भारत में प्रचलित आवारा कुत्तों को खाना देने के नियम क्या हैं 

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यह लेख एलायंस यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु से Vanya Verma द्वारा लिखा गया है। यह लेख एक आवारा कुत्ते को खिलाने के लिए दिशा-निर्देशों (गाइडलाइंस) के बारे में बात करता है, आवारा कुत्तों को खिलाने पर दिल्ली कोर्ट का आदेश और कुत्तों को खाने में क्या दिया जाना चाहिए और क्या नहीं दिया जाना चाहिए। इस लेख का अनुवाद Revati Magaonkar द्वारा किया गया है।

Table of Contents

परिचय (इंट्रोडक्शन)

आवारा कुत्तों को खाना खिलाना किसी भी समाज के भीतर और बाहर दोनों जगह कानूनी है, और भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 A (G) के तहत कुत्तों को खाना खिलाने के आवश्यक दायित्व को पूरा करने से उन्हें धमकाया जाना यह प्रतिबंधित कार्य रहा है। भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने आवारा कुत्तों को खिलाने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं, और कुत्तों को खिलाने वाले और देखभाल करने वालों की रक्षा करने वाले कई न्यायिक (ज्यूडिशियल) निर्णय हुए हैं, जो गलत जानकारी वाले पड़ोसियों के क्रोध का सामना करते हैं। सामुदायिक (कम्युनिटी) कुत्तों की देखभाल करने और उन्हें खिलाने का विकल्प चुनने वाले किसी भी व्यक्ति के काम में हस्तक्षेप करना या परेशान करना आपराधिक धमकी (क्रिमिनल इंटिमिडेशन) है, जैसा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 506 के साथ पठित धारा 503 द्वारा परिभाषित किया गया है। 

इसके अलावा, भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 428 और 429 , पशुओं के प्रति क्रूरता को एक अपराध बताती हैं। पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के प्रावधानों के तहत पशुओं को घायल करना, जहर देना, स्थानांतरित (ट्रांसफर) करना या उनका आश्रय हटाना यह सभी गंभीर अपराध हैं। 

आवारा कुत्तों को खाना खिलाने के लिए एक व्यक्ति के लिए दिशानिर्देश

बहुत से लोग अब निःस्वार्थ रूप से बिना मालिक के, आवारा कुत्तों की देखभाल करते हैं, उन्हें बचा हुआ खाना खिलाते हैं या उनके लिए भोजन तैयार करते हैं, उन्हें सर्दियों में गर्म वस्त्र देते हैं, और चुपचाप उनकी देखभाल करते हैं।

यहां तक ​​कि भारतीय संविधान भी सभी जानवरों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व (को एक्सस्टेंस) और सभी जीवित प्रजातियों के लिए करुणा (कंपैशन) को हमारे मौलिक कर्तव्यों (फंडामेंटल ड्यूटीज) में से एक के रूप में प्रोत्साहित करता है [अनुच्छेद 51 (G)], लेकिन चीजें उतनी सीधी नहीं हैं जितनी वे दिखती हैं।

आवारा कुत्तों को पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 और अधिनियम की धारा 38 के तहत स्थापित नियमों के तहत संरक्षित किया जाता है , जिसमें पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 ; भारतीय दंड संहिता, धारा 428 और 429; और संविधान का अनुच्छेद 51A (G) शामिल है। भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने पालतू जानवरों के मालिकों और आवारा कुत्तों को खाना खिलाने वालों के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

दिशानिर्देशों के अनुसार: 

  • रेसिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) या समाज का कोई भी दबाव किसी को पालतू जानवर को छोड़ने के लिए प्रेरित करने के लिए पर्याप्त नहीं है, और ऐसा करना एक दंडनीय अपराध है। आरडब्ल्यूए, जिसे अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन (एओए) के रूप में भी जाना जाता है, उनके पास पालतू जानवरों के मालिकों की लिफ्ट या पार्क जैसी अन्य सार्वजनिक सुविधाओं तक पहुंच को प्रतिबंधित करने का अधिकार नहीं है। आरडब्ल्यूए और एओए के पास निवासियों को पालतू कुत्ते प्राप्त करने से रोकने या प्रतिबंधित करने या कुत्ते के आकार या नस्ल के आधार पर भेदभाव करने से रोकने या प्रतिबंधित करने का कोई अधिकार नहीं है।
  • सड़क पर चलने वाले जानवरों के मामले में, एडब्ल्यूबीआइ नियम कहता है कि आवारा कुत्तों को खाना खिलाना कानूनी रूप से संरक्षित गतिविधि (प्रोटेक्टेड एक्टिविटी) है और देखभाल करने वालों और खाना खिलाने वालो को इन कुत्तों का टीकाकरण (वैक्सीनेशन) और नसबंदी (स्टेरलाइज) करवाना चाहिए ताकि पशु कल्याण संगठनों को उनके स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिल सके। यह भी ध्यान देने योग्य है कि भारत सरकार के पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2001 के अनुसार किसी भी नसबंदी किए गए कुत्तों को उनके क्षेत्र से नहीं हटाया जा सकता है।
  • सड़कों पर कुत्तों, बिल्लियों या गायों को जानबूझकर वाहनों से घायल करना भी कानून के खिलाफ है। एक व्यक्ति जो इन नियमों को तोड़ता है, उसे स्थानीय पशु संरक्षण संगठन के साथ-साथ पुलिस को भी रिपोर्ट किया जा सकता है। उपर बताई गई धाराओं का उपयोग मामला दर्ज करने के लिए भी किया जा सकता है। पहले सभी कार्रवाइयां जुर्माना और/या पांच साल की जेल की सजा से दंडनीय हैं।
  • बोर्ड आवारा कुत्तों की देखभाल करने वालों के लिए भी निर्देश जारी करता है, उन्हें सार्वजनिक रूप से आवारा लोगों को भोजन कराते समय स्वच्छ भोजन प्रक्रियाओं का उपयोग करने और बच्चों के खेल के मैदानों के पास आवारा पशुओं को खिलाने से बचने का निर्देश देता है। 
  • यह देखभाल करने वालों को सलाह देता है कि वे अपने पालतू जानवरों को देर रात या सुबह जल्दी खिलाएं, जब वाहनों और मानव दोनों में बहुत कम यातायात हो।
  • भोजन घनी आबादी वाले स्थानों से दूर किया जाना चाहिए और देखभाल करने वालों को सलाह दी जाती है कि वे अपने घरों के पास या बच्चों के खेलने वाले स्थानों और लोगों के चलने वाले क्षेत्रों के आस-पास के स्थानों पर गली के कुत्तों को न खिलाएं।
  • उन्हें कुत्ते की नसबंदी पर भी नज़र रखनी चाहिए और उस जानकारी को निवासियों के साथ संवाद करना चाहिए। पड़ोसियों को इस संदर्भ में शिक्षा (एजुकेशन) देना एक सतत (कंटिन्यूअस) प्रयास होना चाहिए।

हालांकि, पालतू जानवरों के मालिकों और खाना खिलाने वालो के लिए सबसे बड़ी समस्या यह है कि प्रतिबंध, जो कि स्पष्ट रूप से कहा गया है, लेकिन उसे पर्याप्त रूप से लागू नहीं किया गया है। इस तरह के कड़े कानूनों के अस्तित्व के बावजूद, कई लोगों को दंडित नहीं किया जाता है क्योंकि उन्हें न्याय की अदालत में पेश करना मुश्किल है। इन नियमों को लागू करने के लिए ज्यादातर गैर सरकारी संगठन और लोग जिम्मेदार हैं। एक पशु प्रेमी के लिए अब इन नियमों से अवगत होना आवश्यक है।

