अचल संपत्ति

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Immovable Property

यह लेख Diksha Paliwal द्वारा लिखा गया है, जो इंदौर उच्च न्यायालय में अधिवक्ता हैं और एलएलएम (संवैधानिक कानून) की छात्रा हैं। ‘अचल संपत्ति’ शीर्षक वाले लेख में संक्षेप में संपत्ति शब्द के दायरे और अर्थ पर चर्चा की गई है, इसके बाद संपत्ति के दायरे में आने वाले दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों यानी अचल और चल संपत्ति की संक्षिप्त व्याख्या की गई है। इस लेख का मुख्य उद्देश्य विभिन्न परिभाषाओं, कानूनों और न्यायिक मिसालों की मदद से अचल संपत्ति की गहरी समझ विकसित करना है। इस लेख का अनुवाद Divyansha Saluja द्वारा किया गया है।

Table of Contents

परिचय 

एक शब्द की जितनी चाहे उतनी व्याख्या की जा सकती है। इसी प्रकार, ‘संपत्ति’ शब्द के अर्थों की एक विस्तृत श्रृंखला है। यहां तक ​​कि भारतीय विधायिका ने भी इस शब्द को कई तत्वों के साथ जोड़ा है। इसका प्रयोग अनेक अर्थों में किया जाता है।

संपत्ति आम अंग्रेजी शब्दावली का एक अनिवार्य तत्व है, और आज की दुनिया में इसके महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इस शब्द की ख़ासियत में जाने से पहले, बिना किसी जटिलता के इस शब्द को इसके सामान्य अर्थ में समझना महत्वपूर्ण है। शब्द का सबसे सामान्य वर्गीकरण इस प्रकार हो सकता है; ‘अभौतिक’ या ‘भौतिक’, ‘मूर्त (टैंजिबल)’ या ‘अमूर्त’, ‘व्यक्तिगत’ या ‘निजी’, और ‘चल’ या ‘अचल’ संपत्ति। हालाँकि, यह लेख अचल संपत्ति के आलोक में कानून के साथ-साथ कुछ महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णयों पर विचार करके इसके विविध पहलुओं पर केंद्रित है।

संपत्ति क्या है 

जैसा कि फ्रांस की नेशनल असेंबली के एक पूर्व सदस्य फ्रेडरिक बास्तियात ने बहुत अच्छी तरह से उद्धृत (कोट) किया है, “जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति का अस्तित्व नहीं है क्योंकि पुरुषों ने कानून बनाए हैं। इसके विपरीत, यह तथ्य था कि जीवन, स्वतंत्रता, और संपत्ति पहले से अस्तित्व में थी जिसके कारण पुरुषों ने सबसे पहले कानून बनाए थे।” 

संपत्ति की अवधारणा गतिशील है। यह काफी विकसित हुई है और विधायिका, समाज के क्षेत्रों और समय के विभिन्न युगों में विविध तरीकों से इसे स्पष्ट किया गया है। संपत्ति शब्द संक्रमणकालीन (ट्रांसिशनल) है, मानव मन के अन्य आविष्कारों और कृतियों की तरह, और अर्थों से समृद्ध है। 

‘संपत्ति’ शब्द जिसे अंग्रेजी में प्रॉपर्टी कहा जाता है, लैटिन शब्द ‘प्रोप्रिअस’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘अपना’। हालांकि इस शब्द की कई व्याख्याएं और परिभाषाएं मौजूद हैं, जो एक-दूसरे के समान नहीं हो सकती हैं, संस्कृत शब्द ‘स्वत्व’ लैटिन शब्द ‘प्रोप्रिअस’ के अर्थ के समान है। ‘प्रोप्रिअस’ शब्द की जड़ ‘प्रोपराइटस’ है, जो अंग्रेजी शब्द प्रॉपर्टी के समान ही है। संक्षेप में, अलग-अलग भाषाओं के ये सभी शब्द व्युत्पत्तिगत (एटीमोलोजिकली) रूप से एक ही अर्थ रखते हैं, यानी, कुछ ऐसा जो किसी व्यक्ति का हो।

एक सामान्य अर्थ में, संपत्ति एक ऐसी चीज है जो एक व्यक्ति के पास विशेष रूप से होती है और एक व्यक्ति के लिए कुछ खास होती है। संपत्ति किसी चीज का स्वामित्व है, इस प्रकार, जो एक विशेष और अप्रतिबंधित अधिकार देती है। मैकएलिस्टर बनाम प्रिचार्ड (1921) के मामले में, मिसौरी के सर्वोच्च न्यायालय, डिवीजन वन, ने कहा कि ‘संपत्ति’ शब्द को मूल्यवान अधिकारों और हितों की हर श्रेणी तक विस्तारित माना जाता है। इस प्रकार, किसी व्यक्ति के पास जो कुछ भी है, उसे व्यक्ति की संपत्ति माना जा सकता है। 

