आई.पी.सी. की धारा 452: उसका अवलोकन, अनिवार्यताएं, सज़ा और मामले

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Indian Penal Code
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यह लेख इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय की कानून की छात्रा Kanisha Goswami ने लिखा है। यह लेख आई.पी.सी. की धारा 452 की व्याख्या करता है जो बिना अनुमति घर में घुसने, चोट पहुंचाने के लिए हमले या गलत तरीके से दबाव बनाने की तैयारी से संबंधित है। इस लेख का अनुवाद Divyansha Saluja के द्वारा किया गया है। 

परिचय

आम आदमी के शब्दों में अतिचार (ट्रेसपास) का अर्थ, किसी की सहमति के बिना उसकी भूमि में प्रवेश करना है। जब भी अपराध करने के इरादे से अतिचार किया जाता है, तो यह आपराधिक अतिचार की श्रेणी में आता है और भारतीय दंड संहिता के तहत इसे एक दंडनीय अपराध माना जाता है। यदि कोई कार्य जो किसी व्यक्ति के निजी संपत्ति का आनंद लेने के अधिकार का उल्लंघन करता है, तो वह गृह अतिचार है। धारा 452 किसी को चोट पहुंचाने, हमला करने या दबाव बनाने के इरादे से अतिचार के बारे में बात करती है, यह गृह अतिचार का एक उग्र (एग्रावेटेड) रूप है, क्योंकि संपत्ति जहां एक व्यक्ति रहता है और अपना कीमती सामान रखता है, में अतिचार, अवैध है। इसलिए, यह स्पष्ट है कि इस धारा के तहत दंडनीय अपराध के लिए किसी व्यक्ति को दोषी ठहराए जाने से पहले, यह साबित होना चाहिए कि उस कथित अतिचार में, धारा 452 में वर्णित सभी तत्व मौजूद थे।

आई.पी.सी. की धारा 452

आई.पी.सी. की धारा 452, किसी को चोट पहुंचाने या किसी व्यक्ति पर हमला करने या किसी पर गलत तरीके से दबाव बनाने, या किसी को चोट पहुंचाने या हमले या गलत तरीके से दबाव बनाने के डर से घर में घुसने से संबंधित है। यहां, अतिचार करने वाले को न्यूनतम 7 साल की सजा और जुर्माने से दंडित किया जाता है। यह एक संज्ञेय (कॉग्निजेबल), जमानती अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। यह धारा ज्यादा दंड प्रदान करती है जहां किसी घर में अतिचार से किसी को नुकसान, हमला या दबाव डाला जाता है।

जब आपराधिक इरादे से अतिचार किया जाता है, तो इसका परिणाम आपराधिक अतिचार होता है जो आई.पी.सी. के तहत दंडनीय है। यदि किसी व्यक्ति की निजता या संपत्ति, चाहे वह चल हो या अचल, का आनंद किसी अन्य व्यक्ति की आपराधिक गतिविधियों के कारण लिया जाता है, तो आई.पी.सी. अधिकारों के ऐसे उल्लंघन के लिए एक उपाय प्रदान करती है।

आई.पी.सी. की धारा 452 की आवश्यकताएं

  • किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति में प्रवेश करना

यहां प्रवेश का मतलब है कि कोई व्यक्ति किसी की संपत्ति में बुरे इरादे से प्रवेश करता है। यहां बल द्वारा प्रवेश करने की आवश्यकता नहीं है, इसे अनधिकृत (अनऑथराइज) या उस भूमि के मालिक की इच्छा के विरुद्ध होना चाहिए।

सविताबेन बनाम गुजरात राज्य (2019) में, दोपहर लगभग 2:30 बजे शिकायतकर्ता की पत्नी, नर्मदाबेन अपने बेटे को डांट रही थी, और आरोपी सविताबेन ने गलत समझा, जिसके परिणामस्वरूप उनके बीच मौखिक रूप से बहस हुई थी। सविताबेन के पति ने एक छड़ी ली और नर्मदाबेन को पीटने के लिए उनका पीछा किया। नर्मदाबेन ने कमरे के अंदर जाकर घर का दरवाजा बंद कर लिया। आरोपी और उसके पति ने दरवाजा तोड़ दिया और उसे बर्थ पर लेटा दिया और सविताबेन ने मिट्टी के तेल का जार लाकर अपने पति को दे दिया और उसने मृतक (नर्मदाबेन) को आग लगा दी। इसके बाद दोनों वहां से भाग गए। अदालत ने माना कि आरोपी 1 और आरोपी 2 दोनों आई.पी.सी. की धारा 302 और धारा 452 के साथ-साथ धारा 114 के तहत दंडनीय हैं।

