ई-निवारण: इनकम टैक्स शिकायतों को ऑनलाइन कैसे जमा करें, इसे समझे

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1996
Income Tax Department
Image Source- https://rb.gy/tnkplg

यह लेख डॉ राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, लखनऊ की छात्रा Sneha Singh ने लिखा है। यह लेख इनकम टैक्स शिकायतों को ऑनलाइन जमा करने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई ई-निवारण योजना से संबंधित है। इस लेख का अनुवाद Dnyaneshwari Anarse ने किया है।

Table of Contents

परिचय (इंट्रोडक्शन) 

ई-निवारण योजना लोगों को इनकम टैक्स शिकायतों को ऑनलाइन दर्ज करने में मदद करने के लिए शुरू की गई है। कोविड-19 के दौरान, यह बहुत मददगार है क्योंकि यह शिकायतों को जमा करने के लिए लंबी कतारों में खड़े होने के जोखिम से बचाता है और संदूषण (कंटामिनेशन) के जोखिम से बचाता है। ई-निवारण लोगों की विभिन्न प्रकार की शिकायतों को हल करने में मदद करता है और शिकायत को ऑनलाइन जमा करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्रक्रिया भी बहुत विश्वसनीय और आसान है।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ‘ई-निवारण योजना’

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने, लोगों की शिकायतों को तेजी से हल करने और कागज रहित वातावरण को बढ़ावा देने के लिए ई-निवारण योजना शुरू की है। यह लोगों की शिकायतों का शीघ्र समाधान (अर्ली रेजोल्यूशन) या निवारण (रेड्रेसल) सुनिश्चित करने में भी सहायक होगा।

इनकम टैक्स बिजनेस एप्लीकेशन (आईटीबीए) में शिकायत निवारण के लिए एक अलग और समर्पित (डेडिकेटेड) विंडो बनाई गई है, अब से यह डिपार्टमेंट के नियमित संचालन (मैनेजमेंट) को संभालेगी।

इस ऑनलाइन पोर्टल का उपयोग करके शिकायतों को संबंधित सब-डिपार्टमेंट में स्थानांतरित (ट्रांसफर) किया जा सकता है। उदाहरण के लिए: यदि आपने कोई शिकायत प्रस्तुत की है, जो इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने से संबंधित है, और इस मुद्दे को हल करते समय यदि टैक्स ऑफिसर को आपके टीडीएस के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करनी है तो वह शिकायत को संबंधित डिपार्टमेंट में स्थानांतरित करके विवरण प्राप्त कर सकते है ताकि शिकायत का शीघ्र समाधान किया जा सके। 

ई-निवारण योजना के लागू होने से पहले, लोगों की शिकायतों का समाधान किसके द्वारा किया जाता था:

  • एएसके (आयकर संपर्क सेंटर): आधिकारिक (ऑफिशियल) शिकायतें एएसके सेंटरों पर प्राप्त होती हैं और आईटीबीए (इनकम टैक्स बिज़नेस एप्लीकेशन) पर दर्ज की जाती हैं।
  • सीपीसी आईटीआर (सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर): इनकम टैक्स रिटर्न स्वीकार करने, आईटीआर प्रोसेसिंग के और आईटीआर से संबंधित किसी भी शिकायत का ध्यान रखने के लिए यह सेंटर जिम्मेदार है।
  • सीपीसी टीडीएस: इस सेंटर का काम टीडीएस (टैक्स डीडक्टेड एट सोर्स) से जुड़ी सभी शिकायतों और मुद्दों को हैंडल करना है।
  • ई-फाइलिंग पोर्टल: करदाता (टैक्सपेयर) लॉग इन, पंजीकरण (रेजिस्ट्रेशन), रिटर्न के सत्यापन (वेरिफिकेशन), पासवर्ड आदि से संबंधित सभी शिकायतों को यहाँ जमा कर सकता है।
  • पैन से संबंधित मुद्दों को एनएसडीएल (नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड) और यू.टी.आई.आई.टी.एस.एल. (यूटीआई इंफ्रास्ट्रक्चर टेक्नोलॉजी एंड सर्विसेज लिमिटेड) द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

