व्यापार चिह्न अधिनियम 1999 की धारा 20(1)

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यह लेख Shreya Patel द्वारा लिखा गया है। यह लेख व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999 की धारा 20 की उपधारा (1) पर चर्चा करता है। यह उक्त प्रावधान को विस्तार से बताता है और साथ ही इसका समर्थन करने के लिए मामले भी बताता है। यह लेख व्यापार चिह्न को स्वीकार किए जाने के लिए अपेक्षित शर्तों, व्यापार चिह्न पत्रिका का अर्थ, व्यापार चिह्न विज्ञापन के समय शामिल सभी जानकारी, व्यापार चिह्न आवेदन के विज्ञापन का महत्व और व्यापार चिह्न स्वीकृति के प्रकारों पर भी चर्चा करता है। लेख स्वीकृति से पहले विज्ञापित (एडवर्टाइज्ड) और स्वीकृति के रूप में विज्ञापित के बीच अर्थ, निहितार्थ और अंतर पर भी प्रकाश डालता है। इस लेख का अनुवाद Ayushi Shukla के द्वारा किया गया है।

Table of Contents

परिचय 

दुनिया भर में सभी प्रकार के व्यवसायों के लिए व्यापार चिह्न एक आवश्यक संपत्ति है। भारत में व्यापार चिह्न की सुरक्षा करने वाले कानून और नियम व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999 (जिसका आगे ‘अधिनियम’ के रूप में उल्लेख किया गया है) और व्यापार चिह्न नियम, 2017 (जिसे आगे ‘नियम’ के रूप में उल्लेख किया गया है) हैं। किसी भी व्यवसाय के लिए मौजूदा प्रतिस्पर्धी बाजार में अलग दिखने के लिए, ब्रांडिंग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ज़्यादातर समय, वस्तु या सेवा खरीदने का उपभोक्ता का निर्णय ब्रांड और कंपनी की छवि से प्रभावित होता है। व्यापार चिह्न व्यवसाय और उसके उपभोक्ताओं के बीच संचार उपकरण के रूप में कार्य करते हैं। व्यापार चिह्न उपभोक्ताओं को कंपनी और उसके संबंधित वस्तुओं और सेवाओं के बारे में आसानी से याद रखने में सक्षम बनाते हैं। 

व्यापार चिह्न व्यवसायों के लिए एक मूल्यवान अमूर्त संपत्ति है, इसलिए इसकी सुरक्षा भी बहुत महत्वपूर्ण है। भारत में व्यवसाय अपने व्यापार चिह्नों को व्यापार चिह्न पंजीयन (रजिस्ट्री) में पंजीकृत करवाकर उनकी सुरक्षा कर सकते हैं। व्यापार चिह्न के ग्राफ़िकल प्रतिनिधित्व के साथ व्यापार चिह्न कार्यालय में एक आवेदन दायर किया जाता है। पंजीयक द्वारा व्यापार चिह्न आवेदन को व्यापार चिह्न पत्रिका में विज्ञापित किया जाता है। इसके पीछे का लक्ष्य जनता (तीसरे पक्ष) को संबंधित व्यापार चिह्न पंजीकरण का विरोध करने का अवसर देना है। पंजीयक द्वारा व्यापार चिह्न आवेदन को मंजूरी दिए जाने के बाद इसे व्यापार चिह्न पत्रिका में प्रकाशित किया जाता है।

इस लेख में हम पत्रिका में व्यापार चिह्न आवेदन के विज्ञापन तथा ऐसे विज्ञापन से प्राप्त होने वाले अधिकारों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। 

व्यापार चिह्न के लिए स्वीकृत की जाने वाली आवश्यक शर्तें 

अधिनियम की धारा 9 (पूर्ण आधार) और 11 (सापेक्ष (रिलेटिव) आधार) में उन आधारों का उल्लेख है जिनके आधार पर व्यापार चिह्न पंजीकरण से इनकार किया जा सकता है। किसी भी व्यापार के व्यापार चिह्न की सुरक्षा के लिए व्यापार चिह्न पंजीकरण की पूरी प्रक्रिया महत्वपूर्ण है। धारा 9 में ऐसे आधारों का उल्लेख है जो ऐसे व्यापार चिह्न के पंजीकरण से पूरी तरह इनकार करते हैं। यदि किसी व्यापार चिह्न में कोई विशिष्ट विशेषता नहीं है और वह एक व्यक्ति के वस्तु और सेवाओं को दूसरे से अलग करने में सक्षम नहीं है तो उसे पंजीकृत नहीं किया जा सकता है। व्यापार चिह्न सामान्य भी नहीं होना चाहिए। इसी तरह इनकार के कुछ सापेक्ष आधार भी हैं। चिह्न पहले से पंजीकृत किसी चिह्न के समान या एक जैसा नहीं हो सकता है। चिह्न बाजार में किसी प्रसिद्ध व्यापार चिह्न के समान भी नहीं होना चाहिए। अधिनियम के तहत पहले से पंजीकृत चिह्नों के लिए व्यापार चिह्न की प्रकृति विरोधाभासी नहीं होनी चाहिए और पंजीकृत मालिक के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। 

