‘गर्भवती महिला का मिसकैरेज कराना’ कब अपराध माना जाता है

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Indian Penal Code
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यह लेख  Sonali Khatri द्वारा लिखा गया है जो जयपुर में रहने वाली एक एडवोकेट हैं। उन्होंने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, जोधपुर से कॉन्स्टिट्यूशनल लॉ में स्पेशलाइजेशन के साथ ग्रेडुएशन की उपाधि प्राप्त की है। इस लेख में ‘गर्भवती महिला का मिसकैरेज कराना’ कब अपराध माना जाता है, अपराध के लिए सजा, पर चर्चा की गयी है। इस लेख का अनुवाद Divyansha Saluja द्वारा किया गया है।

Table of Contents

परिचय (इंट्रोडक्शन)

यदि आप मिसकैरेज के अपराध पर भारतीय कानून की स्थिति के बारे में जानना चाहते हैं, तो यह लेख जरूर पढ़े। 

इस लेख में, बहुत से प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं जैसे: गर्भवती महिला का मिसकैरेज कब करना अपराध है; आरोपी के दोषी पाए जाने पर क्या सजा दी जाती है; सजा कैसे तय की जाती है; शिकायतकर्ता को अपनी शिकायत में किन तत्वों का खुलासा करना चाहिए और इस अपराध के लिए आरोपित होने पर आरोपी खुद को कैसे बचा सकता है।

गर्भावस्था (प्रेग्नेंसी) का नुकसान जिसे मिसकैरेज के नाम से भी जाना जाता है, एक महिला के लिए शारीरिक और भावनात्मक (इमोशनल) रूप से प्रभाव डालने वाला अनुभव हो सकता है, खासकर जब यह कुछ व्यक्ति/व्यक्तियों के कारण हुआ हो। ऐसी स्थितियों में, प्रभावित महिला उन व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज कर सकती है, जो उसके मिसकैरेज के लिए जिम्मेदार थे। निस्संदेह, ऐसे व्यक्तियों को इंडियन पीनल कोड के तहत दंडित किया जा सकता है। हालाँकि, यह महत्वपूर्ण है कि इस स्थिति में आपराधिक कार्यवाही शुरू करने के प्रश्न पर विचार करते हुए एक सूचित निर्णय लिया जाना चाहिए। ऐसा करने में आपकी मदद करने के लिए, यह लेख लिखा गया है।

सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, आपको पता होना चाहिए कि गर्भवती महिला का मिसकैरेज करना इंडियन पीनल कोड (आई.पी.सी.) के तहत एक अपराध है। आई.पी.सी. के सेक्शन 312 से 314 इस अपराध से संबंधित है। दूसरा, ये सेक्शन ‘बच्चे वाली महिला (वीमेन विद चाइल्ड)’ वाक्यांश (फ्रेस) का उपयोग करते हैं। जैसा कि ‘बच्चे वाली महिला’ का अर्थ केवल एक गर्भवती महिला है, मैंने इस लेख में ‘गर्भवती महिला’ वाक्यांश का उपयोग किया है ताकि इसे समझना आसान हो।

इसके साथ, आइए अब उन सभी मूलभूत (फंडामेंटल) मुद्दों पर एक नज़र डालते हैं, जो मिसकैरेज के लिए आपराधिक कार्यवाही शुरू करने में आपकी मदद करेंगे।

‘गर्भवती महिला का मिसकैरेज कराना’ कब अपराध माना जाता है?

यह एक अपराध है जब निम्नलिखित सभी तथ्य सामने आते हैं:-

  1. यदि मिसकैरेज किसी व्यक्ति की इच्छा से होता है न कि किसी दुर्घटना के परिणामस्वरूप।

उदाहरण के लिए, गर्भवती महिला को दवा देना, जिससे उसका मिसकैरेज हो जाता है।

  1. मिसकैरेज गुड फेथ से नहीं किया गया था (अर्थात मिसकैरेज करवाते समय गर्भवती महिला की जान बचाने का कोई विचार नहीं था)।
  2. गर्भवती महिला ने मिसकैरेज के लिए हामी नहीं भरी।

उदाहरण के लिए, जब एक गर्भवती महिला नियमित जांच के लिए डॉक्टर के पास जाती है, तो डॉक्टर महिला के पेट के अंदर एक सुई डाल देते है (परीक्षण के एक भाग के रूप में) जिससे सेप्टिक हो जाता है और फिर मिसकैरेज हो जाता है। इस मामले में, महिला मिसकैरेज का कारण बनने के लिए नहीं बल्कि परीक्षण के लिए डॉक्टर के पास गई थी। फिर भी, मिसकैरेज वह है जो उसने अंततः (उलटिमेटली) झेला। ऐसे में महिला डॉक्टर के खिलाफ आई.पी.सी. के सेक्शन 313 के तहत शिकायत दर्ज कराने पर विचार कर सकती है। 

