यह लेख Ramanuj Mukherjee, सीईओ, लॉसिखो द्वारा लिखा गया है और एमिटी लॉ स्कूल, नोएडा की लॉ की 5वीं वर्ष की छात्रा Pooja Kapoor और निरमा विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ के तीसरे वर्ष के छात्र Yash Jain द्वारा अपडेट किया गया है। इस लेख में साइबर क्राइम शिकायत की अवधारणा (कंसेप्ट) और साइबर क्राइम की शिकायत को ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह से दर्ज करने के तरीके पर चर्चा की गई है। इस लेख का अनुवाद Sakshi Gupta द्वारा किया गया है।
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साइबर क्राइम क्या है?
कोई भी गतिविधि (एक्टिविटी) जो गैरकानूनी प्रकृति की होती है, जिसमें ऐसी गतिविधि करने के लिए किसी नेटवर्क या नेटवर्क डिवाइस या कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है, साइबर क्राइम के रूप में जाना जाता है। इस परिभाषा से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि “कंप्यूटर” मुख्य तत्व है जिसका उपयोग या तो सीधे साइबर क्राइम करने के लिए एक उपकरण (टूल) के रूप में किया जा सकता है या अन्य कंप्यूटर्स या उपकरणों को टारगेट करने के लिए किया जा सकता है। पहली श्रेणी (केटेगरी) जिसमें सीधे हथियार के रूप में कंप्यूटर की आवश्यकता होती है, में साइबर टेरेरिज्म, पोर्नोग्राफी, इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स के उल्लंघन आदि जैसे क्राइम शामिल हैं। जबकि बाद की श्रेणी में हैकिंग, वायरस हमले आदि जैसे क्राइम किए जाते हैं। साइबर क्राइम शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया निम्नलिखित है।
साइबर क्राइम एक आपराधिक गतिविधि है जो कंप्यूटर और इंटरनेट के उपयोग से की जाती है। कुछ सामान्य साइबर क्राइम हैकिंग, साइबर स्टॉकिंग, डिनायल ऑफ सर्विस अटैक (डीओएस), वायरस डिसेमिनेशन, सॉफ्टवेयर पायरेसी, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी और फ़िशिंग हैं।
साइबर क्राइम्स के मुद्दे से निपटने के लिए, विभिन्न शहरों के सीआईडी (क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट) ने विभिन्न शहरों में साइबर क्राइम सेल्स खोले है। भारत का इंफॉर्मेशन टेक्नोलोजी एक्ट स्पष्ट रूप से कहता है कि जब कोई साइबर क्राइम किया जाता है, तो उसका ग्लोबल क्षेत्राधिकार (ज्यूरिसडिक्शन) होता है, और किसी भी साइबर सेल में शिकायत दर्ज की जा सकती है।
साइबर क्राइम शिकायत दर्ज करने की स्टेप बाय स्टेप प्रक्रिया
स्टेप 1
सबसे महत्वपूर्ण स्टेप साइबर क्राइम और इसे करने वाले व्यक्ति के खिलाफ साइबर पुलिस या साइबर सेल, इंडिया में शिकायत दर्ज करना है। साइबर क्राइम सेल द्वारा विभिन्न शहरों में क्राइम्स की इंवेस्टीगेशन के लिए विभिन्न डिपार्टमेंट स्थापित किए गए हैं। ये डिपार्टमेंट न केवल क्राइम की इन्वेस्टीगेशन करते हैं बल्कि समय पर क्राइम की सूचना देने का कार्य भी अपने हाथ में लेते हैं। पीड़ित कभी भी ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों तरीकों से साइबर पुलिस या साइबर सेल के क्राइम इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट में शिकायत कर सकता है। वह साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर पर भी कॉल कर सकते हैं।
स्टेप 2
शिकायत दर्ज करते समय साइबर क्राइम इंवेस्टीगेशन सेल के हेड को संबोधित (एड्रेस) करते हुए एक आवेदन पत्र (एप्लीकेशन) के साथ नाम, डाक पता और टेलीफोन नंबर प्रदान करने की आवश्यकता होती है।
स्टेप 3
शिकायत दर्ज करने के लिए व्यक्ति को कुछ दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे। दस्तावेजों की लिस्ट साइबर क्राइम के प्रकार के अनुसार बदलती रहती है। शिकायत दर्ज करते समय उन दस्तावेजों को अटैच या एनेक्स करने की आवश्यकता है, जो मामले के तथ्यों का पूरी तरह से समर्थन करते हो। साइबर क्राइम शिकायत दर्ज करते समय अटैच करने के लिए आवश्यक दस्तावेजों का प्रकार साइबर क्राइम की प्रकृति पर निर्भर करता है।
साइबर इंटेलिजेंस एलायंस (सीआईए) के साथ अपनी साइबर क्राइम शिकायत दर्ज करें। यह पुलिस शिकायत के लिए एक प्रॉक्सी नहीं है। सीआईए अपनी इच्छा से जमा किए गए सभी डेटा को एकत्र (कलेक्ट) करता है और फिर स्टेट पुलिस, साइबर सेल और किसी अन्य इन्वेस्टीगेशन एजेंसीज को पास करता है। सीआईए उनसे संपर्क करती है और कोई प्रगति होने पर आपको अपडेट करती है। सीआईए कोई वादा नहीं करती कि क्या परिणाम प्राप्त होंगे सिवाय इसके कि वे साइबर आरोपियों के लिए इसे और अधिक कठिन बना देते हैं जो वर्तमान में दंड से मुक्ति के साथ काम करना चाहते हैं।
शिकायत दर्ज करने के लिए आवश्यक दस्तावेज
हैकिंग के बारे में शिकायत की रिपोर्ट करते समय एनेक्स करने के लिए आवश्यक दस्तावेज
- सर्वर लॉग
- यदि पीड़ित की वेबसाइट को डिफेस्ड किया गया है, तो डिफेस्ड वेब पेज की सॉफ्ट कॉपी और हार्ड कॉपी दोनों।
- मूल डेटा और छेड़छाड़ किए गए डेटा की एक सॉफ्ट कॉपी, यदि डेटा को पीड़ित के कंप्यूटर, सर्वर या किसी अन्य उपकरण पर हैक किया गया है।
- विवरण (डिटेल) जैसे, आरोपी/व्यक्ति का नाम जिसने पीड़ित के कंप्यूटर सिस्टम को एक्सेस किया हो या पीड़ित के कंप्यूटर या ई-मेल तक एक्सेस के लिए उसकी ई-मेल का इस्तेमाल किया हो।
- ऐसी संभावना हो सकती है कि पीड़ित को कोई व्यक्ति संदिग्ध (सस्पीशियस) लगे, तो उन लोगों की लिस्ट जो उसे संदिग्ध लगे है।
- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए अन्य प्रासंगिक (रिलेवेंट) जानकारी –
- किस डेटा से कॉम्प्रोमाइज किया गया था और ऐसा करने के लिए कौन जिम्मेदार हो सकता है?
- सिस्टम ने किस समय कॉम्प्रोमाइज किया और सिस्टम के साथ कॉम्प्रोमाइज करने का कारण क्या था?
- नेटवर्क से टारगेट सिस्टम पर हमले पहचानने का प्रभाव कहां है?
- हमले से कितने सिस्टम्स से कॉम्प्रोमाइज हुआ?
