फ्रेंच फैशन कानून

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यह लेख Shivani Garg द्वारा लिखा गया है जो लॉसीखो  से इंटरनेशनल बिज़नेस लॉ में डिप्लोमा  कर रही हैं।  इस लेख में हम फ्रांस द्वारा बनाये गए नए कानून और उससे होने वाले फायदे, नुकसान पर चर्चा करेंगे। इस लेख का अनुवाद Harshita Ranjan ने किया है। 

परिचय (इंट्रोडक्शन)

फ्रांस के लोगों का यह इतिहास रहा है कि वे विश्व में हर जगह अपनी छाप छोड़ जाते हैं चाहे बात खाने की हो, कलाकारी की हो, या फैशन जगत की हो, ऐसा कुछ नहीं है जो उनसे अछूता रह गया हो।  छाप छोड़ने की बात कहना फ्रांस के लिए काफी छोटी बात हो जाएगी क्योंकि पिछली कई सदियों में हर एक क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण बदलाव आएं हैं जिसे अधिकतर देश देख भी नहीं पाते। इतना ही नहीं, फ्रांस द्वारा हाल-फिलहाल में लायी गयी क्रांति तो सोच से भी परे है।  खाने की बर्बादी पर रोक लगाने से लेकर बचे कपड़ों को सही तरीके से फेकने तक, किसी भी कीमत पर पर्यावरण के विनाश को रोकने का लक्ष्य लेकर चलने वाला पहला देश बन गया।  यह सब नए बनाये गए फ्रेंच विधान (लेजिस्लेशन), कचरे के विरुद्ध लड़ाई के लिए बनाये गए नए विधेयक (बिल) और परिपत्र अर्थव्यवस्था (सर्कुलर इकॉनमी) के आने की वजह से मुमकिन हो पाया है। इन सब बदलावों को लाने के पीछे जो व्यक्ति जिम्मेदार है वह पारिस्थितिक संक्रमण मंत्रालय के सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट ब्रुन पॉइरसन हैं जिन्हें अब फ्रांस फैशन का अनौपचारिक (अनऑफिशियल) मंत्री घोषित कर दिया गया है। उनके विश्लेषण में एक चौकानें वाली बात का खुलासा हुआ कि फैशन इंडस्ट्री उतना ही प्रदूषण फैलाता है जितना की कोई तेल या गैस इंडस्ट्री लेकिन फिर भी फैशन इंडस्ट्री ने इस मामले में किसी का ध्यान अपनी ओर नहीं खींचा है 

बड़े-बड़े ब्रांड्स जैसे बरबरी, एच एंड एम, और लुई वटोन की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार तैयार माल (फिनिश्ड गुड्स) को ख़त्म करने की बढ़ती कीमत ने पर्यावरण के लिए चिंताजनक स्थिति पैदा कर दी है। क्या आपको पता है यह ब्रांड्स अपने नहीं बिके हुए सामानों को क्यूँ ख़त्म कर देते हैं।  यकीनन, नहीं बिके सामानों को ख़त्म करने के पीछे दो वजह है।  पहला अनुमान लगाना आसान है, ब्रांड के अपने पहचान को बचाने के लिए। हाँ! पुरे विश्व पर प्रभाव केवल इसीलिए पड़ा है क्यूंकि यह ब्रांड्स अपने ब्रांड की पहचान को किसी भी अन्य वस्तु से अधिक प्राथमिकता देते हैं। जापान के फैशन डिज़ाइनर केन्ज़ो तकादा के अनुसार फ्रांस में रहना, सबके सामने प्रकाश में आने के लायक है। वे कहती हैं, “फैशन खाने की तरह होता है, एक ही मेनू पर हमेशा नहीं रहना चाहिए”। आप यह ज़रूर सोच रहे होंगे कि क्या कंपनी को इन सामानों को ख़त्म करने में कोई मुनाफा है? तब यहाँ हम बात करेंगे दूसरे और सबसे मत्वपूर्ण कारण के बारे में कि क्यूँ कंपनियां अपना सामान बिना बेचे और बिना उपयोग में लाये ख़त्म कर देती हैं- संयुक्त राज्य सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा कार्यक्रम (यु एस कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन प्रोग्राम) के अनुसार,”अगर आयातित (इम्पोर्टेड) व्यापार (मरचैंडाइस) उपयोग नहीं किये जाते हैं और सीमा शुल्क (कस्टम्स) के देखरेख में निर्यात या ख़त्म कर दिए जाते हैं, तब व्यापार के आयात पर खर्च किये गए शुल्क, टैक्स और फीस का 99% कमी (ड्रॉबैक) के तौर पर वापस आ सकता है। ” और इस तरह अंकित मूल्य (फेस वैल्यू ) और पैसे वापस आ जाते हैं। 

