सिटीजनशिप एक्ट, 1955 के हाल ही के अमेंडमेंट

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Citizenship Amendment Act 2015
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इस लेख में, एनयूजेएस, कोलकाता से एंटरप्रेन्योरशिप एडमिनिस्ट्रेशन और बिजनेस कानूनों में डिप्लोमा करने वाले Km Sai Apabharana ने, सिटिजनशिप एक्ट, 1955 के हाल ही के अमेंडमेंट्स पर चर्चा की है। यह लेख Archana Chaudhary द्वारा अनुवाद किया गया है।

परिचय (इंट्रोडक्शन)

इंडियन सिटीजनशिप एक्ट, 1955 (जिसे आगे “एक्ट” कहा गया है) में लाए गए प्रमुख परिवर्तनों में से एक, सिटिजनशिप (अमेंडमेंट) एक्ट, 2015 (इसके बाद “अमेंडमेंट एक्ट” के रूप में संदर्भित (रेफर्डे)) के माध्यम से किया गया था। यह अमेंडमेंट मुख्य रूप से भारत के लोगों को (इसके बाद “पीआईओ” के रूप में संदर्भित) और ओवरसीज सिटिजनशिप ऑफ इंडिया (इसके बाद “ओसीआई” के रूप में संदर्भित) योजनाओं (स्कीम) को मिलाता है। यह ‘ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया कार्डहोल्डर’ की अवधारणा (कंसेप्ट)  को भी पेश करता है, जो दोनों की अवधारणा को बदलता (रिप्लेस) है। इन अमेंडमेंट्स को अन्य बातों के साथ-साथ, इस लेख में और स्पष्ट किया जाएगा।

अमेंडमेंट के लिए बिल, 27 फरवरी, 2015 को लोकसभा में पेश किया गया और 2 मार्च 2015 को इसे पास किया गया था और 4 मार्च 2015 को राज्य सभा द्वारा पास किया गया था। इसे, 10 मार्च 2015 को भारत के राष्ट्रपति की सहमति (एसेंट) प्राप्त हुई। अमेंडमेंट को 6 जनवरी, 2015 से प्रभावी (इफेक्ट) माना गया।

भारत के व्यक्ति और भारत के ओवरसीज नागरिकता का मर्जर

एक व्यक्ति जो सिटिजनशिप एक्ट, 1955 के तहत 2015 के अमेंडमेंट से पहले एक ओवरसीज नागरिक के रूप में पंजीकृत (रजिस्टर) था, उसे प्रवासी नागरिक कहा जाता है। एक व्यक्ति जो भारत के कार्डहोल्डर के रूप में पंजीकृत है, उसे भारत का व्यक्ति कहा जाता है। जैसा कि पहले ही कहा गया है, एक महत्वपूर्ण अमेंडमेंट जो लाया गया है वह पीआईओ और ओसीआई का मर्जर है।

ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया कार्ड होल्डर्स की अवधारणा ने ओसीआई और पीआईओ दोनों की अवधारणा को बदल दिया है। यह धारा 7A(2) से स्पष्ट है जिसे एक्ट में जोड़ा गया है जिसमें कहा गया है कि, भारत मूल के मौजूदा कार्डहोल्डर (पंजीकृत व्यक्ति) को, केंद्र सरकार द्वारा जारी ऑफिशियल गैजेट मे की जाने वाली अधिसूचना (नोटिफिकेशन) के आधार पर भारत का ओवरसीज नागरिक माना जाएगा। 

एक ओवरसीज नागरिक कार्डहोल्डर का पंजीकरण

एक्ट की धारा 7A एक ओवरसीज नागरिक कार्डहोल्डर के रूप में किसी व्यक्ति के पंजीकरण के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया प्रदान करती है। एक आवेदन (एप्लीकेशन) करने पर, केंद्र सरकार ऐसे व्यक्ति को पंजीकृत करेगी, यदि:

वह पूरी उम्र और क्षमता का व्यक्ति है जो:

  1. दूसरे देश का नागरिक है, लेकिन संविधान के लागू होने पर/उसके बाद किसी भी समय भारत का नागरिक था, या
  2. दूसरे देश का नागरिक है, लेकिन संविधान के लागू होने के समय भारत का नागरिक बनने के लिए एलिजिबल था, या
  3. दूसरे देश का नागरिक है, लेकिन उस क्षेत्र से संबंधित था जो अगस्त, 1947 के 15वें दिन के बाद भारत का हिस्सा बन गया, या
  4. ऐसे नागरिक का कोई बच्चा या पोता या परपोता; या

एक व्यक्ति जो एक नाबालिग बच्चा है जो

  • ऊपर वर्णित बिंदु (1) में उल्लिखित व्यक्ति का है, या
  • एक नाबालिग बच्चा है, और जिसके माता-पिता दोनों भारत के नागरिक हैं या माता-पिता में से कोई एक भारत का नागरिक है या

भारत के एक नागरिक के विदेशी मूल के पति या पत्नी या विदेशी मूल के भारत के एक ओवरसीज नागरिक के पति या पत्नी, जो धारा 7A के तहत पंजीकृत है और जिसका विवाह धारा 7A के तहत आवेदन की प्रस्तुति से ठीक पहले, कम से कम 2 साल की निरंतर (कंटीन्यूअस) अवधि के लिए पंजीकृत और निर्वाह (सनसिस्ट) किया गया है। साथ ही, ऐसे पति या पत्नी को पंजीकरण से पहले, भारत में संबंधित अधिकारियों द्वारा सिक्योरिटी क्लियरेंस के अधीन किया जाएगा।

यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि, कोई भी व्यक्ति जो या जिसके माता-पिता या दादा-दादी या परदादा में से कोई भी पाकिस्तान या बांग्लादेश के नागरिक है या वहां रहे है, को एक्ट के तहत भारत के कार्डहोल्डर के ओवरसीज नागरिक के रूप में पंजीकृत नहीं किया जा सकता है।

एक ओवरसीज सिटिजनशिप कार्डहोल्डर के अधिकार

यह देखते हुए कि ओवरसीज सिटीजनशिप कार्डहोल्डर बनाने के लिए पीआईओ और ओसीआई को मर्ज कर दिया गया है, तो इनके के अधिकार भी ओवरसीज सिटिजनशिप कार्डहोल्डर को प्रदान किए गए हैं। गृह मंत्रालय के अनुसार, पंजीकृत ओसीआई कार्ड होल्डर, निम्नलिखित अधिकारों के हकदार हैं:

  1. उनके पास किसी भी उद्देश्य के लिए भारत आने के लिए बहुप्रवेश (मल्टीपल एंट्री) का आजीवन वीजा हो सकता है। लेकिन, ओसीआई कार्डहोल्डर्स को भारत में रिसर्च कार्य करने के लिए विशेष अनुमति लेनी होगी। इस उद्देश्य के लिए, उन्हें संबंधित भारतीय मिशन/पोस्ट/एफआरआरओ को एक आवेदन जमा करना पड़ सकता है।
  2. उन्हें भारत में रहने की किसी भी अवधि के लिए फॉरेनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (एफआरआरओ) या फॉरेनर्स रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (एफआरओ) के साथ पंजीकरण करने से छूट दी गई है।
  3. आर्थिक (इकॉनोमिक), वित्तीय (फाइनेंशियल) और शैक्षिक क्षेत्र में सुविधाओं के संबंध में उन्हे प्रदान किए गए अधिकार, नॉन रेजिडेंट इंडियंस (एनआरआई) के समान हैं। हालांकि, यह अधिकार उन्हें कृषि या वृक्षारोपण (प्लांटेशन) संपत्तियों के अधिग्रहण (एक्विजिशन) से संबंधित मामलों में उपलब्ध नहीं है।
  4. भारत के पंजीकृत ओवरसीज नागरिक कार्डहोल्डर्स को भारतीय बच्चों के इंटर-कंट्री अडॉप्शन से संबंधित पहलुओं पर नॉन रेसिडेंट इंडियंस के समान माना जाता है।
  5. इसके अलावा, पंजीकृत ओवरसीज भारतीय नागरिक कार्डहोल्डर्स को देश में डॉमेस्टिक क्षेत्रों में हवाई किराए में टैरिफ से संबंधित मामलों पर निवासी भारतीय नागरिकों के समान माना जाता है।
  6. साथ ही, ओवरसीज भारतीय नागरिक कार्डहोल्डर्स के लिए लागू प्रवेश शुल्क वही है जो उन डॉमेस्टिक भारतीय विजीटर्स पर लागू होता है जो भारत में नेशनल पार्क्स और भारत में वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरीज की यात्रा करना चाहते हैं।
  7. इसके अलावा, उन्हें निम्नलिखित के संबंध में नॉन रेजिडेंट इंडियंस (एनआरआई) के साथ समानता का व्यवहार किया जाता है:
  • प्रवेश शुल्क जो भारत में राष्ट्रीय स्मारकों, ऐतिहासिक स्थलों और म्यूजियम में जाने के लिए लगाया जाता है।
  • प्रासंगिक (रेलीवेंट) एक्ट्स में निहित प्रावधानों (प्रोविजंस) के अनुसार भारत में निम्नलिखित व्यवसायों (प्रोफेशन) को अपनाना, अर्थात्: –
    • डॉक्टर, डेंटिस्ट, नर्स और फार्मासिस्ट;
    • एडवोकेट्स
    • आर्किटेक्ट्स
    • चार्टर्ड अकाउंटेंट्स
  1. संबंधित एक्ट्स में निहित प्रावधानों के अनुसार उन्हें प्रवेश के लिए योग्य बनाने के लिए ऑल-इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट जैसे विभिन्न परीक्षणों में उपस्थित होना।
  2. साथ ही, राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित (इंश्योर) करने की आवश्यकता है कि ओसीआई कार्डहोल्डर्स की ओसीआई कार्डहोल्डर पंजीकरण पुस्तिकाओं को किसी भी सेवा के लिए उनकी पहचान के रूप में माना जाता है जो उन्हें प्राप्त होती हैं।
  3. ओवरसीज भारतीय नागरिक कार्डहोल्डर निवास के प्रमाण के रूप में नोटरी पब्लिक द्वारा सत्यापित (प्रूफ) एक एफिडेविट दे सकते हैं, यह कहते हुए कि किसी विशेष/विशिष्ट (स्पेसिफिक) पते को भारत में उनके निवास स्थान के रूप में माना जा सकता है।
  4. वे अपने एफिडेविट में, अपने ओवरसीज निवासी पते के साथ-साथ यदि कोई ई-मेल एड्रेस हो, तो वो भी दे सकते हैं।
  5. मिनिस्ट्री ऑफ़ ओवरसीज इंडियन अफेयर्स (एमओआईए) द्वारा सिटीजनशिप एक्ट, 1955 की धारा 7B(1) के तहत ओवरसीज भारतीय कार्डहोल्डर को कोई और लाभ अधिसूचित (नोटिफाई) किए जाएंगे।

यह भी ध्यान देने योग्य है कि भारत के कार्डहोल्डर के एक ओवरसीज नागरिक के रूप में पंजीकृत व्यक्ति सिटिजनशिप एक्ट, 1955 की धारा 5(1)(g) के तहत भारतीय नागरिकता के अनुदान (ग्रांट) के लिए आवेदन करने के लिए एलिजिबल है यदि वह ओवरसीज नागरिक के रूप में पंजिकृत है और आम तौर पर, 12 महीने के लिए भारत का निवासी है और पंजीकरण के लिए आवेदन करने से पहले 12 महीने के लिए भारत में सामान्य रूप से निवासी है।

नागरिकता के लिए पंजीकरण 

अमेंडमेंट एक्ट ने पंजीकरण द्वारा नागरिकता से संबंधित कुछ प्रावधानों को संशोधित (मॉडिफाई) किया है। एक्ट के अनुसार, कोई भी व्यक्ति, जो इल्लीगल माइग्रेंट नहीं है या पहले से ही भारत का नागरिक नहीं है, तो वह केंद्र सरकार को आवेदन कर सकता है। दिए जाने वाले आवेदन के लिए, आवेदक (एप्लीकेंट) को निम्नलिखित क्राइटेरिया को पूरा करना होगा जो निर्धारित किए गए हैं। एक्ट की धारा 5 के अनुसार, आवेदक:

  1. भारतीय मूल का एक व्यक्ति, जो पंजीकरण के लिए आवेदन करने से पहले 7 साल के लिए भारत में सामान्य रूप से निवासी है;
  2. भारतीय मूल का एक व्यक्ति, जो अविभाजित भारत के बाहर किसी भी देश या स्थान में सामान्य रूप से निवासी है;
  3. एक व्यक्ति जो भारत के नागरिक से विवाहित है और पंजीकरण के लिए आवेदन करने से पहले 7 साल के लिए भारत में सामान्य रूप से निवासी है;
  4. जो व्यक्ति भारत का नागरिक है उनके नाबालिग बच्चे;
  5. पूर्ण आयु और क्षमता का व्यक्ति, जिसके माता-पिता इस उप-धारा के क्लॉज (a) या धारा 6 की उप-धारा (1) के तहत भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत हैं;

अमेंडमेंट एक्ट के अनुसार, निम्नलिखित प्रावधान जोड़े गए हैं:

  1. पूर्ण आयु और क्षमता का व्यक्ति, या उसके माता-पिता में से कोई भी, स्वतंत्र भारत के पहले यहां का नागरिक था, और पंजीकरण के लिए आवेदन करने से ठीक पहले, 12 महीने के लिए भारत में सामान्य रूप से निवासी है;
  2. पूर्ण आयु और क्षमता का व्यक्ति जो 5 साल के लिए भारत के ओवरसीज नागरिक कार्डहोल्डर के रूप में पंजीकृत है, और जो पंजीकरण के लिए आवेदन करने से पहले, 12 महीने के लिए भारत में सामान्य रूप से निवासी है।’

भारत में अभी भी दोहरी नागरिकता को मान्यता नहीं मिली है और इसलिए ऐसे व्यक्तियों को अपनी नागरिकता त्यागनी होगी। इसके अलावा, एक व्यक्ति नागरिकता के लिए आवेदन करने के लिए भी एलिजिबल होगा यदि वह भारत में रह रहा है, लेकिन रुक-रुक कर विदेश यात्रा की है, यदि उस व्यक्ति के भारत से दूर रहने की कुल संख्या 30 दिनों से अधिक नहीं है। यह प्रावधान बढ़े हुए वैश्वीकरण (ग्लोबलाइजेशन) से उत्पन्न जरूरतों को पूरा करने के लिए किया गया है, जिसमें आर्थिक, सामाजिक और चिकित्सा आवश्यकताओं के कारण लोगों को विदेश यात्रा करने की आवश्यकता शामिल है। साथ ही, विशेष परिस्थितियों के मामले में, यदि केंद्र सरकार संतुष्ट है, तो वह एक्ट की धारा 5 (1A) के तहत लगाए गए कुछ क्राइटेरिया को लिखित रूप में दर्ज करने के बाद छूट दे सकती है।

निष्कर्ष (कंक्लूज़न)

जैसा कि लेख से देखा जा सकता है, भले ही अमेंडमेंट ने दोहरी नागरिकता की आवश्यकता को संबोधित नहीं किया है, फिर भी यह पीआईओ कार्डहोल्डर्स और जो व्यक्ति ओसीआई का दर्जा प्राप्त करके भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करना चाहते हैं, के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव है। इन अवधारणाओं को विशेष रूप से उन एंप्लॉयर्स द्वारा ध्यान में रखा जाना चाहिए जिन्होंने पीआईओ या ओसीआई कार्डहोल्डर्स को नियुक्त किया है या जो इसके लिए आवेदन करना चाहते हैं। उन्हें लागू होने वाले रिलेवेंट परिवर्तन करने के लिए अपने कर्मचारियों का मार्गदर्शन करना होगा।

संदर्भ (रेफरेंसेस)

  • i.d. 2
  • Section 5(1A) of the Indian Citizenship Act, 1955

 

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