अश्लील ई-मेल के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए आवश्यक दस्तावेज
- ई-मेल के शीर्षलेख (हेडर्स) जो आपत्तिजनक (ऑफेंडिंग) हैं।
- आपत्तिजनक ई-मेल की सॉफ्ट और हार्ड कॉपी दोनो।
- आपके इनबॉक्स से आपत्तिजनक ई-मेल और एक हार्ड ड्राइव की कॉपी।
सोशल मीडिया आधारित शिकायतों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए आवश्यक दस्तावेज (डॉक्यूमेंट्स रिक्वायर्ड फॉर फाइलिंग ए कंप्लेंट अगेंस्ट सोशल मीडिया बेस्ड कंप्लेंट्स)
- एक कॉपी जो स्पष्ट रूप से कथित (एलेज्ड) प्रोफ़ाइल दिखाती हो।
- कथित सामग्री या प्रोफ़ाइल का यूआरएल दिखाने वाली कॉपी।
- कथित सामग्री की हार्ड और सॉफ्ट कॉपी दोनों।
- सीडी-आर में सॉफ्ट कॉपी उपलब्ध कराई जाए।
नेट बैंकिंग/एटीएम शिकायतों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए आवश्यक दस्तावेज
- पिछले छह महीनों के संबंधित बैंक से बैंक स्टेटमेंट की कॉपी।
- कथित लेनदेन से संबंधित प्राप्त एसएमएस की कॉपी।
- आपके आईडी प्रूफ और एड्रेस प्रूफ दोनों की कॉपी जैसा कि बैंक रिकॉर्ड में दिखाया गया हो।
व्यावसायिक ई-मेल के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए आवश्यक दस्तावेज़ (डॉक्यूमेट्स रिक्वायर्ड फॉर फाइलिंग ए कंप्लेंट अगेंस्ट बिजनेस ई-मेल्स)
- लिखित में क्राइम को स्पष्ट करते हुए एक संक्षिप्त (ब्रीफ),
- नाम और मूल स्थान,
- मूल का बैंक का नाम और खाता नम्बर,
- प्राप्तकर्ता (रिसिपिएंट) का नाम उसके बैंक रिकॉर्ड के रूप में।
- प्राप्तकर्ता का बैंक खाता नम्बर।
- प्राप्तकर्ता का बैंक स्थान, यह वैकल्पिक (ऑप्शनल) है।
- लेन-देन की तिथि।
- लेन-देन की राशि।
- स्विफ़्ट नंबर।
डेटा चोरी की शिकायत दर्ज करने के लिए आवश्यक दस्तावेज
- यह आवश्यक है कि चोरी किए गए डेटा की कॉपी दर्ज की जानी चाहिए।
- कथित रूप से चुराए गए डेटा पर कॉपीराइट दिखाने वाला प्रमाणपत्र (सर्टिफिकेट), यानी चुराए गए डेटा का कॉपीराइट प्रमाणपत्र होना चाहिए।
- संदिग्ध कर्मचारी/कर्मचारियों का विवरण।
संदिग्ध कर्मचारी का नियुक्ति पत्र (लेटर ऑफ़ अपॉइंटमेंट ऑफ़ द सस्पेक्टेड एम्प्लॉय)
- उक्त कर्मचारी का गैर-प्रकटीकरण (नॉन-डिस्क्लोजर) कॉम्प्रोमाइज।
- सौपे गए कर्तव्यो (ड्यूटी) की लिस्ट ।
- संदिग्धों द्वारा संचालित (हैंडल्ड) ग्राहकों की लिस्ट।
- सबूत, कि कॉपीराइट डेटा का उल्लंघन किया गया है।
- आरोपी द्वारा अपनी सेवा की अवधि के दौरान उपयोग किए जाने वाले उपकरण (डिवाइस)।
साइबर क्राइम शिकायत ऑनलाइन
पिछले दशकों में टेक्नोलोजी में प्रगति और इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में काफी तेजी से और काफी हद तक वृद्धि हुई है। इंटरनेट के उपयोग में वृद्धि के साथ यह स्पष्ट है कि इसके अत्यधिक उपयोग के नुकसान भी होंगे। अत्यधिक उपयोग के बदले कुछ क्राइम ऑनलाइन भी किए जाते हैं और इस प्रकार, पीड़ित की सुरक्षा के लिए शिकायत दर्ज करने और आरोपी को दंडित करने के लिए क्राइम के होने के बारे में अधिकारियों को सूचित करने के प्रावधान होना आवश्यक है।
स्टेप 1
साइबर क्राइम की शिकायत ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह से की जा सकती है। साइबर सेल इंडिया वह डिपार्टमेंट है जो ऑनलाइन और ऑफलाइन साइबर शिकायत से संबंधित है और इस प्रकार, इस डिपार्टमेंट को शिकायत करना पहला स्टेप है। साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर पर भी कॉल कर सकते हैं। ऑनलाइन साइबर क्राइम शिकायत दर्ज करने के लिए आप यहां जा सकते हैं।
स्टेप 2
पीड़ित द्वारा जिस शहर में वह है उसकी साइबर क्राइम सेल में एक लिखित शिकायत दर्ज की जानी चाहिए। लेकिन, साइबर क्राइम ग्लोबल क्षेत्राधिकार के दायरे में आता है, इसलिए इसका अर्थ यह है कि कोई भी किसी भी शहर के साइबर क्राइम सेल में साइबर क्राइम की शिकायत दर्ज कर सकता है इस तथ्य के बावजूद कि वह व्यक्ति भारत के कुछ अन्य शहरों से ओरिजिनेट हुआ है।
स्टेप 3
साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराते समय पीड़ित को निम्नलिखित जानकारी देनी होगी-
- पीड़ित/शिकायत दर्ज करने वाले व्यक्ति का नाम,
- उसका संपर्क विवरण,
- डाक के लिए पता।
लिखित शिकायत डिपार्टमेंट के प्रमुख को संबोधित की जाएगी।
स्टेप 4
साइबर सेल इंडिया तक एक्सेस न होने की स्थिति में, कोई भी एफआईआर दर्ज करके स्थानीय पुलिस स्टेशन को मामले की रिपोर्ट कर सकता है। यदि किसी कारण से थाने में शिकायत स्वीकार नहीं होती है तो उस स्थिति में न्यायिक मजिस्ट्रेट या कमिश्नर से संपर्क किया जा सकता है।
स्टेप 5
यदि क्राइम, इंडियन पीनल कोड के अंदर आता है तो कोड के प्रावधान के तहत एफआईआर भी दर्ज की जा सकती है। शिकायत दर्ज करना प्रत्येक पुलिस अधिकारी का दायित्व है क्योंकि इसे क्रिमिनल प्रोसिजर कोड की धारा 154 के तहत अनिवार्य किया गया है।
चूंकि इंडियन पीनल कोड के तहत ज्यादातर साइबर क्राइम कॉग्निजेबल अपराधो की श्रेणी (कैटेगरी) में वर्गीकृत (क्लासिफाई) किए गए हैं, इसलिए आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए किसी वारंट की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि कॉग्निजेबल अपराध वे अपराध हैं जिनमें जांच करने के उद्देश्य से या गिरफ्तारी के लिए किसी वारंट की आवश्यकता नहीं होती।
- मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर्स केंद्रीकृत (सेंट्रलाइज्ड) ऑनलाइन साइबर क्राइम रजिस्ट्रेशन पोर्टल स्थापित करने और लॉन्च करने में है। इसका उद्देश्य साइबर क्राइम की किसी भी शिकायत को दर्ज करने के लिए पुलिस स्टेशन जाने की आवश्यकता को दूर करना है।
- दिल्ली पुलिस के साइबर क्राइम सेल द्वारा साइबर क्राइम ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया गया है।
- आप इसे यहां देख सकते हैं।
भारत में साइबर क्राइम सेल्स की लिस्ट
स्टेट का नाम | वेबसाइट | पता | संपर्क करें | ईमेल आईडी |
आंध्र प्रदेश (विशाखापत्तनम) साइबर क्राइम सेल | http://vizagcitypolice.gov.in/CyberCrimes.html | II टाउन पुलिस स्टेशन, दबागार्डन, विशाखापत्तनम शहर के परिसर में सीसीएस भवन- 530020 | पुलिस इंस्पेक्टर 9490617917; पुलिस सब-इंस्पेक्टर– 490617916 | inspr_cybercrime@vspc.appolice.gov.in |
अरुणाचल प्रदेश (ईटानगर) साइबर क्राइम सेल | http://arunpol.nic.in | पुलिस हेडक्वार्टर (पीएचक्यू), चंद्रनगर, ईटानगर- 791111 | 0360-2291065, 2218190 | cc-polita-arn@nic.in, arpolice@rediffmail.com |
असम (गुवाहाटी) साइबर क्राइम सेल | https://police.assam.gov.in | असम पुलिस हेडक्वार्टर उलुबारी, गुवाहाटी- 781007 | 0361-2450555, 2455126 | dgp@assampolice.gov.in |
चंडीगढ़ साइबर क्राइम सेल | http://chandigarhpolice.gov.in | पुलिस स्टेशन, 17E, सेक्टर 17, चंडीगढ़- 160017 | 172-2710046, 172-2700028 | cybercrime-chd@nic.in |
दादरा और नगर हवेली साइबर क्राइम सेल | http://dnhpolice.gov.in/ | पुलिस सुप्रीटेंडेंट का कार्यालय, पुलिस हेडक्वार्टर, यू.टी. डीएनएच, सिलवासा– 396230 | 0260-2643022 | sp-sil-dnh@nic.in |
