भारत में घृणा अपराधों की रिपोर्ट कैसे करें

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How to report hate crimes in India
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यह लेख ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी से Vanya Varma द्वारा लिखा गया है। यह लेख घृणा अपराधों और भारत में उनकी रिपोर्ट कैसे करें से संबंधित है। इस लेख का अनुवाद Sakshi Gupta के द्वारा किया गया है।

परिचय(इंट्रोडक्शन)

हाल के वर्षों में, भारतीय उपमहाद्वीप (सबकॉन्टिनेंट) में घृणा अपराध (हेट क्राइम) की घटनाओं में तेज वृद्धि देखी गई है। इस श्रेणी की घटनाओं में आमतौर पर धार्मिक मुद्दों पर किसी व्यक्ति या व्यक्तियो के समूह के खिलाफ किसी विशेष सामाजिक समूह के व्यक्तियों के द्वारा भीड़ की हिंसा (मॉब लिंचिंग) शामिल होती है, जिसकी वजह से व्यापक सामाजिक संरचना (सोसल स्ट्रक्चर) में तबाही मचती है। घृणा अपराध अक्सर घृणा और एक पक्षपाती (बायस्ड) रवैये से प्रेरित होते हैं और इनका उद्देश्य समाज के एक विशिष्ट हिस्से मे डर पैदा करने और एक बयान देने के लिए एक संदेश भेजना होता है।

आपराधिक कार्य के लिए प्रेरणा के रूप में नस्लीय/जातिगत भेदभाव (रेशियल/कास्ट डिस्क्रिमिनेशन) या पूर्वाग्रह (प्रेजुडिस) की भूमिका भारत में घृणा अपराधों की एक प्रचलित परिभाषित विशेषता है। घृणा अपराध बलात्कार, शारीरिक हमले (फिजिकल असॉल्ट), हत्या या हिंसक हमलों का रूप लेते हैं, अंतर्निहित उद्देश्य (अंडरलाइंग पर्पज) किसी व्यक्ति के प्रति है क्योंकि वह एक निश्चित समूह में सदस्यता (मेंबरशिप) लेता है।

घृणा अपराध क्या हैं

यूरोप में सुरक्षा और सहयोग संगठन (ओएससीइ) के अनुसार, घृणा अपराध एक पक्षपातपूर्ण उद्देश्य (बायस्ड मोटिव) से किए गए आपराधिक काम हैं। “भेदभाव से प्रेरित अपराध” या “पक्षपात अपराध” के रूप में भी जाना जाता है, वे एक कानूनी अपराध नहीं हैं, बल्कि एक अवधारणा (कंसेप्ट) है जो तब होती है जब कोई अपराधी किसी विशिष्ट (स्पेसिफिक) सामाजिक समूह के शिकार को निशाना बनाता है।

घृणा अपराध किसी व्यक्ति या लोगों के समूह के प्रति उनके धार्मिक विश्वासों और रीति-रिवाजों में अंतर के कारण भेदभाव से प्रेरित आपराधिक कामों को संदर्भित(रेफर्स) करता है। आधुनिक समय में, लिंचिंग, भेदभाव और आपत्तिजनक टिप्पणियों के अलावा, अपमानजनक या हिंसक टिप्पणियों (ऑफेंसिव कमेंट) को शामिल करने के लिए इसकी परिभाषा व्यापक हो गई है। इस सब के परिणामस्वरूप, समाज का संतुलन और व्यवस्था बाधित होती है। इसका पीड़ितों पर मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से गहरा प्रभाव पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप उनकी मानसिक और शारीरिक गिरावट होती है।

यह निर्धारित करते समय अधिनियम के पीछे के उद्देश्य पर विचार किया जाना चाहिए कि क्या कोई अपराध घृणा अपराध है या भेदभाव से ग्रस्त अपराध है। एक घृणा अपराध आमतौर पर नस्ल, धर्म, जातीयता, रीति-रिवाजों, व्यवहारों या अन्य कारकों में अंतर के आधार पर किसी अन्य व्यक्ति या सामाजिक समूह के प्रति भेदभाव या घृणा से प्रेरित होता है। इसका पीड़ित व्यक्ति पर दूरगामी (प्रोफाउंड) मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक प्रभाव पड़ता है।

इस प्रकार, घृणा अपराधों को किसी व्यक्ति के अधिकारों पर हमले के रूप में वर्णित किया जा सकता है जो उसे सौंपा गया है, न केवल उसे बल्कि पूरी सामाजिक व्यवस्था को चोट पहुँचाता है, जो इसे कई अन्य आपराधिक अपराधों की तुलना में अधिक भयानक बनाता है।

घृणा अपराधों के उदाहरण

घृणा अपराधों के उदाहरण इस प्रकार हैं:

