यह लेख Srijita Adak द्वारा लिखा गया है, जो लॉसीखो से एडवांस्ड कॉन्ट्रैक्ट ड्राफ्टिंग, नेगोशिएशन और डिस्प्यूट रिज़ोल्यूशन में डिप्लोमा कर रही हैं। यह लेख पास्ट कंसीडरेशन के बारे में चर्चा करता है। इस लेख का अनुवाद Divyansha Saluja द्वारा किया गया है।
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परिचय (इंट्रोडक्शन)
आम तौर पर आपको हर दिन कोई न कोई यह कहते हुए मिल जाएगा, किसी दुकान में कि मुझे बिस्कुट के दो पैकेट दे दो, या क्या आप इस किताब को कोरियर सेंटर में कोरियर कर सकते हैं, या जब कोई स्विगी या ज़ोमैटो आदि पर पिज्जा ऑर्डर करता है, तो यह सब कॉन्ट्रैक्ट होते हैं। इसका मतलब है कि दैनिक आधार पर आपको आई.पी.सी., संविधान, कंपनी कानून आदि जैसे कानूनों का सामना नहीं कर सकते है, लेकिन आप कॉन्ट्रैक्ट के मौखिक, लिखित, निहित (इम्प्लाइड) और व्यक्त (एक्सप्रेस) तरीकों के कई रूपों का सामना करते हैं। इसलिए कॉन्ट्रैक्ट इतना दिलचस्प पहलू है। एक कॉन्ट्रैक्ट के कानूनी रूप से वैध होने के लिए, उस में एक कंसीडरेशन होना चाहिए, अन्यथा, इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट, 1872 की धारा 25 के तहत दी गयी कुछ स्थितियों को छोड़कर, कॉन्ट्रैक्ट शून्य (वॉइड) और अप्रवर्तनीय (अनइंफोरसिएबल) होता है।
कंसीडरेशन का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू पास्ट कंसीडरेशन है। पास्ट कंसीडरेशन का अर्थ यह है कि किसी भी वादे के लिए कंसीडरेशन पहले दिया गया था और वादा उसके बाद किया गया था। उदाहरण के लिए, A ने अपने कुत्ते को खो दिया और B को वह कुत्ते मिला और उसे A को वापस कर दिया, फिर A ने B को 100 रुपये का भुगतान करने का वादा किया और इस मामले में यह पास्ट कंसीडरेशन होगा क्योंकि कुत्ते को खोजने का कार्य किसी समझौते से पहले हुआ था। पास्ट कंसीडरेशन का ज्ञान आवश्यक है क्योंकि भारत और इंग्लैंड में पास्ट कंसीडरेशन के कानून अलग है। इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट, 1872 की धारा 25(2) यह परिभाषित करती है कि पास्ट कंसीडरेशन भारत में मान्य है। लेकिन अंग्रेजी कानून के तहत, पास्ट कंसीडरेशन मान्य नहीं है, जिसके कारण इतना बोझ हो जाता है, जैसे कि कोई व्यक्ति पिछले कार्य के लिए भुगतान करेगा, तो उसे पास्ट कंसीडरेशन को केवल एक आभार (ग्रेटिट्यूड) के रूप में ही विचार करने की आवश्यकता होगी।
कंसीडरेशन क्या है?