सहमति का मुद्दा (इशू ऑफ़ कंसेंट)

यहां एक और संभावना होती है। मिसकैरेज के लिए गर्भवती महिला स्वयं सहमति दे सकती है। आप सोच सकते हैं कि एक गर्भवती महिला ऐसा क्यों करेगी। लेकिन हाँ, यह संभव है। उदाहरण के लिए, एक गर्भवती महिला, अजन्मी बालिका से छुटकारा पाने के लिए, उसके मिसकैरेज के लिए सहमति दे सकती है। ऐसे में मिसकैरेज कराने वाले डॉक्टर समेत महिला को सेक्शन 312 के तहत सजा भी दी जाएगी।

कभी-कभी, एक महिला आवश्यकता के कारण मिसकैरेज के लिए सहमति दे सकती है। ऐसे मामलों में आमतौर पर महिला को सजा नहीं दी जाती। उदाहरण के लिए, यदि एक गर्भवती महिला पर कुछ व्यक्तियों द्वारा हमला किया जाता है, जिससे इतनी गंभीर चोट लगती है कि महिला अपनी इच्छा के विरुद्ध मिसकैरेज के लिए सहमति देती है, तो महिला को दंडित किए जाने की संभावना नहीं होती। इस तरह के मामले आई.पी.सी. के सेक्शन 313 के तहत आते हैं।

निष्कर्ष के तौर पर, जब भी किसी गर्भवती महिला का मिसकैरेज होता है, तो दो प्रकार की स्थिति उत्पन्न होने की संभावना है: 

  1. महिला मिसकैरेज करने के लिए सहमत है और 
  2. महिला ने इसके लिए सहमति नहीं दी है। पहली स्थिति आई.पी.सी. के सेक्शन 312 के तहत और दूसरी सेक्शन 313 के तहत आएगी।

उपरोक्त के अलावा, एक और संभावना भी होती है। एक गर्भवती महिला मिसकैरेज करने के लिए स्वयं सहमति दे सकती है, जब गर्भावस्था उसके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर रही हो। हालांकि, इस तरह का मिसकैरेज आई.पी.सी. (सेक्शन 312) के तहत एक अपराध होगा क्योंकि यह गर्भवती महिला के जीवन को बचाने के उद्देश्य से नहीं होता है। दरअसल, इस तरह के मिसकैरेज के लिए गर्भवती महिला और डॉक्टर दोनों को सजा हो सकती है। इस स्थिति में, गर्भवती महिला मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 [एम.टी.पी. एक्ट, 1971] के तहत एप्लीकेशन दाखिल कर सकती है। इस एक्ट के तहत, गर्भवती महिला के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा होने पर गर्भावस्था को समाप्त किया जा सकता है।

अपराध के लिए सजा क्या है (व्हाट इज़ द पनिशमेंट फॉर द क्राइम)?

यदि मिसकैरेज, गर्भवती महिला की सहमति से हुआ है, तो

  1. कारावास जो 3 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या जुर्माना या दोनों, या
  2. अगर महिला गर्भावस्था के एडवांस्ड स्टेज में है (आई.पी.सी. के तहत इस स्टेज को “महिला जल्द ही बच्चे के साथ” कहा जाता है), तो 7 साल तक की कारावास हो सकती है और जुर्माना।  

यदि मिसकैरेज गर्भवती महिला की सहमति के बिना हुआ हो, तो

  1. आजीवन कारावास, या
  2. कारावास जो 10 साल तक का हो सकता है और जुर्माना हो सकता है।

अपराध के लिए किसे दंडित किया जाएगा (हू विल बी पनिश्ड फॉर द क्राइम) ?

यदि मिसकैरेज गर्भवती महिला की सहमति से हुआ है, तो

  1. मिसकैरेज का कारण बनने वाला व्यक्ति और
  2. गर्भवती महिला।

यदि मिसकैरेज गर्भवती महिला की सहमति के बिना हुआ हो, तो

केवल वही व्यक्ति जो मिसकैरेज का कारण बनता है।

यह कैसे तय किया जाता है कि उपरोक्त में से कौन सी सजा किसी विशेष मामले में लागू होगी?