गुजरात साइबर क्राइम सेल | http://www.police.gujarat.gov.in | पहली मंजिल, पुलिस भवन, सेक्टर 18, | 079-23246330, 23254344 | dgp-scr@gujarat.gov.in cc-cid@gujarat.gov.in, Dcp-crime-ahd@gujarat.gov.in |
गोवा साइबर क्राइम सेल | https://www.goapolice.gov.in | राष्ट्रीय हाईवे 4A, रिबंदर, गोवा 403006 | 0832-2443201, 7875756171 | picyber@goapolice.gov.in |
हरियाणा साइबर क्राइम सेल | http://gurgaon.haryanapolice.gov.in/cyber-cell.htm | पुलिस कमिश्नर कार्यालय, सोहना रोड, राजीव चौक के पास, गुरुग्राम हरियाणा 122001 | 91-12423111200 | cp.ggn@hry.nic.in, shocybergrg.pol-hry@gov.in |
हिमाचल प्रदेश साइबर क्राइम सेल | http://citizenportal.hppolice.gov.in:8080/citizen/login.htm | एसपी कार्यालय, शिमला- 171007 | (0177) 2621714 (191) | sp-cybercr-hp@nic.in |
जम्मू और कश्मीर साइबर क्राइम सेल | http://www.jkpolice.gov.in | पुलिस हेडक्वार्टर, एयरपोर्ट रोड, पीर बाग, श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर- 190001 | 0191-2572475, 0194-2489026 | igcrime-jk@nic.in, digcrime-jk@nic.in, sspcrmjmu-jk@nic.in |
झारखंड साइबर क्राइम सेल | https://www.jhpolice.gov.in/ | साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, कच्छरी चौक, रांची, झारखंड | 0651-2220060, 9771432133 | Cyberps@jhpolice.gov.in |
कर्नाटक (बैंगलोर) साइबर क्राइम सेल | http://cyberpolicebangalore.nic.in/contactus.html | साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, सीआईडी एनेक्सी बिल्डिंग, कार्लटन हाउस, # 1, पैलेस रोड, बैंगलोर- 560001 | +91-080-22942475, +91-080-22943050 | cybercrime@ksp.gov.in |
केरल साइबर क्राइम सेल | http://www.keralapolice.org/contacts/helpline/cyber-cell | – | 0471-2322090, 9497901500 | Cyberps.pol@kerala.gov.in |
मध्य प्रदेश साइबर क्राइम सेल | http://www.mpcyberpolice.nic.in | एसपी (हेडक्वार्टर) कार्यालय, रानी सराय, रीगल स्क्वायर, इंदौर | 0755-2770248, 0731-2514500 | mpcyberpolice@gmail.com, adg_scrb@mppolice.gov.in, ig_scrb@mppolice.gov.in |
मुंबई साइबर क्राइम सेल | http://cybercellmumbai.gov.in/ | साइबर क्राइम इन्वेस्टीगेशन सेल, ईओडब्ल्यू, तीसरी मंजिल, नया सीपी कार्यालय भवन सीपी कार्यालय परिसर, डी.एन.रोड, क्रॉफोर्ड मार्केट के पास, मुंबई- 400001 | 022-22626520 | cybercellmumbai@mahapolice.gov.in |
मेघालय साइबर क्राइम सेल | http://megpolice.gov.in/ | एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस का कार्यालय, क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (सीआईडी), मेघालय, शिलांग- 793001 | 0364-2504001, 0364-2504001 | phq-meg@nic.in |
मिजोरम साइबर क्राइम सेल | https://cidcrime.mizoram.gov.in | क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट, क्राइम सीआईडी कॉम्प्लेक्स, आइजोल 796001, मिजोरम | 0389-2334082 | cidcrime-mz@nic.in |
नागालैंड पुलिस हेडक्वार्टर | http://nagapol.gov.in/ | नागालैंड पुलिस हेडक्वार्टर, पीआर हिल, कोहिमा- 797001 | (0370) 2243711/ 2243713 | scrb-ngl@nic.in/scrbpnaga@yahoo.com |
नई दिल्ली साइबर क्राइम सेल | http://www.cybercelldelhi.in/ | कमरा नंबर 206, पीएस मंदिर मार्ग, नई दिल्ली- 110001 | 011-23746694 | dcp-newdelhi-dl@nic.in |
ओडिशा साइबर क्राइम सेल | http://odishapolicecidcb.gov.in | साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट, क्राइम ब्रांच, ओडिशा | 0671-2305485. 91-6712304834 | Cyberps.cidcb.orpol@nic.in |
पंजाब साइबर क्राइम सेल | http://punjabpolice.gov.in, http://www.sasnagarpolice.in | साइबर क्राइम इन्वेस्टीगेशन सेल, फेज-4, एस.ए.एस नगर, मोहाली | 0712-2220042 | — |
राजस्थान (जयपुर) साइबर क्राइम सेल | https://cybercellraj.com/ | पता: आरपीए रोड, पानी पेच, नेहरू नगर, जयपुर, राजस्थान 302032 | 1412744435, 1412744738, 0141 2309547 | dgp-rj@nic.in |
सिक्किम पुलिस हेडक्वार्टर | http://sikkimpolice.nic.in | पुलिस हेडक्वार्टर, एनएच 10, गंगटोक- 737101, सिक्किम | 03592-203478 | igpcom@sikkimpolice.nic.in |
तमिलनाडु (चेन्नई) साइबर क्राइम सेल | http://www.tnpolice.gov.in | पुलिस कमिश्नर, ग्रेटर चेन्नई पुलिस, संख्या 132, कमिश्नर कार्यालय भवन, ईवीके संपत रोड, वेपेरी, चेन्नई- 600007 | 044-23452348, 044-23452350, 044-28512527 | Cybercrimechn@yahoo.com, spcybercbcid.tnpol@nic.in, cbcyber@tn.nic.in |
तेलंगाना (हैदराबाद) साइबर क्राइम सेल | https://www.hyderabadpolice.gov.in/Cybercrimes.html | अपोजिट: तेलंगाना टूरिज्म कार्यालय, सेंट्रल क्राइम स्टेशन (सीसीएस), हैदराबाद | 040-27854031, 040-2785 2412, 9490617100 | sho_cybercrimes@cyb.tspolice.gov.in, Cybercell_hyd@hyd.appolice.gov.in |
त्रिपुरा साइबर क्राइम सेल | http://www.tripurapolice.gov.in | एसपी सीआईडी, ए.डी. नगर, अगरतला, त्रिपुरा पश्चिम- 7899003 | 0381-2376963, 2376979 | Spcid-tri@nic.in |
उत्तर प्रदेश साइबर क्राइम सेल | https://uppolice.gov.in | 110ए, बी ब्लॉक, सेक्टर 6, नोएडा, उत्तर प्रदेश 201301 | 0120 428 7879 | digcomplaint-up@nic.in, dgpcontrol-up@nic.in |
उत्तराखंड साइबर क्राइम सेल | https://uttarakhandpolice.uk.gov.in | साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, फायर स्टेशन के पास, गांधी रोड, देहरादून- 248001 | 0135-2655900, 9456591502 | ccps.deh@uttarakhandpolice.uk.gov.in |
पश्चिम बंगाल (कोलकाता) साइबर क्राइम सेल | https://cidwestbengal.gov.in | भबानी भवन, 31 बेल्वेडियर रोड, अलीपुर, कोलकाता -700027 | 033-24506100, 24506174 | occomp.cid-wb@gov.in, Cyberps@kolkatapolice.gov.in |
जांच शुरू करने के निर्देश के लिए मजिस्ट्रेट को शिकायत (जहां पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं करती है) का सैंपल
[न्यायाधीश], [पदनाम (डिजिग्नेशन)] की कोर्ट में,
[कोर्ट], दिल्ली
अपराधिक शिकायत संख्या………/ 2015
के मामले में:
[शिकायत करने वाले का नाम] ……..शिकायतकर्ता (कंप्लेनेंट)
[पता]
बनाम
अज्ञात (अननोन)………………………. आरोपी
[टिप्पणी (कॉमेंट): चूंकि आरोपी का विवरण ज्ञात नहीं है]
दिनांक: 05.08.2019
इंफॉर्मेशन टेक्नोलोजी एक्ट, 2000 की धारा 66C, के साथ सीआरपीसी की धारा 200, धारा 156(3) के तहत शिकायत।
आदरपूर्वक बताया गया है कि:
- मैं, शिकायतकर्ता हूँ। मैं एक निजी कंपनी [नाम] में काम कर रहा हूं और [पते] पर रहता हूं। [टिप्पणी: आमतौर पर, आपको आवासीय (रेसिडेंशियल) पता देना होगा]।
- 30 जून, 2019 के दिन शिकायतकर्ता अपने बैंक से अपना मासिक बैंक स्टेटमेंट प्राप्त करके, पढ़कर हैरान रह गया।
- चूंकि किसी ने शिकायतकर्ता की पहचान का उपयोग निम्न प्रकार के कपटपूर्ण (फ्रॉडुलेंटली) तरीके से किया है:
क्रेडिट कार्ड
