यह लेख यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ एंड लीगल स्टडीज, जीजीएसआईपीयू द्वारका के Abhinav Rana द्वारा लिखा गया है। यह लेख डोमेस्टिक वॉयलेंस से संबंधित है। इस लेख का अनुवाद Sonia Balhara द्वारा किया गया है।
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परिचय (इंट्रोडक्शन)
डोमेस्टिक वॉयलेंस को डोमेस्टिक वॉयलेंस एक्ट, 2005 की धारा 3 के तहत परिभाषित किया गया है। महिलाओं के खिलाफ डोमेस्टिक वॉयलेंस को एक ऐसी स्थिति के रूप में समझा जाता है जो लैंगिक मानदंडों (जेंडर नॉर्म्स) और मूल्यों द्वारा समर्थित और प्रबलित (रेनफोर्स्ड) होती है जो महिलाओं को पुरुषों के संबंध में एक अधीनस्थ (सबोर्डिनेट) स्थिति में रखती है। डोमेस्टिक वॉयलेंस के कई रूप हैं, जिसमें शारीरिक आक्रमण (फिजिकल अग्रेशन) या हमला जैसे मारना या धमकी यौन शोषण (सेक्सुअल अब्यूज़); भावनात्मक शोषण (इमोशनल अब्यूज़); नियंत्रण (कंट्रोलिंग); धमकी; पीछा करना; और आर्थिक अभाव (इकनॉमिक डेप्रिवेशन)” देना शामिल है।
घर पर डोमेस्टिक वॉयलेंस के प्रशासन (एडमिनिस्ट्रेशन) के लिए मूल रूप से कानून कार्यान्वयन (इम्प्लीमेंटेशन), सामाजिक कल्याण और मेडिकल सेवाओं के प्रशासन के एक जुट हो कर कोशिश करने की आवश्यकता होती है। इसके मार्ग के लिए कोशिश करने के बावजूद, ज्यादा तर मामलों का विवरण (डिस्क्रिप्शन) रिश्तेदारों से समाज के भोज या शर्म के कारण विस्तृत (डिटेल्ड) नहीं है। प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) और सख्त कानून बनाकर समाज के बर्ताव को बदलकर इन मामलों में असली बदलाव किया जा सकता है।
परिभाषाएं
ब्लैक लॉ डिक्शनरी के अनुसार, “वॉयलेंस” बल का एक अन्यायपूर्ण या अनुचित (अनवर्रांटेड) प्रयोग है जो आमतौर पर जोरदार, आक्रोश (आउटरेज) या रोष (फरी) की संगत के साथ होता है।
डोमेस्टिक वॉयलेंस एक्ट के अनुसार, “डोमेस्टिक संबंध” का अर्थ दो व्यक्तियों के बीच का संबंध है, जो किसी भी समय, एक साझा (शेयर्ड) गृहस्थी (हाउसहोल्ड) में एक साथ रहते थे, जब वे आम सहमति (कॉन्सेंग्युनिटी), विवाह, या विवाह, गोद लेने जैसे रिश्ते के माध्यम से संबंधित होते हैं या संयुक्त परिवार के रूप में एक साथ रहने वाले परिवार के सदस्य होते हैं;
डोमेस्टिक वॉयलेंस एक्ट के अनुसार, “साझा गृहस्थी” का अर्थ है जहां पीड़ित व्यक्ति रहता है या किसी भी स्तर (स्टेज) पर डोमेस्टिक संबंध में या तो अकेले या प्रतिवादी (रेस्पोंडेंट) के साथ रहता है और इसमें ऐसा घर शामिल है जो या तो पीड़ित व्यक्ति और प्रतिवादी द्वारा संयुक्त रूप से स्वामित्व (ओन्ड) या किराए पर लिया गया हो या उनमें से किसी के द्वारा स्वामित्व या किराएदार के संबंध में या तो पीड़ित व्यक्ति या प्रतिवादी या दोनों के पास संयुक्त रूप से या अकेले कोई अधिकार, शीर्षक (टाइटल), हित (इंटरेस्ट) या इक्विटी है और इसमें ऐसा घर शामिल है जो संयुक्त परिवार से संबंधित हो सकता है जिसमें प्रतिवादी एक सदस्य है, भले ही प्रतिवादी या पीड़ित व्यक्ति का साझा परिवार में कोई अधिकार, शीर्षक या हित हो।
डोमेस्टिक वॉयलेंस एक्ट के अनुसार, “डोमेस्टिक वॉयलेंस” (केवल इस एक्ट के लिए) है –
धारा 3(a) में पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन, अंग या भलाई, चाहे मानसिक या शारीरिक, को नुकसान पहुँचाता है या चोट पहुँचाता है या खतरे में डालता है या ऐसा करने की प्रवृत्ति (टेंड्स) रखता है और इसमें शारीरिक शोषण, यौन शोषण, मौखिक और भावनात्मक शोषण शामिल है और आर्थिक शोषण;
धारा 3(b) में, जो कार्य प्रतिवादी द्वारा किए जाते है; केवल उस कार्य का उद्देश्य जोड़ा जाता है अर्थात किसी दहेज या अन्य संपत्ति या मूल्यवान सुरक्षा (वैल्युएबल सिक्यॉरिटी) की गैरकानूनी (अनलॉफुल) मांग । दो अन्य क्लॉज़ 3 (c) और 3 (d) हैं, जो कि धमकी या नुकसान पहुंचाने जैसे मामलों से संबंधित है।
ऊपर बताई गई धाराओं में 2 स्पष्टीकरण (एक्सप्लेनेशन) भी शामिल हैं जो धारा 3 में इस्तेमाल किये गए ‘शब्दों’ को समझने में सहायता करते हैं।
