यह लेख Namrata ने लिखा है, जो लॉसिखो. कॉम से इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी, मीडिया और एंटरटेनमेंट कानूनों में डिप्लोमा कर रही हैं। इस लेख में लेखक किसी वेब सीरीज को कॉपीराइट करने के महत्त्व और उसे कॉपीराइट करने के तरीके के बारे में बताते हैं। इस लिख का अनुवाद Divyansha Saluja द्वारा किया गया है।
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परिचय (इंट्रोडक्शन)
ऑनलाइन प्रकाशित (पब्लिश) होने वाली सभी सामग्री कॉपीराइट की आड़ में सुरक्षित (प्रोटेक्टेड) होती है, भले ही उसमें कॉपीराइट का प्रतीक (सिंबल) मौजूद हो या नहीं। यह डिजिटल मिलेनियम कॉपीराइट एक्ट (डी.एम.सी.ए.) के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। कॉपीराइट एक्ट द्वारा सुरक्षित सामग्री डिजिटल, मीडिया या प्रिंट किसी भी रूप में हो सकती है और इन सभी को सुरक्षा प्रदान की जाती है। इसके अलावा, एक महत्वपूर्ण पहलू जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए वह यह है कि कॉपीराइट उल्लंघन (इनफ्रिंजमेंट) की रोकथाम (प्रिवेंशन) करने के लिए लगातार चौकसी (वॉचफुलनेस) बरतने की आवश्यकता है; इस हद तक कि किसी व्यक्ति के स्वयं के कार्य का दो अलग-अलग स्थानों पर उपयोग किया जा रहा है और अनजाने में उनमें से किसी एक को चोरी करना कॉपीराइट का उल्लंघन माना जाएगा। यह लेख पाठकों का ध्यान, वेब सीरीज को कॉपीराइट करने की अवधारणा (कांसेप्ट), उस की आवश्यकता और विभिन्न माध्यम (मींस) जिससे वह प्राप्त किया जा सकता है, पर आकर्षित करता है। लेख विभिन्न उदाहरणों पर भी प्रकाश डालता है जहां हाल के दिनों में वेब सीरीज में कॉपीराइट उल्लंघन के संबंध में कई विवाद हुए हैं।
कॉपीराइट के माध्यम से वेब-सीरीज की सुरक्षा: यह महत्वपूर्ण क्यों है?
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यह एक नॉन-एंटिटी को लाभ कमाने में सक्षम (इनेबल) बनाता है
कॉपीराइट, ऑनलाइन सामग्री की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह किसी व्यक्ति को उसके द्वारा किए कार्य पर कानूनी स्वामित्व (ऑनरशिप) प्रदान करता है। यह ऐसे काम के लेखक या कलाकार को उस तरीके पर नियंत्रण (कंट्रोल) रखने में सक्षम बनाता है, जिसमें उनके काम का उपयोग किया जा रहा है। ऑनलाइन सामग्री को आसानी से निर्माता (क्रिएटर) से चुराया जा सकता है और किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उपयोग में लाया जा सकता है, और लाभ उस व्यक्ति द्वारा प्राप्त किया जा सकता है जिसने ऐसी सामग्री बनाने का प्रयास नहीं किया हो। इसलिए, कॉपीराइट की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण पहलू है, और ऐसी सामग्री के निर्माता पर यह सुनिश्चित (इंश्योर) करने के लिए कर्तव्य (ड्यूटी) डाला जाता है कि दूसरों द्वारा ऐसी सामग्री का कोई अनुचित (अनड्यू) उपयोग ना किया जाए।
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कॉपीराइट उल्लंघन के खिलाफ ऑनलाइन सुरक्षा
ऊपर बताई गई अवधारणा के अनुरूप (इन लाइन) होने के कारण, ऐसे कई उदाहरण हैं जिनमें संगीत डाउनलोड, फाइल शेयरिंग और होस्टिंग साइट्स आदि, सहित कई स्रोतों (सोर्सेज) के खिलाफ कॉपीराइट मामले उठाए गए हैं। इसलिए बाद में होने वाले विवादों से बचने के लिए, यह सलाह दी जाती है की आवश्यक कदम उठाए जाएं और काम को सुरक्षित रखा जाए।
वेब सीरीज का कॉपीराइट कैसे करें?