  • हमला करना
  • उत्पीड़न (हैरेसमेंट)
  • हत्या
  • यौन हमला या उत्पीड़न
  • धोखा
  • चोरी होना
  • हेटमैसेज
  • अलार्म या संकट पैदा करना

भारतीय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज करें

ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया

वेबसाइट पर जाएं और आपसे ये विवरण भरने के लिए कहा जाएगा।

ध्यान दें

  • कृपया ब्राउज़र सेटिंग में अनुमत पॉपअप वाले इंटरनेट एक्सप्लोरर ब्राउज़र का उपयोग करें।
  • केवल अंग्रेजी भाषा में विवरण भरें।

आपका विवरण

1 नाम पूरा नाम बताएं
2 लिंग सूची से लिंग का चयन करें।
3 पता पत्राचार (कॉरेस्पोंडेंस) के लिए पूरा पता बताएं
4 राज्य सूची से अपने राज्य का नाम चुनें।
5 जिला सूची से अपने जिले का नाम चुनें।
6 अपने इलाके का पिन कोड, ईमेल-आईडी और मोबाइल नंबर, यदि उपलब्ध हो तो

पीड़ित का विवरण 

7 नाम पीड़ित का पूरा नाम बताएं।
8 पता पीड़ित का पूरा पता बताएं।
9 राज्य सूची से राज्य का नाम चुनें जहां पीड़िता रहता है।
10 जिला सूची में से उस जिले के नाम का चयन करें, जहां से पीड़िता संबंधित है।
11 लिंग सूची से पीड़ित के लिंग का चयन करें, यदि पीड़ितों की संख्या एक से अधिक है तो ‘समूह’ विकल्प चुनें।
12 इलाके का पिन कोड, यदि उपलब्ध हो
13 विकलांगता सूची से पीड़ित की विकलांगता की स्थिति का चयन करें।
14 उम्र वर्ष में पीड़ित की आयु का उल्लेख करें
15 धर्म सूची से पीड़ित का धर्म चुनें।
16 जाति सूची से पीड़ित की जाति का चयन करें।

घटना विवरण

17 स्थान घटना की सही जगह का उल्लेख करें यानी इलाके, गांव, कस्बा, शहर।
18 राज्य सूची से राज्य का नाम चुनें, जहां घटना हुई।
19 जिला सूची से जिले का नाम चुनें, जहां घटना हुई।
20 घटना की तारीख घटना की तारीख (दिनांक/माह/वर्ष) का उल्लेख करें।
21 घटना श्रेणी उस सूची से घटना श्रेणी का चयन करें जिसके साथ घटना संबंधित है।
22 घटना उप-श्रेणी सूची से घटना उप-श्रेणी का चयन करें जो विशेष रूप से घटना की प्रकृति को दर्शाती है
23 शिकायत लिखें घटना/शिकायत के तथ्यों/आरोपों का संक्षिप्त सारांश लिखे।
24 क्या यह किसी न्यायालय/राज्य मानवाधिकार आयोग के समक्ष दायर किया गया है? विकल्प का चयन करें कि क्या उसी घटना की शिकायत किसी न्यायालय या राज्य मानवाधिकार आयोग के समक्ष दायर की गई है।

राहत विवरण

25 लोक सेवक का नाम, पद और पता जिस लोक सेवक/प्राधिकारी के विरुद्ध शिकायत की जा रही है उसका पूरा विवरण दें।
26 मांगी गई राहत मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ मांगी जाने वाली राहत का पूरा ब्योरा (डिटेल) दें।

 

घृणा अपराधों की रिपोर्ट करने के लिए टोल-फ्री नंबर- 1800-3133-600-00

भारत में, कार्यकर्ताओं ने ऐसी घटनाओं का दस्तावेजीकरण (डाक्यूमेंटिंग) करने और पीड़ितों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लक्ष्य के साथ घृणा अपराधों और भीड़ की हिंसा के शिकार लोगों के लिए एक हेल्पलाइन की स्थापना की है।

घृणा अपराधों की रिपोर्ट करने के लिए एक टोल-फ्री हॉटलाइन स्थापित की गई है। यूनाइटेड अगेंस्ट हेट, सामाजिक न्याय और शांति की वकालत करने वाले प्रमुख नागरिकों के एक समूह ने एक टोल-फ्री नंबर 1800-3133-600-00 विकसित किया है, जिसे हेल्पलाइन अगेंस्ट हेट कहा जाता है।

हेट क्राइम के शिकार लोगों की मदद के लिए 100 से ज्यादा जगहों पर यह नंबर तैयार किया जाएगा। देश भर में घृणा अपराधों और मॉब लिंचिंग में वृद्धि के जवाब में हॉटलाइन की स्थापना की गई थी।