एक लागू करने योग्य कॉन्ट्रैक्ट में कंसीडरेशन देने की आवश्यकता होती है, जिसे कभी-कभी “वादे की कीमत” या “एक्सचेंज के लिए सौदेबाजी” का हिस्सा भी कहा जाता है। एक पक्ष, दूसरे पक्ष को कुछ मूल्य देता है या दूसरे पक्ष से एक वादा करने के लिए एक नुकसान को स्वीकार करता है। कॉन्ट्रैक्ट बनाने के लिए एक कंसीडरेशन आवश्यक तत्व है। कंसीडरेशन, धन भुगतान, माल की डिलीवरी, धन भुगतान के वादे का रूप ले सकता है।
इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट, 1872 की धारा 2(d) के अनुसार जब, प्रतिज्ञाकर्ता (प्रॉमिसर) की इच्छा पर, प्रतिज्ञाती (प्रॉमिसी) या किसी अन्य व्यक्ति ने एक कार्य किया है या करने से परहेज किया है, या करने का वादा करता है, या कुछ करने से दूर रहने का वादा करता है, तो इस तरह के प्रदर्शन (डिमॉन्सट्रेशन) या सहनशीलता (फॉर्बियरेंस) या वचन को, वचन के लिए कंसीडरेशन के रूप में जाना जाता है।
उदाहरण (इलस्ट्रेशन)
A, B को एक कार बेचने का वादा करता है और B, बदले में बीस हजार रुपये का भुगतान करने का वादा करता है। अब, कार बेचने का वादा, बदले में वादे द्वारा समर्थित (सपोर्टेड) है और यह एक कॉन्ट्रैक्ट है। कार बेचने के वादे के बदले में बीस हजार रुपये देने का वादा कंसीडरेशन या वादे की कीमत है। क्योंकि यह कंसीडरेशन द्वारा समर्थित एक प्रवर्तनीय कॉन्ट्रैक्ट है, यदि A कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन (ब्रीच) करता है तो B उस पर मुकदमा कर सकता है, क्योंकि A ने कानूनी रूप से लागू करने योग्य कॉन्ट्रैक्ट को तोड़ा है।
A, B की पुस्तक की मनुस्क्रिप्ट टाइप करने का वादा करता है और बदले में B उसे एक महीने के लिए पढ़ाने का वादा करता है। प्रत्येक पक्ष का वादा, दूसरे पक्ष के वादे का कंसीडरेशन है।
A, B से वादा करता है कि अगर वह उसे 500 रुपये का भुगतान करता है तो वह उसके खिलाफ मुकदमा दायर नहीं करेगा। A का संयम B के भुगतान के लिए कंसीडरेशन होगा।
पास्ट कंसीडरेशन क्या होता है?
अतीत में हुआ कंसीडरेशन, जो वादे को उकसाने के लिए प्रदान नहीं किया गया था, वह “पास्ट कंसीडरेशन” है और आमतौर पर यह लागू करने योग्य कॉन्ट्रैक्ट नहीं बनाता है। जहां प्रतिज्ञाकर्ता ने वचन की तारीख से पहले कंसीडरेशन प्राप्त किया था, तो वह कंसीडरेशन, पास्ट कंसीडरेशन या निष्पादित (एग्जीक्यूटेड) कंसीडरेशन है।
इसे नैतिक (मोरल) कंसीडरेशन भी कहा जाता है। उदाहरण के लिए, यदि आप टहलने जाते हैं और देखते है कि कोई गिर गया है और उसे चोट लगी है। आप उस समय पीड़ित व्यक्ति की मदद करने जाते है और दवा देकर उसकी मदद करते है। प्रशंसा दिखाने के लिए, दूसरा व्यक्ति आपको 1,000 रुपये देने का वादा करता है। जो मदद आपने उस चोट लगे हुए व्यक्ति की कि है, उसे पास्ट कंसीडरेशन के रूप में माना जाएगा। इस तथ्य के बावजूद कि आपको कानूनी रूप से उसकी मदद करने की आवश्यकता नहीं थी, आपने नैतिक रूप से अपने आप को बाध्य महसूस किया, और आपके इस नैतिक कर्तव्य की आपकी संतुष्टि के कारण आपको भुगतान किया गया था।