पहचान की चोरी की घटना का विवरण निम्नलिखित है: पिछले महीने शिकायतकर्ता एक्सिस बैंक क्रेडिट कार्ड पर दो आरोप लगाए गए थे जिन्हें शिकायतकर्ता ने कभी अधिकृत (ऑथराइज) नहीं किया था। एक शुल्क 23 जून 2019 को सेलेक्ट सिटीवॉक में एच एंड एम में खरीदे गए कपड़ों के लिए था और दूसरा शुल्क 27 जून 2019 को डीएलएफ प्लेस साकेत मॉल थिएटर में खरीदे गए दो मूवी टिकटों के लिए था। चोर ने शिकायतकर्ता क्रेडिट कार्ड खाते में कुल 6,000 रुपये का शुल्क लिया।
पहचान की चोरी के परिणामस्वरूप शिकायतकर्ता ने निम्न समस्याओं का भी अनुभव किया:
पहचान की चोरी और मानसिक आघात (ट्रॉमा) का सामना करने के कारण उसने दैनिक 5 घंटे का समय गंवा दिया था। शिकायतकर्ता को यह नहीं पता था कि पहचान के चोर ने इंटरनेट का इस्तेमाल खाते खोलने या सामान या सेवाओं को खरीदने के लिए किया था।
इसलिए शिकायतकर्ता ने 03.07.2019 को पुलिस को लिखित में सूचना प्रस्तुत की और मांग की कि कॉल करने वाले के खिलाफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलोजी एक्ट, 2000 की धारा 66C के साथ-साथ अन्य क्राइम्स के तहत एफआईआर दर्ज की जाए। हालांकि, पुलिस ने सूचना को स्वीकार कर लिया लेकिन उन्होंने कहा कि वे इस तरह के मामले में कार्रवाई नहीं कर पाएंगे। साकेत पुलिस स्टेशन दिनांक 03.07.2019 को प्राप्त होने वाली सुचना के साथ-साथ एनेक्सर A के साथ लिखित सूचना की एक कॉपी है।
इसके बाद शिकायतकर्ता को जांच में उठाए गए कदमों की जानकारी नहीं दी गई और न ही इस संबंध में पुलिस द्वारा संपर्क किया गया।
[टिप्पणी: इस मामले में धारा 156(3) लागू की गई है, क्योंकि शिकायतकर्ता ने मामले की जांच के लिए मजिस्ट्रेट से मांग की है। अन्य निजी शिकायतों में जो मूल रूप से मजिस्ट्रेट के सामने आती हैं, केवल धारा 200 को लागू करने की आवश्यकता होती है]
प्रार्थना
- पुलिस को शिकायत दर्ज करने और वर्तमान मामले में जांच करने का निर्देश दें।
- शिकायतकर्ता को उपाय (रेमेडी) प्रदान करें।
- कोई अन्य आदेश पास करें जिसे यह माननीय कोर्ट मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में ठीक समझे।
साइबर क्राइम शिकायत पत्र फॉर्मेट
साइबर क्राइम के लिए शिकायत दर्ज करने के लिए कोई अलग फॉर्मेट नहीं है। क्राइम के बारे में सभी विवरणों को निर्दिष्ट करते हुए एक सामान्य पत्र लिखना होता है और इसे निकटतम पुलिस स्टेशन में दर्ज करना होता है। क्राइम को साबित करने के लिए आवश्यक दस्तावेजों को पत्र के साथ एनेक्स करना होता है। एनेक्स करने के लिए आवश्यक दस्तावेजों की लिस्ट साइबर क्राइम के प्रकार पर निर्भर करती है। यह सोशल मीडिया क्राइम हो सकता है, या मोबाइल एप्लिकेशन क्राइम, साइबर बुलिंग आदि हो सकता है, इसलिए इस लेख में क्राइम के प्रकार के अनुसार इनकी लिस्ट का उल्लेख किया गया है। साइबर क्राइम शिकायत के सामान्य फॉर्मेट को नीचे भी प्रदान किया गया है।
साइबर क्राइम शिकायत का सामान्य प्रारूप
प्रति,
डीसीपी/एसपी
जगह: कमरा नंबर- 107, पहली मंजिल,
पीएस साकेत, नई दिल्ली- 110017
दिनांक:
विषय: इंफॉर्मेशन टेक्नोलोजी एक्ट, 2000 की धारा 66C के तहत शिकायत
महोदय,
(मामले के तथ्य और परिस्थितियां)
सादर
मिस्टर X
मोबाइल नंबर: 84********
साइबर स्टाकिंग की शिकायत कैसे दर्ज करें?
- शहर के तत्काल साइबर सेल में एक लिखित शिकायत दर्ज करें।
- यदि शहर में साइबर सेल उपलब्ध नहीं हैं तो स्थानीय पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करा सकते हैं।
- शिकायत को शहर के कमिश्नर या न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास भेजें, जहां शिकायत पुलिस थाने द्वारा स्वीकार नहीं की गई है।
- यदि कोई महिला मुकदमा दर्ज करने में मदद करने के लिए कानूनी सलाह लेने की हकदार है, जिसमें वह साइबर-स्टॉकिंग के आरोप के साथ पुलिस स्टेशन पहुंचती है। यह उसे दी जाने वाली कानूनी सहायता का रूप है।
- पीड़िता के बयान को निजी तौर पर नीचे ले जाना, यानी उसकी गोपनीयता (प्राइवेसी) बनाए रखना।
साइबर बुलिंग के लिए शिकायत कैसे दर्ज करें?
मिनिस्ट्री ऑफ़ वूमेन एंड चाइल्ड ने गुरुवार को सोशल मीडिया पर अपमानजनक व्यवहार, हैरेसमेंट और घृणित (हेटफुल) सामग्री के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए एक अलग हेल्पलाइन शुरू की गई है। इंफॉर्मेशन टेक्नोलोजी एक्ट, 2000 और इंडियन पीनल कोड के कुछ प्रावधान साइबर धमकी की रोकथाम से संबंधित हैं। लिखित शिकायत दर्ज करके या तो ऑनलाइन या निकटतम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की जा सकती है।
साइबर स्टॉकिंग की शिकायत कैसे दर्ज करे?
इस प्रकार के साइबर क्राइम के लिए शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया अन्य साइबर क्राइम की तरह ही है। अंतर केवल पत्र में किए गए क्राइम के विवरण और इस क्राइम के अनुसार एनेक्स दस्तावेजों में है।
साइबर डिफेमेशन की शिकायत कैसे दर्ज करें?
इस प्रकार के साइबर क्राइम के लिए शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया अन्य साइबर क्राइम की तरह ही है। अंतर केवल पत्र में किए गए क्राइम के विवरण और इस क्राइम के अनुसार एनेक्स दस्तावेजों में है।
फेसबुक के लिए साइबर क्राइम शिकायत
फेसबुक पर किया गया कोई भी क्राइम, जो एक सोशल नेटवर्किंग साइट है, साइबर सेल इंडिया पर ऑनलाइन किया जा सकता है। इसे एक पत्र में लिखकर निकटतम पुलिस स्टेशन में ऑफलाइन मोड के माध्यम से भी दायर किया जा सकता है और सोशल मीडिया क्राइम होने पर दिए जाने वाले सभी दस्तावेजों को एनेक्स किया जाता है। एक लिंक अटैच है जहां साइबर क्राइम की ऑनलाइन रिपोर्ट की जा सकती है और यह इस प्रकार है-
व्हाट्सएप के लिए साइबर क्राइम की शिकायत
व्हाट्सएप पर किया गया कोई भी क्राइम, जो एक सोशल नेटवर्किंग साइट है, साइबर सेल इंडिया पर ऑनलाइन किया जा सकता है। इसे एक पत्र में लिखकर निकटतम पुलिस स्टेशन में ऑफलाइन मोड के माध्यम से भी दायर किया जा सकता है और सोशल मीडिया क्राइम होने पर दिए जाने वाले सभी दस्तावेजों को एनेक्स किया जाता है। एक लिंक अटैच है जहां साइबर क्राइम की ऑनलाइन रिपोर्ट की जा सकती है और यह इस प्रकार है-
साइबर डिफेमिंग और सोशल मीडिया शिकायत फॉर्मेट
प्रति,
डीसीपी/एसपी
स्थान: कमरा नंबर- 107, पहली मंजिल,
पीएस साकेत, नई दिल्ली- 110017
दिनांक- 05.03.2019
विषय: आईटी एक्ट की धारा 66A के तहत शिकायत।
महोदय,
मैं अपना परिचय श्री Y के पुत्र, श्रीमान X के रूप में देता हूं, जो कि ABC कॉलोनी साकेत निवासी है और 24 वर्ष का है और वर्तमान में लिंग्या अकादमी स्कूल के पास आईप्लीडर में कार्य करता है।
मैं, अपना परिचय श्री Y के बेटे श्रीमान X के रूप में देता हूं जो की ABC कॉलोनी साकेत निवासी है और मैं 21 वर्ष की उम्र का हूं और वर्तमान में लिंग्या अकादमी स्कूल साकेत में पढ़ रहा हूं। मैं आपको श्री B जो N ब्लॉक ओखला विहार के निवासी है, के पुत्र A अबुल फजल नामक आरोपी व्यक्ति द्वारा सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणी के आपराधिक कार्य की रिपोर्ट करने के लिए बाध्य हूं, जिसने मेरे खिलाफ सोशल मीडिया पर शत्रुतापूर्ण (होस्टाइल) टिप्पणी पोस्ट की है जो कि बहुत ही भयानक, शत्रुतापूर्ण और खतरनाक चरित्र की है। उक्त व्यक्ति निश्चित रूप से जानता है कि ऐसी जानकारी झूठी है और इसे जलन, परेशानी, संकट, बाधा, अपमान, क्षति, आपराधिक आतंक (टेररिज्म), दुर्भावना, तिरस्कार (स्कॉर्न) और शत्रुता पैदा करने के लिए पोस्ट किया गया है। वह इस तरह के संदेश भेजने के लिए कंप्यूटर संसाधन और अन्य गैजेट्स (मोबाइल) का उपयोग करके लगातार ऐसी हरकतें कर रहा है।