इसलिए, परिभाषा भाग डोमेस्टिक वॉयलेंस के लगभग सभी पहलुओं को शामिल करने की कोशिश करता है और प्रदान की गई परिभाषा समावेशी (इंक्लूसिव) है क्योंकि यह स्पष्टीकरण में “शामिल” का उपयोग करती है, इसलिए प्रदान की गई परिभाषा ‘स्ट्रेट जैकेट फॉर्मूला’ नहीं है, समय की मांग के अनुसार ज्यूडिशियरी द्वारा स्पष्टीकरण के माध्यम से इसका विस्तार किया जा सकता है।
पृष्ठभूमि (बैकग्राउंड)
महिलाओं के खिलाफ वॉयलेंस की घटना, जो सदियों से लाखों महिलाओं को सता रही है, धर्म, धन, स्थिति और समाज की बाधाओं को काटकर एक गंभीर विश्वव्यापी (वर्ल्डवाइड) मुद्दे में बदल गई है।
देश में हर दिन हजारों महिलाओं का उनके पुरुष समकक्षों (काउंटरपार्ट्स) द्वारा शारीरिक, मानसिक और यौन शोषण किया जा रहा है। वॉयलेंस के यह कार्य डोमेस्टिक वॉयलेंस, यौन हमले, बलात्कार, आई.पी.वी आदि सहित कई रूप लेते हैं।
यह बहुत स्पष्ट है कि यह बिटकॉइन की तरह एक सीधा मुद्दा नहीं है; यह सदियों से हमारा पीछा कर रहा है और अभी भी हमारे साथ मौजूद है।
भारत में, डोमेस्टिक वॉयलेंस का कानूनी विकास 1980 के दशक में शुरू हुआ, जब भारत ने कन्वेंशन ऑन द एलिमिनेशन ऑफ ऑल फॉर्म्स ऑफ डिस्क्रिमिनेशन अगेंस्ट वूमेन को रेटिफाई किया।
1983 में भारत ने आई.पी.सी में 498A डालकर पहला कदम उठाया, जो पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता से संबंधित है, लेकिन इस अमेंडमेंट के बाद भी, डोमेस्टिक वॉयलेंस के मामलों की अधिकता (प्लेथोरा) जारी रही।
प्रमुख समूहों (ग्रुप्स) के साथ विचार-विमर्श (कंसल्टेशन) के आधार पर लॉयर्स कलेक्टिव और डोमेस्टिक वॉयलेंस पर मॉडल लेजिस्लेशन के लिए यूनाइटेड नेशन फ्रेमवर्क ने 2005 में राष्ट्रपति द्वारा विचार-विमर्श और अमेंडमेंट पास किए जाने के बाद बिल के करंट वर्शन का मसौदा (ड्राफ्ट) तैयार किया और इसे प्रोटेक्शन ऑफ वूमेन फ्रॉम डोमेस्टिक वॉयलेंस एक्ट, 2005 के रूप में जाना जाता है।
एक्ट के प्रिअंबल में “अधिक प्रभावी” शब्द का प्रयोग किया गया है, यह स्वयं इस बात का प्रमाण है कि इस एक्ट से पहले डोमेस्टिक वॉयलेंस पीड़ित की स्थिति दयनीय (मिसरेबल) थी और कोई उचित कानून नहीं था। यह पस्त (बैटर्ड) महिलाओं के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी, जो अब आशा की एक किरण देख सकती है, जिन्होंने कानूनी और सामाजिक अधीनता के अंत का वादा किया था।
इस एक्ट ने डोमेस्टिक वॉयलेंस का मामला दर्ज करने के लिए समाज को एक नई दिशा प्रदान की क्योंकि इसने कई मनोवैज्ञानिक (साइकोलॉजिकल) बाधाओं और महिलाओं के डर को घटा दिया जो ‘ससुराल’ के खिलाफ मामला दर्ज करते समय होता था, क्योंकि यह महिलाओं के लिए धारा 19 के तहत एक वैकल्पिक आवास (अल्टरनेटिव रेसिडेंस) और धारा 20 के तहत मौद्रिक राहत (मोनेटरी रिलीफ) प्रदान करता है।
डोमेस्टिक वॉयलेंस की विशेषताएं
पीड़ित संसाधन (रिसोर्स)
एक्ट के तहत, पीड़ितों को जब भी आवश्यक हो शरण (शेल्टर), मेडिकल सुविधाएं और कानूनी सहायता दी जानी चाहिए।
धारा 14 के तहत परामर्श (काउंसलिंग)
एक्ट की धारा 14 में मजिस्ट्रेट द्वारा निर्देशित (डायरेक्टेड) परामर्श दोनों पक्षों को या जो भी आवश्यक हो, मजिस्ट्रेट के आदेश या निर्देश के अनुसार दिया जाता है।
धारा 9 के तहत सुरक्षा अधिकारी (प्रोटेक्टिंग ऑफिसर)
जैसा कि एक्ट की धारा 9 के तहत कहा गया है, हर एक जिले में एक सुरक्षा अधिकारी नियुक्त (अपॉइंट) किया जाना चाहिए। अधिकारी की ड्यूटी में डोमेस्टिक वॉयलेंस की घटना की रिपोर्ट दर्ज करना और पीड़ित को जब भी आवश्यक हो मेडिकल ट्रीटमेंट, कानूनी सहायता प्रदान करना शामिल है।
धारा 19 के तहत रहने की जगह
इस धारा के तहत पीड़ित की सुरक्षा के लिए, मजिस्ट्रेट व्यक्तिगत, मौखिक, इलेक्ट्रॉनिक और टेलीफोनिक बातचीत द्वारा प्रतिवादी की पीड़ित के साथ बैठक पर रोक लगा सकता है।
धारा 22 के तहत मुआवजा (कंपनसेशन)
एक्ट की धारा 22 के तहत, मजिस्ट्रेट प्रतिवादी को पीड़ित को मुआवजे और हर्जाने की एक निश्चित राशि का भुगतान करने का आदेश दे सकता है।
