सेप्रेट ‘एग्रीमेंट ऑफ आर्बिट्रेशन’ और ‘कॉन्ट्रैक्ट एग्रीमेंट’ 

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Arbitration and conciliation Act
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यह लेख पुणे के भारती विद्यापीठ विश्वविद्यालय, न्यू लॉ कॉलेज के Beejal Ahuja ने लिखा है। यह लेख एक कॉन्ट्रैक्ट एग्रीमेंट में एक अलग आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट और एक आर्बिट्रेशन क्लॉज़ होने के महत्व पर चर्चा करता है। इस लेख का अनुवाद Sonia Balhara द्वारा किया गया है।

Table of Contents

परिचय (इंट्रोडक्शन)

“आर्बिट्रेशन दान के साथ मिश्रित (ब्लेंडेड) न्याय है”।

यह ब्रेसलोव के नाचम के शब्द हैं। हमारी भारतीय न्यायपालिका प्रणाली (ज्यूडिशियरी सिस्टम) लगभग हर समय मामलों से भरी पड़ी रहती है जिसके कारण, पार्टीज के लिए अपने विवादों को जल्दी से सुलझाना मुश्किल हो जाता है। लेकिन अगर पार्टी आर्बिट्रेशन के लिए जाती हैं तो वह अपने विवाद को बहुत जल्दी सुलझा लेती हैं और यह एक बहुत ही गोपनीय प्रक्रिया (कॉन्फिडेंटल प्रोसेस) भी होती है

हालांकि आर्बिट्रेशन अभी भी भारत में एक बढ़ता हुआ क्षेत्र है, भारत सरकार ने आर्बिट्रेशन में दुनिया भर में अपनी जगह में अपनी जगह बनाने के लिए कुछ कदम उठाए हैं। इसलिए, विभिन्न विवादों के समाधान में तेजी लाने और इंटरनेशनल और डोमेस्टिक आर्बिट्रेशन को प्रभावी ढंग से काम करने के लिए, जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण (माननीय सुप्रीम कोर्ट के फार्मर जज) और स्टेट हाई कोर्ट्स के सदस्य उद्योग (इंडस्ट्री) के प्रतिनिधि (रिप्रेजेंटेटिव) और वरिष्ठ अधिवक्ता (सीनियर एडवोकेट्स), द्वारा एक कमिटी बनाई गई थी। कमिटी द्वारा की गई सिफारिशों को यूनियन कैबिनेट द्वारा मंजूर किया गया था जिसने आर्बिट्रेशन एंड कॉन्सिलिएशन (अमेंडमेंट) बिल 2018 को प्रभावित (इफेक्ट) किया था, जो पहले ही लोकसभा द्वारा पास किया गया था।

बिल ने विवादों के निपटारे के लिए इंस्टीट्यूशनल आर्बिट्रेशन को प्रोत्साहित (एनकरेज) किया और भारत को अल्टरनेटिव डिस्प्यूट रिज़ॉल्यूशन (ए.डी.आर) तंत्र (मैकेनिज्म) का केंद्र बना दिया। बिल में डोमेस्टिक और इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन से संबंधित प्रावधान (प्रोविजन) और कॉन्सिलिएशन की कार्यवाही के संचालन (कंडक्शन) के लिए कानून भी शामिल थे। भारत सरकार द्वारा आर्बिट्रेशन और इंटरनेशनल ट्रेड को बढ़ावा देने के इन प्रयासों के बाद, नई दिल्ली इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन का केंद्र बन गया है।

यदि कंपनी आर्बिट्रेशन प्रक्रिया का विकल्प चुनती है, तो दो तरीके हैं, या तो, आर्बिट्रेशन का एक स्वतंत्र एग्रीमेंट होना या कॉन्ट्रैक्ट एग्रीमेंट में एक आर्बिट्रेशन क्लॉज होना चाहिए। आर्बिट्रेशन एंड कॉन्सिलिएशन एक्ट, 1996, की धारा 7 की उप-धारा (सब-सेक्शन)(2) के तहत इसका उल्लेख किया गया है कि, एक आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट दो रूपों में हो सकता है, या तो एक अलग एग्रीमेंट के रूप में या एक कॉन्ट्रैक्ट एग्रीमेंट में एक आर्बिट्रेशन क्लॉज के रूप में, लेकिन यह लिखित में होना चाहिए। दोनों ही मामलों में, विवाद कर्ता (डिस्प्यूटर) के पास अपनी पसंद का आर्बिट्रेटर हो सकता है।

