मैक्कुलोच बनाम मैरीलैंड (1819)

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यह लेख Charu Kohli द्वारा लिखा गया है। यह लेख मैक्कुलोच बनाम मैरीलैंड (1819) के मामले से संबंधित है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका के राज्यों और संघीय सरकार के बीच सत्ता नियंत्रण के लिए संघर्ष को रेखांकित किया गया है। देश के कानून में मौजूद उचित और आवश्यक खंड के सिद्धांत को समझने के लिए, लेख को गहराई से पढ़ें। इस लेख का अनुवाद Himanshi Deswal द्वारा किया गया है।

Table of Contents

परिचय

मैक्कुलोच बनाम मैरीलैंड (1819) का मामला संयुक्त राज्य अमेरिका का एक ऐतिहासिक निर्णय है, जिसने राज्य और संघीय सरकार के बीच संबंध स्थापित करने में मदद की, साथ ही इस संबंध को बहुत विस्तार से परिभाषित भी किया। ऐसा माना जाता है कि यह मामला केन्द्र और राज्य के बीच सत्ता विवाद की परिभाषित रेखाओं को स्थापित करने वाले सबसे प्रारंभिक विवादों में से एक है।

यह मामला केंद्र द्वारा स्थापित बैंकों की प्रकृति और उन पर कराधान (टैक्सेशन) के नियम को उजागर करता है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका के संघीय ढांचे में केंद्र या संघीय इकाई और स्वतंत्र राज्यों के बीच सत्ता की गतिशीलता के सवाल पर भी केंद्रित है। इस मामले ने राष्ट्रीय स्तर पर बैंक स्थापित करने की कांग्रेस की शक्ति और क्या ऐसे बैंक पर किसी अन्य राज्य द्वारा कर लगाया जा सकता है जैसे गंभीर सवालों के जवाब दिए।

मामले का विवरण

  • मामले का नाम: जेम्स मैक्कुलोच बनाम मैरीलैंड राज्य, जॉन जेम्स
  • मामला संख्या: 17 यू.एस. 316 (1819)
  • समतुल्य उद्धरण (साइटेशन): मैक्कुलोच बनाम मैरीलैंड निर्णय; 3/6/1819; संलग्न मिनट, 2/1790 – 6/7/1954, डीसी, 17 यू.एस. 316 4 व्हीट. 316; 4 एल. एड. 579; 1819 यू.एस. लेक्सिस 320; 4 ए.एफ.टी.आर. (पी-एच) 4491; 42 निरंतर कैस. फेड. (सीसीएच) ¶ 77,296 संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के अभिलेख, रिकॉर्ड समूह 267; राष्ट्रीय अभिलेखागार भवन, वाशिंगटन

  • शामिल अधिनियम: संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान
  • महत्वपूर्ण प्रावधान: अनुच्छेद 1 खंड 8– आवश्यक और संभावित खंड
  • न्यायालय: संयुक्त राज्य अमेरिका का सर्वोच्च न्यायालय
  • न्यायापीठ: सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जॉन मार्शल, सहयोगी न्यायाधीश बुशरोड वाशिंगटन, सहयोगी न्यायाधीश विलियम जॉनसन एच. ब्रॉकहोल्स्ट लिविंगस्टन, सहयोगी न्यायाधीश थॉमस टॉड गेब्रियल डुवैल और सहयोगी न्यायाधीश जोसेफ स्टोरी
  • याचिकाकर्ता: जेम्स डब्ल्यू. मैक्कुलोच
  • प्रतिवादी: जॉन जेम्स
  • निर्णय: 6 मार्च, 1819 को सर्वसम्मति से लिया गया निर्णय

मैक्कुलोच बनाम मैरीलैंड का इतिहास (1819)

यह मामला वाशिंगटन में राजकोष (ट्रेजरी) सचिव श्री अलेक्जेंडर हैमिल्टन द्वारा अपने कार्यकाल के पहले वर्ष में रखे गए प्रस्ताव के इर्द-गिर्द घूमता है। हैमिल्टन द्वारा रखे गए प्रस्ताव में संयुक्त राज्य अमेरिका के दूसरे बैंक की आवश्यकता के बारे में बात की गई थी, क्योंकि पहले बैंक का चार्टर के अनुसार अंत हो चुका था। प्रस्ताव का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि 1812 के युद्ध के बाद अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों से निपटा जा सके और मुद्रा को एक बार फिर प्रचलन में लाया जा सके। इस प्रस्ताव पर विभिन्न सदस्यों और अधिकारियों ने गंभीरता से विचार किया।