ई-निवारण योजना के शुभारंभ के साथ, इन सभी मॉड्यूलों को एकीकृत (इंटिग्रेट) किया जाएगा। यह बहुत मददगार है क्योंकि अब इसका उपयोग आईटी डिपार्टमेंट के कर्मचारियों द्वारा रिकॉर्ड करने, खोजने, देखने, स्थानांतरित करने, शिकायत दर्ज करने वालों से जानकारी लेने और शिकायतों को ऑनलाइन हल करने के लिए किया जा सकता है।

ई-निवारण सुविधाओं के आगमन के साथ, पैन कार्ड की समस्याओं से लेकर इनकम टैक्स रिटर्न, टैक्स रिफंड, टीडीएस मुद्दों, रिफंड में देरी, टैक्स रिटर्न स्क्रूटनी के मुद्दों, टैक्स नोटिस आदि की शिकायतों का समाधान इसके द्वारा किया जा सकता है।

योजना कैसे काम करती है?

आईटी डिपार्टमेंट को प्राप्त होने वाली सभी ऑनलाइन और ऑफलाइन (फिजिकल) शिकायतें इस एकीकृत शिकायत प्रबंधन प्रणाली (मैनेजमेंट सिस्टम) द्वारा एकीकृत की जाती हैं। प्राप्त होने वाली शिकायतों की निगरानी (मोनिटरिंग) इनकम टैक्स अधिकारियों (असेसिंग ऑफीसर / सुपरवाइजरी अधिकारी) द्वारा की जाती है जो यह सुनिश्चित करते हैं कि शिकायतों का जल्द से जल्द समाधान किया जाए।

इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली, ई-निवारण प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से अस्तित्व में आया जब उन्होंने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को शिकायत समाधान कार्य में तेजी लाने के लिए कहा, जिसके कारण आईटी डिपार्टमेंट द्वारा ई-निवारण की शुरुआत की गई।

पीएम नरेंद्र मोदी ने ऐसे अन्य सभी डिपार्टमेंट्स के लिए इस समय अवधि को 2 महीने से घटाकर 1 महीने करने के लिए भी कहा, जिनका आईटी डिपार्टमेंट की तरह एक सार्वजनिक इंटरफ़ेस है। इन मुद्दों से निपटने के लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) के नीति-निर्माण निकाय (पालिसी मेकिंग बॉडी) द्वारा डिपार्टमेंट में एक नया ढांचा (स्ट्रक्चर) भी बनाया गया था जिसे ‘टैक्सपेयर सर्विस यूनिट’ कहा जाता है।

ई-पोर्टल शिकायतों को देखकर यह भी तय कर सकता है कि  वह किस डोमेन से संबंधित हैं और इससे संबंधित डिपार्टमेंट जैसे रिफंड और अन्य आईटी मामलों के बारे में आकलन (केल्क्युलेट) करके जल्दी से स्थानांतरित कर सकते हैं।

यह एक उच्च प्राथमिकता (हाई प्रायोरिटी) वाला मुद्दा होने के कारण, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस ने एक नया तंत्र (मैकेनिज्म) भी लागू किया है, जिसमें डिपार्टमेंट के टॉप ऑफिसर्स को शिकायतों का एक विशिष्ट (स्पेसिफिक) कोटा प्राप्त होगा, जो उन शिकायतों की निगरानी और उन पर नज़र रखने के लिए उनके मूल (ओरिजिन) से लेकर उनका सफल संकल्प (सक्सेसफुल रेजोल्यूशन) होने तक उस पर काम करेंगे।

यह प्रणाली न केवल अपने काम करने वाले इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर शिकायतों की मूल का रिकॉर्ड रखकर काम करती है बल्कि यह शिकायत को ट्रैक भी करती है। जब तक कि यह अपने अंतिम समाधान के लिए तार्किक (लॉजिकल) निष्कर्ष तक नहीं पहुंच जाती।

ई-निवारण योजना के माध्यम से प्रस्तुत की जाने वाली शिकायतों के प्रकार

शिकायतों की श्रेणी (कैटेगरी) जिसे कोई प्रस्तुत (सबमिट) कर सकता है और समाधान मांग सकता है, वह इस प्रकार है:

असेसिंग ऑफिसर को शिकायत

एक व्यक्ती एओ (असेसिंग ऑफिसर) से नीचे दिए गए मामलों से संबंधित कोई भी शिकायत या प्रश्न प्रस्तुत कर सकता है-

  • इनकम टैक्स रिफंड नहीं मिला।
  • गलत बकाया कर मांग (इनकरेक्ट आउटस्टैंडिंग टैक्स डिमांड)।
  • सुधार विवरणी एओ के पास लंबित है (रैटिफिकेशन रिटर्न पेंडिंग विथ एओ)।
  • आईटीआर प्रोसेसिंग पूरी नहीं हुई है।

सीपीसी-आईटीआर से संबंधित शिकायतें

सीपीसी-आईटीआर-बैंगलोर को इनकम टैक्स रिटर्न से संबंधित निम्नलिखित मामलों में पूछताछ कर सकते हैं-

  • आईटीआर- वी (प्राप्त नही, अस्वीकृत, पिछले आईटीआर आदि)

  1. ई-फाइलिंग में स्थिति (स्टेटस) दर्शाती है कि आईटीआर-वी प्राप्त हुआ है लेकिन सीपीसी से कोई पावती (एक्नॉलेजमेंट) प्राप्त नहीं हुई है।
  2. सीपीसी से आईटीआर-वी और पावती प्राप्त की लेकिन ई-फाइलिंग में स्थिति यह नहीं दिखाती है कि आईटीआर-वी प्राप्त हुआ है।
  3. 15 दिन से अधिक समय पहले हस्ताक्षरित आईटीआर-वी पोस्ट किया गया था लेकिन सीपीसी से कोई पावती प्राप्त नहीं हुई है।
  4. अन्य।
  • आईटीआर की प्रोसेसिंग

  1. पिछले नोटिस के लिए सुधार दाखिल (प्रेजेंट) करने के बाद धारा 139(9) के तहत नोटिस प्राप्त हुआ है।
  2. धारा 139(9) के तहत सुधार अपलोड करने में सक्षम नहीं है क्योंकि संचार संदर्भ (कम्युनिकेशन रेफेरेंस) और पिन अमान्य (इनवैलिड) के रूप में दिखाई दे रहा है।
  3. असेसिंग ऑफीसर ने पुष्टि (कंफर्म) की है कि कोई बकाया मांग नहीं है लेकिन सीपीसी से धारा 245 के तहत एक नोटिस प्राप्त हुआ है।
  4. फॉर्म 26AS में दावा किया गया टैक्स क्रेडिट दिखाई दे रहा है लेकिन क्रेडिट की अनुमति नहीं है।
  5. टीडीएस/टीसीएस क्रेडिट फॉर्म 26AS में जो दिखाई दे रहे हैं, इसमें कोई डेटा एंट्री एरर्स नहीं हैं लेकिन क्रेडिट की अनुमति भी नहीं है।
  6. हालांकि क्रेडिट फॉर्म 26AS एडवांस टैक्स/सैट क्रेडिट में उपलब्ध हैं जो सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर (सीपीसी) में नहीं दिए गए हैं।
  7. “जैसा कि गणना की गई (एज कंप्यूटेड)” और “जैसा दर्ज किया गया (एज एंटेर्ड)” क्रम में टोटल इनकम में अंतर।
  8. मांग राशि (डिमांड अमाउंट) का भुगतान पहले ही किया जा चुका है लेकिन सीपीसी ने फिर से मांग भेजी है।
  9. अन्य।
  • रिफंड

