भारत में नागरिकता कानून का ओवरव्यू

1
1785
Citizenship
Image Source- https://rb.gy/xelfb0

इस लेख में Anubhav Pandey भारत में नागरिकता कानून के बारे में जानकारी देते हैं। इस लेख का अनुवाद Archana Chaudhary द्वारा किया गया है।

Table of Contents

परिचय (इंट्रोडक्शन)

फिल्मी सितारों की राष्ट्रीयता (नेशनलिटी) बदलने को लेकर तमाम विवादों (कंट्रोवर्सीज) के बीच भारत के नागरिकता कानून को लेकर काफी कन्फ्यूजन है। लोग अक्सर ओसीआई (ओवरसीज सिटिजनशिप ऑफ इंडिया) और पीआईओ (पीपल ऑफ इंडियन ओरिजिन) को दोहरी (ड्यूल) नागरिकता के रूप में कंफ्यूज करते हैं। भारत में नागरिकता कानून क्या है? एक भारतीय कौन है? भारतीय नागरिक कैसे बनें? भारतीय नागरिकता का त्याग (रेनाउंस) कैसे करें? हमारी मातृभूमि के नागरिकता कानूनों पर एक विस्तृत (डिटेल्ड) ब्लॉग है और एक भारतीय होने के लिए क्या आवश्यक है के बारे में है।

भारत में नागरिकता कानून

भारत में नागरिकता कानून सिटिजनशिप एक्ट, 1955 और भारत के संविधान द्वारा शासित (गवर्न) है। भारत उन कुछ देशों में से एक है जिनके नागरिकता कानून को संविधान में ही शामिल किया गया है। अपरिहार्य (अनअवॉयडेबल) परिस्थितियों के कारण भारत और पाकिस्तान के विभाजन के कारण उत्पन्न हुई और भारतीय राज्य की स्वतंत्रता या तो संघ (यूनियन) में शामिल होने या इसे छोड़ने के लिए, नागरिकता कानून को संविधान में ही शामिल किया जाना था।

नागरिक को परिभाषित करना,

  • एक नागरिक उस व्यक्ति से बहुत अलग होता है जो केवल भूमि में रहता है। एक नागरिक मतदान का आनंद लेता है।
  • एक नागरिक जो मतदान के अधिकार के साथ-साथ विभिन्न सरकारी सेवाओं का अधिकार प्राप्त करता है, जो केवल नागरिक के लिए आरक्षित (रिजर्व्ड) होता है।

नागरिकता को परिभाषित करने वाला संविधान

भारतीय संविधान का भाग II (आर्टिकल 5-11) नागरिकता और इसे प्राप्त करने के कुछ तरीकों को परिभाषित करता है।

  • डोमिसाइल द्वारा नागरिकता

भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए डोमिसाइल एक अनिवार्य आवश्यकता है। डोमिसाइल का अर्थ है एक स्थायी घर या स्थान जहां कोई व्यक्ति लंबे समय तक रहता है।

निवास और डोमिसाइल के बीच में अंतर है।

डोमिसाइल को दो वर्गों में वर्गीकृत (केटेगराइज) किया जा सकता है –

  1. जन्म से।
  2. मर्ज़ी से।

डोमिसाइल द्वारा नागरिकता का हकदार (एंटाइटल) होने के लिए 3 शर्तें हैं जिन्हें पूरा करने की आवश्यकता है-

  1. उनका जन्म भारत के क्षेत्र में हुआ हो।
  2. उसके माता-पिता में से कोई एक भारत के क्षेत्र में पैदा हुआ हो।
  3. वह संविधान के लागू होने से ठीक पहले से कम से कम 5 साल के लिए भारत में रह रहा हो।
  • यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य राष्ट्र की नागरिकता प्राप्त करना चाहता है तो वह अपना डोमिसाइल देने के लिए स्वतंत्र है।
  • डोमिसाइल नागरिकता से अलग है। व्यक्ति के पास एक राष्ट्रीयता और अलग डोमिसी हो सकता है।

वे व्यक्ति जो संविधान के लागू होने से पहले पाकिस्तान से भारत में माइग्रेट कर चुके थे

19 जुलाई 1948 से पहले भारत आए अप्रवासियों (इमिग्रेंट्स) को भारत का नागरिक कहा जा सकता है यदि निम्नलिखित 2 शर्तें पूरी होती हैं-

  1. अप्रवासी या उसके माता-पिता या उसके किसी दादा-दादी का जन्म गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट, 1935 में परिभाषित भारत में हुआ था।
  2. अप्रवासी अपने प्रवास के दिन से ही भारत में रह रहा है।

19 जुलाई 1948 के बाद भारत आने वाले अप्रवासियों को भारतीय नागरिक कहलाने के लिए निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना होगा-

