आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80EEA

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यह लेख Gargi Lad द्वारा लिखा गया है। इस लेख में विस्तार से बताया गया है कि आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80EEA क्या है और कोई व्यक्ति इसके तहत कटौती का दावा कैसे कर सकता है। इसमें इस बात की भी जानकारी दी गई है कि कौन कटौती का दावा करने के लिए पात्र है तथा व्यक्ति को किन-किन शर्तों का पालन करना होगा। इस लेख का अनुवाद Chitrangda Sharma के द्वारा किया गया है।

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परिचय

भारत में संपत्ति लोगों के लिए भावनात्मक और वित्तीय रूप से बहुत मूल्यवान होती है। हालांकि, जीविका के लिए पर्याप्त आय होने पर भी व्यक्ति स्वयं को एक ही दलदल में फंसा हुआ पाता है, तथा अपने धन का उचित तरीके से निवेश करने में असमर्थ हो जाता है। पुराने तौर-तरीकों में, धन का निवेश करने का एकमात्र सही तरीका संपत्ति या सोना था; यही धारणा रही है। उस परिदृश्य में, संपत्ति एक बहुत बड़ा निवेश है और एक मध्यम वर्गीय व्यक्ति को एक मकान खरीदने में पूरा जीवन लग सकता है। जहां तक सुरक्षा पहलू की बात है तो यह शाब्दिक अर्थ में एक आश्रय है, लेकिन वित्तीय दृष्टि से यह एक सुरक्षित निवेश है जो स्पष्ट रूप से दीर्घावधि में लाभ देगा। 

संपत्ति में निवेश करने वाले व्यक्तियों पर पड़ने वाले वित्तीय दबाव को कम करने के लिए सरकार ने कर कटौती की शुरुआत की, विशेष रूप से गृह ऋण के लिए कर कटौती की शुरुआत की थी। जब कोई व्यक्ति अपनी मेहनत की कमाई को किसी निवेश जैसे कि मकान में लगाता है, तो उसके पास जीविका के लिए बहुत कम आय बचती है, और इसीलिए गृह ऋण के लिए कटौती की अवधारणा शुरू की गई थी। इससे नागरिकों को मकान खरीदने और सुरक्षित निवेश के लिए प्रोत्साहन मिलता है। वर्तमान “सभी के लिए आवास” योजना भी मध्यम और निम्न वर्ग के लिए घरों के पहलू पर ध्यान केंद्रित करती है और उन्हें ऐसी कटौती देकर संपत्तियों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करती है। 

कर कटौती पर चर्चा करते समय आय की अवधारणा को समझना महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से संपत्ति और गृह ऋण के संबंध में समझना महत्वपूर्ण है। भारतीय कानूनी ढांचे के अंतर्गत, आय एक व्यापक शब्द है जिसमें विभिन्न स्रोत शामिल हैं, जिन्हें आयकर अधिनियम, 1961 में रेखांकित किया गया है। 

आयकर अधिनियम, 1961 के अंतर्गत आय

सामान्य शब्दों में, आय का अर्थ है किसी विशेष अवधि में प्राप्त संपत्ति या आय की कोई राशि। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 2(24) आय की परिभाषा प्रदान करती है। इस प्रावधान के अनुसार, आय में कोई भी लाभांश, लाभ या मुनाफा शामिल है। इसमें किसी न्यास (ट्रस्ट) द्वारा प्राप्त कोई स्वैच्छिक आय भी शामिल है जो आंशिक या पूर्णतः धर्मार्थ या धार्मिक उद्देश्यों के लिए बनाई गई हो। इसके अलावा, किसी पारस्परिक बीमा कंपनी, बैंकिंग कंपनी या सहकारी समिति द्वारा किए गए बीमा के किसी भी व्यवसाय से होने वाले लाभ और प्राप्ति को भी इस अधिनियम के तहत आय के रूप में गिना जाता है। 

इसके अतिरिक्त, आय में लॉटरी, क्रॉसवर्ड पहेली, कार्ड गेम या घुड़दौड़ से कोई भी राशि जीतने से प्राप्त लाभ को भी शामिल किया जाता है। कोई भी खेल जिसकी प्रकृति जुआ या सट्टेबाजी की हो तथा जिससे किसी भी प्रकार का मौद्रिक लाभ हो, इस प्रावधान के तहत आय की श्रेणी में आएगा। 

