व्यापार चिह्न अधिनियम 1999 की धारा 12

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यह लेख Saloni Bhatt द्वारा लिखा गया है। यह लेख व्यापार चिह्न अधिनियम,1999 की धारा 12 से संबंधित है जो व्यापार चिह्न के ईमानदार और समवर्ती (कॉकुरेन्ट) उपयोग के बारे में बात करता है। साथ ही प्रासंगिक कानूनी मामला और इसकी अनिवार्यताओं के संदर्भ में धारा की विस्तृत व्याख्या प्रदान की गई है। इसका अनुवाद Pradyumn Singh के द्वारा किया गया है। 

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परिचय

ब्रांड पहचान के मूल घटक व्यापार चिह्न हैं। व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999 की धारा 2(zb) के तहत परिभाषित व्यापार चिह्न , एक ऐसा चिह्न है जिसे चित्रण रूप से दर्शाया जा सकता है, जो दूसरों के सामान और सेवाओं से स्वयं के सामान और सेवाओं को अलग करने में मदद करता है। इसमें आकार, रंगों के संयोजन, वर्णमाला आदि शामिल हो सकते हैं। व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999 (इसके बाद 1999 के अधिनियम के रूप में जाना जाता है) व्यापार चिह्न मालिकों के अधिकारों की सुरक्षा के साथ-साथ उन्हें कुछ शक्तियां प्रदान करने के लिए एक कानूनी ढांचे के रूप में कार्य करता है। 1999 का अधिनियम कई धाराओं की रूपरेखा तैयार करता है जो व्यापार चिह्न के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करती हैं, जिसमें पंजीकरण की प्रक्रिया, अधिकार और स्वामित्व, प्राधिकरण (ऑथरिज़ेशन) और लाइसेंस शामिल हैं, साथ ही साथ कुछ सीमाएं भी निर्धारित करती हैं। 1999 के अधिनियम के माध्यम यह हमें व्यापार चिह्न मालिक के अधिकारों और दायित्वों को समझने में मदद करता है। यह व्यापार चिह्न मालिक के उल्लंघन और अधिकारों से संबंधित आवश्यक धाराओं को भी निर्धारित करता है।

प्राचीन काल के दौरान, व्यापारी और सौदागर अपने सामान को अपने प्रतिस्पर्धियों से अलग करने के लिए कागज या कुम्हार के चीनी मिट्टी के निशान पर वॉटरचिह्न का इस्तेमाल व्यापार चिह्न के रूप में करते थे। औद्योगिक क्रांति के बढ़ने के साथ, जिसमें बड़े पैमाने पर उत्पादन बढ़ रहा था, जालसाजी (काउंटर फिटिंग) और उपभोक्ता भ्रम आम हो गया, जिसने औपचारिक व्यापार चिह्न संरक्षण की आवश्यकता को बढ़ावा दिया। 20वीं शताब्दी के दौरान, 1883 में औद्योगिक संपत्ति के लिए पेरिस सम्मेलन की स्थापना के साथ व्यापार चिह्न को औद्योगिक मान्यता मिली, जिसने सदस्य देशों में मानकीकृत व्यापार चिह्न पंजीकरण प्रक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित किया। जैसे-जैसे विश्व अर्थव्यवस्था विविध होती गई, व्यापार चिह्न की अवधारणा भौतिक वस्तुओं से परे बढ़ गई और इसमें सेवाएं, नारे, प्रतीक आदि भी शामिल हो गए। इसलिए कहा जा सकता है कि व्यापार चिह्न की एक लंबी, समृद्ध यात्रा है जो उस समय की है जब व्यापार चिह्न मालिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए कोई कानूनी ढांचा नहीं था। 