मुकदमेबाजी पर आर्बिट्रेशन (आर्बिट्रेशन ओवर लिटिगेशन)

मुकदमेबाजी (लिटिगेशन) पर आर्बिट्रेशन चुनने के कई कारण और लाभ हैं। उनमें से कुछ हैं:

निजता और गोपनीयता (प्राइवेट एंड कॉन्फिडेंशियल)

आर्बिट्रेशन प्रक्रिया गोपनीय है। आर्बिट्रेटर और विवादित (डिस्प्यूटिंग) पार्टी के अलावा इस मामले के बारे में कोई नहीं जानता। अगर दो पार्टी और तीसरी पार्टी जो शामिल होने जा रही है, वह सहमत हैं, तो केवल तीसरी पार्टी को मामले में हस्तक्षेप (इंटरफेयर) करने की अनुमति है।

मुकदमेबाजी से भी तेज़ (फास्टर देन लिटिगेशन)

आर्बिट्रेशन में, विवादों को, अदालत की तुलना में तेजी से सुलझाया जाता है। आम तौर पर पहले व्यक्ति को मुकदमा दायर करना होता है, फिर पहली सुनवाई की तारीख का इंतजार करना पड़ता है और वह भी पहले सेशन या डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में जाना पड़ता है, यदि पार्टी लोअर कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं है तो वह हाई कोर्ट में अपील करती हैं और यह जारी रहता है। किसी मामले को सुलझाने में कम से कम 1 साल का समय लगता है, कभी-कभी यह 5 साल तक भी चल सकता है। लेकिन अदालतों के विपरीत (अनलाइक), आर्बिट्रेशन प्रणाली (सिस्टम) में मामलों की अधिकता (ओवरलोडिंग) नहीं होती है।

अदालतों की तुलना में लचीला (फ्लेक्सिबल देन कोर्ट)

अदालतों में, मामला अदालत के कैलेंडर के अनुसार आता है और न्यायाधीशों (जजस) द्वारा उसी के अनुसार तारीखें तय की जाती हैं। लेकिन आर्बिट्रेशन की कार्यवाही, पार्टीज की जरूरतों और उपलब्धता के अनुसार निर्धारित (शेड्यूल) और तय की जाती है। अदालतों में शाम 5 बजे के बाद सुनवाई नहीं होती है और सप्ताहांत (वीकेंड्स) पर भी नहीं बल्कि आर्बिट्रेशन में, सुनवाई सप्ताहांत और शाम को भी होती है।

किफायती (कॉस्ट-इफेक्टिव)

आर्बिट्रेशन प्रक्रिया के माध्यम से किसी मामले को सुलझाना मुकदमेबाजी की तुलना में सस्ता है क्योंकि आर्बिट्रेशन में आपको ट्रिब्यूनल को भुगतान करना होता है और अन्य प्रशासनिक (एडमिनिस्ट्रेटिव) सेवाएं इसमें शामिल होती हैं जबकि अदालत में आपको हर चीज के लिए फीस का भुगतान करना पड़ता है, क्योंकि आपके मामले में जितना ज्यादा समय लगेगा, उतना ही फी आपको हर चीज के लिए देना होगा।

फेयरनेस

आर्बिट्रेशन प्रक्रिया में, पार्टीज को अपनी पसंद के अनुसार अपना आर्बिट्रेटर चुनने का अवसर मिलता है, पार्टीज को व्यक्तिगत रूप से सुना जाता है और आर्बिट्रेशन की प्रक्रिया उन तथ्यों (फैक्ट) पर आधारित होती है जिन पर पार्टीज द्वारा विवादों को सुलझाने के लिए सौहार्दपूर्ण (अमीकेबल) तरीके से चर्चा की जाती है।