विशिष्ट वित्तीय व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए, आयकर अधिनियम कुछ कटौतियों का प्रावधान करता है, जो करदाताओं को उनकी कर योग्य आय को कम करने में मदद करती हैं। ऐसी ही एक महत्वपूर्ण कटौती आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80EEA के तहत प्रदान की गई है। 

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80EEA

कर कटौती ऐसे दावे हैं जो किसी व्यक्ति की कर योग्य आय को कम करते हैं, जिससे देय कर की राशि कम हो जाती है। ये कटौतियाँ विभिन्न स्रोतों से प्राप्त हो सकती हैं, जैस कि व्यक्ति द्वारा किया गया निवेश या व्यय। इससे कुल मिलाकर व्यक्ति की कर देयता कम हो जाती है और कर बचाने में मदद मिलती है। 

कर कटौती को अक्सर कर छूट के साथ भ्रमित किया जाता है, क्योंकि दोनों ही व्यक्ति के कर दायित्व को कम करने की ओर संकेत करते हैं। हालाँकि, कर छूट में यह राहत शामिल है कि करदाता को किसी विशिष्ट आय पर कर नहीं देना पड़ता है या कर की कम दर का भुगतान करना पड़ता है। कर कटौती, निर्धारिती (एसेसी) या करदाता को समाज के लिए कुछ उद्देश्य पूरा करने वाली योजनाओं में भाग लेने के लिए लुभाने की सरकारी रणनीति है; इनके कारण अक्सर अन्य सरकारी योजनाओं पर खर्च करके कर योग्य आय कम कर दी जाती है। 

धारा 80EEA विशेष रूप से वित्तीय संस्थानों या बैंकों से लिए गए गृह ऋण पर कर कटौती का प्रावधान करती है। ये कटौतियाँ व्यक्ति की सकल (ग्रॉस) कुल कर देयता पर दी जाती हैं, न कि अलग-अलग कर देयताओं पर दी जाती हैं। 

यह धारा 24 के तहत प्रदान की गई अतिरिक्त कटौतियाँ हैं जो उनकी कर देयता और बोझ को काफी कम करने में मदद करती हैं, जिससे अधिक लोगों को संपत्तियों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है। इस प्रावधान को शुरू करने के पीछे उद्देश्य व्यक्तियों को आवास क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना, इसे विकसित करने में मदद करना, तथा कई लोगों के लिए संपत्तियों को सुरक्षित करने का एक तरीका बनना था। नागरिक 2019-22 के बीच लिए गए गृह ऋण के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 से कटौती का लाभ उठा सकते हैं। 

उदाहरण: यदि श्री आशीष ने वर्ष 2020 में गृह ऋण लिया है, तो वह धारा 80EEA के तहत उस पर कटौती पाने के लिए उत्तरदायी है, बशर्ते कि वह पहली बार घर खरीदार हो और इस प्रावधान की सभी आवश्यक शर्तें पूरी करता हो।

लेकिन यदि गृह ऋण वर्ष 2018 में लिया गया हो तो वह कटौती के लिए पात्र नहीं होगा।

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80EEA  का इतिहास और सम्मिलन (इंसर्शन) 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019 के केंद्रीय बजट में ऐसे प्रावधान को शामिल करने के बारे में बातचीत शुरू की, जो पहली बार घर खरीदने वालों को कटौती का लाभ उठाकर अपनी कर देयता को कम करने की अनुमति देता है, जिसमें मुख्य लक्ष्य आवास क्षेत्र में सामर्थ्य लाना और पहली बार घर खरीदने वालों के लिए कर कटौती का विस्तार करके नागरिकों को निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना था। 

पुराना प्रावधान, अर्थात धारा 80EE, 1 अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 के बीच लिए गए ऋण के लिए 50,000 रुपये तक की कटौती का प्रावधान करता था। 

धारा 80EEA गृह संपत्ति के लिए, लिए गए ऋण पर ब्याज की कटौती से संबंधित है। धारा 80EEB इलेक्ट्रिक वाहन की खरीद के संबंध में कटौती से संबंधित है। इन दोनों धाराओ को आकलन वर्ष 2020-21 के आयकर रिटर्न प्रारूप (फॉर्म)-1  के “भाग C- कटौती और कर योग्य कुल आय” खंड के अंतर्गत जोड़ा गया था।  