इनकार के पूर्ण और सापेक्ष आधारों पर काबू पाने के लिए, आवेदक पंजीयक को यह समझाने की कोशिश कर सकता है कि उसका चिह्न किस तरह से विशिष्ट प्रकृति का है। यह भी समझाया जा सकता है कि कैसे दूसरे चिह्न उस चिह्न से संबंधित नहीं है जो आवेदक के चिह्न के समान है, और आवेदक अपने पिछले उपयोग का प्रमाण भी दिखा सकता है। समानता की डिग्री देखी जा सकती है और यह उचित ठहराया जा सकता है कि चिह्न किस तरह से भिन्न हैं, आवेदक लागू होने पर व्यापार चिह्न वर्ग का अंतर भी दिखा सकता है। आवेदक यह भी जांच सकता है कि उसके जैसा चिह्न अभी भी उपयोग में है या नहीं। यदि चिह्न को छोड़ दिया जाता है, तो आवेदक अपने मामले में इसका उपयोग यह साबित करने के लिए कर सकता है कि उसका आवेदन प्रकृति में नया है। 

व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999 की धारा 20(1)

अधिनियम की धारा 20 व्यापार चिह्न आवेदन के विज्ञापन से संबंधित है, जो स्वीकृति से पहले या स्वीकृति के बाद किया जा सकता है। आवेदन का यह विज्ञापन जनता को व्यापार चिह्न पंजीकरण का विरोध करने का अवसर प्रदान करने के इरादे से किया जाता है।

अधिनियम की धारा 20(1) में व्यापार चिह्न पत्रिका में व्यापार चिह्न आवेदन को विज्ञापित करने की प्रक्रिया बताई गई है, जब व्यापार चिह्न पंजीकरण को पूर्ण रूप से या कुछ शर्तों या सीमाओं के साथ स्वीकार किया जाता है। धारा के प्रावधान में कुछ स्थितियों का उल्लेख किया गया है, जिसमें पंजीयक स्वीकृति से पहले आवेदन को विज्ञापित कर सकता है, यदि धारा 9(1) या धारा 11(1) या (2) के तहत कोई आपत्ति है या यदि पंजीयक को लगता है कि ऐसा करने से कुछ परिस्थितियों में प्रक्रिया में तेजी आएगी।  

आवेदन के विज्ञापन पर व्यापार चिह्न नियम (व्यापार चिह्न नियम, 2017)

व्यापार चिह्न नियम, 2017 का नियम 39 

यह नियम व्यापार चिह्न आवेदन के विज्ञापन के तरीके के बारे में बात करता है। व्यापार चिह्न पंजीकरण के लिए प्रत्येक आवेदन को व्यापार चिह्न पत्रिका में विज्ञापित किया जाना चाहिए, चाहे वह पूर्ण रूप से हो या धारा 20(1) में उल्लिखित शर्तों के साथ हो। स्वीकृति से पहले व्यापार चिह्न का पंजीकरण भी किया जा सकता है। यदि आवेदन में किसी त्रुटि या कुछ जोड़ने के कारण व्यापार चिह्न आवेदन में कोई परिवर्तन किया जाता है, तो आवेदन को फिर से विज्ञापित भी किया जा सकता है। 

व्यापार चिह्न नियम, 2017 का नियम 40 

इस नियम में कहा गया है कि यदि व्यापार चिह्न आवेदन के विज्ञापन के बाद, आवेदन में संशोधन किया गया है या कोई त्रुटि थी जिसे ठीक कर दिया गया है, तो पंजीयक, यदि वह ऐसा सोचता है, तो वह पत्रिका में एक अधिसूचना जोड़ सकता है जिसमें आवेदन संख्या, व्यापार चिह्न वर्ग, व्यवसाय का मुख्य स्थान, उसका पता और नाम, आवेदक का नाम और व्यवसाय का मुख्य स्थान न होने की स्थिति में, सेवा का स्थान, विज्ञापित होने के समय पत्रिका संख्या और किए गए संशोधन या सुधार का विवरण दिया जाएगा। 

जब व्यापार चिह्न या वस्तु या सेवा विनिर्देशों के आवेदन में कोई त्रुटि हुई हो, सिवाय इसके कि ऐसी गलती कोई मामूली वर्तनी की गलती, उपयोग के विवरण में गलती, व्यापार चिह्न वर्ग में गलती आदि हो, तो ऐसे मामलों में पंजीयक के पास पिछले व्यापार चिह्न विज्ञापन को रद्द करने की शक्ति होती है और वह आवेदन को फिर से विज्ञापित कर सकता है। 

