हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत वॉयड और वॉयडेबल विवाह

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Hindu Marriage Act
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यह लेख ओडिशा के केआईआईटी स्कूल ऑफ लॉ के Arijit Mishra ने लिखा है। यह लेख हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के तहत वॉयड और वॉयडेबल विवाह के बारे में बात करता है। इस लेख का अनुवाद Sakshi Gupta द्वारा किया गया है।

परिचय (इंट्रोडक्शन)

विवाह की अवधारणा (कंसेप्ट) पति-पत्नी के बीच संबंध बनाना है। विवाह एक धार्मिक बंधन है जिसे तोड़ा नहीं जा सकता है। हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 की धारा 5 के अनुसार यह स्वीकार किया गया है कि एक हिंदू विवाह एक धार्मिक समारोह (सेरेमनी) है और एक संस्कार भी है (शुद्धिकरण (प्यूरिफिकेशन) संस्कार के रूप में किया जाता है)। यह भी स्थापित (एस्टेब्लिश) किया गया था कि हर हिंदू शादी कर सकता है। इसके अपवाद (एक्सेप्शन) निषेध (प्रोहिबिशन) हैं जो जाति, गोत्र, धर्म और रक्त संबंधों के आधार पर हैं। इस तरह के निषेध कुछ नियमों जो एंडोगैमी (जहां एक पुरुष किसी महिला से शादी नहीं कर सकता है, जो उसके रिश्ते की है) और एक्सोगैमी (एक पुरुष किसी अन्य जनजाति (ट्राइब) से संबंधित महिला से शादी नहीं कर सकता) पर आधारित है। हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के तहत एंडोगैमी और एक्सोगैमी अवैध हैं।

प्राचीन लेखकों के अनुसार, पत्नी के बिना एक आदमी अधूरा था। विवाह की अवधारणा से एक पुरुष और एक महिला को धार्मिक कर्तव्यों (ड्यूटीज) का पालन करने में सक्षम (इनेबल) बनाना था।

चूंकि वर्तमान हिंदू कानून, भारत के विभिन्न हिस्सों के जनजातियों पर लागू नहीं होता है, इसलिए उन जनजातियों को उनके पारंपरिक (ट्रेडिशनल) कानूनों और यूसेज के तहत शासित (गवर्न) किया जाता है।

विवाह के प्रकार

विवाह 3 प्रकार के होते हैं-

  • वैलिड विवाह
  • वॉयड विवाह
  • वॉयडेबल विवाह

वैलिड विवाह

हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 की धारा 5 वैलिड विवाह के लिए शर्तों को बताती है। एक विवाह को वैलिड कहा जा सकता है, यदि वह निम्नलिखित शर्तों को पूरा करता है:

  • इनमें से किसी भी पार्टी के विवाह के समय पति-पत्नी नहीं होने चाहिए।
  • विवाह के समय कोई भी पार्टी निम्नलिखित नहीं होनी चाहिए-
  1. मानसिक अस्वस्थता (अनसाउंडनैस) के कारण वैलिड सहमति देने में असमर्थ हो।
  2. मानसिक विकार (डिसऑर्डर) से इस हद तक पीड़ित होना कि वह विवाह और प्रोक्रिएशन के लिए अनुपयुक्त (अनफिट) हो।
  3. पागलपन के बार-बार हमलों के अधीन हो।
  • उम्र- दूल्हे की उम्र 21 साल या उससे ज्यादा और दुल्हन की उम्र 18 साल या उससे ज्यादा होनी चाहिए।
  • पार्टियां संबंधों की निषिद्ध (प्रोहिबाइटेड) डिग्री में नहीं होनी चाहिए।
  • पार्टियां का एक दूसरे से सपिंदा (खून का रिश्ता) नहीं होना चाहिए।

विवाह की नुलिटी

यदि कोई बाधा हो तो पार्टीयां आपस में विवाह नहीं कर सकती है। अगर कोई शादी करता है और शादी की प्रक्रिया में कोई बाधा आती है तो यह वैलिड विवाह नहीं होता है। बाधाओं को दो प्रकारों में विभाजित (डिवाइड) किया गया है जो हैं: पूर्ण (एब्सोल्यूट) बाधाएं और सापेक्ष (रिलेटिव) बाधाएं।

