सिविल कानून और आपराधिक कानून के बीच अंतर

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यह लेख आईआईएमटी, आईपी विश्वविद्यालय से बीए एलएलबी करने वाली Khushi Sharma (ट्रेनी एसोसिएट, ब्लॉग आईप्लीडर्स) द्वारा लिखा गया है। यह लेख सिविल कानून और आपराधिक कानून के बीच अंतर से संबंधित है। इस लेख का अनुवाद Sakshi Gupta के द्वारा किया गया है।

परिचय

एक कानून के छात्र या कानूनी क्षेत्र से संबंधित किसी भी व्यक्ति के रूप में हम हर उस शाखा को जान सकते हैं, जहां हमारे देश का कानून फैला हुआ है, लेकिन एक आम आदमी को केवल कानून का बुनियादी ज्ञान हो सकता है। ऐसी दो शाखाएं जिनसे सभी परिचित हैं, वे हैं सिविल और आपराधिक कानून। ये दो विषय, कानून के तहत सामान्य हैं जो संभवत: इसके बड़े हिस्से को भी कवर करते हैं। एक सामान्य अंतर किसी के द्वारा भी पता लगाया जा सकता है लेकिन इस लेख में, हम विस्तार से विश्लेषण करने जा रहे हैं कि सिविल और आपराधिक कानूनों के तहत क्या शामिल है।

हमारी व्यापक आबादी के कारण भारत के कानून में इसके तहत कई तरह के अलगाव हैं जो लोगों द्वारा कानूनों के उल्लंघन और लोगों के अधिकारों के उल्लंघन का कारण बनते हैं। इस तरह के कार्यों में वृद्धि के कारण, भारत में विभिन्न प्रकार के विधानों को प्रस्तुत करने की आवश्यकता थी जो हमें कानून के तहत कई प्रकार और शाखाएं प्रदान करते थे। भारत के कानून को निम्नलिखित प्रमुख कानून में विभाजित किया गया है –

  • सार्वजनिक और निजी कानून;
  • सिविल कानून और आपराधिक कानून;
  • मूल और प्रक्रियात्मक कानून (सब्सटेंटिव एंड प्रोसीजरल लॉ);
  • नगरपालिका और अंतर्राष्ट्रीय कानून।

इनके अलावा हमारे पास सामान्य कानून और सांविधिक (स्टेच्यूटरी) कानून भी हैं। इन उपर्युक्त कानूनों में विभिन्न प्रकार के अधिनियम और कानून शामिल हैं, इस प्रकार यह भारत को कई अलग-अलग कानून बनाने में सक्षम बनाता है, और इस लेख में हम सिविल और आपराधिक कानून और उनके मतभेदों पर ध्यान केंद्रित करेगे।

सिविल कानून

एक सामान्य अर्थ में सिविल कानूनों का अर्थ, किसी व्यक्ति या किसी अन्य निजी संपत्ति (निगम) को किसी अन्य व्यक्ति के कार्य या व्यवहार से हुई चोट या नुकसान है। पक्ष द्वारा किए गए कार्य सिविल कानूनों के तहत गैर-आपराधिक प्रकृति के हैं। यह आमतौर पर पक्षों के बीच विवादों को सुलझाने से संबंधित है। सिविल कानून आमतौर पर पीड़ित पक्ष या न्यायालय को मुआवजा या जुर्माना प्रदान करके राहत से निपटते हैं। सिविल कानूनों के कारण हुए नुकसान की भरपाई मुआवजे से की जाती है। आपराधिक कानून के विपरीत, सिविल कानून बड़े पैमाने पर समाज के खिलाफ अपराध नहीं बनाता है।

सिविल कानून की विशेषताएं

सिविल कानून इतने गतिशील होने के कारण कई विविध विशेषताओं और विशिष्ट अनिवार्यताओं के साथ अटका हुआ है जो इस प्रकार हैं –