उन्हें गारंटी देनी चाहिए कि नियमों का पालन किया जाए। दूसरी ओर, उन्हें विवेक और जवाबदेही (प्रुडेंस एंड अकाउंटेबिलिटी) का प्रयोग करना चाहिए। पालतू जानवरों के मालिकों के लिए अपने अधिकारों के लिए दृढ़ रहना महत्वपूर्ण है, जब वह अपार्टमेंट और आवासों में रहने के दौरान शत्रुता का सामना कर रहे हैं। कानून उनके पक्ष में है, और यह उन पर निर्भर है कि वे अपने पशु साथियों के लिए कुछ और मील दूर जाने का विकल्प चुनते हैं या नहीं। हालांकि, कुछ प्रतिबंधों का पालन करना भी उनकी जिम्मेदारी है, जैसे कि सार्वजनिक स्थानों पर अपने पालतू जानवरों के शौच के बाद सफाई करना या सामान्य आबादी को ध्यान में रखते हुए अपने कुत्तों को सार्वजनिक स्थानों पर खुले में न जाने देना।

एडब्ल्यूबीआई. ऑर्गनाइजेशन पर आप, स्पष्ट रूप से और बिना किसी अस्पष्टता के अपनाए गए दिशा निर्देशों के बारे में जान सकते है।

इसके अलावा, लोगों को सड़क पर रहने वाले जानवरों को खाना खिलाने से रोकने का कोई नियम नहीं है। नागरिक/पशु कल्याण स्वयंसेवक (वॉलंटियर्स) जो ऐसा करना चाहते हैं, वे भारतीय संविधान द्वारा उन पर लगाए गए सभी जीवित जानवरों के लिए करुणा (कंपैशन) प्रदर्शित करने के संवैधानिक कर्तव्य को पूरा कर रहे हैं। भारत सरकार के पर्यावरण और वन मंत्रालय के एक वैधानिक संगठन, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) ने हाल ही में 3 मार्च 2021 को आवारा कुत्तों को खिलाने पर व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए। इन दिशानिर्देशों को दिल्ली उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, जिसे जानवरों के कल्याण और संरक्षण के लिए नागरिक और अन्य बनाम राज्य और अन्य के मामले में बरकरार रखा गया। 

आवारा कुत्तों को खाना खिलाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने दी गाइडलाइंस को मंजूरी

18 दिसंबर, 2009 और 4 फरवरी, 2010 को दिल्ली के माननीय उच्च न्यायालय ने निर्णय जारी किए, जिसमें उन्होंने न केवल उन गली के कुत्तों को खिलाया जाना अनिवार्य बताया, बल्कि यह भी कहा कि उन्हें उन क्षेत्रों तक जिससे वे संबंधित हैं, वहीं तक सीमित रखने के लिए उन्हें खाना खिलाया जाता था। पशु प्रजनन नियंत्रण (एनिमल बर्थ कंट्रोल) और वार्षिक टीकाकरण को उन क्षेत्रों तक सीमित करके आसान बना दिया गया है जहां वे संबंधित हैं।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि कुत्ते उत्कृष्ट संरक्षक (एक्सीलेंट गार्ड) होते हैं और मिलनसार (फ्रेंडली), बुद्धिमान और वफादार साथी होते हैं। राजधानी में आवारा कुत्तों को खाना खिलाने के लिए भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के संशोधित (अमेंडेड) दिशानिर्देशों को दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंजूरी दे दी है। नियमों के अनुसार, आवारा कुत्तों को उन क्षेत्रों में खिलाया जाना चाहिए, जहां आम जनता का आना जाना नहीं रहेता है या जिसका उपयोग उनके द्वारा अक्सर नहीं किया जाता है।

दिशानिर्देशों की अन्य विशेषताओं में नीचे दिए गए मुद्दे शामिल हैं: कुत्तों को इन विशिष्ट स्थानो पर खाना खिलाने के लिए नहीं रखा जाना चाहिए; जैसे कि सार्वजनिक मार्गों, सार्वजनिक सड़कों, पैदल चलने वालो और फुटपाथों से बचना चाहिए; फ्लैटों/घरों से तत्काल सटे आम/सार्वजनिक क्षेत्रों से बचना चाहिए; भोजन ऐसे समय में दिया जाना चाहिए जब मानव जनसंख्या की डेंसिटी न्यूनतम (मिनिमम) हो, और भोजन स्वच्छ रूप से और दिन में दो बार दिया जाना चाहिए।