शत्रुता से बचाता है (अवोइडेंस हॉस्टिलिटी)

अदालतों में, वकीलों के बीच एक खुला तर्क होता है और अधिग्रहण में बाधा उत्पन्न होती है, जबकि आर्बिट्रेशन प्रक्रिया में पार्टीज और आर्बिट्रेटर के बीच एक सौहार्दपूर्ण चर्चा होती है।

नियंत्रण (कंट्रोल)

अदालतों में, सब कुछ अधिवक्ताओं (अक़्यूएजीशन) द्वारा नियंत्रित होता है, लेकिन आर्बिट्रेशन प्रक्रिया में, नियंत्रण पार्टीज के पास होता है क्योंकि वह आर्बिट्रेशन प्रक्रिया की शुरुआत से सीधे मामले में शामिल होती हैं।

अनौपचारिक प्रक्रिया (इनफॉर्मल प्रोसेस)

औपचारिकता (फॉर्मेलिटी) और मर्यादा का एक स्तर (लेवल) होता है जिसे अदालत कक्ष में बनाए रखना होता है, जबकि आर्बिट्रेशन प्रक्रिया में पार्टीज और आर्बिट्रेटर को मैत्रीपूर्ण (फ्रेंडली) बातचीत करने की अनुमति होती है।

स्वतंत्र ‘एग्रीमेंट ऑफ आर्बिट्रेशन’ 

आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट

आर्बिट्रेशन और कॉन्सिलिएशन एक्ट, 1996, धारा 7 की उप-धारा (1) के तहत आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट को ऐसे परिभाषित किया गया है- यह, कानूनी संबंधों के संबंध में उत्पन्न हुए या उनके बीच उत्पन्न होने वाले विवादों को हल करने के लिए पार्टीज द्वारा प्रस्तुत एक एग्रीमेंट है, चाहे वह संबंध कॉन्ट्रैक्चुअल के तौर पर हो या आर्बिट्रेशन के माध्यम से न हो।

आमतौर पर, जब व्यापारिक (बिज़नेस) संबंध शुरू होते हैं, तो पार्टीज असहमति होने से पहले ही आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करवाती हैं, ताकि भविष्य में पार्टीज के बीच कोई असहमति हो, तो वह विवाद को सुलझाने के लिए आर्बिट्रेशन करे। यह एग्रीमेंट दो व्यवसायों, एक व्यवसाय और एक कर्मचारी, एक गृहस्वामी (होमओनर) और एक बिल्डर या एक किरायेदार, एक व्यवसाय और एक व्यक्ति या एक पार्टी, एक व्यवसाय और एक श्रमिक संघ (लेबर यूनियन), और कई अन्य के बीच हो सकता है। इसलिए, यदि दोनों पार्टीज में से कोई भी व्यावसायिक संबंध में आता है तो उन्हें सौहार्दपूर्ण और शांति से काम करने के लिए एक आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करना चाहिए।

धारा 7 में कहा गया है कि एक आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट लिखित रूप में होता है, यदि इसमें निम्नलिखित हैं-

  • पार्टीज द्वारा हस्ताक्षरित दस्तावेज;
  • यदि पत्र, टेलेक्स, टेलीग्राम, या दूरसंचार (टेलीकम्युनिकेशन) के किसी अन्य माध्यम का आदान-प्रदान होता है जो एग्रीमेंट का रिकॉर्ड प्रदान करता है; या
  • दावे और बचाव के बयानों का आदान-प्रदान, जिसमें एक पार्टी द्वारा एग्रीमेंट के अस्तित्व (एक्सिस्टेंस) का आरोप लगाया जाता है और दूसरे द्वारा इनकार नहीं किया जाता है।

आवश्यक तत्व (एसेंशियल एलिमेंट्स)

माननीय सुप्रीम कोर्ट ने आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट के आवश्यक तत्वों का उल्लेख (मेंशनएड) किया-