धारा 32(2)
एक्ट की धारा 32(2) के तहत, पीड़ित की एकमात्र गवाही के तहत अदालत यह मान सकती है कि आरोपी ने अपराध किया है। अपराध को नॉन-कॉग्निजेबल और नॉन-बेलेबल बताया गया है।
शीघ्र सुनवाई (स्पीडी ट्रायल)
एक्ट शीघ्र सुनवाई सुनिश्चित करता है क्योंकि अदालत को शिकायत के 3 दिनों के भीतर कार्यवाही शुरू करनी होती है और सुनवाई की तारीख से 60 दिनों के भीतर निर्णय देना होता है।
धारा 16
चैप्टर 4 की धारा 16 मजिस्ट्रेट को कैमरे में कार्यवाही (प्रोसीडिंग्स) करने की अनुमति देती है यदि दोनों में से कोई भी पक्ष ऐसा चाहता है तो।
धारा 21
इस धारा के तहत बच्चों की कस्टडी पीड़िता को दी जाती है। मजिस्ट्रेट द्वारा अनुमति दिए जाने पर प्रतिवादी को बच्चे से मिलने की अनुमति है।
धारा 20 के तहत मौद्रिक राहत
एक्ट की धारा 20 डोमेस्टिक वॉयलेंस के पीड़ित को मौद्रिक राहत प्रदान करती है। पीड़ित पक्ष या उसके बच्चों को कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर, 1973 की धारा 125 के तहत मेंटेनेंस दिया जाता है।
डोमेस्टिक वॉयलेंस के प्रकार
शारीरिक शोषण (फिजिकल अब्यूज़)
शारीरिक शोषण डोमेस्टिक वॉयलेंस का सबसे ज्यादा सुना जाने वाला रूप है। यह तब होता है जब पीड़ित के खिलाफ इस तरह से शारीरिक बल का प्रयोग किया जाता है जिससे वह घायल हो जाता है। उदाहरण के लिए: यदि कोई पति अपनी पत्नी को नियमित रूप से पीटता है, तो पत्नी उस पर डोमेस्टिक वॉयलेंस का मुकदमा कर सकती है।
यौन शोषण (सेक्सुअल अब्यूज़)
कोई भी स्थिति जिसमें लोगों को उनकी इच्छा के बिना किसी असुरक्षित या यौन गतिविधि (सेक्सुअल एक्टिविटी) में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता है, वह यौन शोषण है। जबरदस्ती यौन संबंध, यहां तक कि एक पति या पत्नी या साथी द्वारा, जिसके साथ पीड़िता ने सहमति से यौन संबंध बनाए थे, आक्रमकता (अग्रेशन) और डोमेस्टिक वॉयलेंस का कार्य है।
भावनात्मक शोषण (इमोशनल अब्यूज़)
भावनात्मक शोषण में मौखिक शोषण के साथ-साथ चिल्लाना, नाम-पुकारना, दोष देना ये सब शामिल है। डराना-धमकाना और नियंत्रित करने वाला व्यवहार भी भावनात्मक शोषण के ही रूप हैं। भावनात्मक शोषण का उपयोग करने वाले अक्सर शारीरिक वॉयलेंस में भी शामिल होते हैं यदि पीड़ित वैसा नहीं करते हैं जैसा वे चाहते हैं।
आर्थिक शोषण (इकोनॉमिक अब्यूज़)
आर्थिक शोषण, आर्थिक संसाधनों के माध्यम से पीड़ित को नियंत्रित करने का एक तरीका है। इसमें शामिल हैं: वित्त (फाइनेंस) को सख्ती से नियंत्रित करना, उपयोग किए गए हर एक पैसे के लिए पीड़ित को दोषी बनाना, भत्ते (एलाउंस) को सीमित करना, अपनी व्यक्तिगत पसंद से रोकना।
डोमेस्टिक वॉयलेंस में शामिल हैं
- शारीरिक शोषण की घटनाएं मामूली लगती हैं।
- साथ ही, अगर किसी रिश्ते में शारीरिक शोषण की घटनाएं कुछ ही बार हुई हों।
- कई लोगों पर भावनात्मक और मौखिक रूप से हमला किया जाता है। इसे हिंसा कहा जा सकता है।
- यदि आप निष्क्रिय (पैसिव) हो जाते हैं तो शारीरिक हमले बंद हो जाते हैं।
डोमेस्टिक वॉयलेंस के प्रभाव
डोमेस्टिक वॉयलेंस से उत्तरजीवियो (सर्वाइवर) को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक शोषण सहने के बाद निरंतर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यह न केवल वयस्क (एडल्ट) पीड़ित के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है बल्कि माता-पिता और समुदाय (कम्युनिटी) की आर्थिक और सांस्कृतिक (कल्चरल) भलाई को भी प्रभावित करता है। स्वस्थ होने की यात्रा में, सभी को यह ध्यान रखना चाहिए कि हीलिंग में समय लगता है और इन समस्याओं की हीलिंग प्रोसेस उत्तरजीवी को अंधूरिनि शक्ति विकसित करने में मदद कर सकती है और अपने और अपने परिवार के लिए सुरक्षा के डर को कम कर सकती है।
3 में से एक महिला अपने किसी परिचित के कारण शारीरिक या यौन हिंसा या दोनों का अनुभव करती है। यह विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों, परिवार और समाज को प्रभावित करता है।