धारा 80EEA को 2019 में पेश किया गया था, ताकि लोगों को अधिक अचल संपत्ति या मकान और संपत्ति खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके और आवास क्षेत्र को विकसित किया जा सके। तत्कालीन वित्त मंत्री आवास क्षेत्र में उल्लेखनीय गिरावट देख रहे थे, इसलिए अधिक जागरूकता पैदा करने और इस क्षेत्र के साथ जुड़ाव बढ़ाने के लिए, उन्होंने विभिन्न कर कटौतियों की शुरुआत की, जिसका उपयोग व्यक्ति एक उपकरण के रूप में कर सकते थे और इस क्षेत्र में निवेश कर सकते थे। आवास क्षेत्र में गिरावट केंद्र या राज्य सरकार के लिए अच्छा संकेत नहीं है; इसलिए, व्यक्तियों को इस तरह के प्रोत्साहन प्रदान करने से उन्हें अचल संपत्ति खरीदने के लिए प्रोत्साहन मिलता है और इस प्रकार एक अच्छा और पर्याप्त आवास क्षेत्र बनता है। 

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80EEA का महत्व

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80EEA का प्रावधान उन सभी लोगों को लाभ प्रदान करता है जो विशिष्ट गृह संपत्ति के लिए ऋण लेते हैं। यह धारा उसी कारण से लिए गए ऋण पर ब्याज में कटौती की अनुमति देती है। यह प्रावधान आयकर अधिनियम की धारा 80EE के तहत पहले से दी जा रही कटौती के लाभ पर और अधिक लाभ प्रदान करने के लिए पेश किया गया था। यह धारा दो या अधिक व्यक्तियों को भी लाभ देती है, जब संयुक्त संपत्ति ऋण लिया गया हो। 

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80EEA का उद्देश्य

इस नई धारा को लाने का मुख्य उद्देश्य उन करदाताओं को अवसर प्रदान करना था जो धारा 80EE के तहत लाभ का दावा करने में असमर्थ थे और केवल वित्तीय कारणों से संपत्ति खरीदने के आनंद से वंचित थे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जब लोगों को संपत्ति खरीदने और इस क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए यह नई धारा पेश की थी, तब आवास क्षेत्र में गिरावट देखी गई थी। पहली बार घर खरीदने वालों को अक्सर संपत्ति खरीदते समय भारी वित्तीय तनाव का सामना करना पड़ता है; इस धारा के लागू होने और इस प्रावधान द्वारा दी जाने वाली कटौतियों के कारण, उन्हें अपने वित्तीय तनाव से आंशिक राहत मिलती है। 

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80EEA की अनिवार्यताएं

किसी व्यक्ति को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80EEA  के अंतर्गत कटौती का दावा करने के लिए इन चार अनिवार्यताओं को पूरा करना होगा:

  1. गृह ऋण शुरू करने का वर्ष: व्यक्ति ने 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 के बीच की अवधि में किसी वित्तीय संस्थान से घर खरीदने या निर्माण के उद्देश्य से ऋण लिया हो। ऋण लेने का उद्देश्य बहुत महत्वपूर्ण है; यदि ऋण लेने का उद्देश्य आवासीय संपत्ति प्राप्त करना नहीं है, तो इस धारा के तहत कटौती की अनुमति नहीं दी जाएगी।
  2. संपत्ति का मूल्य जिसके लिए गृह ऋण प्राप्त किया गया है: इस धारा के अंतर्गत कटौती प्राप्त करने के लिए संपत्ति का स्टाम्प शुल्क मूल्य 45 लाख रुपये से कम होना चाहिए। 
  3. संपत्ति का स्थान: यदि संपत्ति मुंबई, हैदराबाद, बैंगलोर, कोलकाता, चेन्नई या दिल्ली एनसीआर (दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, गुड़गांव और फरीदाबाद तक सीमित) में स्थित है, तो कारपेट एरिया 60 वर्ग मीटर (645 वर्ग फीट) से अधिक नहीं होना चाहिए। अन्य स्थानों पर संपत्ति 90 वर्ग मीटर तक हो सकती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि संपत्ति वित्त विधेयक की परिभाषा के अनुसार किफायती अचल संपत्ति है। 
  4. निर्धारिती पहली बार खरीदार होना चाहिए: इसका अर्थ यह है कि निर्धारिती या व्यक्ति के नाम पर कोई घर या आवासीय संपत्ति नहीं होगी। यह धारा केवल उस व्यक्ति के लिए कटौती का प्रावधान करती है, जो ऋण स्वीकृत होने के समय किसी अन्य आवासीय संपत्ति का मालिक नहीं है। 