उक्त व्यक्ति ने उक्त शत्रुतापूर्ण और झूठी सामग्री को वेब पर प्रवाहित (फ्लोड) कर दिया है जो (वेब पोर्टल या मंच का विवरण प्रदान करें जहां संदेश पोस्ट किया गया है) पर दिखाई दे रहा है। शत्रुतापूर्ण सामग्री न केवल झूठी है बल्कि मूर्खतापूर्ण, डिफेमेट्री, अब्यूज़िव और अपमानजनक है और मेरे चरित्र को डिफेम करने और बदनाम करने के लिए मेरा अपमान और आलोचना (क्रिटिक्स) करने और शर्मिंदगी पैदा करने के इरादे से किया गया है। यह सोशल मीडिया पर डिफेमेट्री टिप्पणी का कारण बनता है और कई लोगों ने पहले ही मुझसे उसी के बारे में पूछा है कि यह सच है। यह मेरे चरित्र और प्रतिष्ठा को कलंकित करने और नुकसान पहुंचाने के इरादे से किया गया है। उपरोक्त व्यक्ति सोशल मीडिया और अन्य क्राइम्स पर आपत्तिजनक टिप्पणी के अभियोजन (प्रॉसिक्यूशन) के लिए उत्तरदायी है।
मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि उक्त क्राइम्स की, व्यक्ति के विरुद्ध शीघ्रता से जांच करें और उसके विरुद्ध कार्रवाई करें।
उक्त आपत्तिजनक संदेश और सामग्री के प्रिंटआउट के साथ एक स्नैपशॉट की कॉपी आपके अवलोकन (पर्शुअल) और कार्रवाई के लिए इसके साथ अटैच की जा रही है।
आपके प्रयासों के लिए अग्रिम (एडवांस) धन्यवाद।
सादर,
मिस्टर X
मोबाइल नंबर +91 84********।
पहचान की चोरी के लिए साइबर क्राइम शिकायत
इस प्रकार के साइबर क्राइम के लिए शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया अन्य साइबर क्राइम्स की तरह ही है। अंतर केवल पत्र में किए गए क्राइम के विवरण और इस क्राइम के अनुसार एनेक्स दस्तावेजों में है।
पहचान की चोरी शिकायत फॉर्मेट
प्रति,
डीसीपी/एसपी
स्थान: कमरा नंबर- 107, पहली मंजिल,
पीएस साकेत, नई दिल्ली- 110017
दिनांक: 3 जुलाई 2019
विषय: इंफॉर्मेशन टेक्नोलोजी एक्ट, 2000 की धारा 66C के तहत शिकायत।
महोदय,
मैं अपना परिचय श्री Y के पुत्र, श्रीमान X के रूप में देता हूं, जो कि ABC कॉलोनी साकेत निवासी है और 24 वर्ष का है और वर्तमान में लिंग्या अकादमी स्कूल के पास आईप्लीडर में कार्य करता है।
महोदय, किसी ने मेरी पहचान का उपयोग निम्नलिखित प्रकार के कपटपूर्ण तरीके से किया है:
क्रेडिट कार्ड
पहचान की चोरी की घटना का विवरण निम्नलिखित है: पिछले दो सप्ताहों के भीतर मेरे एक्सिस बैंक क्रेडिट कार्ड से दो शुल्क लगाए गए जिन्हें मैंने कभी अधिकृत नहीं किया। एक शुल्क 23 जून 2019 को सेलेक्ट सिटीवॉक में एच.एंड.एम. में खरीदे गए कपड़ों के लिए था और दूसरा शुल्क 27 जून 2019 को डीएलएफ प्लेस साकेत मॉल थिएटर में खरीदे गए दो मूवी टिकटों के लिए था। चोर ने मेरे क्रेडिट कार्ड खाते में कुल मिलाकर 6,000 रुपये लिए है। .
मुझे इस चोरी के बारे में तब पता चला जब मैंने 30 जून, 2019 को अपना मासिक स्टेटमेंट प्राप्त किया और पढ़ा।
मैंने पहचान की चोरी के परिणामस्वरूप निम्नलिखित समस्याओं का भी अनुभव किया है:
मैंने अपना 5 घंटे का समय पहचान की चोरी के कारण खो दिया है और मानसिक आघात का सामना किया है। मुझे नहीं पता कि पहचान के चोर ने खाता खोलने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल किया या सामान या सेवाओं को खरीदा है।
मेरा आपसे अनुरोध है कि चोर के विरुद्ध उपरोक्त क्राइम्स की शीघ्र जाँच कर उसके विरुद्ध कार्यवाही करने की कृपा करें।
आपके अवलोकन और कार्रवाई के लिए आवश्यक दस्तावेजों की कॉपीज शिकायत के साथ अटैच की गई हैं।
आपके प्रयासों के लिए अग्रिम धन्यवाद।
सादर,
मिस्टर X
मोबाइल नंबर +91 84********
यदि साइबर सेल आपकी शिकायत को स्वीकार करने से इंकार कर दे तो क्या करें?
यदि साइबर सेल आपकी साइबर शिकायत दर्ज करने या स्वीकार करने से इनकार करता है, तो आप कोई भी निकटतम न्यायिक मजिस्ट्रेट से संपर्क कर सकते है, यह बताते हुए कि शिकायत को किसी भी परिस्थिति में स्वीकार नहीं किया गया है।
क्षेत्राधिकार (ज्यूरिसडिक्शन)
इंफॉर्मेशन टेक्नोलोजी एक्ट, 2000 कंप्यूटर और इंटरनेट से संबंधित क्राइम्स से निपट रहा है और इस एक्ट के अनुसार पूरे देश में साइबर क्राइम किए जाते हैं। साइबर क्राइम इन्वेस्टीगेशन सेल के पास इंफॉर्मेशन टेक्नोलोजी एक्ट, 2000 की धारा 1 और धारा 75 के अनुसार पूरे देश में क्षेत्राधिकार है, जो साइबर क्षेत्राधिकार से संबंधित मार्गदर्शक (गाइडिंग) सिद्धांतों से संबंधित है और क्षेत्राधिकार के साथ ऐसे सभी अपराधों की जांच करने की शक्ति है, पुलिस अधिकारी जो पुलिस डेप्युटी सुपरिटेंडेंट के पद से नीचे का न हो, इस एक्ट के तहत किसी भी अपराध की जांच कर सकता है।
सेंट्रल सरकार मामले को एडज्यूडिकेट और जांच करने के लिए भारत सरकार के डायरेक्ट या किसी स्टेट सरकार के समकक्ष (इक्विवेलेंट) अधिकारी के पद से नीचे के अधिकारी की नियुक्ति करेगी।
जिनके जिलों में साइबर सेल नहीं है, वे भारत के साइबर सेल पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
भारत में साइबर पुलिसिंग
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क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (सीसीटीएनएस)
सीसीटीएनएस राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के तहत एक परियोजना (प्रोजेक्ट) है। यह एक आईटी-सक्षम क्रिमिनल ट्रैकिंग और क्राइम डिटेक्शन सिस्टम के लिए एक नेशनलवाइड नेटवर्किंग इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने का निर्देश देता है। इस परियोजना को 2009 में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा 2 अरब रुपये के आवंटन (एलोकेशन) के साथ अनुमोदित (अप्रूव) किया गया था।
ऑनलाइन शिकायतें
साइबर क्राइम से निपटने के लिए सेंट्रल सरकार ने हाल ही में घोषणा की कि वे एक ‘सेंटर सिटीजन पोर्टल’ स्थापित करेंगे। इस पोर्टल का लाभ यह है कि यह नागरिकों को ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी, साइबर स्टॉकिंग और कई अन्य साइबर क्राइम्स के संबंध में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की अनुमति देगा। इस पोर्टल की एक अन्य विशेषता यह है कि पोर्टल पर कोई भी शिकायत संबंधित पुलिस स्टेशन में अलर्ट ट्रिगर करेगी और पुलिस डिपार्टमेंट को इसकी स्थिति को ट्रैक और अपडेट करने की अनुमति देगी। यह शिकायतकर्ता को अपडेट देखने और शिकायत को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाने की भी अनुमति देता है।
अधिक जानने के लिए आप यहां जा सकते हैं।
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साइबर पुलिस स्टेशन
साइबर पुलिस स्टेशनों में आमतौर पर प्रशिक्षित (ट्रेन्ड) कर्मियों के साथ-साथ डिजिटल क्राइम्स का विश्लेषण और ट्रैक करने के लिए उपयुक्त उपकरण शामिल होते हैं। यदि कोई व्यक्ति साइबर क्राइम का शिकार हो जाता है तो वह साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करा सकता है और जहां शहर में कोई साइबर पुलिस स्टेशन उपलब्ध नहीं है तो ऐसे मामले में शिकायतकर्ता स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करा सकता है.
