कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत सेवाओं की कमी के लिए किस पर मुकदमा चलाया जा सकता है

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1914
Consumer Protection Act
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यह लेख बी.ए.एलएलबी (ऑनर्स) की छात्रा Magaonkar Revati द्वारा लिखा गया है। यह लेख सेवा में कमी के लिए उपलब्ध उपायों से संबंधित है। इस लेख का अनुवाद Sakshi Gupta द्वारा किया गया है।

परिचय (इंट्रोडक्शन)

कंज्यूमर और सेवा या माल प्रदाताओं (प्रोवाइडर) का उनके दैनिक जीवन में बहुत बार संबंध होता है। दोनों एक दूसरे पर आश्रित (डिपेंडेंट) हैं। इसलिए दोनों को अपने लेन-देन में बहुत ईमानदार और निष्पक्ष (फेयर) होना चाहिए। आज की दुनिया में, हम ऐसी कई परिस्थितियाँ देख सकते हैं जहाँ एक कंज्यूमर को उन्हें प्रदान की जाने वाली सेवा से समस्या होती है, कभी-कभी कंज्यूमर्स को प्रदान की जा रही सेवाओं की मात्रा में गुणवत्ता (क्वालिटी) या निष्पक्षता की कमी होती है। यह अंत में किसी कंज्यूमर या ग्राहक को प्रदान की गई वस्तुओं या सेवाओं के कारण हुए नुकसान या हानि के कारण उनके संबंध को प्रभावित करता है।

कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट (उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम), 2019 (इसके बाद ‘एक्ट’) कंज्यूमर और माल या सेवा प्रदाता के बीच लेनदेन से उत्पन्न होने वाले विवादों के निवारण (रिड्रेसल) के लिए बनाया गया है। कंज्यूमर न्याय पाने के लिए इस एक्ट के तहत कंज्यूमर ट्रिब्यूनल के समक्ष उपस्थित हो सकते हैं।

यदि कंज्यूमर्स को कोई सेवा अपर्याप्त (इनएडिक्वेट) लगती है तो वे एक्ट के तहत शिकायत कर सकते हैं। इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण आवश्यक पहलू सेवा में कमी है, और इस एक्ट के तहत प्रदान की गई आवश्यकताओं के अनुसार कमी होनी चाहिए।

कमी की अवधारणा (कंसेप्ट)

कमी की अवधारणा को समझने से पहले सेवा का अर्थ स्पष्ट होना चाहिए। तो सेवा से क्या मतलब है नीचे दिया गया है:

सेवा

यह किसी भी प्रकार की सेवा है जो संभावित उपयोगकर्ताओं (पोटेंशियल यूजर्स) को प्रदान की जाती है, लेकिन केवल यहीं तक सीमित नहीं है, इसमें बैंकिंग, बीमा, वित्तपोषण (फाइनेंसिंग), परिवहन (ट्रांसपोर्ट), प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग), विद्युत (इलेक्ट्रिकल) या ऊर्जा आपूर्ति (एनर्जी सप्लाई), बोर्ड या लॉजिंग सेवा, मनोरंजन, समाचारों के प्रशासन (एडमिनिस्टर) के संबंध में सुविधा और कोई अन्य सूचना के प्रावधान (प्रोविजन) शामिल हैं। लेकिन सेवा में ऐसी कोई भी सेवा शामिल नहीं है जो निःशुल्क या व्यक्तिगत सेवा कॉन्ट्रैक्ट के तहत दी गई हो।

व्यक्तिगत सेवा के कॉन्ट्रैक्ट में, कोई व्यक्ति किसी विशिष्ट (स्पेसिफिक) प्रदर्शन के लिए सेवा प्रदाता को आदेश दे सकता है। उदाहरण के लिए, मालिक या सेवा प्रदाता नौकर को वही बताएगा जो वह करना चाहता है। उदाहरण के लिए, जब हम एक बढ़ई को अलमारी बनाने का आदेश देते हैं तो हम उसे केवल आदेश बताते हैं, न कि उसके लिए प्रक्रिया बताते है।

सेवा की कमी

सेवा की कमी का अर्थ एक्ट के तहत प्रदान किया गया है, इसमें उन 11 क्षेत्रों (सेक्टर) की सूची (लिस्ट) शामिल है जिनसे सेवा एक्ट के दायरे में आने के लिए संबंधित हो सकती है। इसलिए क्षेत्रों की यह सूची पूरी नहीं है।

