अमेरिका और भारतीय फेडरेलिज्म में क्या अंतर है 

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American and Indian Federalism
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यह ब्लॉगपोस्ट, Harsha Jeswani, नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी, भोपाल, की छात्रा द्वारा लिखा गया है। इस लेख में वह फेडरेलिज्म क्या है, और भारतीय फेडरेलिज्म और अमेरिका में फेडरेलिज्म के बीच अंतर बताती हैं। इस लेख का अनुवाद Divyansha Saluja द्वारा किया गया है।

परिचय (इंट्रोडक्शन)

फेडरेशन, एक ऐसा राज्य होता है जिसमें पूरे देश के लिए एक केंद्रीय (सेंट्रल) सरकार कार्य करती है और कई राज्य सरकारें भी होती है जो अपने-अपने क्षेत्रों में कार्य करती हैं। दोनों सरकारें, संविधान (कॉन्स्टिट्यूशन)  के द्वारा दिए गए अपने-अपने निर्धारित क्षेत्रों पर, अपने अधिकार का प्रयोग करती हैं और एक दूसरे के कार्यों में दखल नहीं देती। इस प्रकार फेडरेशन में, केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच अधिकारों का विभाजन (सेपरेशन) होता है। यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा आदि जैसे देशों में, सरकार का फेडरेशन रूप देखा जा सकता है। फेडरेशन की मुख्य विशेषताओं यह है कि, केंद्रीय और राज्य स्तर पर दोहरी (डूअल) सरकार का अस्तित्व होता है, शक्तियों का विभाजन होता है, सख्त और लिखित संविधान, संविधान की सर्वोच्चता (सुप्रीमेसी) होती है, ज्यूडिशरी की स्वतंत्रता, आदि शामिल होती है।

भारतीय फेडरेशन और अमेरिकी फेडरेशन के बीच तुलना

भारतीय फेडरेशन और अमेरिकी फेडरेशन के बीच कुछ समानताएँ और अंतर है-

अमेरिका और भारत, दोनों देशों को ही दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र (डेमोक्रेसी) माना जाता है, और उन दोनों का ही राजनीतिक ढांचा, फेडरेलिज्म पर आधारित हैं। अमेरिका ने वर्ष 1789 में संघीय गणतंत्र राज्य (फेडरल रिपब्लिक नेशन) का दर्जा प्राप्त किया; जबकि भारत ने वर्ष 1950 में अपने संविधान को लागू करके समाजवादी (सोशीयलिस्ट), प्रभुत्व सम्पन्न (सॉवरेन), पंथनिरपेक्ष (सेक्यूलर) और लोकतंत्रात्मक गणराज्य (रिपब्लिक), जैसी अवधारणाओं (कांसेप्ट) की स्थापना की थी। जिसके कारण दोनों देशों ने प्रभुत्व (डोमिनियन) का दर्जा प्राप्त किया, जिसमें कई छोटे राज्य, एक मजबूत केंद्रीय सरकार के साथ जुड़ जाते हैं, जिसे अमेरिका में फेडरल गवर्नमेंट के रूप में जाना जाता है और भारत में केंद्रीय सरकार के नाम से। इस तरह, दोनों राष्ट्र संघीय गणराज्य बन गए।

संविधान के निर्माण के दौरान, प्रारूप समिति (ड्राफ्टिंग कमेटी) जिसके सभापति (चेयरमैन), डॉ अम्बेडकर थे, उस समिति ने, अमेरिका सहित अन्य देशों के संविधानों से कई विशेषताएं उधार लीं, जिन्हें भारतीय परिस्थितियों के हिसाब से अपनाया गया। इसलिए, यू.एस. और भारत, दोनों भले ही संघीय आचरण के हो, लेकिन उनमें कुछ समानताएं और साथ ही उनके बीच कुछ मतभेद भी हैं।

अमेरिका और भारत के फेडरेशन के बीच समानताएं

लिखित संविधान

अमेरिका और भारत दोनों के संविधान, लिखित संविधान है, जो फेडरल राजनीतिक ढांचा प्रदान करते है, जहां दोनों सरकारें, अपने-अपने अधिकारों का प्रयोग करती हैं। दोनों देशों के संविधान, संविधान के संशोधन (अमेंडमेंट) का प्रावधान (प्रोविज़न) रखते हैं, जिससे वह अपने देश की बदलती परिस्थितियों और बढ़ती राजनीतिक, आर्थिक (इकनॉमिक), सामाजिक जरूरतों और मांगों को पूरा कर सके।

अधिकारों का बिल और मौलिक अधिकार (बिल ऑफ राइट्स एंड फंडामेंटल राइट्स) 