  • विवादों का एग्रीमेंट तभी बनाया जाता है जब, या तो वर्तमान में या फिर भविष्य में विवाद होने की कोई संभावना हो।
  • दोनों पक्षों को आर्बिट्रेशन प्रक्रिया द्वारा विवादों को निपटाने के लिए सहमत होना चाहिए और उसी का इरादा होना चाहिए।
  • लिखित आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट को ट्रिब्यूनल के निर्णय से बाध्य (बाउंड) होना चाहिए और पार्टीज को सहमत होना चाहिए।

विवादों की प्रकृति (नेचर ऑफ डिस्प्यूट्स)

विवादों के प्रकार जिसे आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल से संदर्भित (रेफर) किया जा सकता हैं:

वर्तमान या भविष्य के विवाद (प्रेजेंट और फ्यूचर डिस्प्यूट्स)

नागरिक प्रकृति (सिविल नेचर) के सभी मामले, जो वर्तमान या भविष्य के मतभेदों (डिफरेंस) या विवादों से संबंधित हैं, उन्हें ट्रिब्यूनल में भेजा जा सकता है, लेकिन कोई विवाद जो किसी भी अवैध (इल्लीगल) लेनदेन से संबंधित है, उसे ट्रिब्यूनल में नहीं भेजा जा सकता है। एक आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट, विवाद को आर्बिट्रेशन के लिए तभी संदर्भित किया जा सकता है, जब असल में कोई विवाद हुआ हो।

परिभाषित कानूनी संबंध (डिफाइंड लीगल रिलेशनशिप)

विवाद, कॉन्ट्रैक्चुअल है या नहीं, यह एक परिभाषित कानूनी संबंध का होना चाहिए, न कि वह जो प्रारंभ से ही शून्य (वोयड) है, और कानूनी होना चाहिए। लेकिन अगर मामले या लेन-देन उस श्रेणी (कैटेगरी) से बाहर हैं जिसके तहत कानूनी अधिकार होने की संभावना है, तो यह आर्बिट्रेबल नहीं होगा।

लाभ (एडवांटेज)

  • आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट, विवादों की गोपनीयता बनाए रखते हैं।
  • आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट, मुकदमेबाजी के खर्च को सीमित करते हैं और विवादों को अदालत की तुलना में कम खर्चीला बनाते हैं।
  • आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करते समय, पार्टीज अपने आर्बिट्रेटर को चुन सकती हैं, जो उनके विवाद का फैसला करेगा। यह मददगार है क्योंकि आप अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता (एक्सपर्टाइज) रखने वाले को चुन सकते हैं।
  • एक नियोक्ता (एम्प्लायर) के रूप में, आपके कर्मचारी किसी भी विवाद के लिए अदालत नहीं जा पाएंगे क्योंकि उन्होंने, भर्ती होने के दौरान रोजगार आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट (एम्प्लॉयमेंट आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट) पर हस्ताक्षर किए थे। तो, यह मानदंड (क्राइटेरिया) और किसी भी अदालती मामलों से बचने का एक तरीका हो सकता है।
  • यदि आपके पास एक आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट है, तो विवादों को तय करने के लिए जूरी नहीं होगी, बल्कि केवल आपकी पसंद का आर्बिट्रेटर होगा।

नुकसान (डिसएडवांटेज)

एक आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने से मुकदमेबाजी की लागत कम हो सकती है और विवादों को तेजी से सुलझाया जा सकता है लेकिन इसमें आपके कई अधिकार हो सकते हैं और आप कुछ शर्तों के साथ सहज नहीं हो सकते हैं। आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट के कुछ नुकसान यहां दिए गए हैं-