उदाहरण (इलस्ट्रेशन)
A एक डॉक्टर है। B एक रोगी है। B को A की डिस्पेंसरी में लाया गया। A ने उसे 10 दिनों के लिए अपनी सेवाएं प्रदान की। 10 दिनों के बाद B, A द्वारा दी गई सेवाओं के लिए पैसे देने का वादा करता है। यह पास्ट कंसीडरेशन है। A वचन दी गई राशि की वसूली कर सकता है।
A, B के अनुरोध (रिक्वेस्ट) पर B के बच्चों की देखभाल करता है। एक साल बाद B ने A को 2000 रुपए देने पर सहमति व्यक्त की। B के वादे के लिए A की सेवाओं को पास्ट कंसीडरेशन के रूप में माना जाएगा।
A ने जून के महीने में B को कुछ सेवाएं प्रदान कीं। जुलाई में, B ने A को 500 रुपये का भुगतान करने का वादा किया। A का कंसीडरेशन पास्ट कंसीडरेशन है।
पास्ट कंसीडरेशन का महत्व
पास्ट कंसीडरेशंस के बारे में ज्ञान होना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि रोजाना के जीवन में हम ऐसे कॉन्ट्रैक्ट में प्रवेश करते हैं जहां हमें कंसीडरेशन नहीं मिल सकता क्योंकि वह पास्ट कंसीडरेशन होता है। पास्ट कंसीडरेशन, जो सामान्य नियम के रूप में एक वादे को सीमित करने के लिए पर्याप्त नहीं है, ऐसे मामले में प्रतिज्ञाकर्ता अपने वादे से एक नैतिक जिम्मेदारी देख सकता है जो एक कंसीडरेशन नहीं है, और ऐसे में वह अपने वादे के बदले में कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकता है क्योंकि वादे के से पहले से यह उसके पास है।
जहां एक कॉन्ट्रैक्ट की बात है तो, पेस्ट कंसीडरेशन का उपयोग गारंटी या एक प्रदर्शन के लिए किया जाता है, जिसे कॉन्ट्रैक्ट से पहले निष्पादित किया या बनाया गया था। पास्ट कंसीडरेशन आमतौर पर एक अहम कारक (फैक्टर) बन जाता है, जब कोई व्यक्ति दूसरा नया वादा निभाने का प्रयास करता है। उस समय पर जब एक और वादा किया जाता है, तो ऐसे में समझौते के पीछे की वैधता के लिए पास्ट कंसीडरेशन पर विचार नहीं किया जाएगा। इसका मतलब यह है कि पास्ट कंसीडरेशन नए समझौते के लागू होने से पहले हुआ था, जिसका अर्थ है कि इसे नए समझौते के लिए समायोजित (अकोमोडेट) नहीं किया जा सकता था।
पास्ट कंसीडरेशन को आम तौर पर इस तथ्य के आधार पर एक समझौते के लिए याद नहीं किया जा सकता है कि इससे प्रतिज्ञाकर्ता को कोई लाभ नहीं हुआ था या इसने प्रतिज्ञाती के लिए किसी भी खतरे का प्रतिनिधित्व (रिप्रेजेंट) नहीं किया था। एक कॉन्ट्रैक्ट के वैध होने के लिए, इसमें पूरी तरह से एक अच्छा और वैध कंसीडरेशन शामिल होना चाहिए। उदाहरण के लिए, दो-पक्षीय (टू-पार्टी) कॉन्ट्रैक्ट में, शामिल दो पक्षों को कुछ गारंटी देनी चाहिए, भले ही यह एक विशेष प्रदर्शन हो या नकद का भुगतान करने की सहमति हो।
पास्ट कंसीडरेशन मान्य हैं या नहीं?