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पीड़ित पर प्रभाव
1. मृत्यु, बीमारी, चोट और विकलांगता
डोमेस्टिक वॉयलेंस से उत्तरजीवी अक्सर साइकोसोमैटिक बीमारियों, ईटिंग डिसऑर्डर्स, इंसोम्निया, गैस्ट्रोइंटेस्टिनल गड़बड़ी, जनरलाइज्ड क्रॉनिक पेन और पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पी.टी.एस.डी) जैसी विनाशकारी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित होते हैं। वॉयलेंस दीर्घकालिक (लॉन्ग टर्म) के साथ-साथ अल्पकालिक (शॉर्ट-टर्म) शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं में अस्थमा, क्रॉनिक पेन, हार्ट की समस्याएं, माइग्रेन का सिरदर्द आदि शामिल हैं। इन समस्याओं से निपटने के लिए, कुछ महिलाएं असुरक्षित यौन संबंध बनाने, शराब या ड्रग्स का दुरुपयोग करने जैसे जोखिम भरे व्यवहार करने लगती हैं। यह किसी की अपने शरीर के प्रति धारणा (असम्प्शन) को भी बदल देता है। अल्पकालिक शारीरिक प्रभावों में मामूली चोटें शामिल हो सकती हैं जिनका पता स्कैन या एक्स-रे द्वारा भी लगाया जा सकता है। इनमें से कुछ चोटें, चोट के निशान, कटने, अंगों पर चोट आदि हैं।
2. भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक आघात (इमोशनल एंड साइकोलॉजिकल ट्रॉमा)
इसमें क्रोध, शर्म और आत्महत्या जैसे व्यक्ति के व्यक्तित्व (पर्सनेलिटी) पर विनाशकारी प्रभाव शामिल हैं। शर्म और शर्मिंदगी की भावना एक ऐसा कारक (फैक्टर) हो सकता है जो किसी व्यक्ति को ऐसी सहायता या सेवाओं की तलाश करने से रोकता है जो उन्हें ऐसी समस्याओं से निपटने में मदद कर सकें। भावनात्मक समर्थन की कमी से भय, चिंता, क्रोध, डिप्रेशन, सामाजिक वापसी और यहां तक कि आत्महत्या की प्रवृत्ति (ट्रेंड) भी बढ़ जाती है। ये घाव पीड़ितों को कई वर्षों तक परेशान करते हैं और अक्सर इलाज नहीं किया जाता है क्योंकि एक्स-रे द्वारा उनका पता नहीं लगाया जा सकता है।
3. आर्थिक बेघर (इकोनॉमिक होमलेसनेस)
डोमेस्टिक वॉयलेंस के उत्तरजीवी अपने संबंधों की अपमानजनक (अब्यूसिव) प्रकृति से खुद को सुरक्षित रखने के लिए इसे सबसे अच्छा तरीका मानते हैं। 2017 में एक ही रात में, बेघर सेवा प्रदाताओं (प्रोवाइडर्स) के पास डोमेस्टिक वॉयलेंस से उत्तरजीवियो के लिए 55,000 से अधिक बिस्तर थे। 2015 में सिर्फ एक दिन में, डोमेस्टिक वॉयलेंस आपातकालीन आश्रय (इमरजेंसी शेल्टर) या संक्रमणकालीन आवास कार्यक्रमों (ट्रांज़िशनल हाउसिंग प्रोग्राम्स) में भागते हुए 31,500 से अधिक वयस्क और बच्चे आए थे। डोमेस्टिक वॉयलेंस कार्यक्रम के दिन, धन, स्टाफ या अन्य संसाधनों की कमी के कारण सेवाओं के लिए 12,197 से अधिक अनुरोधों (रिक्वेस्ट्स) को पूरा करने में असमर्थ थे।
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वित्तीय प्रभाव (फाइनेंशियल इफेक्ट)
एक बार जब पीड़ित आरोपी को छोड़ देते हैं, तो वे इस सचाई से दंग रह सकते हैं कि किस हद तक शोषण ने उनकी स्वायत्तता (ऑटोनोमी) को छीन लिया है। आर्थिक शोषण के कारण, पीड़ित के पास आमतौर पर बहुत कम पैसे होते हैं और बहुत कम लोग होते हैं जिन पर वे मदद मांगते समय भरोसा कर सकते हैं। यह डोमेस्टिक वॉयलेंस के पीड़ित द्वारा सामना की जाने वाली सबसे बड़ी बाधाओं में से एक के रूप में दिखाया गया है, और सबसे मजबूत कारक जो उन्हें आरोपी को छोड़ने से हतोत्साहित (डिस्करेज) कर सकता है।
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बच्चों पर प्रभाव
अध्ययनों (स्ट्डीज) से पता चलता है कि 50% से अधिक महिला उत्तरजीवी की देखभाल में बच्चे हैं। डोमेस्टिक वॉयलेंस बच्चों को कई तरह से भावनात्मक और शारीरिक नुकसान पहुंचा सकता है, जैसे कि फोबिया या इन्सोमिया का विकास, तनाव का प्रबंधन (मैनेजमेंट), दूसरों के साथ सकारात्मक (पॉजिटिव) संबंध बनाने में परेशानी और सिरदर्द जैसे शारीरिक लक्षण। बच्चों को उनके पालन-पोषण के लिए सुरक्षित वातावरण की आवश्यकता होती है।