बाद में इस प्रस्ताव को कांग्रेस ने उठाया और इस पर विस्तार से चर्चा की कि राष्ट्रीयकृत बैंक बनाने का अधिकार उनके अधिकार क्षेत्र में आता है या नहीं। हैमिल्टन का यह विचार क्रांतिकारी युद्ध के कारण हुए कर्ज को चुकाकर राष्ट्र और अर्थव्यवस्था (इकोनॉमी) निर्माण की योजना पर आधारित था। यह लक्ष्य राष्ट्रीय बैंकों के निर्माण के माध्यम से प्राप्त किया जाना था, जो सरकार को न केवल केंद्रीय स्तर पर कर बढ़ाने में मदद करेंगे, बल्कि ऋणों का भुगतान करने, बकाया भुगतान करने और अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए अल्पकालिक ऋण भी वितरित करने में मदद करेंगे।

प्रस्ताव में कांग्रेस द्वारा एक राष्ट्रीय बैंक के निर्माण और उसे एक निगम में बदलने का विवरण दिया गया था, जिसे वर्ष 1816 में कांग्रेस द्वारा स्वयं अपने अधिकार का प्रयोग करने के लिए कुछ लाभ प्रदान किए जाएंगे। बाद में कांग्रेस ने इस विचार को स्वीकार कर लिया, और विभिन्न कैबिनेट मंत्रियों के साथ इस मामले पर चर्चा करने के बाद, राष्ट्रपति वाशिंगटन ने अंततः विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए। हालांकि, उस समय के महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) श्री एडमंड रैंडोल्फ और राज्य सचिव श्री थॉमस जेफरसन का मानना ​​था कि यह कांग्रेस का असंवैधानिक कार्य है और उन्होंने राष्ट्रीयकृत बैंक के निर्माण के प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया। उनका मानना ​​था कि राष्ट्रीय स्तर पर बैंक बनाने की शक्ति संविधान द्वारा सुनिश्चित नहीं की गई थी और इसलिए, उन्हें लगा कि यह योजना राष्ट्र के मूल ढांचे का उल्लंघन कर रही है।

हालाँकि, संयुक्त राज्य अमेरिका का पहला राष्ट्रीय बैंक 1817 में फिलाडेल्फिया में अपने मुख्यालय के साथ स्थापित किया गया था, क्योंकि प्रस्ताव को कांग्रेस से बहुमत का समर्थन प्राप्त हुआ था और राष्ट्रपति ने विधेयक को मंजूरी दे दी थी। इसके अलावा, संघीय बैंक ने यूएसए के कई राज्यों में विभिन्न शाखाएँ स्थापित करना शुरू कर दिया और ऐसी ही एक शाखा मैरीलैंड के बाल्टीमोर क्षेत्र में स्थापित की गई।

मामले का महत्व

मैक्कुलोच बनाम मैरीलैंड के मामले में अपने फैसले में अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय ने अमेरिकी संघवाद (फेडरलिज़्म) के एक बुनियादी सिद्धांत को रेखांकित किया। इसमें कहा गया है कि जब दोनों के बीच विवाद होता है तो संघीय कानून राज्य के कानूनों पर सर्वोच्च होता है। मुख्य न्यायाधीश जॉन मार्शल ने मामले का सर्वसम्मत फैसला सुनाते हुए कहा कि कांग्रेस को दी गई शक्तियाँ संयुक्त राज्य अमेरिका के नागरिकों से प्राप्त होती हैं, न कि अलग-अलग राज्यों से। इस मामले ने, सरल शब्दों में, यह स्थापित किया कि राज्य की संप्रभुता (सॉवरेन) संघीय इकाई, यानी अमेरिका का राष्ट्रीय बैंक के अधिकार को प्रभावित नहीं कर सकती। देश के सर्वोच्च न्यायालय के इस ऐतिहासिक फैसले ने केंद्र और राज्य के बीच शक्ति संतुलन को मजबूत किया और राज्य की संघीय सरकार के पक्ष में भारी फैसला सुनाया। इस निर्णय ने कथन की दिशा बदल दी और यह उन निर्णयों के विपरीत था जो संघीय इकाई पर राज्य के अधिकारों की ओर अधिक झुकाव रखते थे, जैसे कि संयुक्त राज्य बनाम लोपेज़ (1995) का मामला। मैक्कुलोच बनाम मैरीलैंड का मामला तब से एक महत्वपूर्ण मिसाल के रूप में काम कर रहा है जो न्यायपालिका को बाद की न्यायिक व्याख्याओं का मार्गदर्शन करने में मदद करता है। इसने न केवल संघीय-राज्य शक्ति गतिशीलता या दो संस्थाओं के बीच शक्ति के प्रवाह के नियम को स्थापित करने में मदद की है, बल्कि इस बारे में भी बात की है कि दोनों एक-दूसरे को कैसे प्रभावित करते हैं और अमेरिकी न्यायशास्त्र में राज्य और संघीय कानूनों के बीच संघर्षों को कैसे हल किया जाता है।

