यह लेख द वेस्ट बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिडिकल साइंसेज के Shubham Choudhary द्वारा लिखा गया है, लेखक ने टॉर्ट्स की विभिन्न परिभाषाओं और इसकी विभिन्न विशेषताओं पर चर्चा की थी। इस लेख का अनुवाद Namra Nishtha Upadhyay द्वारा किया गया है ।
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विभिन्न विचारकों द्वारा परिभाषाएं
सैल्मंड के अनुसार “टॉर्ट एक नागरिक गलत (सिविल रॉन्ग) है जिसके लिए उपाय, अनिर्णीत हर्जाना (अनलिक्विडेटेड डेमेजेस) के लिए एक सामान्य कानूनी कार्रवाई है, और जो विशेष रूप से एक अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) का उल्लंघन या एक विश्वास का उल्लंघन, या अन्य केवल न्यायसंगत दायत्व (इक्विटेबल ओब्लिगेशन) नहीं है।”
विनफील्ड ने टॉर्ट्स को ऐसे परिभाषित किया है कि “मुख्य रूप से कानून द्वारा तय किए गए कर्तव्य के उल्लंघन से गंभीर कपटपूर्ण (टॉर्टियस) दायित्व होता है। यह कर्तव्य आम तौर पर व्यक्तियों के प्रति होता है और इसका उल्लंघन अनिर्णीत हर्जाने के लिए एक कार्रवाई द्वारा निवारण (रिड्रेसेबल) योग्य होता है।
पोलक का के अनुसार ” टॉर्ट एक कार्य या चूक है, जो न केवल व्यक्तिगत संबंधों से या एक अनुबंध द्वारा उत्पन्न होने वाले कर्तव्य का उल्लंघन है, जिससे किसी समझदार व्यक्ति को कोई नुकसान का सामना करना पड़ता है, और यह एक नागरिक उपचार को जन्म देता है जो एक अनुबंध की करवाई में नही है।
फीजर टॉर्ट को ऐसे परिभाषित करते है कि टार्ट एक निजी व्यक्ति के अधिकार का उल्लघंन है जिसमें पीड़ित पक्ष के द्वारा मुकदमे दर्ज करने के बाद उसे मुआवजा देके उसका भुगतान किया जाता है।
पेटर ब्रिक्स ने भी टॉर्टस को परिभाषित करने में अपना योगदान दिया है, “एक कानूनी कर्तव्य का उल्लघंन, जो एक व्यक्ति के हित को इस तरह प्रभावित करता है कि जिसे कानून उस व्यक्ति को अपने दम पर शिकायत करने की अनुमति देता है और उसे समाज को साथ लेके और उनकी प्रतिनिधि (रिप्रेजेंटेटिव) करने की जरूरत नहीं है।
बर्डिक इस शब्द को ऐसे परिभाषित करते है “एक कार्य या चूक जो कानून द्वारा बनाए गए किसी व्यक्ति के अधिकार का गैरकानूनी उल्लंघन करता है और जिसके लिए उचित उपाय, मुआवजे के लिए एक सामान्य कानूनी कार्रवाई है जो पीड़ित व्यक्ति द्वारा दर्ज की जा सकती है।”
प्रॉसर और कीटॉन ने अपनी पुस्तक में टॉर्ट्स को परिभाषित किया है, “टॉर्ट कानून का एक निकाय है जो व्यक्तियों के दावों को या व्यक्ति से संबंध न रखनेवाला कानूनी संस्थाओं के दावों से संबंधित है, जो हर्जाने के लिए या कोई और कानूनी राहत के कारण एक दूसरे के खिलाफ है और टॉर्ट कानून उसे देने या अस्वीकार करने योग्य है।