एक्ट की धारा 2(11) के अनुसार, “किसी भी प्रकार की अपूर्णता (इंपरफेक्शन), या विशेषता (फीचर), गुणवत्ता, राशि मूल्य, प्रामाणिकता (ऑथेंटिसिटी), इसकी क्षमता, और मानक (स्टैंडर्ड) में कमी जो कानूनों के अनुसार बनाए रखने और विनियमित (रेगूलेट) करने के लिए अनिवार्य है और विक्रेता (सेलर) द्वारा दावा किए गए किसी भी समझौते (एग्रीमेंट)/कॉन्ट्रैक्ट, उत्पादों (प्रोडक्ट) और सामानों के संबंध में, एक कमी के रूप में जाना जाता है।

सेवा में कमी को निम्नलिखित मानदंडों के अंदर आना चाहिए (ए सर्विस टू बी डेफिशिएंट हैज टू फॉल अंडर द फॉलोइंग क्राइटेरिया)

  • वह सेवा संभावित खरीदारों के लिए उपलब्ध और सुलभ (एक्सेसिबल) होनी चाहिए, जिसका अर्थ है कि सेवा न केवल वास्तविक (एक्चुअल) खरीदार को बल्कि उन लोगों को भी प्रदान की जानी चाहिए जो इसका उपयोग करने में सक्षम हैं।
  • सेवा नि:शुल्क नहीं होनी चाहिए, जैसे कि सरकारी अस्पतालों द्वारा प्रदान की जाने वाली कोई भी चिकित्सा सेवा कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के अनुसार सेवा नहीं है।
  • विक्रेता द्वारा जानबूझकर और महत्वपूर्ण जानकारी, कमीशन, या कार्यों की लापरवाही को छुपाने से ग्राहकों/कंज्यूमर्स को कोई चोट या हानि हो सकती है।
  • ऐसा कोई भी कार्य जो एक विवेकपूर्ण (प्रूडेंट) और शीघ्र (प्रॉम्प्ट) विक्रेता को नहीं करना चाहिए, लेकिन वह जानबूझकर इसके विपरित करता है, ऐसे कार्यों में कमी शामिल है।
  • यह व्यक्तिगत सेवा कॉन्ट्रैक्ट के तहत नहीं होना चाहिए।

तो मूल रूप (बेसिकली) से कमी एक दोष है, अपूर्णताओं की कमी या अपर्याप्त गुणवत्ता, प्रकृति और प्रदर्शन की विधि (मेथड) जो आवश्यक शर्त है जिन्हें किसी भी कानून के तहत कुछ समय के लिए बनाए रखना है या एक कॉन्ट्रैक्ट के तहत सेवा के बारे में किसी व्यक्ति द्वारा प्रदर्शन करने के लिए किया गया है। कमी सेवा के बारे में होनी चाहिए। परिभाषा में ‘सेवा में कमी’ शब्द महत्वपूर्ण रूप से कहता है कि कमी हमेशा सेवा के रूप में होती है।

इसलिए, यदि ऊपर दिए हुए मानदंडों के तहत किसी भी सेवा में कमी पाई जाती है तो उसे एक्ट के तहत मुआवजा (कंपनसेशन) दिया जाएगा। इसलिए कोई भी कार्य और सेवा जो इस परिभाषा और एक्ट के तहत प्रदान किए गए मानदंडों के अंदर नहीं आती है, तो उसे सेवा में कमी नहीं माना जाएगा।

कुछ अपरिहार्य (अनएवोइडेबल) परिस्थितियां भी हो सकती हैं जो सेवा करने वाले व्यक्ति के नियंत्रण (कंट्रोल) की सीमा से बाहर हो। यदि ऐसी परिस्थितियाँ किसी व्यक्ति को वांछित (डिजायर्ड) और आवश्यक गुणवत्ता, प्रकृति और तरीके से सेवा देने या पूरा करने से रोकती हैं तो ऐसे व्यक्तियों को एक्ट के तहत मुआवजा देने के लिए नही कहा जायेगा या दंडित नहीं किया जाएगा।

ऐसी परिस्थितियाँ जहाँ X, Y को इंटरनेट कनेक्शन की सुविधा प्रदान करने के लिए सहमत हो गया, लेकिन कर्फ्यू के कारण वह अपरिहार्य रूप से सेवा नही दे पाया। इसलिए, ऐसे मामलों में, व्यक्ति सेवा में कमी के लिए उत्तरदायी नहीं होगा।

सेवा में कमी के लिए किस पर मुकदमा चलाया जा सकता है?

