एमएसएमई की लोन योजनाएं और इसके लाभार्थी

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MSME Act
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यह लेख Rashi Singh द्वारा लिखा गया है जो वर्तमान में कैंपस लॉ सेंटर, फैकल्टी ऑफ लॉ, दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी कर रही हैं। नीचे दिया गया लेख एमएसएमई उद्योगों (एंटरप्राइज) और सरकार द्वारा एमएसएमई को दी जा रही विभिन्न योजनाओं (स्कीम्स) से संबंधित है। इस लेख का अनुवाद Archana Chaudhary द्वारा किया गया है।

Table of Contents

परिचय (इंट्रोडक्शन)

जैसा कि हम सभी जानते हैं भारतीय अर्थव्यवस्था (इकोनॉमी) एक विकासशील अर्थव्यवस्था है। अर्थव्यवस्था का दीर्घकालिक विकास (लांग टर्म ग्रोथ) काफी हद तक युवा आबादी, निवेश के स्तर (इन्वेस्टमेंट लेवल्स), स्बचत (हेल्थी सेविंग्स) और विश्व अर्थव्यवस्था में इसके समावेश (इनकॉरपोरेशन) पर निर्भर करता है। एमएसएमई एक ऐसा क्षेत्र  है, जो राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत जरूरी है और लगातार वैश्विक आर्थिक झटकों (ग्लोबल इकोनॉमिक शॉक) और प्रतिकूलताओं (एडवरसिटीज) को दूर करने के संदर्भ (इंटर्म) में लचीलापन के पर्याय (सिनोनिम) के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। इस लेख में, हम विशेष रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था के नए युग उत्प्रेरक (न्यू एज कैटलिस्ट) एमएसएमई क्षेत्र और सरकार द्वारा इस क्षेत्र को दी जा रही विभिन्न लोन और क्रेडिट फंड योजनाओं के बारे में बात करेंगे।

एमएसएमई: एक बड़ा व्यापार अवसर (ए बिग बिजनेस ऑपर्च्युनिटी)

सूक्ष्म (माइक्रो), छोटे और मध्यम (मीडियम) उद्यम (एमएसएमईस) जो भारतीय अर्थव्यवस्था का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं, मुख्य रूप से वस्तुओं के उत्पादन (प्रोडक्शन), निर्माण (मैन्युफैक्चरिंग), प्रसंस्करण (प्रॉसेसिंग) या संरक्षण (प्रिजर्वेशन) में लगे हुए हैं। एमएसएमई रोजगार के अवसर पैदा करते हैं और छोटे व्यवसायों (बिजनेस) को खुद को बनाए रखने में मदद करते हैं। एमएसएमई क्षेत्र को बिजली, कर (टैक्स) और औद्योगिक (इंडस्ट्रियल) सब्सिडी जैसे लाभ प्राप्त हैं। एमएसएमई के तहत अपने व्यवसाय को पंजीकृत (रजिस्टरिंग) करना किसी भी स्टार्ट-अप के लिए फायदेमंद होगा क्योंकि यह आपको सरकार द्वारा दी जा रही विभिन्न सब्सिडी और लोन योजनाओं के लिए योग्य बनाता है। एमएसएमई पंजीकरण लोकप्रियता प्राप्त करने के कुछ कारण हैं:

  1. फंडिंग: वित्त (फाइनेंस) और सब्सिडी।
  2. सरकार का समर्थन और  प्रोत्साहन (प्रमोशन)।
  3. कम पूंजी (कैपिटल) की आवश्यकता।
  4. जनशक्ति प्रशिक्षण (मैनपावर ट्रेनिंग)।
  5. कच्चे माल (रॉ मैटेरियल) और मशीनरी की खरीद।
  6. घरेलू बाजार (डॉमेस्टिक मार्केट) में मांग में वृद्धि।

यदि आप एमएसएमई एक्ट 2006 के तहत अपने व्यवसाय को पंजीकृत करने का निर्णय लेते हैं, तो विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध हैं, जैसे:

  1. बैंक लोन (कॉलेटरल मुक्त): भारत सरकार ने छोटे और सूक्ष्म व्यवसायों को मुफ्त कॉलेटरल क्रेडिट दिया है। यह छोटे और सूक्ष्म उद्यमों को धन की गारंटी देता है।
  2. पेटेंट पंजीकरण पर सब्सिडी: पेटेंट के पंजीकरण के लिए, एमएसएमई के तहत पंजीकृत व्यवसाय 50% सब्सिडी का आनंद ले सकते हैं।
  3. ओवरड्राफ्ट ब्याज दर की छूट (इंटरेस्ट रेट एक्सेंपशन): एमएसएमई क्षेत्र के लिए ओवरड्राफ्ट के लिए 1% का लाभ उपलब्ध है।
  4. विलंबित भुगतान से सुरक्षा (प्रोटेक्शन अगेंस्ट डिलेड पेमेंट्स): कई बार, एमएसएमई से विभिन्न सेवाओं के खरीदार भुगतान में देरी करते हैं। एमएसएमई व्यवसाय के मालिकों के हितों की रक्षा के लिए सूक्ष्म, चोट और मध्यम उद्यम मंत्रालय (मिनिस्ट्री) उन्हें ऐसे विलंबित  भुगतानों पर ब्याज एकत्र (कलेक्ट) करने का अधिकार देता है।
  5. बिजली सब्सिडी: एमएसएमई बिजली विभाग के माध्यम से अपने बिजली बिलों पर सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं।
  6. औद्योगिक प्रोत्साहन सब्सिडी पात्रता (एलिजिबिलिटी): सरकार एमएसएमई क्षेत्र को औद्योगिक प्रोत्साहन के लिए सब्सिडी प्रदान करती है।
  7. आईएसओ प्रमाणन शुल्क प्रतिपूर्ति (सर्टिफिकेशन चार्जेस रीइंबर्समेंट): एमएसएमई पंजीकृत व्यवसाय आईएसओ प्रमाणीकरण के लिए किए गए खर्चों की प्रतिपूर्ति की मांग करने के पात्र हैं।

ये सभी कारण इस बात को विस्तृत (एलाबोरेट) करने के लिए पर्याप्त हैं कि कैसे एमएसएमई पंजीकरण इन लाभों का आनंद लेते हुए एक स्वस्थ और उपयोगी स्टार्ट-अप को विकसित करने में मदद कर सकता है।  

एक संक्षिप्त समझ (ए ब्रीफ अंडरस्टैंडिंग)

एमएसएमई के ​​तहत किस तरह के व्यवसायों को पंजीकृत किया जा सकता है? एमएसएमई छत्र के तहत आपके व्यवसाय को प्राप्त करने के लिए आवश्यक योग्यताएं (क्वालिफिकेशन) क्या हैं? एमएसएमई के तहत अर्हता (क्वालीफाई) प्राप्त करने के लिए कुछ मानदंडों (क्राइटेरिया) को पूरा करने की आवश्यकता है। एमएसएमई वर्गीकरण (क्लासिफिकेशन) की वर्तमान प्रणाली (सिस्टम) संयंत्र (प्लांट) और मशीनरी या उपकरण (इक्विपमेंट) में निवेश के मानदंड पर आधारित है। कोविड -19 के दौरान, भारत सरकार ने एमएसएमई की परिभाषा को संशोधित (रिवाइज) किया है।

निवेश और वार्षिक कारोबार (इन्वेस्टमेंट एंड एनुअल टर्नओवर)

उद्यम (एंटरप्राइज) माइक्रो छोटा मध्यम
विनिर्माण और सेवा क्षेत्र (मैन्युफैक्चरिंग एंड सर्विसेस सेक्टर) निवेश 1 करोड़ से कम है।

5 करोड़ से कम का टर्नओवर।

निवेश 10 करोड़ से कम है।

50 करोड़ तक का टर्नओवर।

निवेश 50 करोड़ से कम है।

250 करोड़ तक का टर्नओवर।

एमएसएमई पंजीकरण के लिए कौन आवेदन कर सकता है?

जो व्यवसाय एमएसएमई योजनाओं का लाभ उठाने के पात्र हैं, उन्हें पहले एमएसएमई के तहत पंजीकृत होना आवश्यक है। योग्य व्यवसायों में शामिल हैं:

  • प्रोपराइटरशिप फर्म: एक प्रकार का व्यवसाय जिसका स्वामित्व (ओन्ड) और संचालन (रन) एक व्यक्ति करता है और इस प्रकार के व्यवसाय में मालिक और व्यवसाय इकाई (एंटिटी) के बीच कोई अंतर नहीं होता है।
  • कंपनी: यह, व्यवसाय, वाणिज्यिक (कॉमर्शियल) या औद्योगिक उद्यम में शामिल होने और संचालित करने के लिए व्यक्तियों के समूह द्वारा गठित (फॉर्म्ड) एक कानूनी इकाई है।
  • एलएलपी: एक सीमित देयता भागीदारी (लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप) (एलएलपी) एक साझेदारी है जिसमें कुछ या सभी भागीदारों की सीमित देनदारियां होती हैं। इसलिए इसमें भागीदारी और निगमों (कॉर्पोरेशन) के तत्व (एलिमेंट) शामिल हो सकते हैं।
  • पार्टनरशिप फर्म: यह सह-मालिकों की क्षमता में व्यवसाय करने के लिए 2 या अधिक व्यक्तियों का एक संघ (एसोसिएशन) है। सभी भागीदार लाभ और हानि को अपने संबंधित मालिकों के अनुपात (प्रोपोर्शन) में, या उनके बीच सहमति के अनुसार शेयर करते हैं।
  • समाज या सहकारी समिति (कॉपरेटिव सोसाइटी): एक समाज कई व्यक्तियों का एक संघ (एसोसिएशन) है जो आपसी समझौते का उपयोग करके जानबूझकर, शासन (गवर्न) करने और कुछ सांप्रदायिक उद्देश्य (कम्यूनल पर्पज) के लिए सहकारी रूप से कार्य करते है जबकि एक सहकारी समिति व्यवसाय का एक रूप है जहां एक ही वर्ग (क्लास) के व्यक्ति अपने सामान्य लक्ष्यों को बढ़ावा देने के लिए हाथ मिलाते हैं।
  • ट्रस्ट: एक कानूनी संबंध जिसमें संपत्ति का कानूनी टाइटल किसी व्यक्ति या कानूनी इकाई को सौंपा जाता है, जिसे दूसरे के लाभ के लिए रखने और उपयोग करने के लिए एक प्रत्ययी कर्तव्य (फिड्यूशियरी ड्यूटी) होता है।
  • व्यक्तियों का संघ (एओपी): इस प्रकार के व्यवसाय में, व्यक्तियों का एक समूह एक समान उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एक साथ आता है और समान मानसिकता रखता है। एओपी के सदस्य प्राकृतिक या कृत्रिम (आर्टिफिशियल) व्यक्ति हो सकते हैं।
  • या कोई अन्य उपक्रम (अंडरटेकिंग)।

59 मिनट में एमएसएमई लोन

भारत सरकार ने छोटे व्यवसायों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की अपनी पहल के तहत 59 मिनट की लोन योजना शुरू की है। 8% तक की ब्याज दर से व्यवसाय बैंक की शाखा में आए बिना रु. 1 करोड़ तक का लोन प्राप्त कर सकते हैं। इसका उद्देश्य एमएसएमई क्षेत्र के लिए लोन उपलब्धता में सुधार करना है। योजना के लिए एक समर्पित (डेडीकेटेड) पोर्टल भी शुरू किया गया है। यह पोर्टल पूरी प्रक्रिया को डिजिटल रूप से काम करना सुनिश्चित (इंश्योर) करता है। दस्तावेजों और अन्य से संबंधित सभी आवश्यक आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद, आवेदक (एप्लीकेंट) को लोन सात से आठ कार्य दिवसों में वितरित (डिस्बर्स) किया जाएगा। आइए, अब इस लोन योजना का लाभ उठाने की प्रक्रिया को समझते हैं।

आवश्यक दस्तावेज़

  • जीएसटी पहचान संख्या (आइडेंटीफिकेशन नंबर) और जीएसटी लॉगिन विवरण (डिटेल्स)।
  • पीडीएफ फॉर्मेट में 6 महीने का बैंक स्टेटमेंट।
  • पिछले 3 वर्षों के आयकर (इनकम टैक्स) रिटर्न विवरण एक्सएमएल प्रारूप (फॉर्मेट) में और ई-फिलिंग विवरण।
  • व्यक्तिगत और शैक्षिक दोनों तरह की जानकारी में भागीदार (पार्टनर)/निदेशक (डायरेक्टर) का विवरण।

प्रक्रिया शामिल

  • रजिस्टर करने के लिए आधिकारिक (ऑफिशियल) वेब पोर्टल का उपयोग करें।
  • ओटीपी सत्यापन (वेरिफिकेशन) के बाद पंजीकरण पूरा हो जाता है।
  • आगे कुछ मूल (बेसिक) जानकारी भरने की आवश्यकता होती है।
  • भरने के लिए पैन, जीएसटी और आयकर रिटर्न विवरण की आवश्यकता होती है।
  • आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें।
  • पिछले 6 महीनों का बैंक स्टेटमेंट अपलोड करें।
  • लोन उद्देश्य घोषित किया जाना चाहिए। साथ ही, पिछले लोन की जानकारी का भी खुलासा किया जाना चाहिए।
  • अपना लोन संसाधित (प्रोसेस्ड) करने के लिए बैंकों की सूची से बैंक का चयन करें।
  • सुविधा शुल्क (कन्वेनिएंस फी) का भुगतान करने के बाद अनुमोदन पत्र (अप्रूवल लेटर) डाउनलोड करें।