क्यूंकि ब्रांड द्वारा बिक्री के योग्य (मार्केटेबल) वस्तुओं का खातमा संबंधी विषय पहले से ही फ्रांस के लोगों के बीच चलन में था और 2017-18  के डाटा के बाहर आने के बाद बहुत सारे ब्रांड्स इसकी चपेट में आ गए थे, इसीलिए विधेयक में बिना बिक्री वाले सामानों पर रोक की लड़ाई के साथ खाने की बर्बादी पर रोक के भी बात को शामिल किया गया।  चलिए इस नए फ्रेंच फैशन कानून के बारे में और बात करते हैं जो आने वाले समय में पूरे विश्व के वस्त्र उद्योग (टेक्सटाइल इंडस्ट्री) की तस्वीर बदल कर रख देगा। 

वस्त्र संबंधीपर्यावरण कानून (एन्वायरनमेंटल लॉज़) 

फ्रांस पर्यावरण को अत्यंत प्राथमिकता देकर पूरे जोर-शोर से कार्यरत है।  फ्रांस की पर्यावरण मंत्रालय फ्रांस में एक अनिवार्य अंक प्रणाली (स्कोरिंग सिस्टम) बनाना चाहती है जिसके अंतर्गत वस्त्र उद्योग को अपने पर्यावरण प्रेमी होने का प्रमाण देने के लिए A से लेकर E तक की रेटिंग दिखानी होगी।  ये सम्पूर्णतः कैसे योगदान करेगा? ये सब कचरे के खिलाफ और सर्कुलर इकॉनमी लॉ, 2020  के अनुसार किया गया है जिसके तहत अंक प्रणाली पर्यावरण बचाने में पूरे फैशन उद्योग की मदद करेगा।  काफी दिलचस्प है, है न? आप  अपने ग्राहक को सबसे पर्यावरण अनुकूल वस्तु पहचानने दें और उसी अनुसार उन्हें खरीदने दें।  ये सारी कोशिशें सिर्फ फ्रांस के लिए नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र (यूनाइटेड नेशंस) के सतत विकास (सस्टेनेबल डेवेलपमेंट) के लक्ष्य को पूरा करने में भी मदद करेंगी। 

सतत विकास को लेकर संयुक्त राष्ट्र 

2015 में संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक पूरा कर लेने के उद्देश्य से सतत विकास के 17 लक्ष्य बनाये।   उन 17 लक्ष्य में से एक लक्ष्य है ‘जिम्मेदारी से उपभोग (कंज़म्प्शन)और उत्पादन’।  इस ‘जिम्मेदारी से उपभोग (कंज़म्प्शन)और उत्पादन(प्रोडक्शन)’ से हम क्या समझते है? इसका आसान शब्दों में मतलब है सतत उपभोग (सस्टेनेबल कंज़म्प्शन) और उत्पादन पैटर्न (प्रोडक्शन पैटर्न)।  इसे दो तरीके से हासिल किया जा सकता है:

  1. कचरे को कम कर, और 
  2. यह सोचकर खर्च करना कि क्या खरीदना है और जहा तक हो सके टिकाऊ सामान खरीद कर 

सतत विकास को लेकर अन्य विशेष लक्ष्य शामिल किये गए हैं; जैसे पानी बर्बाद, जलवायु क्रिया (क्लाइमेट एक्शन), उद्योग, और नवाचार (इनोवेशन) आदि की रोकथाम।  यह बहुत आश्चर्यजनक है लेकिन वस्त्र उद्योग सतत विकास की मुख्य धारणा को बाधित करते हुए सभी ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में लगभग 10% योगदान करते हैं और वस्त्रों के उत्पादन में भी प्रचूर मात्रा (ह्यूज़ अमाउंट)  में पानी का उपयोग किया जाता है।   