जिस घर में डोमेस्टिक वॉयलेंस होता है, वह पीड़ितों के लिए सुरक्षित नही होता है। कई बार ऐसे शोषण के साक्षी बच्चे भी पीड़ित बन जाते हैं। इन बच्चों को दीर्घकालिक शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए बहुत अधिक जोखिम होता है। इसमें मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति, डिप्रेशन आदि शामिल हो सकते हैं। अब्यूज के कारण गड़बड़ी उम्र के कारक पर भी निर्भर करती है।
1. प्री-स्कूल के बच्चे
इस तरह के वॉयलेंस के सबसे ज्यादा पीड़ित सबसे छोटे होते हैं। जो लोग प्रत्यक्ष (डायरेक्ट) रूप से पीड़ित नहीं होते हैं, उनमें कुछ वैसी ही व्यवहारिक और मनोवैज्ञानिक समस्याएं होती हैं, जो शारीरिक रूप से अब्यूज बच्चों के समान होती हैं। इन बच्चों को चीजें सीखने में कठिनाई हो सकती है और वह डिप्रेशन और चिंता से गुज़र सकते हैं। छोटे बच्चे कमजोर होते हैं और यह बहुत परेशान करने वाला है कि छोटे बच्चों वाले घरों में वॉयलेंस ज्यादा प्रचलित (प्रिवेलेंट) है।
इससे संभावना है कि यह अगली पीढ़ी के लिए वॉयलेंस का एक सतत चक्र (कंटीन्यूइंग साइकिल) बन जाएगा। आने वाले समय में उनके शारीरिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास को नुकसान होने का भी एक महत्वपूर्ण जोखिम है।
2. स्कूली उम्र के बच्चे
इस आयु वर्ग के बच्चे अब्यूज के लिए दोषी महसूस कर सकते हैं और वह इसके लिए खुद को दोषी ठहरा सकते हैं। वह अच्छी तरह से अध्ययन नहीं कर सकते हैं और अच्छे अंक प्राप्त नहीं कर सकते हैं। यह भी हो सकता है कि वह स्कूल की गतिविधियों में भाग न लें। वे मुद्दों के कारण कम भाग्यशाली महसूस करते हैं और एक सामान्य बच्चे की तुलना में उनके कम दोस्त हो सकते हैं।
3. टीन्स
टीन्स जो अब्यूज को देखते हैं, वे नकारात्मक (नेगेटिव) तरीकों से कार्य कर सकते हैं जैसे कि बुरी आदतों को चुनना, सभी के साथ बहस करना, दूसरों की राय को न समझना। 6 में से एक (16%) महिला को डेटिंग पार्टनर द्वारा मौखिक रूप से अब्यूज किया गया है। हालांकि, इस वॉयलेंस को रोका जा सकता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के नेतृत्व (लीडरशिप) में, 10 इंटरनेशनल एजेंसियों के एक समूह (ग्रुप) ने एक सबूत-आधारित तकनीकी पैकेज विकसित और समर्थन किया है जिसे इंस्पायर: बच्चों के खिलाफ वॉयलेंस को समाप्त करने के लिए 7 स्ट्रेटेजीस के रूप में जाना जाता है।
इसका उद्देश्य देशों और समुदायों को बच्चों के खिलाफ वॉयलेंस समाप्त करने पर एसडीजी लक्ष्य 16.2 हासिल करने में मदद करना है। इंस्पायर शब्द का हर एक अक्षर एक स्ट्रेटेजीज के लिए खड़ा है, और ज्यादातर को कई अलग-अलग प्रकार की वॉयलेंस में निवारक (प्रिवेंटिव) प्रभावों के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य, शिक्षा और अपराध में कमी जैसे क्षेत्रों में लाभ के लिए दिखाया गया है। 7 स्ट्रेटेजीज हैं:
- कानूनों का कार्यान्वयन (इम्प्लीमेंटेशन) और प्रवर्तन (एनफोर्समेंट);
- मानदंड (नॉर्म्स) और मूल्य परिवर्तन (वैल्यू चेंज्ड);
- सुरक्षित पर्यावरण;
- माता-पिता और देखभाल करने वाले का समर्थन;
- आय (इनकम) और आर्थिक मजबूती;
- प्रतिक्रिया (रिस्पांस) सेवाओं के प्रावधान (प्रोविजन्स);
- शिक्षा और जीवन कौशल (स्किल्स)।
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समुदाय पर प्रभाव (इफेक्ट ऑन कम्युनिटी)
डोमेस्टिक वॉयलेंस का प्रभाव पीड़ित तक नहीं रुकता है नहीं रुकता, बल्कि यह समुदाय को भी प्रभावित करता है, जैसे कि बच्चे दूसरों के साथ सकारात्मक और सम्मानजनक संबंधों के बारे में सीखे बिना बड़े हो रहे हैं। समाज और समुदाय पर डोमेस्टिक वॉयलेंस का प्रभाव बहुत गंभीर है। समाज के लिए इसकी कॉस्ट फेनोमीनल है और समाज पर इस तरह की डोमेस्टिक वॉयलेंस के प्रभाव निम्नलिखित हैं।
1. स्वास्थ्य सेवा पर सरकारी सब्सिडी प्रभावित
