कंपनी कानून में बैठकों के प्रकार

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company act 2013

यह लेख नालंदा लॉ कॉलेज, मुंबई विश्वविद्यालय के Nishka Kamath द्वारा लिखा गया है। इस लेख में, लेखक ने कंपनी कानून में बैठकों (बैठक) के प्रकारों पर विस्तार से चर्चा की है। इसके अलावा, लेख परिभाषाओं, महत्व, सामान्य प्रावधानों आदि सहित संकेतकों के साथ कंपनी कानून की बैठकें आयोजित करने के महत्व का एक अवलोकन भी देता है। इसके अलावा, विभिन्न कंपनी बैठकों के प्रावधानों की बेहतर समझ के लिए एक प्रयास किया गया है और कुछ महत्वपूर्ण कंपनी कानून बैठक के निर्णयों का संक्षिप्त विवरण किया गया है। इस लेख का अनुवाद Shreya Prakash द्वारा किया गया है।

Table of Contents

परिचय

क्या आपने कभी सोचा है कि एक कंपनी में कितनी तरह की बैठकें होती हैं? या किस अधिनियम के तहत ऐसी बैठकें आयोजित की जाती हैं? या कंपनी की बैठकें क्यों आयोजित की जाती हैं? यह लेख ऐसे ही तमाम सवालों के जवाब देने की कोशिश है।

एक कंपनी में कई बैठकें बुलाई जाती हैं, जो सामान्य तौर पर सदस्यों की बैठकों, निदेशकों (डायरेक्टर्स) की बैठकों और अन्य बैठकों में विभाजित होती हैं। ये बैठकें अलग-अलग लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए की जाती हैं, और प्रत्येक बैठक के अपने अलग नियम और कानून होते हैं। कंपनी को इन नियमों का पालन करना होता है, और ऐसी निर्धारित बैठकों के अनुसार इसे आयोजित करनी होती हैं। ये बैठकें कंपनी की निर्णय लेने की प्रक्रिया में एक प्रमुख भूमिका निभाती हैं।

आइए अन्य बातों के साथ-साथ उनकी मुख्य विशेषताओं, महत्व, उद्देश्यों और ऐतिहासिक निर्णयों के साथ कंपनी की बैठकों के प्रकारों पर एक नज़र डालें।

कंपनी की बैठक: एक अवलोकन

एक कंपनी की बैठक का मतलब दो या दो से अधिक व्यक्तियों का एक साथ, एक वैध व्यवसाय करने या उसी पर निर्णय लेने के लिए आना होता है, जैसे किसी विशेष उद्देश्य के लिए लोगों का कोई अन्य समूह एक साथ आता है। अब, कंपनी के व्यवसाय को ठीक से चलाने के लिए, कंपनियों के निदेशकों और शेयरधारकों के लिए जितनी बार आवश्यक हो बैठक करना और उनके दृष्टिकोण और चर्चाओं के आधार पर सर्वसम्मत (यूनेनिमस) निर्णय लेना आवश्यक हो जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो कंपनियों के प्रभावी कामकाज के लिए कंपनियों के लिए बैठकें करना महत्वपूर्ण है। निर्णय लेने की प्रक्रिया में इन बैठकों का बहुत महत्व है।

इसके अलावा, शेयरधारक, जो कंपनी के मालिक होते हैं, को कंपनी के मामलों पर उचित चर्चा करने और कंपनी की चल रही गतिविधियों और भविष्य से संबंधित मामलों में अपने अधिकारों का प्रयोग करने का अधिकार होता है। बैठकें आयोजित करने से शेयरधारकों को यह मौका मिलता है और उन्हें निदेशक मंडल (बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स) की गतिविधियों पर नजर रखने का अवसर भी मिलता है, क्योंकि निदेशकों को शेयरधारकों की बैठकों में लिए गए निर्णयों का पालन करने के लिए बाध्य किया जाता है। साथ ही, कंपनी का प्रबंधन शेयरधारकों के हाथों में निहित है; इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि वे सर्वसम्मत निर्णय लेने और एक टीम के रूप में प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिए नियमित निर्णय पर आए।

आइए अब हम कंपनी की बैठकों के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर एक नजर डालते हैं।

कंपनी की बैठकों का अर्थ और परिभाषा

कंपनी अधिनियम, 2013 में “बैठक” शब्द की कोई परिभाषा नहीं है; सरल भाषा में, बैठक को व्यवसाय से संबंधित कुछ वैध गतिविधियों पर चर्चा करने और निष्पादित करने के लिए पूर्व नोटिस या सर्वसम्मत निर्णय द्वारा दो या दो से अधिक व्यक्तियों के एक साथ आने, इकट्ठा होने या एकत्रित होने के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। एक कंपनी की बैठक को साधारण या विशेष व्यवसाय करने और कंपनी के महत्वपूर्ण मामलों पर निर्णय लेने के लिए सदस्यों की एक गणपूर्ति (कोरम) की सहमति या बैठक कहा जा सकता है।

कंपनी की बैठक क्यों होती है

इससे पहले कि हम कंपनी की बैठकों के प्रकारों के बारे में पढ़ें, आइए एक नजर डालते हैं कि वास्तव में कंपनी की बैठकें क्यों आयोजित की जाती हैं।

प्रबंधन कार्य पर नियंत्रण रखना

कंपनी की बैठकें कंपनी के प्रबंधन कार्यों को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

कंपनी के मामलों पर नियंत्रण रखना 

एक कंपनी में, निदेशक शेयरधारकों के प्रति जवाबदेह होते हैं। निदेशकों को व्यवसाय चलाने और कंपनी के दिन-प्रतिदिन के मामलों का प्रबंधन करने का कर्तव्य सौंपा गया है। बैठकें आयोजित करके, कंपनी के मामलों को नियंत्रित किया जाता है।

भविष्य की नीतियां

बैठकों के माध्यम से किसी कंपनी की पिछली नीतियों और अनुभवों पर चर्चा की जा सकती है और भविष्य की नई नीतियों को तय किया जा सकता है। जैसा कि ऊपर कहा गया है, निदेशक शेयरधारकों के प्रति जवाबदेह होते हैं, इसलिए ऐसी बैठकों के माध्यम से, शेयरधारक कंपनी के मामलों के बारे में जानते हैं। शेयरधारकों के अधिकारों में शामिल हैं:

  1. कंपनी के मामलों के बारे में पूछताछ,
  2. कंपनी के कार्य की आलोचना करना,
  3. मंडल पर प्रभावी नियंत्रण रखना।

कंपनी के बैठकों की महत्वपूर्ण परिभाषाएँ

शार्प बनाम डावेस (1971) के मामले में, एक बैठक को “एक वैध उद्देश्य के लिए लोगों की एक सभा” या “किसी भी वैध उद्देश्य के लिए कम से कम दो व्यक्तियों के एक साथ आने” के रूप में परिभाषित किया गया है।

आगे, पी. के. घोष के अनुसार, “सार्वजनिक सरोकार (कॉमन कंसर्न) के किसी वैध व्यवसाय के लेन-देन के लिए दो या दो से अधिक व्यक्तियों का कोई जमावड़ा, सभा या एक साथ आना बैठक कहलाता है।”

इसके अलावा, के. किशोर के अनुसार, “एक सामान्य हित के लिए लेन-देन व्यवसाय के लिए पिछले नोटिस या आपसी समझौते द्वारा कम से कम सदस्यों की एक सहमति या एक साथ आना एक बैठक है।”

उपर्युक्त परिभाषाओं के संदर्भ में सार

उपरोक्त परिभाषाओं से, हम निम्नलिखित अनुमान लगा सकते हैं:

व्यक्तियों की संख्या

एक बैठक में, दो या दो से अधिक व्यक्ति होने चाहिए। बैठक में भाग लेने वाले सदस्यों की संख्या बैठक के प्रकार के आधार पर छोटी, बड़ी या बहुत बड़ी हो सकती है। समिति की बैठक के मामले में, सदस्यों की कुल संख्या कम हो सकती है, जबकि किसी सार्वजनिक कंपनी की वार्षिक सामान्य बैठक के मामले में, कुल संख्या बड़ी हो सकती है, और सार्वजनिक बैठकों के मामले में कुल संख्या बहुत विशाल हो सकती है। 

निश्चित स्थान

बैठक के लिए एक विशिष्ट स्थान होना चाहिए। आधिकारिक बैठकों के मामले में, बैठक कार्यालय में आयोजित की जानी चाहिए। इसके अलावा, बड़ी बैठकों के मामले में, जिसमें सदस्यों की भारी भागीदारी होती है, जैसे किसी सार्वजनिक कंपनी की वार्षिक सामान्य बैठक, बैठक सार्वजनिक हॉल में आयोजित की जा सकती है। इसके अलावा, यदि आवश्यक हो तो सार्वजनिक सभाओं को सार्वजनिक हॉल, खुले मैदानों या सड़कों पर भी आयोजित किया जा सकता है।

निश्चित तिथि और समय

बैठक आयोजित करते समय तिथि एवं समय निश्चित करना आवश्यक होता है। आधिकारिक बैठकों के मामले में, बैठक आयोजित करने के लिए चुनी गई तारीख अक्सर कार्य दिवस होती है, और समय कार्यालय समय के भीतर होता है; हालाँकि, कंपनी अधिनियम के तहत दिनांक और समय से संबंधित मामलों में प्रतिबंध हो सकते हैं।

चर्चा

बैठक आयोजित करते समय कुछ चर्चा होनी चाहिए, जिसका अर्थ है कि बैठक में शामिल व्यक्तियों को बैठक के कार्यसूची (एजेंडा) पर अपने दृष्टिकोण और राय रखनी चाहिए।

पूर्वनिर्धारित विषय

सामान्यतौर पर, कंपनी की बैठकों में, प्रतिभागियों को बैठक के विषय या उद्देश्य के बारे में पहले ही सूचित कर दिया जाता है, ताकि वे उस पर अपने दृष्टिकोण के साथ तैयार होकर आ सकें।

निर्णय 

कार्यसूची के लिए निर्णय सामान्य तौर पर बैठक में ही लिए जाते हैं, क्योंकि किसी निष्कर्ष पर पहुंचना बैठक आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य होता है। बैठक में होने वाले निर्णय कंपनी के सदस्यों के लिए बाध्यकारी होते हैं, भले ही वे बैठक में भाग लेने में सक्षम थे या नहीं, उपस्थित थे या नहीं, या भले ही वे इस निष्कर्ष से सहमत हों या इसका विरोध करते हों।

निर्णय या तो वोटों के माध्यम से या प्रस्तावों के रूप में लिए जाते हैं। इसके अलावा, मतदान के अलग-अलग तरीके हैं। सामान्य तौर पर, जनसभाओं में निर्णय नहीं लिए जाते हैं, और यदि होते भी हैं, तो वे किसी भी रूप में बाध्यकारी नहीं होते हैं।

प्रकार

बैठकें विभिन्न प्रकार की हो सकती हैं, अर्थात्:

  1. निजी,
  2. सार्वजनिक, या
  3. अंतर्राष्ट्रीय (संयुक्त राष्ट्र संघ की तरह)

कंपनी की बैठकों के प्रकार, जो निजी या सार्वजनिक हो सकते हैं, पर नीचे गहराई से चर्चा की गई है।

सामान्य टिप्पणियां
  1. बैठक अपने आप नहीं होती है। बैठक बुलानी या करानी पड़ती है। सरल शब्दों में, बैठक में भाग लेने के अधिकार वाले प्रत्येक व्यक्ति को एक नोटिस भेजी जानी चाहिए।
  2. जनसभा के मामले में, सामान्य प्रचार आवश्यक है। प्रत्येक प्रकार की बैठक को अपनी प्रक्रिया का पालन करना होता है।
  3. दो या दो से अधिक व्यक्तियों की आकस्मिक (एक्सीडेंटल) मुलाकात को बैठक नहीं कहा जाएगा।
  4. सचिव सदस्यों को बुलाने और सूचित करने और बैठक आयोजित करने के लिए जिम्मेदार होता है।

कंपनी की बैठकों का महत्व

बैठकें हमारे दैनिक सामाजिक जीवन में बहुत महत्व रखती हैं। यह एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है जो किसी भी संगठन के निर्णय लेने में काफी आवश्यक है, चाहे वह एक कंपनी हो, एक क्लब या एक संघ भी हो। इसके अलावा, समूह चर्चाएँ इसमें प्रमुख भूमिका निभाती हैं:

  1. कंपनी में परिवर्तन का परिचय,
  2. निर्णय लेना, और
  3. एक नियोक्ता और उसके कर्मचारी के बीच संबंधों में सुधार करता है।

विभिन्न प्रकार की बैठकों के संचालन के उद्देश्य और तरीके अलग-अलग होते हैं। उनमें से प्रत्येक पर आने वाले परिच्छेदों (पैसेज) में विस्तार से चर्चा की गई है।