  • संपत्ति का स्वामित्व किसी अन्य व्यक्ति के पास होना चाहिए

संपत्ति का स्वामित्व किसी अन्य व्यक्ति के पास होना चाहिए न कि स्वयं अतिचार करने वाले के पास। इस धारा का मुख्य कार्य मालिकों के हितों की रक्षा करना है। यदि अतिचार करने वाले के द्वारा किया गया प्रवेश किसी अन्य व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने या हमला करने के लिए स्पष्ट है तो उस व्यक्ति इस धारा के तहत उत्तरदायी है।

मेन पाल बनाम हरियाणा राज्य (2010) के मामले में, शिकायतकर्ता ने कहा कि जब वह और उसकी बहू अपने घर में सो रही थी, तब लगभग 11:30 बजे, अपीलकर्ता ने उसके घर की दीवार पर छलांग लगा दी और सभी बल्ब तोड़ दिए, और वह वहां से भाग गया। उस समय घर पर कोई पुरुष सदस्य नहीं था और एक घंटे के बाद अपीलकर्ता फिर से उसके घर आया और उसकी बहू को छुआ। अदालत ने अपराधी पर उसकी बहू के साथ दुर्व्यवहार करने के इरादे से गृह अतिचार के अपराध का आरोप लगाया।

  • चोट, हमला, और गलत तरीके से दबाव डालने का इरादा होना चाहिए

इस धारा के तहत आरोपी को दोषी ठहराने के लिए आरोपी का इरादा जरूरी है। आरोपी को ऐसी संपत्ति पर कब्जा करने के लिए किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने, हमला करने या उस पर दबाव डालने के इरादे से अपराध करना चाहिए। परिस्थितिजन्य साक्ष्य (सर्कमस्टेंशियल एविडेंस) द्वारा इरादे को साबित किया जा सकता है।

उदाहरण:

यदि कोई किसी व्यक्ति के घर में फर्जी वारंट लेकर गिरफ्तारी के लिए गया और उस व्यक्ति को उसकी मर्जी के बिना ले गया, तो यहां अपराधी इस धारा के तहत दंडनीय होगा।

अतिचार

अतिचार एक कानूनी शब्द है जिसका अर्थ है मालिक की भूमि पर उसकी अनुमति के बिना या अनुचित आक्रमण (इनवेजन) के बिना, उसकी सहमति के बगैर प्रवेश करना। आपराधिक कानून और टॉर्ट कानून दोनों में अतिचार का उल्लेख किया गया है। यह किसी व्यक्ति या उसकी संपत्ति के साथ जानबूझकर हस्तक्षेप करना है। यहाँ ‘इरादा’ शब्द का अर्थ है जानबूझकर गलत करना। इरादा एक आवश्यक तत्व है क्योंकि ‘मेन्स रीआ’ एक कार्य के आपराधिक होने का मुख्य कारण है। एक घर में अतिचार, आपराधिक अतिचार का एक उग्र रूप है। इस प्रकार, यदि कोई व्यक्ति जिसे ड्राइंग रूम में बैठने की अनुमति है, वह बिना किसी कारण के बेडरूम में प्रवेश करता है, तो उस प्रवेश को अतिचार माना जाएगा।

किसी के परिसर (प्रिमाइज) में कचरा फेंकना भी अतिचार का एक कार्य है, जिसका अर्थ है कि अतिचार केवल शारीरिक हस्तक्षेप के बारे में नहीं है, बल्कि किसी अन्य व्यक्ति की भूमि पर किसी भौतिक वस्तु को फेंक कर भी किया जा सकता है। यह कहा जा सकता है कि व्यक्ति का किसी अन्य व्यक्ति को परेशान करने के लिए एक गुप्त या दुर्भावनापूर्ण उद्देश्य है।