अमेरिकी न्यायविद (ज्यूरिस्ट) एडवर्ड किओनका लिखते हैं, “टॉर्ट एक मायावी अवधारणा है (और) एक उपयोगी परिभाषा तैयार करने के प्रयासों को विफल कर दिया है। एक सामान्य तत्व यह है कि किसी व्यक्ति को किसी कार्य या दूसरे व्यक्ति द्वारा कोई कार्य करने न करने के परिणामस्वरूप कोई घाटा या हानि हुई है। टॉर्ट शायद सामान्य कानून का सबसे छोटा भाग है। टॉर्ट कानून असंहिताबद्ध (अनकोडिफाइड) रहता है और बड़े हिस्से में क़ानून से अप्रभावित रहता है”
सामान्य कानून के देशों में से एक, कनाडा के उच्च न्यायालय ने हॉल बनाम हर्बर्ट के मामले में एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया, “टॉर्ट की प्रकृति को परिभाषित करना मुश्किल है। दरअसल, इस क्षेत्र के महानतम लेखकों में से एक, डब्ल्यू.एल. प्रोसर ने राय व्यक्त की है कि इसे परिभाषित नहीं किया जाना चाहिए।
टॉर्ट कोई अपराध नहीं है। जबकि आपराधिक कानून और टॉर्ट कानून एक ही मूल से विकसित हुए हैं, लेकिन आज वे काफी अलग हैं। आपराधिक कानून राज्य के नागरिक के लिए सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाया गया है। यह उस आचरण को परिभाषित करने का प्रयास करता है जिसे समाज घृणित (एबोरेंट) पाता है और इसलिए इसे नियंत्रित करना आवश्यक है। जो लोग अपराध करते हैं, उन पर राज्य द्वारा मुकदमा चलाया जाता है और वे दंड के अधीन होते हैं जो विशेष अपराध के लिए राज्य या समाज के घृणा को दर्शाता है।
टॉर्ट्स का कानून अपनी प्रकृति में संविदात्मक नहीं है। अनुबंध कानून उन अधिकारों को लागू करने का प्रयास करता है जो एक समझौते से उत्पन्न होते हैं जिनके पक्ष खुद से इसकी शर्तों से बाध्य होने के लिए सहमत होते हैं। अनुबंध का कानून विशेष रूप से समझौते की शर्तों को लागू करने या इसके उल्लंघन के लिए मुआवजा प्रदान करने का प्रयास करता है। अर्ध-संविदात्मक राहत के शीर्षक के अंतर्गत टॉर्ट्स नहीं आ सकते हैं। उदाहरण के लिए, वह उपाय अन्यायपूर्ण संवर्धन (इनरीचमेंट) को रोकने का प्रयास करता है जो गलती के तहत पैसे के भुगतान से उत्पन्न हो सकता है। टॉर्ट्स का कानून अनुबंध की तुलना में बहुत व्यापक क्षेत्र को कवर करता है। यह एक ऐसा साधन प्रदान करता है जिससे मुआवजे, आमतौर पर नुकसान के रूप में, दूसरों के गलत आचरण के परिणामस्वरूप एक पक्ष को हुई नुकसान के लिए भुगतान किया जा सकता है”।
शब्दों के सबसे महत्वपूर्ण और सही आवंटन (एलोकेशंस) में से एक हाउस ऑफ लॉर्ड्स के लॉर्ड डेनिंग द्वारा किया गया था कि “टॉर्ट का प्रांत हानिकारक आचरण के लिए जिम्मेदारी आवंटित करना है”।
सीमा अधिनियम (लिमिटेशन एक्ट), 1963 की धारा 2(M), टॉर्ट्स को परिभाषित करता है “टॉर्ट का मतलब एक नागरिक गलत है जो विशेष रूप से अनुबंध या विश्वास का उल्लंघन नहीं है”।