व्यापार चिह्न का ईमानदार समवर्ती उपयोग

1999 के अधिनियम की धारा 12 के तहत ईमानदार समवर्ती उपयोग की अवधारणा निहित है। ईमानदार समवर्ती उपयोग एक कानूनी सिद्धांत के रूप में कार्य करता है जिसके तहत दो या अधिक पक्ष अपने सामान और सेवाओं के लिए समान व्यापार चिह्न का उपयोग करने में सक्षम होते हैं, यह ध्यान में रखते हुए कि कुछ शर्तें पूरी होती हैं। इस धारा का मुख्य उद्देश्य व्यापार चिह्न के आवेदक को यह साबित करने में मदद करना है कि वह दावे किए गए व्यापार चिह्न का अच्छे विश्वास के साथ उपयोग कर रहा है और उसे अपने सामान और सेवाओं के संबंध में पहले से पंजीकृत समान व्यापार चिह्न का कोई पूर्व जानकारी नहीं था।

आवेदक के लिए यह साबित करना महत्वपूर्ण है कि वह ज्ञात व्यापार चिह्न का वास्तविक उपयोगकर्ता रहा है। कुछ ऐतिहासिक न्यायिक घोषणाएँ हुई हैं जो हमें 1999 के अधिनियम की धारा 12 की अवधारणा पर एक व्यापक दृष्टिकोण देने में मदद करती हैं। जैसा कि हम पहले से ही जानते हैं, पहले से पंजीकृत व्यापार चिह्न व्यापार चिह्न अधिनियम का धारा 11 के तहत इनकार के लिए एक आधार है। हालांकि, धारा 12 हमें वस्तुओं और सेवाओं के स्वामित्व को लेकर उपभोक्ताओं के बीच भ्रम को रोकने में मदद करती है। 1999 के अधिनियम के अनुसार, धारा 12 में कहा गया है कि ईमानदार समवर्ती उपयोग या किसी अन्य विशेष परिस्थितियों के मामले में, जो रजिस्ट्रार की राय में मानदंडों में सही बैठता है, व्यापार चिह्न के एक से अधिक मालिकों द्वारा पंजीकरण की अनुमति दी जा सकती है, जो समान वस्तुओं या सेवाओं के संबंध में समान या समरूप हैं। जो रजिस्ट्रार द्वारा लगाई जाने वाली किसी भी सीमा के अधीन है।

व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999 की धारा 12 की अनिवार्यताएँ

1999 के अधिनियम की धारा 12 व्यापार चिह्न के ईमानदार समवर्ती उपयोग की अवधारणा के बारे में बात करती है। यह कहा जा सकता है कि यह प्रावधान सामान्य नियम को अपवाद प्रदान करता है कि समान या एक तरह व्यापार चिह्न को समान वस्तुओं या सेवाओं के लिए पंजीकृत नहीं किया जा सकता है। अपवाद इस प्रकार हैं: 

सद्भावना उपयोग: धारा 12 के उपयोग के लिए,दोनों पक्षों को यह साबित करना होगा कि उन्होंने धोखा देने के किसी इरादे के बिना अच्छे विश्वास में व्यापार चिह्न का उपयोग किया है

विशिष्ट भौगोलिक बाजार:विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में व्यापार चिह्न का संचालन ईमानदार समवर्ती उपयोग के दावे का समर्थन कर सकता है, जैसे कि गोयनका इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च बनाम अंजनी कुमार गोयनका और अन्य (2009) के मामले में किया है। 

समवर्ती उपयोग: धारा 12 के तहत, दोनों पक्षों को यह साबित करने में सक्षम होना चाहिए कि वे लंबे समय से एक ही व्यापार चिह्न का उपयोग कर रहे हैं जो दूसरे के उपयोग की जानकारी में नहीं है;

उपभोक्ताओं में असमंजस: समान व्यापार चिह्न का उपयोग करते समय, पक्षों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उपभोक्ताओं के बीच उनके स्वयं के सामान और सेवाओं के बारे में कोई भ्रम न हो;

वस्तुओं और सेवाओं के उपयोग में अंतर: समान व्यापार चिह्न का उपयोग करने वाली पक्षों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके सामान के बीच महत्वपूर्ण अंतर है, जो उक्त व्यापार चिह्न के ईमानदार समवर्ती उपयोग को साबित करने के लिए उनके रुख को मजबूत करने में मदद कर सकता है।