अमेरिकी संविधान ने बिल ऑफ राइट्स के तहत, अपने नागरिकों को कई मौलिक अधिकार (फंडामेंटल राइट्स) दिए हैं, जैसे समानता का अधिकार, स्वतंत्रता, शोषण के खिलाफ अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता, सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार, संपत्ति का अधिकार, और संवैधानिक उपचार (रेमेडी) का अधिकार आदि। भारतीय संविधान के भाग III में आर्टिकल 14 से 34 के तहत लोगों को मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं।

फेडरल या केंद्रीय सरकार की सर्वोच्चता

दोनों देशों में, फेडरल सरकार मुख्यता रूप से कार्य करती है, जिसे विभिन्न राज्यों ने स्वीकार किया है। अमेरिका में, 50 राज्य हैं, जो फेडरल सरकार से जुड़े हुए हैं और भारतीय फेडरेशन में, 29 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों (यूनियन टेरिटरी) ने सरकार के इस रूप को स्वीकार किया है। अमेरिका और भारत दोनों राज्यों में, जिन राज्यों ने फेडरल ढांचे को स्वीकार किया है, उनके पास कोई व्यक्तिगत (इंडिविजुअल) शक्ति नहीं है, कि वह अपने आप को केंद्रीय सरकार से अलग कर सकें। जबकि, केंद्रीय और राज्य सरकार दोनों को समिति सूची (कॉन्करेंट लिस्ट) में दिए गए विषयों पर कानून बनाने का अधिकार है और, जब कभी भी फेडरल या केंद्रीय सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों और राज्य सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों के बीच विवाद होता है तो केंद्रीय सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस प्रकार, वर्तमान फेडरल ढांचे में केंद्रीय सरकार सर्वोच्च है।

1. शक्तियों का विभाजन

अमेरिका और भारतीय संविधान दोनों ही तीन संस्थानों, अर्थात् कार्यपालिका (एग्जीक्यूटिव), विधायिका (लेजिस्लेटर) और न्यायपालिका (ज्यूडिशरी) के बीच शक्तियों के विभाजन का प्रावधान करते हैं। प्रत्येक भाग को एक अलग अधिकार के साथ सशक्त (एम्पॉवर्ड) किया जाता है। कार्यपालिका देश पर शासन करती है, विधायिका कानून बनाती है और न्यायपालिका न्याय सुनिश्चित करती है। अमेरिका के राष्ट्रपति अमेरिका के मुख्य कार्यकारी प्रमुख होते है, जबकि भारत में, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में, केंद्रीय मंत्रिमंडल (कैबिनेट), वास्तविक मुख्य कार्यकारी निकाय (बॉडी) होते है। अमेरिका और भारत दोनों में बाइकैमरल लेजिसलेशन है। अमेरिकी विधायिका के ऊपरी और निचले सदनों को सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव कहा जाता है, और दूसरी ओर, भारत में लोकसभा और राज्यसभा, संसद के निचले और ऊपरी सदन होते हैं।

2. चेक और बैलेंस की शक्तियां

हालांकि, दोनों देशों में कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों का स्पष्ट विभाजन है, लेकिन फिर भी इन शक्तियों की ओवरलैपिंग हो सकती है। शक्ति के दुरुपयोग या मनमानी की संभावनाएं हमेशा ही होती हैं। इस प्रकार, दोनों देशों में प्रचलित ‘चेक एंड बैलेंस’ की प्रणाली (सिस्टम) की आवश्यकता है।

राष्ट्रपति के पास मुख्य कार्यकारी शक्ति होती है, जिससे वह अपने ‘किचन कैबिनेट’ के सदस्यों की नियुक्ति  करते है और वह सेना, नौसेना और वायु सेना के सर्वोच्च कमांडर-इन-चीफ भी होते है। अमेरिका के राष्ट्रपति को, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (चीफ जस्टिस) नियुक्त करने का अधिकार है। वह अन्य देशों के साथ ट्रीटीज़ में प्रवेश कर सकते है, हालाँकि, उनकी ट्रीटीज़ को सीनेट की सभा द्वारा स्वीकृत किया जाना चाहिए। अन्यथा, वह ट्रीटी लागू नहीं होती।

इसी तरह, भारत में, प्रधान मंत्री और उनकी कैबिनेट, वास्तविक शक्ति का प्रयोग करते हैं। संसद के दोनों सदनों द्वारा पास, नो-कॉन्फिडेंस मोशन, उन्हें सत्ता से हटा सकता है। नीतिगत निर्णय, संसद के अपेक्षित (रिक्विजिट) बहुमत प्राप्त करने के बाद ही कानून बनते हैं। हालाँकि, संसद द्वारा अधिनियमित (इनैक्टिड) कानून भारत के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक समीक्षा (रिव्यु) के अधीन हैं।