मैक्कुलोच बनाम मैरीलैंड (1819) के तथ्य

1818 के मई महीने में समाज में आर्थिक संकट के कारण कई राज्यों में राष्ट्रीय बैंक के प्रति काफी नाराजगी थी। राज्य और राष्ट्रीय बैंक के बीच प्रतिस्पर्धा (कॉम्पीटीशन) और बकाया कर्ज के ढेर के कारण राज्यों ने संघीय बैंक पर कर लगाना शुरू कर दिया। उसी वर्ष, मैरीलैंड राज्य ने गैर-राज्य बैंकों पर $15,000 का कर लगाने वाला एक अधिनियम पारित किया। यह कर उन सभी बैंकों द्वारा सालाना चुकाया जाना था जो राज्य में काम कर रहे थे, लेकिन राज्य के बाहर के बैंक थे। ‘राज्य के बाहर के बैंक’ शब्द का अर्थ उन बैंकों से है जो संचालन के राज्य के अलावा किसी अन्य राज्य में शामिल किए गए थे और वे बैंक जिनका चार्टर और मुख्यालय किसी दूसरे राज्य में स्थित हैं।

यह अधिनियम, जो शुरू में तटस्थ (न्यूट्रल) प्रतीत होता था, वास्तव में केवल संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय बैंक को ही लक्ष्य करता था, क्योंकि उस समय मैरीलैंड में यह एकमात्र बाहरी बैंक था। यह तब हुआ जब बैंक की बाल्टीमोर शाखा के कैशियर जेम्स मैकुलोह ने राज्य द्वारा लगाए गए कर का भुगतान करने से इनकार कर दिया। इसलिए, मैरीलैंड राज्य ने आगे बढ़कर जेम्स मैकुलोह के खिलाफ मामला दायर किया ताकि उनका बकाया वसूला जा सके। इसलिए मैरीलैंड ने करों का भुगतान करवाने के लिए राज्य न्यायालय में मामला दायर किया।

मैरीलैंड ने राज्य परीक्षण न्यायालय और उच्च न्यायालय दोनों में मामला जीत लिया। दोनों न्यायालयों ने जेम्स मैकुलोह को मैरीलैंड राज्य के निर्देशों के अनुसार करों का भुगतान करने का निर्देश दिया। हालांकि, बाल्टीमोर शाखा के कैशियर, श्री मैकुलोह ने उच्च न्यायालय और संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्णय की समीक्षा का अनुरोध करते हुए एक अपील याचिका दायर की।

उठाए गए मुद्दे

  • क्या मैरीलैंड राज्य के पास संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय बैंक, बाल्टीमोर शाखा पर कर लगाने का अधिकार है, जिसे वर्ष 1818 में कांग्रेस द्वारा स्थापित किया गया था?
  • क्या संघीय इकाई के पास राष्ट्रीय बैंक बनाने का संवैधानिक अधिकार है या नहीं? 
  • क्या इस राष्ट्रीय बैंक पर राज्य सरकार द्वारा कर लगाया जा सकता है या नहीं?

मैक्कुलोच बनाम मैरीलैंड (1819) में शामिल सिद्धांत और अवधारणाएँ

आवश्यक और उचित खंड का सिद्धांत

कांग्रेस द्वारा राष्ट्रीय बैंक को शामिल करने और आगे एक स्थापित प्रक्रिया शुरू करने के लिए इस्तेमाल की गई शक्ति का सिद्धांत आवश्यक और उचित खंड का सिद्धांत था। यह खंड संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान के अनुच्छेद 1, खंड 8 के तहत 18वें खंड के रूप में स्थित है। यह आगे बताता है कि कांग्रेस, यानी राष्ट्र के नागरिकों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के निकाय के पास कोई भी और सभी ऐसे कानून बनाने की शक्ति है जो आवश्यक हो सकते हैं।