  1. सिविल कानून, कानून की एक शाखा है जिसमें सिविल न्यायालयों और उससे संबंधित न्यायाधिकरणों (ट्रिब्यूनल) के तहत मामलों की सुनवाई की जाती है।
  2. दोनों पक्षों में से किसी एक को हुए नुकसान का समाधान कारावास के माध्यम से नहीं, बल्कि उन्हें एक राशि देकर किया जाता है।
  3. ये संहिताबद्ध (कोडिफाइड) कानूनों और निर्णयों का एक समूह हैं, जो शामिल पक्षों के लिए बाध्यकारी हैं।
  4. सिविल कानून संविदात्मक (कॉन्ट्रैक्चुअल) दायित्वों की ओर बहुत अधिक झुकाव रखता है क्योंकि अनुबंध कानून इसकी प्रमुख शाखा है।

सिविल कानून के तहत शाखाएं

जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, सिविल कानून इतना विशाल होने के कारण इसमें शामिल लोगों के लिए एक बहुत ही उपयोगी कानूनी करियर बनाने वाली गतिशील शाखाओं का एक समूह है। सिविल कानून के तहत काम करने वाली मशीनरी पक्षों को विवाद समाधान तंत्र प्रदान करने पर केंद्रित है। सिविल कानून की कई अलग-अलग शाखाएँ हैं, उनमें से कई संहिताबद्ध हैं, कुछ परिभाषित हैं और कुछ मिसालों पर आधारित हैं। सिविल कानूनों के तहत निम्नलिखित शाखाएँ उपलब्ध हैं –

  • अनुबंध कानून

अनुबंध कानून सबसे व्यापक रूप से प्रचलित और इस्तेमाल किए जाने वाले सिविल कानूनों में से एक है। एक अनुबंध कानून में कानूनी रूप से लागू करने योग्य समझौते और अनुबंध शामिल हैं और सामान्य रूप से संविदात्मक संबंधों को लागू करने के लिए प्रभावी उपाय और प्रक्रियाएं प्रदान करते हैं। यह अनुबंध के उल्लंघन के लिए उचित उपाय प्रदान करता है और यह बताता है कि कैसे एक घायल पक्ष कानून की अदालत से राहत की मांग कर सकता है। यह सिविल कानून के तहत एक बहुत ही सामान्य रूप से इस्तेमाल की जाने वाली शाखा है। अनुबंध कानून को नियंत्रित करने वाला क़ानून भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 है। अनुबंध अधिनियम सभी कानूनी रूप से लागू करने योग्य अनुबंधों को नियंत्रित करता है और बताता है कि कौन से अनुबंध वैध हैं और कौन से नहीं है।

  • टॉर्ट कानून

टॉर्ट कानून भी सिविल कानून की एक व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली शाखा है। सामान्य कानून अधिकार क्षेत्र में टॉर्ट सिविल कानून है। इसमें किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को हुई क्षति शामिल है, जो उस व्यक्ति के प्रति कानूनी दायित्व बनाता है जिसने दूसरे पक्ष को नुकसान पहुंचाया है। पीड़ित व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से नुकसान का दावा कर सकता है जिसने एक टॉर्टीयस कार्य किया है। इसमें लापरवाही, अतिचार (ट्रेसपास), निजता (प्राइवेसी) के हनन जैसे कार्य शामिल हो सकते हैं। अधिकांश टॉर्ट कानून असंहिताबद्ध (अनकोडीफाइड) है और इसे विनियमित (रेगुलेट) करने वाला कोई प्रमुख क़ानून नहीं है।

  • पारिवारिक कानून

पारिवारिक कानून घरेलू संबंधों को नियंत्रित करने वाला कानून है। यह पारिवारिक वैवाहिक मामलों में कानूनों को नियंत्रित करता है। इसमें गोद लेना, वसीयतनामा, तलाक, शादी आदि जैसे मामले शामिल हैं, पारिवारिक मामले पक्षों की पसंद के अनुसार उचित अदालती कार्यवाही या मध्यस्थता (मिडिएशन) के द्वारा हल किए जा सकते हैं। पारिवारिक कानून कई कानूनों द्वारा शासित होता है जैसे – हिंदू विवाह अधिनियम, 1955; विशेष विवाह अधिनियम, 1954; पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1839; मुस्लिम विवाह विघटन (डिजोल्यूशन) अधिनियम, 1939; हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1925