अतः, दोनों देशों में लोकतंत्र की रक्षा के लिए चेक एंड बैलेंस की अवधारणा सफल रही है।

अमेरिका और भारत के फेडरेलिज्म के बीच अंतर

कुछ अंतर हैं जो अमेरिका में फेडरेलिज्म को, भारत के फेडरेलिज्म से अलग करते हैं। ये अंतर भारतीय संविधान के निर्माताओं द्वारा बनाए गए हैं। अमेरिकी फेडरेलिज्म बहुत मजबूत और अधिक कठोर है, जैसा कि इसके नेताओं द्वारा उनके संविधान में उल्लिखित किया गया है। यह युनिटरी की तुलना में अधिक फेडरेल है। जबकि, भारत फेडरेल से अधिक युनिटरी है और हम यह भी कह सकते हैं कि यह एक अर्ध-संघीय (क्वासि फ़ेडरल) राज्य है।

अमेरिका का संविधान भारतीय संविधान से बहुत दृढ़ है

अमेरिका का संविधान बहुत ही सटीक और दृढ़ है जो केवल कुछ पन्नो तक ही सिमित है , जबकि भारत का संविधान बहुत बड़ा है जिसमें XXII भाग, 395 आर्टिकल और 12 अनुसूचियां (शेड्यूल) हैं। क्योंकि अमेरिकी संविधान बहुत दृढ़ है, इसलिए संविधान में संशोधन के प्रावधान भी बहुत दृढ़ और अधिक औपचारिक (फॉर्मल) भी। अमेरिकी संविधान में केवल 27 बार संशोधन किया गया है। जबकि, वर्ष 1950 में लागू हुए भारतीय संविधान में अब तक 94 बार संशोधन किया जा चुका है, इसलिए भारतीय में संशोधन करना आसान है।

अमेरिका में सरकार का प्रेसिडेंशियल फॉर्म है, भारत में सरकार का पार्लियामेंट्री फॉर्म है

अमेरिका में, राष्ट्रपति, राज्य के प्रमुख होते है और इसलिए उनकी सरकार को लोकप्रिय रूप से प्रेसिडेंशियल फॉर्म ऑफ़ गवर्नमेंट के नाम से जाना जाता है। दूसरी ओर, भारत में सरकार का पार्लियामेंट्री फॉर्म है, क्योंकि प्रधानमंत्री अपने मंत्रिमंडल के साथ वास्तविक शक्ति का प्रयोग करते हैं, जिसमें राष्ट्रपति केवल एक नाममात्र मुखिया होते है। अमेरिका के राष्ट्रपति, चार साल की अवधि के लिए पद धारण करते हैं, जबकि भारत के प्रधान मंत्री पांच साल तक सत्ता में रह सकते हैं, जब तक कि उनकी राजनीतिक पार्टी, लोक सभा म बहुमत से जीतती हैं। अमेरिका द्विदलीय (बाई-पार्टी) प्रणाली का पालन करता है, जबकि भारत में एक बहुदलीय (मल्टी पार्टी) प्रणाली और चुनाव की एक कठिन प्रक्रिया होती है।

अमेरिका और भारत के बीच न्यायिक प्रणाली में अंतर

एक विकसित देश होने के नाते अमेरिका में एक उन्नत न्यायिक प्रणाली है। हालाँकि भारत की न्यायिक प्रणाली, तेजी से विकसित कर रही है। अमेरिका में एक न्यायाधीश तब तक पद धारण करते है, जब तक वह अपने कर्तव्यों का पालन करने में सक्षम है और दूसरी ओर भारतीय संविधान में कहा गया है कि एक जिला न्यायाधीश 58 वर्ष की आयु तक अपना पद धारण कर सकते है और एक उच्च न्यायालय का न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक और सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु में रिटायर होते है।

नागरिकता में अंतर

भारत का संविधान एकल नागरिकता (सिंगल सिटीज़नशिप) को मान्यता देता है, जबकि दूसरी ओर अमेरिका का संविधान दोहरी नागरिकता (डूअल सिटीज़नशिप) प्रदान करता है, जिसके मुताबिक, एक अमेरिकी नागरिक के पास दो देशों, यूएसए और किसी अन्य देश की नागरिकता हो सकती है।

निष्कर्ष (कंक्लूज़न)

अतः यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि फेडरेलिज्म की कुछ विशेषताएं हैं जो भारत और यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका, दोनों के लिए समान हैं, मगर दूसरी ओर, भारत और अमेरिका अपने संविधान के फेडरल आचरण से संबंधित कई पहलुओं में भिन्न हैं। हालांकि, अमेरिका और भारतीय फेडरेलिज्म दोनों ही रुकावटें होने के बावजूद भी कुल मिलाकर सफल रहे।

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