व्यापार चिह्न नियम, 2017 का नियम 41 

इस नियम के अनुसार कोई व्यक्ति पंजीयक से उस पत्रिका की तारीख और संख्या जैसे विवरण मांग सकता है जिसमें आवेदन विज्ञापित किया जाना है। यह फॉर्म टीएम-एम के द्वारा किया जा सकता है और पंजीयक उस व्यक्ति को यह जानकारी देगा जिसने इसके लिए अनुरोध किया है। 

व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999 की धारा 20(1) के पीछे उद्देश्य और आशय 

धारा 20(1) का मुख्य उद्देश्य और आशय यह सुनिश्चित करना है कि व्यापार चिह्न आवेदन अधिनियम में निर्धारित नियमों और विनियमों के अनुसार पत्रिका में विज्ञापित किया जाए। व्यापार चिह्न के लिए आवेदन व्यापार चिह्न पत्रिका में प्रकाशित किया जाता है ताकि जनता को पंजीकरण का विरोध करने के लिए आमंत्रित किया जा सके यदि यह किसी भी तरह से उनके अधिकारों का उल्लंघन करता है। धारा 20(1) के तहत पंजीयक के पास स्वीकृति से पहले आवेदन को विज्ञापित करने के लिए एक विशिष्ट कारण होना चाहिए। 

स्वीकृति के स्वरूप 

व्यापार चिह्न आवेदन दो रूपों में हो सकता है, अर्थात पूर्ण या सशर्त स्वीकृति। पंजीयक यह तय करता है कि पंजीकरण के लिए आवेदन किए गए चिह्न को पूर्ण स्वीकृति दी जानी चाहिए या सशर्त स्वीकृति।  

पूर्ण स्वीकृति 

पूर्ण स्वीकृति का अर्थ है कि आवेदन को वैसे ही स्वीकार कर लिया गया है जैसा वह था। आइए इसे एक उदाहरण से समझते हैं। A का ‘ओम फर्नीचर’ नाम का व्यवसाय है और वह इसके लिए एक व्यापार चिह्न पंजीकृत कराना चाहता है। यह चिह्न ओम प्रतीक के बगल में एक कुर्सी की तस्वीर है। जांच के समय पंजीयक को यह चिह्न विशिष्ट और ग्राफिक रूप से सही लगता है और इसलिए वह इसे स्वीकृत कर देता है। अब पंजीयक विरोध आमंत्रित करने के लिए पत्रिका में आवेदन का विज्ञापन देगा। यदि कोई विरोध नहीं हुआ, या विरोध हुआ लेकिन A के पक्ष में परिणाम हुआ, तो A का व्यापार चिह्न पूर्ण स्वीकृति के साथ पंजीकृत हो जाएगा।

सशर्त स्वीकृति 

जब किसी व्यापार चिह्न को कुछ शर्तों के साथ स्वीकार किया जाता है, जिनका पालन अनिवार्य रूप से किया जाना होता है, तो ऐसी स्वीकृति को सशर्त स्वीकृति कहा जाता है। ये शर्तें पंजीयक द्वारा निर्धारित की जाती हैं और ये चिह्न में शामिल किसी भी चीज़ से संबंधित हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, XYZ ने एक व्यापार चिह्न के लिए आवेदन किया है, जहाँ XYZ शब्द नीले और काले रंग से लिखे गए हैं और उनके व्यवसाय का पूरा नाम सीधे उसके नीचे इटैलिक में लिखा गया है। 

चिह्न की समीक्षा और जांच के समय पंजीयक को पता चलता है कि सफेद और लाल रंग वाला एक चिह्न XYZ पहले से ही मौजूद है। अलग-अलग वर्गों और वस्तुओं के दोनों ही चिह्न प्रकृति में बिल्कुल अलग हैं। इस मामले में पंजीयक कुछ शर्तों के साथ इस तरह के आवेदन को स्वीकार कर सकता है जैसे कि चिह्न का उपयोग उसके नीचे लिखे पूर्ण रूप के साथ नहीं किया जाना चाहिए और किसी भी परिस्थिति में इसके रंग भी नहीं बदले जाने चाहिए। इस तरह की स्वीकृति को आमतौर पर सशर्त स्वीकृति के रूप में संदर्भित किया जाता है, जहां पंजीकरण के बाद व्यापार चिह्न को पंजीयक द्वारा निर्धारित शर्तों का अनिवार्य रूप से पालन करना होता है और इसका पालन न करने पर अन्य समान पंजीकृत व्यापार चिह्न के अधिकारों का उल्लंघन होगा।

सशर्त स्वीकृति व्यापार चिह्न के वर्णनात्मक तत्वों से भी संबंधित हो सकती है। उदाहरण के लिए, कुछ वस्तु या सेवाएँ हैं जिन्हें कुछ शर्तों के साथ पंजीकरण दिया जाता है जैसे दूध वस्तुओं के लिए, हर पैकेट पर एक अस्वीकरण लिखा होता है कि कंपनी के व्यापार चिह्न के वर्णनात्मक तत्व पर कोई स्वामित्व नहीं है। 