गलत तरीके से दबाव डालना (रॉन्गफुल रिस्ट्रेंट)

भारतीय दंड संहिता की धारा 339 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो स्वेच्छा से किसी अन्य व्यक्ति को किसी भी दिशा में जाने से रोकता है जिसमें उस व्यक्ति को स्वतंत्र रूप से चलने का अधिकार है, या उस व्यक्ति के रास्ते को असंभव, खतरनाक, या पार करने के लिए मुश्किल बना कर उस व्यक्ति को बाधित करता है, तो यह माना जाता है की उस व्यक्ति ने गैरकानूनी रूप से किसी अन्य व्यक्ति के ऊपर गलत तरीके से दबाव डाला है। इस धारा का उद्देश्य व्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करना है। शिकायतकर्ता को यह साबित करना होता है कि कोई बाधा डाली गई थी जिसने उसे किसी भी दिशा में आगे बढ़ने से रोका था। इस धारा को लागू करने के लिए, शिकायतकर्ता को भूमि पर अपना अधिकार साबित करना होता है। जो कोई भी व्यक्ति, किसी व्यक्ति को बाधित करता है, उसे एक महीने तक की कैद या पांच सौ रुपये तक का जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा।

यदि बाधा सद्भावपूर्वक (गुड फेथ) तरीके से डाली जाती है और किसी को बाधा डालने वाले आरोपी को उस व्यक्ति को बाधित करने का कानूनी अधिकार है, तो यह गलत तरीके से दबाव डालना नहीं होगा। यह अपराध संज्ञेय, जमानती और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। यह एक कंपाउंडेबल अपराध है।

मदाला परैया और अन्य बनाम वोरुगंती चेंड्रिया (1954) के मामले में, तथ्य यह था कि शिकायतकर्ता ने पास में जमीन खरीदी थी और जब भी वह वहां जाता था तो उसे वहां के नियोजित रास्ते (डोनका) से गुजरना पड़ता था। नियोजित रास्ता आरोपी की जमीन से होकर जाता था। दोनों के बीच विवाद हो गया था। एक दिन जब वह डोनका को पार कर रहा था, तो आरोपी ने उसे पानी का उपयोग करने से रोक दिया और उसने रास्ते में अपने बैल खड़े कर के उसको उसकी जमीन पर जाने से रोका और साथ ही उसे पीटा, और वहां से भगा दिया। अदालत ने माना कि आरोपी ने गलत तरीके से दबाव डालने का अपराध किया है।

गलत तरीके से प्रतिबंधित करना (रॉन्गफुल कन्फाइनमेंट)

भारतीय दंड संहिता की धारा 340 गलत तरीके से प्रतिबंधित करने को इस तरह से परिभाषित करती है- “जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को इस तरह से प्रतिबंधित करता है कि वह उस व्यक्ति को कुछ निश्चित सीमाओं से आगे बढ़ने से रोक सके”। गलत तरीके से प्रतिबंधित करना एक प्रकार से गलत तरीके से दबाव डालना ही है क्योंकि दोनों अपराधों में व्यक्ति को सीमा के भीतर रखा जाता है, जिससे बाहर जाने का उसके पास अधिकार है  या वह जाना चाहता है। इसमें पूर्ण रूप से दबाव डाला जाना चाहिए, और इसमें आंशिक रूप से दबाव नहीं होना चाहिए। उदाहरण: किसी व्यक्ति को एक कमरे में बंद करना गलत तरीके से प्रतिबंधित करने की श्रेणी में आता है।

राज्य बनाम बालकृष्ण और अन्य (1992) में, आरोपी जो एक पुलिस अधिकारी था, ने शिकायतकर्ता के रिश्तेदार को गिरफ्तार कर लिया। शिकायतकर्ता थाने पहुंचा और अधिकारी से पूछा कि उसके रिश्तेदार ने क्या अपराध किया है। आरोपी ने शिकायतकर्ता को पूरी रात कोने में खड़े रहने की आज्ञा दी। उन्हें आगे बढ़ने और कानूनी उपचार लेने की अनुमति नहीं थी। इधर, आरोपी ने गलत तरीके से प्रतिबंधित करने का अपराध किया है क्योंकि उसने शिकायतकर्ता को उस जगह से जाने से रोक दिया था।

