच्छा के अनुसार और उसके सर्वोत्तम हितों के अनुसार सब कुछ प्रबंधित करने के लिए बाध्य है।
  • एक न्यासी न्यास की संपत्ति की रक्षा करने के लिए बाध्य है।
  • एक न्यासी न्यास की संपत्ति के सभी खातों की देखभाल करने के लिए बाध्य है।

लाभार्थी कौन है

लाभार्थी वह व्यक्ति होता है जो न्यास के समझौते का लाभ प्राप्त करता है। सरल शब्दों में, लाभार्थी वह व्यक्ति होता है जिसे बनाए गए न्यास का लाभ प्राप्त होने वाला है।

एक वैध न्यास की विशेषता

  1. जिस इरादे के लिए न्यास बनाया जा रहा है उसकी निश्चितता होनी चाहिए।
  2. न्यास की विषय वस्तु के संबंध में निश्चितता होनी चाहिए।
  3. जिस उद्देश्य के लिए न्यास सौंपा गया है वह निश्चित होना चाहिए।

न्यास की अवधारणा क्यों बढ़ रही है

न्यास की अवधारणा अब पहले की तुलना में कहीं अधिक लोकप्रिय है। न्यास की अवधारणा का उपयोग मुख्य रूप से संपत्ति के हस्तांतरण के लिए बंदोबस्तकर्ता (सेटलर) द्वारा किया जाता है। कुछ न्यास नाबालिग बच्चों के लाभ के लिए भी बनाए जाते हैं।

न्यास का प्रयोजन (पर्पज)

कई कार्यों को करने के लिए न्यास बनाया जा सकता है, ऐसे ही महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है उत्तराधिकार। न्यास कार्य-संबंधी उत्तराधिकार के लिए एक माध्यम के रूप में कार्य करता है।

न्यास के उद्देश्य

न्यास के उद्देश्य में आयकर अधिनियम, 1961 के अर्थ के अंतर्गत लाभ के लिए कोई भी गतिविधि शामिल नहीं होगी। न्यास के अन्य उद्देश्य इस प्रकार सूचीबद्ध हैं:

  1. मानव संसाधन (रिसोर्स) विकास, प्री-प्राइमरी, प्राइमरी, हाई स्कूल, प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज, डिग्री कॉलेज और अन्य पाठ्यक्रमों से शैक्षणिक संस्थानों के विकास को प्रोत्साहित करना। व्यक्तित्व परिवर्तन, आत्मविश्वास का निर्माण, सकारात्मक सोच, संचार कौशल आदि के लिए शिक्षण केंद्रों का रखरखाव।
  2. न्यास के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए भूमि और भवन और अन्य परिसंपत्तियों और संपत्तियों का अधिग्रहण करने के लिए किसी भी अनाथालय, नर्सिंग होम, वृद्धाश्रम, अस्पताल, पुस्तकालय या सामाजिक स्थिति को शुरू करना, प्रबंधित करना और प्रशासित करना।
  3. ग्रामीण इलाकों के योग्य बच्चों के लिए चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करना। ग्रामीण स्वास्थ्य क्लीनिक, अस्पताल, मोबाइल स्वास्थ्य इकाइयाँ आदि शुरू करना।
  4. पूरे भारत और सभी विदेशी देशों में पश्चिमी संस्कृतियों के प्रभाव से बचाने के लिए भारतीय संस्कृति के संरक्षण के संदेशों को फैलाना।
  5. जाति, पंथ, नस्ल (रेस), धर्म या भाषा के भेदभाव के बिना गरीबों की मदद करना और उन्हें राहत प्रदान करना।
  6. संकेन्द्रित (कंसेंट्रेटेड) एवं सघन (इंटेंसिव) कार्यक्रम प्रारम्भ कर एवं चला कर जनता को गरीबी, भुखमरी, अशिक्षा एवं बीमारियों के अभिशाप से मुक्ति दिलाना।
  7. शैक्षिक उद्देश्यों के लिए सहायता प्रदान करने में केंद्र और राज्य सरकार और अन्य अधिकारियों के साथ सहयोग करना।
  8. बच्चों एवं महिलाओं के कल्याण हेतु विशेष एकाग्रता से कार्य करना।
  9. धर्मार्थ मूल्यों, साहित्य, विज्ञान, शिक्षा और संस्कृति को बढ़ावा देना।
  10. समुदाय में सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के तरीकों का पता लगाना।
  11. समाज के उपेक्षित एवं वंचित वर्ग के कल्याण के लिए कार्य करना।
  12. लोगों के खिलाफ हो रहे अन्याय के खिलाफ विरोध करना और लड़ना।
  13. लोगों को सामाजिक मुद्दों के प्रति जागरूक करना ताकि वे बुराइयों के खिलाफ लड़ सकें।
  14. अपने अधिकारों और न्याय के लिए लड़ने के लिए वंचित और गरीब वर्गों को कानूनी सहायता प्रदान करना और सुविधा प्रदान करना।