  • जब आप एक आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करते हैं तो आपको आर्बिट्रेटर के निर्णय को अंतिम रूप में स्वीकार करना चाहिए क्योंकि आर्बिट्रेशन अवॉर्ड की अपील नहीं की जा सकती है।
  • यदि आप एक कर्मचारी हैं तो आपके लिए एक नुकसान यह है कि आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट में आप जूरी परीक्षण (ट्रायल) का विकल्प नहीं चुन सकते हैं।
  • यदि आपने एक रोजगार आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए हैं तो इसमें नियोक्ता आपको सारी जानकारी साझा (शेयर) नहीं करता है, इसलिए जब कोई विवाद होता है तो नियोक्ता के पास कर्मचारी की तुलना में अधिक जानकारी होती है।
  • ज्यादातर, किसी भी विवाद के उत्पन्न होने से पहले ही आर्बिट्रेटर एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए जाते हैं, इसलिए उस समय कोई यह सुनिश्चित नहीं कर सकता है कि वह सभी विवादों में आर्बिट्रेट करना चाहता है। इसलिए, यदि भविष्य में आप किसी विवाद के लिए अदालत जाना चाहते हैं तो आप ऐसा नहीं कर पाएंगे, क्योंकि पहले आपको हस्ताक्षरित आर्बिट्रेटर एग्रीमेंट को अमान्य करना होगा जिसके लिए बहुत अधिक कानूनी फीस की आवश्यकता होगी।
  • एग्रीमेंट एकतरफा होने की संभावना है। जैसे, एग्रीमेंट उसके पक्ष में हो सकता है जिसने इसे लिखा है। इसलिए, किसी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसे एग्रीमेंट में समान हक मिले, जैसे कि आर्बिट्रेटर को चुनना, समान उपाय करना, और एक वकील के अधिकार से इनकार न करना।

अनुबंध एग्रीमेंट में मध्यस्थता खंड (आर्बिट्रेशन क्लॉज़ इन कॉन्ट्रैक्ट एग्रीमेंट)

मध्यस्थता खंड (आर्बिट्रेशन क्लॉज़)

पार्टीज के पास अर्बिट्रेट करने के लिए दो विकल्प होते हैं या तो एक अलग एग्रीमेंट को शामिल करके या कॉन्ट्रैक्ट एग्रीमेंट में एक क्लॉज़ शामिल करके जिसे ‘आर्बिट्रेशन क्लॉज़’ कहा जाता है। जब आप एक आर्बिट्रेशन क्लॉज़ शामिल करते हैं तो इसे कॉन्ट्रैक्चुअल आर्बिट्रेशन कहा जा सकता है। इस प्रकार की आर्बिट्रेशन के तहत, पार्टी कॉन्ट्रैक्ट के तहत उत्पन्न होने वाले या संबंधित किसी भी विवाद के लिए आर्बिट्रेशन प्रक्रिया से गुजरने के लिए बाध्य (बाउंड) होती हैं।

संविदात्मक मध्यस्थता के प्रकार (कॉन्ट्रैक्चुअल टाइप्स ऑफ आर्बिट्रेशन)

संविदात्मक आर्बिट्रेशन दो प्रकार की होती है। यह या तो तदर्थ (एड-हॉक) या संस्थागत (इंस्टीट्यूशनल) हो सकती है। यह पार्टीज ही तय करेंगी कि वह किस प्रकार के आर्बिट्रेशन को प्राथमिकता (प्रेफर) देंगी।

एड-हॉक आर्बिट्रेशन

इसमें, यह दूसरी पार्टी को एग्रीमेंट का पालन करने के लिए एक मौका या उचित अवसर देने जैसा है, इससे पहले कि वह दावा करें कि दूसरे ने एग्रीमेंट के दायित्वों (ऑब्लिगेशंस) का पालन नहीं किया है। फिर पार्टी आर्बिट्रेशन के माध्यम से और भारत के कानूनों और आर्बिट्रेशन एंड कॉन्सीलिएशन एक्ट, 1996 द्वारा कॉन्ट्रैक्ट के संबंध में विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग (गुड फेथ) से हल करने का प्रयास करती है। निर्णय या आर्बिट्रेशन अवॉर्ड बिना किसी अपील के और लिखित रूप में दोनों पार्टीज पर अंतिम और बाध्यकारी (बाइंडिंग) होगा। इसमें कुल तीन आर्बिट्रेटर होंगे हर एक पार्टी से दो और फिर वह सौहार्दपूर्ण ढंग से तीसरे आर्बिट्रेटर की नियुक्ति (अप्पोइंट) करेंगे जो कार्यवाही का अध्यक्ष (चेयरमैन) होगा। लेकिन अगर कोई पार्टी अपनी ओर से आर्बिट्रेटर चुनने या नियुक्त करने में विफल रहती है तो दूसरे पार्टी का आर्बिट्रेटर दोनों के लिए एकमात्र (सोलो) आर्बिट्रेटर होगा।