धारा 340 के तहत सजा

जो कोई किसी व्यक्ति को अवैध रूप से प्रतिबंधित करता है, तो उसे कारावास से, जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या एक हजार रुपए तक के जुर्माने से, या दोनों से दंडित किया जाएगा। इस धारा के तहत अपराध संज्ञेय, जमानती और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। यह एक कंपाउंडेबल अपराध है।

गृह अतिचार के अन्य तरीके

  • आई.पी.सी. की धारा 442

भारतीय दंड संहिता की धारा 442 गृह अतिचार को आपराधिक अतिचार के रूप में परिभाषित करती है, यदि कोई व्यक्ति किसी निर्माण, तम्बू या जलयान (वेसल) में, जो मानव-निवास के रूप में उपयोग में आता है, या किसी निर्माण में, जो उपासना-स्थान (प्लेस ऑफ वर्शिप) के रूप में, या किसी संपत्ति की अभिरक्षा (कस्टडी) के स्थान के रूप में उपयोग में आता है, वह उसमें प्रवेश करता है या उसमें बना रहता है तो यह माना जाता है की उसने गृह अतिचार किया है। किसी भी व्यक्ति को इस अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है यदि वह किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति में अनुमति या लाइसेंस द्वारा प्रवेश करता है।

  • आई.पी.सी. की धारा 443 

आई.पी.सी. की धारा 443 में प्रच्छन्न (लर्किंग) गृह अतिचार को परिभाषित किया गया है। कोई भी व्यक्ति जो इस तरह के अतिचार को किसी अन्य व्यक्ति से छुपाने के लिए सावधानी बरतते हुए गृह अतिचार करता है, जिसे तंबू, निर्माण या जलयान से बाहर निकालने का अधिकार है, उसे प्रच्छन्न गृह अतिचार करना कहा जाता है। यह गृह अतिचार का एक उग्र रूप है।

  • आई.पी.सी. की धारा 444

आई.पी.सी. की धारा 444 में रात में प्रच्छन्न रूप से किए गए गृह अतिचार के बारे में बात की गई है। जब कोई व्यक्ति सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले गुप्त रूप से अतिचार करता है, तो इसे प्रच्छन्न गृह अतिचार के बराबर माना जाता है। यह अपराध आई.पी.सी. की धारा 456 के तहत तीन साल से अधिक के कारावास और जुर्माने के साथ दंडनीय है।

  • आई.पी.सी. की धारा 445 

आइ.पी.सी. की धारा 445 गृह भेदन (हाउस ब्रेकिंग) के अपराध को परिभाषित करती है, जो प्रच्छन्न गृह अतिचार का एक गंभीर रूप है। यह धारा अलग-अलग तरीके बताती है जिसमें गृह भेदन के अपराध को किया जा सकता है:

  • यदि कोई अपराधी किसी ऐसे मार्ग से प्रवेश करता है जो उसके द्वारा बनाया गया था;
  • यदि कोई मार्ग, अतिचार करने वाले के अलावा किसी अन्य द्वारा उपयोग नहीं किया जाता है;
  • गृह भेदन का अपराध करने के लिए किसी भी मार्ग को खोलने से, जिसे घर के मालिक द्वारा खोलने का इरादा नहीं था;
  • कोई ताला खोलकर;
  • प्रवेश के समय या प्रस्थान के समय आपराधिक बल का प्रयोग कर के।

आई.पी.सी. की धारा 446

आई.पी.सी. की धारा 446, रात में गृह भेदन करने के अपराध को परिभाषित करती है जो सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले किया जाता है, यह गृह भेदन का एक गंभीर रूप है। यह अपराध भारतीय दंड संहिता की धारा 456 के तहत कारावास के साथ दंडनीय है जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी हो सकता है।