जो कानून बनाए जा सकते हैं, वे वे हैं जो कांग्रेस द्वारा अपनी पूर्व-स्थापित शक्तियों के क्रियान्वयन के लिए आवश्यक, उचित और अपेक्षित हैं, जिनमें सूचीबद्ध शक्तियों के साथ-साथ राष्ट्र के मूल ढांचे द्वारा निहित शक्तियां भी शामिल हैं। सरल शब्दों में, इसका मतलब है कि कांग्रेस को कोई भी कानून बनाने का अधिकार है जो उनके, किसी भी राज्य या उनके अधीन किसी भी कार्यालय के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान में पहले से ही निहित शक्तियों का प्रयोग करने के लिए आवश्यक है। दूसरे शब्दों में, यदि संविधान किसी भी प्रकार की शक्ति को प्रतिबंधित नहीं करता है और कानून के प्रश्न में संविधान की भावना को बरकरार रखा जाता है, तो बनाया गया कानून लागू माना जाएगा और वह कायम रहेगा।

हालाँकि, इस तरह की अधिकृत शक्ति और बनाए गए कानून आवश्यक और उचित प्रकृति के होने चाहिए, जैसा कि सिद्धांत के नाम से भी पता चलता है। यह खंड कांग्रेस को ऐसे कानून बनाने की अनुमति देता है जो उन्हें शक्ति के निष्पादन (एक्सीक्यूट) और कुशलतापूर्वक कार्यान्वयन (एक्सिक्यूशन) में मदद कर सकते हैं।

कर लगाने की शक्ति विनाश करने की शक्ति भी हो सकती है

संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने यह बयान दिया कि ‘कर लगाने की शक्ति विनाश करने की शक्ति भी हो सकती है’ और इससे उनका तात्पर्य यह था कि राष्ट्रीय बैंक जैसी संघ द्वारा निर्मित इकाई पर कर लगाने की संयुक्त राज्य अमेरिका के राज्यों की शक्ति स्वयं संघीय इकाई को नष्ट कर सकती है। मुख्य न्यायाधीश जॉन मार्शल ने मूलतः कहा कि राज्यों को दावा करने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि वे संघीय इकाई को नष्ट नहीं कर सकते या केंद्र द्वारा बनाई गई इकाई को रद्द नहीं कर सकते।

संघीय कानून की राज्य कानून पर प्रधानता

संयुक्त राज्य अमेरिका में, यह सिद्धांत कि संघीय कानून राज्य कानून पर उसी प्रकार प्रधानता रखता है, जैसे केंद्र राज्य पर प्रधानता रखता है, अमेरिकी संविधान के सर्वोच्चता खंड में निहित है, जो संविधान के अनुच्छेद 4, खंड 2 में पाया जाता है। इस खंड में कहा गया है कि संविधान, संघीय कानूनों और संधियों के साथ मिलकर, “देश का सर्वोच्च कानून” है। अनिवार्य रूप से, इसका मतलब यह है कि जब संघीय कानून सीधे विवाद में होते हैं, तो संघीय कानून परस्पर विरोधी राज्य कानूनों पर प्रधानता लेता है और राज्य कानूनों को पीछे छोड़ देता है।

सर्वोच्चता खंड सभी राज्यों में संघीय कानून के एकसमान और सुसंगत (कंसिस्टेंट) अनुप्रयोग को सुनिश्चित करने के लिए कानूनी आधार प्रदान करता है और यह प्रावधान केंद्र में स्थिति रखने वाले सभी राज्यों के प्रतिनिधियों द्वारा शासन की अनुमति देता है। यह कानून निर्धारित करता है कि राज्य सरकारें ऐसे कानून नहीं बना सकतीं जो संघीय कानूनों, नीतियों या संयुक्त राज्य अमेरिका के संवैधानिक प्रावधानों का खंडन या हस्तक्षेप करते हों। यह सिद्धांत एक सुसंगत राष्ट्रीय कानूनी ढांचे को बनाए रखने और उन क्षेत्रों में संघीय सरकार के अधिकार को संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण है जहां उसके पास संवैधानिक शक्ति है, जैसे व्यापार, अप्रवासन (इमीग्रेशन) और रक्षा।

Lawshikho

सर्वोच्चता खंड की व्याख्या और उसे लागू करने में न्यायालयों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, जैसा कि मामले में न्यायमूर्ति मार्शल ने किया था। जब संघीय और राज्य कानूनों के बीच विवाद होता है, तो न्यायालय आमतौर पर संघीय या संवैधानिक प्रावधानों के साथ विवाद वाले राज्य कानूनों को अमान्य करके उन्हें हल करते हैं क्योंकि राज्य केवल अपने व्यक्तिगत हितों के बारे में बात करता है, जबकि केंद्र या संघीय इकाई पूरे राष्ट्र और उसके नागरिकों के सुचारू कामकाज के बारे में बात करती है। यह तंत्र यह सुनिश्चित करता है कि संघीय कानून उन क्षेत्रों में लागू रहे जहां संघीय सरकार का अधिकार क्षेत्र है, जबकि राज्य उन क्षेत्रों में कानून बनाना जारी रख सकते हैं जहां संघीय सरकार ने अमेरिकी संविधान की सूचियों के अनुसार स्पष्ट रूप से शक्ति आरक्षित नहीं की है।