सामान्य अर्थ में कहें तो, कॉपीराइट कानूनों को जटिल (कॉम्प्लिकेटेड) और पेचीदा (टैंगल्ड) कहा जा सकता है। इसलिए, यदि कोई परेशानी में नहीं पड़ना चाहता है, तो उसके लिए कॉपीराइट उल्लंघन का पता लगाना और अपराधी के खिलाफ सक्रिय (प्रोएक्टिव) रूप से काम करना उचित होगा; वास्तव में ऐसा करने से प्रयास और समय की बचत होगी। कॉपीराइट की सुरक्षा के लिए जिन विभिन्न तरीकों को अपनाया जा सकता है, उन पर नीचे चर्चा की गई है:
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वेब सीरीज के कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन द्वारा-
फिल्मों, वेब सीरीज, संगीत आदि में निर्माता के काम की रक्षा के लिए कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन अत्यधिक (एब्सोल्यूट) आवश्यक होता है। एक बार कॉपीराइट एक्ट के तहत काम रजिस्टर होने के बाद, इस तरह के काम के निर्माता को क्रेडिट का भुगतान किए बिना, अनधिकृत (अनऑथोराइज) रूप से इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है।
वेब सीरीज के निर्माता, कॉपीराइट ऑफिस या कॉपीराइट एक्ट के साथ अपने कार्य को रजिस्टर करवा सकते हैं। इससे कॉपीराइट के लिए यह स्पष्ट (क्लियर) हो जाएगा कि सामग्री की कॉपी नहीं बनाई जा सकती है। रजिस्ट्रेशन, कार्य को इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी बनाकर उसे कानूनी दर्जा देता है और ऐसे कार्य पर केवल निर्माता का ही पूर्ण अधिकार होता है। यह आगे रचनात्मकता (क्रिएटिविटी) को चोरी होने या नकल होने से सुरक्षा प्रदान करता है।
कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन के पीछे मुख्य उद्देश्य (द प्राइम ऑब्जेक्टिव बिहाइंड द कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन)
कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन के पीछे मुख्य उद्देश्य विभिन्न लेखकों, संगीतकारों और कंपोजर्स को नया काम बनाने के लिए प्रेरित करना है, इस तरह के काम पर सीमित समय के लिए विशेष अधिकार दिए जाते हैं और वह मौद्रिक (मॉनेटरी) लाभ कमाने के लिए काम को पेश कर सकते हैं। एक बार जब कॉपीराइट की अवधि समाप्त हो जाती है, तो ऐसा कार्य सार्वजनिक डोमेन से संबंधित हो जाता है और कोई भी ऐसे कार्य का उपयोग कर सकता है।
कॉपीराइट, इसके अलावा एक पेटेंट की तरह भी कार्य करता है जिसके द्वारा एकाधिकार (मोनोपोली) क्रिएटर को दिया जाता है और अन्य लोगों को इसका उपयोग करने से प्रतिबंधित (रेस्ट्रिक्ट) किया जाता है। एकाधिकार को अपने आप में सटीक (प्रिसाइज) और उद्देश्यपूर्ण (ऑब्जेक्टिव) माना जाता है और यह मुख्य रूप से किसी तीसरे पक्ष को ऐसे काम के अनुचित (अनफेयर) उपयोग से रोकता है। हालांकि, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसी शक्ति को जबरदस्ती और अत्याचार (एक्जेक्शन) का साधन बनाकर अनुचित तरीके से इस तरह के अधिकार या शक्ति का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