भारतीय कानून के तहत पास्ट कंसीडरेशन
भारत में, पास्ट कंसीडरेशन एक अच्छा कंसीडरेशन है और एक वादे का समर्थन करने के लिए यह पर्याप्त है। कॉन्ट्रैक्ट एक्ट की धारा 2(D) स्पष्ट रूप से बताती है कि कंसीडरेशन अतीत, वर्तमान या भविष्य में हो सकता है। इसलिए पास्ट कंसीडरेशन के आधार पर किया गया एक समझौता भारत में पूरी तरह से मान्य है।
सिंध बनाम अब्राहम के मामले में, A ने B के अनुरोध पर उसके माइनर होने के दौरान उसे सेवाएं प्रदान कीं; जो B के माइनर रहने के बाद भी जारी रही। माइनोरिटी प्राप्त करने के बाद, B ने अतीत में प्रदान की गई सेवाओं के लिए A को वार्षिक भत्ता (एन्युटी) का भुगतान करने का वादा किया। यह माना गया कि यह एक अच्छा कॉन्ट्रैक्ट था और A पैसे की वसूली कर सकता है।
शिव सरन केशव प्रसाद के मामले में, एक कानूनी सलाहकार ने अपना प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) दिया और जमीनदार के अनुरोध पर संपत्ति प्रबंधक (मैनेजर) के सुपरवाइजर के रूप में काम करने के लिए तैयार हुआ, जिसके बदले में जमीनदार ने उसे पेंशन की गारंटी दी। यह माना गया था कि यह स्वीकार्य पास्ट कंसीडरेशन था।
अंग्रेजी कानून में पास्ट कंसीडरेशन
अंग्रेजी कानून, पास्ट कंसीडरेशन को मान्यता नहीं देता है। अंग्रेजी कानून में कंसीडरेशन, वर्तमान या भविष्य की हो सकती है लेकिन पास्ट की नहीं। अंग्रेजी कानून में पास्ट कंसीडरेशन, कंसीडरेशन का कोई रूप नहीं है। इसलिए पास्ट कंसीडरेशन के आधार पर एक समझौता शून्य है। कंसीडरेशन निष्पादन (एग्जीक्यूटरी) योग्य हो सकता है लेकिन इसे पास नहीं किया जा सकता है।
रोस्कारला थॉमस के मामले में, A ने B से एक घोड़ा खरीदा। घोड़े की कीमत चुकाई गई और उसे घर ले जाया गया। बाद में, A और B एक ऐसे स्थान पर मिले जहां B ने कहा कि घोड़ा युवा, स्वस्थ और किसी भी दोष से मुक्त है। लेकिन जब वह घोड़े के पास पहुंचा, उसे एक बहुत बड़ा झटका मिला। तब A ने वादे के उल्लंघन के लिए मुकदमा दायर किया। यह माना गया कि बिक्री के कॉन्ट्रैक्ट के समय दिया गया कंसीडरेशन, बाद के वादे के लिए कोई कंसीडरेशन नहीं दिया गया था और इसलिए वादा लागू करने योग्य नहीं था।
रे मैकआर्डल के मामले में, एक पिता ने अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद, अपनी वसीयत में अपने 5 बेटों को समान रूप से साझा करने के लिए अपना घर दे दिया। माँ के जीवनकाल में, एक पुत्र जो वसीयतकर्ता है और उसकी पत्नी उस घर में रहते थे। उस समय पत्नी ने घर में कुछ सुधार करने के लिए £488 का खर्चा उठाया था। इसके बाद, सभी पांचों बेटों ने इस तरह के सुधारों पर खर्च की गई राशि को साझा करने के लिए एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए। मां की मौत पर पति के अलावा, उन बेटों ने अन्य खर्च देने से इंकार कर दिया। अपील की अदालत ने यह माना था कि चूंकि खर्चा रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किए जाने से पहले की गई थी, यह पास्ट कंसीडरेशन था और इस प्रकार उस वादे को अधिकृत (ऑथराइज) नहीं किया जा सकता था।
इस नियम के अपवाद, कि पास्ट कंसीडरेशन कोई कंसीडरेशन नहीं है
इस मानक (स्टैंडर्ड) नियम के लिए कुछ विशेष मामले हैं कि पास्ट कंसीडरेशन कोई कंसीडरेशन नहीं है।
जब सेवा अनुरोध द्वारा की जाती है (सर्विस इज डन बाय रिक्वेस्ट)