इसी तरह किया मोटर्स के मामले में, व्यापार चिह्न को इस शर्त के साथ पंजीकृत किया गया था कि चूंकि ‘मोटर्स’ शब्द एक सामान्य शब्द है, इसलिए इसे व्यापार चिह्न मालिक द्वारा अलग से अनन्य उपयोग की आवश्यकता के अंतर्गत नहीं गिना जाएगा। ‘मोटर्स’ शब्द का इस्तेमाल अन्य व्यक्तियों या व्यवसायों द्वारा बिना किसी कानूनी ध्यान के किया जा सकता है। 

पत्रिका में विज्ञापन 

व्यापार चिह्न पत्रिका

व्यापार चिह्न पंजीयन द्वारा साप्ताहिक रूप से व्यापार चिह्न पत्रिका प्रकाशित कि जाती है जिसमें पंजीयक द्वारा स्वीकृत व्यापार चिह्न शामिल होता है। व्यापार चिह्न पंजीकरण की प्रक्रिया में, व्यापार चिह्न पत्रिका में प्रकाशन एक महत्वपूर्ण कदम है। जब व्यापार चिह्न पत्रिका में व्यापार चिह्न प्रकाशित होता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि व्यापार चिह्न पंजीकृत हो गया है, इस कदम का सीधा मतलब है कि व्यापार चिह्न पंजीयक द्वारा स्वीकृत हो गया है और अब तीसरे पक्ष के विरोध के लिए खुला है। व्यापार चिह्न आवेदन दायर करने से पहले व्यापार चिह्न खोज करने के लिए भी अक्सर व्यापार चिह्न पत्रिका का उपयोग किया जाता है। व्यापार चिह्न पत्रिका ऑनलाइन प्रकाशित होती है और कोई भी इसे देख सकता है। 

व्यापार चिह्न के आवेदक, उनके वकील और बाजार में प्रतिस्पर्धी खुद को अपडेट रखने के लिए व्यापार चिह्न पत्रिका का उपयोग कर सकते हैं। जब पत्रिका में व्यापार चिह्न आवेदन प्रकाशित होता है तो जनता को प्रकाशित व्यापार चिह्न के खिलाफ विरोध या अस्वीकृति व्यक्त करने का उचित मौका दिया जाता है। सभी व्यापार चिह्न मालिकों को सलाह दी जाती है कि वे उनके व्यापार चिह्न का उल्लंघन न हो, इसकी निगरानी और सुनिश्चित करने के लिए पत्रिका को बार-बार देखें। जब व्यापार चिह्न का उल्लंघन होता है, तो यह चिह्न की साख को बाधित करता है और ब्रांड को कमजोर भी करता है।

व्यापार चिह्न पत्रिका में शामिल विवरण

जब कोई व्यापार चिह्न आवेदन व्यापार चिह्न पत्रिका में प्रकाशित होता है तो उसमें कई महत्वपूर्ण विवरण होते हैं जैसे:

  • आवेदक का पता और अन्य महत्वपूर्ण विवरण;
  • व्यापार चिह्न विवरण;
  • व्यापार चिह्न का चित्र;
  • व्यापार चिह्न वर्ग जिसके अंतर्गत पंजीकरण के लिए आवेदन किया जा रहा है;
  • व्यापार चिह्न के उपयोग का विवरण;
  • एजेंट का विवरण और उसका सेवा पता;
  • प्राथमिकता का दावा;
  • प्रकाशन की तिथि तथा तीसरे पक्ष द्वारा विरोध की समयसीमा;
  • पंजीकृत व्यापार चिह्नों की नवीकरण समयसीमा।

उपर्युक्त सूची संपूर्ण प्रकृति की नहीं है तथा व्यापार चिह्न पत्रिका का उपयोग विभिन्न अन्य प्रयोजनों के लिए भी किया जाता है।

स्वीकृति से पहले विज्ञापित

जब व्यापार चिह्न आवेदन में स्थिति “स्वीकृति से पहले विज्ञापित” दिखाई देती है, तो इसका मतलब है कि पत्रिका में चिह्न का विज्ञापन किया गया है, लेकिन चिह्न के संबंध में अभी भी कुछ आरक्षण हैं। तो अधिनियम की धारा 21 के तहत, पत्रिका में चिह्न प्रकाशित होते ही तीसरे पक्ष द्वारा विरोध का मौका दिया जाता है और 4 महीने की अवधि उस दिन से शुरू होती है जिस दिन चिह्न प्रकाशित होता है। किसी चिह्न को स्वीकृति से पहले या स्वीकृत होने के बाद विज्ञापित किया जा सकता है। अधिनियम की धारा 20(1) स्वीकृति से पहले विज्ञापन से संबंधित प्रावधानों के बारे में बात करती है और बताती है कि किसी चिह्न को पूरी तरह से स्वीकार किए जाने से पहले विज्ञापित किया जा सकता है। यहां पंजीयक अधिनियम की धारा 9(1) और 11(1) या (2) के तहत प्रावधानों पर विचार करेगा और पंजीकरण के लिए आवेदन किए गए चिह्न पर इसे लागू करेगा।