जॉन मर्फी और क्रिश्चियन विटिंग की पुस्तक स्ट्रीट ऑन टॉर्ट्स में, टॉर्ट्स को परिभाषित करने का एक सुंदर प्रयास किया गया था “टॉर्ट सभी प्राकृतिक और कृत्रिम (आर्टिफिशियल) व्यक्तियों पर कानून के संचालन द्वारा लगाए गए दायित्वों से संबंधित नागरिक कानून की शाखा है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के स्वामित्व वाले इन दायित्वों में आचरण के मानदंड (क्राइटेरिया) शामिल हैं जो अनुबंध या अन्यायपूर्ण संवर्धन (इनरीचमेंट) से संबंधित है। टॉर्ट उस व्यक्ति को सक्षम बनाता है, जिस पर अपनी ओर से एक उपाय करने के लिए दायित्व बनाया है, जहां एक प्रासंगिक आचरण के उल्लंघन के रूप में कानून द्वारा मान्यता प्राप्त एक हद तक उसके हितों का उल्लंघन होता है।
अपने क्षेत्रों में अग्रणी (पायनियर) से इन परिभाषाओं के साथ एक आम धारणा तैयार की जा सकती है क्योंकि एक व्यक्ति का अधिकार होना चाहिए और यह कानूनी अधिकार किसी अन्य व्यक्ति द्वारा भंग किया जाना चाहिए और जिस व्यक्ति के अधिकार का उल्लंघन किया गया है, उसके पास अदालत में कानूनी उपाय होना चाहिए। यह भी विस्तार से बताया गया है कि यह अपराध के कानून और अनुबंध कानून सहित अन्य कानूनों से कैसे अलग है।
समाज की जरूरतों के अनुसार समय-समय पर विकसित होने की असीमित गुंजाइश (स्कोप) और क्षमता ही टॉर्ट के कानून को अलग और अप्रत्याशित (एनेक्सपेक्टेड) बनाती है।
टॉर्ट की विशेषताएं
टॉर्ट एक नागरिक गलत है
सब को पता होना चाहिए कि दो प्रकार की गलतियाँ होती हैं: नागरिक और आपराधिक गलत। टॉर्ट नागरिक कानून के दायरे में आता है और इसके गलत को नागरिक गलत के रूप में जाना जाता है। अंतर समझना महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि आपराधिक कानून के विपरीत नागरिक कानूनों में कोई सजा नहीं होती है और मामले पर स्वयं एक व्यक्ति द्वारा मुकदमा दर्ज किया जाता है और राज्य द्वारा मुकदमा नहीं किया जाता है, आगे अनिर्णीत हर्जाना के रूप में मुआवजा दिया जाता है जो कि आपराधिक कानून में नहीं है।
टॉर्ट सर्वबंधी अधिकार का उल्लंघन है
अधिकार दो प्रकार के होते हैं, सर्वबंधी अधिकार और व्यक्तित्व (परसोना) में अधिकार। हालांकि सर्वबंधी अधिकार पूरी दुनिया के खिलाफ उपलब्ध है लेकिन व्यक्तित्व में अधिकार किसी विशेष व्यक्ति के खिलाफ उपलब्ध है।
जैसे कि जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के साथ अनुबंध करता है और दोनो पक्षों में से एक ने उस अनुबंध का उल्लंघन किया है, तो जिस व्यक्ति के अनुबंध का उल्लंघन किया गया है, वह केवल उस व्यक्ति पर मुकदमा कर सकता है जिसने अनुबंध का उल्लंघन किया है। इसे व्यक्तित्व में अधिकार के रूप में जाना जाता है यानी कोई व्यक्ति उस पर मुकदमा कर सकता है जिसे उसने अनुबंध किया है।
दूसरी ओर, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी संपत्ति का आनंद लेने का अधिकार है और कोई भी व्यक्ति जिसने उल्लंघन किया है, उस पर मुकदमा चलाया जाएगा और वह बिना किसी नुकसान के मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा। इसे सर्वबंधी अधिकार के रूप में जाना जाता है जो पूरी दुनिया के खिलाफ उपलब्ध है। इस तरह से टॉर्ट सर्वबंधी अधिकार है और पूरी दुनिया के खिलाफ उपलब्ध है। किसी भी पूर्व-मौजूदा संबंध की कोई आवश्यकता नहीं है, केवल आवश्यकता अधिकार के अस्तित्व की है और उस अधिकार का उल्लंघन किसी व्यक्ति द्वारा किए जाने की है।