2010 में, अदालत ने पशु कल्याण बोर्ड को शहर के विभिन्न हिस्सों में स्थानों को नामित करने का आदेश दिया जहां पशु प्रेमी, स्थानीय लोगों द्वारा परेशान किए बिना कुत्तों को खाना खिला सकते हैं। न्यायमूर्ति जैन ने दिल्ली पुलिस से आवारा कुत्तों को खाना खिलाने की इच्छा रखने वाले पशु प्रेमियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए भी कहा था, जिसमें कहा गया था कि आवारा कुत्तों को खिलाना कानूनी और फायदेमंद दोनों है। न्यायमूर्ति जैन ने कहा, “कुत्तों को खाना खिलाना उन्हें सुखद बनाना और संभालना आसान बनाता है, और निवासी (रेसिडेंशियल) पशु कल्याण बोर्ड द्वारा निर्धारित स्थानों पर कुत्तों को खिलाने के लिए स्वतंत्र हैं।”

यह आदेश दिल्ली के पशु प्रेमियों द्वारा दायर कई याचिकाओं के जवाब में दिया गया था, जिसमें आवारा कुत्तों को खिलाने की धमकी से सुरक्षा की मांग की गई थी। 

 (पेटीशनर) की कॉलोनियों के पड़ोसियों ने उन्हें आवारा कुत्तों को खिलाने के लिए परेशान किया और धमकाया, इसलिए याचिकाकर्ताओं ने अदालत का दरवाजा खटखटाया।

याचिकाकर्ताओं का मुख्य तर्क यह था कि जानवरों की देखभाल के लिए केंद्रीय मानदंडों (नॉर्म्स) और दिशानिर्देशों के तहत आवारा कुत्तों को खाना खिलाना उनका कानूनी अधिकार था। उन्होंने यह भी दावा किया कि आवारा कुत्तों की देखभाल करने से टीकाकरण और नसबंदी आसान हो जाएगी, जिससे वे स्वस्थ रहेंगे और उनकी संख्या कम होगी। याचिकाकर्ताओं के वकील के अनुसार, जानवरों के प्रति दया दिखाना भी उनका संवैधानिक कर्तव्य था।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2009 और 2010 में जारी अपने फैसलों में दिल्ली पुलिस को उन लोगों की सुरक्षा करने का भी निर्देश दिया है जो गली के कुत्तों को खिलाते हैं और उनकी देखभाल करते हैं, जिन्हें अक्सर कुछ क्षेत्रों के गैर-सूचित (इल इनफॉर्म्ड), गैर-सलाह वाले निवासियों / प्रशासकों (एडमिनिस्ट्रेटर) द्वारा लक्षित (एडवाइस) किया जाता है।

माननीय उच्च न्यायालय का आदेश

18 दिसंबर 2010 को नई दिल्ली के माननीय उच्च न्यायालय ने आवारा कुत्तों को खाना खिलाने का आदेश दिया। उनकी राय के अनुसार, “भारतीय पशु कल्याण बोर्ड को उस क्षेत्र में काम कर रहे रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन, रीजन एसएचओ और एनिमल वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन के सहयोग से उन स्थानों / साइटों का चयन (सिलेक्शन) करना चाहिए, जो अपने फैसले में कुत्तों को खिलाने के लिए सबसे आदर्श स्थान होंगे,”। बयान के अनुसार, “भारतीय पशु कल्याण बोर्ड आज से चार सप्ताह के भीतर इन याचिकाओं के विषय कॉलोनियों में उपयुक्त क्षेत्रों का पता लगाएगा।” उस दौरान, यह भी अधिक से अधिक कॉलोनियों को कवर करने का लक्ष्य रखेगा।”

माननीय न्यायालय ने आदेश दिया की “दिल्ली पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि इन इलाकों में कुत्तों को खिलाने वाले पशु कल्याण संगठनों के स्वयंसेवकों को कोई नुकसान न हो, बशर्ते कि वे उन्हें केवल पशु कल्याण बोर्ड द्वारा निर्दिष्ट घंटों के दौरान ही खिलाएं और प्रदान कि गई जगह पर ही खिलाए या जैसे ही कुत्तों को खिलाने के लिए उपयुक्त स्थान की पहचान की जाती है, तब यह संगठन केवल उन्हीं चिन्हित स्थलों पर कुत्तों को खाना खिलाएंगे,”।