  • अप्रवासी या उसके माता-पिता या उसके किसी दादा-दादी का जन्म गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट, 1935 में परिभाषित भारत में हुआ था।
  • उसे नागरिकता के लिए आवेदन (एप्लीकेशन) करना होगा।
  • उसे यह साबित करना होगा कि वह 6 महीने से भारत में रह रहा है।
  • उसे सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी द्वारा नागरिक के रूप में पंजीकृत (रजिस्टर्ड) होना चाहिए।

एक व्यक्ति जो 1 मार्च 1947 के बाद पाकिस्तान माइग्रेट हो गया, वह भारत का नागरिक नहीं होगा।

  • यदि कोई व्यक्ति उपरोक्त कानूनों के आधार पर भारत का नागरिक है, तो वह 1 मार्च 1947 के बाद पाकिस्तान में माइग्रेट करने पर भारतीय नागरिक नहीं रहेगा।
  • जो व्यक्ति भारत में पुनर्वास (रीसेटलमेंट) के लिए परमिट के आधार पर भारत लौट आया उसके पक्ष में एक एक्सेप्शन किया जाता है। अप्रवासी या उसके माता-पिता या उसके किसी दादा-दादी का जन्म गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट, 1935 में परिभाषित भारत में हुआ था।

भारत के बाहर रहने वाले भारतीय मूल के व्यक्तियों का नागरिकता अधिकार

भारतीय नागरिकता उन व्यक्तियों को दी जा सकती है, जिनके पास कुछ शर्त पूरी करने पर भारत में कोई डोमिसाइल नहीं था।

  • वह व्यक्ति जिसके माता-पिता या दादा-दादी भारत में पैदा हुए थे लेकिन विदेश में रह रहे हैं।
  • जहां वह व्यक्ति निवास कर रहा उसका उस देश में भारत के राजनयिक (डिप्लोमेटिक) या कांसुलर प्रतिनिधि (रिप्रेजेंटेटिव) द्वारा भारत के नागरिक के रूप में पंजीकरण आवश्यक है।

किसी विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से प्राप्त करने वाले व्यक्ति का नागरिक नहीं होना

एक व्यक्ति जिसने स्वेच्छा (वॉलंटरिली) से दूसरे राज्य की नागरिकता प्राप्त कर ली है, वह भारत का नागरिक नहीं रहेगा। एक विदेशी राज्य का मतलब भारत के अलावा एक राज्य है।

इंडियन सिटीजनशिप एक्ट, 1955 द्वारा शासित नागरिकता कानून

  • जन्म से नागरिक्ता

भारत में जन्म लेने वाला व्यक्ति निम्नलिखित शर्तों के तहत नागरिक होगा –

  1. 26 जनवरी 1950 को या उसके बाद लेकिन 1 जुलाई, 1987 से पहले।
  2. 1 जुलाई, 1987 को या उसके बाद, लेकिन 7 जुलाई 2004 से पहले और जिनके माता-पिता में से कोई भी उनके जन्म के समय भारत का नागरिक है।
  3. 7 जुलाई 2004 के बाद जहां उसके माता-पिता दोनों भारत के नागरिक हैं या जिनके माता-पिता में से कोई एक भारत का नागरिक है और दूसरा, अपने जन्म के समय इल्लीगल माइग्रेंट नहीं है, जन्म से भारत का नागरिक होगा।

एक व्यक्ति इस धारा के आधार पर भारत का नागरिक नहीं होगा यदि उसके जन्म के समय-

  1. या तो उसके पिता या माता के पास मुकदमों और कानूनी प्रक्रिया से ऐसी इम्यूनिटी है जो भारत के राष्ट्रपति से मान्यता प्राप्त एक विदेशी संप्रभु (सॉवरेन) शक्ति के एक दूत (एनवॉय) को दी जाती है और जैसा भी मामला हो, वह भारत का नागरिक नहीं है।
  2. उसके पिता या माता एक एनिमी विदेशी हैं और जन्म उस स्थान पर होता है जहां पर एनिमी का कब्जा (ऑक्यूपेशन) है।
  • वंश द्वारा नागरिकता (सिटिजनशिप बाई डिसेंट)