प्रतिज्ञाकर्ता के अनुसार प्रदान की जाने वाली सेवाएँ, जब कंसीडरेशन में प्रतिज्ञाकर्ता के अनुसार प्रदान की गई सेवाएँ शामिल होती हैं, तो यह एक अच्छा कंसीडरेशन है। ऐसे में अनुरोध या तो व्यक्त या निहित हो सकता है।
लैम्पलेघ बनाम ब्रेथवेट में, प्रतिवादी (रिस्पॉन्डेंट) ने किसी की हत्या कर दी और याचिकाकर्ता (पिटीशनर) से राजा से उसके लिए माफी मांगने को कहा। दावेदार (क्लेमेंट) घोड़े पर सवार होकर, देश भर में राजा को ढूंढने के लिए निकला, जिसमें उसे लंबा समय लगा और बहुत खर्च हुआ। दावेदार ने राजा को ढूंढा और क्षमा प्राप्त की। दावेदार ने प्रतिवादी को क्षमा प्रदान की जिसने उसे उसके काम के लिए £100.00 देने का वादा किया था, लेकिन प्रतिवादी ने भुगतान नहीं किया। प्रतिवादी ने तर्क दिया कि पास्ट कंसीडरेशन कोई कंसीडरेशन नहीं था लेकिन अदालत ने माना कि यह उस समय निहित था। पिछले लाभ को प्रतिवादी के अनुरोध पर प्रदान किया गया था और दावेदार इसके लिए उचित रूप से भुगतान पाने की उम्मीद कर रहा था। दोनों पक्ष उस समय समझ गए थे कि भुगतान देय (ड्यू) होगा। इस प्रकार, भुगतान करने के समझौते को लागू करने योग्य माना गया था।
समय बाधित कर्ज चुकाने का वादा (प्रॉमिस टू पे ए टाइम बार्ड डेट)
जब किसी कर्ज को सीमा (लिमिटेशन) के आधार पर रोक दिया जाता है, तो देनदार (डेटर) उस याचिका के लाभ को हटा सकता है और कर्ज का डिस्चार्ज करने का वादा कर सकता है। ऐसा वादा लागू करने योग्य है। एक समय-बाधित कर्ज को बाद के वादे के लिए वैध कंसीडरेशन के रूप में लिया जा सकता है।
B को A से 1,00,000 रुपये लेने है। लेकिन वह कर्ज, लिमिटेशन के कानून के तहत समय-बाधित है। फिर भी, यदि A, B को 50,000 का भुगतान करने के लिए एक लिखित वादा देता है, तो इसे एक वैध कॉन्ट्रैक्ट माना जाएगा।
नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट
जहां किसी पिछले कार्य के कंसीडरेशन में एक नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट दिया जाता है, तो आखिरी कार्य नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट के मुद्दे के लिए एक अच्छे कंसीडरेशन के रूप में बनेगा, और जिस पक्ष को वह इंस्ट्रूमेंट प्राप्त होता है, वह इसे वैध रूप से अधिकृत कर सकता है।
निष्कर्ष (कंक्लूज़न)
एक कॉन्ट्रैक्ट में सबसे आवश्यक तत्व कंसीडरेशन है। एक मामले में, जहां किसी वादे के होने से पहले, एक पक्ष जानबूझकर कोई कार्य करता है, तो उस मामले में, वह कंसीडरेशन, पास्ट कंसीडरेशन होगा। पास्ट कंसीडरेशन एक वैध कॉन्ट्रैक्ट के एक आवश्यक तत्व के रूप में, कंसीडरेशन को व्यापक दायरा प्रदान करता है।
एक बड़े भाग से देखा जाए तो, अंग्रेजी कानून पास्ट कंसीडरेशन को स्वीकार नहीं करता है। पास्ट कंसीडरेशन, कोई कंसीडरेशन नहीं बना सकता है और इसलिए वह दस्तावेज़ को अमान्य बना देता है। जहां तक आपसी कंसीडरेशन की बात है, इसमें कुछ ऐसा होना चाहिए जहां प्रत्येक पक्ष को कोई कार्य करना चाहिए या दूसरे के वादे पर कार्य करना चाहिए, इसलिए कोई भी पक्ष तब तक बाध्य नहीं है जब तक कि दोनों बाध्य न हों। यह बहुत स्पष्ट है कि पास्ट कंसीडरेशन, कंसीडरेशन नहीं बनाता है। लेकिन कुछ अपवाद (एक्सेप्शन) हैं जहां पर अंग्रेजी कानून के तहत पास्ट कंसीडरेशन को एक अच्छा कंसीडरेशन माना जाता है।