हालाँकि, हाल के निर्णयों और कानून की विकसित अवधारणाओं में, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि संपत्ति शब्द का उपयोग अब एक विस्तारित धारणा में किया जाता है। उदाहरण के लिए, अब, यहां तक ​​कि एक आदमी की प्रतिष्ठा को भी उसकी संपत्ति माना जाता है, और अक्सर किसी भी अन्य संपत्ति की तुलना में यह कहीं अधिक मूल्यवान होती है। मिसौरी के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा डिक्सन बनाम होल्डन (1996) के मामले में यह विचार व्यक्त किया गया था। वैकल्पिक रूप से, बुद्धि और भाव के विचार भी संपत्ति की श्रेणी में आते हैं। उदाहरण के लिए:- ट्रेडमार्क, कॉपीराइट, पेटेंट आदि बौद्धिक संपदा (इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी) की श्रेणी में आते हैं। 

इस प्रकार, उपरोक्त चर्चा से यह स्पष्ट होता है कि जब व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाता है, राजनीतिक और सामाजिक दोनों कारकों पर विचार करते हुए, संपत्ति के सबसे स्वीकार्य अर्थ के साथ तो संपत्ति शब्द केवल स्वामित्व तक ही सीमित नहीं है। यह एक व्यक्ति को शक्तियों का एक समूह प्रदान करता है। संपत्ति में न केवल वे चीजें शामिल हैं जो स्वामित्व की विषय वस्तु हैं बल्कि स्वामित्व या प्रभुत्व या आंशिक स्वामित्व के अधिकार तक फैली हुई हैं, जैसा भी मामला हो। कानूनी धारणा में, संपत्ति शब्द में अधिकारों का एक समूह शामिल है और विशेष रूप से मूर्त अधिकारों के मामले में, इसका दायरा आनंद लेने, बनाए रखने, अलग करने, रखने और बहुत कुछ करने के अधिकार तक फैला हुआ है। संपत्ति हस्तांतरण (ट्रांसफर) अधिनियम, 1882 के आलोक में, संपत्ति विचारोत्तेजक (सजेस्टिव) है और एक व्यक्ति के पास हर संभव हित का उदाहरण है। भारतीय विधायिकाओं में, इस शब्द का प्रयोग ज्यादातर व्यापक अर्थों में किया जाता है।

भारतीय संपत्ति शासन के अनुसार अचल और चल संपत्ति

इस लेख से संबंधित शब्द संपत्ति को आम तौर पर दो उपशीर्षकों अर्थात् चल और अचल संपत्ति, के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है, दोनों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है;

अचल संपत्ति

आम तौर पर, अचल संपत्ति शब्द का अर्थ ऐसी किसी भी चीज़ से है जो एक व्यक्ति के पास है जिसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं ले जाया जा सकता है। ऐसा कहा जा सकता है कि किसी के स्वामित्व वाली भूमि पर जो कुछ भी लगा होता है वह अचल संपत्ति की श्रेणी में आता है। अचल संपत्तियां कानूनी विधियों द्वारा संरक्षित होने की हकदार हैं और कराधान (टैक्सेशन) के लिए उत्तरदायी हैं। ऐसी अचल संपत्ति के साथ स्वामित्व का अधिकार जुड़ा होता है।

सामान्य खंड अधिनियम, 1897 की धारा 3(26) के तहत अचल संपत्ति को परिभाषित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि इस शब्द में भूमि, मिट्टी से जुड़ी चीजें या स्थायी रूप से पृथ्वी से जुड़ी किसी भी चीज से जुड़ी चीजें और भूमि से उत्पन्न होने वाले लाभ शामिल होंगे। दूसरी ओर, संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 की धारा 3 एक विस्तृत परिभाषा प्रदान नहीं करती है। इसमें कहा गया है कि अचल संपत्ति में खड़ा काष्ठ (स्टैंडिंग टिंबर), बढ़ती फसलें या घास शामिल नहीं है। उपरोक्त परिभाषाओं में से कोई भी संपूर्ण नहीं है। ये परिभाषाएं सिर्फ यह बताती हैं कि अचल संपत्ति के दायरे में किसे शामिल किया जाना है या क्या बाहर रखा गया है।