अपूर्वानंद ने कहा, “यह घृणा अपराध को पहचानने, परिभाषित करने और विचार-विमर्श करने का समय है, जैसा कि कई यूरोपीय देशों ने किया है। हेल्पलाइन इसलिए जरूरी थी क्योंकि अल्पसंख्यकों (माइनॉरिटी) को सिर्फ उनकी पहचान के कारण प्रताड़ित किया जा रहा है। पुलिस द्वारा घृणा अपराधों को गंभीरता से नहीं लिया जाता है।”

इस नंबर की सेवाएं हिंदी और अंग्रेजी दोनों में उपलब्ध होंगी। यूनाइटेड अगेंस्ट हेट कलेक्टिव के स्वयंसेवक कॉल लेंगे और पीड़ितों की सहायता करेंगे, जबकि संदिग्ध (सस्पेक्टेड) घृणा अपराधों की रिपोर्ट करने वालों को पुलिस से सहायता प्राप्त होगी। सामूहिक एफआईआर पंजीकरण और अन्य कानूनी आवश्यकताओं के साथ पीड़ितों की सहायता भी किया जाएगा।

यूएएच के नदीम खान ने खुलासा किया कि भारत  के 100 शहरों में गैर सरकारी संगठनों (एन जी ओ) के एक नेटवर्क को सूचीबद्ध किया जा रहा है ताकि अधिवक्ता (एडवोकेट्स) घृणा अपराधों के पीड़ितों की तुरंत मदद कर सकें।

नदीम खान ने कहा “अगर आपको लगता है कि अपराध होने से पहले भीड़ बन रही है तो भी हेल्पलाइन पर कॉल करें। वकील, कार्यकर्ता और पत्रकार स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाएंगे, और आसपास के पुलिस कर्मियों को जल्द से जल्द बुलाया जाएगा”।

अन्य कदम जो कोई उठा सकता है

पुलिस को बुलाओ

पुलिस को कॉल करना और उन्हें बताना कि क्या हुआ और कहाँ हमला हुआ, यह एक अच्छा विचार है। यदि आप सक्षम हैं, तो गवाह गवाही प्रदान करें।

सोशल मीडिया पर पोस्टिंग

सोशल मीडिया पर हेट क्राइम की फिल्मों का दौर चल रहा है। यह घटना के बारे में जागरूकता बढ़ाने और अपराधी की पहचान करने में सहायता करता है। किसी अपराध का वीडियो साझा करना प्रतिबंधित (प्रोहिबिटेड) नहीं है, हालांकि कुछ गोपनीयता संबंधी चिंताएं उत्पन्न हो सकती हैं। घृणा अपराधों या अभद्र भाषा को बढ़ावा देने वाली किसी भी चीज़ को साझा करना अवैध है।

घटना को नोट करें

घटना के बाद जितनी जल्दी हो सके, अपराध के बारे में सभी विवरण लिखें। अपराधी के लिंग, आयु, ऊंचाई, जाति, वजन, कपड़े और अन्य लक्षण शामिल करें। रिपोर्ट में किसी भी तरह की धमकी या भेदभावपूर्ण टिप्पणी (जैसे कि समलैंगिक विरोधी विशेषण) (सच एस एंटी-गे एपिथेट्ज़) शामिल करें।

घृणा अपराधों को रिकॉर्ड करने के लिए अपने फ़ोन का उपयोग करें

सार्वजनिक सड़कों या सार्वजनिक स्थानों पर हिंसक हमलों को रिकॉर्ड करना कानूनी है। हालांकि, क्योंकि अलग-अलग राज्यों में निजी संपत्ति के लिए अलग-अलग रिकॉर्डिंग नियम हैं, एक निजी स्टोर या इमारत में किसी अपराध को टेप करना अवैध हो सकता है।

याद रखें कि किसी हमले को रिकॉर्ड करना हमलावरों का ध्यान आपकी ओर आकर्षित कर सकता है, इसलिए यह एक व्यक्तिगत निर्णय है।

घृणा अपराधों के वीडियो साक्ष्य प्राप्त करना

स्थानीय व्यवसायों ने हाल ही में कई घृणा घटनाओं को निगरानी कैमरों (सर्विलेंस कैमरा) में कैद किया है। परिवार के कुछ सदस्यों ने सोशल मीडिया पर अपने प्रियजन के हमलों के वीडियो पोस्ट करना शुरू कर दिया है और जानकारी के लिए पुरस्कार की पेशकश की है। आपको हमले के वीडियो का अनुरोध करने का अधिकार है, लेकिन यह व्यवसाय पर निर्भर करता है कि वे सहयोग करते हैं या नहीं।