अधिनियम की धारा 12 के अंतर्गत विशेष परिस्थितियाँ

धारा 12 के तहत, चूंकि ईमानदार समवर्ती उपयोग का पहले ही उल्लेख किया गया है, इसलिए प्रावधान यह भी प्रदान करता है कि अन्य विशेष परिस्थितियां क्या हो सकती हैं। यह कहा जा सकता है कि ‘अन्य विशेष परिस्थितियाँ’ शब्द रजिस्ट्रार को विशिष्ट परिस्थितियों में एक या अधिक मालिकों द्वारा समान या एक तरह के व्यापार चिह्न के पंजीकरण की अनुमति देने में लचीलापन प्रदान करता है। कुछ संभावित परिदृश्य इस प्रकार हो सकते हैं: 

  • लाइसेंसिंग समझौते: कुछ मामलों में, जहां मालिक द्वारा उक्त व्यापार चिन्ह के उपयोग के लिए लाइसेंस प्रदान किया गया है और लाइसेंसिंग समझौता मौजूद है, वहा रजिस्ट्रार स्वविवेक का प्रयोग कर सकता है।
  • भौगोलिक सीमा: जब दोनों पक्ष अलग-अलग भौगोलिक बाजारों में काम करते हैं, तो रजिस्ट्रार एक विशेष परिस्थिति पर विचार कर सकता है। उदाहरण के लिए, मैकडॉनल्ड्स एक विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त ब्रांड है जिसके विभिन्न देशों में व्यापार चिह्न पंजीकृत हैं; हालाँकि, जबकि गोल्डन आर्च लोगो व्यापक रूप से मैकडॉनल्ड्स से जुड़ा हुआ है, यह संभव है कि ऐसे देश में एक स्थानीय व्यवसाय जहाँ मैकडॉनल्ड्स की मजबूत उपस्थिति नहीं है, मैकडॉनल्ड्स के अधिकारों का उल्लंघन किए बिना एक समान लोगो का उपयोग कर सकता है।
  • विशिष्ट बाज़ार खंड: जब एक ही व्यापार चिह्न का एक अलग उपभोक्ता आधार होता है, तो इसे एक विशेष परिस्थिति माना जा सकता है। उदाहरण के लिए, व्यापार चिह्न “कैंडी” का उपयोग एक मालिक द्वारा छोटे बच्चों के लिए कैंडी बेचने के लिए किया जा रहा है, जबकि एक ही व्यापार चिह्न “कैंडी” का उपयोग एक अन्य मालिक द्वारा कैंडी रंग के कपड़े बेचने के लिए भी किया जा रहा है, यह दर्शाता है कि उनके पास ईमानदार और समवर्ती उपयोग के लिए अलग-अलग उपभोक्ता आधार हैं।
  • विलय(मर्जर) एवं अधिग्रहण(ऐक्विज़िशन): विशेष परिस्थितियों में, अद्वितीय पंजीकरण के लिए विलय (मर्जर) या अधिग्रहण के बाद के परिदृश्यों पर विचार किया जा सकता है।

ट्रेड चिह्न उल्लंघन के विरुद्ध बचाव के रूप में धारा 12

धारा 12 उपभोक्ताओं के बीच माल के स्वामित्व या उत्पत्ति के स्थान के बारे में भ्रम को रोकने में मदद करती है। प्रत्येक व्यापार चिह्न को सुरक्षा प्राप्त करने के लिए, इसे व्यापार चिह्न रजिस्ट्रार के साथ पंजीकृत कराना होगा। हालांकि, रजिस्ट्रार को धारा 9 (व्यापार चिह्न के पूर्ण अस्वीकृति के आधार) और धारा 11 (व्यापार चिह्न के सापेक्ष अस्वीकृति के आधार) के तहत व्यापार चिह्न को अस्वीकार करने की शक्ति है। धारा 11 एक चिह्न को पंजीकृत होने से रोकती है जो समान है या पहले पंजीकृत किया गया है। जब पंजीकरण के लिए आवेदन को अधिनियम की धारा 11 के तहत अस्वीकार कर दिया जाता है, तो आवेदक कई बचाव के साथ आ सकता है। 