स्वास्थ्य समानता (हेल्थ इक्विटी) को संबोधित (एड्रेस) करने के लिए सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण है। मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर (एम.ओ.एच.एफ.डब्ल्यू) भारत की पब्लिक हेल्थ सिस्टम को रास्ता दिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डोमेस्टिक वॉयलेंस के मामलों में वृद्धि के कारण, सरकार ने मेडिकल ट्रीटमेंट पर दबाव डाला है। डोमेस्टिक वॉयलेंस से जुड़ी चोटों के इलाज के लिए कुल मेडिकल कॉस्ट $44 मिलियन से अधिक तक पहुंच गई है।
2. आर्थिक नतीजों (इकोनॉमिक रेपरक्युशन)
इस दुरुपयोग का एक और आर्थिक प्रभाव दीर्घकालिक उत्पादकता (प्रोडक्टिविटी) है, जिसका सामना कंपनियों को करना पड़ता है। ज्यादातर पीड़ित कार्यस्थल पर दिखाई देने में विफल रहते हैं, जिससे कार्य उत्पादकता पर भी असर पड़ता है। यह कारक का एक कारण है कि कंपनियों ने इन नीतियों में डोमेस्टिक वॉयलेंस को संबोधित करके कुछ नीतियां बनाई हैं। वे अपने कर्मचारियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए एजेंसियों के साथ संबंध चाहते हैं। वे उन्हें एक सुरक्षित कार्य वातावरण प्रदान करने का प्रयास कर रहे हैं जो समाज के लिए एक अच्छी बात है।
कारण
डोमेस्टिक वॉयलेंस एक चॉइस है और यह एक सीखा हुआ बर्ताव है। यह तब शुरू होता है जब एक साथी को दूसरे को नियंत्रित करने की आवश्यकता महसूस होती है। कम आत्मसम्मान, ईर्ष्या और अन्य भावनाओं के कारण दुर्व्यवहार करने वाले को अपने साथी को नियंत्रित करने की आवश्यकता महसूस हो सकती है। शराब और ड्रग्स वॉयलेंट बर्ताव में योगदान कर सकते हैं। नशे में धुत व्यक्ति को अपने और अपने गुस्से या अग्रेशन को नियंत्रित करने की संभावना कम होती है।
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मनोवैज्ञानिक सिद्धांत
मनोवैज्ञानिक सिद्धांत अपराधी के व्यक्तित्व लक्षणों (पर्सनल ट्रेट्स) और मानसिक क्षमता पर केंद्रित है। व्यक्तित्व लक्षणों में अचानक क्रोध, खराब नियंत्रण और खराब आत्मसम्मान शामिल हैं। विभिन्न सिद्धांत कहते हैं कि जो व्यक्ति बचपन में चिड़चिड़े स्वभाव का होता है, वह अक्सर वयस्कता में वॉयलेंट हो जाता है। कुछ शोध बताते हैं कि इस डोमेस्टिक वॉयलेंस में लगभग 80% पुरुषों में विशिष्ट व्यक्तित्व विकार होते हैं।
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ईर्ष्या द्वेष (जेलसी)
डोमेस्टिक वॉयलेंस के कई मामले सामने आए हैं जिनमें इस कार्य के पीछे मुख्य कारण ईर्ष्या थी। साथी दूसरे के बेवफा होने और विवाहेतर संबंधों (एक्स्ट्रामैरिटल अफेयर्स) में लिप्त (एंगेज्ड) होने के बारे में असुरक्षित था।
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सामाजिक तनाव (सोशल स्ट्रेस)
तनाव मुख्य कारण है जिसके कारण डोमेस्टिक वॉयलेंस के पीड़ित अपने जीवन को समाप्त करने का प्रयास करते हैं, या अपराध की रिपोर्ट नहीं करते हैं। पारिवारिक स्थितियों या पड़ोसियों के कारण तनाव बढ़ सकता है। वॉयलेंस तनाव के कारण नहीं होता, बल्कि यह उन कारणों में से एक है जिससे पीड़िता प्रभावित होती है।
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मानसिक बीमारी (मेन्टल इलनेस)
मानसिक विकार भी डोमेस्टिक वॉयलेंस का कारक/कारण है। इसके पीछे विभिन्न विकार जैसे गुस्सा, पैरानॉयड पर्सनालिटी डिसऑर्डर हैं। ऐसा कहा जाता है कि दुर्व्यवहार करने वालों में से कम से कम 1/3 को कोई न कोई मानसिक बीमारी होती है।
डोमेस्टिक वॉयलेंस के सिद्धांत
पिछले कुछ दशकों में, वॉयलेंस की घटना के संबंध में बढ़ते सबूतों के साथ, डोमेस्टिक वॉयलेंस ने कई संबंधित नारीवादियों (फेमिनिस्ट्स), मानवाधिकार समूहों (ह्यूमन राइट्स ग्रुप्स), सामाजिक वैज्ञानिकों (सोशल साइंटिस्ट्स) और सामाजिक कार्य करने वालों का ध्यान खींचा है। उन्होंने बहुत सारे सिद्धांत दिए थे, और उनमें से कुछ यहाँ सूचीबद्ध (लिस्टेड) हैं:
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नारीवादी सिद्धांत (फेमिनिस्ट थ्योरी)