आपको घृणा अपराधों की रिपोर्ट क्यों करनी चाहिए

हेट क्राइम रिपोर्टिंग गैप, होने वाले घृणा अपराधों और कानून प्रवर्तन (इंफोर्समेंट) को रिपोर्ट किए गए लोगों के बीच बड़े अंतर को संदर्भित (रेफर) करता है। घृणा अपराधों की रिपोर्ट न केवल पीड़ितों के लिए समर्थन व्यक्त करने और उपचार प्राप्त करने के लिए की जानी चाहिए, बल्कि समुदाय को यह स्पष्ट संदेश देने के लिए भी की जानी चाहिए कि इन अपराधों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। घृणा अपराधों की रिपोर्ट करना समुदायों (कम्युनिटी) और कानून प्रवर्तन को समस्या के पैमाने को ठीक से समझने और भेदभाव और घृणा-आधारित हमलों को रोकने और प्रतिक्रिया देने के लिए संसाधनों को समर्पित करने की अनुमति देता है।

भारत में घृणा अपराध

भारत में घृणा अपराध कोई नई अवधारणा (कॉन्सेप्ट) नहीं है। राष्ट्रों की स्थापना के बाद से, ऐसे अपराधों से जुड़ी घटनाएं हुई हैं, जो ज्यादातर धर्म पर आधारित हैं। धर्म आधारित अपराधों के अलावा, जाति और लिंग आधारित हिंसा भी थी, और ऐसी कोई भी घटना नहीं है जिसे भारत में घृणा अपराधों की शुरुआत के रूप में इंगित (पिनप्वाइंट) किया जा सके। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में जाति और धर्म के आधार पर घृणा अपराधों की दर सबसे अधिक है, इसके बाद लिंग भेद हैं, जो बढ़ रहे हैं। भारत में घृणा अपराध, जैसे कि लिंचिंग और घृणा भाषा, न केवल पीड़ित को बल्कि पूरे समुदाय को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

हेट क्राइम वॉच के अनुसार, अप्रैल 2019 में 282 घृणा अपराध दर्ज किए गए, जिनमें 100 लोग मारे गए। ऐसे अपराधों के सबसे आम शिकार मुसलमान थे, जो सभी घटनाओं का 57% हिस्सा थे, इसके बाद ईसाई (15%) और हिंदू (13%) थे। ये सभी आँकड़े केवल परेशान करने वाली दर (डिस्टर्बिंग रेट) और यह समाज में कितनी ज्यादे घुस चुकी है उसको प्रदर्शित करती हैं।

घृणा अपराध भारत में किसी भी अन्य प्रकार के अपराध के विपरीत हैं क्योंकि उनमें उस उद्देश्य से संबंधित पूर्वाग्रह (बायस) की भावना है जो अन्य प्रकार के अपराधों में अनुपस्थित है। घृणा अपराधों का एक विशिष्ट प्रकार और गुण होता है जो उन्हें अन्य आपराधिक अपराधों से अलग करता है, और वे इस प्रकार हैं:

  1. पक्षपात (बायसनेस) हमेशा घृणा अपराधों की जड़ होता है। पक्षपात होने पर ही आपराधिक आचरण घृणा अपराध बन जाता है। पीड़ित का चुनाव उसके धर्म, समुदाय, लिंग और अन्य कारकों के आधार पर होता है और ऐसी चीजों पे ध्यान देने की जरूरत है।
  2. घृणा अपराध, चाहे कितने ही विविध प्रकार के क्यों न हों, हमेशा एक आपराधिक अपराध पर आधारित होते हैं जो दंडनीय होता है और इसलिए किसी न किसी रूप में दंड लगाया जाता है। यह घृणा अपराध को घरेलू कानून के तहत एक आपराधिक अपराध के रूप में स्थापित करता है।
  3. घृणा अपराध अपने चरम पर एक प्रकार का भेदभाव है। यह अपराध समुदाय में एक महत्वपूर्ण असमानता (सिग्निफिकेंट डिस्पेरिटी) की वजह से पीड़ित के साथ भेदभाव होता है और बात बढ़ जाने पे उनके खिलाफ अपराध भी कर दिया जाता है।
  4. जब घृणा अपराधों की बात आती है, तो लक्ष्य हमेशा एक व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह होता है जो विशिष्ट गुणों को साझा करते हैं जो मतभेद और भेदभाव पैदा करते हैं।
  5. घृणा अपराध कई प्रकार के रूप ले सकते हैं, जिनमें बर्बरता (वांडलिस्म) से लेकर शारीरिक हिंसा और कुछ मामलों में हत्या शामिल है। घृणा अपराधों को उनकी क्रूरता के स्तर के साथ-साथ पूरे समाज पर उनके प्रभाव के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है।

निष्कर्ष (कंक्लूज़न)

अपराध होते ही रिपोर्ट करना और अपने हाथों में कानून लेने के बजाय अधिकारियों से संपर्क करना हमेशा बेहतर होता है। यदि कोई घृणा अपराध का शिकार है तो तत्काल राहत पाने के लिए ऊपर दिए गए चरणों का पालन करें।

संदर्भ (रेफरेंसेस)

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