आई.पी.सी. की धारा 452 के तहत सजा

जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुँचाने या किसी अन्य व्यक्ति पर हमला करने या किसी व्यक्ति पर गैरकानूनी रूप से दबाव डालने के इरादे से गृह अतिचार करता है तो उसे कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है, और उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। यह अपराध संज्ञेय, गैर-जमानती और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। यह अपराध कंपाउंडेबल अपराधों के तहत सूचीबद्ध नहीं है।

महत्त्वपूर्ण मामले

  • तुलसीराम भानुदास कांबले बनाम महाराष्ट्र राज्य (2007) के मामले में, कुछ व्यक्ति मृतक व्यक्ति के घर के अंदर एक फिल्म देख रहे थे। कुछ देर बाद वे बगीचे में बैठ गए। बाद में आरोपी कुछ लोगों के साथ आया और उनके पास तलवारें और हथियार थे। अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता ख़तरनाक हथियारों के साथ शिकायतकर्ता के घर आए थे और शिकायतकर्ता को मारने के इरादे से और सामान्य उद्देश्य से आए थे। उन्होंने शिकायतकर्ता को मारने के इरादे से गृह अतिचार का अपराध किया है और मृतक (घर के मालिक) की मौके पर ही मौत हो गई, क्योंकि उसके सिर और शरीर के अन्य हिस्सों में कई घाव हुए थे।
  • अचार सिंह बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य (2021) में, शिकायतकर्ता और उसकी मां, पास के एक गांव में एक शादी में गए। और फिर दोनों महिलाएं घर लौट गईं। आरोपी व अन्य ग्रामीणों ने उन्हें जान से मारने की नीयत से उन पर पथराव शुरू कर दिया। शिकायतकर्ता और उसकी मां दौड़कर घर पहुंचे। हालांकि, आरोपी ने दरवाजा तोड़ दिया और हथियारों के साथ घर में घुस गया। शिकायतकर्ता की मां की मौके पर ही मौत हो गई और शिकायतकर्ता को लाठियों से पीटा गया था। किसी तरह शिकायतकर्ता घर से निकली और थाने चली गई। इस मामले में आरोपी व अन्य ग्रामीणों ने धारा 452 के तहत अपराध किया था।
  • उधम सिंह बनाम मध्य प्रदेश राज्य (2019) में शिकायतकर्ता के पिता और उसका भाई, जो जामनिया गांव के रहने वाले थे, शाम 5 बजे अपनी जमीन में पानी भरने गए। मृतक व आरोपित के बीच जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। इसके बाद आरोपी और उसके परिवार ने उसे बुलाया और उसे लाठी से पीटा गया। चश्मदीद गवाह, काशीराम (मृतक का बेटा) ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कराया। अदालत ने माना कि पक्षों के बीच झगड़ा हुआ था और उस समय एक घटना हुई थी, मृतक की मौत चोटों के कारण हुई और कहा कि आरोपी और उसके परिवार के सदस्य इस धारा के तहत उत्तरदायी हैं।

निष्कर्ष

यदि कोई अजनबी या परिचित, कोई ऐसी संपत्ति में प्रवेश करता है जो आपके कब्जे में है, और वह ऐसा उसे नुकसान या हमला करने के इरादे से करता है, तो ऐसा व्यक्ति गृह अतिचार के अपराध के तहत उत्तरदायी होगा और किसी भी अदालत में उपाय की मांग की जा सकती है। गृह अतिचार आपराधिक अतिचार का एक उग्र रूप है और प्रच्छन्न गृह अतिचार और गृह भेदन गृह अतिचार के अधिक उग्र रूप हैं। गृह अतिचार एक ऐसी चीज है जो किसी अन्य व्यक्ति की निजता (प्राइवेसी), जिसका आनंद लेने का उस व्यक्ति को पूरा अधिकार है, में बाधा डाल सकती है, निजता एक नागरिक का मौलिक अधिकार है जिसमें किसी को भी बाधा डालने का अधिकार नहीं है। इस प्रकार, उन स्थितियों के बीच अंतर जानना बहुत आवश्यक है जहां अपराध गृह अतिचार हो सकता है या जहां यह नहीं हो सकता है। इस तरीके से ही लोग अपने अधिकारों और कर्तव्यों का निर्वहन कर सकेंगे।

संदर्भ

 

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