कॉपीराइट रजिस्ट्रार का मुख्य उद्देश्य
कॉपीराइट रजिस्ट्रार का मुख्य उद्देश्य ऑफिस ऑफ़ रिकॉर्ड के रूप में कार्य करना है। कॉपीराइट रजिस्ट्रार के पास, दस्तावेज़ दर्ज किए जाते हैं और आवश्यक कॉपीराइट रजिस्टर किया जाता है। कॉपीराइट रजिस्ट्रार का मुख्य उद्देश्य उन प्रक्रियाओं (प्रोसिजर्स) के बारे में जानकारी प्रदान करना है जो रजिस्ट्रेशन करने के लिए आवश्यक हैं; यह कॉपीराइट के कई प्रावधानों (प्रोविजंस) के बारे में भी जानकारी देता है। अंत में, कॉपीराइट रजिस्ट्रार, कॉपीराइट ऑफिस के संचालन (ऑपरेशन) और प्रथाओं के बारे में एक स्पष्टीकरण (एक्सप्लेनेशन) भी प्रदान करता है।
कॉपीराइट एक्ट की धारा 13(a) वेब सीरीज को कॉपीराइट योग्य बनाती है
कॉपीराइट एक्ट की धारा 13(a) में निम्नलिखित कहा गया है:
इस धारा के प्रावधानों और इस एक्ट के अन्य प्रावधानों के अधीन, कॉपीराइट निम्नलिखित वर्गों (क्लासेस) के कार्यों में पूरे भारत में मौजूद रहेगा, जो इस प्रकार हैं-
- मूल साहित्यिक (लिटरेरी), नाटकीय (ड्रामेटिक), संगीतमय और कलात्मक (आर्टिस्टिक) कार्यों,
- सिनेमैटोग्राफ फिल्में, और
- साउंड रिकॉर्डिंग
चूंकि वेब सीरीज नाटकीय कार्यों के अंदर आती है, इसलिए यह कॉपीराइट के अधीन होगी और इसलिए, इसे कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन प्राप्त करके सुरक्षा प्रदान की जाती है।
किसी वेब सीरीज या किसी कार्य को कॉपीराइट करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया
किसी वेब सीरीज के कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया या उससे संबंधित कोई भी कार्य निम्नलिखित खंड (सेगमेंट) में समझाया जाएगा:
- एक कॉपीराइट आवेदन (एप्लीकेशन) निर्धारित (प्रेस्क्राइब्ड) शुल्क के साथ दायर किया जाना चाहिए।
- एक बार रजिस्ट्रेशन स्वीकार हो जाने के बाद कोई इशू डायरी जारी नही की जाएगी।
- 30 दिनों की अनिवार्य शीतलन (कूलिंग) अवधि जारी रहेगी।
- 30 दिनों की अवधि के बाद, परीक्षक (एग्जामिनर) द्वारा एक जांच की जाएगी।
- एक बार जांच होने के बाद, एक डिस्क्रेपेंसी क्लियरेंस लेटर भेजा जाएगा।
- इसके बाद, डिस्क्रेपेंसी को दूर किया जाता है।
- डेप्युटी रजिस्ट्रार, रजिस्ट्रेशन को मंजूरी देता है।
- एक बार रजिस्ट्रेशन स्वीकृत होने के बाद, सर्टिफिकेट स्पीड पोस्ट के माध्यम से भेजा जाता है।
- एक बार सर्टिफिकेट भेज दिए जाने के बाद, प्रक्रिया को पूरा माना जाएगा और कॉपीराइट की अवधि 30 दिनों की अवधि तक चलेगी।
भारतीय वेब सीरीज में विवादों के हालिया उदाहरण (रीसेंट इंस्टेंसेस ऑफ़ कॉन्ट्रोवर्सीज इन इंडियन वेब सीरीज)