इंस्टीट्यूशनल आर्बिट्रेशन

इस प्रकार की आर्बिट्रेशन, के नाम से ही स्पष्ट है कि इसमें किसी भी आर्बिट्रेशन इंस्टीट्यूशन का पालन करते हुए आर्बिट्रेशन की जाती है। भारत में कुछ आर्बिट्रेशन इंस्टीट्यूशन हैं-

नानी पालकीवाला आर्बिट्रेशन केंद्र, बॉम्बे चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, आई.आई.ए.एम, आदि। इसलिए, कॉन्ट्रैक्ट से संबंधित पार्टीज के बीच किसी भी विवाद या मतभेद को आर्बिट्रेशन द्वारा हल किया जाता है, लेकिन ऐसा किसी भी आर्बिट्रेशन इंस्टीट्यूशन के नियमों के अनुसार होता है। आर्बिट्रल अवार्ड दोनों पार्टीज के लिए बाध्यकारी होगा। इसमें पार्टीज की आवश्यकता के अनुसार क्लॉज़ को बदला या संशोधित (मोडिफाइड) किया जा सकता है।

विभाज्यता, पृथक्करणीयता या मध्यस्थता खंड की स्वायत्तता (सेपरेबिलिटी सेवरेबिलिटी और ऑटोनोमी ऑफ आर्बिट्रेशन क्लॉज़)

पृथक्करण (सेपरेबिलिटी) के इस सिद्धांत का अर्थ है कि एक कॉन्ट्रैक्ट में डाला गया आर्बिट्रेशन क्लॉज अंडरलाइंग कॉन्ट्रैक्ट में एक अलग एग्रीमेंट है। आर्बिट्रेशन क्लॉज़ और अंडरलाइंग कॉन्ट्रैक्ट के बीच ऐसा कोई संबंध नहीं है। हालांकि एक आर्बिट्रेशन क्लॉज की शर्तों को शामिल करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट का अस्तित्व (एक्सिस्टेंस) आवश्यक है, आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट एक अलग और विशिष्ट (डिस्टिंक्टिव) एग्रीमेंट है जो कि पृथक्करण के सिद्धांत के तहत परिभाषित आर्बिट्रेशन का आधार है। यह सिद्धांत कॉन्ट्रैक्ट में अन्य दायित्वों की वैधता (वैलिडिटी) को प्रभावित नहीं करता है। कॉन्ट्रैक्ट की पार्टीज द्वारा निर्धारित कानून का चुनाव सभी देखभाल और एहतियात (प्रिकॉशन) के साथ आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट पर बाध्यकारी होगा। पृथक्करण के इस सिद्धांत का अर्थ है कि भले ही एक आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट को अंडरलाइंग कॉन्ट्रैक्ट में शामिल किया गया हो, लेकिन इसे स्वतंत्र माना जाएगा। इसलिए, भले ही अंडरलाइंग कॉन्ट्रैक्ट एग्रीमेंट और आर्बिट्रेशन क्लॉज़ एक ही मसौदे में मौजूद हों, वह अलग-अलग एग्रीमेंट हैं।

आर्बिट्रेशन एंड कॉन्सिलिएशन एक्ट, धारा 16(1) के तहत स्पष्ट रूप से कहता है कि कॉन्ट्रैक्ट में शामिल एक आर्बिट्रेशन क्लॉज को कॉन्ट्रैक्ट की अन्य शर्तों के एक अलग और एक स्वतंत्र एग्रीमेंट के रूप में माना जाएगा और यदि आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल ने कॉन्ट्रैक्ट को शून्य करार दिया है, तो इसका मतलब यह नहीं होगा कि आर्बिट्रेशन क्लॉज़ की अवैधता का मतलब इप्सों ज्यूरे होगा। हालांकि क्लॉज़ का मसौदा (ड्राफ्ट) अत्यंत देखभाल और एहतियात के साथ तैयार किया जाना चाहिए।