इसके अलावा, कंपनी की बैठकें आयोजित करने के महत्व पर कुछ उल्लेखनीय बिंदु निम्नलिखित हैं:

  1. जैसा कि कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत कहा गया है, बैठकें कंपनी के प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
  2. कंपनी के सदस्यों जिसे सामान्यतौर पर शेयरधारकों के रूप में जाना जाता है, की सहमति कंपनी द्वारा आयोजित सामान्य बैठकों में प्राप्त की जाती है।
  3. यदि निदेशक मंडल द्वारा कोई गलती की जाती है, तो शेयरधारकों के पास कंपनी की बैठकों में इसे सुधारने का अधिकार होता है।
  4. निदेशक मंडल द्वारा किए गए उपायों पर अपने निर्णयों पर अंतिम निर्णय देने के लिए शेयरधारकों द्वारा शेयरधारकों की बैठकें आयोजित की जाती हैं।
  5. बैठकें शेयरधारकों को कंपनी की हाल की घटनाओं और प्रक्रियाओं के बारे में जानने में मदद करती हैं और उन्हें कुछ मामलों पर विचार-विमर्श करने में सक्षम बनाती हैं।
  6. बैठकें बुलाने, करवाने और संचालन से संबंधित मामलों में कई मानदंड पूरे करने होते हैं।

एक वैध कंपनी की बैठक के घटक (कंपोनेंट्स)

एक कंपनी की बैठक में सामान्य तौर पर निम्नलिखित शामिल होते हैं:

प्रतिभागियों

एक बैठक की पहली और सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता प्रतिभागियों का होना है। एक निजी बैठक के मामले में, बैठक में भाग लेने का अधिकार रखने वाले व्यक्ति, जैसे संगठन के सदस्य, समिति, उप-समिति और जिन लोगों को निमंत्रण मिला है, वे भाग ले सकते हैं। कभी-कभी ऐसे व्यक्ति की अनुपलब्धता की स्थिति में, वह उनकी ओर से अपना प्रतिनिधि या प्रतिपत्री (प्रॉक्सी) भेजने का अधिकार रखता है। जबकि सामाजिक बैठक के मामले में सामान्य जनता को उनमें शामिल होने का अधिकार है।

अध्यक्ष

एक वैध कंपनी बैठक के लिए, प्रत्येक बैठक में एक अध्यक्ष होना चाहिए जिसके पास बैठक को प्रभावी ढंग से चलाने का अधिकार और कर्तव्य होता है।

सचिव

संगठन, समिति, उप-समिति आदि के सचिव को बैठक के आरंभ से लेकर अंत तक कई कर्तव्यों को सौंपा जाता है। वह इस तरह की बैठकों को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाते हैं।

सामान्यंत्रिती 

उनके अलावा जिन्हें बैठक में भाग लेने का अधिकार है, कुछ लोग हैं जिन्हें सामान्यंत्रित किया गया है, उदाहरण के लिए, प्रेस रिपोर्टर।

भौतिक तत्व (मैटेरियल एलिमेंट्स)

बैठक के एक अन्य प्रमुख घटक में भौतिक तत्व शामिल हैं। भौतिक तत्वों में शामिल हैं:

  1. बैठने की व्यवस्था,
  2. लिखने की सामग्री, आदि।

वैध कंपनी बैठकें आयोजित करने के बारे में जानने के लिए सामान्य प्रावधान

बैठक बुलाने का उचित अधिकार

बैठक को वैध माने जाने के लिए, इसे एक उचित प्राधिकारी (अथॉरिटी) द्वारा बुलाया जाना चाहिए, जैसे निदेशक मंडल। एक वैध मंडल बैठक में, एक सामान्य बैठक बुलाने और इस संबंध में नोटिस जारी करने का निर्णय एक प्रस्ताव पारित करके लिया जाना चाहिए।

नोटिस

एक बैठक को ठीक से आयोजित करने के लिए, उचित प्राधिकारी द्वारा एक उचित नोटिस जारी किया जाना चाहिए। इसका अर्थ है कि इस तरह के नोटिस को कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार ठीक से तैयार किया जाना चाहिए। साथ ही, इस तरह के नोटिस को उन सभी सदस्यों को विधिवत रूप से तामील (सर्व) किया जाना चाहिए जो बैठक में भाग लेने और मतदान करने के हकदार हैं। इसके अलावा, कंपनी के वैध नोटिस में विशेष रूप से स्थान, दिन, समय और बैठक में किए जाने वाले व्यवसाय के विवरण का उल्लेख होना चाहिए।

गणपूर्ति

एक गणपूर्ति को सदस्यों की न्यूनतम संख्या के रूप में परिभाषित किया गया है जो किसी विशेष बैठक के प्रावधानों के तहत उपस्थित होने के लिए आवश्यक हैं। गणपूर्ति के बिना बैठक में किए गए किसी भी व्यावसायिक लेनदेन को अमान्य माना जाएगा। गणपूर्ति होने का मुख्य उद्देश्य सदस्यों के एक छोटे से अल्पसंख्यक (माइनोरिटी) द्वारा निर्णय लेने से बचना है जो विशाल बहुमत द्वारा स्वीकार नहीं किया जा सकता है। प्रत्येक कंपनी की बैठक में गणपूर्ति की अपनी संख्या होती है, जिसकी चर्चा आगे के परिच्छेदों में अलग-अलग शीर्षकों के तहत की गई है।

कार्यसूची

कार्यसूची को किसी भी बैठक का आयोजन करते समय लेन-देन किए जाने वाले व्यवसायों की सूची के रूप में वर्णित किया जा सकता है। व्यापार बैठक को व्यवस्थित तरीके से और उचित, पूर्व निर्धारित क्रम में करने के लिए एक कार्यसूची महत्वपूर्ण है। बैठक की नोटिस के साथ एक कार्यसूची सामान्य तौर पर उन सभी सदस्यों को भेजा जाता है जो बैठक में भाग लेने के हकदार होते हैं। बैठक में चर्चा उसी प्रकार होनी चाहिए जैसा कि कार्यसूची में कहा गया है और बैठक में सदस्यों की उचित सहमति से ही क्रम में परिवर्तन किया जा सकता है।

कार्यवृत्त (माइन्यूट)

बैठक के कार्यवृत्त में बैठक की कार्यवाही का न्यायसंगत और सटीक सारांश होता है। बैठक के समापन के 30 दिनों के भीतर बैठकों के कार्यवृत्त तैयार करने और हस्ताक्षर करने होते हैं। इसके अलावा, कार्यवृत्त के बुक को कंपनी के पंजीकृत कार्यालय या किसी भी ऐसे स्थान पर रखा जाना चाहिए जहां निदेशक मंडल ने अपनी स्वीकृति दी हो।

प्रतिपत्री 

‘प्रतिपत्री’ शब्द का इस्तेमाल उस व्यक्ति को संदर्भित करने के लिए किया जा सकता है जिसे कंपनी के शेयरधारक द्वारा कंपनी की सामान्य बैठक में उसका प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना जाता है। इसके अलावा, यह उस प्रक्रिया को भी संदर्भित करता है जिसके माध्यम से ऐसे व्यक्ति का नाम लिया जाता है और उसे बैठक में भाग लेने की अनुमति दी जाती है।

प्रस्ताव

कंपनी की बैठकों में व्यावसायिक लेन-देन प्रस्तावों के रूप में किए जाते हैं। प्रस्ताव दो प्रकार के होते हैं, अर्थात्:

  1. साधारण प्रस्ताव, और
  2. विशेष प्रस्ताव।

कंपनी की बैठकों के प्रकार

कंपनी की बैठकों को मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में विभाजित किया जाता है, और तीन श्रेणियों को आगे उपश्रेणियों में विभाजित किया जाता है, जिन्हें फिर से कुछ श्रेणियों में विभाजित किया जाता है। आइए इन श्रेणियों पर एक नजर डालते हैं।

  1. शेयरधारकों या सदस्यों की बैठकें
    • सामान्य बैठक, जिसे आगे विभाजित किया गया है:
      1. वैधानिक बैठक,
      2. वार्षिक सामान्य बैठक,
      3. असाधारण सामान्य बैठक।
    • वर्ग की बैठक।
  2. निदेशकों की बैठकें
    • निदेशक मंडल की बैठक,
    • समिति मंडल की बैठक।
  3. अन्य बैठकें जिन्हें इस प्रकार वर्गीकृत किया गया है:
    • डिबेंचर धारकों की बैठक
    • लेनदारों की बैठक, और
    • लेनदारों और योगदानकर्ताओं की बैठक।

इससे पहले कि हम प्रत्येक श्रेणी की बारीकियों पर गहराई से विचार करें, यहां आपकी बेहतर समझ के लिए कंपनी की बैठकों के प्रकारों का एक सचित्र प्रतिनिधित्व दिया गया है-

अब जब हमने कंपनी की बैठकों का सचित्र प्रतिनिधित्व देख लिया है, तो आइए हम प्रत्येक बैठक को अधिक विस्तृत तरीके से देखें।

शेयरधारकों या सदस्यों की बैठकें

पहली मुख्य प्रकार की बैठक शेयरधारकों या कंपनी के सदस्यों की बैठक होती है। इसे आगे दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है, अर्थात्:

  1. सामान्य बैठक, और
  2. वर्ग की बैठक।

पहली श्रेणी को आगे तीन उपश्रेणियों में विभाजित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक पर नीचे विस्तार से चर्चा की गई है।

सामान्य बैठक

सामान्य बैठक को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है। आइए हम उनमें से प्रत्येक पर एक नज़र डालें।

वैधानिक बैठक

कृपया ध्यान दें: कंपनी अधिनियम, 2013 के लागू होने से पहले, वैधानिक बैठकों और धारा 165 के तहत रिपोर्ट के लिए निर्धारित आवश्यकताएं वैध थीं। हालांकि, इसके अधिनियमन के बाद, इसे हटा दिया गया है।

निम्नलिखित सिर्फ पाठकों की जानकारी के लिए है।

वैधानिक बैठक क्या है

एक वैधानिक बैठक एक प्रकार की सामान्य बैठक होती है, जिसे शेयरों द्वारा सीमित प्रत्येक कंपनी द्वारा और शेयर पूंजी के साथ गारंटी द्वारा सीमित प्रत्येक कंपनी को एक महीने से कम नहीं और छह महीने से अधिक नहीं होने की तारीख से आयोजित किया जाना चाहिए। निजी कंपनियों को वैधानिक बैठक आयोजित करने से छूट दी गई है। इस बैठक में, कंपनी के निदेशकों द्वारा ‘वैधानिक रिपोर्ट’ के रूप में जानी जाने वाली एक रिपोर्ट पर चर्चा की जाती है।

किन कंपनियों को वैधानिक बैठक आयोजित करने की आवश्यकता नहीं है

वैधानिक बैठक आयोजित करने के लिए निम्नलिखित कंपनियों का कोई दायित्व नहीं है:

  1. निजी कंपनी,
  2. बिना शेयर पूंजी वाली गारंटी द्वारा सीमित कंपनी,
  3. असीमित दायित्व कंपनी,
  4. एक सार्वजनिक कंपनी जो पहले एक निजी कंपनी के रूप में पंजीकृत थी,
  5. एक कंपनी जिसे धारा 43A के तहत एक सार्वजनिक कंपनी के रूप में समझा गया है।
बैठक की नोटिस क्या है

किसी कंपनी का निदेशक मंडल कंपनी के सभी शेयरधारकों या सदस्यों को बैठक की नोटिस अग्रेषित (फॉरवर्ड) करने के लिए कर्तव्य-बंधन है। यह बैठक आयोजित करने से कम से कम 21 दिन पहले किया जाना चाहिए, और नोटिस में कंपनी की ‘वैधानिक बैठक’ का स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए। यदि निदेशक मंडल इसे ‘वैधानिक बैठक’ का नाम नहीं देता है, तो यह प्रावधान का उल्लंघन होगा।

वैधानिक रिपोर्ट क्या है

अब जबकि वैधानिक रिपोर्ट का उल्लेख ऊपर किया गया था, आप सोच सकते हैं कि वास्तव में यह क्या है? चलो पता करते हैं।

निदेशक मंडल वैधानिक बैठक की तारीख से कम से कम 21 दिन पहले ‘वैधानिक रिपोर्ट’ के रूप में जानी जाने वाली रिपोर्ट को अग्रेषित करने के लिए बाध्य है। पंजीकरण के लिए रिपोर्ट की एक प्रति रजिस्ट्रार को भेजनी होगी। इस रिपोर्ट को कंपनी के निदेशक मंडल द्वारा तैयार किया जाना चाहिए और उनमें से कम से कम दो लोगों द्वारा प्रमाणित और संशोधित किया जाना चाहिए।

एक वैधानिक रिपोर्ट के विवरण क्या हैं

कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 165(3) के तहत, एक वैधानिक रिपोर्ट की सामग्री का पूर्व उल्लेख किया गया है; यह कहता है कि रिपोर्ट में यह सब शामिल होना चाहिए:

  1. पूरी तरह से पेड-अप और आंशिक रूप से पेड-अप आवंटित शेयरों की कुल संख्या;
  2. शेयरों के संबंध में कंपनी द्वारा प्राप्त नकदी की राशि;
  3. प्राप्तियों की जानकारी, उनके स्रोतों के आधार और उनका भेद करना और कमीशन, दलाली आदि के लिए खर्च की गई राशि का उल्लेख करना।
  4. निदेशकों, लेखा परीक्षकों (ऑडिटर्स), प्रबंधकों और सचिवों के नाम उनके पते और व्यवसाय के साथ, और उनके नाम और पते में परिवर्तन, यदि कोई हो।
  5. बैठक में अनुमोदन (अप्रूवल) के लिए प्रस्तुत किए जाने वाले समझौतों का विवरण, सुझाए गए संशोधनों के साथ, यदि कोई हो।
  6. उन मामलों में औचित्य जहां कोई हामीदारी (अंडरराइटिंग) समझौता निष्पादित नहीं किया गया था।
  7. निदेशकों और अन्य व्यक्तियों का बकाया।
  8. शेयर या डिबेंचर बेचने के लिए निदेशकों, प्रबंधकों और अन्य को भुगतान किए गए मानदेय की राशि का विवरण।
वैधानिक बैठक करने की प्रक्रिया क्या है

अब जब हम वैधानिक रिपोर्ट और उसके विवरण के बारे में जानते हैं, तो आप सोच रहे होंगे कि वैधानिक बैठक आयोजित करने की उचित प्रक्रिया क्या है। उत्तर नीचे दिए गए बिंदुओं में है।

जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, निदेशक मंडल को कंपनी के प्रत्येक सदस्य को एक वैधानिक रिपोर्ट भेजनी होती है। इस बैठक में शामिल होने वाले सदस्य कंपनी के गठन या वैधानिक रिपोर्ट में शामिल मामलों से संबंधित मामलों पर चर्चा कर सकते हैं। नीचे कुछ बिंदु दिए गए हैं जिन पर ध्यान देना चाहिए:

  1. वैधानिक बैठक करते समय कोई प्रस्ताव नहीं लिया जा सकता है।
  2. इस तरह की बैठक आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य कंपनी के सभी सदस्यों को कंपनी के विकास और उत्पत्ति से संबंधित मामलों से परिचित कराना है।
  3. शेयरधारक या कंपनी के सदस्य, निम्नलिखित से संबंधित विवरण प्राप्त करेंगे:
    • लिए गए शेयर,
    • मिले हुए पैसे,
    • किए गए अनुबंध,
    • किए गए प्रारंभिक व्यय (एक्सपेंस), आदि।
  4. सदस्यों या शेयरधारकों के पास कंपनी की भविष्य की संभावनाओं के साथ-साथ कई व्यावसायिक विचारों और व्यवसाय को समृद्ध करने के तरीकों पर चर्चा करने का अवसर भी होता है।
  5. इसके अलावा, यदि वैधानिक बैठक में कोई निर्णय नहीं हो पाता है, तो स्थगन (एडजोर्नमेंट) बैठक बुलाई जाती है।
  6. कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 433 के अनुसार, यदि कंपनी वैधानिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने में या निर्दिष्ट समय के भीतर वैधानिक बैठक आयोजित करने में चूक करती है, तो इसे समापन के अधीन किया जा सकता है।
  7. हालांकि, अदालत, सीधे कंपनी को समाप्त करने के बजाय, कंपनी को एक वैधानिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने और एक वैधानिक बैठक आयोजित करने के साथ-साथ बैठक आयोजित करने में चूक करने वाले व्यक्तियों पर जुर्माना लगाने का निर्देश देने का अधिकार रखती है।
वैधानिक बैठक आयोजित करने पर प्रावधानों का पालन न करने का क्या प्रभाव पड़ेगा

वैधानिक बैठक आयोजित करने पर प्रावधानों का पालन न करने के परिणाम निम्नलिखित हैं:

  1. यदि धारा 165 के तहत वैधानिक बैठक आयोजित करने के प्रावधान के अनुपालन में कोई गलती होती है, तो कंपनी के निदेशक या अन्य अधिकारी जो गलती पर होंगे, उन्हें जुर्माना देना होगा जो कि ₹500 तक हो सकता है।
  2. कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 43(6) के तहत, यदि कंपनी वैधानिक बैठक आयोजित करने में चूक करती है या यदि वैधानिक रिपोर्ट अधिनियम के प्रावधानों के अनुपालन में नहीं है, तो अदालत के आदेश पर कंपनी को अनिवार्य रूप से समाप्त किया जा सकता है। हालाँकि, कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 443(3) के तहत, अदालत कंपनी को बंद करने के बजाय वैधानिक बैठक आयोजित करने या वैधानिक रिपोर्ट भेजने का आदेश पारित कर सकती है।

इससे पहले कि हम वार्षिक सामान्य बैठक (एजीएम) और असाधारण सामान्य बैठक (ईजीएम) का अध्ययन करें, आइए हम एक सारणीबद्ध (टैबुलर) प्रारूप में उनके बीच के प्रमुख अंतरों पर एक नज़र डालें। यह विषयों की बेहतर समझ के लिए किया जाता है।

आधार वार्षिक सामान्य बैठक (एजीएम) असाधारण सामान्य बैठक (ईजीएम)
यह क्या है?  एक वार्षिक सामान्य बैठक, जिसे सामान्यतौर पर एजीएम के रूप में जाना जाता है, सालाना आयोजित होने वाली एक नियमित बैठक है। एक असाधारण सामान्य बैठक (ईजीएम), एजीएम के अलावा एक बैठक है।
प्रयोज्यता (एप्लीकेबिलिटी) एजीएम सभी कंपनियों पर लागू होती हैं। इसी तरह, ईजीएम भी सभी कंपनियों पर लागू होते हैं।
बैठक आयोजित करने का समय वित्तीय वर्ष की समाप्ति के छह महीने के भीतर एक एजीएम आयोजित की जानी चाहिए। ईजीएम कभी भी हो सकती है।
उद्देश्य निम्नलिखित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एक एजीएम आयोजित की जाती है: कंपनी के निदेशकों का चुनाव, वार्षिक खातों को पास करना, लाभांश (डिविडेंड) की घोषणा करना और लेखा परीक्षकों की नियुक्ति करना। जबकि किसी भी ऐसे मामले की ईजीएम होनी है, जिसके लिए उचित नोटिस दिया गया हो।
ऐसी बैठक कौन बुला सकता है?  निदेशक मंडल के पास ऐसी बैठक बुलाने का अधिकार है। निदेशक मंडल, मांगकर्ताओं (रिक्विजिशनिस्ट) के साथ, ऐसी बैठक बुलाने का अधिकार रखता है।
ऐसी बैठक आयोजित करने में चूक के परिणाम यदि कोई कंपनी अपेक्षित तरीके से एजीएम आयोजित करने में चूक करती है तो न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल) उसे बुला सकता है और जुर्माना लगा सकता है। इसी तरह, न्यायाधिकरण किसी कंपनी द्वारा निर्धारित तरीके से ईजीएम आयोजित करने में गलती करने पर जुर्माना मांग सकता है और जुर्माना लगा सकता है।

वार्षिक सामान्य बैठक (एजीएम)

वार्षिक सामान्य बैठक को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 96 के तहत परिभाषित किया गया है। जैसा कि नाम से पता चलता है, वार्षिक सामान्य बैठक वर्ष में एक बार आयोजित होने वाली सामान्य बैठकों में से एक है। कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 96 के अनुसार, सभी कंपनियों को निर्धारित समय के भीतर एजीएम आयोजित करना होता है। एजीएम कंपनी के सदस्यों को कंपनी के कामकाज की समीक्षा (रिव्यू) करने और कंपनी के प्रबंधन और कामकाज पर अपनी राय व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है।

वार्षिक सामान्य बैठक आयोजित करने का उद्देश्य

एजीएम आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य कंपनी के सामान्य व्यवसाय का लेन-देन करना है। साधारण व्यवसाय में निम्नलिखित शामिल हैं:

  1. निदेशकों और लेखा परीक्षकों से वित्तीय विवरणों और रिपोर्टों पर विचार करना।
  2. लाभांश पर घोषणा करना।
  3. जो निदेशक सेवानिवृत्त (रिटायर) हो चुके हैं, उनके स्थान पर निदेशक या निदेशकों को नियुक्ति करना।
  4. कंपनी के लेखा परीक्षकों के लिए पारिश्रमिक (रिम्युनरेशन) की राशि की नियुक्ति और स्थापना।
  5. इसमें वार्षिक खाते, महत्वपूर्ण रिपोर्ट और लेखा परीक्षा भी शामिल हैं।
वार्षिक सामान्य बैठक आयोजित करने का महत्व

कॉर्पोरेट कानून के तहत, कंपनी के सदस्यों की सुरक्षा के लिए एक वार्षिक सामान्य बैठक को सबसे महत्वपूर्ण संस्थानों में से एक माना जाता है। यह इस बैठक में है – भले ही यह वित्तीय वर्ष में केवल एक बार आयोजित की जाती है – कि कंपनी के सदस्यों को निम्नलिखित से संबंधित मामलों पर प्रबंधन से सवाल करने का अवसर मिलता है:

  1. कंपनी के मामले,
  2. कंपनी का व्यवसाय, और
  3. कंपनी के खाते।

इस बैठक में ही कंपनी के सदस्यों के पास उन निदेशकों को फिर से न चुनने का मौका मिलता है, जिनमें उन्होंने विश्वास खो दिया है। इसके अलावा, चूंकि लेखा परीक्षक भी इस बैठक में सेवानिवृत्त होते हैं, कंपनी के सदस्यों के पास इन लेखा परीक्षकों के पुनर्निर्वाचन के बारे में सोचने का एक और अवसर होता है।

अंतिम लेकिन कम नहीं, यह एजीएम में है कि सदस्य कंपनी द्वारा देय लाभांश की राशि का खुलासा करते हैं। लाभांश के बारे में बात करते समय, यह ध्यान दिया जा सकता है कि निदेशक मंडल लाभांश की राशि पर सिफारिशें करता है, जबकि एजीएम में सदस्य लाभांश की घोषणा करते हैं। इसके अलावा, लाभांश निदेशक मंडल द्वारा सिफारिश की गई राशि से अधिक नहीं हो सकता है।

वार्षिक सामान्य बैठक आयोजित करने के तीन नियम
  1. बैठक वार्षिक आधार पर आयोजित की जानी चाहिए।
  2. दो वार्षिक सामान्य बैठकें आयोजित करने के बीच अधिकतम 15 महीने की अवधि की अनुमति है।
  3. वित्तीय स्थिति विवरण (बैलेंस शीट) तैयार करने के छह महीने के भीतर बैठक आयोजित की जानी चाहिए।

यदि इनमें से किसी भी नियम का पालन नहीं किया जाता है, तो उसे कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत अपराध माना जाएगा। इसकी चर्चा आने वाले परिच्छेदों में की गई है।

वार्षिक सामान्य बैठक आयोजित करने का नोटिस

कंपनी को वार्षिक सामान्य बैठक आयोजित करने के लिए अपने सदस्यों को 21 दिनों का स्पष्ट नोटिस भेजना होगा। नोटिस में बैठक के दिन, तिथि और स्थान का उल्लेख होना चाहिए, साथ ही उस समय का भी उल्लेख होना चाहिए जिस पर इसे आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। नोटिस में स्पष्ट रूप से एजीएम में आयोजित किए जाने वाले व्यवसाय का उल्लेख होना चाहिए। एक कंपनी निम्नलिखित को एजीएम नोटिस भेजने के लिए बाध्य है:

  1. कंपनी के सभी सदस्य, मृत सदस्य के कानूनी प्रतिनिधि और दिवालिया (इंसोल्वेन्ट) सदस्य के समनुदेशिती (असाइनी) सहित।
  2. कंपनी के वैधानिक लेखा परीक्षक।
  3. कंपनी के सभी निदेशक।

नोटिस स्पीड या रजिस्टर्ड मेल या ईमेल जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भी भेजा जा सकता है।

वार्षिक सामान्य बैठक आयोजित करने की तिथि, समय और स्थान

सामान्यतौर पर, एक वार्षिक सामान्य बैठक किसी भी समय आयोजित की जा सकती है, बशर्ते कि यह व्यावसायिक घंटों (सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे के बीच) के दौरान हो और बैठक का दिन राष्ट्रीय अवकाश न हो। अब बैठक के स्थान की बात करें तो यह या तो पंजीकृत कार्यालय के अधिकार क्षेत्र (ज्यूरिस्डिक्शन) के भीतर किसी भी पूर्व-निर्धारित स्थान पर या पंजीकृत कार्यालय में ही आयोजित की जा सकती है।