संधारणीयता (सस्टेनेबिलिटी) के मापदंड तक पहुंचने के लिए और संयुक्त राष्ट्र द्वारा हमारे लिए निर्धारित लक्ष्य में योगदान के लिए कुछ कंपनियां लगातार इसपर काम कर रही हैं।  लिवाइज़, एक लोकप्रिय जीन्स ब्रांड, उत्पादन में केमिकल्स और पानी का उपयोग कम कर रही है।  आपको यह जानकार बहुत आश्चर्य होगा कि यह कंपनी असल में अमूमन (नॉर्मल)उत्पादन में उपयोग होने वाले पानी से 96% कम पानी का उपयोग करती है।  फिर, सीज़ान, जो कि महिलाओं के वस्त्रों की फ्रेंच कंपनी है, संभवतः शुन्य मात्रा में कचरे निकालने पर ध्यान देती है।  लेकिन हमें और भी बहुत सारी कम्पनियाँ ऐसी चाहिए जो हरित और सतत पहल के साथ आएं।  अब चलते हैं इससे सम्बंधित फ्रांस के उस नए बनाये गए कानून की तरफ जिसकी सबसे ज्यादा ज़रुरत थी।  

फ्रेंच फैशन की नव विधि (न्यू लॉ ): कचरा विरुद्ध कानून 

“एक हज़ार मील की यात्रा की शुरुआत एक कदम से होती है। ” – लाओ ज़ू

2016 की तरह, फ्रांस ने एक बार फिर पूरी तरह से खाने की बर्बादी को कम करने की ओर ध्यान केंद्रित किया जिसके परिणामस्वरूप बिक्री के समय खाने की बर्बादी को लेकर एक कानून बना जिसे “खाने की बर्बादी का कानून” कहा गया।  उसके तुरंत बाद,  फैशन की बर्बादी को प्रकाशित किया गया।  इस एजेंडा को निष्पादित (एग्जिक्यूट) करने के लिए, फ्रेंच सरकार ने नए परिपत्र अर्थव्यवस्था के नक्शेकदम के हिस्से के रूप में नए नियमों की प्रस्तावना रखी जो कपड़ों के ब्रांड्स और विक्रेताओं को बिके हुए सामानों को अलग करने या ख़त्म करने पर रोक लगाएगी।  वर्ष 2019 में, बिके हुए सामानों को निपटाने (डिस्पोज़ल) संबंधी पॉलिसी लाने वाला फ्रांस विश्व का पहला देश बन गया। 

यह कानून ‘उत्पादन, उपभोग और त्याग’ (प्रोड्यूस, कंज़्यूम और डिस्कार्ड) के मॉडल से एक कदम बढ़कर प्रदर्शित किया गया है।  जब बात बदलाव लाने कि हो तब हम देख सकते हैं कि फ्रांस इस मामले में कितना गंभीर है चाहे यह कदम उनकी अर्थव्यवस्था पर गलत प्रभाव डाल रहा हो।  इस बदलाव को असरदार बनाने के लिए फ्रांस हर तरह से प्रयास कर रहा है।  यह कानून सिर्फ डिज़ाइनर के कपड़ों पर नहीं बल्कि लग्ज़री उत्पादों की कम्पनियाँ, स्वछता के उत्पाद और सौंदर्य-उत्पादों (कॉस्मेटिक्स) के न बिके हुए या उपभोक्ता द्वारा वापस किये गए सामानों के बर्बादी पर भी रोक लगाता है।  यह रोकथाम वर्ष 2023 से लागू होगी।  ऐसे सभी सामान जो न बेचे गए हो या वापस कर दिए गए हो उन्हें फिर से उपयोग में लाया जायेगा, या फिर से बाँटा जायेगा या उसका दूसरे किसी रूप में फिर उपयोग किया जायेगा।  यह कानून ‘पोल्यूटर पेज’ के सिद्धांत को भी लागू करता है जिसके तहत कंपनियों को कचरे की बर्बादी के बदले आर्थिक भुगतान करना पड़ता है।  

फ्रांस किस प्रकार कपड़ों को दोबारा उपयोग में ला रहा है?