ये कुछ उद्देश्य हैं जो एक धर्मार्थ न्यास के होते हैं और सूची बहुत लंबी है।

धर्मार्थ न्यास का गठन

भारत में, हमारे पास भारतीय न्यास अधिनियम, 1882 है। लेकिन भारतीय न्यास अधिनियम, 1882 के प्रावधान सार्वजनिक न्यास (धर्मार्थ न्यास) पर लागू नहीं होते हैं।

न्यास बनाने की शर्तें

धर्मार्थ न्यास बनाते समय कुछ शर्तें जुड़ी होती हैं। शर्तें इस प्रकार सूचीबद्ध हैं:

  1. न्यास का एक संस्थापक (फाउंडर) होना चाहिए, जिसके लिए न्यास बनाया जाना है।
  2. इसमें न्यासी होने चाहिए 
  3. मुख्य घटक: जो न्यास की संपत्ति है।
  4. लाभार्थी, वे लोग जो बनाए गए न्यास से मूल रूप से लाभान्वित होंगे।
  5. न्यास बनाने का इरादा होना चाहिए।
  6. न्यास का उद्देश्य ज्ञात होना चाहिए।
  7. संपत्ति का हस्तांतरण स्वयं न्यासी को होना चाहिए।
  8. बंदोबस्तकर्ता को संपत्ति में अपना सारा हित छोड़ना होगा।
  9. संपत्ति का स्पष्ट वर्णनात्मक विश्लेषण होना चाहिए।
  10. यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए कि न्यास किस उद्देश्य से बनाया गया है।
  11. सभी मामलों में, न्यास विलेख (डीड) की ऐसी कोई आवश्यकता नहीं है। लेकिन कुछ मामलों में ऐसे लिखत (इंस्ट्रूमेंट) को रखने की सलाह दी जाती है।

न्यास कौन बना सकता है

यदि हम सामान्य अर्थ में बात करें तो जो व्यक्ति अनुबंध करने में सक्षम है वह न्यास बना सकता है।

  • भारत में, कोई भी व्यक्ति जो अनुबंध करने में सक्षम है, अनुबंध में प्रवेश कर सकता है।
  • कोई भी व्यक्ति अनुबंध में प्रवेश करने के लिए तभी सक्षम होता है जब वह व्यक्ति वयस्कता (मेजॉरिटी) की आयु यानी 18 वर्ष या उससे अधिक तक पहुंच गया हो।
  • अनुबंध में प्रवेश करने वाला व्यक्ति स्वस्थ दिमाग का होना चाहिए और किसी भी प्रकार के अनुबंध में शामिल होने के लिए अयोग्य नहीं होना चाहिए।
  • एक नाबालिग को भी प्रधान सिविल न्यायालय की पूर्व अनुमति के बाद ही उसका न्यास मिल सकता है। एक व्यक्ति नाबालिग की ओर से भी खड़ा हो सकता है।

संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 की धारा 7

संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 की धारा 7 के प्रावधान के अनुसार, केवल वही व्यक्ति न्यास बनाने का हकदार है जो अनुबंध करने में सक्षम है और जिसके पास ऐसी संपत्ति को हस्तांतरित करने का अधिकार है।

इसलिए, मूल रूप से, न्यास कौन बना सकता है इसके लिए केवल दो मुख्य आवश्यकताएं हैं।

  • पहला यह कि व्यक्ति के पास संपत्ति के हस्तांतरण के लिए शक्ति या अधिकार होना चाहिए और 
  • दूसरा, वह व्यक्ति अनुबंध करने में सक्षम होना चाहिए।

लेकिन भारतीय न्यास अधिनियम, 1882 सार्वजनिक न्यास (धर्मार्थ न्यास) पर लागू नहीं होता है।

न्यास संपत्ति:

संपत्ति की मदद से न्यास बनाया जाता है। न्यास बनाने के लिए संपत्ति मुख्य घटक है। जिस उद्देश्य के लिए न्यास बनाया गया है उसका मुख्य उद्देश्य लाभार्थियों को उस समझौते से लाभ दिलाना है।

लेकिन अगर जिस संपत्ति पर न्यास बनाया गया वह नष्ट हो जाए तो क्या होगा?