पूर्ण बाधाओं में, एक तथ्य जो किसी व्यक्ति को वैध विवाह से अयोग्य घोषित करता है, मौजूद है और विवाह वॉयड है अर्थात शुरू से ही एक अवैध विवाह है।

सापेक्ष बाधाओं में, एक बाधा जो एक निश्चित व्यक्ति के साथ विवाह को मना करती है, मौजूद है और विवाह वॉयडेबल है अर्थात एक पार्टी विवाह से बच सकती है। इन बाधाओं ने विवाह के वर्गीकरण (क्लासिफिकेशन) को जन्म दिया जो इस प्रकार हैं:

  • वॉयड विवाह
  • वॉयडेबल विवाह

हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के तहत वॉयड और वॉयडेबल विवाह का प्रावधान

वॉयड विवाह (धारा 11)

हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 11 के तहत एक विवाह को वॉयड माना जाता है यदि वह हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 5 की निम्नलिखित शर्तों को पूरा नहीं करता है:

  • बायगेमी

यदि किसी भी पार्टी के विवाह के समय कोई अन्य पति/पत्नी जीवित है। इसे नल और वॉयड माना जाएगा।

उदाहरण: तीन पार्टी ‘A’, ‘B’ और ‘C’ हैं जहां ‘A’ का एक जीवित जीवनसाथी ‘B’ है, लेकिन वह फिर से ‘C’ से शादी करता है तो इसे बायगेमी कहा जाएगा और यह वॉयड हो जाएगा।

  • निषिद्ध डिग्री 

यदि पार्टियां निषिद्ध रिश्ते में हैं, जब तक कि कस्टम इसकी अनुमति नहीं देता।

उदाहरण: दो पार्टी ‘A’ और ‘B’ हैं, जहां ‘A’ पति है और ‘B’ उसकी पत्नी है। वे दोनों एक रिश्ते मे थे जो कानून द्वारा निषिद्ध है। इस विवाह को वॉयड विवाह भी कहा जा सकता है।

  • सपिंडा

पार्टियों के बीच एक विवाह जो सपिंडा हैं या दूसरे शब्दों में उन पार्टियों के बीच विवाह जो उन दोनो में से किसी के रिश्तेदारों या एक ही परिवार के हैं।

उदाहरण: दो पार्टी ‘A’ और ‘B’ हैं जहां ‘A’ पति है और ‘B’ पत्नी है, जिसका रक्त संबंध या A से घनिष्ठ (क्लोज) संबंध है जिसे सपिंडा भी कहा जा सकता है। अतः इस प्रक्रिया को वॉयड माना जाएगा।

एक वॉयड विवाह के परिणाम

वॉयड विवाह के परिणाम हैं:

  • पार्टियों के पास वॉयड विवाह में पति और पत्नी की स्थिति नहीं होती है।
  • वॉयड विवाह में बच्चों को लेजिटिमेट कहा जाता है (हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 की धारा 16)
  • एक वॉयड विवाह में पारस्परिक (म्यूचुअल) अधिकार और दायित्व मौजूद नहीं होते हैं।

वॉयडेबल विवाह (धारा 12)

इस धारा के तहत एक विवाह जो दोनो में से किसी पार्टी की ओर से वॉयडेबल है, तो वह वॉयडेबल विवाह के रूप में जाना जाता है। यह तब तक वैलिड होगा जब तक कि विवाह को इन्वेलिडेट करने के लिए याचिका (पिटिशन) नहीं दी जाती है। इस विवाह को हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के तहत एक सक्षम (कंपीटेंट) कोर्ट द्वारा वॉयड घोषित किया जाता है। ऐसे विवाह की पार्टियों को यह तय करना होता है कि वे इस तरह के विवाह में रहना चाहती है या इसे इंवेलिड बनाना चाहती हैं।

वे आधार जहां विवाह को वॉयडेबल कहा जा सकता है:

  • मन की अस्वस्थता के कारण विवाह की पार्टी सहमति देने में सक्षम नहीं है। उदाहरण: दो पार्टी ‘A’ और ‘B’ हैं, जहां ‘A’ पति है और ‘B’ उसकी पत्नी है। ‘B’ ने विवाह की सहमति तब दी जब वह मन की अस्वस्थता से पीड़ित थी। कुछ वर्षों के बाद, ‘B’ ठीक हो जाती है और कहा जाता है कि उसकी सहमति इंवेलिड थी और यह विवाह वॉयडेबल है क्योंकि ‘B’ की सहमति के समय, वह  मन की अस्वस्थता से पीड़ित थी तो, यह वॉयडेबल विवाह का आधार है।
  • पार्टी मानसिक विकार से पीड़ित है जो उसे बच्चों के प्रजनन (रिप्रोडक्शन) के लिए अयोग्य बनाती है। उदाहरण: दो पार्टी ‘A’ और ‘B’ हैं, जहां ‘A’ पति है और ‘B’ उसकी पत्नी है। यदि ‘B’ मानसिक विकार से पीड़ित है जिसके कारण वह बच्चों के प्रजनन के लिए अनुपयुक्त है। तब यह वॉयडेबल विवाह का आधार हो सकता है।
  • अगर पार्टी पागलपन के बार-बार हमलों से पीड़ित है। उदाहरण: दो पार्टी ‘A’ और ‘B’ हैं, जहां ‘A’ पति है और ‘B’ उसकी पत्नी है। ‘A’ या ‘B’ में से कोई भी बार-बार पागलपन के हमलों से पीड़ित है, तो यह भी वॉयडेबल विवाह का आधार हो सकता है।
  • किसी भी पार्टी द्वारा विवाह की सहमति बलपूर्वक या धोखाधड़ी (फ्रॉड) द्वारा की जाती है। उदाहरण: दो पार्टी ‘A’ और ‘B’ हैं जहां A पति है और B उसकी पत्नी है। यदि दोनों में से किसी एक पार्टी ने बलपूर्वक या धोखाधड़ी द्वारा विवाह के लिए सहमति दी है, तो यह एक वॉयडेबल विवाह होगा।
  • यदि दोनों में से कोई एक पार्टी कम आयु की है, मतलब 21 वर्ष से कम आयु का दूल्हा और 18 वर्ष से कम आयु की वधु है। उदाहरण: दो पार्टी ‘A’ और ‘B’ हैं, जहां ‘A’ पति है और ‘B’ उसकी पत्नी है। यदि ‘B’ की आयु 18 वर्ष से कम है तो यह विवाह वॉयडेबल माना जाएगा या यदि A, 21 वर्ष से कम आयु का है तो इसे भी वॉयडेबल विवाह माना जा सकता है।
  • यदि प्रतिवादी (रिस्पॉन्डेंट) शादी करते समय दूल्हे के अलावा किसी और के बच्चे के साथ गर्भवती है। उदाहरण: दो पार्टी ‘A’ और ‘B’ हैं जहां ‘A’ पति है और ‘B’ उसकी पत्नी है। विवाह के समय यदि ‘B’ किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से गर्भवती है। तब विवाह वॉयडेबल होगा।

वॉयडेबल विवाह की नुलिटी के लिए धारा 12 के तहत एक याचिका द्वारा पूरी की जाने वाली आवश्यक शर्तें

  1. धोखाधड़ी की याचिका या शादी पर बल के आवेदन (एप्लीकेशन) पर, इस तरह की धोखाधड़ी या बल के आवेदन की खोज के 1 वर्ष के भीतर कोर्ट में याचिका दायर की जा सकती है।
  2. जिस आरोप के आधार पर याचिका दायर की गई है, वह शादी के समय याचिकाकर्ता की जानकारी में नहीं थे।
  3. ऐसे आरोपों पर याचिका ऐसे तथ्यों की जानकारी के 1 साल के भीतर कोर्ट में पेश किए जाने चाहिए।
  4. कथित (एलेज्ड) तथ्यों के बारे में जानने के बाद कोई यौन (सेक्सुअल) संबंध स्थापित नहीं होता है।