ध्यान रखने योग्य अन्य बातें

  • वास्तविक संवितरण (एक्चुअल डिस्बर्समेंट) बैंकों द्वारा उचित परिश्रम (डिलिजेंस) के बाद किया जाएगा।
  • आप अपनी आवश्यकता की तुलना में कम लोन राशि के लिए पात्र (एलिजिबल) हो सकते हैं।
  • लोन राशि का एक निश्चित प्रतिशत प्रमोटरों द्वारा अपने स्वयं के धन से योगदान करना होगा।
  • आसान लोन स्वीकृति (अप्रूवल) में क्रेडिट स्कोर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • प्रदान किए गए डेटा में बेमेल (मिसमैच्ड) लोन, आवेदन की गैर-स्वीकृति की ओर ले जाएगा।
  • जीएसटी पंजीकृत फर्म जीएसटी पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकती हैं क्योंकि ऐसी फर्मों को लिए गए लोन पर अतिरिक्त 2% ब्याज सबवेंशन मिलेगा।

सूक्ष्म और छोटे उद्यमों के लिए लोन गारंटी फंड योजना (सीजीटीएमएसई)

क्रेडिट गारंटी क्या है? क्रेडिट गारंटी मूल रूप से उस स्थिति को संदर्भित (रेफर) करती है जहां किसी आवेदक को लोन किसी बाहरी तीसरे पक्ष या कॉलेट्रल समझौते की आवश्यकता के बिना एक पक्ष द्वारा समर्थित (बैक्ड) होता है। क्रेडिट गारंटी फंड योजनाओं में, एक आवेदक को लोन उस योजना द्वारा समर्थित होता है जिसमें लोन राशि के एक बड़े हिस्से की गारंटी शामिल होती है। इस योजना के तहत, नए और मौजूदा दोनों सूक्ष्म और छोटे उद्यम 2 करोड़ रुपये की अधिकतम क्रेडिट कैप के लिए पात्र हैं। इस योजना के पीछे मुख्य उद्देश्य है:

  1. ऐसी कंपनियों की परियोजना (प्रॉजेक्ट) की वित्तीय व्यवहार्यता (वायबिलिटी) की जांच करना।
  2. टर्म लोन और समग्र (कंपोजिट) क्रेडिट योजनाएं प्रदान करना।

यह योजना सिक्किम और जम्मू और कश्मीर सहित उत्तर-पूर्वी राज्यों में स्थित महिला उद्यमियों (एंटरप्रेन्योर) और उद्यमों को भी प्रोत्साहित करती है।

अब, आइए पात्रता (एलिजिबिलिटी) की आवश्यकताओं और योजना के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया के बारे में बात करते हैं।

सीजीटीएमएसई योजना के लिए पात्रता

उधार लेने वाले

सभी मौजूदा और नए सूक्ष्म और छोटे उद्यम इसमें लगे हुए हैं: 

  1. निर्माण गतिविधि (एक्टिविटी), 
  2. रिटेल व्यापार (ट्रेड), शैक्षणिक संस्थानों (एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन), स्वयं सहायता समूहों (सेल्फ हेल्प ग्रुप), प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) संस्थानों को छोड़कर सेवा गतिविधि।   

उधार देने वाले संस्थान

विशिष्ट क्षेत्रों (स्पेसिफिक सेक्टर्स) को वित्त पोषण सहायता (फंडिंग सपोर्ट) प्रदान करने वाली उधार देने वाली संस्थाएं सीजीटीएमएसई के साथ समझौते में हैं। इसमे शामिल है:

  1. अनुसूचित वाणिज्यिक (शेड्यूल कमर्शियल) बैंक (एससीबी)
  2. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी)
  3. छोटे वित्तीय बैंक (एसबीएफ)
  4. क्षेत्रीय ग्रामीण (रीजनल रूरल) बैंक (आरआरबी)
  5. उत्तर पूर्वी विकास वित्त निगम (नॉर्थ ईस्टर्न डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन) लिमिटेड
  6. भारतीय चोट औद्योगिक विकास बैंक (स्मॉल इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया) (सिडबी)
  7. राष्ट्रीय छोटे उद्योग निगम (एनएसआईसी)