वार्षिक सामान्य बैठक आयोजित करने की तिथि, समय और स्थान के संदर्भ में कुछ उल्लेखनीय बिंदु नीचे दिए गए हैं:

  1. एक सार्वजनिक कंपनी या एक निजी कंपनी जो एक सार्वजनिक कंपनी की सहायक कंपनी के रूप में कार्य करती है, आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन के अनुसार बैठक का समय निर्धारित कर सकती है।
  2. एक सामान्य बैठक में, बाद की बैठकों के आयोजन के समय का निर्धारण करने के लिए एक प्रस्ताव भी पारित किया जा सकता है।
  3. निजी कंपनियों के मामले में, किसी भी बैठक में प्रस्ताव पारित करके समय और स्थान निर्धारित किया जाता है।
  4. एक निजी कंपनी की बैठक के लिए स्थान कंपनी के पंजीकृत कार्यालय के अधिकार क्षेत्र के भीतर नहीं हो सकता है।

इसके अलावा, 2013 अधिनियम की धारा 101 के अनुसार, यदि कोई सदस्य कंपनी द्वारा वार्षिक सामान्य बैठक आयोजित करने में गलती करने की स्थिति में आवेदन दायर करता है, तो बैठक के लिए नोटिस देने की समय सीमा को वोट देने के हकदार सदस्यों की सहमति से 21 दिन (21 दिन वार्षिक सामान्य बैठक बुलाने के लिए नोटिस भेजने की समय सीमा है) से कम किया जा सकता है। 

पहली वार्षिक सामान्य बैठक और छूट

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 96 के अनुसार, जैसा कि नाम से पता चलता है, एक सामान्य बैठक सालाना आयोजित की जानी चाहिए। यह अनिवार्य है कि सभी कंपनियां नियमित अंतराल पर ऐसी बैठकें करें। जब कंपनी के निगमन के बाद पहली बार वार्षिक सामान्य बैठक आयोजित की जाती है, तो इसे कंपनी के वित्तीय वर्ष के समापन की तारीख से नौ महीने की अवधि के भीतर और अन्य मामलों में वित्तीय वर्ष के समापन की तारीख से छह महीने के भीतर आयोजित किया जाना चाहिए। इसके अलावा, कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 96 के अनुसार, एक कंपनी का कोई दायित्व नहीं है कि वह अपनी पहली वार्षिक सामान्य बैठक आयोजित करने तक कोई भी सामान्य बैठक आयोजित करे। इस तरह की छूट प्रदान की जाती है ताकि कंपनी लंबी अवधि के लिए अपनी अंतिम रिपोर्ट तैयार कर सके। एक अन्य प्रावधान जो धारा 166(1) के तहत प्रदान किया गया है, वह यह है कि, रजिस्ट्रार से उचित प्राधिकरण के साथ, कंपनी वार्षिक सामान्य बैठक की तारीख को स्थगित कर सकती है। रजिस्ट्रार के पास अधिक से अधिक तीन महीने के लिए तारीख को स्थगित करने का अधिकार है, हालांकि, इस तरह की छूट कंपनी की पहली वार्षिक सामान्य बैठक के मामले में लागू नहीं होती है। इसके अलावा, एक कंपनी एक वर्ष में एक वार्षिक सामान्य बैठक आयोजित नहीं कर सकती है, बशर्ते रजिस्ट्रार ने इसके लिए सहमति दी हो, हालांकि, इस तरह के विस्तार का औचित्य उचित और वास्तविक होना चाहिए।

दो वार्षिक सामान्य बैठकों के बीच अंतराल

कंपनी अधिनियम की धारा 96 के अनुसार, दो वार्षिक सामान्य बैठकों के बीच पंद्रह महीने से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए। इसके अलावा, अधिनियम की धारा 210 में कहा गया है कि एक कंपनी को कंपनी के सभी लाभ और हानियों के खातों पर एक रिपोर्ट प्रदान करनी चाहिए, और यदि कंपनी को कोई लाभ नहीं होता है, तो एक आय और व्यय रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी चाहिए।

इसके अलावा, दो वार्षिक सामान्य बैठकों के बीच अंतराल के मामलों में निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है:

  1. जब कोई कंपनी लाभ और हानि पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करती है, तो उसे निगमन के दिन से ही कंपनी द्वारा सहन किए गए सभी लाभ और हानियों का उल्लेख करना होता है।
  2. खाते में अंतिम वार्षिक सामान्य बैठक की तारीख से कम से कम 9 महीने का अद्यतन (अपडेट) होना चाहिए।
  3. अकाउंट रिपोर्ट के साथ एक वित्तीय स्थिति विवरण भी जमा करनी होगी।

साथ ही, पहली वार्षिक सामान्य बैठक आयोजित करने के बाद, अगली एजीएम वित्तीय वर्ष के अंत से 6 महीने के भीतर आयोजित की जानी चाहिए। यदि, किसी अप्रत्याशित परिस्थिति के कारण, कंपनी बैठक आयोजित करने में विफल रहती है, तो न्यायाधिकरण 3 महीने का विस्तार प्रदान कर सकता है।

गणपूर्ति
सार्वजनिक कंपनी

एक सार्वजनिक कंपनी के मामले में गणपूर्ति में निम्नलिखित शामिल होंगे:

  1. 5 अगर कंपनी में 1000 से कम सदस्य हैं,
  2. 15 अगर सदस्य 1000 और 5000 के बीच हैं, और
  3. 30 यदि सदस्यों की संख्या 5000 से अधिक है।
निजी कंपनी

एक निजी कंपनी के मामले में, केवल दो सदस्य मौजूद होंगे जो गणपूर्ति का गठन करेंगे।

वार्षिक सामान्य बैठकों में प्रतिपत्री 

कंपनी का कोई भी सदस्य जिसके पास बैठक में मतदान करने का अधिकार है, वह प्रतिपत्री नियुक्त करने का हकदार होगा, अर्थात, स्वयं के स्थान पर उपस्थित होने और मतदान करने के लिए कोई अन्य व्यक्ति। प्रतिपत्री की नियुक्ति फॉर्म नंबर एमजीटी 11 में होगी। इसके अलावा, कोई व्यक्ति कुल 50 से अधिक सदस्यों की ओर से प्रतिपत्री के रूप में कार्य नहीं कर सकता है और वोट देने के अधिकार के साथ कुल पूंजी का 10% से अधिक नहीं हो सकता है।

कंपनी के विफल होने पर वार्षिक सामान्य बैठक और जुर्माना आयोजित करने के बाद की जाने वाली प्रक्रिया

वार्षिक सामान्य बैठक आयोजित करने के बाद, 30 दिनों की अवधि के भीतर एमजीटी-15 के रूप में एक रिपोर्ट दाखिल करनी होती है। इसके अलावा, धारा 121 के तहत, रिपोर्ट में यह शामिल होगा कि 2013 अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार बैठक कैसे बुलाई गई, आयोजित की गई है। अगर कंपनी ऐसा करने में गलती करती है, तो ₹1 लाख का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके अलावा, बैठक की प्रक्रिया का पालन करने में चूक करने वाले प्रत्येक अधिकारी पर न्यूनतम ₹25,000 का जुर्माना लगाया जाएगा, और यदि समस्या बनी रहती है, तो विफलता के बने रहने के बाद प्रतिदिन के लिए ₹500 का जुर्माना लगाया जा सकता है, और वही अधिकतम ₹ 1 लाख तक हो सकता है।

वार्षिक सामान्य बैठक आयोजित नहीं करने के लिए जुर्माना

यदि कोई कंपनी, कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 99 के अनुसार वार्षिक सामान्य बैठक आयोजित करने में गलती करती है, तो इस कार्य को कानून की दृष्टि से एक गंभीर अपराध माना जाएगा। कंपनी का प्रत्येक सदस्य जो गलती पर है, उसे चूककर्ता माना जाएगा।

इसके अलावा, चूककर्ताओं पर ₹100,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा, कंपनी अधिनियम की धारा 99 के अनुसार, यदि चूककर्ता वही गलतियाँ करते रहते हैं, और यदि धारा 96 और 97 के तहत प्रावधानों का पालन नहीं किया जाता है, तो चूककर्ता पर ₹5000 का जुर्माना तब तक लगाया जाएगा जब तक समस्या बनी रहती है।

एनसीएलटी (राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण) की शक्ति

राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण, जिसे सामान्यतौर पर एनसीएलटी के रूप में जाना जाता है, के पास कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 97 के तहत बैठक बुलाने या निर्देशित करने का अधिकार है, यदि बैठक आयोजित करने में विफलता से संबंधित मामलों में किसी सदस्य द्वारा आवेदन दायर किया जाता है।

असाधारण सामान्य बैठक (ईजीएम)

एक कंपनी में, कुछ ऐसे मामले होते हैं जिन पर चर्चा करना इतना महत्वपूर्ण होता है कि उन्हें तुरंत सदस्यों को संबोधित करने की आवश्यकता होती है, वहां एक असाधारण सामान्य बैठक काम में आती है। इस तरह की बैठकों पर कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 100 के तहत चर्चा की जाती है। एक असाधारण सामान्य बैठक वैधानिक बैठक, वार्षिक सामान्य बैठक या किसी स्थगन बैठक के अलावा कोई भी सामान्य बैठक होती है। इस तरह की बैठक विशेष व्यवसाय पर चर्चा करने के लिए आयोजित की जाती है, विशेष रूप से उन व्यवसायों पर जो सामान्य व्यवसाय के अंतर्गत नहीं आते हैं जिनकी वार्षिक सामान्य बैठकों में चर्चा की जाती है। ऐसी बैठकें सामान्यतौर पर उन मामलों के लिए बुलाई जाती हैं जो जरूरी हैं और उन पर वार्षिक सामान्य बैठकों में चर्चा नहीं की जा सकती है। असाधारण सामान्य बैठकें सामान्यतौर पर निम्नलिखित द्वारा बुलाई जाती हैं:

  1. कंपनी के निदेशक या निदेशक मंडल,
  2. कंपनी के शेयरधारक जिनके पास चुकता शेयरों का 1/10 हिस्सा है।

असाधारण सामान्य बैठक बुलाना

उपरोक्त शीर्षक से निपटने के दौरान, किसी को आश्चर्य हो सकता है कि कब और किसके द्वारा एक असाधारण सामान्य बैठक बुलाई जा सकती है। चलो पता करते हैं।

असाधारण सामान्य बैठक निम्नलिखित परिस्थितियों में बुलाई जा सकती है:

निदेशक मंडल द्वारा स्वप्रेरणा (सुओ मोटो) से

ऐसे मामलों में जहां निदेशक मंडल के पास चर्चा करने के लिए कुछ जरूरी मामले हैं और ऐसे मामलों को अगली सामान्य बैठक तक स्थगित नहीं किया जा सकता है, यदि आवश्यक हो तो निदेशक मंडल एक असाधारण सामान्य बैठक आयोजित कर सकता है। 2013 के अधिनियम की धारा 100 (1) के तहत इसकी चर्चा की गई है।

सदस्यों के अनुरोध पर मंडल द्वारा

निदेशक मंडल निम्नलिखित सदस्यों की संख्या की मांग पर एक असाधारण सामान्य बैठक बुला सकता है:

  1. शेयर पूंजी वाली कंपनी के मामले में

सदस्य जो मतदान अधिकारों का प्रयोग करने की तिथि पर मांग की प्राप्ति की तिथि पर कंपनी की चुकता शेयर पूंजी का 1/10वां हिस्सा रखते हैं।

2. किसी कंपनी के पास शेयर पूंजी नहीं होने की स्थिति में

सदस्य जो मतदान अधिकारों का प्रयोग करने की तिथि पर मांग की प्राप्ति की तिथि पर कंपनी की चुकता शेयर पूंजी का 1/10वां हिस्सा रखते हैं।

माँगकर्ताओं द्वारा

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 100(4) के तहत, यदि मंडल किसी भी मामले के संबंध में वैध मांग की प्राप्ति की तारीख से 21 दिनों के भीतर मामले पर विचार करने के लिए बैठक बुलाने के लिए कोई कदम नहीं उठाता है, इस तरह की मांग प्राप्त करने की तारीख से 45 दिनों के बाद, फिर बैठक बुलाई जा सकती है और मांग की तारीख से तीन महीने की अवधि के भीतर मांगकर्ताओं द्वारा यह स्वयं आयोजित की जा सकती है।

इसके अलावा, विषय की बेहतर समझ के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है:

  • नोटिस

नोटिस में बैठक आयोजित करने की तिथि, दिन, समय और स्थान निर्दिष्ट होना चाहिए, और उसी शहर में पंजीकृत कार्यालय और कार्य दिवस पर आयोजित किया जाना चाहिए।