धारा 80EEA के तहत कटौती का दावा करने के नियम और शर्तें 

आयकर अधिनियम की धारा 80EEA के अंतर्गत कटौती का लाभ उठाने के लिए कुछ शर्तों का पालन करना होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात जो ध्यान में रखनी होगी वह यह है कि इस धारा के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक की ही कटौती का लाभ उठाया जा सकता है। 

  • प्राप्त गृह ऋण:: पहला मानदंड यह है कि यह धारा केवल उस व्यक्ति के लिए उपलब्ध है जिसने किफायती आवास परियोजना के लिए गृह ऋण लिया है।
  • पहली संपत्ति: यह धारा केवल उन व्यक्तियों के लिए उपलब्ध है जो पहली बार घर खरीद रहे हैं। 
  • संपत्ति का मूल्य: यह ध्यान रखना चाहिए कि खरीदी जाने वाली संपत्ति का मूल्य 45 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए। 
  • संपत्ति पर कब्जा: जिस संपत्ति के लिए गृह ऋण लिया गया है, वह आवश्यक रूप से स्वयं के कब्जे वाली नहीं होनी चाहिए; यदि उधारकर्ता ने उसे किराए पर दे दिया है, तो भी वह उस पर कटौती का दावा कर सकता है। 
  • ब्याज भुगतान: उपलब्ध कटौती केवल ब्याज पर है, न कि लिए गए गृह ऋण की मूल राशि पर है। 
  • आगे नहीं ले जाया जाएगा: कोई भी कटौती जिसका दावा चालू वर्ष में नहीं किया गया है, उसे अगले वर्ष में हस्तांतरित  नहीं किया जाएगा। 
  • सीमा: यदि संपत्ति के लिए धारा 80EE के तहत पहले से ही कोई लाभ का दावा किया जा चुका है, तो वह व्यक्ति आयकर अधिनियम की धारा 80EEA के लाभों का लाभ नहीं उठा सकता है। 

धारा 80EEA के तहत कटौती का दावा करने के लिए आवश्यक दस्तावेज

  • शीर्षक दस्तावेज: बिक्री विलेख (डीड) जैसे दस्तावेज अत्यधिक महत्वपूर्ण होंगे तथा इस प्रावधान के अंतर्गत कटौती का दावा करने के लिए आवश्यक होंगे। 
  • बैंक विवरण: इसमें यह विवरण होता है कि किस बैंक से ऋण लिया गया है तथा बैंक द्वारा व्यक्ति को कौन सी ऋण खाता संख्या दी गई है। इससे पुनर्भुगतान अनुसूची पर नज़र रखने और सत्यापन के प्रयोजनों में मदद मिलती है। 
  • ऋण विवरण: ऋण की अवधि और ली गई ऋण राशि, जिसमें मूल राशि और प्रति वर्ष चुकाई जाने वाली ब्याज राशि शामिल है। 

स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क की कर कटौती

संपत्ति खरीदते समय स्टाम्प शुल्क संपत्ति के मूल्य पर लगाया जाता है। इन्हें पंजीकरण शुल्क के रूप में भी जाना जाता है, जो किसी संपत्ति को खरीदने की प्रक्रिया के दौरान खरीदार को देना पड़ सकता है। 

ऐसे शुल्क क्रेता के लिए एक व्यय होते हैं और आमतौर पर संपत्ति के वास्तविक मूल्य का एक निश्चित प्रतिशत होते हैं। इसलिए यह राशि महत्वपूर्ण है। लेकिन धारा 80EEA स्टाम्प शुल्क या पंजीकरण शुल्क के लिए कटौती का प्रावधान नहीं करती है; इसके बजाय, आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत इसका दावा किया जा सकता है।

इसके अंतर्गत अधिकतम कटौती 1.5 लाख रुपये होगी; हालांकि, यह कटौती हर वर्ष के लिए नहीं होगी, बल्कि केवल उसी वर्ष के लिए होगी जिस वर्ष यह शुल्क या व्यय किया गया हो।