कुल मिलाकर, सर्वोच्चता खंड संघीय शक्ति की प्रधानता सुनिश्चित करते हुए संघीय और राज्य कानून के बीच पदानुक्रमिक संबंध पर जोर देता है, जबकि राज्यों की स्वायत्तता (ऑटोनोमी) का उनके संवैधानिक प्रभाव क्षेत्र में सम्मान किया जाता है।

उठाए गए तर्क

याचिकाकर्ता के तर्क

संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान के अनुच्छेद 1 की धारा 8 में स्पष्ट रूप से कहा गया है-

“कांग्रेस को सभी कानून बनाने की शक्ति होगी जो पूर्वोक्त शक्तियों और इस संविधान द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार या उसके किसी विभाग या अधिकारी को दी गई अन्य सभी शक्तियों को क्रियान्वित करने के लिए आवश्यक और उचित होंगे।”

इसलिए राष्ट्रीय बैंक बनाने की कांग्रेस की शक्ति ‘उचित और आवश्यक खंड’ की श्रेणी में आती है, जिसके अनुसार कांग्रेस संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान के अनुसार कार्य निष्पादित करने के लिए कोई भी कार्य कर सकती है या कोई कानून या नियम बना सकती है। यहाँ आवश्यक शब्द का इस्तेमाल किसी भी ऐसी चीज़ को संदर्भित करने के लिए किया गया है जो कांग्रेस की स्पष्ट शक्तियों का पालन करने के लिए सुविधाजनक या उपयोगी हो और उचित शब्द का मतलब है कि ऐसी शक्ति संविधान के अनुसार होनी चाहिए और उसे उस पर हावी नहीं होना चाहिए।

याचिकाकर्ता ने कहा कि एक बार राष्ट्रीयकृत (नेशनलआईज़ड) बैंक के रूप में स्थापित होने के बाद बैंक के पास बहुत सारी निष्पादन शक्तियां होती हैं, जैसे कराधान और वाणिज्य (कॉमर्स) शक्तियां, यही कारण है कि इसके लिए विधेयक कांग्रेस द्वारा पारित किया गया था।

प्रतिवादी के तर्क

मैरीलैंड ने तर्क दिया कि केंद्र के पास राष्ट्रीय बैंक बनाने का कोई संघीय अधिकार नहीं है। संविधान में यह अधिकार नहीं दिया गया है, इसलिए इसका अस्तित्व नहीं है। इसलिए राज्य द्वारा बैंक पर लगाए गए कराधान का प्रश्न समस्यारहित प्रकृति का है, क्योंकि अपने अधिकार क्षेत्र में कार्यरत कॉर्पोरेट निकायों पर ऐसा कर लगाना राज्य का अधिकार है।

उन्होंने आगे तर्क दिया कि ‘आवश्यक और उचित’ सिद्धांत के वाक्यांश में दो शब्द आवश्यक और साथ ही उचित हैं, जिसका अर्थ है कि कांग्रेस उन कानूनों को बनाने के लिए अधिकृत है जो संविधान द्वारा उल्लिखित व्यक्त शक्तियों को पूरा करने के लिए बिल्कुल आवश्यक हैं।

यहाँ, मैरीलैंड द्वारा राष्ट्रीय बैंक के निर्माण को आवश्यक या उचित भी नहीं माना गया; उन्होंने विरोध किया कि इसलिए, इस खंड को उनके मामले में लागू नहीं किया जाना चाहिए। उनका मानना ​​था कि राष्ट्रीय बैंक के निर्माण से प्रभावी शक्ति प्राप्त होगी, जो बैंक को लगभग कुछ भी करने के लिए अधिकृत करती है और यह वाणिज्य क्षेत्र में एक समस्या है।

मैक्कुलोच बनाम मैरीलैंड (1819) में निर्णय

मुख्य न्यायाधीश जॉन मार्शल का मानना ​​था कि केंद्र द्वारा स्थापित बैंक संवैधानिक रूप से बनाया गया था। उन्होंने फैसला सुनाया कि कांग्रेस के पास शक्ति है और उनके पास राज्य में आगे बढ़कर एक राष्ट्रीय बैंक बनाने का अधिकार है। इसके अलावा, फैसले में कहा गया कि राज्यों के पास राष्ट्रीय बैंक पर किसी भी तरह का कर लगाने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि यह एक संघीय इकाई है।