  • नोटिस पर हस्ताक्षर किया जाना है

नोटिस को सभी मांगकर्ताओं द्वारा या उन मांगकर्ताओं द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित किया जाना चाहिए जिनके पास मांगकर्ताओं के स्थान पर हस्ताक्षर करने की अनुमति है, बशर्ते ऐसी अनुमति लिखित रूप में हो। यह ऐसी अनुमति देने के लिए स्कैन की गई प्रति के साथ संलग्न (अटैच) इलेक्ट्रॉनिक अनुरोध के माध्यम से भी किया जा सकता है।

  • नोटिस के साथ व्याख्यात्मक विवरण संलग्न करने की कोई आवश्यकता नहीं है

मांगकर्ताओं द्वारा बुलाई गई एक असाधारण सामान्य बैठक की नोटिस के साथ धारा 102 के तहत किसी भी व्याख्यात्मक बयान को संलग्न करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

  • बैठक का नोटिस देना

बैठक का नोटिस उन सभी सदस्यों को देना होगा जिनका नाम कंपनी के पंजीकृत सदस्यों की सूची में हैं। कंपनी में ईजीएम आयोजित करने के लिए वैध अनुरोध जमा करने वाले मांगकर्ताओं के तीन दिनों के भीतर इसे पूरा किया जाना चाहिए।

  • नोटिस देने का तरीका

बैठक का नोटिस स्पीड मेल, रजिस्टर्ड मेल या ईमेल जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भी भेजा जा सकता है। यदि नोटिस देने में कोई समस्या है या किसी सदस्य को किसी भी कारण से नोटिस प्राप्त नहीं होता है, तो किसी भी सदस्य द्वारा बैठक को अमान्य नहीं किया जाएगा।

न्यायाधिकरण द्वारा

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 98 के अनुसार, यदि कंपनी में बैठक आयोजित करना संभव नहीं है, तो न्यायाधिकरण या तो स्वप्रेरणा से या कंपनी के किसी भी निदेशक या सदस्य जिसके पास मतदान करने का अधिकार है, द्वारा प्रस्तुत आवेदन के माध्यम से बैठक कर सकता है।

  1. न्यायाधिकरण जिस तरीके से उचित समझे, उस तरीके से बैठक आयोजित करने और संचालित करने का निर्देश दें, और
  2. सहायक या परिणामी निर्देश प्रदान करें जैसा कि न्यायाधिकरण उपयुक्त मानता है, जिसमें किसी भी निर्देश को बुलाने, आयोजित करने और बैठक आयोजित करने, अधिनियम या कंपनी के आर्टिकल के संचालन से संबंधित मामलों में संशोधन शामिल हैं।

इस तरह के निर्देश किसी भी आदेश को भी शामिल कर सकते हैं कि कंपनी का कोई सदस्य व्यक्तिगत रूप से या प्रतिपत्री के माध्यम से एक बैठक की रचना करने के लिए माना जाएगा। इस तरह के आदेशों के अनुसार आयोजित बैठक को कंपनी की बैठक के रूप में संदर्भित किया जाएगा जिसे विधिवत बुलाया और आयोजित करवाया जाता है।

एक असाधारण सामान्य बैठक आयोजित करने का स्थान

एक असाधारण सामान्य बैठक पंजीकृत कार्यालय या शहर में किसी अन्य स्थान पर आयोजित की जा सकती है जहां ऐसा पंजीकृत कार्यालय स्थित है।

असाधारण सामान्य बैठक के लिए नोटिस

ऐसी बैठक आयोजित करने के कम से कम 21 दिनों के भीतर एक असाधारण सामान्य बैठक का नोटिस लिखित रूप में या इलेक्ट्रॉनिक तरीके के माध्यम से दिया जाना चाहिए।

असाधारण सामान्य बैठक ठीक से आयोजित नहीं करने के लिए जुर्माना

ऐसे मामलों में जहां एक असाधारण सामान्य बैठक ठीक से आयोजित नहीं की जाती है, चूककर्ताओं पर निर्धारित समय के भीतर ₹10,000 का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा, यदि समस्या बनी रहती है, तो प्रति दिन ₹1000 का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके अतिरिक्त, सफलतापूर्वक ईजीएम आयोजित करने में त्रुटि के मामलों में अधिकतम जुर्माना इस प्रकार है:

  1. ₹50,000 कंपनी के एक सदस्य के लिए, और
  2. ₹200,000 कंपनी के लिए।

वर्ग की बैठक

कंपनी की बैठकें दो व्यापक श्रेणियों के अंतर्गत आती हैं, अर्थात्:

  1. सामान्य बैठकें, और
  2. वर्ग बैठकें।

हम ऊपर विभिन्न प्रकार की सामान्य बैठकों के बारे में पहले ही बात कर चुके हैं, आइए अब चर्चा करते हैं कि ये वर्ग बैठकें क्या हैं!

वर्ग बैठकें, जैसा कि नाम से पता चलता है, कंपनी के उन शेयरधारकों के लिए आयोजित बैठकें होती हैं जिनके पास शेयरों की एक विशेष श्रेणी होती है। इस तरह की बैठक एक प्रस्ताव पारित करने के लिए आयोजित की जाती है जो केवल संबंधित वर्ग के सदस्यों पर बाध्यकारी होती है। साथ ही, केवल उस विशेष वर्ग के शेयरों से संबंधित सदस्यों को बैठक में भाग लेने और मतदान करने का अधिकार होता है। सामान्य तौर पर, मतदान के नियम वर्ग की बैठकों पर लागू होते हैं क्योंकि वे सामान्य बैठकों में मतदान को नियंत्रित करते हैं।

आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन में बताए गए अनुसार उस वर्ग के अधिकारों या विशेषाधिकारों को बदलने की आवश्यकता होने पर ऐसी वर्ग बैठकें आयोजित की जा सकती हैं। ऐसे परिवर्तनों को निष्पादित करने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि इन संशोधनों को शेयरधारकों की एक अलग बैठक में अनुमोदित किया जाए और एक विशेष प्रस्ताव पारित करके इसका समर्थन किया जाए। कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 48 के तहत, जो शेयरधारकों के अधिकारों में भिन्नता के बारे में बात करती है, किसी भी भिन्नता के मामले में विभिन्न वर्गों के शेयरों के धारकों की वर्ग बैठकें आयोजित की जानी चाहिए। इसी तरह, धारा 232 के तहत, जो कंपनियों के विलय (मर्जर) और समामेलन (एमाल्गामेशन) पर चर्चा करती है, जहां व्यवस्था की एक योजना प्रस्तावित है, वहाँ एक आवश्यकता है कि शेयरधारकों और लेनदारों के कई वर्गों की बैठकें आयोजित की जाएँ।

निदेशकों की बैठकें

निदेशक मंडल

मंडल की बैठक

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 173 के अनुसार, एक कंपनी को निम्नलिखित तरीके से निदेशक मंडल की बैठक आयोजित करनी होती है:

  1. पहली मंडल बैठक निगमन की तारीख से तीस दिनों की अवधि के भीतर आयोजित की जानी है।
  2. उपरोक्त बैठक के अलावा, प्रत्येक कंपनी को सालाना कम से कम चार मंडल बैठकें करनी होती हैं, और लगातार दो बैठकों के बीच एक सौ बीस दिनों से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए।

कृपया ध्यान दें: सचिवीय मानक (सेक्रेटेरियल स्टैंडर्ड) 1 (एसएस -1) जारी करने के साथ, आईसीएसआई द्वारा एक परिपत्र (सर्कुलर), एक स्पष्टीकरण दिया गया था कि मंडल प्रत्येक छह महीने में कम से कम एक बार एक बैठक आयोजित करेगा जिसमें दो लगातार मंडल की बैठको के बीच अधिकतम एक सौ बीस दिन का अंतर होगा। इसके अलावा, एसएस ने यह भी निर्दिष्ट किया कि यह पर्याप्त होगा यदि कोई कंपनी पहली बैठक के अलावा अपने निगमन के वर्ष में प्रत्येक नामकरण कैलेंडर तिमाही में एक बैठक आयोजित करती है, जो कि निगमन की तारीख से तीस दिनों के भीतर आयोजित की जानी है।

3. कंपनी अधिनियम की धारा 8 से संबंधित मामलों में, एमसीए द्वारा दिनांक 5.06.2015 को छूट के साथ, यह माना गया था कि धारा 173 का उप खंड (1) केवल उस सीमा तक लागू होगा जो ऐसी कंपनियों के निदेशक मंडल के पास है, जो हर छह महीने में कम से कम एक बैठक करवाएंगे।

मंडल की बैठक आयोजित करने का उद्देश्य

मंडल की बैठकें निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए आयोजित की जाती हैं:

  1. शेयर और डिबेंचर जारी करने के लिए।
  2. शेयरों पर कॉल करने के लिए।
  3. शेयरों को जब्त करने के लिए।
  4. शेयरों को हस्तांतरित (ट्रांसफर) करने के लिए।
  5. लाभांश की दर तय करने के लिए।
  6. डिबेंचर के अतिरिक्त ऋण लेने के लिए।
  7. कंपनी के धन में निवेश करने के लिए।
  8. कंपनी की कठिनाइयों पर विचार करने के लिए।
  9. कंपनी की नीतियों के निर्णय लेने के लिए।

मंडल की बैठकों का नोटिस

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 173(3) के अनुसार-

  1. कंपनी के साथ पंजीकृत पते पर प्रत्येक निदेशक को कम से कम सात दिनों का नोटिस भेजा जाना चाहिए।
  2. इस तरह का नोटिस या तो स्पीड पोस्ट के माध्यम से, हाथ से वितरण द्वारा, या किसी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजा जा सकता है।
  3. एसएस-1 (ऊपर उल्लिखित) में कहा गया है कि यदि कंपनी स्पीड पोस्ट, या पंजीकृत डाक, या कूरियर द्वारा नोटिस भेजती है, तो नोटिस की अवधि में अतिरिक्त दो दिन जोड़े जाएंगे।
  4. ऐसी स्थितियों में जब मंडल की बैठक कम समय के नोटिस पर बुलाई जाती है, इसे कम से कम एक स्वतंत्र निदेशक की उपस्थिति में आयोजित किया जाना चाहिए।
  5. इसके अलावा, यदि स्वतंत्र निदेशक अनुपस्थित है, तो लिया गाया निर्णय सभी निदेशकों को परिचालित किया जाना चाहिए, और यह कम से कम एक स्वतंत्र निदेशक द्वारा निर्णय के अनुसमर्थन के बाद ही अंतिम होगा।
  6. इसके अलावा, ऐसे मामलों में जहां किसी कंपनी का अपना स्वतंत्र निदेशक नहीं है, निर्णय को केवल तभी अंतिम माना जाएगा, जब अधिकांश निदेशकों द्वारा इसकी पुष्टि की जाती है, जब तक कि अधिकांश निदेशकों ने बैठक में ही अपनी स्वीकृति नहीं दे दी हो।

एक वैध मंडल बैठक बुलाने और आयोजित करने के लिए आवश्यकताओं और प्रक्रियाओं पर कुछ महत्वपूर्ण बिंदु

  1. बैठक में निदेशक ऐसे शामिल हो सकते हैं –
    • स्वयं,
    • वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से, या
    • अन्य श्रव्य (ऑडियो) दृश्य साधन।
  2. कंपनी (मंडल की बैठकें और उसकी शक्तियाँ) नियम, 2014 के नियम 3 में आवश्यकताओं और प्रक्रियाओं से संबंधित प्रावधान हैं, साथ ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मंडल की बैठकों को संप्रेषित करने और आयोजित करने से संबंधित मामलों के लिए व्यक्तिगत रूप से मंडल की बैठकों के लिए आवश्यक प्रक्रियाएं हैं।
  3. वर्चुअल बैठक करते समय यह आवश्यक है कि कंपनियां अंतिम समय में किसी भी तरह की समस्या से बचने के लिए उचित व्यवस्था करें।
  4. कंपनी के अध्यक्ष और सचिव को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से संबंधित मामलों में आवश्यक सावधानी बरतें, जैसे उचित सुरक्षा, कार्यवाही की रिकॉर्डिंग और बैठक के कर्यवृत तैयार करना, उचित श्रव्य दृश्य उपकरण आदि होना।
  5. बैठक आयोजित करने का नोटिस अधिनियम की धारा 173, उपधारा 3 के तहत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार होना चाहिए।
  6. बैठक शुरू करते समय, अध्यक्ष का कर्तव्य है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या अन्य ऐसे माध्यमों से भाग लेने वाले प्रत्येक निदेशक को निम्नलिखित रिकॉर्ड करने के लिए कहे:
    • निदेशक का नाम;
    • वह स्थान जहाँ से निर्देशक भाग ले रहा है;
    • एक प्रतिज्ञान (एफर्मेशन) कि निदेशक बैठक में अन्य प्रतिभागियों के साथ पूरी तरह से देख, सुन और संवाद कर सकता है;
    • एक पुष्टि कि निदेशक को कार्यसूची और बैठक से संबंधित सभी प्रासंगिक सामग्री प्राप्त हो गई है;
    • एक उद्घोषणा कि निदेशक के अलावा कोई अन्य व्यक्ति भाग नहीं ले रहा है या बिंदु (b.) में वर्णित बैठक की जगह की कार्यवाही तक पहुंच नहीं है।
    • रोल कॉल के बाद, अध्यक्ष या सचिव को मंडल को उन सदस्यों के नामों के बारे में सूचित करना होगा जो अनुरोध पर या अध्यक्ष के प्राधिकरण के साथ बैठक में भाग ले रहे हैं और पुष्टि करते हैं कि आवश्यक गणपूर्ति पूरा हो गया है।
    • कुछ ऐसे मामले हैं जिन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या अन्य दृश्य-श्रव्य माध्यमों से नहीं निपटाया जाना चाहिए, अर्थात्:
      1. वार्षिक वित्तीय विवरणों की स्वीकृति;
      2. मंडल की रिपोर्ट का अनुमोदन;
      3. प्रॉस्पेक्टस की स्वीकृति;
      4. वित्त से संबंधित बयानों पर विचार करने के लिए लेखापरीक्षा समिति की बैठकें, एक समेकित वित्तीय विवरण सहित, यदि कोई हो, जिसे अधिनियम की धारा 134 की उप-धारा (1) के तहत मंडल से अनुमोदन की आवश्यकता होती है; और
      5. समामेलन, विलय, डीमर्जर, अधिग्रहण से संबंधित मामलों पर स्वीकृति।