  1. 10 दिन पहले सूचना आदेश मिला जिसमें दिखाया गया था कि रिफंड देय (पेयबल) है लेकिन रिफंड नहीं मिला है।
  2. ई-फाइलिंग में, यह “रिफंड निर्धारित (डीटरमाइंड)” के रूप में स्थिति दिखाता है लेकिन अभी तक रिफंड नहीं मिला है।
  3. 7 दिन पहले “रिफंड रीइशू” अनुरोध (रिक्वेस्ट) उठाया लेकिन रिफंड प्राप्त नहीं हुआ।
  4. असेसिंग ऑफीसर ने कानूनी उत्तराधिकारी (लीगल हेयर) का सत्यापन (वेरिफिकेशन) किया है और सीपीसी को सूचित किया है लेकिन रिफंड प्राप्त नहीं हुई है।
  5. टिन-एनएसडीएल में रिफंड की स्थिति “रिफंड भुगतान” के रूप में दिखाई देती है लेकिन रिफंड प्राप्त नहीं हुई है।
  6. देय रिफंड को बकाया मांग के खिलाफ समायोजित (एडजस्टेड) किया जाता है और समायोजन पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता होती है।
  7. अन्य।
  • सुधार (रेक्टिफिकेशन)

  1. 3 महीने पहले ऑनलाइन सुधार दायर किया गया है लेकिन अभी तक आदेश प्राप्त नहीं हुआ है।
  2. सीपीसी से सुधार आदेश मिला जो पहले के आदेश जैसा ही है। कृपया स्पष्ट करें।
  3. जब टीडीएस/टीसीएस क्रेडिट फॉर्म 26AS में दिखाई दे रहे हों और कोई डेटा एंट्री एरर्स न हों तब भी क्रेडिट की अनुमति नहीं है।
  4. हालांकि क्रेडिट फॉर्म 26AS एडवांस टैक्स/सैट क्रेडिट में उपलब्ध हैं जो सीपीसी में नहीं दिए गए हैं।
  5. असेसिंग ऑफीसर की ओर से पुष्टि होती है कि कोई बकाया मांग नहीं है लेकिन सीपीसी की धारा 245 के तहत नोटिस प्राप्त हुआ है।
  6. मांग राशि का भुगतान पहले ही किया जा चुका है लेकिन सीपीसी ने फिर से मांग भेजी है।
  7. अन्यI
  • संचार (कम्युनिकेशन)

  1. ई-फाइलिंग में स्थिति “सीपीसी पर प्रोसेस्ड रिटर्न” है, लेकिन उसे आदेश प्राप्त नहीं हुआ है।
  2. 10 दिन से अधिक पहले “पुनः भेजें सूचना (रिसेंड इंटिमेशन)” अनुरोध करने के बाद भी संचार प्राप्त नहीं हुआ।
  3. जिस ई-मेल आईडी पर आदेश भेजा गया है, उसकी पुष्टि के लिए पूछना।
  4. अन्य।
  • इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 139(9) के तहत दोषपूर्ण रिटर्न से संबंधित मामले (मैटर्स रिलेटेड टू डिफेक्टिव रिटर्न्स) 

यदि आवश्यक कागजात रिटर्न के साथ संलग्न (अटैच्ड) नहीं हैं तो टैक्स रिटर्न को दोषपूर्ण माना जाता है। यदि टैक्स ऑफिसर को यह दोषपूर्ण लगता है तो करदाता को उसी के बारे में आगा करने (इंटिमिडेशन) की तारीख से दोष को सुधारने के लिए 15 दिनों का समय प्रदान किया जाएगा।

  • सूचना आदेश के लिए अनुरोध (रिक्वेस्ट फ़ॉर इंटिमेशन ऑर्डर्स) 

सूचना आदेश व्यक्ति की ई-मेल आईडी पर भेजा जाता है। यदि उसे प्राप्त नहीं हुआ है तो वह सूचना आदेश को फिर से भेजने के लिए अनुरोध भेज सकता है।

  • इनकम टैक्स एक्ट की धारा 143(1) के तहत इनकम टैक्स मांग एवं नोटिस आदि 

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा इनकम टैक्स रिटर्न संसाधित (प्रोसेस्ड) होने के बाद वह इनकम टैक्स एक्ट की धारा 143(1) के तहत एक सूचना भेजते हैं। इस प्रक्रिया में आंतरिक (इंटर्नल) विसंगतियों (इनकंसिस्टेंसीज) की जाँच, टैक्स और ब्याज (इंटरेस्ट) की गणना (कैलकुलेशन), एरिथमेटिकल एरर्स और टैक्स पेमेंट का सत्यापन आदि शामिल हैं।