यह रिकॉर्ड में लाना आवश्यक है कि ये व्यक्ति और परिवार जो आवारा जानवरों को गोद लेते हैं, मानवता की एक महान सेवा कर रहे हैं क्योंकि वे इन जानवरों को भोजन और आश्रय प्रदान करके, साथ ही साथ उनका टीकाकरण और नसबंदी कर नगरपालिका अधिकारियों की सहायता में कार्य कर रहे हैं। कोई भी स्थानीय नगरपालिका प्राधिकरण (लोकल म्यूनसिपल अथॉरिटी) ऐसे व्यक्तियों के सहयोग के बिना अपने एबीसी कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा नहीं कर सकता है।

अदालत ने कहा कि ” स्थानीय पुलिस और नगरपालिका अधिकारियों का दायित्व है कि वे न केवल इस तरह के गोद लेने को प्रोत्साहित करें बल्कि यह भी सुनिश्चित करें कि ऐसे व्यक्ति जो इन जानवरों, विशेष रूप से समुदाय या पड़ोस के कुत्तों की देखभाल के लिए आगे आते हैं, वह किसी भी प्रकार की क्रूरता के लिए उनके अधीन नहीं हैं। और “हर व्यक्ति को आवारा कुत्तों को अपनाने का अधिकार है।”

खाद्य पदार्थ जो आपको आवारा कुत्तों को खिलाना चाहिए

जब आवारा कुत्ते भूखे होते हैं, तो वे कुछ भी खा लेते हैं, लेकिन इससे उन्हें खराब स्वच्छता (पुअर हाइजीन) का खतरा अधिक होता है। यदि आप उन्हें रात का खाना स्वस्थ देना चाहते हैं तो आवारा कुत्तों को खिलाने पर विचार करने के लिए यहां कुछ खाद्य पदार्थ दिए गए हैं।

  • रोटी, चावल, उबले आलू, वनस्पति तेल/घी: 

एक सामान्य मानव आहार भी कुत्तों के लिए पोषण का एक अच्छा स्रोत है। आवारा कुत्तों को आप जो सबसे आसान और सबसे महत्वपूर्ण भोजन दे सकते हैं, वह है नरम पके हुए चावल, उबले हुए आलू के छोटे टुकड़े और पानी में थोड़ी मात्रा में वनस्पति तेल या घी। परोसने से पहले पकी हुई रोटियों को अच्छी तरह से मसल लें ताकि उन्हें पाचन में मदद मिल सके।

  • फेंके गए मांस के हिस्से: 

चिकन के पैर, बकरी के फेफड़े, और मछली के अन्य भागों जैसे मानव द्वारा न खाए जाने वाले कट्स को स्थानीय कसाई द्वारा कचरे की तरह फेंक दिया जाता है। अगली बार जब आप कसाई के पास मांस खरीदने जाए तो अपने पड़ोस में आवारा कुत्तों को खिलाने के लिए इस तरह के मांस को थोड़ी मात्रा में खरीदने पर विचार कर सकते क्योंकि वह सस्ता होता हैं। चूंकि पिल्लों के अभी भी दांत निकल रहे होते हैं, इसलिए यह सुनिश्चित करें कि इसे सही तरीके से पकाना चाहिए और इसे केवल बड़े कुत्तों को ही दें। यह मांस के टुकड़े चावल के साथ मिलाएं जा सकते है और इन्हें उच्च प्रोटीन भोजन के रूप में परोसा जा सकता है। इसके अलावा, इसके द्वारा कुत्ते को हड्डी भी मिल जाती है।

  • एक चुटकी हल्दी डालें :

चावल में चुटकी भर हल्दी डालकर आप आवारा कुत्तों को बेहद पसंद आनेवाला भोजन दे सकते हैं।