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प्रेडिक्टिव पुलिसिंग
यह संभावित (पोटेंशियल) आपराधिक गतिविधि की पहचान करने के लिए कानून प्रवर्तन में मैथमेटिकल, प्रेडिक्टिव विश्लेषण, डेटा माइनिंग और अन्य विश्लेषणात्मक तकनीकों के उपयोग को संदर्भित करता है। भारत में, झारखंड पुलिस, दिल्ली पुलिस और हैदराबाद शहर की पुलिस प्रेडिक्टिव पुलिसिंग पर काम कर रही है ताकि क्राइम के स्कैम का अध्ययन करने और क्राइम को रोकने के लिए ऑनलाइन रिकॉर्ड को स्कैन किया जा सके।
साइबर क्राइम के प्रकार
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हैकिंग
एक्सेस मूल रूप से किसी स्थान या रास्ते आदि तक पहुंचने या प्रवेश करने का एक साधन या अवसर है। इसमें कंप्यूटर डिवाइस के संसाधनों जैसे लॉजिकल संसाधन, आरिथमेटिकल संसाधन, मेमोरी फ़ंक्शन संसाधन इत्यादि के साथ निर्देश देना या संचार करना शामिल है। एक व्यक्ति अनधिकृत उपयोग करता है या दूसरे व्यक्ति के कंप्यूटिंग डिवाइस तक एक्सेस प्राप्त करता है और वह डिवाइस के वास्तविक मालिक की अनुमति के बिना ऐसा करता है।
दूसरी ओर, हैकिंग दूसरे व्यक्ति के नेटवर्क या कंप्यूटर में ब्रेक लगाने का कार्य है। इसमें व्यक्तिगत मौद्रिक लाभ के लिए क्रेडिट या डेबिट कार्ड की जानकारी या अन्य बैंक विवरण चोरी करना भी शामिल है।
हैकिंग का वास्तविक जीवन उदाहरण
सेंट पेटरबर्ग में एक कंप्यूटर सॉफ्टवेयर फर्म के साथ एक रूसी प्रोग्रामर व्लादिमीर लेविन 1995 में सिटीबैंक नेटवर्क में एक्सेस प्राप्त करने और लाखों डॉलर चुराने में कामयाब रहे।
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ट्रोजन अटैक
ट्रोजन या ट्रोजन हॉर्स को आम तौर पर एक वैध सॉफ्टवेयर के रूप में प्रच्छन्न (डिसगाइज) किया जाता है जो साइबर चोरी करने वाले व्यक्ति द्वारा या हैकर्स द्वारा और साथ ही अन्य उपयोगकर्ताओं के सिस्टम की जानकारी प्राप्त करने और निकालने के लिए नियोजित किया जाता है। यह साइबर आरोपी को वैध उपयोगकर्ता की संवेदनशील जानकारी तक एक्सेस, उन पर जासूसी करने और उनके सिस्टम तक एक्सेस में सक्षम बनाता है। इसमें विभिन्न कंप्यूटर सिस्टम के प्रदर्शन को बाधित करने के साथ-साथ डेटा को हटाना, मोडिफाई करना, ब्लॉक करना और कॉपी करना भी शामिल है। कार्रवाई के आधार पर ट्रोजन एक वैध मालिक पर विभिन्न तरीकों से हमला कर सकते हैं, इस प्रकार, इसे निम्नानुसार वर्गीकृत किया जाता है-
- बैकडोर – यह रिमोट कंट्रोल की तरह काम करता है और हैकर को संक्रमित नेटवर्क या कंप्यूटर पर नियंत्रण रखने के लिए अधिकृत करता है। इसमें फ़ाइलें भेजना या हटाना और कंप्यूटर को रीबूट करना भी शामिल हो सकता है।
- ट्रोजन-बैंकर- इसका उपयोग वैध मालिक के बैंक या खाते के विवरण को चुराने के लिए किया जाता है, जिसमें क्रेडिट और डेबिट कार्ड का विवरण भी शामिल होता है।
- ट्रोजन डाउनलोडर- यह किसी विशेष कंप्यूटर में दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयर के नए वर्जन को स्थापित करने और डाउनलोड करने में मदद करता है।
- ट्रोजन स्पाई- यह डेटा को ट्रैक करने या एप्लिकेशन की लिस्ट आदि प्राप्त करने में मदद करता है।
ट्रोजन का उदाहरण
ज़बॉट नाम के एक ट्रोजन ने डाउनलोड द्वारा ड्राइव के माध्यम से यूनाइटेड किंगडम में 37,000 से अधिक कंप्यूटरों को संक्रमित किया है। एक समझौता साइट पर जाने वाले उपयोगकर्ता अनजाने में एक कुकी के रूप में वायरस प्राप्त करेंगे और फिर यह उपयोगकर्ताओं के सभी डेटा को चुरा लेता है।
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वायरस और वर्म अटैक
वायरस वह प्रोग्राम है जो अन्य प्रोग्रामों को संक्रमित करने की क्षमता रखता है। इसमें स्वयं की कॉपीज बनाने और इसे अन्य कार्यक्रमों में फैलाने की क्षमता भी है। वर्म्स ऐसे प्रोग्राम होते हैं जो वायरस की तरह गुणा करने में मदद करते हैं और इसे एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में फैलाते हैं।
वायरस और वर्म अटैक का उदाहरण
मेलिसा नाम के वायरस को अब तक का सबसे हानिकारक वायरस माना जाता है। यह अब तक का सबसे तेजी से फैलने वाला ई-मेल-आधारित कीड़ा था। मेलिसा ने एक ई-मेल में दावा करके लोगों को लुभाया कि इसमें अश्लील साइटों के पासवर्ड की सूची है और जब संदेश खुला तो इसने कंप्यूटर सिस्टम पर कहर ढा दिया।
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पहचान की चोरी
पहचान की चोरी साइबर क्राइम के सबसे आम और प्रमुख रूपों में से एक है जिसमें क्राइम करने वाला व्यक्ति इंटरनेट के उपयोग से दूसरे व्यक्ति की जानकारी चुराता है। साइबर क्राइम के दायरे में आपराधिक गतिविधियों की व्यापक गुंजाइश है।
इंटरनेट एक जगह से हटे बिना चीजों को आसानी से एसेसिबल बनाने का एक बड़े स्रोत के रूप में काम करता है। हालांकि एक समय में इंटरनेट आज के वैज्ञानिक रूप से अपडेटेड समुदाय में एक वरदान साबित हो रहा है, लेकिन दूसरी ओर, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग साइबर क्राइम करके और तकनीक का दुरुपयोग करके गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त हो रहे हैं।
पहचान की चोरी का उदाहरण
अब्राहम अब्दुल्ला ने कई क्रेडिट स्कोर कंपनियों को जानकारी प्रदान करने के लिए धोखा दिया, और फिर उनकी पहचान का उपयोग करके अमेरिका के सबसे अमीर लोगों से लाखों डॉलर की चोरी की, जिसमें वॉरेन बफे और स्टीवन शामिल थे।
ई-मेल से संबंधित क्राइम
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ई-मेल स्पूफिंग
यह एक धोखाधड़ी का कार्य है जो एक ई-मेल को किसी विशेष व्यक्ति से और एक विशेष स्थान से उत्पन्न होने के लिए प्रकट करता है जो वास्तव में मूल स्रोत नहीं है। इस प्रकार, संदेश एक स्रोत से प्रतीत होता है जो वास्तव में मूल स्रोत नहीं है। एक काम कर रहे सिंपल मेल ट्रांसफर प्रोटोकॉल की मदद से, एक ई-मेल स्पूफिंग आसानी से हासिल की जा सकती है। ई-मेल नकली है या नहीं, यह जांचने के लिए प्राप्तकर्ता ई-मेल स्रोत कोड को इंस्पेक्ट कर सकता है। साथ ही, प्राप्तकर्ता ई-मेल के आईपी एड्रेस को ट्रैक कर सकता है और इसे भेजने वाले को ढूंढ सकता है।
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ई-मेल स्पैमिंग
स्पैमिंग एक चेन लेटर के समान बड़ी संख्या में लोगों को ई-मेल भेजने और नेटवर्क संसाधनों का उपयोग करने का एक जानबूझकर किया गया कार्य है। इसे ई-मेल स्पूफिंग के साथ जोड़ा जा सकता है।
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ई-मेल बूमिंग
इसमें समान ई-मेल संदेशों को बार-बार दुर्व्यवहार करने वालों द्वारा एक विशेष आईपी एड्रेस पर भेजा जाता है।
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फ़िशिंग
यह एक प्रकार का साइबर क्राइम है जिसमें हैकर उपयोगकर्ताओं को ऐसे यूआरएल और ई-मेल अटैचमेंट भेजता है जो दुर्भावनापूर्ण प्रकृति के होते हैं। फ़िशिंग में हैकर का उद्देश्य वैध उपयोगकर्ताओं के सिस्टम तक एक्सेस प्राप्त करना है। उपयोगकर्ता हैकर्स द्वारा निभाई गई चाल में फंस जाते हैं जो ई-मेल भेजते हैं जो उपयोगकर्ता को अपना पासवर्ड बदलने या अपने खाते की जानकारी को अपडेट करने की आवश्यकता का दावा करते हैं जो आसानी से उनके सिस्टम के आरोपियों तक एक्सेस प्रदान करता है।
इसका उद्देश्य व्यक्तिगत जानकारी जैसे पासवर्ड, क्रेडिट और डेबिट कार्ड नंबर आदि निकालना है। आरोपियों का उद्देश्य इस तरह के हमले के माध्यम से सिस्टम, नेटवर्क या डिवाइस आदि के वास्तविक मालिक के लॉगिन क्रेडेंशियल तक एक्सेस प्राप्त करना है। इस तरह के संदिग्ध ई-मेल अटैचमेंट से सावधान रहकर उपयोगकर्ता खुद को फ़िशिंग हमले से बचा सकता है और साथ ही साथ अपनी व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा भी कर सकता है।
स्कैमर्स इस स्कैम में किसी व्यक्ति विशेष के खाते पर अनधिकृत या संदिग्ध गतिविधि होने की नकली जानकारी का दावा करके किसी व्यक्ति को फंसाने का प्रयास करते हैं।
साइबर क्राइम पर एचडीएफसी बैंक के दिशानिर्देश
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फ़िशिंग स्कैम्स से कैसे बचें?
