इस लेख में, Kshitij Asthana संपत्ति हस्तांतरण (ट्रांसफर) Transfer of Property Act tttttअधिनियम के तहत संपत्ति के मौखिक हस्तांतरण पर चर्चा करते हैं। इस लेख का अनुवाद Divyansha Saluja द्वारा किया गया है।
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संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम का इतिहास और विकास
संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम के पारित होने से पहले के समय में जाएं, तो एक इकाई से दूसरी इकाई में संपत्ति के हस्तांतरण के लिए लेखन एक आवश्यक घटक नहीं था। अधिनियम के पारित होने के बाद, अब कुछ निर्दिष्ट लेनदेन है जिन्हे लिखित रूप में हस्तांतरित होना आवश्यक हैं। उदाहरण के लिए, यदि क़ानून में भूमि के स्वामित्व के हस्तांतरण के लिए एक विलेख (डीड) की आवश्यकता होती है, तो इसे केवल कहने मात्र के द्वारा स्थांतरित नहीं किया जा सकता है। संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम में हस्तांतरण के संबंध में विशिष्ट प्रावधान शामिल हैं और इससे जुड़ी विभिन्न शर्तो पर चर्चा की गई है। यह अधिनियम 1 जुलाई, 1882 को लागू हुआ था।
संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम के प्रावधानों को समझना
संपत्ति के मौखिक हस्तांतरण पर आने से पहले, शोधकर्ता इस बात पर कुछ प्रकाश डालना चाहेंगे कि संपत्ति के हस्तांतरण का क्या मतलब है। संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 5 संपत्ति के हस्तांतरण को परिभाषित करती है और इस धारा को पढ़ने से यह समझा जा सकता है कि इसका मतलब एक ऐसा कार्य है जिसके द्वारा एक जीवित व्यक्ति, वर्तमान या भविष्य में एक या एक से अधिक जीवित व्यक्तियों (अपने आप को शामिल करके या ना शामिल करके) को संपत्ति हस्तांतरित करता है। यहां धारा 5 के अनुसार जीवित व्यक्ति में कोई भी व्यक्ति या कंपनी या संघ (एसोसिएशन) या व्यक्तियों का निकाय शामिल होता है, जो निगमित (इनकॉरपोरेट) हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है। अब सवाल यह उठता है कि किस तरह की संपत्तियों का हस्तांतरण किया जा सकता है या किन संपत्तियों को हस्तांतरित नही किया जा सकता है। इस अधिनियम में इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए कोई निर्दिष्ट या विस्तृत सूची नहीं है, लेकिन संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 6 में इसका उत्तर दिया गया है। इस धारा के तहत कहा गया है कि किसी भी प्रकार की संपत्ति को हस्तांतरित किया जा सकता है, सिवाय इसके जहां अधिनियम में इसके अलावा प्रदान किया गया है जो अनिवार्य रूप से उन चीजों की एक विस्तृत सूची बनाता है जिन्हें संपत्ति नहीं कहा जा सकता है और जिन्हें हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है।
संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम के तहत संपत्ति का मौखिक हस्तांतरण
परिभाषा
संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 9 संपत्ति के मौखिक हस्तांतरण के बारे में बात करती है। यह प्रदान करती है की,
“संपत्ति का हस्तांतरण हर उस मामले में जिसमें कानून के द्वारा इसे लिखित रूप से करना स्पष्ट रूप से आवश्यक नहीं है बनाया गया है, मौखिक किया जा सकता है।”