उत्पाद की देनदारी (लायबिलिटी) उत्पादों या सेवाओं के कारण होने वाले नुकसान के लिए निर्माताओं (मैन्यूफैक्चरर), वितरकों (डिस्ट्रीब्यूटर), आपूर्तिकर्ताओं (सप्लायर) और खुदरा विक्रेताओं (रिटेलर) पर निर्भर करती है। किसी भी संविदात्मक दायित्वों (कॉन्ट्रैक्चुअल ऑब्लिगेशन) और देनदारी की सीमाओं के बावजूद, यदि कोई उत्पाद या उसका कोई भी घटक (कंपोनेंट) उत्पाद के निर्माता को दोष देता है तो वह एक्ट या नेगलिजेंस के सामान्य कानून के तहत नुकसान के लिए उत्तरदायी होगा। उत्पाद में कमी के कारण एक्ट के तहत मृत्यु, चोट या निजी संपत्ति को हुए किसी भी नुकसान के लिए कार्रवाई की जा सकती है। यहां विशुद्ध (प्यूरली) रूप से आर्थिक (इकोनॉमिक) या परिणामी (कंसीक्वेंसिअल) नुकसान की भरपाई के लिए किसी अन्य प्रकार की कार्रवाई का उपयोग नहीं किया जा सकता है।

एक्ट निर्माता पर उसके कमी वाले उत्पादों से होने वाले नुकसान के लिए सख्त दायित्व (स्ट्रिक्ट लाइबिलिटी) लगाता है। तो इसका मतलब है कि कंज्यूमर यह साबित किए बिना कि निर्माता ने लापरवाही की है, निर्माता के खिलाफ मुकदमा दायर कर सकते हैं। केवल आवश्यकता उत्पाद में कमी को साबित करने की है और नुकसान या चोट उत्पाद या सेवा के कारण ही हुई है।

जब कोई सेवा या सामान खराब पाया जाता है, तो कंज्यूमर उस कथित (एलेज्ड) पक्ष के खिलाफ मुकदमा दायर कर सकता है जिसके द्वारा कमी वाली सेवा प्रदान की गई है और वितरण (डिलीवरी) कि गई है। एक कंज्यूमर या कंज्यूमर्स का समूह (ग्रुप) एक ही आरोप होने पर या एक ही प्रतिवादी (रेस्पॉन्डेंट) होने पर माल या सेवाओं की खपत (कंजप्शन) के बाद किसी प्रकार की चोटों या नुकसान का पता लगाने के बारे में शिकायत कर सकते है, इस प्रकार उस व्यक्ति या संस्था (एंटिटी) के खिलाफ मुकदमा दायर किया जा सकता है जो किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को कमी वाली सेवाएं प्रदान करता हैं। मामले की आर्थिक (पिक्यूनियरी) मूल्य के अनुसार, शिकायत डिस्ट्रिक्ट फोरम, स्टेट फोरम या नेशनल कमिशन में दर्ज की जा सकती है। आर्थिक महत्व का अर्थ विशिष्ट सेवा या समान के कंज्यूमर को होने वाला नुकसान है।

कमी साबित करने का दायित्व

सेवा में कमी साबित करने का भार उस व्यक्ति के कंधों पर होता है जो इसका श्रेय (एट्रीब्यूट) देता है। शिकायत करने वाले को यह साबित करना होगा कि उसने प्रतिवादी के खिलाफ जानबूझकर तथ्य (फैक्ट) और गलती, सेवा में कमी या अपर्याप्तता, अपूर्णता शामिल नहीं की है।

सेवा में कमी को प्रतिवादी के टॉर्टियस कार्यों से अलग करना होगा। सेवा में कमी को छोड़कर, पीड़ित व्यक्ति के पास नुकसान के लिए मुकदमा दायर करने के लिए सामान्य कानून के तहत एक उपाय है, लेकिन वह उक्त एक्ट के तहत कमीशन और चूक के कथित कार्यों के लिए राहत देने पर जोर नहीं दे सकता है जो प्रतिवादी पर जवाबदेह है और जो सेवा में कमी के बराबर नहीं है।

लेकिन यदि प्रतिवादी का कार्य सद्भावनापूर्ण (गुड फेथ) पाया जाता है तो वह एक्ट के तहत सेवा में कमी के लिए राहत का हकदार नहीं होगा। कमी वाली सेवा प्रदान करने पर विचार किया जाना चाहिए और प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लिया जाना चाहिए जिसके लिए कोई कठोर नियम निर्धारित (लेड डाउन) नहीं किया जा सकता है।