उदाहरण: रवि 2019 में एक संपत्ति खरीदता है, जिसके लिए वह धारा 80EEA के तहत कटौती के लिए आवेदन करता है और मानदंड को पूरा करता है और सभी आवश्यक शर्तों को पूरा करता है, और इस प्रकार वह धारा 80EEA के तहत कटौती का हकदार है।

इसके बाद वह पंजीकरण शुल्क और स्टाम्प शुल्क के लिए धारा 80C के तहत अतिरिक्त कटौती प्राप्त करना चाहता है। वह कटौतियों का हकदार होगा, लेकिन केवल उसी वर्ष के लिए, क्योंकि व्यय केवल उसी वर्ष के लिए था। इसलिए, कोई भी व्यक्ति धारा 80EEA और 80C के तहत एक साथ कटौती का दावा कर सकता है। 

इन कटौतियों के अतिरिक्त, धारा 24 के अंतर्गत गृह संपत्ति से आय से संबंधित प्रावधान भी हैं। 

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 24

धारा 24 गृह संपत्ति से प्राप्त आय के बारे में बात करती है; यह संपत्ति को किराये पर देने से या उस संपत्ति को बेचने से प्राप्त आय के रूप में हो सकती है। ऐसी संपत्ति स्वयं के कब्जे में हो सकती है, साथ ही किराये पर दी जा सकती है। गणना के लिए, स्व-कब्जे वाली संपत्ति को 0 सकल वार्षिक मूल्य वाला माना जाएगा, जिस पर नगरपालिका कर लगाया जाएगा। इससे संपत्ति का शुद्ध वार्षिक मूल्य (एनएवी) निकलता है। 

इसके अलावा, धारा 24(a) और 24(b) के तहत कटौती करदाताओं को संपत्ति से अपनी कर योग्य आय को कम करने की अनुमति देती है। धारा 24(a) के अंतर्गत एनएवी के 30% की मानक कटौती का दावा किया जा सकता है; यह एक फ्लैट कटौती है जो वास्तविक व्यय पर ध्यान दिए बिना दी जाती है। जबकि गृह ऋण या नई संपत्ति खरीदने या निर्माण के लिए उधार पर ब्याज, यदि कोई हो, तो धारा 24(b) के तहत दावा किया जा सकता है। 

हालाँकि, निर्माणाधीन (अंडर कंस्ट्रक्शन) संपत्तियों के लिए ब्याज कटौती के विशिष्ट प्रावधान हैं, जिनका उल्लेख नीचे किया गया है। 

निर्माणाधीन संपत्तियों पर दिए गए ब्याज पर कर कटौती

निर्माण-पूर्व और निर्माण-पश्चात दोनों अवधियों के दौरान भुगतान किया गया ब्याज आयकर अधिनियम की धारा 24 के अंतर्गत कटौती के लिए पात्र है। निर्माण-पूर्व अवधि में लिए गए किसी भी ऋण पर कटौती योग्य ब्याज की अनुमति है। हालांकि, निर्माण-पूर्व अवधि के दौरान लिए गए ऋण पर ब्याज की कटौती केवल निर्माण पूरा होने के वर्ष से ही अनुमत है, निर्माण कार्य के दौरान नहीं है। इसमें यह प्रावधान किया गया है कि किसी संपत्ति के निर्माण के लिए, लिए गए ऋण के ब्याज पर कटौती का दावा करने के लिए यह कटौती केवल तभी दी जाएगी जब संपत्ति का निर्माण हो चुका होगा, न कि संपत्ति के निर्माण के दौरान होगा। 

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80EEA और धारा 24 के बीच तुलना

मानदंड धारा 80EEA धारा 24
यह कब लागू होता है? केवल वित्तीय संस्थाओं से लिए गए गृह ऋण की ही अनुमति है। मित्रों और रिश्तेदारों से लिए गए ऋणों पर भी छूट दी जाती है।
अधिकतम कटौती जिसकी अनुमति दी गई है रु. 1,50,000 रु. 2,00,000
समय सीमा पर प्रतिबंध कटौती का लाभ उठाने के लिए स्टाम्प शुल्क और ऋण लेने की समयावधि के संबंध में कुछ शर्तें हैं जिन्हें पूरा करना आवश्यक है। ऐसी कोई शर्त नहीं दी गई है।
घर का कब्ज़ा इस प्रावधान के अंतर्गत ऐसी कोई शर्त नहीं दी गई है। व्यक्ति के पास घर का कब्जा होना चाहिए। किराये की संपत्तियों पर कटौतियों के संबंध में कुछ प्रतिबंध हैं।