इस प्रकार, दो क़ानूनों के तहत प्रदान की गई परिभाषाओं को मिलाने के बाद, अचल संपत्ति को स्थायी रूप से पृथ्वी पर लगाई किसी चीज के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जैसे भूमि, पेड़ और अन्य पदार्थ जिनमें खड़ा काष्ठ, बढ़ती फसलें या घास शामिल नहीं है। ‘अचल संपत्ति’ शब्द के लिए और भी महत्वपूर्ण बारीकियां हैं, और उन्हें बाद में उपयुक्त रूप से संबोधित किया गया है।

पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) अधिनियम, 1908 की धारा 2(6) भी अचल संपत्ति शब्द की परिभाषा प्रदान करती है। इस धारा के अनुसार, भूमि, भवन, वंशानुगत भत्ते (हेरेडिटरी अलाउंस), रास्तों के अधिकार, रोशनी, घाट, मत्स्य पालन, कोई भी लाभ जो भूमि से उत्पन्न होता है, और कोई अन्य वस्तु जो पृथ्वी से जुड़ी होती है, या कोई वस्तु जो किसी वस्तु से स्थायी रूप से जुड़ी होती है जो बदले में पृथ्वी से जुड़ी हुई है, बशर्ते इसमें खड़ा काष्ठ, बढ़ती फसलें और घास शामिल न हों जो की अचल संपत्ति की श्रेणी में न आती हो। 

यहां तक ​​कि पंजीकरण अधिनियम, 1908 के तहत दी गई परिभाषा भी संपूर्ण नहीं है; हालाँकि, यह अचल संपत्ति की प्रकृति और अवधारणा को समझने में कुछ हद तक मदद करता है। श्री अर्सी स्टील प्राइवेट लिमिटेड बनाम भारत ओवरसीज बैंक लिमिटेड (2005) के मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि अचल संपत्ति में ‘अचल’ शब्द का अर्थ स्थायी या निश्चित है, जिसे स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है और जो स्थायी रूप से अचल संपत्ति से जुड़ा हुआ है।

चल संपत्ति

आम बोलचाल में चल संपत्ति शब्द किसी भी चलने वाली संपत्ति या ऐसी चीज का गठन करता है जिसे किसी भी व्यक्ति द्वारा आसानी से स्थानांतरित किया जा सकता है। चल संपत्ति लगभग हर चीज को दर्शाती है जो भूमि से नही जुड़ी है, भले ही उपस्थिति, आकार, रंग आदि कुछ भी हो। अचल संपत्ति की श्रेणी में आने वाली वस्तुएँ विभिन्न शर्तों और प्रतिबंधों के अधीन हैं, जैसा कि विभिन्न भारतीय कानूनों के तहत बताया गया है। 

चल संपत्ति शब्द को विभिन्न भारतीय कानूनों में विविध रूप से परिभाषित किया गया है।

सामान्य खंड अधिनियम, 1897 की धारा 3(36) में, अचल संपत्ति को छोड़कर, हर विवरण की संपत्ति को शामिल करने के लिए इस शब्द को परिभाषित किया गया है। 

पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 2(L)(9) में चल संपत्ति की एक समावेशी (इन्क्लूसिव) परिभाषा प्रदान की  गई है। इसके अनुसार, अचल संपत्ति के अलावा हर विवरण की संपत्ति के साथ-साथ खड़ा कोष्ठ, बढ़ती फसल और घास, पेड़ों पर फल और पेड़ों में रस को चल संपत्ति में शामिल किया गया है।

चल संपत्ति शब्द को भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 22 के तहत भी परिभाषित किया गया है। इसमें कहा गया है कि इस शब्द में हर विवरण की भौतिक संपत्ति शामिल है, बशर्ते कि वह जमीन से जुड़ी न हो। यहां मुख्य बात यह समझने की है कि संपत्ति जमीन से जुड़ी नहीं होनी चाहिए। हालाँकि, एक ही अचल संपत्ति पृथ्वी से अलग होते ही चल संपत्ति हो सकती है।

आंध्र प्रदेश बनाम एनटीपीसी लिमिटेड (2002) के मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि बिजली संपत्ति की श्रेणी में आती है, और केवल इसलिए कि इसे महसूस या छुआ या स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है, यह इस श्रेणी के तहत आने से नहीं रुकेगी। कोई भी चीज जिसमें संपत्ति के सभी गुण होते हैं, उसे संपत्ति माना जा सकता है, चाहे वह कोई किताब हो, लकड़ी का कोई टुकड़ा हो, पेटेंट, कॉपीराइट आदि हो।