परिभाषा और महत्वपूर्ण निर्णय
इस धारा में अनिवार्य रूप से यह प्रदान किया गया है कि संपत्ति का हस्तांतरण हर उस मामले में बिना लिखित के किया जा सकता है जिसमें लेखन स्पष्ट रूप से कानून द्वारा उल्लिखित/आवश्यक नहीं है, लेकिन यहां यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि यह अधिनियम इस प्रकार के हस्तांतरणों तक ही सीमित नहीं है।
सारंडाय पिल्लै बनाम शंकरलिंग पिल्लई के एक बहुत ही प्रसिद्ध मामले में, मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रामास्वामी के द्वारा कहा गया था की, “इसलिए इस देश में यह निर्धारित करने के लिए परीक्षण किया जाता है कि कोई लेन-देन (चाहे हस्तांतरण हो या नहीं) बिना लिखे किया जा सकता है या नही इसके लिए यह देखना है कि क्या कानून द्वारा इसका लिखित रूप में होना स्पष्ट रूप से आवश्यक है या नही। यदि लेन-देन संपत्ति का हस्तांतरण है और कानून के कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं हैं कि इसे लिखित रूप में होना आवश्यक है, तो धारा 9 इसे लिखित रूप में किए बिना और इसके विपरीत करने में सक्षम बनाएगी, जिसके माध्यम से एक आवश्यक निष्कर्ष निकाला जा सकता है और यह कहा जा सकता है कि यदि लेन-देन संपत्ति का हस्तांतरण है और कानून में ऐसा कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है कि इस का लिखित रूप में किया जाना आवश्यक हो तो ऊपर उल्लिखित सामान्य सिद्धांत इसे बिना लिखित रूप से वैध रूप से करने में सक्षम बनाएगा।
इस अधिनियम की धारा 9 का तर्क सामान्य सिद्धांतों को रेखांकित करता है कि हर चीज को स्वीकार्य माना जाना चाहिए जब तक कि इसके खिलाफ कोई निषेध न हो और इसे क़ानून के द्वारा केवल या प्राथमिक रूप से किसी कथित जोखिम को रोकने के लिए किया जाता है।
यहां एक महत्वपूर्ण अवलोकन यह है कि किसी कंपनी का प्रमोटर हालांकि कुछ भरोसेमंद कर्तव्यों को पूरा करता है, लेकिन उसे न्यासकर्ता (ट्रस्टी) के रूप में वर्णित नहीं किया जा सकता है। वह एक अर्ध-न्यासी का विशिष्ट पद धारण करता है। साथ ही प्रमोटर की घोषणा कि कंपनी के गठन से पहले उसके पास जो संपत्ति थी, वह बंधक (मॉर्गेज), बिक्री, पट्टा (लीज), विनिमय (एक्सचेंज) या विलेख नहीं है। कंपनी अपने निगमन से पहले एक जीवित व्यक्ति नहीं है और इसलिए संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 5 के प्रावधान लागू नहीं होते हैं।
संपत्ति के मौखिक हस्तांतरण का विश्लेषण (संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 9)
क़ानून की व्याख्या
जैसा कि पहले ही परिचय में उल्लेख किया गया है, यह धारा संपत्ति के मौखिक हस्तांतरण के बारे में बात करती है और यह उल्लेख किया है कि संपत्ति का हस्तांतरण हर उस मामले में बिना लिखे किया जा सकता है जहां क़ानून द्वारा स्पष्ट रूप से लिखना आवश्यक नहीं है। अब, अगला सवाल यह उठता है कि क़ानून किसी भी लेनदेन को लिखित रूप में कब अनिवार्य करता है। धारा 54, 58 (हक विलेख के निक्षेप (डिपॉजिट) द्वारा बंधक को छोड़कर), 105, 118, 122 और 130 के तहत संपत्ति का हस्तांतरण लिखित रूप में होना आवश्यक है। इसके अलावा 1882 के भारतीय न्यास (ट्रस्ट) अधिनियम की धारा 5 के तहत, जो कोई भी पक्ष पंजीकरण कराना चाहते हैं, उनका हस्तांतरण लिखित रूप में होना चाहिए। विवाह के समय अचल संपत्ति का उपहार भी पंजीकृत होना चाहिए और लिखित रूप में होना चाहिए।