भारत के बाहर जन्म लेने वाला व्यक्ति वंश से भारत का नागरिक होगा-

  • 26 जनवरी, 1950 को या उसके बाद, लेकिन दिसंबर, 1992 के 10वें दिन से पहले, यदि उनके पिता उनके जन्म के समय भारत के नागरिक हैं।
  • दिसम्बर 1992 के 10वें दिन या उसके बाद, यदि उसके जन्म के समय उसके माता-पिता में से कोई एक भारत का नागरिक है -बशर्ते कि यदि क्लॉज (a) में निर्दिष्ट (रेफर) व्यक्ति का पिता केवल वंश से भारत का नागरिक था। वह व्यक्ति इस धारा के आधार पर तब तक भारत का नागरिक नहीं होगा जब तक कि-
    • उसका जन्म एक भारतीय कॉन्सुलेट में इसकी घटना (ऑक्यूरेंस) या इस एक्ट के शुरू होने के 1 वर्ष के अंदर  या उक्त अवधि की समाप्ति के बाद; जो भी बाद में हो, केंद्र सरकार की अनुमति से पंजीकृत है।
    • उसके पिता, उसके जन्म के समय, भारत सरकार के अधीन सेवा में हैं: बशर्ते कि यदि क्लॉज (b) में निर्दिष्ट व्यक्ति के माता-पिता में से कोई एक केवल वंश से भारत का नागरिक था, तो वह व्यक्ति इस धारा के आधार पर भारत का नागरिक नहीं होगा जब तक 
      • उसका जन्म भारतीय कॉन्सुलेट में होने के 1 वर्ष के अंदर या दिसंबर, 1992 के 10वें दिन या उसके बाद, जो भी बाद में हो, या, उक्त अवधि की समाप्ति के बाद, केंद्र सरकार की अनुमति से; या
      • उसके माता-पिता में से कोई भी, उसके जन्म के समय, भारत सरकार के अधीन सेवा में है, बशर्ते यह भी की सिटिजनशिप (अमेंडमेंट) एक्ट, 2003 के प्रारंभ होने पर या उसके बाद, एक व्यक्ति इस धारा के आधार पर भारत का नागरिक नहीं होगा, जब तक कि उसका जन्म भारतीय कांस्यूलेट में इस तरह से पंजीकृत नहीं किया गया, जैसा कि निर्धारित (प्रेस्क्राइब) किया जा सकता है-
        • इसके घटित होने के 1 वर्ष के अंदर या सिटिजनशिप (अमेंडमेंट) एक्ट, 2003 के लागू होने के, जो भी बाद में हो; या
        • उक्त अवधि की समाप्ति के बाद, केंद्र सरकार की अनुमति से: बशर्ते यह भी कि ऐसा कोई जन्म तब तक पंजीकृत नहीं किया जाएगा जब तक कि ऐसे व्यक्ति के माता-पिता इस तरह के रूप में घोषित (डिक्लेयर) न करें और इस तरह से जैसा कि निर्धारित किया जा सकता है, कि नाबालिग के पास दूसरे देश का पासपोर्ट नहीं है।
  • पंजीकरण द्वारा नागरिकता (सिटीजनशिप बाई रजिस्ट्रेशन)

पंजीकरण द्वारा भारत की नागरिकता प्राप्त की जा सकती है –

  1. भारतीय मूल के व्यक्ति जो या जिनके माता-पिता में से कोई एक अविभाजित (अंडिवाइडेड) भारत में पैदा हुआ था और जो 7 साल से भारत में सामान्य रूप से निवासी हैं।
  2. भारतीय मूल के व्यक्ति जो अविभाजित भारत के बाहर किसी भी देश या स्थान के सामान्य निवासी हैं।
  3. ऐसे व्यक्ति जो भारत के नागरिक हैं या जिनकी शादी भारत के नागरिक से हुई है और जो सामान्य रूप से 5 साल से भारत में निवास कर रहे हैं।
  4. नाबालिग बच्चे जिनके माता-पिता दोनों भारतीय नागरिक हैं।
  5. सिंगापुर और कनाडा का नागरिक जो भारत में क्रमश: 5 साल और 8 साल से रह रहा हो।
  • देशीयकरण द्वारा नागरिकता (सिटिजनशिप बाई नेचुरलाइजेशन)

देशीयकरण द्वारा भारत की नागरिकता एक विदेशी द्वारा प्राप्त की जा सकती है जो भारत में सामान्य रूप से 12 वर्षों के लिए निवासी है (लगातार आवेदन की तारीख से पहले के 12 महीनों के लिए और 12 महीनों से पहले के 14 वर्षों में कुल मिलाकर 11 वर्षों के लिए)।