स्टेट बैंक ऑफ पटियाला बनाम चोहन हुहतमाकी (इंडिया) प्राइवेट. (1981), में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने माना कि खड़ा काष्ठ, उगने वाली फसलें, घास, या अन्य ऐसी चीजें जो धरती से जुड़ी हैं, लेकिन उन्हें भूमि का स्थायी हिस्सा बनाने का इरादा मौजूद नहीं है, उदाहरण के लिए, मशीनें जो जमीन से जुड़ी हैं लेकिन उन्हें स्थानांतरित किया जा सकता हैं, ये सभी चल संपत्ति के दायरे में आते हैं। इसके अलावा, पूजा का अधिकार, सरकार के वचन पत्र (प्रोमिसरी नोट), खरीदार के अपनी जमीन के पंजीकरण के अधिकार, रॉयल्टी आदि भी चल संपत्ति की श्रेणी में आते हैं।

संपत्ति को अचल संपत्ति के रूप में कब वर्गीकृत किया जा सकता है

संक्षेप में, विभिन्न भारतीय विधानों के तहत प्रदान की गई सभी परिभाषाओं को देखते हुए, यह कहा जा सकता है कि मुख्य रूप से तीन चीजें अचल संपत्ति का गठन करती हैं, अर्थात् भूमि, भूमि से उत्पन्न होने वाले लाभ और पृथ्वी से जुड़ी चीजें। अंतिम वर्गीकरण को आगे तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है: पृथ्वी में मूलित (रूटेड) चीजें, पृथ्वी में निविष्ट (एंबेडेड) चीजें, और पृथ्वी में निविष्ट चीजों से जुड़ी चीजें। जमीन से जुड़ी चीजों में खड़ा काष्ठ, उगाई जाने वाली फसलें और घास असाधारण श्रेणी में आते हैं। आइए अचल संपत्ति के उपर्युक्त वर्गीकरणों का अवलोकन (ओवरव्यू) करें।

भूमि

आम बोलचाल में, ‘भूमि’ शब्द पृथ्वी के एक हिस्से का गठन करता है जो पानी से ढका नहीं है। इसके स्वामित्व या उपयोग के संबंध में इसे जमीन के क्षेत्र के रूप में माना जा सकता है। इस शब्द का उद्देश्य पृथ्वी की सतह पर सभी चीजों को शामिल करना है, संभवतः पृथ्वी के ऊपर अंतरिक्ष का क्षेत्र, और पृथ्वी की सतह के नीचे की जमीन। यह शब्द इतना व्यापक है कि यह पृथ्वी की सतह के नीचे की चीजों, जैसे उप-मृदा (सब सोइल), खानों (माइन) और खनिजों (मिनरल) को भी शामिल कर सकता है। यहां तक ​​कि यह मानव एजेंसी द्वारा पृथ्वी की सतह पर या उसके नीचे रखी गई वस्तुओं को भी शामिल करता है, बशर्ते ऐसा इसे स्थायी रूप से जोड़ने के इरादे से किया गया हो। यह शब्द उन चीजों को भी शामिल करता है जिन्हें पानी से ढकी हुई भूमि कहा जाता है, उदाहरण के लिए, कुएं, नलकूप, नदियाँ, तालाब, झीलें और धाराएँ, जो पृथ्वी की सतह पर खोदी जाती हैं। ये प्राकृतिक या कृत्रिम (आर्टिफिशियल) हो सकते हैं, जैसा भी मामला हो।

भूमि से उत्पन्न होने वाले लाभ 

वाक्यांश ‘भूमि से उत्पन्न होने वाले लाभ’ को अचल संपत्ति के दायरे में माना जाता है क्योंकि यह भूमि से जुड़ा हित होता है। यहां तक ​​कि पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 2(6) में प्रदान की गई परिभाषा में स्पष्ट रूप से इस वाक्यांश को अचल संपत्ति की श्रेणी में शामिल किया गया है। भूमि से होने वाले लाभों के कुछ उदाहरणों में घर से प्राप्त किराया, कृषि से राजस्व (रिवेन्यू), दुकानों और जागीर से किराया, तालाब या नदी से मछली पकड़ने का अधिकार, और पेड़ों से लाख इकट्ठा करने का अधिकार शामिल हैं। साथ ही, भूमि के एक प्लॉट पर स्थित बाजार या मेले से बकाया राशि एकत्र करने का अधिकार, अचल संपत्ति से आय पर ब्याज, भूमि का पट्टा (लीज), आदि यहां तक ​​कि किसी भी खनिज को निकालने का अधिकार, भूमि के किसी टुकड़े की प्रदर्शनी आयोजित करने का अधिकार, कब्जे का अधिकार, एक होर्डिंग स्थापित करना या भूमि के हिस्से का विज्ञापन, अंतिम संस्कार से बकाया वसूलने का पुजारी का अधिकार, सार्जन भूमि का प्रबंधन (मैनेजमेंट), गिरवी रखी गई संपत्ति में गिरवी रखने वाले का हित, आदि सभी अचल संपत्ति माने जाते हैं।