जागरूकता ही बदलाव के लिए पहला कदम है।  दूसरा कदम है स्वीकृति।  – नेथेनिअल ब्राण्डेन

पर्यावरण और उससे भी ज्यादा एक सुरक्षित जीवन की इच्छा ने वस्तुओं के दोबारा उपयोग में लाने के लिए विकल्पों की मांग की है।  इस बात में कोई मिथ्या (लाई) नहीं है कि लगभग 60% कपडे कूड़े के ढेर में फेक दिए जाते हैं।  तब उसके बाद क्या होता है? कूड़ेदान में फेके गए कचरे ईको टी एल सी सेक्टर में किसी समिति या कंपनी द्वारा जमा किये जाते हैं।  अब बारी आती है मजदूरी की, जमा किये गए कपड़ों को हाथ से अलग किया जाता है जिसे ऐसे दुकानों को बेच दिया जाता है जहाँ पुराने कपडे मिलते हैं या ऐसी कंपनियों में दे दिया जाता है जहाँ कपड़ों का दोबारा उपयोग किया जाता है।  उसके बाद, वे सारे कपड़े जो पहनने लायक न हों उन्हें ऐसे जगह भेजा जाता है जहाँ उनकी कटाई-छटाई होती है और उन्हें पोछा, प्रतिरोधक उत्पाद (इन्स्युलेटिंग आर्टिकल), नए कपड़े या ऐसे उत्पादों में बदल दिया जाता है जो किसी अन्य उत्पाद के लिए कच्चे माल का काम करे।  फ्रांस के कुछ ऐसे ब्रांड है जो वास्तविकता में पुराने कपड़े को दोबारा इस्तेमाल में लाते हैं जैसे होपाल, मेज़ों ईज़ा इत्यादि।  यह सारे ब्रांड एक उदाहरण हैं अन्य बड़े ब्रांड्स  के लिए कि कुछ भी असंभव नहीं है। 

कैसे यह एक निगमित सामाजिक जिम्मेदारी (कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी) है?

जिम्मेदारियों से तभी तक बचा जा सकता है जब तक आप किसी के प्रति जवाबदेह नहीं हैं।  बिलकुल कुछ ऐसा ही फ्रांस के साथ हुआ जिससे इस देश को अपनी सामाजिक और पर्यावरण संबंधी ज़िम्मेदारियों से बचना बिलकुल असंभव हो गया।  चुनाव के पास आते ही और साथ ही ऐमेज़ॉन  पर दिखाए जा रहे वृत्तचित्र ( डॉक्यूमेंट्री), जिसमें क्रेताओं (कस्टमर्स) द्वारा वापस किये गए सामानों की बर्बादी को दिखाया गया, ने देखते देखते तहलका मचा दिया और  यह एक राजनितिक कार्यसूची (एजेंडा) बन गया।  ऐसा कहा जा सकता है कि कचरे को लेकर बनाये गए कानून वोट इकठ्ठा करने के लिए थे।  अंततः फ्रेंच सरकार के आते ही यह सब एक निगमित सामाजिक ज़िम्मेदारी बन गया।  फ्रांस के मितव्ययी (फ्रूगल) लोग उत्पादन की ज़िम्मेदारी और कचरे कम करने के मामले में नेतृत्व करने के लिए विख्यात (पॉप्युलर)हैं।  परिणामस्वरूप, कचरे कम करने के लिए वह  कानून जो किराना किराना दुकान (ग्रोसरी स्टोर) को प्रभावित करते हैं और वह कानून जो कपड़ों के निर्माताओं को ऐसे उत्पादों के निर्माण के लिए प्रेरित करते  है जो अपने उपयोग के अंतिम अवस्था में हो, लागू किये जा चुके है।  ड्रेस फॉर सक्सेस चैरिटी के कार्यकारी निदेशक (एग्ज़िक्युटिव डाइरेक्टर) फिओनुआला शैनोन, जिन्होंने विश्व भर की अतिसंवेदनशील (वल्नरेबल) औरतों को ऑफिस-मुताबिक कपडे और साक्षात्कार के गुण दिए, समान विचार दिए कि,”सभी संगठनों का यह कर्त्तव्य है कि वह निगमित और सामाजिक जिम्मेदार बने। “