इस मामले में पंजीयक चिह्न के बारे में पूरी तरह से आश्वस्त नहीं है कि यह प्रकृति में विशिष्ट है या नहीं और क्या बाजार में अन्य समान चिह्न मौजूद हैं, तो इस मामले में स्वीकृति से पहले चिह्न का विज्ञापन किया जाता है। धारा 20(1) के तहत यह भी उल्लेख किया गया है कि स्वीकृति से पहले विज्ञापन भी तब होता है जब व्यापार चिह्न कार्यालय को ऐसा करना उचित लगता है। स्वीकृति से पहले चिह्न का विज्ञापन होने की संभावना स्वीकृति के बाद विज्ञापन की तुलना में कम होती है, क्योंकि चिह्न आमतौर पर विरोध के पूर्ण या सापेक्ष आधारों से प्रभावित होता है, भले ही कोई मामूली समानता हो। 

स्वीकृत के रूप में विज्ञापित

जब व्यापार चिह्न आवेदन की स्थिति “स्वीकृत के रूप में विज्ञापित” होती है, तो इसका मतलब है कि मौजूदा समान या समरूप चिह्न की जांच के समय व्यापार चिन्ह पंजीयक की ओर से कोई आपत्ति नहीं उठाई गई। जब स्थिति सीधे “स्वीकृत के रूप में विज्ञापित” दिखाती है, तो पत्रिका में विज्ञापन के लिए चिह्न को सीधे स्वीकार कर लिया जाता है और अधिनियम की धारा 9 और 11 के तहत कोई आपत्ति नहीं उठाई जाती है। यदि इस चरण के दौरान कुछ आपत्तियाँ उठाई जाती हैं, तो आवेदक को इसके बारे में सूचित किया जाता है और उसे पंजीयक द्वारा साझा की गई रिपोर्ट का जवाब देना होता है। रिपोर्ट बताती है कि उसका चिह्न कैसे नया है और किसी अन्य चिह्न जो या तो पंजीकृत है या पंजीकरण की प्रक्रिया में है के समान या स्वरूप नहीं है और दूसरे पक्ष के किसी भी अधिकार का उल्लंघन नहीं करेगा। 

“स्वीकृत के रूप में विज्ञापित” के मामले में व्यापार चिह्न कार्यालय का मानना ​​है कि चिह्न के साथ कोई समस्या नहीं है और यह सीधे व्यापार चिह्न पत्रिका में प्रकाशित होने के लिए तैयार है। हालाँकि, ऐसे मामले कम ही होते हैं, जब पंजीयक को पूरी तरह से यकीन हो जाता है कि चिह्न प्रकृति में बहुत विशिष्ट है और किसी अन्य चिह्न के समान नहीं है। जब चिह्न को स्वीकृत के रूप में विज्ञापित किया जाता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि अब चिह्न सीधे पंजीकृत हो जाएगा। चिह्न अभी भी 4 महीने की अवधि के लिए व्यापार चिह्न पत्रिका में प्रकाशित किया जाएगा और तीसरे पक्ष को ऐसे पंजीकरण का विरोध करने का अवसर दिया जाएगा। इसलिए व्यापार चिह्न कार्यालय की ओर से कोई आपत्ति न होने के बाद भी यह पूरी तरह से संभव है कि चिह्न का किसी तीसरे पक्ष द्वारा विरोध किया जाए और आगे सुनवाई के बाद भी इसे अस्वीकार कर दिया जाए। 