  • प्रशासनिक कानून

प्रशासनिक कानून सिविल कानून का विभाजन है, जो सरकार की शाखाओं की गतिविधियों को नियंत्रित करता है। प्रशासनिक कानून कार्यकारी (एग्जिक्यूटिव) शाखा नियम बनाने, निर्णय लेने या कानूनों के प्रवर्तन (एनफोर्समेंट) से संबंधित है। सिविल कानून वाले देशों में विशेष प्रशासनिक न्यायालय होते हैं, जो इन निर्णयों की समीक्षा (रिव्यू) करते हैं। प्रशासनिक कानून सरकार की इकाइयों के लिए निर्णय लेने से संबंधित है।

  • व्यापार/ कॉर्पोरेट/ वाणिज्यिक (कमर्शियल) कानून

व्यापार कानून वे कानून हैं जो व्यापार और वाणिज्य के इर्द-गिर्द घूमते हैं। सिविल कानून की यह शाखा सार्वजनिक और निजी दोनों कानूनों से संबंधित है। यह वाणिज्य और व्यवसाय से संबंधित अधिकारों, विनियमों, कानूनों और कर्तव्यों को लागू करता है। सिविल कानून का कॉर्पोरेट खंड कंपनियों से संबंधित कानूनों के लिए जिम्मेदार है। यह व्यवसाय या कंपनी के गठन, विघटन, निवेश को नियंत्रित करता है। व्यवसाय और कॉर्पोरेट कानूनों को विनियमित करने वाले कुछ कानून कंपनी अधिनियम, 1956, माल की बिक्री अधिनियम, 1930, सरफेसी अधिनियम, 2002, भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932 हैं।

सिविल कानून की कई और शाखाएँ हैं जो आमतौर पर कानूनी पेशे में देखी जाती हैं जैसे कर कानून, संपत्ति कानून, मीडिया / मनोरंजन कानून, खेल कानून आदि।

सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 और सिविल कानून

सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 वह कानून है जो सिविल कार्यवाही की प्रक्रिया को बताता है। एक मामले की स्थापना को सिविल प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) और सिविल कानून से संबंधित अन्य प्रक्रियाओं में समझाया गया है। संहिता को दो भागों में विभाजित किया गया है- पहला जिसमें 158 धारा हैं और दूसरे भाग में पहली अनुसूची (शेड्यूल) है, जिसमें 51 आदेश और नियम हैं। न्यायालय में कार्रवाई करने के लिए सिविल कानून के तहत सभी कार्यवाही सीपीसी के अनुसार होनी चाहिए। सिविल मुकदमेबाजी के लिए सीपीसी एक महत्वपूर्ण उपकरण है। सिविल कानून में विशेषज्ञता के लिए उभरते वकीलों को इससे अच्छी तरह वाकिफ होना चाहिए।

आपराधिक कानून

आपराधिक कानून वह कानून है जो अपराध और उसके दंड से संबंधित है। आपराधिक कानून उन अपराधों से संबंधित है जो पारंपरिक समाज के खिलाफ हैं। यह अपराध की बुरी प्रकृति के कारण राज्य के खिलाफ अपराध है और समाज के प्रत्येक सदस्य को किए गए जघन्य (हीनियस) अपराध और आरोपी को दी जाने वाली समान सजा के बारे में पता होना चाहिए। सिविल कानून के बजाय आपराधिक कानून के मामले में पर्याप्त जागरूकता होनी चाहिए। आपराधिक कानून में ऐसे कार्य होते हैं जो किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य या संपत्ति को हानिकारक या अन्यथा खतरे में डालते हैं। आपराधिक कानून विवाद को सुलझाने से ज्यादा सजा और प्रतिशोध (रेट्रीब्यूशिन) पर केंद्रित है जैसा कि सिविल कानून में देखा गया है। आपराधिक कानून के तहत गठित कार्य सिविल कानून की तुलना में गंभीर हैं क्योंकि क्षति और चोट किसी व्यक्ति को इस तरह से होती है जो समाज के लिए कल्पना करने और जीने के लिए बहुत ही भयानक हो सकती है।