  • स्टोर से खरीदा गया कुत्तो का खाना: 

यह आवारा कुत्तों के लिए डिब्बाबंद कुत्ते के भोजन और पैक भोजन के साथ एक और विकल्प है। इसे या तो पानी में भिगोकर या उबले चावल के साथ परोसा जा सकता है।

  • जल : 

सभी जीवों के लिए जल जीवन का स्रोत है। यदि आप गर्मियों में आवारा कुत्ते को खिलाने के लिए जा रहे हैं, तो आप यह सुनिश्चित करें कि आपके पास पानी की बहुत सारी बोतलें और कटोरे हैं। अपनी सोसाइटी या घर के गेट के बाहर पानी का कटोरा रखें ताकि कोई भी आवारा कुत्ता, बिल्ली या अन्य आवारा जानवर दिन में कम से कम एक बार साफ पानी पी सकें। सुनिश्चित करें कि पानी के कटोरे को प्रतिदिन साफ ​​और मेंटेन किया जाता है ताकि काई के विकास या रुके हुए पानी के कारण मच्छरों के खतरे से बचा जा सके।

खाद्य पदार्थ जो आपको आवारा कुत्तों को खिलाने से पूरी तरह से बचना चाहिए

  • चॉकलेट: 

चूंकि चॉकलेट में रासायनिक (केमिकल) थियोब्रोमाइन होता है जो मनुष्यों के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन कुत्तों के लिए बेहद हानिकारक होता है। थियोब्रोमाइन कुत्तों में रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) में उल्लेखनीय वृद्धि (इंक्रीज) का कारण बन सकता है, जिससे तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) सहित कई आवश्यक अंग काम करना बंद हो सकते है।

  • कैफीन: 

चूंकि कैफीन में चॉकलेट में पाए जाने वाले गुण (क्वालिटीज) होते हैं, इसलिए इसे कुत्तों की पहुंच से दूर रखने का सुझाव दिया जाता है।

  • डेयरी आइटम: 

अधिकांश कुत्तों के पाचन तंत्र डेयरी उत्पादों में पाए जाने वाले वसा (फेट) को तोड़ने के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं। नतीजतन, वे लैक्टोज असहिष्णु (इनटोलरेंट) हैं, इसलिए उन्हें दूध या पनीर का भोजन न दें क्योंकि इससे उल्टी और दस्त (डायरिया) जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

  • मीठे स्नैक्स : 

चूंकि उनमें जाइलिटोल होता है, जो आमतौर पर कुकीज़, कैंडीज और च्यूइंगम में पाया जाने वाला एक कृत्रिम (आर्टिफिशियल) स्वीटनर है। आवारा कुत्तों को इस तरह  चीज़े देने से बचें क्योंकि उनमें जाइलिटोल से लीवर की गंभीर बीमारी और रक्त के थक्के (ब्लड क्लॉटिंग) जमने जैसे जानलेवा परिणाम हो सकते हैं।

  • प्याज और लहसुन: 

चूंकि ये आसानी से मिल जाते हैं, इसलिए आवारा कुत्तों को खाना खिलाने के लिए फास्ट फूड एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। हालांकि, ऐसा करने से बचें क्योंकि ऐसे खाद्य पदार्थों में प्याज और लहसुन का मिश्रण हो सकता है, जिसे कुत्तों द्वारा लेने पर पेट में जलन हो सकती है और गंभीर स्थितियों में लाल रक्त कोशिका नष्ट हो सकती है।

  • शराब: 

यह स्वतः स्पष्ट है। आवारा कुत्तों को जरा भी शराब न पिलाएं।

  • जामुन: 

अंगूर, चेरी और किशमिश जामुन के उदाहरण हैं जिनमें कृत्रिम स्वीटनर जाइलिटोल होता है। नतीजतन, आवारा कुत्तों को जामुन न खिलाएं। 

कुत्तों को जिम्मेद्दारी से खाना खिलाने के लिए कौनसी चीज़े ध्यान में रखनी चाहिए (रिस्पांसिबल फीडिंग प्रैक्टिस)