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80EEA के तहत गणना

इस प्रावधान के अनुसार, कोई व्यक्ति 45 लाख या उससे कम मूल्य की संपत्ति पर इस प्रावधान के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये की कटौती का दावा कर सकता है। संपत्ति को उपरोक्त सभी शर्तों को पूरा करना होगा, जैसे कि यह खरीददार का पहला घर हो। 

उदाहरण 1

सुश्री अनीशा मल्होत्रा ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में अपने पहले घर के लिए 40 लाख रुपये के स्टांप शुल्क मूल्य वाले घर के लिए होम लोन लिया हो। वह घर के ऋण पर प्रति वर्ष 4 लाख रुपये ब्याज के रूप में चुकाती है। 

क्या वह धारा 80EEA के अंतर्गत कटौती के लिए पात्र होगी?

चूंकि वह आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80EEA और धारा 24 के तहत एक साथ कटौती की हकदार है, उसे धारा 24 के तहत 200000 (2 लाख) की कटौती मिलेगी; इसके अलावा, वह धारा 80EEA के तहत आवेदन कर सकती है क्योंकि संपत्ति का मूल्य 45 लाख से कम है, जिसमें उसे 150000 (1.5 लाख) की अतिरिक्त कटौती मिलेगी।

वह कुल कितनी कटौतियों की हकदार है?

कुल कटौती 2 लाख + 1.5 लाख = 3.5 लाख है।

उदाहरण 2

यदि सुश्री अनीशा वित्तीय वर्ष 2019-20 में अपने पहले घर के लिए 32 लाख रुपये के स्टांप शुल्क मूल्य वाले घर के लिए होम लोन लेती हैं, तो उन्हें होम लोन के लिए प्रति वर्ष 3.2 लाख रुपये ब्याज के रूप में चुकाना पड़ता है। 

कुल कटौतियों की गणना कैसे की जाएगी?

इस स्थिति में, वह धारा 80EEA और धारा 24 के तहत एक साथ कटौती की हकदार है। उसे धारा 24 के तहत 200000 (2 लाख) रुपये की कटौती मिलेगी। 

3.2 लाख – 2 लाख = 1.2 लाख

इसके अलावा, वह धारा 80EEA के तहत भी आवेदन कर सकती है, क्योंकि संपत्ति का मूल्य 45 लाख रुपये से कम है, जिसके तहत वह कटौती पाने की हकदार है, लेकिन चूंकि धारा 24 के तहत कटौती के बाद शेष ब्याज राशि 1.2 लाख रुपये है, इसलिए उसे पूरे 1.2 लाख रुपये की कटौती मिलती है। 

कुल कटौतियाँ:

2 लाख + 1.2 लाख = 3.2 लाख है।

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80EEA और धारा 80EE के बीच अंतर

आयकर अधिनियम की धारा 80EE और धारा 80EEA का लाभ पहली बार घर खरीदने वाले लोग उठा सकते हैं। ये धाराएं उन्हें अपनी कर योग्य आय से एक विशिष्ट राशि काटने का अवसर प्रदान करती हैं। धारा 80EEA को धारा 80EE के तहत प्रदान किए गए लाभों से अधिक लाभ प्रदान करने के उद्देश्य से पेश किया गया था। हालाँकि, दोनों प्रावधानों में कुछ अंतर हैं: 

मानदंड धारा 80EEA धारा 80EE
इस प्रावधान का उद्देश्य पहली बार घर खरीदने वालों के लिए कटौती जो 80EE के तहत दावा नहीं कर सकते है।  मकान मालिकों के लिए कटौती।
अधिकतम कटौती की अनुमति रु. 1,50,000 रु. 50,000
उन ऋणों पर लागू होता है जिन्हे निम्न वर्ष में लिया गया है वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 वित्तीय वर्ष 2013-14 से 2016-17 तक
संपत्ति का मूल्य खरीदे जा रहे मकान का मूल्य 45 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए। खरीदे जा रहे मकान का मूल्य 50 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए।
संपत्ति का कारपेट एरिया संपत्ति के कारपेट एरिया के संबंध में, यह मेट्रो क्षेत्रों के लिए क्रमशः 645 वर्ग फुट और अन्य शहरों के लिए 968 वर्ग फुट से अधिक नहीं होना चाहिए।  कोई विनिर्देशन (स्पेसिफिकेशन) नहीं है।
अधिकतम ऋण राशि कोई सीमा नहीं है। 35 लाख