हाल के दिनों में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के बढ़ने के साथ, शो और वेब सीरीज को प्राथमिकता (प्रेफरेंस) दी गई है जो सबसे ऊपर जारी किए गए थे और हाल के दिनों में विवादों में आ गए हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं जहां मामलों को सुलझाने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट को हस्तक्षेप (इंटरफेयर) करना पड़ा। ऐसे कुछ उदाहरणों पर नीचे चर्चा की गई है:
1. ‘बेताल’ कॉपीराइट उल्लंघन मामले में इंटरिम इनजंक्शन से इनकार
‘वेताल’ नाम की एक अन्य वेब सीरीज के लेखक ने ‘बेताल’ की रिलीज़ को रोकने के लिए इंटरिम इनजंक्शन की मांग करने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें कहा गया था कि इसने वेब सीरीज के रूप में उनके कॉपीराइट का उल्लंघन किया है क्योंकि ‘वेताल’ की सीरीज उनके काम से काफी मिलती-जुलती थी। चूंकि वादी (प्लेंटिफ) अपनी दलीलों को साबित करने के लिए उचित सबूत नहीं दे सका, इसलिए बॉम्बे हाई कोर्ट ने इंटरिम इनजंक्शन की मांग को खारिज कर दिया और एक आदेश पास किया जिसमें कहा गया था कि वेब सीरीज की रिलीज पर कोई रोक नहीं होगी।
2. मिर्जापुर 2 और विवाद जिसने हलचल मचा दी
एमेजॉन प्राइम ओरिजनल की सीरीज, मिर्जापुर के सीज़न 2 ने विवाद को जन्म दिया था क्योंकि वेब सीरीज में एक दृश्य (सीन) दिखाया गया था जहां एक किरदार को ‘धब्बा’ नामक पुस्तक का जिक्र करते देखा गया था। पुस्तक के लेखक सुरेंद्र मोहन पाठक ने मिर्जापुर 2 में पुस्तक के उपयोग पर कड़ी आपत्ति (ऑब्जेक्शन) जताई थी। उन्होंने आगे कहा कि दृश्यों के साथ आने वाली आवाज उनके काम को गलत तरीके से प्रस्तुत करती है। लेखक ने आगे यह भी दावा किया कि पूरे सीज़न 2 को उनके उपन्यास ‘धब्बा’ से एक अंश (एक्सर्प्ट) के रूप में दिखाया गया है। इस पर प्रतिक्रिया (रिस्पॉन्स) के रूप में, शो के निर्माता एक्सेल एंटरटेनमेंट ने लेखक से माफी मांगी और कथित तौर पर इस दृश्य को वेब सीरीज से हटा दिया गया।
3. ओ.टी.टी. प्लेटफॉर्म पर जारी ‘लूटकेस’ पर इंटरिम इनजंक्शन का दावा
हाल ही में हॉटस्टार डिज्नी+ पर फिल्म ‘लूटकेस’ रिलीज हुई थी जिसे दर्शकों से सकारात्मक (पॉजिटिव) प्रतिक्रिया मिली थी। लेकिन, इसकी रिलीज से ठीक एक दिन पहले वादी द्वारा फिल्म की रिलीज को रोकने के लिए एक इंटरिम इनजंक्शन मांगा गया था, श्री विनय वत्स द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष इनजंक्शन मांगा गया था। वादी ने दावा किया कि फिल्म का ट्रेलर 2011 में उनके द्वारा जारी किए गए ट्रेलर के समान था। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मांग को यह बताते हुए खारिज कर दिया की यह अंतिम मिनट का इनजंक्शन था और यह तर्क दिया कि कॉपीराइट सुरक्षा केवल फिल्म के ट्रेलर के आधार पर बनाई गई थी।
कॉपीराइट का उल्लंघन और इसके कई निहितार्थ (इंफ्रिंजमेंट ऑफ़ कॉपीराइट एंड इट्स न्यूमरस इंप्लीकेशंस)