आनंद बेहरा और अन्य बनाम उड़ीसा राज्य और अन्य (1955) के मामले में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि एक व्यक्ति का जमीन पर प्रवेश करने और तालाब से मछली लेने का अधिकार ‘(पर-भूमि लाभ अधिकार) प्रॉफिट ए पेंड्रे’ है, जो किसी और की भूमि से कुछ लेने का अधिकार है। इस प्रकार यह भूमि से उत्पन्न होने वाले लाभों की श्रेणी के माध्यम से अचल संपत्ति के दायरे में आता है।

भूमि से जुड़ी चीजें

उपर्युक्त अभिव्यक्ति को संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 की धारा 3 के तहत तीन श्रेणियों: पृथ्वी में मूलित चीजें, पृथ्वी में निविष्ट चीजें, और पृथ्वी में निविष्ट चीजों से जुड़ी चीजें में शामिल करने के लिए अलग से परिभाषित किया गया है।

भूमि में मूलित चीजें

सामान्य खंड अधिनियम के तहत प्रदान की गई परिभाषा के आधार पर, पृथ्वी में मूलित चीजों को अचल संपत्ति माना जाता है। इस प्रकार, पेड़ों और झाड़ियों को अचल संपत्ति माना जाता है। पौधों और जड़ी-बूटियों के मामले में भी ऐसा ही है। हालांकि, यह उल्लेख करना उचित है कि इस अभिव्यक्ति में इस श्रेणी में खड़ा काष्ठ, बढ़ती फसलें और घास शामिल नहीं है।

सुरेश चंद बनाम उत्तराधिकारी के द्वारा कुंदन (मृत) और अन्य (2000) के मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि खड़ा काष्ठ पृथ्वी का एक हिस्सा है क्योंकि यह पृथ्वी में मूलित है। जब ऐसी भूमि की संपत्ति का कोई हस्तांतरण उसमें मूलित लकड़ी के साथ होता है, तो संपत्ति में हित उस खड़ा काष्ठ या जमीन से जुड़ी किसी भी अन्य चीज को शामिल करने के लिए बाध्य होता है, जब तक कि यह स्पष्ट रूप से या निहित रूप से अन्यथा प्रदान नहीं किया जाता है। इस प्रकार हस्तांतरित संपत्ति की कानूनी घटना के कारण जुड़ी या मूलित वस्तु अंतरिती (ट्रांसफरी) के पास चली जाएगी। इसलिए, सामान्य नियम कहता है कि पेड़, झाड़ियाँ, जड़ी-बूटियाँ और पौधे अचल संपत्ति हैं।

हालांकि, जब जमीन से अलग किया या काटा जाता है, तो पेड़ों और झाड़ियों को चल संपत्ति के रूप में अलग से बेचा जा सकता है। यह विचार सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मथुरा दास बनाम जदुबीर (1905) के मामले में व्यक्त किया गया था। पेड़ और झाड़ियाँ अचल संपत्ति माने जाने के बावजूद, जैसे ही वे अलग हो जाते हैं या कट जाते हैं, चल संपत्ति बन जाते हैं क्योंकि यह अचल संपत्ति का चरित्र खो देते है।

पृथ्वी में निविष्ट वस्तुएँ

व्युत्पत्ति के अनुसार, ‘निविष्ट’ शब्द का अर्थ कुछ ऐसा है जो आसपास के द्रव्यमान (सराउंडिंग) में मजबूती से जुड़ा होता है। निविष्ट करना एक ऐसी चीज को दर्शाता है जिसकी नींव पृथ्वी की सामान्य सतह के नीचे रखी जाती है और जो पृथ्वी का हिस्सा बन जाती है। उदाहरण के लिए, जहां एक दीवार को बनाने के लिए एक दूसरे पर पत्थर के ब्लॉक रखे जाते हैं। हालांकि कोई मोर्टार या सीमेंट का उपयोग नहीं किया जाता है, उन्हें अचल संपत्ति माना जाएगा क्योंकि यह भूमि का एक हिस्सा बन गया है। हालांकि, जब एक ही पत्थर के ब्लॉक एक दीवार के रूप में एक बिल्डर के यार्ड में एक दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं, तो उन्हें चल संपत्ति के रूप में माना जाएगा।