यह सैद्धांतिक परिप्रेक्ष्य (थ्योरेटिकल पर्सपेक्टिव) 1970 के आस-पास अपने चरम पर महिला आंदोलन के दौरान उभरा। नारीवादी स्पष्टीकरण के मूल (कोर) में यह विचार है कि हिंसा असमान शक्ति ; डोमेस्टिक वॉयलेंस समाज में पुरुषों और महिलाओं की असमान शक्ति को दर्शाती है और इसलिए, उनके व्यक्तिगत संबंधों की परछाई है। मूल रूप से, यह सिद्धांत इस दृष्टिकोण पर केंद्रित है कि पुरुष महिलाओं से श्रेष्ठ हैं इसलिए वह उनपर हावी हैं।
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मनोवैज्ञानिक सिद्धांत (साइकोलॉजिकल थ्योरी)
इस सिद्धांत के फ़ॉलोअर्स का मानना है कि क्वेरिडा के साथ ओम्ब्रे की शारीरिक हिंसा या अपमानजनक प्रकृति (अब्यूसिव नेचर) का मुख्य कारण उसका मानस (साइकी) है जो उसके शुरुआती समय में विकसित हुआ था।
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वॉयलेंस की साइकिल थ्योरी
यह सिद्धांत एक बहुत ही दिलचस्प (इंटरेस्टिंग) सिद्धांत है, क्योंकि इसने डोमेस्टिक वॉयलेंस को 3 चरणों (फेजेस) में डिवाइड किया है:
- तनाव बढ़ाने का चरण (स्टेज)
- तीव्र (एक्यूट) पिटाई की घटना और
- दयालुता (काइंडनेस) और विपरीत (कंट्रीट) प्रेमपूर्ण व्यवहार।
यह द बैटरेड वूमेन से उभरा जो 1979 में पहली बार प्रकाशित हुई थी।
पहले चरण में, जब मामूली मारपीट की घटनाएं होती हैं, तो महिला समस्या को अपनाती है, युक्तिसंगत (रेशनलाइज) और बाहरी (एक्सटर्नलाइज़) बनाती है। दूसरे चरण में तनाव बढ़ जाता है, जिससे महिला को शारीरिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से गंभीर रूप से पीटे जाने की घटना का सामना करना पड़ता है। तीसरे चरण का स्वागत दोनों भागीदारों द्वारा किया जाता है, जो अनियंत्रित प्रेम, स्नेह और पति द्वारा फिर से घटनाओं को न दोहराने के वादे से चिह्नित होता है। यह सिलसिला लगभग सभी पस्त (बैटर्ड) महिलाओं के जीवन में खुद को दोहराता रहता है।
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संरचनात्मक सिद्धांत (स्ट्रक्चरल थ्योरी)
यह सिद्धांत सामाजिक-सांस्कृतिक (सोशियो-कल्चरल) सिद्धांतों का उप सिद्धांत (सब-थ्योरी) है; यह सिद्धांत मानता है कि वॉयलेंट होने के पीछे दो कारण हैं यानी ज्यादा तनाव और कम संसाधन। तनाव के मुमकिन स्रोतों में आर्थिक स्थिति, खराब आवास, सापेक्ष (रिलेटिव) गरीबी, नौकरी के अवसरों की कमी, प्रतिकूल (अनफेवरेबल) और निराशाजनक काम की स्थिति डोमेस्टिक वॉयलेंस के प्राथमिक (प्राइमरी) कारण हैं।
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पितृसत्ता सिद्धांत (पैट्रिअरक थ्योरी)
यह सिद्धांत आर.ई दोबाश और आर. दोबाश द्वारा विकसित किया गया था, यह कहता है कि पूरे इतिहास में, वॉयलेंस को व्यवस्थित रूप (सिस्टमैटिकली) से महिलाओं के प्रति निर्देशित किया गया है। पितृसत्तात्मक सामाजिक व्यवस्था (पैट्रिआरकल सोशल आर्डर) और पारिवारिक संरचना (फैमिली स्ट्रक्चर) का समर्थन करने के लिए आर्थिक और सामाजिक प्रक्रियाएं प्रत्यक्ष (डायरेक्टली) और अप्रत्यक्ष (इंडिरेक्टली) रूप से संचालित (ऑपरेट) होती हैं। डोबाश का केंद्रीय सैद्धांतिक तर्क (सेंट्रल थ्योरिटिकल आर्ग्युमेंट) यह है कि पितृसत्ता महिलाओं को अधीनता की ओर ले जाती है और महिलाओं के खिलाफ निर्देशित व्यवस्थित हिंसा के ऐतिहासिक पैटर्न में योगदान करती है।
ऊपर दिये गए सिद्धांत प्रमुख सिद्धांत हैं और उन्हें समकालीन (कंटेम्पररी) स्थितियों से आसानी से जोड़ा जा सकता है और डोमेस्टिक वॉयलेंस के अन्य सिद्धांत इन्हीं सिद्धांतों के इर्द-गिर्द घूमते हैं।
किन पीड़ितों को डोमेस्टिक वॉयलेंस की रिपोर्ट करने की संभावना है?
इस अब्यूज के कुछ पीड़ित दूसरों की तुलना में अपने पीड़ित होने की रिपोर्ट करने की ज्यादा संभावना रखते हैं। रिसर्च में कहा गया है कि जिन महिलाओं को जस्टिस सिस्टम का ज्यादा अनुभव है, वह पुलिस को फोन करके उनकी सहायता मांग सकती हैं। चोट से पीड़ित की रिपोर्टिंग में वृद्धि नहीं हो सकती है, अक्षमता के कारण, इन मामलों में किसी तीसरे पक्ष द्वारा कॉल करने की संभावना बढ़ जाती है, या यह तथ्य कि गंभीर रूप से घायल पीड़ितों के पास सुरक्षात्मक आदेश होने की संभावना कम है।
क्या गिरफ्तारी सबसे अच्छी प्रतिक्रिया है?