वॉयड और वॉयडेबल विवाह के बीच अंतर

वॉयड विवाह वॉयडेबल विवाह
एक पत्नी को वॉयड विवाह में भरण-पोषण (मेंटेनेंस) का दावा करने का अधिकार नहीं है। एक पत्नी को वॉयडेबल विवाह में भरण-पोषण का दावा करने का अधिकार है।
एक वॉयड विवाह में, पार्टियों को पति और पत्नी का दर्जा नहीं होता है। वॉयडेबल विवाह में पार्टियों का पति और पत्नी का दर्जा होता है।
एक वॉयड विवाह में, नुलिटी की डिक्री की आवश्यकता नहीं होती है। एक वॉयडेबल विवाह में नुलिटी की डिक्री आवश्यक है।
वॉयड विवाह कानून की नजर में कुछ भी नहीं है। एक वॉयडेबल विवाह को सक्षम कोर्ट द्वारा वॉइड घोषित किया जाता है।
एक वॉयड विवाह में बच्चों को लेजिटिमेट माना जाता है। एक वॉयडेबल विवाह में बच्चों को इल्लेजिटिमेट माना जाता है लेकिन इस भेद को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है और कहा है कि एक बच्चे को इल्लेजिटिमेट नहीं कहा जा सकता है।

वॉयड और वॉयडेबल विवाह के तहत बच्चों की लेजिटमेसी

  • हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 की धारा 16 के तहत वॉयड और वॉयडेबल विवाह के तहत बच्चों की लेजिटमेसी निर्दिष्ट (स्पेसिफाई) है।
  • एक वॉयड विवाह में, पैदा हुए किसी भी बच्चे को लेजिटिमेट माना जाएगा।
  • एक वॉयडेबल विवाह में, वैवाहिक संबंध जिसे बाद में कोर्ट द्वारा नल घोषित कर दिया जाता है, से पैदा हुए किसी भी बच्चे को, लेजिटिमेट कहा जाएगा।
  • भले ही धारा 11 (वॉयड विवाह) या धारा 12 के तहत विवाह जिसे नल और वॉयड घोषित किया गया हो, ऐसी परिस्थितियों के बावजूद, ऐसे विवाह से पैदा हुए बच्चे को लेजिटिमेट माना जाता है।
  • यदि विवाह से पहले, दुल्हन गर्भवती थी और शादी के बाद बच्चे को जन्म देती है, तो ऐसे बच्चे को लेजिटिमेट नहीं माना जा सकता है क्योंकि वह बच्चा वर्तमान विवाह के वैवाहिक रिश्ते से पैदा नहीं हुआ था और इसलिए, विवाह के बाद पैदा हुआ बच्चा विवाह से पहले गर्भ धारण करने पर इल्लेजिटिमेट माना जाता है। उदाहरण: यदि दो पार्टी ‘A’ और ‘B’ हैं, जहां ‘A’ पति है और ‘B’ उसकी पत्नी है। विवाह के समय ‘B’ दूसरे के माध्यम से गर्भवती होती है। ‘A’ और ‘B’ के विवाह के बाद पैदा हुआ बच्चा ‘A’ और ‘B’ के वैवाहिक संबंध से नहीं होता है। उस बच्चे को इल्लेजिटिमेट करार दिया जाएगा।

निष्कर्ष (कंक्लूज़न)

हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 से पहले विवाह की पार्टियों के पास विवाह से बाहर निकलने का कोई उपाय नहीं था। हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 की धारा 11 और धारा 12 उन पार्टियों के लिए एक उपाय है, जो एक वॉयड और वॉयडेबल विवाह में हैं। अमेंडमेंट एक्ट, 1976 के इनैक्टमेंट के बाद वॉयड और वॉयडेबल विवाह से पैदा हुए बच्चे को लेजिटिमेट माना जाता है। हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 की धारा 5 के तहत वैलिड विवाह के लिए कुछ आधार हैं, यदि कोई इसका उल्लंघन करता है तो यह विवाह वॉयड विवाह या वॉयडेबल विवाह के बराबर है।

संदर्भ (रेफरेंसेस)

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