न्यायमूर्ति मार्शल ने कांग्रेस की शक्ति के प्रश्न पर विचार करते हुए स्पष्ट रूप से कहा, “इस प्रश्न पर विचार करते समय, हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि हम एक संविधान की व्याख्या कर रहे हैं।” श्री मार्शल ने कहा कि बैंक का निर्माण आवश्यक और उचित खंड सिद्धांत के अंतर्गत था, जिसका उपयोग कांग्रेस ने अपने तर्कों का समर्थन करने के लिए किया था। उन्होंने सर्वसम्मति से निर्णय लिखा जिसमें उन्होंने स्वीकार किया कि संघीय सरकार की शक्ति का दायरा देश के संविधान में शब्दों में लिखे गए शब्दों तक ही सीमित है। हालाँकि, संविधान ने उन्हें ज़रूरत के समय काली स्याही से लिखे गए शब्दों से परे जाने की शक्ति की भी गारंटी दी है। निर्णय में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कांग्रेस ने राज्य और उसके नागरिकों के सुचारू कामकाज को बनाए रखने के लिए न केवल शक्तियों की गणना की है, बल्कि निहित शक्तियों का भी इस्तेमाल किया है। मार्शल कहते हैं कि जब संविधान किसी विशिष्ट उद्देश्य को अधिकृत करता है, तो कांग्रेस को उस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए निहित साधन भी दिए जाने चाहिए। उन्होंने अपने तर्क का समर्थन करने के लिए आवश्यक और उचित खंड को एक सिद्धांत के रूप में इस्तेमाल किया, जो कहता है कि कांग्रेस अपनी गणना की गई शक्तियों को निष्पादित करने के लिए सभी आवश्यक और उचित कानून बना सकती है।

न्यायमूर्ति मार्शल मैरीलैंड द्वारा परिभाषित ‘आवश्यक और उचित’ शब्द की व्याख्या से सहमत नहीं थे, बल्कि उन्होंने याचिकाकर्ता की व्याख्या को लागू किया। उन्होंने कहा कि आवश्यक और उचित शब्द का अर्थ किसी ऐसी चीज़ को बताना है जो देश के कानून के संबंध में कांग्रेस द्वारा किसी भी कर्तव्य के प्रदर्शन और निष्पादन के लिए आवश्यक और अपेक्षित है।

उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस द्वारा बनाया गया संघीय बैंक, अनुच्छेद 1, खंड 8 के तहत धन वितरित करने के साथ-साथ धन जुटाने के लिए भी आवश्यक और उपयोगी है। इससे कांग्रेस को करों को इकट्ठा करने और सार्वजनिक कल्याण के लिए व्यय करने, संयुक्त राज्य अमेरिका से ऋण पर धन उधार लेने, विदेशी देशों और राज्यों के बीच वाणिज्य को विनियमित (रेगुलेट) करने और संघीय बैंक संरचना की मदद से सेनाएं खड़ी करने में सक्षमता मिलेगी।

इसके अलावा, इस प्रश्न पर कि क्या संघीय बैंक पर कराधान लगाया जा सकता है, न्यायमूर्ति मार्शल ने संयुक्त राज्य अमेरिका के संबंध में दो सिद्धांत रखे, ‘कर लगाने की शक्ति में नष्ट करने की शक्ति शामिल है’ और साथ ही ‘संघीय कानून राज्य के कानूनों से सर्वोच्च हैं’। उन्होंने आगे कहा कि संविधान द्वारा दी गई शक्ति राज्य को नहीं बल्कि लोगों को दी गई है और हमेशा संयुक्त राज्य अमेरिका के लोग तथा नागरिक ही श्रेष्ठ रहे हैं और चूंकि लोगों का प्रतिनिधित्व केन्द्र में कांग्रेस करती है, इसलिए श्रेष्ठता सीधे कांग्रेस के पास है न कि राज्य के पास। इसका मतलब यह था कि राज्य और उसके कानून किसी संस्था या इकाई से बेहतर नहीं हो सकते जो संघ द्वारा बनाई गई हो। इसने माना कि राष्ट्रीय बैंक, जिसे पूरी तरह से राष्ट्र की सेवा करने के लिए बनाया गया था, के लिए मैरीलैंड जैसे एकल राज्य के कराधान कानूनों के अधीन होना अनुचित होगा।