विवाह के समय संपत्ति के मौखिक हस्तांतरण का प्रावधान
यहां यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 9 किसी हिंदू द्वारा विवाह के समय हस्तांतरित की गई किसी भी अचल संपत्ति के मामले पर लागू नहीं होगी। यहां यह ध्यान रखना आवश्यक है कि संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम स्पष्ट रूप से मौखिक हस्तांतरण को मान्यता देता है। इसलिए यहां एक सरल कटौती की जा सकती है कि संपत्ति का मौखिक हस्तांतरण एक नियम है जब तक कि ऐसा कोई कानून नहीं है जिसके तहत स्पष्ट रूप से यह आवश्यक हो कि हस्तांतरण लिखित रूप में होना चाहिए। अब, चल संपत्ति को संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम के तहत परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन व्याख्या खंड यानी संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 की धारा 3 के अनुसार, अचल संपत्ति में खड़ा काष्ठ (टिंबर), उगती फसल या घास शामिल नहीं होती है। अब सामान्य खंड अधिनियम, 1897 चल संपत्ति शब्द को परिभाषित करता है जहां अचल संपत्ति को छोड़कर, हर प्रकार की संपत्ति शामिल होती है। अचल संपत्ति को भूमि, भूमि से उत्पन्न होने वाले लाभ या पृथ्वी से जुड़ी चीजों या स्थायी रूप से पृथ्वी से जुड़ी किसी भी चीज से जुड़ी वस्तु और अन्य बौद्धिक संपदा (इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी) के रूप में परिभाषित किया गया है।
संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 9 के संबंध में विभिन्न धाराओं का विश्लेषण
- धारा 54 के तहत, सौ रुपये (100/- रुपये) से अधिक मूल्य की मूर्त अचल संपत्ति की बिक्री केवल एक पंजीकृत लिखत (इंस्ट्रूमेंट) द्वारा की जानी आवश्यक है।
- संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 59 के तहत, हक विलेख के निक्षेप द्वारा किए बंधक को छोड़कर सादा बंधक के मामले में या अन्य सभी बंधक के मामले में एक लेखन आवश्यक है जहां मूल राशि या प्रतिभूति (सिक्योरिटी) के रूप में रखी गई राशि सौ रुपये (100/- रुपये) से अधिक होती है।
- इसके अलावा, धारा 107 के तहत, साल-दर-साल, या एक वर्ष से अधिक की किसी भी अवधि के लिए अचल संपत्ति के पट्टे को, या ऐसी संपत्ति पर वार्षिक किराया आरक्षित करने को, लिखित रूप में किया जाना आवश्यक है।
- धारा 130 के तहत प्रदान किया गया है कि अनुयोज्य दावों (एक्शनेबल क्लेम) के सभी हस्तांतरण लिखित रूप से किए जाने चाहिए और धारा 118 के तहत, सभी विनिमय उन्हीं नियमों के अधीन होते हैं जो बिक्री पर लागू होते हैं।
अतः यह माना जा सकता है कि जब कानून की आवश्यकता है कि एक दस्तावेज को लिखित रूप में होना चाहिए और उक्त दस्तावेज पंजीकृत होना चाहिए तो स्वामित्व केवल उसी विधि से ही हस्तांतरित किया जा सकता है अन्यथा नहीं। लेकिन, जहां संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम या किसी अन्य कानून के तहत लेनदेन को लिखित में करने की आवश्यकता नहीं है, तो वहां हस्तांतरण मौखिक रूप से भी किया जा सकता है।
उदहारण और कुछ ऐतिहासिक न्यायिक घोषणाएँ