एचडीएफसी बैंक द्वारा फ़िशिंग स्कैम्स से बचने के लिए दिशानिर्देशों का पालन किया जाता है-
धोखाधड़ी के संकेतों की पहचान करें
फ़िशिंग वेबसाइटों और ई-मेल के बारे में जानने के लिए, आपको उस विषय वस्तु पर ध्यान से देखने की ज़रूरत है जो वेबसाइटों या ई-मेल द्वारा फ़िशिंग वेबसाइटों में वितरित की जाती है और ई-मेल अक्सर व्याकरण संबंधी एरर्स और नकली ब्रांडिंग से भरा होगा।
किसी वेबसाइट के साथ इंटरैक्ट करने से पहले उसका निरीक्षण करें, यूआरएल या वेबसाइट के एड्रेस को बारीकी से देखें। जैसा कि आप कभी भी बैंक के नाम में गलत वर्तनी (मिसस्पेल) नहीं देखेंते है और एक वास्तविक बैंक वेबसाइट का पता हमेशा ‘एचटीटीपीएस’ के साथ होता है। यह एक संकेत है कि आपके ब्राउज़र और बैंक की वेबसाइट के बीच सभी संचार एन्क्रिप्टेड हैं।
सावधानी से क्लिक करें
फ़िशिंग वेबसाइटों या ई-मेल की पहचान करने का एक अन्य तरीका यह है कि ज्यादातर फ़िशिंग साइटें उच्च उपयोगकर्ता ट्रैफ़िक वाली वेबसाइटों पर आकर्षक और आकर्षक लिंक पोस्ट करके इंटरनेट पर अपनी पहुंच फैलाती हैं। उनके साथ बातचीत करने से पहले लिंक का निरीक्षण करने की सलाह दी जाती है क्योंकि उन पर क्लिक करने से आपकी सुरक्षा गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है। यदि आपको कुछ भी संदिग्ध लगता है तो बैंक के आधिकारिक वेबसाइट पते या यूआरएल की पहचान करने के लिए एक त्वरित वेब को खोजा करें।
एक्सरसाइज कॉशन
फ़िशिंग से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि ऑनलाइन बैंकिंग करते समय केवल विश्वसनीय और वास्तविक सॉफ़्टवेयर और सेवाओं का उपयोग करके अधिक से अधिक सतर्क रहें। केवल आधिकारिक लिंक और स्रोतों के माध्यम से वेबसाइटों तक एक्सेस, और उचित सुरक्षा प्रक्रियाओं का पालन करें।
साथ ही, एसएसएल प्रमाणपत्र के लिए अपने यूआरएल का इनस्पेक्ट करके जांच करें कि वेबसाइट सुरक्षित है या नहीं और यह भी सलाह दी जाती है कि दो डिवाइस हों – एक काम के लिए और एक व्यक्तिगत उपयोग के लिए- ताकि वर्क डिवाइस की सुरक्षा से कभी समझौता न हो।
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फ़िशिंग हमले से कैसे उबरें?
एचडीएफसी बैंक द्वारा फ़िशिंग हमले से उबरने के लिए दिशानिर्देशों का पालन किया जाता है-
अपने सभी पासवर्ड बदलें
फ़िशिंग से होने वाले नुकसान को कम से कम रखने के लिए आपको जो पहला कदम उठाना चाहिए, वह है अपना लॉगिन क्रेडेंशियल और पासवर्ड बदलना। चूंकि स्कैमर के पास आपके सभी खातों तक एक्सेस है, इसलिए सलाह दी जाती है कि जितनी जल्दी हो सके अपने क्रेडेंशियल और पासवर्ड बदलें और उन्हें सिस्टम से बाहर रखें और आगे की क्षति को रोकें।
अधिकारियों से संपर्क करें
अगला महत्वपूर्ण कदम यह होगा कि आप अपने बैंक को कॉल करें और उन्हें स्थिति के बारे में बताएं। जैसा कि उन्हें सूचित करके वे आपके खाते को फ्रीज कर देंगे ताकि आगे कोई लेनदेन नहीं किया जा सके। अपने बैंक अधिकारियों को सूचित करने के बाद साइबर क्राइम डिवीजन को सूचित करना भी उचित है क्योंकि ज्यादातर स्टेट्स में साइबर क्राइम डिवीजन है।
अपने सिस्टम को स्कैन करें
फ़िशिंग हमले से उबरने के लिए तीसरा महत्वपूर्ण कदम यह सुनिश्चित करने के लिए अपने सिस्टम को स्कैन करना है कि हमलावर ने भविष्य के हमलों के लिए डिवाइस पर कोई मैलवेयर या बैकडोर सॉफ़्टवेयर स्थापित नहीं किया है।
अज्ञात स्रोतों से ई-मेल हटाएं
ग्राहकों को यह भी सलाह दी जाती है कि वे सप्ताह में एक बार अपने इनबॉक्स में जाएं और अज्ञात स्रोतों से मार्केटिंग मेलर्स और ई-मेल को हटा दें।
यदि आप कभी भी अपने आप को फ़िशिंग स्कैम में पाते हैं, तो घबराएं नहीं क्योंकि आपके बैंक और पुलिस अधिकारियों की मदद से सबसे जटिल हमले को भी हल किया जा सकता है। इन सबसे ऊपर, अपने सभी ऑनलाइन लेनदेन में सावधानी बरतना याद रखें।
अधिक जानने के लिए आप यहां एचडीएफसी की वेबसाइट पर जा सकते हैं।
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ट्रोलिंग
शब्द ही इस बात की ओर इशारा करता है कि यह पूरी दुनिया के सामने दूसरे व्यक्ति को ऑनलाइन डिफेम करने की काम है। इसका मकसद बेगुनाह की छवि खराब करना है। इससे ऑनलाइन संचार बाधित होता है।
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साइबर बुलिंग
जब कोई अज्ञात हमलावर इस प्रकार के फोटो, वीडियो, टेक्स्ट, संदेश पोस्ट करने के लिए मीडिया या इंटरनेट के इलेक्ट्रॉनिक रूप का उपयोग करता है जो प्रकृति में शर्मनाक हो सकता है। यह हैरेसमेंट का एक रूप है जिसमें पीड़ित को पूरी तरह से प्रभावित करने के लिए कुछ कठोर शब्दों का उपयोग शामिल है।
इसका मकसद पीड़िता का सार्वजनिक रूप से अपमान करना है। अपमानजनक अफवाहें, भद्दी (नेस्टी) टिप्पणियां पोस्ट करना, राजनीतिक, धार्मिक और नैतिक विश्वासों या लोगों के विचारों को ट्रिगर करने के लिए अभद्र टिप्पणियां पोस्ट करना साइबर बुलिंग के कुछ प्रकार हैं।
साइबरबुलिंग को रोकने के उपाय
आज की पीढ़ी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए बड़ी है और इससे अच्छी तरह वाकिफ है। इसलिए उन पर नियंत्रण रखना आवश्यक है और माता-पिता का यह कर्तव्य है कि वे अपने बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखें। क्योंकि टीनेजर्स में कम मैच्योरिटी और समझ होती है कि क्या सही है और क्या गलत है, यही कारण है कि वे साइबर बुलिंग के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं और यही कारण है कि माता-पिता के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपने बच्चे जब इंटरनेट का इस्तेमाल करते हो तो उनकी गतिविधियों की निरंतर जांच करें।
यह जांचने के लिए विभिन्न चेतावनी संकेत हैं कि क्या आपके स्थान पर मौजूद व्यक्ति को धमकाया जा रहा है या किसी को धमकाया जा सकता है। ये संकेत इस प्रकार हैं-
- एक एडल्ट या बच्चे द्वारा फोन या लैपटॉप के उपयोग में समय का उतार-चढ़ाव,
- ऑनलाइन स्वस्थ चर्चा से बचने की प्रवृत्ति,
- दूसरों से प्रोफाइल छिपाना,
- सामाजिक गतिविधियों के प्रति उदासीन (इंडिफरेंट) व्यवहार।
- स्ट्रेस्ड या उदास रहने के लक्षण आदि।
सभी चेतावनी संकेतों को देखने के बाद यदि साइबर बुलिंग का सामना करने वाले व्यक्ति की ऐसी स्थिति है तो मामले की सूचना जल्द से जल्द साइबर क्राइम सेल को देना आवश्यक है।
साइबर बुलिंग को रोकने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं-
स्टेप 1: खुद को शिक्षित करें
अगर आप साइबर बुलिंग को रोकना चाहते हैं तो आपके और आपके बच्चों के लिए यह समझना बहुत जरूरी है कि वास्तव में यह क्या है।
स्टेप 2: अपना पासवर्ड सुरक्षित रखें