कॉपीराइट उल्लंघन के परिणामों को समझने के लिए, यह समझना महत्वपूर्ण है कि कॉपीराइट उल्लंघन क्या है- जब भी कॉपीराइट किए गए कार्य का वितरण (डिस्ट्रीब्यूशन), पुनरुत्पादन (रिप्रोडक्शन), सार्वजनिक प्रदर्शन (डिस्प्ले) या प्रदर्शन, उसके मालिक की अनुमति के बिना होता है, तो ऐसे कार्य को कॉपीराइट उल्लंघन कहा जा सकता है। ध्यान देने योग्य एक महत्वपूर्ण बात यह है कि दर्शकों के बीच एक बड़ी गलत धारणा (मिसकंसेप्शं) मौजूद है कि ऑनलाइन काम का स्वतंत्र रूप से उपयोग किया जा सकता है और वह कॉपीराइट द्वारा सुरक्षित नहीं है। लेकिन, यह असत्य है और ऑनलाइन सामग्री भी कॉपीराइट द्वारा सुरक्षित है। इसलिए, यदि कोई मालिक की अनुमति के बिना किसी वेब सीरीज या उसके हिस्से का उपयोग करता है, तो ऐसा कार्य कॉपीराइट उल्लंघन के बराबर है।
कॉपीराइट उल्लंघन के कानूनी प्रभाव (द लीगल रेमिफिकेशंस ऑफ़ कॉपीराइट इनफ्रिंजमेंट)
जब भी कोई निर्माता कॉपीराइट मालिक के अनन्य (एक्सक्लूसिव) अधिकारों का उल्लंघन करने के लिए दोषी पाया जाता है जो उसे प्रदान किए गए हैं, तो ऐसे व्यक्ति को नुकसान के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा। कॉपीराइट उल्लंघन होने के लिए तीन चीजें संतुष्ट होनी चाहिए, वे हैं:
- एक वैध (वैलिड) कॉपीराइट, कॉपीराइट के मालिक के कब्जे में होना चाहिए।
- कॉपीराइट योग्य कार्य तक एक्सेस उस व्यक्ति द्वारा स्थापित (एस्टेब्लिश) की जानी चाहिए जो ऐसे कार्य का उल्लंघन कर रहा है।
- होने वाले कार्य का दोहराव (डुप्लीकेशन) कुछ अपवादों (एक्सेप्शंस) से बाहर होना चाहिए जिसमें आमने-सामने निर्देश (इंस्ट्रक्शंस), वर्चुअल निर्देश और उचित उपयोग आदि शामिल हैं।
जब भी किसी वेब सीरीज के निर्माता को कॉपीराइट उल्लंघन का दोषी पाया जाता है, तो ऐसे निर्माता को हर्जाना (डेमेजिस) देना होता है। इसके अलावा, उल्लंघन करने वाला, वकील की फीस और कोर्ट फीस का भुगतान करने के लिए भी जिम्मेदार होता है। उस व्यक्ति पर भार डाला जाता है जो नुकसान के लिए हर्जाने का दावा कर रहा है और उसी के अनुसार उसे पूरा किया जाता है।
निष्कर्ष (कंक्लूज़न)
वेब सीरीज को कॉपीराइट के तहत रजिस्टर कर सुरक्षा प्रदान की जा सकती है। इसे प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रावधान दिए गए हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि इस तरह के काम के निर्माताओं को सही तरह की सुरक्षा प्रदान की जाए और इस तरह के काम को तीसरे पक्ष द्वारा दुरुपयोग से बचाया जा सके। जब भी इस तरह के काम का दुरुपयोग होता है, कॉपीराइट उल्लंघन की आड़ में इस तरह के काम के निर्माण के लिए मुआवजा (कंपनसेशन) प्रदान किया जाता है। इस तरह का विकास इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी से संबंधित कानून के बढ़ते महत्व में सफलता लाता है, यहां तक कि उनसे संबंधित कानूनों को भी मजबूत बनाया जाता है और उनके उद्देश्य की पूर्ति भी होती है।