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80EEA पर हालिया घटनाक्रम

2023 का बजट व्यक्तियों के लिए अचानक आश्चर्य की लहर लेकर आया, और एक आवासीय संपत्ति की बिक्री से पूंजीगत लाभ के संबंध में एक प्रस्ताव रखा गया था। इस प्रस्ताव का उद्देश्य आवासीय संपत्तियों पर पूंजीगत लाभ की गणना पर स्पष्टता प्रदान करना था। प्रस्ताव के अनुसार, पूंजीगत लाभ की गणना के लिए अधिग्रहण (एक्विजिशन) की लागत में अब संपत्ति की धारण अवधि के दौरान दावा किए गए गृह ऋण के ब्याज पर कटौती शामिल नहीं होगी। इससे संपत्ति अधिग्रहण की वास्तविक लागत और यहां तक कि पूंजीगत लाभ पर भी स्पष्टता मिलती है। 

निष्कर्ष

आयकर अधिनियम की धारा 80EEA को सरकार द्वारा आयकर अधिनियम की धारा 80EE के तहत दी जाने वाली कटौती के लाभों को बढ़ाने के लिए पेश किया गया था। ये लाभ पहली बार घर खरीदने वालों के लिए थे। इस धारा को अधिक से अधिक लोगों को आवास क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से पेश किया गया था, जिससे सरकार को ‘सभी के लिए आवास’ के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी। आयकर अधिनियम की धारा 80EEA के लागू होने से बड़ी संख्या में लोगों को किफायती आवास की उपलब्धता बढ़ने की उम्मीद थी। यह प्रावधान आयकर अधिनियम की धारा 24 में दिए गए लाभों के अतिरिक्त अतिरिक्त लाभ प्रदान करता है। पिछले कुछ वर्षों में, ऐसी कटौतियों की उपलब्धता के कारण आवास क्षेत्र में तेजी से वृद्धि देखी गई है, जो संपत्तियों में अधिक निवेश को प्रोत्साहित करती है। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू)

धारा 80EEA के अंतर्गत वित्तीय संस्थाओं का क्या अर्थ है?

इस धारा के अनुसार, वित्तीय संस्थान कोई भी आवास वित्त कंपनी या बैंकिंग कंपनी है, जिस पर बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 लागू होता है।

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80EEA के अंतर्गत किफायती आवास संपत्ति क्या है?

इस प्रावधान के अनुसार, 45 लाख रुपये से कम स्टाम्प शुल्क मूल्य वाली किसी भी आवासीय संपत्ति को किफायती आवासीय संपत्ति माना जाता है और इसलिए वह कटौती के लिए पात्र है।

धारा 80EEA के अंतर्गत कटौती का दावा कौन कर सकता है?

भारत का कोई भी व्यक्ति, निवासी या अनिवासी जो पहली बार घर खरीद रहा है, वह इस धारा के अंतर्गत कटौती का हकदार है। हिंदू अविभाजित परिवार या व्यक्तियों का समूह इन कटौतियों का दावा करने का हकदार नहीं है, क्योंकि वे इस धारा के अनुसार मूल्यांकन किए जाने वाले व्यक्तियों की श्रेणी में नहीं आते हैं। यदि संपत्ति के संयुक्त मालिक हैं और उन्होंने उसी संपत्ति के लिए ऋण लिया है, तो वे दोनों इस धारा के अंतर्गत कटौती का दावा करने के पात्र हैं। 

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80EEA का क्या महत्व है?

धारा 80EEA के तहत पहली बार घर खरीदने वाले व्यक्ति को 1.5 लाख रुपये की कटौती का लाभ मिल सकता है। यह कटौती आयकर अधिनियम की धारा 24(b) के तहत दी गई कटौती के अलावा है।

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80EEA को लागू करने का अधिकार किसके पास है?