स्वीकृति से पहले विज्ञापित और स्वीकृत के रूप में विज्ञापित के बीच अंतर

आधार स्वीकृत के रूप में विज्ञापित स्वीकृति से पहले विज्ञापित
स्वीकृति की प्रकृति जब पंजीयक की स्वीकृति के बाद व्यापार चिह्न का विज्ञापन किया जाता है, तो इसका तात्पर्य यह है कि व्यापार चिह्न तीसरे पक्ष के विरोध के लिए खुला है। स्वीकृति से पहले विज्ञापन के मामले में, पंजीयक आवेदन की प्रारंभिक जांच करता है और इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि व्यापार चिह्न किसी तीसरे पक्ष के अधिकार या अधिनियम के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता है और प्रकृति में विरोधाभासी नहीं है। 
कानूनी निहितार्थ जब किसी व्यापार चिह्न को स्वीकृति के बाद विज्ञापित किया जाता है, तो आवेदक के पास अधिक मजबूत कानूनी अधिकार होते हैं, क्योंकि व्यापार चिह्न पहले से ही तीसरे पक्ष के विरोध के लिए खुला होता है और उसमें सफल भी हो चुका होता है। विज्ञापन से पहले स्वीकृति मिलने पर आवेदक को कोई कानूनी अधिकार नहीं दिया जाता। व्यापार चिह्न आवेदन अभी भी पंजीकरण की प्रक्रिया में है। 
विरोध का अवसर स्वीकृति के बाद जब व्यापार चिह्न का विज्ञापन किया जाता है, तो कोई भी तीसरा पक्ष 4 महीने की अवधि के भीतर उस विशेष व्यापार चिह्न के पंजीकरण का विरोध कर सकता है। तीसरे पक्ष के लिए विरोध का अवसर नहीं है क्योंकि आवेदन अभी सार्वजनिक जांच के लिए नहीं खुला है तथा इसे अभी पत्रिका में प्रकाशित नहीं किया गया है। 
पंजीकरण की अंतिमता इस चरण के दौरान जब कोई इसका विरोध नहीं करता है, तो पंजीकरण की अंतिमता को चुनौती नहीं दी जा सकती है और तब इसे उसी रूप में स्वीकार कर लिया जाता है, जैसा कि व्यापार चिह्न पत्रिका में विज्ञापित किया गया था। यहां तक ​​कि विज्ञापन से पहले व्यापार चिह्न स्वीकार किए जाने पर भी चुनौतियां हो सकती हैं।

व्यापार चिह्न विज्ञापन से संबंधित हालिया निर्णय

जय भगवान गुप्ता बनाम व्यापार चिह्न के पंजीयक एवं अन्य (2020)

मामले के तथ्य

इस मामले में, याचिकाकर्ता ने अपने व्यापार चिह्न ‘जीरा पुजारी’ और ‘जय पुजारी ब्रांड’ को विधिवत पंजीकृत करवाया था और समय-समय पर दोनों चिह्नों का नवीनीकरण भी करवाया था। इसके बावजूद प्रतिवादी उसी व्यापार चिह्न वर्ग में ‘पुजारी’ शब्द वाले चिह्नों का विज्ञापन कर रहा था। याचिकाकर्ता द्वारा ऐसे समान चिह्नों के संबंध में विरोध दर्ज कराया गया था। याचिकाकर्ता द्वारा इन व्यापार चिह्नों के विवादित प्रकाशन को रद्द करने और भविष्य में ऐसे चिह्न जो पहले से पंजीकृत व्यापार चिह्नों के समान या एक जैसे हैं का विज्ञापन न करने के संबंध में राहत की मांग करते हुए एक रिट याचिका दायर की गई थी।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि प्रतिवादी को समान चिह्नों के लिए आवेदन की जांच करते समय पूर्ण और सापेक्ष आधार पर अधिक ध्यान देना चाहिए था। एक ही वर्ग में ऐसे समान चिह्न का विज्ञापन करने से याचिकाकर्ता के व्यापार चिह्न को सीधे तौर पर खतरा है। 

प्रतिवादी ने तर्क देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता का एक आवेदन छोड़ दिया गया है, जबकि दूसरा लंबित चरण में है, जिसमें कहा गया है कि याचिकाकर्ता द्वारा सभी उपलब्ध वैधानिक उपायों का पहले ही लाभ उठा लिया गया है। 

उठाए गए मुद्दे 

क्या स्वीकृति से पहले व्यापार चिह्न की स्वीकृति या विज्ञापन उस व्यापार चिह्न को दिया जा सकता है जो पहले से ही पंजीकृत है और प्रकृति में भी समान है?

मामले का फैसला

माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय ने माना कि व्यापार चिह्न को स्वीकृति से पहले केवल कुछ असाधारण परिस्थितियों में ही विज्ञापित किया जाएगा। इस प्रथा का दैनिक आधार पर पालन नहीं किया जाना चाहिए। व्यापार चिह्न आवेदन को कुछ सीमाओं का उपयोग करके स्वीकार किया जा सकता है, इसे कुछ शर्तों के साथ या बिना शर्तों के स्वीकार किया जा सकता है और स्वीकृति से पहले विज्ञापित किया जा सकता है। यदि पहले से ही कुछ समान या भ्रामक रूप से समान चिह्न पंजीकृत हैं, तो पंजीयक द्वारा कुछ शर्तें रखी जा सकती हैं। पंजीयक द्वारा इसके कारणों का भी उल्लेख किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता के पास विरोध करने का अधिकार होगा और इस पर कानून के अनुसार निर्णय लिया जाना चाहिए।

लक्ष्मी कोहलू घर अपने सहभागी (पार्टनर) श्री अरुण कुमार के माध्यम से बनाम पेटेंट डिजाइन और व्यापार चिह्न के महानियंत्रक (कंट्रोलर) और व्यापार चिह्न के पंजीयक और अन्य (2023)