आरोपी को दी गई सजा गर्भावस्था के स्टेज पर निर्भर करती है। यदि गर्भावस्था इनिशियल स्टेज में थी, तो कम सजा दी जाती है (जुर्माने के साथ अधिकतम 3 वर्ष)। दूसरी ओर, यदि महिला गर्भावस्था के एडवांस्ड स्टेज में थी तो उच्च दंड (7 वर्ष तक और जुर्माना) लगाया जाता है।

नोट: उपरोक्त सजा सेक्शन 312 के मामले में लागू होगी।

सेक्शन 313 के मामले में सजा प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर निर्भर करेगी।

सेक्शन 313 के तहत शिकायत करते समय शिकायतकर्ता को किन तत्वों का खुलासा करना चाहिए?

  1. आरोपी को इस बात की जानकारी थी कि महिला गर्भवती है।
  2. उसके कार्यों के परिणामस्वरूप गर्भवती महिला का मिसकैरेज हो गया। उक्त कार्रवाई आरोपी द्वारा अपनी इच्छा से की गई थी।
  3. उसने गर्भवती महिला की जान बचाने के लिए उक्त तरीके से कार्य नहीं किया।
  4. उसने गुड फेथ में कार्य नहीं किया।
  5. गर्भवती महिला ने मिसकैरेज के लिए सहमति नहीं दी।
  6. जिससे महिला का मिसकैरेज हो गया।

सेक्शन 313 के तहत आरोपित होने पर आरोपी अपना बचाव कैसे कर सकता है?

  1. वह इस तथ्य से अनजान था कि महिला गर्भवती थी।
  2. वह कार्य जिसके परिणामस्वरूप अपराध किया गया था, उसकी इच्छा से नहीं किया गया था।
  3. जिस कार्य के परिणामस्वरूप अपराध हुआ है वह गुड फेथ में किया गया था।
  4. बच्चे के साथ महिला की जान बचाने के लिए यह कार्य किया गया था।
  5. गर्भवती महिला ने भी मिसकैरेज के लिए सहमति दी  थी। यह तर्क आरोपी को उत्तरदायी होने  से पूरी तरह से मुक्त नहीं कर सकता। हालांकि, आई.पी.सी. के सेक्शन 312 के तहत उस पर कम सजा का प्रावधान हो सकता है।

नोट: उपरोक्त के अलावा, आरोपी एक और बचाव भी ले सकता है। वह तर्क दे सकता है कि मामला एम.टी.पी. एक्ट, 1971 के तहत आता है। (केवल तब, जब शिकायत आई.पी.सी. के सेक्शन 312 के तहत दर्ज की गई थी)

क्या गर्भवती महिला का मिसकैरेज कराना अबॉर्शन के समान है या दोनों शब्दों में कोई अंतर है?

ये दोनों शब्द अलग हैं और इन्हें समानार्थक (सिनोनिम) रूप से उपयोग नहीं किया जा सकता है। यही बात आई.पी.सी. के सेक्शन 312 से 314 तक स्पष्ट है। इन सभी सेक्शन में कहीं भी अबॉर्शन शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है। बल्कि वहाँ केवल ‘मिसकैरेज का कारण’ वाक्यांश का प्रयोग किया गया है।

मेडिकली भी दोनों शब्दों में अंतर है। ‘अबॉर्शन’ शब्द का प्रयोग तभी किया जाता है जब गर्भावस्था के पहले 3 महीनों के भीतर, ओवम को बाहर निकाल दिया जाता है। दूसरी ओर, ‘मिसकैरेज’ का उपयोग तब किया जाता है जब गर्भ (वॉम) से फीटस को जेस्टेशन के 4थे से 7वें महीने तक निकाल दिया जाता है।

क्या ऐसा है कि मिसकैरेज के हर मामले में आपराधिक मामला दर्ज किया जा सकता है?

नहीं, ऐसा संभव नहीं है। मिसकैरेज दो प्रकार का होता है: एक प्राकृतिक होता है और दूसरा मानवीय (ह्यूमन) हस्तक्षेप (इंटरफेरेंस) से प्रेरित होता है। अदालतें केवल दूसरे मामले में हस्तक्षेप कर सकती हैं।

क्या होगा यदि मिसकैरेज करने का इरादा रखने वाला व्यक्ति अपने प्रयास में असफल रहा? क्या उसे मिसकैरेज का प्रयास करने के लिए दंडित किया जा सकता है?

हाँ यह संभव है। उसे आई.पी.सी. के सेक्शन 511 के तहत मिसकैरेज की कोशिश करने के लिए दंडित किया जा सकता है।

क्या यह बेलेबल अपराध है?

हां, यह शिकायत आई.पी.सी. के सेक्शन 312 के तहत दर्ज की जाती है। हालांकि, अगर शिकायत आई.पी.सी. के सेक्शन 313 के तहत दर्ज की गई हो, तो आरोपी को बेल नहीं मिलेगी (क्योंकि वह एक नॉन-बेलेबल अपराध है)।

क्या यह एक कंपाउंडेबल अपराध है?