हिंदू अविभाजित परिवार, कंपनी या साझेदारी फर्म के मामले में इस धारा के अंतर्गत कटौती का दावा नहीं किया जा सकता है। इसलिए, यह धारा केवल व्यक्तियों के लिए ही उपलब्ध है। 

यदि किसी व्यक्ति ने अपने परिवार के सदस्यों से आवास ऋण लिया है तो क्या वह आयकर अधिनियम की धारा 80EEA के अंतर्गत कटौती का हकदार है?

नहीं, केवल वित्तीय संस्थाओं द्वारा स्वीकृत गृह ऋण ही इस श्रेणी में आते हैं। परिवार या मित्रों से लिया गया कोई भी ऋण कटौती प्राप्त करने के लिए इस धारा के अंतर्गत ऋण के रूप में नहीं गिना जाएगा। 

संयुक्त गृह ऋण के मामले में क्या लाभ का दावा किया जा सकता है?

प्रत्येक उधारकर्ता संयुक्त गृह ऋण के लिए धारा 24(b) के तहत 2 लाख रुपये की ब्याज कटौती का लाभ उठा सकता है, तथा पहली बार घर खरीदने वालों के लिए धारा 80EEA के तहत 1.5 लाख रुपये की कटौती का लाभ भी उठा सकता है। 

क्या निर्माणाधीन संपत्तियों पर दिया गया ब्याज कर कटौती के लिए धारा 80EEA के दायरे में आता है?

नहीं, किसी संपत्ति के निर्माण के लिए लिए गए ऋण के ब्याज पर कटौती का दावा करने के लिए, यह तभी प्रदान की जाएगी जब संपत्ति का निर्माण हो चुका होगा, न कि संपत्ति के निर्माण के दौरान किया जाएगा। 

संपत्ति का निर्माण हो जाने के बाद ही दावा क्यों स्वीकृत किया जाता है?

ऐसा भविष्य में किसी भी गलतफहमी से बचने के लिए किया जाता है; अन्यथा, लोग हर साल इस कटौती का लाभ उठा सकते हैं और कभी भी उस ऋण से संपत्ति का निर्माण नहीं कर सकते हैं, यह कहते हुए कि यह अभी निर्माणाधीन है। 

क्या कोई व्यक्ति एक से अधिक मकान के लिए, लिए गए गृह ऋण पर कटौती का दावा कर सकता है?

आयकर अधिनियम की धारा 80C और धारा 80EEA अलग-अलग हैं। धारा 80C के अंतर्गत, आपके द्वारा ऋण चुकाने हेतु घरों की संख्या पर कोई विशिष्ट सीमा नहीं है। इस धारा 80EEA के अंतर्गत चुकाए गए मूलधन की सीमा तक कर कटौती का दावा किया जा सकता है। हालाँकि, धारा 80EEA के तहत एक से अधिक घर की अनुमति नहीं है, और यदि कोई व्यक्ति दूसरी संपत्ति में भी शामिल है, तो वह इसके लिए अयोग्य है। 

क्या कोई व्यक्ति हर साल आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80EEA के तहत कटौती की मांग कर सकता है?

हां, वह हर साल तब तक कटौती का लाभ उठा सकता है जब तक कि पूरी ऋण राशि का भुगतान नहीं हो जाता। 

क्या धारा 80EE और 80EEA दोनों के अंतर्गत कटौती की अनुमति है?

नहीं, कटौती केवल उपरोक्त प्रावधानों में से किसी एक के अंतर्गत ही दी जा सकती है।

धारा 24 और धारा 80EEA के तहत दी गई कटौतियों के अनुसार, क्या दोनों कटौतियों का दावा एक ही समय में किया जा सकता है?

हां, दोनों धाराओं के अंतर्गत दी गई कटौतियों का दावा एक ही समय में किया जा सकता है। 

यदि ऋण भूमि या प्लॉट के लिए लिया गया है, तो क्या करदाता कटौती का दावा करने के लिए पात्र है?

नहीं, करदाता केवल तभी कटौती का दावा कर सकता है जब ऋण आवासीय संपत्ति के लिए लिया गया हो, किसी भूमि या प्लॉट के लिए नहीं। 

क्या धारा 80EEA के अंतर्गत कटौती प्राप्त करने के लिए कोई आय सीमा है?

कटौती का दावा करने वाले व्यक्ति अर्थात करदाता की आय की कोई अधिकतम सीमा नहीं है।

संदर्भ

 

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