 

मामले के तथ्य

इस मामले में, खाद्य तेल और उससे संबंधित वस्तु बनाने में विशेषज्ञता रखने वाले व्यवसाय “लक्ष्मी कोहलू घर” ने व्यापार चिह्न आवेदन संबंधी चिंताओं के संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि व्यापार चिह्न के नए आवेदनों की जांच करने की प्रक्रिया बहुत ही असंगत और अनुचित थी। याचिकाकर्ता ने उल्लेख किया कि कुछ व्यापार चिह्न जो स्वीकृति के योग्य नहीं थे, उन्हें बिना कोई वैध कारण बताए स्वीकार कर लिया गया। 

याचिकाकर्ता ने व्यापार चिह्न आवेदनों को अस्वीकार करने, स्वीकार करने या विज्ञापन देने की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी की ओर भी इशारा किया और इसके कारणों का ऑनलाइन खुलासा नहीं किया गया। याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया कि वे ‘लक्ष्मी’ चिह्न को अपनाने वाले पहले थे और उन्होंने व्यापार चिह्न से संबंधित वैधानिक अधिकारों का दावा किया। याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि जय भगवान गुप्ता बनाम व्यापार चिह्न के पंजीयक एवम् अन्य (2020) के मामले में माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। 

उठाए गए मुद्दे 

क्या व्यापार चिह्न विज्ञापन और जांच प्रक्रिया असंगत, अनुचित और पारदर्शिता से रहित थी?

मामले का फैसला

न्यायालय ने जय भगवान गुप्ता बनाम व्यापार चिह्न के पंजीयक एवं अन्य (2020) में दिए गए निर्णय पर भरोसा किया और पंजीयक पर अधिनियम की धारा 20(1) के तहत उल्लिखित व्यापार चिह्न का विज्ञापन करने से पहले अधिक ध्यान देने पर जोर दिया। जब स्वीकृति से पहले व्यापार चिह्न आवेदन का विज्ञापन किया जाता है तो आवेदक पर भार पड़ता है। स्वीकृति के बाद या उससे पहले व्यापार चिह्न आवेदन के विज्ञापन को उचित ठहराने के लिए पंजीयक द्वारा एक आदेश पारित किया जाना चाहिए।

इस मामले में न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया था कि जब कोई व्यापार चिह्न स्वीकार या अस्वीकार किया जाता है तो वादी के संदर्भ के लिए एक संक्षिप्त आदेश पारित किया जाना चाहिए। पंजीयन को ऐसा आदेश ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध कराना होगा और यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो ऐसे आदेश की प्रति तब अपलोड करनी होगी जब कोई व्यक्ति ईमेल द्वारा अनुरोध करता है और इसके लिए आरटीआई आवेदन दायर करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। एक साधारण ईमेल अनुरोध ही पर्याप्त होना चाहिए। यह मामला फिलहाल न्यायालय में लंबित है।

निष्कर्ष 

व्यापार चिह्न विशिष्ट वस्तुओं और सेवाओं के लिए एक अद्वितीय पहचानकर्ता की भूमिका निभाता है। व्यापार चिह्न एक प्रतीक, चिह्न या शब्द हो सकता है और उसे ग्राफिक रूप से दर्शाया गया होना चाहिए। जब ​​किसी व्यापार चिह्न का विज्ञापन किया जाता है तो उसके पीछे मुख्य उद्देश्य जनता को व्यापार चिह्न के बारे में सभी प्रासंगिक विवरण प्रदान करना होता है। यदि बाजार में पहले से ही कोई समान व्यापार चिह्न उपयोग में है तो व्यापार चिह्न के खिलाफ विरोध दर्ज किया जा सकता है। यदि व्यापार चिह्न पत्रिका में प्रकाशित जानकारी झूठी साबित होती है तो विज्ञापन रद्द कर दिया जाता है और व्यापार चिह्न के पंजीकरण से पहले पुनः विज्ञापन किया जाता है।

संपूर्ण व्यापार चिह्न पंजीकरण प्रक्रिया में विज्ञापन चरण अन्य चरणों की तुलना में उतना ही महत्वपूर्ण है। व्यापार चिह्न पंजीयक की मुख्य जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करने के लिए गहन जांच करना है कि पंजीकरण के लिए आवेदन किया जा रहा चिह्न किसी पंजीकृत व्यापार चिह्न मालिक के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता है। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) 

व्यापार चिह्न आवेदन का विज्ञापन व्यापार चिह्न पत्रिका में क्यों दिया जाता है?

व्यापार चिह्न आवेदन को पत्रिका में विज्ञापित किया जाता है, ताकि तीसरे पक्ष को ऐसे व्यापार चिह्न पंजीकरण का विरोध करने का अवसर मिल सके, यदि उन्हें लगता है कि यह उनके व्यापार चिह्न अधिकारों का उल्लंघन करता है। 

क्या किसी पत्रिका में व्यापार चिह्न आवेदन का विज्ञापन करने के लिए व्यापार चिह्न पंजीयक से मंजूरी लेना आवश्यक है?