ऐसे उदाहरण हो सकते हैं जहां कोई वस्तु जमीन में मजबूती से जुड़ी हो; हालांकि, अगर ऐसा उसे जमीन का हिस्सा बनाने के इरादे से नहीं किया गया है, तो वह अचल संपत्ति के दायरे में नहीं आएगा। उदाहरण के लिए, एक लंगर (एंकर) जहाज को पकड़ने के लिए मजबूती से जमीन पर टिका होता है, लेकिन जमीन का हिस्सा होने के इरादे से लंगर को कभी भी जमीन पर नहीं लगाया जाता। इस प्रकार, यह अचल संपत्ति की श्रेणी में नहीं आएगा। इसी तरह रोड रोलर, भारी पत्थर आदि को अचल संपत्ति नहीं माना जाएगा। ऐसे मामलों में जहां संपत्ति केवल एक हद तक निविष्ट है जहां उसका वजन बल है, यह निविष्ट शब्द की श्रेणी में नहीं आएगा। 

निविष्ट वस्तु से जुड़ी कोई वस्तु

इस श्रेणी में आने वाली वस्तुएँ वे हैं, जिनके द्वारा अचल संपत्ति जिससे वे जुड़ी हुई हैं, से स्थायी लाभकारी उपभोग (एंजॉयमेंट) प्राप्त किया जा सकता है। कोई वस्तु पृथ्वी से जुड़ी तभी कही जायेगी जब किसी न किसी प्रकार से उसका स्थायी लाभकारी उपभोग किया जा सके। दरवाजे, खिड़कियां, शटर आदि कुछ उदाहरण हैं जो इस श्रेणी में आते हैं। ये इसके अंतर्गत इसलिए आते हैं क्योंकि ये घर से जुड़े होते हैं। इन चीजों का अपना कोई अस्तित्व या अर्थ नहीं है। घर न हो तो दरवाजा किस काम का? हालांकि, यह समझना महत्वपूर्ण है कि इन चीजों को स्थायी निर्धारण के इरादे से जोड़ा जाना चाहिए। हालांकि, पंखे, एसी, खिड़की ढकने वाले परदे, आदि को अचल संपत्ति नहीं माना जाएगा, भले ही वे घर से जुड़े हों। 

इस प्रकार दो सबसे महत्वपूर्ण चीजें जिन्हें इस तथ्य से निपटने के लिए स्थापित करने की आवश्यकता है कि क्या कोई चीज इस श्रेणी के अंतर्गत आती है या नहीं;

  • वस्तु को स्थायी जुड़ा होना चाहिए; और  
  • जिस चीज से यह जुड़ा है, उसके लाभकारी उपभोग का अनुभव करने के लिए इसे जोड़ा जाना चाहिए। 

अपवाद 

जैसा कि ऊपर चर्चा की गई है, पेड़, झाड़ियाँ, जड़ी-बूटियाँ और पौधे अचल संपत्ति के दायरे में आते हैं। हालाँकि, ऐसे मामलों में जहाँ ऐसे पेड़, झाड़ियाँ और जड़ी-बूटियाँ खड़ा काष्ठ, फ़सल और घास के तहत आती हैं, वे चल संपत्ति हैं। 

उपरोक्त मामले में ‘खड़ा काष्ठ’ शब्द में वे पेड़ शामिल हैं जिनकी लकड़ी का उपयोग इमारतों, घरों या किसी अन्य बुनियादी ढांचे को विकसित करने, जहाज, पुल आदि बनाने के लिए किया जाता है। अंग्रेजी कानून में इस श्रेणी के तहत ओक, राख या एल्म के पेड़ शामिल हैं। भारत में नीम, बबूल, शीशम, सागौन या बांस जैसे पेड़ों को खड़ा काष्ठ माना जाता है। हालाँकि, आमतौर पर, फल देने वाले पेड़ एक अलग पद पर खड़े होते हैं। ये खड़ा काष्ठ की श्रेणी में नहीं आते हैं। उदाहरण के लिए, महुआ, आम, कटहल, जामुन के पेड़ आदि को खड़ा काष्ठ नहीं माना जाता है। कारण यह है कि वे उनके फल का उपयोग करने के इरादे से उगाए जाते है, न कि उन्हें काटने और बाद में निर्माण या लकड़ी के रूप में उपयोग करने के इरादे से। यदि उनका इरादा अन्यथा होता, तो इसे अचल संपत्ति माना जाएगा। चूंकि खड़ा काष्ठ अचल संपत्ति नहीं है, इसलिए इससे संबंधित दस्तावेज के पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है।

जैसा कि ऊपर कहा गया है, फसलें भी अचल संपत्ति की श्रेणी में नहीं आती हैं। इस संबंध में ‘फसल’ शब्द का अर्थ मुख्य रूप से भोजन के लिए उगाए जाने वाले पौधे से है; इसमें सभी फलों के पौधे, फलों के पत्ते, छाल या जड़ें आदि शामिल हैं। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ये फसलें चल हैं। 

तीसरा अपवाद घास है। इसमें सभी छोटे पौधे होते हैं जिनमें लंबे पत्ते होते हैं। ये चल संपत्तियां हैं, भले ही इन्हें काटा गया हो या नहीं। घास का मुख्य उपयोग चारे के लिए होता है। 