भारत में आवारा कुत्तों को खिलाने में मदद करने के लिए कुत्तों को खिलाने के अभियानों में भाग लेना एक शानदार तरीका है। अगर आप किसी एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं तो आवारा कुत्तों को सुरक्षित और जिम्मेदारी से खाना खिलाना सीखने के लिए इन दिशानिर्देशों का पालन करें।

  • बायोडिग्रेडेबल/डिस्पोजेबल कटलरी का उपयोग करें: 

चूंकि लोग अधिकतर भोजन परोसते हैं, इसलिए आवारा कुत्तों को परोसने के लिए डिस्पोजेबल प्लेट एक उत्कृष्ट विकल्प हैं। जब भोजन समाप्त हो जाए, तो कटलरी को पास के कूड़ेदान में डालना सुनिश्चित करें। यदि आपके पास ऐसा कुछ नहीं है, तो अखबार के टुकड़े का उपयोग करें और एक बार कुत्तों के खाने के बाद उन्हें कचरे के थैले में इकट्ठा करना सुनिश्चित करें।

  • भोजन के लिए स्थान चुनें: 

आवारा कुत्तों की जीवित रहने की प्रवृत्ति (नेचर) उन्हें इस बात का अच्छा ज्ञान विकसित करने में मदद करती है कि भोजन के लिए कहां और कब जाना है। आप अपने आवासीय स्थान से कुछ दूर एक सुरक्षित स्थान चुनकर एक सुरक्षित और अबाधित भोजन की आदत का आश्वासन दे सकते हैं।

  • एक भोजन कार्यक्रम निर्धारित करें और उस पर टिके रहें: 

जब आप अपने पड़ोस में आवारा कुत्तों को खाना खिलाना शुरू करते हैं, तो आप यह सुनिश्चित करने का भारी कर्तव्य निभाते हैं कि इन जीवों को अधिकतम संभव स्वास्थ्य में रखा जाए। सुनिश्चित करें कि आवारा कुत्ता भोजन के लिए आप पर निर्भर न हो जाए। इसलिए दिन में बहुत ज्यादा न खिलाएं और न ही बार-बार खिलाएं। एक शेड्यूल बना दें और उस समय पर फ़ीड करें। आवारा कुत्तों को खिलाने का लक्ष्य उन्हें अनुकूल (एड़प्टेबल) बनाना है ताकि उन्हें स्पै / न्यूटर ऑपरेशन के लिए पकड़ना आसान हो, बीमार या घायल होने पर उन्हें संभालना आसान हो, और उनका वार्षिक एंटी-रेबीज टीकाकरण भी हो।

खिलाने का समय, अधिमानत (प्रिफरेब्ली) सुबह 7:00 बजे से पहले या शाम 5:00 बजे के बाद निर्धारित करें, और सुनिश्चित करें कि आप हर दिन वहाँ हैं। आदत तोड़ना विनाशकारी हो सकता है क्योंकि आवारा कुत्ते आपकी अनुपस्थिति के बावजूद आपका इंतजार करते रहेंगे। सुनिश्चित करें कि आप कुत्ते को खिलाने के लिए परिवार के किसी सदस्य या दोस्त के साथ मिलकर काम करते हैं ताकि अगर आप काम या बीमारी के कारण ऐसा करने में असमर्थ हैं, तो कोई और इसे ले जा सकता है।

  • आवारा कुत्तों को न पालें: 

आवारा कुत्तों को खाना खिलाते समय इस बात का ध्यान रखें कि वे पालतू नहीं है। सबसे पहले, आप उन सभी को घर नहीं ले जा सकेंगे, और हो सकता है कि आप उन सभी को अपना नहीं सकते। नतीजतन, उनका जीवन सड़कों पर बीतेगा, और उन्हें लोगों से सुरक्षित दूरी बनाए रखना सीखना होगा, क्योंकि हर कोई कुत्तों को पसंद नई करता है। यदि आप कुत्ते को अपने साथ बेहद दोस्ताना बनाते हैं, तो कुत्ता ध्यान की तलाश में किसी अनजान व्यक्ति पर छलांग लगा सकता है, और यदि वह व्यक्ति कुत्तों को पसंद नहीं करता है, तो कुत्ता उस व्यक्ति को डरा सकता है!