सर्वबंधी अधिकार किसी विशेष व्यक्ति के लिए विशिष्ट नहीं है, जो कि टॉर्ट्स के कानून की सुंदरता है, कोई ऐसे व्यक्ति पर मुकदमा कर सकता है जिसने बिना किसी संबंध के अधिकार का उल्लंघन किया हो।
टॉर्ट्स कानूनी अधिकारों से संबंधित मामलों से निपटते हैं
यह काफी उचित है कि टॉर्ट एकमात्र उल्लंघन से संबंधित है जो कानूनी अधिकार के उल्लंघन के संबंध में है। हालांकि एक व्यक्ति को आर्थिक या सामाजिक नुकसान हो सकता है, लेकिन अगर उसने किसी कानूनी व्यक्ति के अधिकार का उल्लंघन नहीं किया है, तो उसे अदालत में टॉर्ट कानून के तहत कोई सहारा नहीं मिलेगा। इस विशेषता के अंतर्गत दो प्रसिद्ध मामले हैं जो इस विषय को विस्तार से बताते हैं। इनमें से पहला ग्लूसेस्टर ग्रामर स्कूल का मामला है, इस मामले में प्रतिवादी ने पहले से स्थापित स्कूल के सामने एक नया स्कूल खोला है जिसके परिणामस्वरूप पहले से स्थापित स्कूल के राजस्व (रेवेन्यू) में कमी आई है, लेकिन पहले से स्थापित स्कूल के पास टॉर्ट्स के कानून के तहत कोई सहारा नहीं है। हालांकि स्थापित स्कूल को आर्थिक नुकसान हुआ है लेकिन किसी भी कानूनी अधिकार का उल्लंघन नहीं है, इसलिए टोर्ट्स कानून के तहत उसे उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है, निम्नलिखित मामला मैक्सिम डेमनम साइन इंजुरिय का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है जहां पक्षों को नुकसान होता है लेकिन कोई कानूनी उपाय नहीं है जिसका अर्थ है कि नुकसान हुआ लेकिन किसी भी कानूनी अधिकार का उल्लंघन नहीं है, इसलिए बिना किसी कानूनी नुकसान के क्षति या हानि के बिना कोई कनूनी उपचार नही है। ऐसे में न्यायालय उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाएगा।
निम्नलिखित मैक्सिम के ठीक विपरीत इंजुरिया साइन डैमनो है जहां पक्षों को कानूनी नुकसान हुआ है लेकिन पक्षों को कोई वास्तविक या शारीरिक नुकसान नहीं हुआ है। इस तरह पक्षों को अदालत का सहारा लेना होगा और नुकसान की मांग न करने पर भी हर्जाना मांगना होगा। विषय का सबसे अधिक मामला एशबी बनाम व्हाइट है, इस मामले में, मतदाता (वोटर्स) सूची में नाम और पहचान के प्रमाण के बावजूद एक व्यक्ति को मतदान से रोक दिया गया था लेकिन जिस व्यक्ति को वह जीताना चाहता है वह चुनाव जीत गया है इसलिए कोई नुकसान नहीं हुआ है लेकिन उसके कानूनी अधिकार का उल्लंघन किया गया था, इसलिए वह हर्जाने और मुआवजे का हकदार था।
मुआवजे के रूप में उपाय
टोर्ट्स कानून में, उपाय को नुकसान के रूप में दिया जाता है, जिसकी गणना अदालत द्वारा नुकसान के आधार पर की जाती है। यह तरीका अनुबंधों के कानून से अलग है जहां अनुबंध में पहले से ही नुकसान का उल्लेख किया गया है या फिर सहमत शर्तों के अनुसार आसानी से गणना की जा सकती है। साथ ही आपराधिक कानून में कारावास के रूप में सजा दी जाती है।