कार्यसूची

शब्द “कार्यसूची” को किए जाने वाले कार्यों के रूप में वर्णित किया जा सकता है। कंपनी की बैठकों के मामले में, इसे उस व्यवसाय का विवरण कहा जा सकता है जिससे एक बैठक में लेन-देन किया जाना चाहिए, साथ ही उस आदेश के साथ जिसमें व्यवसाय को निपटाया जाना चाहिए। भले ही कंपनी अधिनियम, 2013 में कोई स्पष्ट उल्लेख या प्रावधान नहीं है, सचिव के लिए एक कार्यसूची भेजने या मंडल की बैठक के नोटिस में इसे शामिल करने के लिए, बैठक आयोजित करने के लिए यह आवश्यक है कि कार्यसूची का उल्लेख नोटिस के साथ किया जाए। जब एक कार्यसूची नोटिस से जुड़ी होती है, तो निदेशक प्रस्तावित व्यवसाय और बैठक आयोजित करने के उद्देश्यों से अवगत होते है, इस प्रकार, वह बैठक में होने वाली चर्चा के लिए विधिवत तैयार हो सकता है।

गणपूर्ति

जैसा कि हम जानते हैं, प्रत्येक कंपनी को वैध कंपनी बैठक आयोजित करने के लिए उचित गणपूर्ति की आवश्यकता होती है। अब, अधिनियम की धारा 174 के तहत मंडल की बैठक के लिए गणपूर्ति कुल संख्या का एक तिहाई या दो निदेशकों, जो भी अधिक हो, का होता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या किसी अन्य दृश्य-श्रव्य माध्यम से भाग लेने वाले किसी भी निदेशक को भी गणपूर्ति निर्धारित करने पर विचार करना चाहिए।

इसके अलावा, यदि निदेशकों की संख्या कम हो जाती है या किसी निदेशक या निदेशकों को हटा दिया जाता है, तो जारी रखने वाले निदेशक गणपूर्ति के लिए  और बचे हुए अंतर को भरने के लिए या एक सामान्य बैठक बुलाने के लिए निदेशकों की कम हुई संख्या की ओर से कार्य कर सकते हैं। हालांकि, वे किसी अन्य उद्देश्य के लिए कार्य नहीं करेंगे। इसके अलावा, ऐसे मामलों में जहां रुचि रखने वाले निदेशकों की संख्या निदेशक मंडल की कुल संख्या के दो-तिहाई से अधिक या उसके बराबर है, ऐसे निदेशकों की संख्या जो रुचि नहीं रखते हैं और बैठक में भाग लेने के लिए हैं, संख्या दो से कम नहीं है, ऐसे समय में गणपूर्ति होगा।

यह ध्यान रखना उचित है कि गणपूर्ति को न केवल बैठक के प्रारंभ के समय पर उपस्थित होना चाहिए बल्कि कंपनी के साथ व्यापार करने के समय भी उपस्थित होना चाहिए।

निदेशकों की समिति

निदेशक मंडल के पास समितियाँ बनाने और ऐसी समितियों को शक्तियाँ सौंपने का अधिकार है; हालाँकि, यह महत्वपूर्ण है कि ऐसी समिति में केवल निदेशक हों और कोई अन्य सदस्य न हो। इसके अलावा, ऐसी समितियों के लिए कंपनी के आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन द्वारा अधिकृत होना और कंपनी अधिनियम में निर्धारित प्रावधानों के तहत होना अनिवार्य है। इन सभी समितियों की बैठकें मंडल की बैठकों की तरह ही आयोजित की जाती हैं।

बड़ी कंपनियों में, निदेशक मंडल की उप-समितियों द्वारा निम्नलिखित नियमित मामलों की देखभाल की जाती है:

  1. आवंटन,
  2. हस्तांतरण करना,
  3. वित्त।

अन्य बैठकें

डिबेंचर धारकों की बैठक

एक कंपनी डिबेंचर जारी करने की हकदार है, और इसे आगे लागू करने के लिए, डिबेंचर धारकों के लिए एक बैठक बुलाई जा सकती है। यह बैठक निदेशक मंडल और डिबेंचर धारकों के बीच होती है। ये बैठकें सामान्यतौर पर डिबेंचर धारकों के अधिकारों और जिम्मेदारियों पर चर्चा करने के लिए बुलाई जाती हैं।

डिबेंचर ट्रस्ट डीड में निर्धारित प्रावधानों के अनुसार डिबेंचर धारकों की बैठक आयोजित की जाती है। ट्रस्ट डीड में उल्लिखित नियम और विनियम निम्नलिखित से संबंधित हो सकते हैं:

  1. बैठक का नोटिस,
  2. बैठक के अध्यक्ष की नियुक्ति,
  3. प्रस्ताव पारित करना,
  4. बैठक का गणपूर्ति, और
  5. बैठक के कार्यवृत्त को लिखना और हस्ताक्षर करना।

डिबेंचर धारक बैठकें सामान्य तौर पर समय-समय पर उन मामलों पर चर्चा करने के लिए आयोजित की जाती हैं जिनमें डिबेंचर धारकों का हित शामिल होता है, जैसे:

  1. पुनर्निर्माण,
  2. पुनर्गठन,
  3. समामेलन, या
  4. कंपनी का परिसमापन (वाइंडिंग अप)।

लेनदारों की बैठक

लेनदारों की बैठक एक शब्द है जिसका उपयोग कंपनी के लेनदारों की बैठक आयोजित करने के लिए कंपनी द्वारा बैठक सेटअप का वर्णन करने के लिए किया जाता है। कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत, कंपनियों को न केवल लेनदारों के साथ बातचीत करने की शक्ति सौंपी गई है, बल्कि ऐसा करने के लिए एक प्रक्रिया भी स्थापित की गई है। इस तरह की बैठकें हमेशा उन मामलों में आयोजित की जाती हैं जहां एक लेनदार स्वेच्छा से इसे बंद करने का फैसला करता है।

इसके अलावा, कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 108, लेनदारों की बैठकें आयोजित करने पर चर्चा करती है। इसमें यह भी कहा गया है कि उक्त अधिनियम की निम्नलिखित धाराओं के तहत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार बैठकें आयोजित की जानी चाहिए:

  1. धारा 109 जो मतदान की मांग पर चर्चा करती है,
  2. धारा 110 जो डाक मतपत्र (पोस्टल बैलेट) के बारे में बात करती है, और
  3. धारा 111 जिसमें सदस्यों के प्रस्तावों के प्रसार के संबंध में प्रावधान हैं।

लेनदारों की बैठक में, लेनदार पुनर्भुगतान योजना को स्वीकृत, संशोधित या अस्वीकार करने का निर्णय ले सकते हैं। इसके अलावा, समाधान पेशेवर को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कंपनी के लेनदारों द्वारा सुझाए गए किसी भी प्रकार के परिवर्तन या संशोधनों को उस विशेष परिवर्तन को करने से पहले कंपनी के निदेशकों द्वारा अनुमोदित किया जाता है। इसके अलावा, समाधान पेशेवर के पास लेनदारों की बैठक को एक बार में सात दिनों से अधिक की अवधि के लिए स्थगित करने का भी अधिकार है।

लेनदारों की बैठक का नोटिस

यदि कोई कंपनी स्वेच्छा से बंद हो रही है, तो लेनदारों की एक बैठक बुलाई जानी चाहिए ताकि स्वैच्छिक समापन के लिए एक प्रस्ताव पेश किया जा सके। इस तरह की बैठक या तो इस तरह के निर्णय लेने के दिन या उसके बाद के दिन बुलानी होती है, और प्रस्ताव को प्रस्तावित करने के लिए एक सामान्य बैठक आयोजित की जानी चाहिए।

लेनदारों को नोटिस या तो कंपनी के समापन के लिए कंपनी की सामान्य बैठक के नोटिस के साथ डाक द्वारा भेजा जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, लेनदारों को नोटिस के साथ, कंपनी को कम से कम एक बार आधिकारिक राजपत्र में और एक बार दो समाचार पत्रों में विज्ञापन देना होता है, जो उस जिले में परिचालित होते हैं, जहां कंपनी का पंजीकृत कार्यालय या व्यवसाय का प्रमुख स्थान स्थित है।

कंपनी की बैठक आयोजित करने की प्रक्रिया

लेनदारों की बैठक से परामर्श करने की प्रक्रिया पर चर्चा करते समय, निम्नलिखित बिंदु उल्लेखनीय हैं:

निदेशक मंडल की बाध्यता

बैठक आयोजित करते समय, निदेशक मंडल को कंपनी के लेनदारों की सूची और उनके दावों की अनुमानित राशि के साथ कंपनी के मामलों की स्थिति पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करना चाहिए। निदेशक जिसे लेनदारों की बैठक आयोजित करने का कर्तव्य सौंपा गया है या जो इसके प्रभारी हैं, उन्हें बैठक में भाग लेना चाहिए और इसे उसी समय आयोजित करना चाहिए।

कंपनी के समापन का अगला कार्य

लेनदारों की बैठक में हुए निर्णय के आधार पर, कंपनी अपनी अगली कार्रवाई का फैसला करेगी। निर्णय निम्न में से एक हो सकता है:

  1. यदि सभी पक्ष इस पर एकमत हों तो कंपनी स्वैच्छिक आधार पर समाप्त हो जाएगी।
  2. यदि कंपनी के स्वैच्छिक परिसमापन में बेची गई संपत्तियों से कंपनी सभी ऋणों को चुकाने में सक्षम नहीं है, तो न्यायाधिकरण को शामिल करके कंपनी को बंद करने से एक प्रस्ताव पारित किया जा सकता है।

प्रस्ताव के नोटिस को पारित करना

जब लेनदारों की बैठक में प्रस्ताव का नोटिस पारित किया जाता है, तो उसे इस तरह के प्रस्ताव को पारित करने के 10 दिनों के भीतर रजिस्ट्रार के पास दायर किया जाना चाहिए। यदि कंपनी, कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत कंपनी कानून के निर्धारित प्रावधानों का पालन नहीं करती है, तो जुर्माना, जो पचास हजार रुपये से कम नहीं होगा और जिसे दो लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, लगाया जाएगा। इसके अलावा, कंपनी के निदेशक, जो प्रक्रिया का पालन करने में गलती करते हैं, को भी छह महीने तक की अवधि के कारावास या पचास हजार रुपये से कम नहीं और दो लाख रुपये तक के जुर्माने के साथ दंडित किया जाएगा।

लेनदारों का गणपूर्ति

एक बैठक तब तक शुरू नहीं की जा सकती जब तक कि कंपनी के लेनदार, जिसे गणपूर्ति के रूप में जाना जाता है, बैठक में शामिल न हों। अपेक्षित गणपूर्ति इस प्रकार है:

लेनदारों के मामले में गणपूर्ति

लेनदारों के मामले में, वोट देने का हकदार कम से कम एक लेनदार गणपूर्ति में होना चाहिए।

लेनदारों और योगदानकर्ताओं की बैठक

लेनदार और योगदानकर्ता बैठकें सामान्यतौर पर तब आयोजित की जाती हैं जब कंपनी अपने लेनदारों को कंपनी द्वारा देय कुल राशि की गणना करने के लिए परिसमापन में चली जाती है। ऐसी बैठकें आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य कंपनी को आर्थिक कठिनाइयों से बचाने के लिए समझौते या पुनर्व्यवस्था की योजना में योगदानकर्ताओं की स्वीकृति प्राप्त करना है।