चल संपत्ति और अचल संपत्ति के बीच अंतर 

सामान्य नियम के अनुसार, भूमि का एक निर्धारित या निर्दिष्ट भाग, या उस भूमि से उत्पन्न होने वाले लाभ, जमीन से जुड़ी चीजों के साथ, अचल संपत्ति के दायरे में आते हैं, जबकि खड़ा काष्ठ, घास, फसलें, स्टॉक, शेयर या कोई अन्य संपत्ति जो एक व्यक्ति के पास है, और जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में सक्षम है चल संपत्ति में शामिल है। 

बैजनाथ बनाम रामाधन और अन्य (1962) के मामले में में यह माना गया कि पेड़ लगाते समय मालिक की मंशा स्पष्ट करती है कि पेड़ को खड़ा काष्ठ माना जाएगा या नहीं। कपूर कंस्ट्रक्शन बनाम लीला नागराज व अन्य (2005) के मामले में, यह माना गया था कि तीन कारक, अर्थात्, इरादा, जोड़ने का तरीका और जोड़ने की डिग्री, यह निर्धारित करते हैं कि संपत्ति चल है या अचल है। 

यह ध्यान रखना उचित है कि उपरोक्त दोनों के बीच अंतर करते समय, पहली बात यह मानी जाती है कि चल संपत्ति को उसके आकार, रंग या उपस्थिति में परिवर्तन किए बिना उसकी स्थिति से स्थानांतरित किया जा सकता है। अचल संपत्ति के मामले में ऐसा नहीं है। अचल संपत्ति को स्थानांतरित करने का कोई भी प्रयास संपत्ति को प्रभावित कर सकता है। 

गिरवी रखी गई संपत्ति का विक्रय विलेख (सेल डीड), पूजा का अधिकार, वचन पत्र, मशीनरी का एक हिस्सा या पूरी मशीनरी, भरण पोषण या किसी भी भत्ता, रॉयल्टी, सोना या किसी भी आभूषण की वसूली का अधिकार, जो किसी व्यक्ति के नाम पर है, ये सभी चल संपत्ति की श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। फैक्ट्री, नौका चलाने का अधिकार, मत्स्य पालन, कटाई, किराया वसूलने का अधिकार, पट्टे पर दी गई संपत्ति में प्रत्यावर्तन (रिवर्जन), किसी के स्वामित्व में उगाए गए पेड़ों के फलों को इकट्ठा करने का अधिकार, आदि अचल संपत्ति के कुछ उदाहरण हैं।

यदि कोई वस्तु या उसका एक हिस्सा भी पृथ्वी से जुड़ा हुआ है और गहराई में जाता है, तो उसे अचल संपत्ति माना जाता है। हालाँकि, यदि कोई वस्तु अपने वजन के बल पर पृथ्वी पर पड़ी है, तो उसे चल संपत्ति माना जाता है। स्थानांतरण के प्रावधान पर विचार करते हुए अचल संपत्ति में पंजीकरण आवश्यक है, लेकिन चल संपत्ति में ऐसा नहीं है।

महत्वपूर्ण निर्णय 

जगदीश बनाम मंगल पांडे (1985)

मामले के तथ्य

इस मामले में, प्रतिवादी ने एक डिक्री के निष्पादन (एग्जिक्यूशन) के संबंध में चिंगी और उसके बेटे के खिलाफ पैसा वसूलने के लिए वाद (सूट) दायर किया। इस मामले में, आधे हिस्से में कृषि भूमि शामिल थी जिसमें जमीन से जुड़े पेड़ और बांस के टुकड़े शामिल थे। निचली अदालत द्वारा डिक्री पारित की गई थी और पेड़ों और बांस के टुकड़ों को चल संपत्ति मानते हुए निष्पादन भी हुआ था। इन पेड़ों और खड़ा काष्ठ को नीलामी के लिए रखा गया था, जिसे बाद में प्रतिवादी ने खरीद लिया। वादी ने इस नीलामी पर आपत्ति जताई और कहा कि उनकी जानकारी के बिना इसे बेचा नहीं जा सकता था। खरीदार इन पेड़ों और बांस को काटने की कोशिश कर रहा था।

न्यायालय के समक्ष मुद्दा

अदालत के सामने तय करने वाला सवाल यह था कि इन पेड़ों और बांस के टुकड़ों को अचल संपत्ति माना जाएगा या चल संपत्ति।