अनुचित व्यापार प्रथा (अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस)

व्यापार प्रथा की हमेशा प्रशंसा की जाती है और माल और सेवाओं की बिक्री, इसकी आपूर्ति और उत्पादों की वितरण श्रृंखला (चैन) को बढ़ावा देने के लिए अनुचित बताया जाता है। अनुचित व्यापार प्रथाओं में एक विक्रेता, वितरक निर्माता इकाई अपने उत्पादों और सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए अवैध साधनों का उपयोग करती है। ऐसे घटकों, अवयवों (इंग्रेडिएंट्स) को दिखाना, जिनका उत्पादों में उपयोग नहीं किया गया है, ग्राहकों को अच्छी गुणवत्ता का प्रतिनिधित्व (रिप्रेजेंट) करके ग्राहकों को गुमराह करना, भले ही वे घटिया गुणवत्ता के हों, दोषपूर्ण अवयवों और घटकों द्वारा भ्रामक (मिसलीडिंग) हो। अनुचित व्यापार प्रथाओं के बहुत सारे उदाहरण हैं जैसे पुराने और इस्तेमाल किए गए उत्पादों को नए ब्रांड के रूप में बेचना, सेवाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत करना, ऐसे सामानों की बिक्री जो सुरक्षा उपायों में फिट नहीं होते हैं, आदि।

कंज्यूमर प्रोटेक्शन रूल, 2020 (ई-कॉमर्स)

नए कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 2019 के अनुसार ई-कॉमर्स के लिए नियम कंज्यूमर प्रोटेक्शन रूल, 2020 के तहत निर्धारित किए गए हैं। ई-कॉमर्स ने इन दिनों आसमान को छुआ है और यह व्यापार के सबसे बड़े प्लेटफार्मों में से एक है जो दिन-ब-दिन विकसित हो रहा है। 2020 में बनाए गए नियमों के तहत प्रदान किए गए नए नियम इस प्रकार हैं:

  1. ये नियम सभी ई-कॉमर्स पोर्टल्स, मार्केटप्लेस और अन्य संस्थाओं को कवर करते हैं, इन्वेंट्री में भारत के बाहर स्थित विदेशी संस्थाएं भी शामिल हैं, लेकिन भारतीय ग्राहकों को सामान और सेवाएं प्रदान करती हैं। वे गतिविधियाँ जो व्यक्तिगत और गैर-पेशेवर (अनप्रोफेशनली) रूप से की जाती हैं, उन्हें इन नियमों के लागू होने से छूट दी गई है।
  2. ई-कॉमर्स संस्थाओं को एक्सचेंज नियम, रिफंड नीति (पॉलिसी), भुगतान विकल्प, वारंटी, ट्रैकिंग और शिपमेंट विवरण (डिटेल) आदि जैसी जानकारी देना आवश्यक है, यह इस नियम में अनिवार्य हैं। हालांकि, यदि उत्पाद गुणवत्ता चिह्न तक नहीं हैं, तो विक्रेताओं को उन्हें वापस करना होगा या उन्हें बदलना होगा।
  3. ऊपर बताए गए प्लेटफॉर्म को 48 घंटे के भीतर कंज्यूमर कंप्लेंट रिड्रेसल के लिए अनिवार्य रूप से उपलब्ध होना चाहिए और प्राप्ति (रिसिप्ट) की तारीख से 1 महीने के भीतर उचित निवारण प्रदान करना चाहिए। यहां शिकायत अधिकारी की नियुक्ति (अपॉइंटमेंट) अनिवार्य है।

कंज्यूमर कंप्लेंट रिड्रेसल

सेवा या उत्पाद में कोई कमी पाए जाने पर कंज्यूमर, एक्ट के तहत स्थापित कंज्यूमर कोर्ट्स से संपर्क कर सकते है। 2019 के नए एक्ट के लागू होने के बाद, अब ग्राहक ऑनलाइन/इलेक्ट्रॉनिक मोड के माध्यम से शिकायत कर सकते हैं। इसने कंज्यूमर कोर्ट में जाने या संपर्क किए बिना शिकायत दर्ज करना आसान और तेज बना दिया है। यह न केवल कंज्यूमर्स के लिए एक सुविधाजनक तरीका बन गया है बल्कि इसने डिस्ट्रिक्ट और स्टेट कंज्यूमर फोरम को आवेदनों की समीक्षा (रिव्यू) करने का मौका दिया है और कुछ मामलों में, यदि मामला व्यवहार्य (फीजिबल) है तो वे मीडिएशन की सलाह भी दे सकते हैं।