सीपीसी-टीडीआर को प्रस्तुत की गई शिकायतें

सीपीसी टीडीएस से संबंधित इन मामलों पर शिकायतें या प्रश्न प्रस्तुत किए जा सकते हैं-

  • टीडीएस विवरण (स्टेटमेंट्स);
  • केवाईसी;
  • फॉर्म 16 और फॉर्म 16A, (फॉर्म 16 इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 203 के तहत एक प्रमाण पत्र है जो वेतन शीर्ष (सैलरी हेड) के तहत टीडीएस के बारे में जानकारी प्रदान करता है। इसमें आपके नियोक्ता (एम्प्लॉयर) द्वारा कटौती किए गए टैक्स के बारे में विवरण शामिल हैं। सरल शब्दों में, फॉर्म 16 वेतन/इनकम प्रमाणपत्र है जो आपके नियोक्ता द्वारा जारी किया जाता है।);
  • फॉर्म 26AS (टीडीएस विवरण फॉर्म 26AS में परिलक्षित (रिफ़्लेक्टेड) नहीं होता है);
  • संपत्ति की बिक्री पर टीडीएस;
  • चालान/बीआईएन (बुक आइडेंटिफिकेशन नंबर) आदि से संबंधित विवरण में सुधार।

ई-फाइलिंग पोर्टल की शिकायतें

यदि कोई प्रश्न या शिकायत निम्नलिखित प्रकृति की है तो ई-फाइलिंग पोर्टल से संबंधित समाधान की मांग की जा सकती है:

  • प्रोफ़ाइल में बदलाव

  1. धारा 139(9) : दोषपूर्ण रिटर्न।
  2. अनुपालन संबंधी पूछताछ (कंप्लायंस रिलेटेड क्वेरी)।
  3. आईटीआर (इनकम टैक्स रिटर्न) / फॉर्म कैसे भरें।
  4. आईटीआर-वी कैसे खोलें।
  5. सुधार अनुरोध (रेक्टिफिकेशन रिक्वेस्ट) कैसे करे।
  6. रिटर्न को रिवाइज कैसे करें।
  7. आईटीआर-वी रसीद की स्थिति।
  8. पूर्व-भरा एक्सएमएल संबंधित क्वेरी।
  9. आईटीआर/अन्य रूपों में मुद्दे।
  • लेखा (एकाउंट)

  1. सीए/ईआरआई कैसे जोड़ें/छोड़ें।
  2. फॉर्म 26AS/16 संबंधित प्रश्न।
  3. एक्सएमएल/आईटीआर/आईटीआर-वी रसीद कैसे डाउनलोड करें।
  4. सूचना संबंधी प्रश्न।
  5. कानूनी वारिस अनुरोध।
  6. प्रोफाइल अपडेट।
  7. फॉर्म 15CA देखें।
  8. एक्सएमएल/आईटीआर/फॉर्म उपलब्ध नहीं हैं। 
  • ई-फाइलिंग पोर्टल पर पंजीकरण 

  • इनकम टैक्स रिटर्न और ईवीसी का वेरिफिकेशन

  • ओटीपी, पिन, लॉगिन और पासवर्ड संबंधी समस्याएं

बैंकर को रिफंड करने के लिए शिकायतें

कोई भी व्यक्ति निम्नलिखित मामलों में बैंकर को रिफंड करने के लिए शिकायतें भेज सकता है-

  • रिफंड गलत बैंक खाते में जमा हो गया।
  • रिफंड का भुगतान या आईटी डिपार्टमेंट द्वारा जारी किया गया लेकिन आपके खाते में जमा नहीं किया गया।
  • मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी को रिफंड के लिए अपने लॉगिन आईडी और पासवर्ड भुगतान का दुरुपयोग किया गया।
  • रिफंड राशि विसंगति (डिस्क्रेपैंसी)।

एनएसडीएल या यू.टी.आई.आई.टी.एस.एल. को शिकायतें

पैन कार्ड से संबंधित मामले एनएसडीएल या यू.टी.आई.आई.टी.एस.ए को प्रस्तुत किए जा सकते हैं-