नतीजतन, कुत्ते को लात मारी जा सकती है, और इसी तरह दुर्व्यवहार किया जा सकता है। ऐसी समस्याओं से बचने के लिए बेहतर है कि आवारा कुत्तों को न पालें या उनके साथ ऐसा व्यवहार ना करें जैसे कि वे पालतू हों। अपने और उनके बीच एक सुरक्षित जगह रखें। उन्हें खिलाए और फिर चले जाए। भोजन लाते समय, कुत्तों के आने के लिए सीटी मत बजाओ! बहुत से लोग जो आवारा कुत्तों को खाना खिलाते हैं उन्हें यह भयानक आदत होती है। जब कुत्ते सीटी सुनते हैं, तो वे जानते हैं कि यह भोजन का समय है और सड़क पर दौड़ पड़ते हैं। नतीजतन, दुर्घटनाएं और मौतें अधिक होती हैं। कुत्तों के लिए एक निर्दिष्ट स्थान पर शांत तरीके से भोजन छोड़ दें। यदि वे पहले से नहीं हैं, तो भोजन की महक उन्हें आने के लिए लुभाएगी। आवारा कुत्तों के साथ ऐसा व्यवहार करें जिससे उन्हें सड़कों पर जीवित रहने के लिए आवश्यक आत्मविश्वास और बुद्धिमत्ता मिले। सुनिश्चित करें कि वे किसी भी तरह से आप पर निर्भर नहीं हैं।

  • एक ही समय में दो आवारा कुत्तों को खिलाने से बचें: 

कुत्ते स्वभाव से प्रादेशिक (टेरीटोरियल) होते हैं, और यह आवारा कुत्तों के साथ विशेष रूप से सच है जो एक ऐसे स्थान पर एकत्र होते हैं, जिसे वे आराम करने के लिए आदर्श मानते हैं। यदि आप एक फीडिंग ड्राइव पर जा रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप एक ऐसा स्थान चुनें जो एक विशेष आवारा कुत्ते  की जगह तक ही सीमित हो। एक कुत्ते की आवासीय जगह को दूसरे के बहुत पास खिलाने से दोनों के बीच अवांछित (अन वेलकम) शत्रुतापूर्ण मुठभेड़ हो सकती है।

निष्कर्ष (कंक्लूज़न)

आज तक, केवल दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिशानिर्देशों के साथ आवारा कुत्तों को खिलाने का आदेश पस्त किया है, और अब समय आ गया है कि अन्य राज्य भी इसे लागू करें। एक व्यक्ति के रूप में न केवल न्यायालय के आदेश पर बल्कि हमें अपनी ओर से आवश्यक कार्य करने चाहिए। लॉकडाउन के दौरान, यह आवारा जानवर थे जिन्होंने बहुत कुछ झेला था, हालांकि कई व्यक्ति और गैर सरकारी संगठन अभी भी मदद के लिए आगे आए, मदद सभी जानवरों तक नहीं पहुंच सकी, एक इंसान के रूप में हमारी मानवता का कर्तव्य यह है कि हम आवारा जानवर को खाना खिलाएं। जिन लोगों को यह भ्रांति (मिस कंसेप्शन) है कि आवारा कुत्ते खतरनाक होते हैं, यह सभी मामलों में सच नहीं है, अगर उन्हें खिलाते समय उचित उपाय किए जाएं तो बहुत सारे आवारा जानवरों को फायदा हो सकता है।

8 जून, 2019 को, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कहा कि यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि जानवरों और पक्षियों के कानूनी अधिकार हैं, जैसे मनुष्य एक असाधारण (एक्सेप्शनल) निर्णय में पशु कल्याण अधिनियम पर बताया गया है। इसने नागरिकों को उनके कल्याण और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के कर्तव्य के साथ “पशु साम्राज्य के संरक्षक (गार्डियन ऑफ़ एनिमल किंगडम)” के रूप में घोषित किया है।

संदर्भ (रेफरेंसेस)

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