नेशनल एग्रीकल्चरल को-ऑप मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड बनाम गेन्स ट्रेडिंग लिमिटेड 

माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कॉन्ट्रैक्ट को वैध ठहराया और कहा कि आर्बिट्रेशन क्लॉज को मुख्य कॉन्ट्रैक्ट से स्वतंत्र रूप से माना जाता है, और यदि कॉन्ट्रैक्ट को शून्य माना जाता है, तो आर्बिट्रेशन क्लॉज को भी शून्य नहीं माना जाएगा। पृथक्करण का सिद्धांत आर्बिट्रेशन क्लॉज को अंडरलाइंग कॉन्ट्रैक्ट से प्रभावित होने से रोकता है। इसलिए क्लॉज़ कॉन्ट्रैक्ट का एक अनिवार्य हिस्सा है।

आर्बिट्रेशन क्लॉज के लाभ (डवांटेज ऑफ आर्बिट्रेशन क्लॉज़)

अनुकूलित नियम (टेलर्ड रूल्स)

पार्टीज की जरूरतों के बाद और कॉन्ट्रैक्ट के तहत होने वाले विवादों के प्रकार के अनुसार आर्बिट्रेशन क्लॉज के नियमों को बदला जा सकता है।

विशेषज्ञ मध्यस्थ (एक्सपर्ट आर्बिट्रेटर्स)

एक आर्बिट्रेटर नियुक्त करने के लिए, एक अच्छी तरह से तैयार आर्बिट्रेशन क्लॉज या प्रावधान की आवश्यकता होगी, जिसके पास विवाद के क्षेत्र में विशेषज्ञता है और जो कानून का पालन करते हुए विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने में मदद करेगा।

गोपनीयता (कॉन्फिडेंटशियलटी)

आर्बिट्रेशन की कार्यवाही आमतौर पर निजी (प्राइवेट) होती है और अन्य जानकारी और दस्तावेजों को गोपनीय रखा जाता है क्योंकि केवल कॉन्ट्रैक्ट की पार्टी और जिनके बीच विवाद उत्पन्न हुआ है उन्हें कार्यवाही में उपस्थित होने की अनुमति है।

अन्य लाभ आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट के समान ही हैं जैसे सामान्य रूप से तेज प्रक्रिया और कार्यवाही की सीमित लागत (कोस्ट) है।

नुकसान (डिसएडवांटेज)

अंतिम निर्णय बदलना मुश्किल है (फाइनल डिसीजन इज डिफिकल्ट टू चेंज) 

जब एक आर्बिट्रेटर ने मामले या विवाद का फैसला किया है तो आर्बिट्रेशन में अपील की अनुमति नहीं है जब तक कि यह साबित न हो जाए कि आर्बिट्रेटर का निर्णय पक्षपातपूर्ण (बाइज़्ड) या गलत था, क्योंकि व्यवसाय आम तौर पर गैर-बाध्यकारी (नॉन-बाइंडिंग) आर्बिट्रेशन की अनुमति नहीं देते हैं, इसलिए यह हारने वाले पार्टी को मामले को अदालत में ले जाने का लाइसेंस देगा।

महंगा (कॉस्ट्ली) 

हालांकि आर्बिट्रेशन किसी मामले या विवाद के खर्च और लागत को अदालत की आवश्यकता से सीमित कर देती है, लेकिन कभी-कभी, आपके द्वारा किराए पर लिए गए आर्बिट्रेटर की फीस बहुत ज्यादा होती है, जब कोई उस क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले सबसे अच्छे व्यक्ति को चाहता है, तो उसे मोटी रकम का भुगतान करना होगा।

सभी के लिए फायदेमंद नहीं है (नॉट बेनिफिशियल फॉर ऑल)

अंडरलाइंग कॉन्ट्रैक्ट में आर्बिट्रेशन क्लॉज नियोक्ताओं या निर्माताओं (मैन्युफैक्चरर्स) के पक्ष में हो सकता है और कर्मचारियों के लिए कम फायदेमंद साबित हो सकता है और कर्मचारियों के पास ज्यादा जानकारी नहीं है क्योंकि उनके नियोक्ता के पास पारदर्शिता (ट्रांसपेरेंसी) की कमी है।

इनमे से कौन बेहतर है (व्हिच वन इज बेटर) ?