लिखित रूप में होना जरूरी है
धारा 9 के तहत मौखिक हस्तांतरण का प्रावधान किया गया है। जिन लेन-देन को कानून द्वारा लिखित रूप में होना आवश्यक नहीं है, उन्हें इस धारा के तहत बिना किसी लेखन के, मौखिक रूप से भी किया जा सकता है। निम्नलिखित लेनदेन के लिए लिखित में होना आवश्यक है:
- 100 रुपये या उससे ऊपर के मूल्य की अचल संपत्ति की बिक्री।
- किसी भी मूल्य की विशिष्ट अचल संपत्ति का सादा बंधक।
- साल दर साल या एक वर्ष से अधिक की किसी भी अवधि के लिए पट्टा या वार्षिक किराया आरक्षित करना।
- 100 रुपये या उससे ऊपर के मूल्य का विनिमय
- अनुयोज्य दावे का हस्तांतरण
- अनुयोज्य दावे के हस्तांतरण की सूचना
नरसिंहदास बनाम राधाकिसन के प्रसिद्ध मामले के तहत यह माना गया था कि यह पता लगाने के लिए कि क्या लेन-देन बिना लिखे किया जा सकता है या नही, यह देखना है कि क्या कानून द्वारा उस लेन देन को लिखित रूप में होना आवश्यक है, जो हमारी परिकल्पना (हाइपोस्थेसिस) को और अधिक प्रमाणित करता है और संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 की धारा 9 की हमारी समझ को भी प्रमाणित करता है।
मौखिक उपहार
- केशरी मुल बनाम सुकन राम के मामले के तहत, यह माना गया था कि मौखिक उपहार हालांकि इस धारा के तहत स्वीकार्य है, लेकिन कब्जे के परिदान (डिलीवरी) के बिना वैध नहीं है। पेद्दू रेड्डीर बनाम कोठंडा रेड्डी के मामले में मौखिक विभाजन की वैधता को चुनौती दी गई थी और इस फैसले के द्वारा अंततः संपत्ति के मौखिक विभाजन की वैधता को बरकरार रखा गया था। इसके बाद, ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिन्होंने इस तथ्य को स्थापित किया है कि जब अधिनियम द्वारा लेखन की आवश्यकता नहीं होती है, तो हस्तांतरण मौखिक रूप से किया जा सकता है या नही।
मौखिक पारिवारिक समझौते
धोखाधड़ी और अनुचित प्रभाव के आरोपों के एक मामले में सर्वोच्च न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ के द्वारा यह भी स्थापित किया गया है कि पारिवारिक समझौते मौखिक हो सकते हैं और इसे लिखित रूप में करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
मौखिक पारिवारिक व्यवस्था
जम्मू और कश्मीर के उच्च न्यायालय के द्वारा इसकी पहले ही पुष्टि की जा चुका है कि पारिवारिक व्यवस्था को लिखित रूप में लिखने की आवश्यकता नहीं है और यह मौखिक भी हो सकता है। संयुक्त परिवार की संपत्ति में मां द्वारा अपने हित का त्याग, भले ही संपत्ति में अचल संपत्ति शामिल हो और उसमें शेयर का मूल्य 100 रुपये से अधिक हो, तो भी वह बिना लिखे बनाया जा सकता है, और पंजीकृत लिखत की आवश्यकता नहीं होती है।
भूटा सिंह बनाम मंगू और राम सरूपव राम देई के मामले में फैसले को संक्षिप्त में पढ़ने पर यह भी सुझाव मिलता है है कि अलगाव (सेपरेशन) के लिए किसी लिखत की आवश्यकता नहीं है। यह पर्याप्त है यदि संपत्ति का हकदार व्यक्ति ऐसा कार्य करता है जिसके परिणामस्वरूप आवश्यक रूप से उसका हस्तांतरण होता है। इस अधिनियम में यह प्रावधान है कि कुछ निर्दिष्ट हस्तांतरण केवल विधिवत पंजीकृत लिखित रूप में ही किए जाएंगे। अचल संपत्ति से संबंधित पंचाट (अवॉर्ड) को लिखित रूप में देने की आवश्यकता नहीं है।
निष्कर्ष
संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 एक भारतीय कानून है जो भारत में संपत्ति के हस्तांतरण को नियंत्रित करता है। कई निर्णयों और चित्रणों के माध्यम से, शोधकर्ता ने इस तथ्य को समेकित (कंसोलिडेट) किया है कि उक्त अधिनियम की धारा 9 संपत्ति के मौखिक हस्तांतरण से संबंधित है और इसमें यह भी चर्चा की गई है कि क्या मौखिक रूप से हस्तांतरित किया जा सकता है और क्या नहीं। पाठकों को यह सूचित किया जाता है कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो कहता हो कि विक्रेता को संपत्ति बाजार दर पर बेचनी होगी। वह हमेशा अपनी पसंद की किसी भी दर पर संपत्ति बेच सकता है। उस पर लगाई गई एकमात्र बाधा सरकार द्वारा पूर्व निर्धारित मूल्य द्वारा निर्धारित कीमतों पर भुगतान की जाने वाली स्टांप ड्यूटी का भुगतान करना होगा ताकि सरकारी राजस्व (रिवेन्यू) की कोई हानि न हो। पक्षों द्वारा पारस्परिक रूप से कीमतों को सही मूल्य के रूप में स्वीकार करने के बाद कीमतों की अपर्याप्तता के कारण बिक्री विलेख रद्द नहीं किया जा सकता है।
संपत्ति को अपने आप में 2 घटकों अर्थात् चल और अचल संपत्ति में वर्गीकृत किया जा सकता है। दोनों शब्दों को अधिनियम में पूरी तरह से परिभाषित नहीं किया गया है इसलिए सामान्य खंड अधिनियम, 1897 की धारा 3 में दी गई परिभाषा को संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 में व्याख्या खंड के साथ पढ़ा जाना चाहिए। इसे भी ध्यान में रखा जाना चाहिए उनमें से 18 अन्य क़ानून हैं जो मुख्य रूप से संपत्ति कानून से संबंधित हैं, या संपत्ति कानून के लिए महत्वपूर्ण रूप से मायने रखते हैं, जैसा कि नीचे सूचीबद्ध है:
ट्रस्ट अधिनियम, 1882, विशिष्ट राहत अधिनियम, 1963, भारतीय सुखाचार (ईजमेंट) अधिनियम, 1882, पंजीकरण अधिनियम, 1908, स्टाम्प अधिनियम, 1899, राज्य स्टाम्प अधिनियम, 2008, परिसीमा (लिमिटेशन) अधिनियम, 1963, सामान्य खंड अधिनियम, 1897, साक्ष्य अधिनियम, 1872, उत्तराधिकार अधिनियम , 1925, विभाजन अधिनियम, 1893, प्रेसीडेंसी-नगर दिवाला (इंसॉल्वेंसी) अधिनियम, 1909, प्रांतीय दिवाला अधिनियम, 1920, बैंकों और वित्तीय संस्थानों को शोध्य (ड्यू) ऋण की वसूली अधिनियम, 1993, वित्तीय संपत्तियों का प्रतिभूतिकरण (सिक्योरिटाइजेशन) और पुनर्निर्माण और सुरक्षा हित प्रवर्तन (एंफोर) अधिनियम, 2002, अनुबंध अधिनियम, 1872, माल की बिक्री अधिनियम, 1930, परक्राम्य लिखत (नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट) अधिनियम, 1881।
यहां यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक व्यक्ति, जो अनुबंध करने में सक्षम है, वह संपत्ति को पूर्ण या आंशिक रूप से हस्तांतरित करने में सक्षम है। व्यक्ति का अधिकार पूर्ण या सशर्त हो सकता है या संपत्ति की प्रकृति के आधार पर अचल या चल हो सकता है लेकिन, संपत्ति के हस्तांतरण के लिए कुछ शर्तें पूरी होनी चाहिए। जो व्यक्ति हस्तांतरित कर रहा है (हस्तांतरणकर्ता (ट्रांसफरर)) उसका यह प्रतिनिधित्व होना चाहिए कि उसके पास अचल संपत्ति को हस्तांतरित करने का अधिकार है। प्रतिनिधित्व कपटपूर्ण या ग़लत नहीं होना चाहिए। हस्तांतरी (ट्रांसफरी) को सद्भावना से कार्य करना चाहिए और संपत्ति को कुछ प्रतिफल (कंसीडरेशन) के साथ हस्तांतरित किया जाना चाहिए जो कानून की नजर में वैध है, जो अनिवार्य रूप से संपत्ति में हस्तांतरी के हित को निहित करेगा और हस्तांतरणकर्ता का उस संपत्ति में हित होना चाहिए जिसे वह हस्तांतरित करने के लिए सहमत हुआ था।