निर्णय और अवलोकन

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि यह निर्धारित करने के लिए कि कोई संपत्ति अचल या चल संपत्ति की श्रेणी में आएगी, प्रकृति और इरादे को पहले ध्यान में रखा जाना चाहिए। पेड़ों के मामले में सबसे पहले पेड़ की प्रकृति और काटने के इरादे पर विचार किया जाएगा। यदि इरादा, उसे भूमि से लगा रहने देना है तो उसे अचल सम्पत्ति माना जाएगा और यदि इरादा उसे काटने का हो तो उसे चल सम्पत्ति माना जाएगा।

उड़ीसा राज्य बनाम टीटागढ़ पेपर मिल्स कंपनी लिमिटेड

मामले के तथ्य

उड़ीसा राज्य बनाम टीटागढ़ पेपर मिल्स कंपनी लिमिटेड के मामले में, उड़ीसा बिक्री कर अधिनियम, 1917 की धारा 3B के तहत, सरकार द्वारा जारी अधिसूचना (नोटिफिकेशन) के संबंध में एक विवाद उत्पन्न हुआ, जहां उड़ीसा सरकार ने कहा कि खड़े पेड़ और बांस, खरीद के टर्नओवर पर कराधान के लिए उत्तरदायी हैं। लकड़ी और बांस की बिक्री के लिए राज्य के साथ अनुबंध करने वाले व्यक्तियों द्वारा कई रिट याचिकाएं दायर की गई थीं। याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय के समक्ष तर्क दिया कि अनुबंध के संबंध में विषय सामग्री की बिक्री या खरीद नहीं बल्कि अचल संपत्ति के पट्टे के लिए था। इस प्रकार, ऐसे मामले में भुगतान की गई रॉयल्टी बिक्री या खरीद कर के तहत कराधान के लिए उत्तरदायी नहीं है।

न्यायालय के समक्ष मुद्दा

अदालत को यह तय करना था कि क्या उपरोक्त पेड़ और बांस जमीन से होने वाले लाभ की श्रेणी में आएंगे।

निर्णय और अवलोकन

सर्वोच्च न्यायालय ने प्रतिवादियों के पक्ष में पुष्टि करते हुए कहा कि “कागज के निर्माण के लिए वन क्षेत्रों से बांस को काटना, प्राप्त करना और हटाना” भूमि से उत्पन्न होने वाले लाभों की श्रेणी में आता है। इस प्रकार, यह अचल संपत्ति में हित के बराबर है।

निष्कर्ष 

संपत्ति की अवधारणा सैकड़ों और हजारों वर्षों से अस्तित्व में है, और इसने इसके अर्थ, प्रकृति और दायरे में भारी विकास देखा है। इस लेख में जिस संपत्ति पर ध्यान केंद्रित किया गया है, उसे दो उपशीर्षों अर्थात् चल और अचल संपत्ति में विभाजित किया गया है। संपत्ति की दोनों श्रेणियों में मालिक के कुछ अधिकार और कर्तव्य शामिल हैं, जैसा कि भारतीय क़ानून के तहत कहा गया है। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि स्थाई रूप से जोड़ने के इरादे से जमीन से जुड़ी हर चीज अचल संपत्ति के दायरे में आती है। इसके अलावा बाकी सब चल संपत्ति की श्रेणी में आता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) 

अचल संपत्ति के संदर्भ में जोड़ने की डिग्री और जोड़ने के उद्देश्य का क्या मतलब है?

जोड़ने की डिग्री और जोड़ने के उद्देश्य आम तौर पर आधार या एक परीक्षण है जिसके आधार पर यह तय किया जाता है कि क्या वस्तु ‘पृथ्वी में निविष्ट चीजों’ की श्रेणी में आती है। ये दोनों विचार करने के लिए महत्वपूर्ण तत्व हैं। जोड़ने की डिग्री या तरीके में, इसका अर्थ है कि भूमि से ऐसी किसी संपत्ति को हटाने से भूमि को कोई नुकसान नहीं होगा। जोड़ने का उद्देश्य संबंधित संपत्ति के स्थायी उपयोग को दर्शाता है। इस प्रकार, यदि वस्तु स्थायी उपयोग के लिए है, तो इसे अचल संपत्ति भी कहा जाता है। 

क्या मोचन (रिडेंप्शन) की इक्विटी अचल संपत्ति की श्रेणी में आती है?

सूरज प्रसाद बनाम माउंट अगुता देवी और अन्य (1958) के मामले में, यह माना गया था कि मोचन की साधारण गिरवी रखी इक्विटी मूर्त अचल संपत्ति की श्रेणी में आएगी। इसी तरह, गिरवी रखी गई संपत्ति में गिरवी रखने वाले का हित अचल संपत्ति की परिभाषा के अंतर्गत आता है।

संदर्भ 

  • Dr T. P Tripathi, The Transfer of Property Act, 1882, 5th edition, 2019.

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