कई बार अदालत भी इस तरह की बैठक आयोजित करने का आदेश दे सकती है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि “योगदान” शब्द में प्रत्येक व्यक्ति शामिल है जो समापन के समय कंपनी की संपत्ति में योगदान करने के लिए जवाबदेह है।

योगदानकर्ताओं के मामले में गणपूर्ति

योगदानकर्ताओं की बैठक के मामले में, कम से कम एक लेनदार वोट देने का हकदार है, या सभी योगदानकर्ता यदि उनकी संख्या दो से अधिक नहीं है।

एक वैध कंपनी बैठक की आवश्यक शर्तें

यदि किसी कंपनी में किया गया व्यवसाय वैध और कानूनी रूप से बाध्यकारी है, तो यह आवश्यक है कि ऐसे व्यवसाय के संचालन के लिए बुलाई गई बैठक भी वैध तरीके से आयोजित की जाए। इसे समझने के लिए, कुछ बिंदु हैं जिन्हें किसी बैठक को वैध मानने के लिए समझना चाहिए। वैध कंपनी बैठक आयोजित करने के लिए निम्नलिखित आवश्यकताएं हैं:

  1. बैठक उचित प्राधिकारी द्वारा बुलाई जाती है।
  2. बैठक आयोजित करने की घोषणा एक उचित नोटिस के माध्यम से की जाती है। कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 101 और 102 के तहत इस पर चर्चा की गई है।
  3. बैठक आयोजित करते समय, यह महत्वपूर्ण है कि एक उचित गणपूर्ति मौजूद हो।
  4. बैठक आयोजित करने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि इसकी अध्यक्षता एक उचित अध्यक्ष द्वारा की जानी चाहिए।
  5. बैठक में, व्यवसाय को वैध रूप से लेन-देन किया जाना चाहिए।
  6. यह महत्वपूर्ण है कि बैठक के उचित कार्यवृत्त तैयार किए जाने चाहिए।

विभिन्न कंपनी बैठकों की प्रासंगिकता (रिलीवेंस)

हर कंपनी का अपना महत्व होता है। आइए कंपनी कानून की प्रत्येक बैठक की प्रासंगिकता पर एक नज़र डालें।

वार्षिक सामान्य बैठक (एजीएम)

कंपनी के सामान्य व्यवसाय को चलाने के लिए एक एजीएम आयोजित की जाती है। साधारण व्यवसाय में निम्नलिखित शामिल होते हैं:

  1. निदेशकों और लेखा परीक्षकों से वित्तीय विवरणों और रिपोर्टों पर विचार करना।
  2. लाभांश पर घोषणा करना।
  3. सेवानिवृत्त हुए निदेशकों के स्थान पर निदेशकों की नियुक्ति करना।
  4. कंपनी के लेखा परीक्षकों के लिए पारिश्रमिक की राशि की नियुक्ति और स्थापना।
  5. इसमें वार्षिक खाते, महत्वपूर्ण रिपोर्ट, लेखा परीक्षा भी शामिल हैं।

असाधारण सामान्य बैठक (ईजीएम)

विशेष व्यवसायों पर चर्चा करने के लिए एक ईजीएम आयोजित किया जाता है, सामान्यतौर पर वे जो सामान्य व्यवसायों की श्रेणी में नहीं आते हैं, जिन पर एजीएम में चर्चा की जाती है। ये बैठकें सामान्य तौर पर केवल जरूरी मामलों में या उन मामलों के लिए बुलाई जाती हैं जिन पर एजीएम में चर्चा नहीं की जाती है।

वर्ग बैठकें

एक विशेष वर्ग से संबंधित शेयरधारकों के लिए वर्ग बैठकें आयोजित की जाती हैं। ये बैठकें विशेष वर्ग से संबंधित ऐसे सभी सदस्यों के एक विशेष प्रस्ताव के माध्यम से महत्वपूर्ण मामलों पर उनकी स्वीकृति प्राप्त करने या उनके हितों से संबंधित किसी भी क्षेत्र में संशोधन के लिए आयोजित की जाती हैं।

निदेशक मंडल की बैठक

निदेशक मंडल कई उद्देश्यों के लिए आयोजित किया जाता है, अर्थात्, शेयरों पर कॉल करने, शेयरों और डिबेंचर जारी करने, शेयरों को जब्त करने, कंपनी की कठिनाइयों पर चर्चा करने आदि के लिए।

निदेशक समिति की बैठक

कंपनी के किसी शेयर या संपत्ति के आवंटन या हस्तांतरण से संबंधित मुद्दों या यहां तक ​​कि कंपनी के वित्त से संबंधित किसी भी मुद्दे के लिए निदेशकों के समिति की बैठक आयोजित की जा सकती है।

डिबेंचर धारकों की बैठक

कंपनी के पुनर्निर्माण, पुनर्गठन, समामेलन या समापन से संबंधित मामलों पर निर्णय लेने के लिए डिबेंचर धारकों की बैठकें आयोजित की जाती हैं।

लेनदारों की बैठक

लेनदारों की बैठक सामान्य तौर पर लेनदारों के लिए आयोजित की जाती है, जब वे स्वेच्छा से समाप्त होने का फैसला करते हैं, या तो किसी कंपनी की पुनर्भुगतान योजनाओं को स्वीकार करने, बदलने या अस्वीकार करने के लिए।

लेनदारों और योगदानकर्ताओं की बैठक

उपरोक्त बैठक के समान, कंपनी द्वारा परिसमापन में जाने पर लेनदारों या योगदानकर्ताओं को चुकाने के लिए कंपनी द्वारा देय कुल राशि की गणना के लिए एक योगदानकर्ता बैठक आयोजित की जाती है।

कंपनी कानून की बैठकें आयोजित करने में उल्लंघन होने पर क्या होता है

जैसा कि प्रत्येक शीर्षक (जहां भी प्रासंगिक हो) के तहत चर्चा की गई है, यदि कोई कंपनी बैठक आयोजित करने में गलती करती है, तो न्यायाधिकरण द्वारा दंड के रूप में जुर्माना लगाया जाता है। जुर्माना या तो कंपनी या उसके सदस्यों, या दोनों पर लगाया जाता है। गलती जारी रहने की स्थिति में जुर्माना एक निश्चित राशि तक आवर्ती (रेकर) होता रहता है।

कंपनी की बैठकों और प्रासंगिक प्रावधानों पर न्यायिक घोषणाएं

ऐसे कई मामले हैं जहां कंपनी कानून की बैठकों से संबंधित मामलों को अदालत में पेश किया गया था। नीचे उनमें से कुछ का वर्णन है। एक बिंदु पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि कंपनी की बैठक या प्रासंगिक प्रावधानों के प्रकार के आधार पर प्रत्येक मामले को अलग करने का प्रयास किया जाता है। प्रत्येक न्यायिक घोषणा को तब अलग-अलग उपशीर्षकों के तहत लिखा गया है।

वार्षिक सामान्य बैठक (एजीएम)

टी.वी. मैथ्यू बनाम नादुक्कारा एग्रो प्रोसेसिंग कंपनी लिमिटेड (2002)

इस मामले में, केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो कहता है कि कंपनी का पहला एजीएम आयोजित करना निर्धारित समय अवधि से परे हो सकता है, यानी कंपनी के वित्तीय वर्ष से नौ महीने तक।

सिक्किम बैंक लिमिटेड बनाम आर.एस. चौधरी (2000)

इस मामले में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा कि बैठक के नोटिस में उल्लिखित स्थान के अलावा किसी अन्य स्थान पर आयोजित कोई भी बैठक या व्यवसाय प्रथम दृष्टया शून्य घोषित किया जाएगा। यदि ऐसा कोई मुद्दा उठता है, तो बैठक में भाग लेने का अधिकार रखने वाले प्रत्येक सदस्य को स्थान परिवर्तन की घोषणा करने वाला एक नोटिस दिया जाना चाहिए।

मेसर्स हरिनगर शुगर मिल्स लिमिटेड बनाम श्याम सुंदर झुनझुनवाला (1961)

मेसर्स हरिनगर शुगर मिल्स लिमिटेड बनाम श्याम सुंदर झुनझुनवाला (1961), के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यदि किसी कंपनी के प्रबंध निदेशक ने बार-बार कंपनी के अन्य निदेशकों को एजीएम आयोजित करने के लिए कहा है, लेकिन प्रयास व्यर्थ हैं, प्रबंध निदेशक को “पहले से अधिकारी” नहीं माना जा सकता है।

रे ब्राह्मणबारिया लोन कंपनी लिमिटेड (1934)

रे ब्राह्मणबारिया लोन कंपनी लिमिटेड (1934), के कानूनी मामले में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने माना कि किसी कंपनी के लिए यह दलील देना कोई बचाव नहीं है कि वह वार्षिक सामान्य बैठक आयोजित करने में सक्षम नहीं थी क्योंकि कंपनी के सचिव के खिलाफ एक आपराधिक मामला दायर किया गया था और कार्यवाही करने के लिए कंपनी की महत्वपूर्ण पुस्तकों को अदालत में प्रदर्शित किया गया था।

कस्तूर मल बांठिया बनाम राज्य (1951)

इस मामले में, न्यायालय का एक उदार (लिबरल) दृष्टिकोण था जब एक कंपनी जिसमें केवल दो सदस्य थे जो भाई थे, को न्याय के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा। इधर, एक भाई गंभीर रूप से बीमार था, और इसलिए कंपनी ने बैठक आयोजित करने में गलती की। न्यायालय ने कहा कि एजीएम आयोजित करने का गैर-प्रदर्शन एक जानबूझकर, इरादतन दोष नहीं था, और इसलिए उनके खिलाफ कोई आरोप दायर नहीं किया गया था।

असाधारण सामान्य बैठक (ईजीएम)

जीवन बीमा निगम बनाम एस्कॉर्ट्स लिमिटेड और अन्य (1986)

जीवन बीमा निगम बनाम एस्कॉर्ट्स लिमिटेड और अन्य (1985) के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि कंपनी के शेयर रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अधिनियम के प्रावधानों के अधीन एक असाधारण सामान्य बैठक बुलाने/ मांग करने का अधिकार है। इसके अलावा, न्यायालय ने कहा कि अधिनियम के प्रावधानों के अनुपालन में एक बार अनुरोध किए जाने के बाद, शेयरधारक को ऐसी किसी भी बैठक को बुलाने से प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है। सीधे शब्दों में कहें तो, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि एलआईसी जैसे एक संस्थागत शेयरधारक को भी किसी अन्य शेयरधारक की तरह ही ईजीएम की मांग करने का अधिकार है।

इसके अलावा, इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने एक और दिलचस्प टिप्पणी की। इसने कहा, अगर कंपनी के कुछ मौजूदा निदेशकों को हटाने के उद्देश्य से एक ईजीएम मांग किया जाता है, तो कोई यह नहीं कह सकता कि मांग सिर्फ इसलिए अमान्य है क्योंकि उन्हें हटाने का कारण नहीं बताया गया था।

बॉल बनाम मेटल इंडस्ट्रीज लिमिटेड (1957)

बॉल बनाम मेटल इंडस्ट्रीज लिमिटेड (1957) में, स्कॉटलैंड में सत्र न्यायालय ने कहा कि ईजीएम आयोजित करने की मांग में ऐसी बैठक बुलाने के लिए मामले तय किए जाने चाहिए, यानी बैठक के कार्यसूची के अलावा, कुछ भी अन्य इन बैठकों में चर्चा नहीं की जा सकती है। उदाहरण के लिए, यदि तीन नए निदेशकों की नियुक्ति के लिए एक ईजीएम आयोजित की जा रही है, तो अध्यक्ष कंपनी के मौजूदा निदेशकों में से किसी एक को हटाने के लिए कार्यसूची में एक नया बिंदु नहीं जोड़ सकता है।

बी. शिवरामन बनाम एग्मोर बेनिफिट सोसाइटी लिमिटेड (1992)

बी. शिवरामन बनाम एग्मोर बेनिफिट सोसाइटी लिमिटेड (1992) के मामले में, मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा कि एक अतिरिक्त वार्षिक सामान्य बैठक की मांग इस घोषणा के लिए नहीं की जा सकती है कि पिछली बैठकों में नियुक्त निदेशकों का उचित रूप से चुनाव नहीं किया गया था और यह कि उनकी ओर से मांगकर्ताओं की नियुक्ति की जाए।

अनंत आर. हेगड़े बनाम कैप्टन टी.एस. गोपाल कृष्ण (1996)

अनंत आर. हेगड़े बनाम कैप्टन टी.एस. गोपाल कृष्ण (1996), के मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि एक निदेशक ने आवश्यकता पड़ने पर एक असाधारण सामान्य बैठक आयोजित करने से इनकार कर दिया, यह 2013 के अधिनियम के तहत अपराध नहीं होगा।

बी. मोहनदास बनाम ए. के. एम. एन. सिलिंडर्स प्राइवेट लिमिटेड (1998)