नागरिकता का त्याग (रिनंसिएशन ऑफ सिटीजनशिप)-

  • यदि पूर्ण आयु और क्षमता का भारत का कोई नागरिक, निर्धारित तरीके से अपनी भारतीय नागरिकता का त्याग (रिनंसिएशन) करने की घोषणा करता है, घोषणा को निर्धारित प्राधिकारी (ऑथोरिटी) द्वारा पंजीकृत किया जाएगा और ऐसे पंजीकरण पर, वह व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं रहेगा- बशर्ते कि यदि ऐसी कोई घोषणा किसी युद्ध के दौरान की जाती है, जिसमें भारत शामिल (इंगेज्ड) हो सकता है, तो उसका पंजीकरण तब तक रोक दिया जाएगा जब तक कि केंद्र सरकार अन्यथा निर्देश न दे।
  • जहां एक विवाहित जोड़ा भारत का नागरिक नहीं रह जाता है, वहां उस व्यक्ति का प्रत्येक नाबालिक बच्चा भारत का नागरिक नहीं रहेगा- बशर्ते कि ऐसा कोई भी बच्चा पूर्ण आयु प्राप्त करने के 1 वर्ष के अंदर घोषणा कर सकता है कि वह भारतीय नागरिकता फिर से शुरू करना चाहता है और उसके बाद फिर से भारत का नागरिक बन जाएगा।

नागरिकता की समाप्ति (टर्मिनेशन ऑफ सिटीजनशिप) –

  • भारत का कोई भी नागरिक जो देशीयकरण, पंजीकरण द्वारा अन्यथा स्वेच्छा से 26 जनवरी 1950 और सिटिजनशिप एक्ट  के बीच किसी भी समय स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त करता है, ऐसे अधिग्रहण पर या, जैसा भी मामला हो, इस तरह की शुरुआत समाप्त हो जाएगी। भारत का नागरिक होने के लिए- बशर्ते कि भारत के नागरिक पर कुछ भी लागू नहीं होता है, जो किसी भी युद्ध के दौरान, जिसमें भारत शामिल हो सकता है, स्वेच्छा से दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त करता है, जब तक कि केंद्र सरकार अन्यथा निर्देश न दे।
  • यदि कोई प्रश्न उठता है कि भारत के किसी नागरिक ने किसी अन्य देश की नागरिकता कब या कैसे प्राप्त की है, तो यह ऐसे प्राधिकरण द्वारा इस तरह और साक्ष्य के ऐसे नियमों को ध्यान में रखते हुए निर्धारित किया जाएगा, जैसा कि इस संबंध में निर्धारित किया जा सकता है।

क्या भारतीय कानून के तहत दोहरी नागरिकता की अनुमति है?

भारतीय संविधान दोहरी (डुअल) नागरिकता की अनुमति नहीं देता है। एक भारतीय नागरिक एक समय में केवल एक राष्ट्र की नागरिकता धारण कर सकता है और वह भारत का होना चाहिए।

जैसा कि ऊपर बताया गया है, ओसीआई और पीआईओ के प्रावधान (प्रोविजन) अक्सर दोहरी नागरिकता के साथ कंफ्यूज होते हैं। लोगों में यह मिसकंसेप्शन है कि हमारा भारतीय संविधान दोहरी नागरिकता का प्रावधान करता है।

भारत की विदेशी नागरिकता क्या है? क्या यह दोहरी नागरिकता नहीं है?

भारतीय मूल के व्यक्ति जो भारत से पाकिस्तान और बांग्लादेश को छोड़कर अन्य देशों में माइग्रेट हो गए, उन्हें भारत का विदेशी (ओवरसीज) नागरिक कहा जा सकता है, बशर्ते उनका देश ओसीआई नागरिकता की अनुमति देता हो।

व्यक्तियों की निम्नलिखित श्रेणियां (पाकिस्तान और बांग्लादेश को छोड़कर) ओसीआई योजना के तहत आवेदन करने के लिए एलिजिबल हैं:

  1. जो किसी दूसरे देश का नागरिक है, लेकिन संविधान के लागू होने के समय या उसके बाद किसी भी समय भारत का नागरिक था।
  2. जो दूसरे देश का नागरिक है लेकिन संविधान लागू होने के समय भारत का नागरिक बनने के योग्य था।
  3. जो किसी अन्य देश का नागरिक है, लेकिन उस क्षेत्र से संबंधित है जो 15 अगस्त, 1947 के बाद भारत का हिस्सा बन गया।
  4. जो ऐसे नागरिक का बच्चा या पोता या परपोता है।

ओसीआई दोहरी नागरिकता के बराबर नहीं है। भारत के प्रवासी नागरिक को निम्नलिखित अधिकार प्राप्त नहीं हैं –

  • उन्हें वोट देने का अधिकार नहीं है।
  • वे भारतीय पासपोर्ट नहीं रख सकते।
  • वे संवैधानिक पदों के लिए एलिजिबल नहीं हैं।
  • वे किसी भी सदन (हाउस) के लेजिस्लेचर के सदस्य नहीं हो सकते।

यह भारत में नागरिकता कानून के बारे में जानकारी है। तुम क्या सोचते हो? नागरिकता कानून भारत के लिए कितना फायदेमंद है?

1 टिप्पणी

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here