ईमानदार समवर्ती उपयोग, जैसा कि धारा 12 के तहत बताया गया है, एक ऐसा बचाव है जिसका उपयोग आवेदक व्यापार चिह्न उल्लंघन की लड़ाई में शामिल होने से बचाव के लिए कर सकता है। मुख्य तर्क यह साबित करना है कि आवेदक उक्त चिह्न का उपयोग अच्छे विश्वास के साथ कर रहा है और उसे इस बात की कोई जानकारी या ठिकाना नहीं है कि ट्रेड चिह्न पहले पंजीकृत था या किसी अन्य मालिक द्वारा भी उपयोग किया जा रहा था। यह साबित करने का भार आवेदक पर है कि ग्राहक चिह्न को अपने सामान या सेवाओं से जोड़ते हैं।

ईमानदार समवर्ती उपयोग साबित करने के लिए दस्तावेज़

धारा 12 के तहत, यह साबित करने के लिए कि व्यापार चिह्न का ईमानदार समवर्ती उपयोग हुआ है, आवश्यक कुछ दस्तावेजी साक्ष्य इस प्रकार हैं:

  1. यदि चिह्न पहले से ही उपयोग में है, तो चिह्न के उपयोग की अवधि आवेदक द्वारा साबित की जानी चाहिए; और
  2. चिह्न के विज्ञापन और चिह्न के विज्ञापन पर खर्च की गई सभी धनराशि का प्रमाण आवेदक द्वारा व्यापार चिह्न के ईमानदार उपयोग को प्रदर्शित करने के लिए महत्वपूर्ण सबूत है।
  3. चिह्न के तहत दी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की वार्षिक बिक्री दिखाने वाली खातों की किताबें जमा करना भी इसे साबित करने के लिए पर्याप्त है;

इससे आवेदक को यह साबित करने में मदद मिलती है कि उक्त ट्रेड चिह्न उसके सामान के साथ जुड़ा हुआ है और उसका उपभोक्ता आधार समान व्यापार चिह्न के मालिक से अलग है।

प्रासंगिक मामला कानून

कोरेस (इंडिया) लिमिटेड बनाम मेसर्स खोडे ईश्वरसा और संस, और अन्य (1984),

मामले के तथ्य

कोरेस (इंडिया) लिमिटेड बनाम मेसर्स खोडे ईश्वरसा और संस,और अन्य (1984), के मामले में, बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा निर्णय लिया गया, जिसमें याचिकाकर्ता, कोरेस (इंडिया) ने कार्बन पेपर, टाइपराइटर रिबन और स्टेंसिल के संबंध में एक आवेदन दायर किया। टाइपराइटर पर एक टाइपिस्ट लड़की का एक उपकरण, जिस पर प्रतिवादियों ने अधिनियम की धारा 9 के तहत एक समान उपकरण के रूप में आपत्ति जताई और शब्द “खोडे” पहले से ही प्रतिवादियों द्वारा पंजीकृत था।

व्यापार और माल चिह्न अधिनियम, 1958 की धारा 12(3) के अनुसार, ऐसे प्रावधान के तहत एक व्यापार चिह्न की पंजीकरण योग्यता का निर्धारण करते समय निम्नलिखित तथ्यों को ध्यान में रखा जाना आवश्यक था:

  1. समवर्ती उपयोग की वास्तविकता;
  2. व्यापार की अवधि, क्षेत्र और मात्रा और संबंधित वस्तुओं को ध्यान में रखते हुए आवेदक द्वारा दिखाए गए व्यापार चिह्नों के समवर्ती उपयोग की मात्रा;
  3. सार्वजनिक हित या सार्वजनिक असुविधा के उपाय के रूप में, आवेदक और प्रतिद्वंद्वी के व्यापार चिह्नों की समानता के परिणामस्वरूप भ्रम की संभावना;
  4. क्या भ्रम की कोई घटना रिकॉर्ड पर साबित हुई है; और
  5. संबंधित पक्षों को होने वाली सापेक्षिक (रेलटिव) असुविधा।

 उठाये गये मुद्दे

  1. क्या कोरेस लिमिटेड का व्यापार चिह्न खोडे ईश्वर संस के पंजीकृत व्यापार चिह्न के समान था, जिससे उपभोक्ताओं के बीच भ्रम पैदा हुआ?