भारत में तीन स्तरीय (थ्री-टायर) कंज्यूमर कोर्ट्स जैसे नेशनल स्तर (लेवल), स्टेट स्तर और डिस्ट्रिक्ट स्तर है। मामलों के मूल्यांकन (वैल्यूएशन) के अनुसार कंज्यूमर्स की शिकायतों को इन तीन अलग-अलग कंज्यूमर फोरम में विभाजित (डिवाइड) किया जाता है ताकि विवादों का निवारण और न्यायनिर्णयन (एडज्यूडिकेशन) किया जा सके। विवाद में मामले को पहचानने के बाद, अगला कदम मामले के आर्थिक क्षेत्राधिकार (ज्यूरिसडिक्शन) को समझना है।

कंज्यूमर मामलों का आर्थिक क्षेत्राधिकार इस प्रकार है:

  • डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल फोरम: 1 करोड़ रुपये या उससे कम।
  • स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल: 1 करोड़ से 10 करोड़ रुपये के बीच।
  • नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमिशन: 10 करोड़ रुपये से अधिक के मौद्रिक (मॉनेटरी) मूल्य वाले मामले।

कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत कौन शिकायत दर्ज कर सकता है?

कंज्यूमर, शिकायत के मामले में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 2019 के तहत स्थापित (एस्टेब्लिश) प्रक्रिया के अनुसार शिकायत दर्ज की जा सकती है।

एक्ट की धारा 2 शिकायत को “कंज्यूमर द्वारा कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत राहत प्राप्त करने के लिए किए गए किसी भी लिखित आरोप” के रूप में परिभाषित करती है। अनुचित व्यापार प्रथा, प्रतिबंधात्मक (रिस्ट्रिक्टिव) व्यापार प्रथा, अनुचित कॉन्ट्रैक्ट, कमी वाले माल, सेवाओं या वस्तुओं की कमी या खतरनाक वस्तुओं और सेवाओं के मामलों में है।

एक शिकायत में निर्माता, विक्रेता, उत्पाद या सेवा प्रदाता के खिलाफ दायित्व का दावा करने का लिखित आरोप भी शामिल हो सकता है। यहां कंज्यूमर शिकायत एक कंज्यूमर या एक से अधिक कंज्यूमर, किसी भी रजिस्टर्ड वॉलंटरी कंज्यूमर एसोसिएशन, सेंट्रल या स्टेट सरकार, उत्तराधिकारी (हेयर), या कंज्यूमर के कानूनी प्रतिनिधियों द्वारा दर्ज की जा सकती है। जब कंज्यूमर नाबालिग (माइनर) होता है तो उसके माता-पिता या अभिभावक (गार्जियन) नाबालिग की ओर से शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

निष्कर्ष (कंक्लूज़न)

कंज्यूमर को विक्रेता या सेवा प्रदाता द्वारा प्रदान की गई किसी भी सेवा या सामान की कमी के खिलाफ राहत पाने का अधिकार है। कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 2019 कंज्यूमर्स को एक्ट के तहत स्थापित प्रक्रिया के अनुसार कथित से मुआवजे के रूप में शिकायत और राहत प्रदान करके एक उपाय प्रदान करता है। इसलिए, एक्ट के तहत, निर्माता भी कमी वाले उत्पादों के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं। निर्माता का अर्थ है तैयार उत्पादों का निर्माता या कोई अन्य व्यक्ति जो किसी भी औद्योगिक (इंडस्ट्रियल) या किसी अन्य प्रक्रिया के लिए उत्तरदायी है, जिसके लिए उत्पाद का कोई भी आवश्यक हिस्सा जवाबदेह (अकाउंटेबल) है और जब तक उत्पाद बेचा नहीं जाता है या सेवा प्रदान नहीं की जाती है।

एक ही नुकसान के लिए एक्ट के तहत एक से अधिक व्यक्ति उत्तरदायी हो सकते हैं। इसलिए जब दायित्व संयुक्त (जॉइंट) है और कई कथित पक्ष है तो उन सभी लोगों पर मुकदमा कर सकते हैं।

संदर्भ (रेफरेंसेस)

 

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