मामले का विश्लेषण

संयुक्त राज्य अमेरिका के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने मैरीलैंड उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय को पलट दिया। इस निर्णय ने कांग्रेस को स्पष्ट संवैधानिक शक्ति को लागू करने की निहित शक्ति दी ताकि राज्य सुचारू रूप से काम कर सके। इस मामले में इस सिद्धांत को बरकरार रखा गया कि, “लक्ष्य वैध होना चाहिए, यह संविधान के दायरे में होना चाहिए, और सभी साधन जो उपयुक्त हैं, जो स्पष्ट रूप से उस लक्ष्य के अनुकूल हैं, जो निषिद्ध (प्रॉहिबिटेड) नहीं हैं, लेकिन संविधान के अक्षर और भावना के अनुरूप हैं, संवैधानिक हैं।”

इसके अलावा, माननीय न्यायालय ने माना कि भले ही कांग्रेस की शक्ति राष्ट्रीय बैंक के निर्माण या राष्ट्रीय बैंक के चार्टर तक विस्तारित नहीं होती है क्योंकि ये शक्तियां संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान के अनुच्छेद 1, खंड 8 में उल्लिखित नहीं हैं, खंड संख्या 18, जो आवश्यक और उचित खंड सिद्धांत के बारे में बात करता है, को महत्वपूर्ण माना जाना चाहिए। यहाँ, यह संघीय सरकार को ऐसे कानून बनाने की शक्ति प्रदान करता है जो अनुमत हैं, जो आवश्यक हैं, और जो उनके द्वारा किसी भी कानून को निष्पादित करने के लिए उचित हैं। उदाहरण के लिए, पैसे उधार लेने या मुद्रा जारी करने के कार्य ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर बैंक के निर्माण का रास्ता देने के लिए प्रेरित किया।

मुख्य न्यायाधीश का निर्णय हैमिल्टन के 1790 के तर्क पर आधारित है, जिनका मानना ​​था कि संघीय शक्ति निकाय के रूप में कांग्रेस अपनी शक्ति आवश्यक और उचित खंड से प्राप्त कर सकती है। उनका मानना ​​था कि कांग्रेस की शक्ति हमेशा संविधान से सीधे प्राप्त होने की आवश्यकता नहीं है; बल्कि, कभी-कभी इसे देश के कानून के बुनियादी ढांचे से अनुमान लगाया जा सकता है या प्राप्त भी किया जा सकता है।

इस मामले में इस राय को बरकरार रखा गया; हालाँकि, मैरीलैंड राज्य जेफरसनियन दृष्टिकोण का पालन कर रहा था। इसने कहा कि संघीय इकाई द्वारा अपनाया गया उपाय इस तरह का होना चाहिए कि यह अपरिहार्य (इनडिस्पेंसिबल) और बिल्कुल आवश्यक हो; अन्यथा, इसे संवैधानिक नहीं माना जाएगा।

मामले का परिणाम

इस ऐतिहासिक फैसले ने संघीय सर्वोच्चता की अवधारणा का विस्तार किया है और माना है कि केंद्र के पास बड़े पैमाने पर समुदाय के कल्याण के लिए राष्ट्रीय बैंक स्थापित करने की शक्ति है। माननीय न्यायालय के फैसले के कारण राज्य राष्ट्रीयकृत बैंक पर कोई कर नहीं लगा पाएंगे। इसके परिणामस्वरूप संघीय सरकार को राज्य की सीमाओं और कानूनों के अधीन हुए बिना पूरे देश पर शासन करने की शक्ति मिली।

हालांकि, इस निर्णय ने संघीय शक्ति का काफी विस्तार किया, लेकिन साथ ही इस शक्ति की सीमाएं भी तय कर दीं, क्योंकि इसमें कहा गया कि संघीय सरकार केवल अपनी निर्धारित शक्तियों और उन्हें क्रियान्वित करने के लिए आवश्यक शक्तियों के भीतर ही कार्य कर सकती है। उन्होंने वर्गीकरण किया कि क्या आवश्यक और उचित है, इसे केवल संघीय शक्ति के दायरे में लागू किया जाना चाहिए और संघीय सरकार को मनमाने ढंग से कार्य करने से प्रतिबंधित किया। इसके अलावा, इस मिसाल ने कई ऐतिहासिक निर्णयों को जन्म दिया है और ऐसा ही एक मामला गिबन्स बनाम ओडगेन (1824) है, जो इस मामले की टिप्पणियों पर आधारित था।