निर्णय

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि दोनों व्यापार चिह्न एक टाइपिस्ट लड़की के समान उपकरण का उपयोग करते हैं। जिन वस्तुओं के लिए दोनों व्यापार चिह्न का उपयोग किया जा रहा था, वे समान थे और व्यापार चिह्न की समानता और वस्तुओं की समान प्रकृति के कारण उपभोक्ताओं के बीच भ्रम की संभावना थी, क्योंकि उपकरणों की समग्र अभिव्यक्ति समान थी। 

लंदन रबर कंपनी लिमिटेड बनाम ड्यूरेक्स प्रोडक्ट्स (1963)

मामले के तथ्य

इस मामले में, प्रतिवादियों (ड्यूरेक्स उत्पादों) ने व्यापार चिह्न के उप रजिस्ट्रार के समक्ष व्यापार चिह्न ‘ड्यूरेक्स’ को उनके द्वारा निर्मित और बेचे जाने वाले गर्भनिरोधक उपकरणों की पैकेजिंग पर उपयोग के लिए पंजीकृत करने के लिए एक आवेदन प्रस्तुत किया। अपीलकर्ता (लंदन रबर कंपनी) ने तर्क दिया कि वे 1932 से भारत में व्यापार चिह्न ड्यूरेक्स का उपयोग कर रहे थे, और उन्होंने 1954 में 15 साल की अवधि के लिए उसी के पंजीकरण का नवीनीकरण किया, जिसे व्यापार चिह्न के उप रजिस्ट्रार द्वारा अनदेखा कर दिया गया था, और व्यापार चिह्न ड्यूरेक्स को पंजीकृत किया गया था जैसा कि प्रतिवादी द्वारा दायर किया गया था। अपीलकर्ताओं द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में एक अपील दायर की गई थी, जिसे खारिज कर दिया गया था। अपील का मुख्य तर्क यह था कि चिह्न ड्यूरेक्स समान था और उप रजिस्ट्रार द्वारा उसी के पंजीकरण को अस्वीकार कर दिया जाना था; इसके अलावा, इस मामले में धारा 10(2) की आवश्यकताओं को पूरा नहीं किया गया था।

उठाये गये मुद्दे

क्या लंदन रबर कंपनी लिमिटेड ने भारत में व्यापार चिह्न “ड्यूरेक्स” का पूर्व उपयोग स्थापित किया था?

  1. क्या दोनों पक्षों द्वारा समान व्यापार चिह्न का उपयोग उपभोक्ताओं के बीच भ्रम पैदा करेगा?
  2. क्या ड्यूरेक्स प्रोडक्ट्स (इनकॉर्पोरेशन) भारत में व्यापार चिह्न “ड्यूरेक्स” पंजीकृत करने का हकदार था?

निर्णय 

माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में माना कि 1999 के अधिनियम की धारा 10(2) रजिस्ट्रार को एक दूसरे के समान या एक तरह के चिन्हों को पंजीकृत करने की अनुमति देती है, बशर्ते कि वह इस राय का हो कि एक से अधिक स्वामी द्वारा चिह्न का ईमानदारी से समवर्ती उपयोग किया गया था या क्योंकि ऐसे विशेष परिस्थितियाँ मौजूद थीं। इस मामले में यह भी माना गया कि हर छोटे व्यापारी को अपने व्यापार चिह्न की रक्षा करने का हक है, अगर ईमानदारी से समवर्ती उपयोग भी हो। 