पुलिस अधिकारियों को कुछ शर्तों के तहत गिरफ्तारी करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है जिसमें हमले के सबूत, अपराध जहां भौतिक (फिजिकल) सबूत मौजूद हैं, सुरक्षा आदेश का उल्लंघन आदि शामिल हैं। इसे अनिवार्य गिरफ्तारी नीति के रूप में जाना जाता है। इस नीति पर कई बहसें हैं, कुछ का कहना है, यह पीड़ित को वकीलों से परामर्श (कंसल्ट) करने के लिए एक विराम देता है। जबकि, अन्य लोग अब्यूज की सर्व-सामान्य (ऑल-टू कॉमन) सच्चाई की ओर इशारा करते हैं, जहां वॉयलेंस को संबोधित करने के लिए सकारात्मक कदम उल्टा पड़ सकता है।
इस संदर्भ में, गिरफ्तारी की संभावना के कारण एक समय में वॉयलेंस में वृद्धि हुई। दूसरी ओर, शोधकर्ताओं (रिसर्चर्स) ने यह भी पाया है कि पीड़ितों का विशाल बहुमत शोषण करने वाले की गिरफ्तारी से संतुष्ट है।
मैसाचुसेट्स में, 82% या तो बहुत या कुछ हद तक संतुष्ट थे और 85.4% ने कहा कि वह इसी तरह की घटना के लिए फिर से पुलिस को बुलाएंगे। इसी तरह, कैलिफ़ोर्निया, ओरेगॉन, नेब्रास्का और वाशिंगटन में अदालतों के एक अध्ययन में पाया गया कि 76 प्रतिशत पीड़ितों ने कहा कि वह अपने शोषण करने वाले को गिरफ्तार करना चाहते हैं।
बुराई अभी भी क्यों है?
हम खुद को “आधुनिक (मॉडर्न)”, “सुसंस्कृत (वेल-कल्चर्ड)” आदि कहते हैं, लेकिन फिर भी हम ऐसी बुराई के साथ जी रहे हैं, और आश्चर्यजनक रूप से न केवल गरीब परिवार, बल्कि कुछ कुलीन (इलाइट) और शिक्षित परिवार भी इस बुराई का अभ्यास (प्रैक्टिस) करते हैं।
निरंतरता (कंटिन्यूएशन) के पीछे कारक हो सकते हैं:
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वित्तीय कारक (फाइनेंशियल फैक्टर्स)
यह एक सच्चाई है कि वित्तीय स्थिरता (स्टेबिलिटी) जीवन में शांति लाती है, और हम में से ज्यादातर ने इसका अनुभव किया है। जब कोई परिवार डोमेस्टिक मामलों को संभालने वाले व्यक्ति की तुलना में आर्थिक रूप से संघर्ष करता है, तो कभी-कभी संसाधनों की कमी के कारण वॉयलेंट हो जाता है और परिणामस्वरूप, वह परिवार के सदस्यों को पीटता है।
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गंभीर अंदर की आवाज
कभी-कभी, होम्ब्रे यह मान लेते हैं कि उनका क्वेरिडा उनके प्रति आज्ञाकारी नहीं है या वे मूर्ख हैं आदि। ये आत्म-पूर्वाग्रह (सेल्फ-प्रिज्यूडिस) धारणाएँ और कम आत्मसम्मान डोमेस्टिक वॉयलेंस का कारण बनते हैं।
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साथी के अलावा किसी और के साथ अफेयर्स
अब यह मामला किसी के साथ भी हो सकता है, जब कोई अपने साथी में दिलचस्पी नहीं रखता है और किसी और के साथ संबंध रखता है तो पहले से मौजूद साथी से संबंध तोड़ने के लिए लोग डोमेस्टिक वॉयलेंस का सहारा लेते हैं। ये उपरोक्त कारण डोमेस्टिक वॉयलेंस के जारी रहने का एकमात्र कारण नहीं हैं, बल्कि उपरोक्त तीन कारण समकालीन समय में प्रचलित हैं।
महामारी ने डोमेस्टिक वॉयलेंस के मामलों को कैसे बढ़ाया?
महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ वॉयलेंस “एक छाया महामारी” है। जनवरी के महीने में उन्हें कुल 1,462 शिकायतें मिलीं, जिनमें से 270 डोमेस्टिक वॉयलेंस के मामले थे। फरवरी में डोमेस्टिक वॉयलेंस के 302 मामले दर्ज किए गए। मार्च में, 1323 शिकायतों में से 302 डोमेस्टिक वॉयलेंस के मामले थे। दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार को हाईएस्ट लेवल मीटिंग का निर्देश दिया है।
जब भी परिवार एक साथ ज्यादा समय बिताते हैं, जैसे क्रिसमस और गर्मी की छुट्टियां, तो डोमेस्टिक वॉयलेंस बढ़ जाता है। मेरे विचार में, कोविड-19 में डोमेस्टिक वॉयलेंस के लिए वित्तीय कारकों को प्राथमिक कारक माना जा सकता है, क्योंकि लॉकडाउन था, जिसके कारण कंपनियों के वेतन में कटौती की जाती थी, उनकी आय का स्रोत खो गया था और यदि परिवार आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे हैं तो शांति कैसे हो सकती है उम्मीद भी की जाती है कि बहुत से लोग जो शारीरिक श्रम करते हैं उनके पास करने के लिए कोई काम नहीं है और वे बस अपने घरों में कैद हैं।
निष्कर्ष (कंक्लूज़न)
हालांकि डोमेस्टिक वॉयलेंस के खिलाफ कई सरकारी संस्थानों द्वारा प्रयास किए गए हैं, फिर भी इस अब्यूज के मामलों में वृद्धि हो रही है। लोगों को उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करके इन पर रोक लगायी जा सकता है, डोमेस्टिक वॉयलेंस की सामुदायिक जांच, सुरक्षित आश्रय प्रदान करके और सख्त कानून बनाकर डोमेस्टिक वॉयलेंस के मामलों की संख्या को कम करने में भी मदद मिलेगी।
एक बेहतर समाज के निर्माण में एक बालिका को शिक्षित करना पहला कदम है। समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए। कई एन.जी.ओ इन अभियानों का हिस्सा रहे हैं और लोगों के मार्ग को उजागर करते हैं। इसे समाप्त करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि समाज के प्रत्येक तबके (स्ट्राटम) को एक मुक्त जीवन की गारंटी के लिए जुड़ना चाहिए।
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