साइबर बुलिंग को रोकने के लिए नेटिज़न के लिए यह भी बहुत महत्वपूर्ण है कि आप अपने पासवर्ड और सभी निजी जानकारी को जिज्ञासु साथियों से सुरक्षित रखें। कभी भी बुलीज को अपने बारे में कुछ भी शर्मनाक पोस्ट करने का अवसर न दें।
स्टेप 3: जागरूकता बढ़ाएं
साइबर बुलिंग के बारे में जागरूकता लाना सभी माता-पिता और व्यक्तियों की जिम्मेदारी है, चाहे वह किसी आंदोलन के माध्यम से हो, किसी क्लब के माध्यम से हो या किसी अभियान के माध्यम से हो।
चरण 4: निजता नियंत्रण सेट करें
अपने गोपनीयता नियंत्रण बदलें और केवल विश्वसनीय मित्रों तक ही सीमित करें कि कौन आपकी प्रोफ़ाइल देख सकता है।
चरण 5: उन लोगों के संदेश कभी न खोलें जिन्हें आप नहीं जानते
एक पुरानी कहावत है कि ‘सावधानी इलाज से बेहतर है’ इसलिए उन लोगों के संदेशों को कभी न खोलें जिन्हें आप नहीं जानते हैं, उन्हें बिना पढ़े हटा दें क्योंकि उनमें वायरस हो सकते हैं और आपके कंप्यूटर को संक्रमित कर सकते हैं। उन्हें शामिल न करना और उनकी उपेक्षा करना सबसे अच्छा है।
चरण 6: सार्वजनिक कंप्यूटर पर अपने अकाउंट को हमेशा लॉग आउट करें
सार्वजनिक कंप्यूटरों में लॉग इन रहने के कारण आप बली द्वारा अपना पासवर्ड बदलने और कुछ समय के लिए आपको लॉक करने का जोखिम उठाते हैं। इसलिए, किसी को भी अपने जैसा दिखने या झूठी जानकारी शेयर करने का ज़रा भी मौका न दें।
चरण 7: साइबर बुली न बनें
हम समाज में तब तक बदलाव नहीं देख सकते जब तक हम खुद को बदलने का वादा नहीं करते है। यह आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसा आप चाहते हैं कि आपके साथ व्यवहार किया जाए। यदि आप किसी को साइबर बुली करते हुए पाते हैं तो उसकी मदद करें और साइबर बुली न बनें।
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रैंसमवेयर
यह मैलवेयर या दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयर का एक रूप है जो कंप्यूटर पर नियंत्रण करने के बाद व्यक्ति को अपने सिस्टम तक एक्सेस से रोकता है। सिस्टम को रैंसमवेयर के संक्रमण से बचाने के लिए अपने सिस्टम को अपडेट करके और उसके बारे में हर विवरण जानने के बाद ही सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करके उसकी रक्षा करना आवश्यक है। ऐसे रक्षात्मक कदमों को अनिवार्य रूप से ध्यान में रखा जाना चाहिए।
एंटी-वायरस सॉफ़्टवेयर स्थापित करना एक और रक्षात्मक कदम है जो ऐसे दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयर का पता लगाने में मदद करता है। दस्तावेजों और फाइलों का बैकअप रखना वास्तव में महत्वपूर्ण है और स्वचालित (ऑटोमैटिक) बैकअप भी किया जाना चाहिए।
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साइबर स्टॉकिंग
स्टॉकिंग शब्द का तात्पर्य किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा किसी व्यक्ति विशेष पर जांच या निगरानी रखना है। जब यह इंटरनेट के माध्यम से या दूसरे व्यक्ति को उसके सोशल मीडिया अकाउंट पर लगातार फॉलो करके किया जाता है तो इसे साइबर स्टॉकिंग के रूप में जाना जाता है। यह अक्सर हैरेसमेंट का एक रूप लेता है और साइबर धमकी के साथ ओवरलैप होता है।
फरवरी 2013 के अमेंडमेंट से पहले साइबर स्टॉकिंग से निपटने के लिए कोई विशिष्ट कानून नहीं थे। लेकिन इस साल के बाद परिदृश्य बदल गया है। इंडियन पीनल कोड की धारा 354D साइबर स्टॉकिंग के लिए दंड का प्रावधान करती है। इस प्रावधान के अनुसार कोई भी पुरुष जो किसी महिला को बार-बार फॉलो करता है या संपर्क करता है या किसी महिला द्वारा स्पष्ट संकेत के बावजूद व्यक्तिगत बातचीत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ऐसा करने की कोशिश करता है या उन इंटरनेट, ई-मेल या इलेक्ट्रॉनिक संचार के अन्य रूपों की निगरानी करता है जो एक महिला द्वारा उपयोग किए जाते हैं, तो यह स्टॉक करने के क्राइम के बराबर है।
इस धारा का एक एक्सेप्शन है कि निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए किये गए स्टॉक पर धारा 354D के तहत दंडित नहीं किया जाएगा –
- यदि किसी व्यक्ति ने क्राइम को रोकने या उसका पता लगाने के उद्देश्य से उसका पीछा किया और आरोपी व्यक्ति को स्टेट द्वारा क्राइम को रोकने और उसका पता लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है; या
- यह किसी भी कानून के तहत किसी भी व्यक्ति द्वारा लगाए गए किसी भी शर्त या आवश्यकता का पालन करने के लिए किया गया था; या
- विशेष परिस्थितियों में ऐसा आचरण उचित और न्यायसंगत था।
साइबर क्राइम से खुद को बचाने के उपाय
साइबर क्राइम से खुद को रोकने के लिए निम्नलिखित स्टेप्स हैं-
स्टेप 1: एक अच्छे इंटरनेट सुरक्षा सूट का उपयोग करें
बाजार में कई अच्छे इंटरनेट सुरक्षा सूट उपलब्ध हैं। बस किसी भी सुरक्षा सूट का प्रीमियम वर्जन खरीदें जो आपको ऑनलाइन होने पर आपकी वित्तीय जानकारी की सुरक्षा करने में मदद करता है।
स्टेप 2: मज़बूत पासवर्ड का उपयोग करें
यह सलाह दी जाती है कि अपने पासवर्ड को नियमित रूप से बदलें और विभिन्न साइटों पर अपने पासवर्ड को न दोहराएं, उन्हें हमेशा जटिल बनाने का प्रयास करें जैसे कम से कम 12 अक्षरों, प्रतीकों (सिंबल) और संख्याओं के कॉम्बिनेशन का उपयोग करना।
स्टेप 3: अपना सॉफ़्टवेयर अपडेट रखें
जब भी आपका सिस्टम आपसे अपने सॉफ़्टवेयर को अपडेट करने के लिए कहे तो उसे हमेशा अपडेट करें। चूंकि साइबर आरोपी आपके सिस्टम तक एक्सेस प्राप्त करने के लिए आपके सॉफ़्टवेयर में अक्सर ज्ञात कारनामों, या खामियों का उपयोग करते हैं। जब आपका सिस्टम सॉफ्टवेयर अपडेट हो जाता है तो आपके साइबर टारगेट बनने की संभावना कम हो जाती है।
स्टेप 4: अपनी सोशल मीडिया सेटिंग मैनेज करें
यह सलाह दी जाती है कि आप अपनी व्यक्तिगत और निजी जानकारी को लॉक रखें क्योंकि साइबर आरोपी अक्सर आपकी व्यक्तिगत जानकारी तक एक्सेस केवल कुछ डेटा बिंदुओं के साथ प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए जितना कम आप सार्वजनिक रूप से शेयर करेंगे, उतना आपके लिए बेहतर होगा।
स्टेप 5: अपने घरेलू नेटवर्क को मजबूत करें
एक मजबूत एन्क्रिप्शन पासवर्ड के साथ-साथ वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। जब भी आप सार्वजनिक वाईफाई नेटवर्क का उपयोग करते हैं तो वीपीएन का उपयोग करें, चाहे वह कैफे, होटल, हवाई अड्डा या पुस्तकालय हो।
स्टेप 6: जब आप पीड़ित होते हैं तब आप क्या करें
पहली चीज जो आप यह कर सकते हैं की यह पहचाने कि किस तरह का साइबर क्राइम किया गया है, अगली बात यह है कि आपको अपने शहर के साइबर सेल को सतर्क करने की जरूरत है, अगर आपके शहर में कोई साइबर सेल नहीं है तो आपको जरूरत है स्थानीय पुलिस को सतर्क करने के लिए। यह महत्वपूर्ण है भले ही क्राइम मामूली लगता है क्योंकि यह ऐसे आरोपियों को भविष्य में अन्य लोगों का फायदा उठाने से रोक सकता है।ber
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