अब अगर एक आर्बिट्रेशन क्लॉज एक कॉन्ट्रैक्ट एग्रीमेंट का एक हिस्सा बनता है, तो यह आंशिक (पार्शियल) हो सकता है और उस पार्टी का पक्ष ले सकता है जिसने कॉन्ट्रैक्ट किया है और उस क्लॉज़ को शामिल किया है और कॉन्ट्रैक्ट की सभी शर्तों को तय करने के लिए उन्हें एक अनुचित लाभ देता है जिसके तहत क्लॉज़ है। यह किसी भी तरह प्राकृतिक न्याय (नेचुरल जस्टिस) के सिद्धांतों के खिलाफ है।

उदाहरण के लिए: एक कंपनी ने अपने क्लॉज़ में इस तरह का उल्लेख किया है कि कॉन्ट्रैक्ट एग्रीमेंट के बारे में या उससे उत्पन्न होने वाले किसी भी विवाद को आर्बिट्रेशन प्रक्रिया के माध्यम से हल किया जाएगा और XYZ स्थान पर आयोजित (हेल्ड) किया जाएगा और एकमात्र आर्बिट्रेटर ABC होगा जो मामले को आर्बिट्रेटे या उसका समाधान करेगा। जबकि हम इस उदाहरण से गुजरते हैं, इसलिए दूसरी पार्टी के पास ये दो सबसे बड़े नुकसान हैं कि दूसरी पार्टी के पास आर्बिट्रेशन की जगह तय करने का मौका नहीं होगा, यह कंपनी के अनुसार होगा और आर्बिट्रेटर का चयन करने के लिए भी नहीं मिलेगा क्योंकि वहां कंपनी द्वारा तय किया गया एकमात्र आर्बिट्रेटर होगा। अब, आपको अपना सौदा करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर करना होगा, लेकिन आर्बिट्रेशन क्लॉज आपकी आवश्यकताओं के अनुसार नहीं हो सकता है, और आप उस समय उस पर ध्यान नहीं दे सकते हैं।

दूसरी ओर, यदि कोई स्वतंत्र आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट है, तो आप इसे ठीक से पढ़ेंगे और यह कॉन्ट्रैक्ट से अलग हैं। एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करते समय आप फिर से बातचीत कर सकते हैं और शर्तों को तदनुसार बदल सकते हैं। इसमें निष्पक्षता (इम्पार्शिएलिटी) की संभावना कम होती है। इसलिए, आपके कॉन्ट्रैक्ट एग्रीमेंट में आर्बिट्रेशन क्लॉज होने के बजाय आर्बिट्रेशन का एक विशेष और स्वतंत्र एग्रीमेंट करना पसंद किया जाता है।

निष्कर्ष (कंक्लूज़न)

आर्बिट्रेशन सेक्टर दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है क्योंकि मुकदमेबाजी की तुलना में इसके कुछ फायदे हैं। यह आपका समय बचाता है, यह कम खर्चीला है और यह विवाद को निजी रखता है, केवल पार्टीज को कार्यवाही का हिस्सा बनने की अनुमति है। ऊपर उल्लिखित आर्बिट्रेशन के लिए जाने के दो तरीके हैं। एक अलग आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट के द्वारा और दूसरा एक कॉन्ट्रैक्ट एग्रीमेंट में एक आर्बिट्रेशन क्लॉज होने के कारण होता है। दोनों तरीके उपयुक्त हैं, लेकिन एक अलग एग्रीमेंट के लिए जाना पसंद किया जाता है क्योंकि यह एक क्लॉज़ होने से बेहतर है। क्योंकि क्लॉज़ का होना भी एक स्वतंत्र एग्रीमेंट माना जाता है लेकिन फिर भी यह कॉन्ट्रैक्ट का एक हिस्सा है। आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करते समय और उसी के प्रावधानों का मसौदा तैयार करते समय बहुत सावधान रहना चाहिए।

संदर्भ (रेफरेन्सेस)

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