संदर्भ
निर्णय और पुस्तकें
- मोहम्मद मूसा बनाम अघोर कुमार गांगुली, (1915) 42 कैल 801: 42 आईए 1. न्यायमूर्ति द्वारा यह उद्धृत किया गया था कि “कोई हस्तांतरण मौखिक रूप से किया जा सकता है जब तक कि कानून द्वारा स्पष्ट रूप से लिखित रूप में ऐसा करना आवश्यक न हो। इस अधिनियम पारित होने से पहले, ऐसे हस्तांतरण के लिए कोई लेखन को आवश्यकता नहीं तुम
- इम्मुदियापट्टम बनाम पेरिया दोरासामी (1901) 24 मद 377; बिशन डायल बनाम गाज़ी-उद-दीन। (1901) 23 सभी 175।
- धारा 5, संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882
- धारा 6, संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882
- धारा 9, संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882
- धारा 9, संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882
- वीवर्स मिल्स बनाम बाल्किस अम्मल, एआईआर 1969 मैड 462 (469,470): (1969) 2 मैड एलजे 509
- गंगाधर राव बनाम जी. गंगाराव, एआईआर 1968 एपी 291
- सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसाइटी, https://cis-india.org/internet-governance/bitcoin-legal-regulation-india पर उपलब्ध है। (11 जुलाई 2017 को निकाला गया)
- रामदास बनाम पहलाद, एआईआर 1965 बॉम 74 (75,76): 66 बॉम एलआर 499; सुब्रमण्यन बनाम वेंकटचलम पिल्लई (2011) 6 एमएलजे 743 (752) (मैड)
- नरसिंहदास बनाम राधाकिसन, 1952 बॉम 425
- केशरी मुल बनाम सुकन राम, 1933 पैट। 264
- पेद्दू रेड्डीर बनाम कोठंडा रेड्डी, 1966 मैड 419
- वीवर्स मिल्स लिमिटेड बनाम बाल्किस अम्मल, 1969 मैड 463: (1969) 2 एमएलजे 509: (1969) 2 एमएलजे 509: (1969) 1 मैड 433
- काले बनाम चकबंदी निदेशक, 1976 एससी 807: (1976) 3 एससीसी 119: (1976) 3 एससीआर 202।
- 1972 जम्मू-कश्मीर 472
- रामदास बनाम पहलाद, एआईआर 1965 बॉम 74 (75,76) : 66 बॉम एलआर 499
- भूटा सिंह बनाम मंगू, एआईआर 1930 लाह 9; राम सरूप बनाम राम देई, (1907) 29 सभी 239; शेओ सिंह बनाम जियोनी, (1897) 19 सभी 524
- भगवतीबाई बनाम भगवानदास, एआईआर 1927 सिंध 206
- दशरथ नारायण शिंदे बनाम गंगाराम घाग लक्ष्मण, 2010 (4) मह एलजे 392 (394) (बॉम): (2010) 3 बॉम सीआर 641
- संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 की धारा 3 को सामान्य खंड अधिनियम, 1897 की धारा 3 में दी गई अचल संपत्ति की परिभाषा के साथ पढ़ा जाना चाहिए। http://alappuzha.nic.in/resources-file/acts- पर उपलब्ध है। नियम/सामान्य क्लाउज अधिनियम.पीडीएफ।
- सुमीत मलिक, संपत्ति कानून मैनुअल (हार्ड बाउंड) (2014 संस्करण)। ईस्टर्न बुक कंपनी। पी। 1-968. आईएसबीएन नंबर- 9789351451150.
ऑनलाइन संदर्भ
- scconline.com /Articles/on/oral/transfer/section/9/
- http://www.manupatrafast.com/articles/PopOpenArticle.aspx?ID=797c51f7-0615-4fa8-b92e-7d7d24d03689&txtsearch=Subject:% 20Property%20Law/Oral%20Tranfer%20of%20Property
- http://www.merriam-webster.com/dictionary/Oral%20Transfer