गोयनका इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन और रिसर्च बनाम अंजनी कुमार गोयनका (2009)

मामले के तथ्य

दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा 29 मई को दिए गए इस संबंधित मामले में, दोनों आवेदक (गोयनका इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च) और प्रतिवादी (अंजनी कुमार गोयनका) के व्यापार चिह्न का एक हिस्सा “गोयनका” था, एक गोयनका पब्लिक स्कूल और दूसरा जी.डी. गोयनका पब्लिक स्कूल। दोनों पक्ष एक ही समय में एक ही व्यापार चिह्न “गोयनका” का उपयोग कर रहे थे; एक संस्थान दिल्ली में आधारित था जबकि दूसरा राजस्थान में संचालित था। अपीलकर्ता को प्रतिवादी द्वारा समान व्यापार चिह्न के उपयोग के बारे में पता नहीं हो सकता था, क्योंकि शब्द “गोयनका” अपीलकर्ता के न्यास नाम का भी हिस्सा था, जिसके माध्यम से यह साबित किया जा सकता था कि सभी बिंदु ईमानदार और समवर्ती व्यापार चिह्न अपनाने के लिए संदर्भित थे। 

उठाये गये मुद्दे

  1. क्या “गोयनका” शब्द का व्यापार चिह्न के रूप में विशेष स्वामित्व अंजनी कुमार गोयनका के पास हो सकता है?
  2. क्या जीआईईआर द्वारा “गोयनका” शब्द का प्रयोग व्यापार चिह्न का उल्लंघन है या इसे खत्म कर दिया गया है?
  3. क्या इस मामले में ईमानदार समवर्ती उपयोगकर्ता का सिद्धांत लागू किया जा सकता है?

निर्णय 

इस मामले के माध्यम से, धारा 12 यानी व्यापार चिह्न का ईमानदार और समवर्ती उपयोग, स्थापित किया गया था। इसलिए, व्यापार चिह्न को दोनों पक्षों द्वारा उपयोग करने की अनुमति दी गई थी और कुछ शर्तों के साथ पंजीकृत भी किया गया था, जैसे कि अपीलकर्ता को अपने स्कूल के नाम के नीचे अपने न्यास का नाम ब्रैकेट में डालने का निर्देश दिया गया था ताकि दोनों के बीच स्पष्टता और अंतर हो सके।

लोवेनब्राउ एजी बनाम जगपिन ब्रुअरीज लिमिटेड (2023)

मामले के तथ्य 

इसी प्रकार, लोवेनब्राउ एजी अन्य बनाम जगपिन ब्रुअरीज लिमिटेड (2023), के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा निर्णय लिया गया। वादी लोवेनब्राउ एजी और प्रतिवादी जगपिन ब्रुअरीज दोनों जर्मनी में स्थित बीयर निर्माण कंपनियां थीं। वे भारत में भी बेचे जा रहे अपने शराब के लिए “लोवेनब्राउ” शब्द के उपयोग को लेकर एक व्यापार चिह्न मुकदमे में शामिल थे।

उठाये गये मुद्दे

  1. क्या जगपिन ब्रुअरीज को लोवेनब्राउ एजी के अधिकारों का उल्लंघन किए बिना भारत में व्यापार चिह्न “लोवेनब्राउ” का उपयोग करने का अधिकार था?

निर्णय

अदालत ने माना कि लोवेनब्राउ का अर्थ शेर के पेय से है और जर्मनी में कई अन्य बीयर निर्माताओं द्वारा पहले से ही इसका उपयोग किया जा रहा है, जिसका अर्थ है कि यह शब्द जर्मन मूल और स्रोत का था और साथ ही बीयर भी जो निर्माताओं द्वारा बेची जा रही थी। इसके अलावा, लंबे समय तक वादियों द्वारा कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई, क्योंकि दोनों अलग-अलग देशों में शामिल अपने व्यवसायों में शामिल थे। शब्द “लोवेनब्राउ” को एक सामान्य शब्द या सार्वजनिक ज्यूरिस बन गया था। ऐसी बातों को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने वादियों के पक्ष में निषेधाज्ञा (इंजक्शन) नहीं दी और प्रतिवादियों के पक्ष में ईमानदार समवर्ती उपयोग की रक्षा की अनुमति दी।