ये अंतर कानून की प्रकृति और समाज में उनके द्वारा पूरा किए जाने वाले उद्देश्य के कारण हैं, जैसे कि आपराधिक कानून समाज में प्रतिरोध (डिटरेंस) पैदा करना चाहता है, इसलिए यह सजा की सिफारिश करता है ताकि इसे समाज में एक उदाहरण के रूप में स्थापित किया जा सके और दोबारा कोई ऐसा करने की सोच न सके। इसी तरह, अनुबंध कानून में, उद्देश्य व्यवसाय की पूर्ति या किसी विशेष लेनदेन को आकार देना है, इसलिए उनके आवश्यक रूपों में नुकसान होता है जैसे कि विशेष प्रदर्शन या पूर्व-गणना की गई क्षति। ऐसा ही टोर्ट्स कानून में होता है, मामला पक्षों को उनकी मूल स्थिति में वापस लाने का होता है, इस कारण से मुआवजे के रूप में उपाय दिया जाता है ताकि पक्षों को मूल स्थिति में लाया जा सकें।
अधिकार कानून द्वारा तय किए जाने हैं
अधिकारों के उल्लंघन के लिए एक उपाय का दावा करने के लिए, सरकार द्वारा अधिकारों को मान्यता दी जानी चाहिए। ये अधिकार अपने स्वयं के उद्देश्य के लिए स्व-घोषित अधिकार नहीं हो सकते हैं, न ही ये पक्षों की पिछली सहमति पर आधारित हो सकते हैं। अधिकार सरकार द्वारा स्वीकार्य होना चाहिए और ये अधिकार समाज की जरूरतों के अनुसार बदलते हैं। सरकार को यह पहचानना चाहिए कि प्रतिवादी पर कर्तव्य मौजूद है जो वह करने में विफल रहा है और उल्लंघन का कारण बना है और यह उल्लंघन नुकसान के लिए अनुमानित था अन्यथा दावा बनाए रखने में विफल रहेगा।
टॉर्ट्स का कानून पूरी तरह से पूर्व उदहारण (प्रेसीडेंट) पर आधारित है
हालांकि पूर्व उदहारण किसी भी कानून के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन ऐसे मामले में टॉर्ट कानून ही कानून का एकमात्र स्रोत है। एक क़ानून या अधिनियम है जो विशेष रूप से टॉर्ट के कानून से संबंधित है। इस विशेषता के माध्यम से, सामान्य कानून के निर्णय एक महत्वपूर्ण और एकमात्र स्रोत बन जाते हैं जो इन अधिकारों को कानून के विषय के रूप में मान्यता देते हैं।
टॉर्ट्स कानून असंहिताबद्ध है
संहिताबद्ध कानून ऐसे कानून हैं, जिनमें उस विषय पर लिखित क़ानून और कार्य होते हैं और संसद में संशोधन की प्रक्रिया द्वारा परिवर्तन होते हैं, इसे असंबद्ध कानूनों से अलग किया जा सकता है जिनमें कोई लिखित क़ानून या अधिनियम नहीं होता है और मिसालों और केस कानूनों पर भरोसा करना होगा और सरकार के हस्तक्षेप के बिना बदलाव संभव हो सकता है। इस प्रकार, टॉर्ट्स का कानून पूरी तरह से मिसाल पर आधारित है और विभिन्न निर्णय के माध्यम से विकसित किया गया है, यह स्वस्थ रूप से कहा जा सकता है कि आपराधिक कानून और अनुबंध कानून के विपरीत टॉर्ट कानून का कानून पूरी तरह से संहिताबद्ध है, और निर्णय प्रमुख भूमिका नहीं निभाती हैं।