आपराधिक कानून की विशेषताएं

  1. आपराधिक कानून के तहत मामलों की सुनवाई आपराधिक अदालतों या सत्र (सेशन) न्यायालय के द्वारा की जाती है।
  2. अपराधी को दंड प्रदान करके किसी व्यक्ति को हुई क्षति को उचित ठहराया जाता है।
  3. यह सार्वजनिक हित के खिलाफ सार्वजनिक अपराध बनाता है न कि निजी दायित्व।
  4. यह जनता के अधिकारों का हनन है।

आपराधिक कानून के तहत अधिनियम

सिविल कानून के विपरीत, आपराधिक कानून कई शाखाओं में विभाजित नहीं है, लेकिन इसमें कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रियात्मक और नियामक अधिनियम हैं, जिन्हें आपराधिक मामले के रूप में माना जाना आवश्यक है। ये अधिनियम आपराधिक कार्यों के लिए सभी नियमों और विनियमों को नियंत्रित करते हैं। आपराधिक कानून के तहत निम्नलिखित अधिनियम हैं-

  • भारतीय दंड संहिता, 1860

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) भारत में आपराधिक कानून की आधिकारिक संहिता है। आईपीसी भारत का मूल कानून है। इस संहिता में वे सभी अपराध शामिल हैं जो भारत में अपराध के रूप में गठित हैं। यह सभी अपराधों, उनके आवश्यक तत्वों और उसी के लिए उल्लिखित दंड की व्याख्या करता है। भारत के इतिहास में अब तक किए गए हर अपराध का उल्लेख इस संहिता के तहत किया गया है। यह संहिता भारत के प्रथम विधि आयोग की सिफारिशों द्वारा बनाई गई थी। संहिता में कुल 23 अध्याय और 511 धारा हैं।

  • दंड प्रक्रिया संहिता, 1973

आपराधिक कानून की प्रक्रिया का उल्लेख दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में किया गया है। यह मूल कानूनों के प्रक्रियात्मक प्रशासन को नियंत्रित करता है। यह अपराध की जांच, अपराध की आशंका, साक्ष्य एकत्र करने, दोषी या निर्दोष के लिए दिशा-निर्देश और सजा की दिशा में भी जानकारी और प्रक्रिया प्रदान करता है। इस अधिनियम में 565 धाराएं, 5 अनुसूचियां और 56 फॉर्म हैं।

  • भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872

साक्ष्य अधिनियम, 1872 कानून की अदालत में साक्ष्य की स्वीकार्यता का प्रावधान करता है। इसमें उल्लेख किया गया है कि किस तरह से साक्ष्य एकत्र किए जाते हैं और किस प्रकार के स्वीकार्य साक्ष्य मौजूद हैं। साक्ष्य अधिनियम में तथ्यों की प्रासंगिकता और किसी अपराध के अस्तित्व को साबित करने में एक महत्वपूर्ण तत्व कैसे हो सकता है, के बारे में विवरण का भी उल्लेख है। यह किए गए तथ्यों की श्रृंखला और इसके बीच दर्ज किए गए सभी साक्ष्यों को अत्यधिक महत्व देता है। इसमें कुल 167 धाराएँ हैं।