सीजीटीएमएसई द्वारा लिया जाने वाला शुल्क

सूक्ष्म और छोटे उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई) योजना के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समर्पित है। स्वीकृत राशि (सैंक्शन्ड अमाउंट) के संबंध में ट्रस्ट 1% प्रति वर्ष का शुल्क लेता है।

  1. 5 लाख रुपये तक के क्रेडिट के लिए 0.75%
  2. 5 लाख रुपये से अधिक लेकिन 1 करोड़ तक के क्रेडिट के लिए 0.85%

कवर की सीमा (एक्सटेंट)

कवर की सीमा इसके लिए 80% तक है:

  • महिला उद्यमियों द्वारा संचालित (ऑपरेटेड) और स्वामित्व वाले सूक्ष्म और छोटे उद्यम।
  • सभी क्रेडिट और लोन सिक्किम राज्य सहित उत्तर-पूर्वी राज्यों को दिए जाते हैं।

सीजीटीएमएसई योजना के तहत लोन प्राप्त करने की प्रक्रिया

एक व्यावसायिक इकाई होना (हैविंग ए बिजनेस एंटिटी)

उधारकर्ता (बॉरोअर) को तदनुसार एक निजी सीमित (प्राइवेट लिमिटेड), सीमित देयता भागीदारी, एक व्यक्ति कंपनी, या एकमात्र स्वामित्व (सोल प्रोपराइटरशिप) शामिल करना चाहिए। आवश्यक स्वीकृति और कर पंजीकरण पहले से सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

एक व्यापार योजना

उधारकर्ताओं को भी एक बाजार विश्लेषण (एनालिसिस) करने और एक व्यवसाय मॉडल, प्रमोटर प्रोफाइल, अनुमानित वित्तीय (प्रोजेक्टेड फाइनेंशियल) आदि तैयार करने की आवश्यकता होती है यह रिपोर्ट महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे क्रेडिट सुविधा से पहले प्रस्तुत किया जाता है और फिर लोन के लिए एक आवेदन (एप्लीकेशन) दायर कि जाती है। इस रिपोर्ट को किसी पेशेवर (प्रोफेशनल) से तैयार कराने की सलाह दी जाती है क्योंकि इससे लोन स्वीकृत होने की संभावना बढ़ जाती है।

लोन स्वीकृति (सैंक्शन)

व्यवसाय मॉडल की व्यवहार्यता और अन्य जानकारी का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करने के बाद, बैंक अपनी नीतियों के अनुसार लोन स्वीकृत करता है।

गारंटी कवर

बैंक द्वारा लोन स्वीकृत करने के बाद, सीजीटीएमएसई अधिकारियों पर यह गारंटी कवर प्राप्त करना लागू होता है। यदि सीजीटीएमएसई लोन को मंजूरी देता है, तो उधारकर्ता को गारंटी शुल्क और सेवा (सर्विस) शुल्क का भुगतान करना होगा।

प्रासंगिक दस्तावेज आवश्यक (रेलीवेंट डॉक्यूमेंट रिक्वायर्ड)

  • पासपोर्ट साइज फोटो,
  • व्यापार निगमन पत्र (बिजनेस इनकॉरपोरेशन लेटर),
  • कंपनी पंजीकरण प्रमाण पत्र,
  • व्यापार योजना रिपोर्ट,
  • सीजीटीएमएसई लोन आवेदन पत्र,
  • बैंक से लोन स्वीकृति की कॉपी और
  • सीजीटीएमएसई लोन कवरेज पत्र।

दावा निपटान प्रक्रिया (क्लेम सेटलमेंट प्रोसिजर)

लोन का अंतिम भाग वितरित होने के बाद, दावा को प्राथमिकता देने के लिए 18 महीने की लॉक-इन अवधि मौजूद है। एक बार डिफॉल्ट खाते को एनपीए घोषित करने के बाद, बैंक या ऋणदाता (लैंडर) दावा प्रक्रिया शुरू करता है। पूरी प्रक्रिया को सीजीटीएमएसई दावा निपटान प्रक्रिया के रूप में जाना जाता है।