व्यापार चिह्न पत्रिका में विज्ञापन दिए जाने से पहले व्यापार चिह्न पंजीयक की मंजूरी लेना अनिवार्य है। यदि पंजीयक को सिस्टम में कुछ समान चिह्न मिलते हैं तो वह उन्हें आवेदक को भेजेगा और आवेदक को रिपोर्ट का जवाब देते हुए यह प्रमाणित करना होगा कि उसका चिह्न अन्य चिह्नों से मिलता-जुलता नहीं है और अन्य मालिकों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करेगा। 

पत्रिका में व्यापार चिह्न आवेदन कितने महीनों के लिए विज्ञापित किया जाता है?

अनुमोदित व्यापार चिह्न आवेदन को चार महीने की अवधि के लिए व्यापार चिह्न पत्रिका में प्रकाशित किया जाता है।

व्यापार चिह्न के आवेदन में स्वीकृत स्थिति का क्या अर्थ है?

जब व्यापार चिह्न आवेदन की स्थिति ‘स्वीकृत’ दिखाई देती है, तो इसका मतलब है कि व्यापार चिह्न पंजीयन द्वारा गहन समीक्षा और जांच के बाद व्यापार चिह्न आवेदन अधिनियम के तहत निर्धारित आवश्यकताओं के अनुसार स्वीकृत हो गया है। व्यापार चिह्न को तीसरे पक्ष के विरोध के लिए व्यापार चिह्न पत्रिका में प्रकाशित किया जाता है।

व्यापार चिह्न पंजीकरण कितने वर्षों के लिए वैध होता है?

अधिनियम की धारा 25 के अनुसार भारत में व्यापार चिह्न पंजीकरण दस वर्ष की अवधि के लिए वैध है। व्यापार चिह्न पंजीकरण का नवीनीकरण भी हर दस वर्ष में किया जा सकता है।

क्या पंजीकरण के बाद किसी व्यापार चिह्न का पंजीकरण हटाया जा सकता है?

भारत में पंजीकृत व्यापार चिह्न को पंजीकृत होने के बाद भी हटाया जा सकता है। यदि पंजीकरण के बाद व्यापार चिह्न उपयोग में नहीं है, गलती से पंजीकृत हो गया है या मालिक द्वारा इसे छोड़ दिया गया है तो अधिनियम की धारा 47 के तहत ऐसा किया जा सकता है। ऐसा हटाने की पहल कोई भी पक्ष कर सकता है जिसे लगता है कि उसके अधिकारों का उल्लंघन किया गया है। 

क्या व्यापार चिह्न आवेदन दाखिल करने के बाद उसमें कोई परिवर्तन किया जा सकता है?

भारत में दाखिल किए जाने के बाद किसी व्यापार चिह्न में संशोधन किया जा सकता है, लेकिन केवल उन्हीं परिवर्तनों की अनुमति है जो व्यापार चिह्न की मूल प्रकृति में कोई परिवर्तन नहीं करते हैं। व्यापार चिह्न के आवेदन में कुछ संशोधन करने के लिए आवेदक स्वयं या उसके अधिकृत एजेंट द्वारा फॉर्म टीएम-एम दाखिल किया जा सकता है। यदि व्यापार चिह्न में किसी भी प्रकार का कोई बड़ा परिवर्तन किया जाता है, जो चिह्न के मुख्य सार को बदल देता है तो ऐसे परिवर्तनों की अनुमति नहीं है क्योंकि यह समग्र रूप से व्यापार चिह्न को बदल देता है।

क्या कोई विदेशी कंपनी भारत में व्यापार चिह्न पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकती है?

कोई भी विदेशी कंपनी भारत में व्यापार चिह्न के लिए आवेदन कर सकती है। व्यापार चिह्न के लिए आवेदन करने के लिए विदेशी कंपनी को सभी आवश्यक नियमों और विनियमों का पालन करना होगा।

भारत में कितने व्यापार चिह्न कार्यालय स्थित हैं?

भारत में कुल 5 व्यापार चिह्न कार्यालय हैं। मुख्यालय मुंबई में स्थित है, जबकि अन्य व्यापार चिह्न कार्यालय कोलकाता, अहमदाबाद, चेन्नई और दिल्ली में स्थित हैं।

व्यापार चिह्न पत्रिका कैसे देखें?

साप्ताहिक प्रकाशित व्यापार चिह्न पत्रिका देखने के लिए आप कार्यालय महानियंत्रक, पेटेंट, डिजाइन एवं व्यापार चिह्न, उद्योग संवर्धन (प्रमोशन) एवं आंतरिक व्यापार विभाग, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार की वेबसाइट पर जा सकते हैं ।

संदर्भ 

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