नहींन तो सेक्शन 312 और न ही सेक्शन 313 के तहत अपराध कंपाउंडेबल अपराध है।

कौन सी अदालत इस अपराध की सुनवाई करेगी?

सेक्शन 312 के मामले में, अपराध फर्स्ट क्लास के मजिस्ट्रेट द्वारा ट्रायबल होगा। दूसरी ओर, सेशंस कोर्ट सेक्शन 313 के तहत किए गए अपराध की सुनवाई करेगा।

क्या यह कॉग्निजेबल अपराध है?

यदि मिसकैरेज, महिला की सहमति के बिना हुआ हो तो यह कॉग्निजेबल अपराध है। हालांकि, अगर मिसकैरेज महिला की सहमति से हुआ है, तो यह एक नॉन-कॉग्निजेबल अपराध है।

नोट: एक कॉग्निजेबल अपराध वह है जहां आरोपी को पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है।

क्या होगा अगर ससुराल पक्ष के दबाव में गर्भवती महिला मिसकैरेज के लिए राजी हो जाती है? ऐसी स्थिति में, क्या उसे भी किसी अपराध के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है?

ऐसी स्थिति में, गर्भवती महिला को अपराध करने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। मामला आई.पी.सी. के सेक्शन 313 के तहत आएगा। यह बहुत आवश्यक है कि गर्भवती महिला शुरू से ही यह रुख अपनाए कि मिसकैरेज उसकी इच्छा के विरुद्ध हुआ था।

  • क्या ससुराल वालों को सजा मिल सकती है?

हां, उन्हें इस कृत्य के लिए दंडित किया जा सकता है, लेकिन जरूरी नहीं कि आई.पी.सी. के सेक्शन 312 और 313 के तहत ही हो। 

क्या होगा यदि गर्भवती महिला रेगुलर चेकअप के लिए डॉक्टर के पास जाती है, लेकिन डॉक्टर की लापरवाही के कारण वह अपनी गर्भावस्था खो देती है?

ऐसे में डॉक्टर को आई.पी.सी. के सेक्शन 313 के तहत सजा हो सकती है। कृपया ध्यान दें कि आपको सेक्शन 313 के तहत दायर अपनी शिकायत में मौजूद सभी तत्वों का खुलासा और साबित करना होगा। (जो तत्व आपकी शिकायत में होने चाहिए, उन पर इस लेख के पहले भाग में चर्चा की गई है)।

क्या होगा यदि गर्भवती महिला नाबालिग है और वह गर्भावस्था को जारी रखने की स्थिति में नहीं है। वह क्या कर सकती है ताकि उसे आई.पी.सी. के तहत सजा न मिले?

उस स्थिति में, नाबालिग मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 का उपयोग कर सकती है। यह एक्ट इस तथ्य को मान्यता देता है कि गर्भावस्था एक महिला के लिए गंभीर शारीरिक और मानसिक जोखिम पैदा कर सकती है। इसलिए, उन स्थितियों में, इस एक्ट के तहत दिए गए प्रतिबंधों (रेस्ट्रिक्शन्स) के अधीन गर्भावस्था को समाप्त किया जा सकता है।

क्या होगा अगर गर्भवती महिला ने अपना मन बदल लिया है और वह गर्भावस्था को कुछ कारणों (जो उसे सबसे अच्छी तरह से पता है) से जारी नहीं रखना चाहती है। ऐसी स्थिति में वह क्या कर सकती है?

ऐसे में महिला को आई.पी.सी. में कानून को लेकर सावधान रहना चाहिए। अगर महिला ने भी इसके लिए सहमति दी है तो उसे आई.पी.सी. के तहत मिसकैरेज के लिए दंडित भी किया जा सकता है। एकमात्र एक्सेप्शन यह है कि गर्भवती महिला की जान बचाने के लिए मिसकैरेज आवश्यक था। और यदि इस मामले में, आप वजनदार (वेटी) साक्ष्य के माध्यम से इसे साबित कर सकते हैं, तो आप कर सकते हैं।

अन्यथा, आप एम.टी.पी. एक्ट 1971 की मदद ले सकते हैं जो, गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देता है, यदि यह महिला के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा करता है। यदि आप कम से कम यह साबित कर सकते हैं, तो आपको अदालत द्वारा गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दी जाएगी।

मेरी समझ में दूसरा विकल्प बेहतर  है। कृपया ध्यान दें कि यदि आप गर्भावस्था के एडवांस्ड स्टेज में हैं तो अदालत आपको अपनी गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति नहीं दे सकती है।

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