इसलिए संपत्ति की सुरक्षा की बहुत जरूरत है। न्यासी का मुख्य कार्य न्यास की संपत्ति का प्रबंधन करना है। एक न्यासी न्यास संपत्ति की देखभाल के लिए जिम्मेदार होता है। इसलिए उसे अपना कर्तव्य अवश्य निभाना चाहिए।

लाभार्थी द्वारा न्यास की संपत्ति का हस्तांतरण

लाभार्थी, न्यासी को न्यास की संपत्ति उसे या लाभार्थी जैसे किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित करने का निर्देश दे सकता है। लेकिन जहां एक से अधिक लाभार्थी हैं और वे सभी सहमत हैं तो वे न्यासी को संपत्ति उन्हें या किसी अन्य व्यक्ति जिसे लाभार्थी संपत्ति हस्तांतरित करना चाहते हैं, को हस्तांतरित करने का निर्देश भी दे सकते हैं।

एक लाभार्थी संपत्ति में अपना हित दूसरे व्यक्ति को भी हस्तांतरित कर सकते है और जिस व्यक्ति को हित हस्तांतरित किया जाता है, उसके वही अधिकार और दायित्व होंगे जो लाभार्थी के पास हित के हस्तांतरण की तारीख से थे। लेकिन हित के ऐसे हस्तांतरण के साथ एक शर्त भी जुड़ी हुई है, ब्हित केवल लाभार्थी या लाभार्थियों द्वारा हस्तांतरित किया जा सकता है, जैसा भी मामला हो, जब वे वयस्क हो गए हों और स्वस्थ दिमाग के हों और भारत में लागू किसी भी कानून द्वारा अयोग्य न हों।

यदि लाभार्थी एक विवाहित महिला है और न्यास की संपत्ति उसे न्यास के माध्यम से यह सुनिश्चित करने के लिए दी गई है कि वह कभी भी अपने लाभकारी हित से वंचित नहीं होगी, तो न्यास की संपत्ति और हित को उपरोक्त आग्रह के अनुसार हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है।

न्यास की संपत्ति के दस्तावेज़ और खाते

इसमें न्यास का खाता होता है। इसमें लाभार्थी की सुरक्षा के लिए सभी परिसंपत्तियां किसी तीसरे पक्ष के पास होती हैं। उनके प्रकार के आधार पर न्यास खाते विभिन्न प्रकार के होते हैं।

न्यास और न्यास संपत्ति की सुरक्षा

जब भी न्यास बनाया जाता है तो मुख्य कर्तव्य उसे ठीक से प्रबंधित करना होता है। पहला कर्तव्य न्यास और संपत्ति पर भी नियंत्रण रखना है।

जब कोई तीसरा पक्ष दावा करता है कि यह उसका न्यास है, तो लाभार्थी यह घोषणा करते हुए वाद दायर कर सकता है कि यह संपत्ति पूरी तरह से न्यास की है।

भारत में न्यास के बारे में कुछ महत्वपूर्ण और अज्ञात तथ्य:

  • भारत में, निजी न्यास को भारतीय न्यास अधिनियम, 1882 द्वारा शासित किया जा रहा है और दूसरी ओर, सार्वजनिक न्यास का प्रबंधन स्वयं द्वारा किया जाता है। कुछ राज्यों को छोड़कर।
  • न्यासियो की संख्या के लिए कोई अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं है। लेकिन न्यूनतम सीमा का उल्लेख किया गया है, जो पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) प्रक्रिया के समय दो न्यासी हैं।
  • सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ जो कि ‘न्यास विलेख’ है, के बिना पंजीकरण प्रक्रिया अधूरी है।
  • केवल सार्वजनिक न्यास ही कर से छूट का लाभ उठा सकता है।

संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम के तहत धर्मार्थ न्यास का दायरा

भारत में, निजी न्यास भारतीय न्यास अधिनियम, 1882 द्वारा शासित होते है लेकिन सार्वजनिक न्यास विभिन्न क़ानूनों द्वारा शासित होते है। सार्वजनिक न्यास को भी दो उपप्रकारों में वर्गीकृत किया गया है। एक है धर्मार्थ न्यास और दूसरा है धार्मिक न्यास। अभी तक सार्वजनिक न्यास को नियंत्रित करने के लिए कोई केंद्रीय कानून नहीं है। लेकिन महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों ने सार्वजनिक न्यास के लिए अपना अलग कानून बनाया गया है।

हमारे संविधान में, दान हमारी समवर्ती सूची में है, जिसका अर्थ है कि राज्य और केंद्र दोनों के पास धर्मार्थ न्यास पर कानून बनाने की शक्ति है।

आयकर अधिनियम की धारा 11, 12, और 13

आयकर अधिनियम 1995 की धारा 11, 12 और 13 के तहत, यह उल्लेख किया जा रहा है कि धर्मार्थ न्यास को सभी प्रकार के आयकर से छूट दी जाएगी।

बंधक (मॉर्गेज), पट्टे (लीज), या बिक्री के संबंध में न्यास को अलग करना 

बंधक, पट्टा, न्यास और बिक्री के बीच बहुत अंतर हैं। जब कोई संपत्ति पट्टे, हस्तांतरण या बंधक के माध्यम से दी जाती है तो इसमें केवल दो पक्ष शामिल होते हैं।