सिविल कानून और आपराधिक कानून के बीच अंतर

अनुक्रमांक संख्या मापदंड (पैरामीटर्स) सिविल कानून आपराधिक कानून
अर्थ सिविल कानून व्यक्तियों से संबंधित कार्यों से संबंधित है जिसके कारण हुए नुकसान को मुआवजे या मौद्रिक राहत द्वारा चुकाया जा सकता है। आपराधिक कानून एक ऐसे अपराध से संबंधित है जो किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाता है, जो समाज के खिलाफ भी अपराध है। किए गए अपराध की राहत उस व्यक्ति को कारावास देना है।
2. दायित्व यह किसी व्यक्ति या संगठन के विरुद्ध एक निजी दायित्व बनाता है। यह समाज और पीड़ित के खिलाफ तैयारी करने वाले के लिए एक दायित्व बनाता है।
3. सजा ज्यादातर मामलों में नुकसान के खिलाफ आर्थिक राहत प्रदान करके न्याय दिया जाता है। आरोपी को एक अवधि के लिए कारावास या जुर्माना या दोनों प्रदान करके न्याय दिया जाता है।
4. विचारणीय सिविल कानून के तहत मामले सिविल कोर्ट या न्यायाधिकरण के तहत विचारणीय हैं। आपराधिक कानून के तहत मामलों की सुनवाई आपराधिक न्यायालय या सत्र न्यायालय के तहत की जाती है।
5. उद्देश्य सिविल कानून का उद्देश्य व्यक्तियों के बीच विवाद समाधान है। आपराधिक कानून का उद्देश्य आरोपी को दंडित करके पीड़ित को न्याय प्रदान करना है।
6. प्रक्रियात्मक कानून सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973
7. अपराधों की गंभीरता आपराधिक से कम गंभीर है। सिविल से अधिक गंभीर है।
8. मामला दर्ज करना सिविल मामलों में पीड़ित पक्ष मामला दर्ज करता है। आपराधिक मामलों में, सरकार पीड़ित की ओर से मामला दर्ज करती है। 
9. पंजीकरण आम तौर पर सिविल मामलों में, मामला सीधे अदालत में दर्ज किया जा सकता है। आपराधिक मामलों में, मामले को सीधे अदालत के समक्ष पुलिस कार्यालय में दर्ज करने की आवश्यकता होती है।
10. उल्लंघन निजी अधिकारों का उल्लंघन है। सार्वजनिक अधिकारों का उल्लंघन है।
11. शाखा कॉर्पोरेट कानून, परिवार कानून, संपत्ति कानून, मीडिया कानून, खेल कानून आदि। इस तरह का कोई विभाजन नहीं है।
12. कार्य के उदाहरण लापरवाही, गोपनीयता का हनन, अतिचार आदि। हत्या, बलात्कार, अपहरण, चोरी आदि।

निष्कर्ष

सिविल और आपराधिक कानून के बीच एक अनिश्चित अंतर है। कानून की सबसे महत्वपूर्ण शाखा होने के कारण दोनों के अपने विशिष्ट नियम हैं। सिविल और आपराधिक कानूनों को मजबूत कानून और प्रक्रियात्मक कानूनों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। सिविल कानून में विवाद समाधान तंत्र होता है जबकि आपराधिक कानून में प्रतिशोध तंत्र होता है। कानून की ये दो शाखाएं कानून के अधिकांश हिस्सों को कवर करती हैं। अपने बीच चयन करने के इच्छुक लोग किसी को भी चुन सकते हैं क्योंकि वे हमारे देश के प्रभावी कामकाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। सिविल कानून की शाखाएं आपराधिक कानून की तुलना में अधिक विविध हैं। जैसा कि हमने देखा, सिविल कानून में कई विभाजन हैं, इसमें संपत्ति कानून, कॉर्पोरेट कानून, व्यापार कानून और बहुत कुछ शामिल हैं। सिविल कानून की कुछ शाखाएं असंहिताबद्ध हैं, जैसे कि टॉर्ट, लेकिन आपराधिक कानून के तहत लगभग सभी कानूनों और विनियमों को संहिताबद्ध किया जाता है, इसलिए प्रत्येक बिंदु जो दोनों कानूनों को अलग करता है और हमारे देश के लिए काम करने और अपराध को कुशलता से खत्म करने के लिए पूर्ण मशीनरी बनाता है।

संदर्भ

 

  

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