योजनाओं की जागरूकता

हालांकि सरकार सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को वित्तीय सहायता और समर्थन प्रदान करने की कोशिश कर रही है लेकिन उसी से संबंधित जागरूकता की कमी तब से है। लोन योजनाओं और अन्य वित्तीय ऐड सहायता कार्यक्रमों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न राज्य सरकारों की पहल अभी भी फलदायी (फ्रूटफुल) नहीं हो रही है। प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) जो कि भारत सरकार की प्रमुख योजनाओं में से एक है, का उद्देश्य सूक्ष्म उद्यम स्थापित करके स्वरोजगार (सेल्फ एंप्लॉयमेंट) के अवसर पैदा करना है लेकिन योजना के बारे में जागरूकता अभी भी एक मुद्दा है। नीति आयोग ने एमएसएमई मंत्रालय की मौजूदा योजनाओं के बारे में जागरूकता फैलाने और लोगों को एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए उद्यम स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए लगभग 117 आकांक्षी (एस्पिरेशनल) जिलों की पहचान की है। इस तरह के कदम स्वागत योग्य हैं लेकिन वे काफी नहीं हैं। चूंकि एमएसएमई क्षेत्र में अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और रोजगार पैदा करने की क्षमता है इसलिए सरकारी योजनाओं से संबंधित जागरूकता फैलाना महत्वपूर्ण है जो बढ़ते स्टार्टअप को पर्याप्त लाभ प्रदान करती हैं। 

एमएसएमई लोन के अंतर्गत आने वाली योजनाएं

एमएसएमई को व्यवसाय प्रक्रिया शुरू करने या विस्तार करने के लिए क्रेडिट सुविधाओं की आवश्यकता होती है। इस क्षेत्र के सुचारू कामकाज (स्मूथ वर्किंग) को सुगम (फैसिलिटेट) बनाने के लिए सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों या वित्तीय संस्थानों के माध्यम से भी विभिन्न लोन योजनाएं प्रदान करती है। एमएसएमई क्षेत्र को लोन प्रदान करने की पहल के तहत कुछ सबसे लोकप्रिय योजनाओं में शामिल हैं:

मौजूदा और नए दोनों उद्यम इस योजना के लिए आवेदन करने के पात्र हैं। इस योजना के माध्यम से 200 लाख तक की लोन सुविधा प्राप्त की जा सकती है।

इसका उद्देश्य एमएसएमई को प्रौद्योगिकी उन्नयन (टेक्नोलोजी अपग्रेडेशन) प्रदान करना है। यह योजना प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए 1 करोड़ रुपये तक के अतिरिक्त निवेश के लिए 15% सब्सिडी प्रदान करती है। 

माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड (मुद्रा) एक एनबीएफसी है जो एमएसएमई को सहायता प्रदान करती है। सूक्ष्म इकाइयों के लिए 10 लाख तक के लोन की सुविधा प्रदान की जाती है।

18 वर्ष से अधिक आयु का प्रत्येक व्यक्ति इस योजना के लिए पात्र है। इस योजना के तहत सहायता के लिए परियोजना की अधिकतम लागत (कॉस्ट) निर्माण क्षेत्र के लिए 25 लाख और सेवा क्षेत्र के लिए 10 लाख है।

इस योजना के तहत विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के नए उद्यमों को शामिल किया गया है। विस्तार (एक्सपेंशन) की तलाश में मौजूदा उद्यम भी योजना के तहत पात्र हैं। उपकरण और अन्य के लिए न्यूनतम लोन आकार 10 लाख और अन्य सहायता के लिए 25 लाख है।

व्यापार लोन सैद्धांतिक (प्रिंसिपल) रूप से 1 लाख रुपये से 5 करोड़ रुपये तक है। नए और मौजूदा दोनों उद्यम लोन के लिए पात्र हैं।

निष्कर्ष (कंक्लूज़न)

एमएसएमई क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह क्षेत्र रोजगार के अवसर पैदा करने के साथ-साथ श्रमिकों (वर्कर्स) और कारीगरों (आर्टिसंस) के विकास के लिए काम करता है। एमएसएमई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों के लिए विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन और निर्माण करते हैं जिसके परिणामस्वरूप एक्सपोर्ट में वृद्धि होती है। एमएसएमई खादी और कयर उद्योगों के विकास को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। इस अत्यधिक गतिशील क्षेत्र को सहायता प्रदान करने के लिए, केंद्र सरकार और राज्य सरकारें पूंजी डालने के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू कर रही हैं। सेक्टर-विशिष्ट लोन योजनाएं और अन्य लोन सुविधाएं प्रदान की गई हैं। योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सरकार को आकर्षक कार्यक्रमों के साथ आना चाहिए ताकि एमएसएमई का विकास जारी रहे।

संदर्भ (रेफरेंसेस)

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