बी. मोहनदास बनाम ए. के. एम. एन. सिलिंडर्स प्राइवेट लिमिटेड (1998), में कंपनी कानून मंडल ने कहा कि मांगकर्ता सीधे न्यायाधिकरण से संपर्क नहीं कर सकते हैं, यानी जब मांगकर्ताओं ने कानून के तहत खुद से बैठक बुलाने का प्रयास नहीं किया है, तो वे ईजीएम के आदेश के निर्देश के लिए न्यायाधिकरण से संपर्क नहीं कर सकते हैं।

अमित कौर पुरी बनाम कपूरथला आटा, तेल और जनरल मिल्स सी. प्राइवेट लिमिटेड (1982)

इस मामले में, पंजाब-हरियाणा के उच्च न्यायालय ने कहा कि जब किसी कंपनी के पास निदेशक मंडल का विधिवत गठन नहीं है, तो बैठक आयोजित करना संभव नहीं है।

इंडियन स्पिनिंग मिल्स लिमिटेड बनाम हिस एक्सीलेंसी (1953)

इंडियन स्पिनिंग मिल्स लिमिटेड बनाम हिस एक्सीलेंसी (1953) के मामले में, एक व्यक्ति जिसके पास योग्यता शेयर नहीं था, उसे कंपनी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। बाद में, कुछ निदेशकों ने कंपनी के आर्टिकल की अपेक्षित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने शेयर उन्हें हस्तांतरित कर दिए। हालांकि, सदस्यों के एक समूह ने इस कार्रवाई पर आपत्ति जताई और इस तरह की कार्रवाई को अमान्य बताते हुए एक मुकदमा दायर किया। इधर, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा कि जब ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो बैठक आयोजित करना काफी अव्यावहारिक है।

रे रतनजी एंड कंपनी लिमिटेड बनाम अज्ञात (1968)

रे रटनजी एंड कंपनी लिमिटेड बनाम अज्ञात (1968), के मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने न्यायाधिकरण को चेतावनी यह कहते हुए दी कि इसे केवल तभी हस्तक्षेप करना चाहिए जब यह पूरी तरह से आश्वस्त हो कि किया गया आवेदन कंपनी के व्यापक हित में वास्तविक इरादों के साथ दायर किया गया है।

उच्च न्यायालय ने अधिनियम के तहत आवेदन के दुरुपयोग के खिलाफ चेतावनी जारी की और कहा कि, “शक्ति का उपयोग संयम से और सावधानी के साथ किया जाना चाहिए ताकि अदालत या तो शेयरधारक या कंपनी का निदेशक बनने की कोशिश न करे और कंपनी के आंतरिक कलह में भाग न लें।

मंडल बैठक

संजीव कोठारी बनाम वसंत कुमार चोरडिया (2004)

संजीव कोठारी बनाम वसंत कुमार चोरडिया (2004) के मामले में, एक अवलोकन किया गया था कि यदि प्रबंध निदेशक द्वारा उसी तारीख को निदेशक द्वारा मांग पर एक बैठक बुलाई जाती है, जिसमें उसी मामले पर चर्चा की जाती है जिस पर निदेशक द्वारा प्रकाश डाला गया था, तब निदेशक को बैठक में भाग लेना है और उसी तिथि को किसी अन्य स्थान पर बैठक में भाग लेने के लिए कोई अन्य व्यवस्था नहीं होनी चाहिए।

डंका देवी अग्रवाल बनाम तारा प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड

डंका देवी अग्रवाल बनाम तारा प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड (2006) में, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि यदि किसी व्यक्ति को हटाने या शामिल करने के लिए ऐसी बैठक के उचित नोटिस के बिना कोई निर्णय लिया जाता है, तो ऐसा कार्य उत्पीड़न और कुप्रबंधन (मिस्मेनेजमेंट) होगा। इसने आगे कहा कि कम से कम दो निदेशक या कुल संख्या का एक तिहाई, जो भी अधिक हो, मंडल की बैठक के लिए एक गणपूर्ति का गठन करेगा। साथ ही, व्यक्तिगत रूप से या किसी ऑडियो-विजुअल माध्यम से बैठक में भाग लेने वाले निदेशकों को गणपूर्ति के उद्देश्यों के लिए गिना जाएगा।

बैठक का नोटिस

स्मिथ बनाम डार्ले (1848)

इस मामले में, आयरलैंड की क्वीन्स बेंच डिवीज़न ने माना कि नोटिस देने के लिए एक आकस्मिक चूक, या किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा नोटिस प्राप्त न करना, जो इसे प्राप्त करने का हकदार है, बैठक की कार्यवाही को अमान्य नहीं करता है; हालाँकि, यदि इस तरह के नोटिस को जानबूझकर तामील करने के लिए कहा किया जाता है, तो इसका परिणाम निश्चित रूप से अमान्य होगा।

काये बनाम क्रॉयडन ट्रामवेज कंपनी (1898)

इस मामले में, एक कंपनी द्वारा दूसरी कंपनी को एक उपक्रम (अंडरटेकिंग) की बिक्री के लिए एक अनंतिम (प्रोविजनल) समझौता था। इसलिए, कंपनी ने यह कहते हुए एक नोटिस भेजा कि बैठक का उद्देश्य कंपनी के एक उपक्रम को दूसरे को बेचने के लिए एक समझौते को अपनाना था; हालाँकि, यह इस तथ्य को प्रकट करने में विफल रहा कि कार्यालय के नुकसान की भरपाई के लिए बेचे जाने वाले उपक्रम के निदेशकों को पर्याप्त मात्रा में भुगतान किया जाना था। यहां, अदालत ने कहा कि नोटिस अमान्य था क्योंकि यह पर्याप्त नहीं था और उन सभी तथ्यों का खुलासा नहीं किया, जिनके आधार पर सदस्य अपने मतदान के अधिकार का प्रयोग करेंगे।

पार्कर एंड कूपर लिमिटेड बनाम रीडिंग (1926)

इस प्रसिद्ध अंग्रेजी मामले में, अदालत ने देखा कि जब सदस्यों को एक नोटिस दिया गया था जो निर्धारित मानकों के अनुसार नहीं था, लेकिन फिर भी वे बैठक में उपस्थित थे, नोटिस को अच्छा बनाया जा सकता था। इसके अलावा, बैठक को इस बात पर ध्यान दिए बिना भी वैध माना जा सकता है कि पहले दिया गया नोटिस उपयुक्त था या नहीं।

पीएनसी टेलीकॉम बनाम थॉमस (2002)

इस मामले में, इंग्लैंड और वेल्स के चांसरी डिवीजन के कुलपति (वाइस चांसलर) ने कहा कि फैक्स के माध्यम से दी गई बैठक का नोटिस एक वैध नोटिस है।

बैठक का गणपूर्ति

शार्प बनाम डावेस (1876)

शार्प बनाम डावेस (1876) के मामले में, कई सदस्यों वाली एक कंपनी ने सदस्यों को बुलाने के उद्देश्य से एक बैठक बुलाई। हालांकि, बैठक के स्थान पर केवल एक सदस्य, जो प्रतिपत्री धारण कर रहा था, उपस्थित था। वे अध्यक्षता करने के लिए आगे बढ़े और सदस्यों पर उपरोक्त प्रस्ताव करने के लिए आवश्यक प्रस्ताव पारित किया। इतना ही नहीं उन्होंने धन्यवाद प्रस्ताव भी रखा। जब यह मामला न्यायालय में पहुंचा तो न्यायालय ने ऐसी बैठक को अवैध करार दे दिया। लॉर्ड कोलरिज के शब्दों में, “बैठक” शब्द का प्रथम दृष्टया अर्थ है दो या दो से अधिक व्यक्तियों का एक साथ आना”।

अध्यक्ष

पेना बनाम डेल (2003)

इस मामले में, यह कहा गया था कि यदि किसी व्यक्ति को अनौपचारिक रूप से बैठक के अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के लिए सामान्यंत्रित किया जाता है, लेकिन इस संबंध में कोई औपचारिक प्रस्ताव पारित नहीं किया जाता है, तो बैठक में भाग लेने वाले कंपनी के सदस्यों को आपत्ति जताने का अधिकार है कि वहाँ अध्यक्ष की कोई वैध नियुक्ति नहीं थी।

मतदान

टी. एच. वकील बनाम बॉम्बे प्रेसीडेंसी रेडियो क्लब (1945)

एक कंपनी में, व्यावसायिक लेन-देन बैठकों में प्रस्तावों के रूप में किया जाता है। सदस्य किसी प्रस्ताव को मतदान के लिए रखे जाने से पहले उसकी सामग्री पर चर्चा करने के हकदार हैं। इसके अलावा, प्रस्तावित प्रस्ताव से संबंधित संशोधनों को बैठक में प्रस्तावित किया जा सकता है और मतदान किया जा सकता है। यदि संशोधन पारित हो जाता है, तो संशोधित प्रस्ताव पर मतदान के लिए विचार किया जाएगा। इस मामले में, बॉम्बे उच्च न्यायालय ने कहा था कि यदि अध्यक्ष गलत तरीके से किसी प्रस्ताव में संशोधन को खारिज कर देता है, तो उसी प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए की गई अगली कार्यवाही को अमान्य माना जाएगा।

निष्कर्ष

कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत, यह महत्वपूर्ण है कि कंपनियां आवश्यक होने पर वर्ष भर आवश्यक बैठकें आयोजित करें। ये बैठकें कंपनी को आकार देने में एक प्रमुख भूमिका निभाती हैं, क्योंकि ऐसी बैठकों में कंपनी और उसके भविष्य से संबंधित प्रमुख निर्णय लिए जाते हैं।

कंपनी कानून में बैठकों की तीन मुख्य श्रेणियां हैं और प्रत्येक बैठक का अपना महत्व है। साथ ही, इन बैठकों को उपश्रेणियों में विभाजित किया गया है। संक्षेप में, आइए फिर से श्रेणियों पर एक नज़र डालें।

  1. शेयरधारकों या सदस्यों की बैठकें
    • सामान्य बैठक जिसे आगे विभाजित किया गया है:
      1. वैधानिक बैठक,
      2. वार्षिक सामान्य बैठक,
      3. असाधारण सामान्य बैठक।
    • वर्ग की बैठक।
  2. निदेशकों की बैठकें
    • निदेशक मंडल की बैठक,
    • समिति मंडल की बैठक।
  3. अन्य बैठकें जिन्हें इस प्रकार वर्गीकृत किया गया है:
    • डिबेंचर धारकों की बैठक
    • लेनदारों की बैठक, और
    • लेनदारों और योगदानकर्ताओं की बैठक।

इसके अलावा, प्रत्येक बैठक के वैध होने के लिए, यह आवश्यक है कि इसे कंपनी अधिनियम और उसके तहत बनाए गए नियमों के अपेक्षित प्रावधानों के तहत उचित रूप से आयोजित, उचित रूप से गठित और प्रभावी ढंग से आयोजित किया जाना चाहिए।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू)

क्या कंपनी कानून के तहत अपने पंजीकृत पते के अलावा किसी अन्य स्थान पर कंपनी द्वारा एजीएम आयोजित की जा सकती है? क्या इसे भारत के बाहर आयोजित किया जा सकता है?

एक वार्षिक सामान्य बैठक किसी भी स्थान पर आयोजित की जा सकती है जो शहर, कस्बे या गांव के अधिकार क्षेत्र में है जिसमें पंजीकृत कार्यालय स्थित है। इसके अलावा, एक सरकारी कंपनी को केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित किसी भी स्थान पर एजीएम आयोजित करने का अधिकार है।

दूसरे प्रश्न का उत्तर देने के लिए, हां, एक कंपनी भारत के बाहर एजीएम आयोजित कर सकती है, हालांकि, इस तरह की गतिविधि करने के लिए केंद्र सरकार से पूर्व अनुमति की आवश्यकता होती है।

कौन सी कंपनियां एजीएम आयोजित करने के लिए बाध्य नहीं हैं?

एक व्यक्ति कंपनी, जिन्हें सामान्यतौर पर ओपीसी के रूप में जाना जाता है, को छोड़कर सभी कंपनियां प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत में एजीएम आयोजित करने के लिए बाध्य होती हैं। इसके अलावा, एक कंपनी का कर्तव्य है कि वह वित्तीय वर्ष के अंत से छह महीने की अवधि के भीतर एजीएम आयोजित करे।

एक वैध बैठक आयोजित करने में पाँच पी क्या हैं?

बैठक को प्रभावी ढंग से आयोजित करने के लिए पांच पी हैं:

  1. उद्देश्य,
  2. योजना,
  3. तैयारी,
  4. भागीदारी, और
  5. पी.एस., मतलब फॉलो अप।

संदर्भ

  • Book on Company Law by S.P. Law classes, Pune Pg. no. 99 to 107
  • Book on Company Law by Prof. H.D. Pithawalla, 7th edition 

 

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