निष्कर्ष

निष्कर्ष निकालने के लिए, ईमानदार समवर्ती उपयोग की अवधारणा व्यापार चिह्न अधिकारों की सुरक्षा और बाजार वास्तविकताओं के माध्यम से नेविगेट करने के बीच एक नाजुक संतुलन के रूप में कार्य करती है। यह प्रावधान कई पक्षों के लिए समान या समान व्यापार चिह्न के उपयोग के साथ सह-अस्तित्व के लिए एक संभावित मंच प्रदान करता है; हालाँकि, इसे सावधानी के साथ संपर्क किया जाना चाहिए। जब व्यापार चिह्न की बात आती है, तो प्रत्येक मामला अपने तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर अद्वितीय होता है। ऐसे मुकदमों के माध्यम से, व्यापार चिह्न रजिस्ट्रार को ईमानदार समवर्ती उपयोग के दावों का मूल्यांकन करने में व्यापक विवेक रखना होता है। ऐसे परिदृश्यों में कानूनी सहायता लेने की सलाह हमेशा दी जाती है। एक विवादित चिह्न का व्यापक, ईमानदार और समवर्ती उपयोग ग्राहकों के बीच भ्रम की संभावना को कम करता है। एक व्यापार चिह्न , जो सामान और सेवाओं का प्राथमिक स्रोत खोजने वाला है, पंजीकृत होने के लिए विशिष्ट और अद्वितीय होने के मानदंड के अंतर्गत आना चाहिए।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू)

क्या धारा 12 का उपयोग व्यापार चिह्न उल्लंघन मामले में बचाव के रूप में किया जा सकता है?

धारा 12 ईमानदार समवर्ती उपयोग की अवधारणा प्रदान करती है। इसे व्यापार चिह्न उल्लंघन मामले में सीधे बचाव के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है; हालाँकि, इसका उपयोग व्यापार चिह्न के संभावित अधिकारों और उपायों के दायरे को निर्धारित करने में किया जा सकता है।

ईमानदार समवर्ती उपयोग का दावा करने के जोखिम क्या है?

ईमानदार समवर्ती उपयोग को साबित करने के लिए सबूत का भार आवेदक द्वारा स्थापित किया जाना चाहिए। सभी आवश्यक तत्वों को साबित करना और सभी विवरण प्रदान करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। यदि दावा असफल होता है, तो इससे आगे चलकर नुकसान हो सकता है या निषेधाज्ञा लग सकती है।

क्या रजिस्ट्रार ईमानदार समवर्ती उपयोग की अनुमति देने से इंकार कर सकता है?

हां, यदि कुछ शर्तें पूरी नहीं होती हैं तो रजिस्ट्रार के पास ईमानदार समवर्ती उपयोग की अनुमति देने से इनकार करने की शक्ति है। ईमानदार समवर्ती उपयोग का अधिकार प्रदान करते समय रजिस्ट्रार भ्रम की संभावना, भौगोलिक सीमाओं आदि जैसे कारकों पर विचार करेगा।

यदि कोई व्यापार चिह्न उपयोग में है लेकिन पंजीकृत नहीं है तो क्या होगा?

यदि किसी व्यापार चिह्न का उपयोग किया जा रहा है लेकिन वह पंजीकृत नहीं है, तो उसे पंजीकरण के बिना सुरक्षा नहीं दी जा सकती है। अधिकार सामान्य कानून प्रथाओं के आधार पर दिए जाएंगे, लेकिन पंजीकरण उल्लंघन के खिलाफ अधिक सुरक्षा भी प्रदान करता है। पंजीकरण के बिना, व्यापार चिह्न का उपयोग ख़त्म करना माना जाएगा न कि उल्लंघन करना। 

संदर्भ

 

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