  • पैन आवेदन (एप्लीकेशन)।
  • एक से अधिक व्यक्तियों या संस्थाओं को एक ही पैन का अलॉटमेंट।
  • पैन कार्ड की डिलीवरी।
  • पैन कार्ड आदि में गलत विवरण।

आरटीआई (सूचना का अधिकार), अदालत के फैसले, सामान्य सुझाव और विदेशी सरकार के खिलाफ शिकायतों से संबंधित मामलों को शिकायत के रूप में नहीं माना जाएगा।

ई-निवारण ऑनलाइन फॉर्म में किसी व्यक्ति का व्यक्तिगत विवरण (ऑटो-पॉप्युलेटेड) पहले से ही भरा हुआ है। शिकायत दर्ज करने से पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि वह सही हैं। कोई भी व्यक्ति ‘प्रोफ़ाइल सेटिंग्स’ ‘माई प्रोफाइल विकल्प (ऑप्शन)’ पर जाकर व्यक्तिगत विवरण अपडेट कर सकता है।

कदम जिसके माध्यम से कोई शिकायत दर्ज कर सकता है

शिकायत प्रस्तुत करना: बिना लॉगिन के

करदाता नीचे दिए गए चरणों (स्टेप्स) का पालन करके लॉगिन किए बिना शिकायत दर्ज कर सकता है-

  • चरण 1: ई-फाइलिंग होम पेज खोलने के बाद, ई-निवारण टैब पर क्लिक करें।
  • चरण 2: ‘शिकायतें जमा करें’ विकल्प चुनें, वहां दो विकल्प उपलब्ध हैं-
  1. पैन या टैन धारक।
  2. पैन या टैन नहीं है।
  • चरण 3: ‘पैन या टैन धारक’ विकल्प चुनें, पैन या टैन दर्ज (एंटर) करने के लिए एक टेक्स्ट बॉक्स प्रदान किया जाता है। इसके बाद सबमिट बटन पर क्लिक करें।
  • चरण 4: ‘ई-फिलिंग के साथ रेजिस्ट्रेशन करें और जारी रखें (कंटिन्यू)’ विकल्प का चयन करें, यह रजिस्ट्रेशन पृष्ठ पर ले जाएगा।
  • चरण 5: ई-निवारण पर पुनर्निर्देशित (रेडिरेक्ट) करने के लिए, ‘नो थैंक्स एंड कंटिन्यू’ विकल्प चुनें।
  • चरण 6: यदि करदाता चाहे तो शिकायत अनुरोध जमा करने से पहले पूर्वावलोकन (प्रीव्यू) और संपादित (एडिट) कर सकता है।
  • चरण 7: ‘सबमिट’ विकल्प पर क्लिक करें, ‘ओटीपी’ संबंधित ई-मेल आईडी या मोबाइल फोन पर भेजा जाएगा।
  • चरण 8: अंत में, ‘मान्य (वैलिडेट)’ विकल्प पर क्लिक करें, पीडीएफ डाउनलोड करने के विकल्प के साथ सफलता संदेश प्रदर्शित होगा।

शिकायत प्रस्तुत करना: लॉगिन करने के बाद 

करदाता नीचे दिए गए चरणों का पालन करके अपनी शिकायत पोस्ट-लॉगिन जमा कर सकते हैं-

  • चरण 1: ई-निवारण टैब के तहत, शिकायत जमा करने का एक लिंक प्रदान किया जाता है।
  • चरण 2: शिकायत सबमिट करें विकल्प पर क्लिक करें, यहां एक शिकायत अस्वीकरण (डिस्क्लेमर) पॉप-अप प्रदर्शित किया जाएगा। करदाता को सहमत होना होगा और शिकायत दर्ज कराने के लिए आगे बढ़ना होगा।
  • चरण 3: करदाता को विवरण दर्ज करना होगा और फिर पूर्वावलोकन विकल्प पर क्लिक करना होगा और सबमिट करना होगा।
  • चरण 4: शिकायत अनुरोध जमा करने से पहले करदाता पूर्वावलोकन और संपादित कर सकता है।
  • चरण 5: सबमिट के विकल्प पर क्लिक करें, ओटीपी अनुरोध करने के समय प्रदान किए गए संबंधित ई-मेल आईडी और मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा।
  • चरण 6: ‘मान्य’ पर क्लिक करें, पीडीएफ डाउनलोड करने के विकल्प के साथ सफलता संदेश प्रदर्शित होगा।