निष्कर्ष

कई शिक्षाविदों ने निर्णय का विश्लेषण करने का प्रयास किया है और निष्कर्ष यह निकला है कि कांग्रेस की शक्ति पर 3 स्थितियां ऐसी हैं जो संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान में नहीं लिखी गई हैं और वे निम्नलिखित हैं:

  • हैमिल्टन दृष्टिकोण, जिसे कभी-कभी उदारवादी दृष्टिकोण माना जाता है। यह दृष्टिकोण मूल रूप से कहता है कि बनाया गया नया कानून या स्थापित नियम फ़ायदा या सुविधा का मामला होना चाहिए। यह कांग्रेस को राज्य के सुचारू कामकाज के लिए अपनी इच्छानुसार कार्य करने की अनुमति देता है।
  • जेफरसन का दृष्टिकोण, जो इस मामले में मैरीलैंड राज्य के साथ संरेखित है, यह मानता है कि किसी कानून या नियम को संवैधानिक माना जाने के लिए, उसे कांग्रेस या उनके अधीन किसी भी कार्यालय द्वारा अपेक्षित होना चाहिए। ऐसा नियम संघीय इकाई के समुचित कामकाज के लिए अपरिहार्य, तार्किक और आवश्यक होना चाहिए।
  • तीसरा दृष्टिकोण बीच का है जो अब ज़्यादातर राज्य में इस्तेमाल किया जाता है। यह मानता है कि समाज में स्वीकार्य माने जाने वाले कानून को केंद्र के लिए सिर्फ़ सुविधा का मामला नहीं होना चाहिए बल्कि प्रकृति में ज़रूरी और उचित होना चाहिए।

मैक्कुलोच बनाम मैरीलैंड के इस ऐतिहासिक मामले में, संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय ने न केवल राज्य कानूनों पर संघीय सरकार की श्रेष्ठता को मान्यता दी है, बल्कि उस आवश्यक और उचित खंड को भी बरकरार रखा है, जो अमेरिकी संविधान के लिए एक महत्वपूर्ण अग्रदूत (प्रीकर्सर) के रूप में कार्य करता है। मुख्य न्यायाधीश जॉन मार्शल की राय में कहा गया कि संघीय सरकार की शक्तियाँ निहित हैं और उन्हें संविधान की गणना की गई शक्तियों द्वारा निष्पादित किया जाना चाहिए, जिसमें राष्ट्रीय बैंक बनाने की शक्ति भी शामिल है। मैरीलैंड द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के दूसरे बैंक पर कर लगाने के प्रयास को अस्वीकार करके, न्यायालय ने स्थानीय कानूनों पर संघीय कानूनों की श्रेष्ठता का प्रदर्शन किया और राष्ट्रीय संस्थानों की अखंडता को बनाए रखा। इस महत्वपूर्ण निर्णय ने न केवल संघीय और राज्य प्राधिकरण के बीच अंतर को परिभाषित किया, बल्कि एक ऐसा तंत्र भी बनाया जिसका उपयोग बाद की अदालतों द्वारा शक्ति की आनुपातिक प्रणाली को बनाए रखने के लिए किया जाएगा। मैक्कुलोच बनाम मैरीलैंड अमेरिकी कानून की नींव बना हुआ है, इसके फैसलों ने संघवाद की व्याख्या को प्रभावित किया है और देश की सरकार में संघीय सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रदर्शित किया है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू)

संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जॉन मार्शल कौन थे?

मुख्य न्यायाधीश जॉन मार्शल ने मैक्कुलोच बनाम मैरीलैंड (1819) के मामले में निर्णय लिखा था। कानूनी क्षेत्र में कदम रखने से पहले, वह क्रांतिकारी युद्ध में मार्शल थे। सेना में अपने कार्यकाल के दौरान, जॉन ने पहले खुद को अमेरिकी पहचान से जोड़ा और फिर अपने राज्य की पहचान से, जो वर्जीनिया था।

संयुक्त राज्य अमेरिका में सरकार का संघीय स्वरूप क्या है?

संयुक्त राज्य अमेरिका में संघीय सरकार है जिसमें केंद्र यानी राष्ट्रीय सरकार और स्वतंत्र राज्यों के बीच शक्ति विभाजन है। यहाँ, संविधान की सूचियों और दसवीं अनुसूची के अनुसार केंद्र और राज्य के बीच शक्तियों का बंटवारा किया जाता है। शक्ति का सीमांकन राज्यों को निचले स्तर पर स्वतंत्र रहने और अपने निर्णय लेने की अनुमति देता है, और यहाँ केंद्र को राज्यों के बीच कामकाज को विनियमित करने का अधिकार है।

संदर्भ

 

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