वस्त्र उद्योगों पर कोविड-19 का प्रभाव 

यह छिपी हुई सच्चाई नहीं है कि कोविड-19 ने वस्त्र उद्योग को भारी नुकसान पहुंचाया है।  विश्वभर के फैशन ब्रांड भी समान परिस्थिति का सामना कर रहे हैं जबकि कुछ ब्रांड्स की तो इतनी बुरी हालत हुई कि सारे ब्रांड और उनके सारे दुकानों को बंद करना पड़ा।  विक्टोरिआज़ सीक्रेट, जो औरतों के अंडरगार्मेंट्स का व्यवसाय करती है, उन्ही में से एक ब्रांड हुआ करती थी जिसे अब बंद कर दिया गया है ।  इस वजह से कई सारी महिलाओं के दिल टूट गए।  जहाँ कुछ कपडे डिज़ाइनर्स द्वारा जला दिए गए, वहीँ लग्ज़री कंपनियों का संगठन जैसे फ्रांस में एल वि एच एम और केरिंग के साथ ऐसी स्थिति नहीं थी क्यूंकि 2023 से सभी उपभोक्ता सामानों के अलाव (बॉनफायर) पर प्रतिबन्ध लगाया गया है।  वही एक अच्छी  बात यह है कि व्यवसाय के उतारकाल (फॉलआउट पीरियड) के मध्य में बरबेरी ने ऐसे काल से निदान का समाधान निकालते हुए अपने बचे हुए सामानों पर छूट दी या उसे किसी संस्थान में दान कर दिया या उसे दोबारा उपयोग में लाया, क्यूंकि वर्ष 2018 में इस कंपनी ने भारी नुकसान सहा था।  किसी ने यह सिख ली और बुरे वक्त में तैयार रहा और यह एक उदाहरण के तौर पर सिद्ध हो गया। 

निष्कर्ष (कंक्लूज़न)

इस तथ्य में कोई संदेह नहीं है कि ऐसी पॉलिसी विश्व भर में पर्यावरण की सुरक्षा और संधारणीयता पर बल देगी।  यह कानून लम्बे समय के लिए नुकसानदेह है क्यूंकि टैक्स जैसी चीज़ों को भी ध्यान में रखकर उन कंपनियों के लिए रखा गया जो कपड़ों का दोबारा इस्तेमाल करती हैं और न कि उन कंपनियों के लिए जो कचरे में उन्हें फेक देती हैं।  संधारणीयता को विकास और मुनाफे के साथ लागू करना चाहिए ताकि असल में किसी का कोई नुकसान न हो।  लेकिन यह हम सभी जानते हैं कि ऐसे बदलवा जो लम्बे समय के लिए प्रभाव डालते हैं वो बिना किसी नुकसान के नहीं आते।  जहाँ कोविड के ऐसे समय में ब्रांड की पहचान और उसके बिल के साथ बहुत कम ऐसी कम्पनियाँ है जो अपना बिना किसी नुकसान के दान पुण्य कर पा रही हैं जबकि अन्य कम्पनियाँ तो चाह कर भी ऐसा करने का सोच नहीं पा रहीं। 

कानून निर्माता या उपभोक्ता के दबाव के साथ साथ सारी बिज़नेस मॉडल हीं सवालों के कटघरे में है।  यह अब और काम नहीं करेगा और एक नया नया मॉडल आएगा।  यह  विधेयक स्टार्टअप्स को नयी रफ़्तार देगा क्यूंकि ये ब्रांड्स के सही तरीके से दोबारा इस्तेमाल, और उत्पादों के दान के बचाव में आ रहे हैं।  इसके अलावा, कोण जनता है कि फ्रांस कि तरह हमारे देश में भी फैशन मंत्रालय बनाएगी और सारे विभाग ब्रैंडन द्वारा किये जा रहे बर्बादी पर निगरानी रखेगी।  अगर मैं गलत नहीं हूँ टी आने वाली पीढ़ी ब्रून पॉइरसन को बहुत चीज़ों के लिए धन्यवाद देगी खासकर उनके द्वारा बनाये गए विधेयक के लिए जो मातृभूमि को बचाने में बहुत बड़ा योगदान देगी और ऐसे मुद्दे पर काम करने के लिए जिसे बहुत सालों से नकारा गया है।  

संदर्भ (रेफेरेंसेस)

 

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