ई-निवारण योजना के लाभ 

  • भ्रष्टाचार की संभावना कम करती है

ई-मूल्यांकन से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में आमने-सामने संपर्क कम होगा जिससे डिपार्टमेंट में अधिक पारदर्शिता (ट्रांसपेरेंसी) सुनिश्चित होगी।

  • समय और प्रयास की बचत

चूंकि पूरी की गई सभी प्रक्रिया ऑनलाइन है, इससे निर्धारिती (एसेसी) के यात्रा समय की बचत होगी और असेसिंग ऑफीसर के अधिकार क्षेत्र (ज्यूरिसडिक्शन)/स्थान को देखने के लिए उपयोग किए जाने वाले प्रयास में भी कमी आएगी।

  • लागत प्रभावी (कॉस्ट-इफेक्टिव)

यह विधि लागत प्रभावी होगी क्योंकि मूल्यांकन कागज रहित होगा और यह पर्यावरण के अनुकूल परियोजना (मेथड) भी होगी।

  • दो अधिकारियों द्वारा संभाला जाने वाला मूल्यांकन

मूल्यांकन प्रक्रिया अब एक के बजाय दो असेसिंग ऑफीसर द्वारा नियंत्रित की जाएगी। एक मामले के लिए दो अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति (डेप्यूटेशन) से निगरानी के स्तर (लेवल) में वृद्धि होगी।

  • सुरक्षित भंडारण और कभी भी एक्सेस्ड किया जा सकता है (सेफ स्टोरेज एंड कैन बी एक्सेस्ड एनिटाइम)

करदाता ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से जब चाहें मूल्यांकन प्रक्रिया के दौरान जमा किए गए सभी विवरणों और दस्तावेजों को आसानी से देख/जांच सकते हैं। ई-मूल्यांकन फाइलों के खो जाने या क्षतिग्रस्त (डैमेज) होने के जोखिम से भी बचाता है।

ई-निवारण योजना के नुकसान 

  • भारी मात्रा में दस्तावेज़ अपलोड करने में समस्या

जिन पारंपरिक कार्यालयों के पास उचित आधारभूत संरचना नहीं है, उन्हें भारी मात्रा में दस्तावेज़ अपलोड करने में समस्या का सामना करना पड़ता है।

  • कभी-कभी बिना सबमिशन समझे अधिकारियों द्वारा दिए गए निष्कर्ष

कभी-कभी असेसिंग ऑफीसर की सबमिशन्स जटिल होती हैं और वह दस्तावेजों को पूरी तरह से समझने में सक्षम नहीं होता है। फिर वह अपनी समझ के आधार पर निष्कर्ष पर पहुंचता है।

  • पोर्टल पर तकनीकी खामियां (टेक्निकल ग्लिचेस ऑन द पोर्टल)

पोर्टल पर कई तकनीकी खामियां हैं जो सबमिशन करने में देरी करती हैं। जैसे इंटरनेट की गति अच्छी नहीं है या पोर्टल पर अधिक भार है आदि।

निष्कर्ष (कंक्लूज़न)

ई-निवारण योजना लोगों की मदद के लिए उठाया गया एक बहुत ही फायदेमंद कदम साबित होगा और इसके लिए ऑनलाइन शिकायतों को दर्ज करने में शामिल विभिन्न कदमों को समझना आवश्यक है और सभी शिकायतें ऑनलाइन जमा की जा सकती हैं। इस योजना से उपयोगकर्ताओं को लाभ होगा, लेकिन इसके साथ-साथ, उपयोगकर्ताओं को तकनीकी गड़बड़ियों आदि से संबंधित कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन समग्र (ओवरऑल) रूप से बेहतर तस्वीर को देखते हुए, यह योजना शिकायतों को ऑनलाइन जमा करने के सरल चरणों के साथ उपयोगकर्ता के अनुकूल प्रतीत होती है।

संदर्भ (रेफेरेंसेस)

 

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