कुछ प्रकार की आय ऐसी होती है जिन पर कोई कर नहीं लगाया जा सकता है। इस प्रकार की आय को करों का भुगतान करने से छूट दी गई है। ये आय हैं: धर्मार्थ या धार्मिक उद्देश्यों से प्राप्त आय।

लाभार्थी का दायित्व

लाभार्थी के अधिकारों के अलावा, लाभार्थी के कुछ दायित्व भी हैं जो निम्नलिखित हैं:

  • किसी भी क्षति के मामले में न्यासी को मुआवजा देने का कर्तव्य

न्यास को किसी प्रकार की क्षति होने पर न्यासी को मुआवजा देना लाभार्थी का कर्तव्य है। यदि उसके द्वारा न्यास को किसी प्रकार की हानि या किसी प्रकार की क्षति पहुंचाई जाती है तो वह न्यासी को इसकी भरपाई करने के लिए बाध्य है।

  • न्यास के उल्लंघन के मामलों में दायित्व

लाभार्थी को उत्तरदायी ठहराया जाएगा यदि उसकी ओर से न्यास का उल्लंघन होता है, तो वह सभी नुकसानों के लिए उत्तरदायी होगा।

  • दूसरों के हितों को नुकसान न पहुंचाने का दायित्व

यदि लाभार्थी किसी अन्य पक्ष के हितों को कोई नुकसान पहुंचाता है तो लाभार्थी उस पक्ष को होने वाले सभी नुकसान के लिए उत्तरदायी होगा।

  • सहमति के बिना कोई लाभ न लेने का दायित्व

एक लाभार्थी अन्य लाभार्थियों की सहमति के बिना लाभ नहीं लेने के लिए बाध्य है।

  • अपने हित से अधिक हित का दावा न करने का दायित्व

किसी लाभार्थी को अपने हित से अधिक का दावा नहीं करना चाहिए। उसे केवल वही दावा करना चाहिए जो वह पाने का हकदार है।

  • न्यासी को धोखा देने के मामले में दायित्व

यदि किसी भी मामले में, यह पाया जाता है कि लाभार्थी ने न्यासी को किसी भी तरह से धोखा दिया है जिससे अंततः न्यास का उल्लंघन हुआ है, तो लाभार्थी को उत्तरदायी ठहराया जाएगा।

एक न्यासी की मुक्ति 

भारतीय न्यास अधिनियम 1882 के प्रावधान के तहत उस प्रक्रिया के बारे में उल्लेख किया जा रहा है जिसके द्वारा एक न्यासी को मुक्त किया जाएगा।

  • न्यास के ख़त्म होने पर उन्हें मुक्त कर दिया जाएगा।
  • उस प्रक्रिया द्वारा जो न्यास के लिखत के अंतर्गत वर्णित है।
  • यदि उसे मुक्त करने के लिए न्यायालय में याचिका दायर की गई हो तो उसे मुक्त किया जा सकता है।
  • यदि किसी न्यासी की जगह पर कोई नया न्यासी नियुक्त किया गया हो तो उसे मुक्त किया जा सकता है।

और इसके अलावा, एक न्यासी अपने कार्यालय से मुक्ति की मांग के लिए सिविल अदालत में आवेदन करके खुद को मुक्त करवा सकता है। और यदि अदालत उसके मुक्त करने के कारणों से संतुष्ट है तो अदालत न्यासी को मुक्त कर सकती है।

लेकिन अगर अदालत को लगता है कि ये पर्याप्त कारण नहीं हैं, तो अदालत न्यासी को तब तक मुक्त नहीं करेगी जब तक कि उन्हें उसकी ओर से कोई उपयुक्त व्यक्ति नहीं मिल जाता।

निष्कर्ष

अंत में, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि न्यास की अवधारणा 3 पक्षों के इर्द-गिर्द घूमती है। पहला पक्ष स्वयं न्यास का अनुदानकर्ता (ग्रांटर) है, दूसरा पक्ष न्यासी है और तीसरा पक्ष लाभार्थी है। लाभार्थी वह पक्ष है जो इस तरह के समझौते से लाभान्वित होने वाला है। इन तीनों पक्षों के अपने-अपने अधिकार और कर्तव्य हैं जो उन्हें न्यास विलेख पर सौंपे गए हैं। न्यास विलेख यह घोषणा करने के लिए एक प्रकार का लिखत है कि यह एक न्यास है। इन दिनों न्यास की अवधारणा का उदय हो रहा है कि यह उत्तराधिकार की एक पद्धति के रूप में सामने आ रहा है। अब परिस्थिति के अनुसार कानून बदल रहा है।

संदर्भ

 

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here