अंतरण के एक तरीके के रूप में पट्टा

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Transfer of Property Act

यह लेख Rishi Didwania द्वारा लिखा गया है, जो रियल एस्टेट कानूनों में सर्टिफिकेट कोर्स कर रहे हैं और इसे Oishika Banerji (टीम लॉसिखो) द्वारा संपादित किया गया है। इस लेख में अंतरण (ट्रांसफर) के एक तरीके के रूप में पट्टा (लीज), पट्टाकर्ता (लेसर) और पट्टेदार (लेसी) के अधिकार और दायित्वों के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस लेख का अनुवाद Sakshi Gupta द्वारा किया गया है।

परिचय

अंतरण के एक तरीके के रूप में, संपत्ति को पट्टे पर देने की अवधारणा ने हाल के वर्षों में महत्वपूर्ण लोकप्रियता हासिल की है। पट्टा, जिसे ‘रेंटिंग’ के रूप में भी जाना जाता है, दो पक्षों के बीच एक कानूनी अनुबंध है, जहां एक संपत्ति का मालिक आवधिक भुगतान के बदले एक विशिष्ट अवधि के लिए पट्टेदार को इसका उपयोग करने का अधिकार देता है। अंतरण के इस तरीके का व्यापक रूप से रियल एस्टेट, परिवहन और प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न उद्योगों में उपयोग किया जाता है।

अपने विभिन्न लाभों के कारण पट्टा़, खरीद या वित्तपोषण (फाइनेंसिंग) जैसे अंतरण के पारंपरिक रूपों का एक आकर्षक विकल्प बन गया है। उदाहरण के लिए, पट्टे पर देने से व्यवसायों और व्यक्तियों को लंबी अवधि के निवेश या उच्च अग्रिम (अनफ्रंट) लागतों के बिना संपत्ति हासिल करने की अनुमति मिलती है। यह पट्टे की अवधि और पट्टे पर दी जा सकने वाली संपत्तियों के प्रकार के संदर्भ में लचीलापन भी प्रदान करता है।

हालाँकि, पट्टे पर देना इसकी कमियों के बिना नहीं है। कई कानूनी और वित्तीय विचार हैं जिन्हें पट्टा समझौते में प्रवेश करने से पहले ध्यान में रखा जाना चाहिए। यह लेख अंतरण के एक तरीके के रूप में संपत्ति को पट्टे पर देने की अवधारणा और इसके विभिन्न फायदे और नुकसान के बारे में बताएगा। यह संपत्ति को पट्टे पर देने के कानूनी और वित्तीय निहितार्थों (इंप्लीकेशन) के साथ-साथ उन कारकों पर भी चर्चा करेगा जिन पर व्यवसायों और व्यक्तियों को पट्टा समझौते में प्रवेश करने से पहले विचार करना चाहिए।

पट्टे की परिभाषा

एक पट्टे को एक कानूनी समझौते के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो समझौते के दूसरे पक्ष को भुगतान किए जाने वाले किराए के बदले में एक निश्चित अवधि के लिए भूमि या भवन का उपयोग करने के लिए समझौते की अनुमति देता है।

  1. समझौते के पक्षों को पट्टाकर्ता और पट्टेदार के रूप में जाना जाता है।
  2. पट्टाकर्ता: समझौते में अंतरणकर्ता (ट्रांसफरर) पक्ष को पट्टाकर्ता के रूप में जाना जाता है।
  3. पट्टेदार: समझौते में अंतरिती (ट्रांसफरी) पक्ष को पट्टेदार के रूप में जाना जाता है।
  4. प्रीमियम: यह समझौते के अनुसार अग्रिम भुगतान की गई राशि होती है।

भारत में, पट्टे से संबंधित प्रावधान संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 के तहत शासित होते हैं। पट्टे को 1882 के अधिनियम की धारा 105 से 117 के तहत परिभाषित किया गया है। 1882 के अधिनियम के अनुसार पट्टे की अनिवार्यता सक्षम पक्ष, कब्जे का अधिकार, प्रतिफल (कंसीडरेशन), स्वीकृति, समय अवधि और संपत्ति का आनंद लेने का अधिकार, है।

संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 के तहत पट्टे की अनिवार्यता

यहां पट्टे की अनिवार्यताओं पर चर्चा की गई है:

पट्टा समझौते के पक्षों को उसमें प्रवेश करने के लिए सक्षम होना चाहिए:

भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 के तहत किसी भी कानूनी समझौते के बारे में बात करते समय पक्षों की योग्यता एक महत्वपूर्ण कारक है, धारा 10 एक अनुबंध के प्रमुख सार के रूप में योग्यता निर्धारित करती है। सक्षमता में पक्षों को वयस्क होने, स्वस्थ दिमाग के होने और किसी भी कानून द्वारा अयोग्य घोषित नहीं होने का समावेश (इंक्लूजन) है। पट्टा समझौते के मामले में, पट्टा की संपत्ति का पूर्ण स्वामित्व एक अन्य कारक है जो योग्यता के दायरे में शामिल है।

कब्जे का अधिकार:

एक पट्टा समझौते को निष्पादित (एक्जिक्यूट) करके, संबंधित संपत्ति के संबंध में केवल कब्जा अंतरित किया जाता है न कि स्वामित्व। इसी तरह पट्टा़ को बिक्री से अलग बताया जाता है। इस प्रकार यह पट्टाकर्ता और पट्टेदार के बीच पट्टा समझौते के निष्पादन के लिए आवश्यक आवश्यकताओं में से एक है।

प्रतिफल:

प्रतिफल किसी भी प्रकार के कानूनी समझौते का एक महत्वपूर्ण तत्व है, जैसा कि पट्टा समझौते के मामले में होता है। पट्टे के मामले में, प्रतिफल प्रीमियम या किराए के रूप में होना चाहिए। यह आम तौर पर उस कीमत से संबंधित होता है जिसका पट्टा करने के मामले में भुगतान पहले ही किया जा चुका है या वह कीमत जिसका भुगतान करने का वादा किया गया है। प्रीमियम और किराया दोनों का भुगतान या तो किस्तों में किया जा सकता है या पूरा भुगतान किया जा सकता है।

स्वीकृति:

स्वीकृति पट्टेदार के लिए पट्टे का एक आवश्यक घटक है जिसके माध्यम से पट्टा समझौते को एक वैध मोहर दी जाती है। पट्टेदार समझौते में निर्धारित नियमों और शर्तों को स्वीकार करता है जिससे पट्टाकर्ता से कब्जे के अंतरण को मान्य किया जाता है।

समय सीमा:

यह ध्यान रखना आवश्यक है कि पट्टा समझौते में हमेशा एक विशिष्ट अवधि होती है जिसके लिए यह निश्चित और वैध होता है। ऐसी अवधि के बीत जाने के बाद, पट्टा समझौते को या तो नवीनीकृत करना होगा या समाप्त करना होगा।

संपत्ति के आनंद का अधिकार:

कब्जे के साथ-साथ पट्टेदार के पास पट्टे पर दी गई संपत्ति के आनंद का अधिकार भी आता है। एक पट्टेदार को उस समय अवधि के लिए संपत्ति का आनंद लेने का अधिकार है जो या तो उसके और पट्टाकर्ता द्वारा पारस्परिक रूप से तय की जाती है या जिसे पट्टा समझौते में स्पष्ट रूप से प्रदान किया गया है।

संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 के तहत पट्टे का निष्पादन

अचल संपत्ति के लिए एक महीने के मासिक आधार पर पट्टा या तो मौखिक समझौते या लिखित में निष्पादित किया जा सकता है लेकिन बारह महीने या उससे अधिक के लिए एक पट्टा केवल पंजीकृत विलेख (रजिस्टर्ड डीड) द्वारा ही बनाया जा सकता है।

केमिकल सेल एजेंसी बनाम नरैनी नेवार (2005) के मामले में, पट्टे की प्रकृति को इस तरह बताया गया है कि पट्टा समझौता न तो एक पंजीकृत दस्तावेज है और न ही कब्जा देने के साथ मौखिक समझौता है, यह पट्टाकर्ता और पट्टेदार का संबंध नहीं बना सकता है। समझौते के दोनों पक्षों को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों/ दायित्वों के बारे में अच्छी तरह से अवगत होना चाहिए और उनका पालन करना चाहिए।

पट्टाकर्ता के अधिकार

  1. संपत्ति के पट्टाकर्ता (अंतरणकर्ता) को किराए के मासिक आवर्ती (रिक्रूइंग) भुगतान का अधिकार है जैसा कि पट्टा समझौते में पहले से तय किया गया था।
  2. यदि पट्टेदार की वजह से संपत्ति को कोई नुकसान होता है, तो पट्टाकर्ता को उस नुकसान की राशि पट्टेदार से वसूल करने का अधिकार है।
  3. यदि पट्टेदार पट्टा समझौते की किसी भी शर्त का उल्लंघन करता है, तो पट्टाकर्ता को पट्टे पर दी गई संपत्ति का कब्जा वापस लेने का अधिकार है।
  4. पट्टा समझौते में उल्लिखित अवधि पूरी होने के बाद पट्टाकर्ता को संपत्ति का कब्जा वापस लेने का अधिकार है।

पट्टाकर्ता के दायित्व

  1. पट्टाकर्ता पट्टेदार को इसके इच्छित उपयोग से संबंधित संपत्ति में किसी भी भौतिक दोष का खुलासा करने के लिए बाध्य है, जिसके बारे में पट्टेदार को पता नहीं है, और जिसे पट्टेदार सामान्य रूप से खोज नहीं सकता है।
  2. पट्टाकर्ता, पट्टेदार के अनुरोध पर उसे संपत्ति के कब्जे में रखने के लिए बाध्य है।
  3. पट्टाकर्ता पट्टेदार को संपत्ति का निर्बाध रूप से आनंद लेने देने के लिए बाध्य है यदि पट्टेदार किराए का भुगतान करता है और अपने लिए बाध्यकारी अनुबंध करता है।

पट्टेदार के अधिकार

  1. यदि पट्टेदार द्वारा तथ्य को ध्यान में लाने के बाद पट्टाकर्ता उचित समय के भीतर मरम्मत करने में उपेक्षा करता है, जिसे वह करने के लिए बाध्य था, तो पट्टेदार स्वयं ही ऐसा कर सकता है और ऐसी मरम्मत का खर्च किराए से ब्याज सहित घटा सकता है।
  2. यदि पट्टाकर्ता कोई ऐसा भुगतान करने में उपेक्षा करता है जिसे वह संपत्ति के विरुद्ध करने के लिए बाध्य था तो वो पट्टेदार से या संपत्ति के विरुद्ध वसूली योग्य है, पट्टेदार ऐसे भुगतान कर सकता है और इसे किराए से ब्याज सहित काट सकता है।
  3. पट्टेदार उन सभी चीजों को प्रदान किए गए पट्टे की समाप्ति के बाद हटा सकता है जो उसने पृथ्वी से जोड़ी है, वह संपत्ति को उस स्थिति में छोड़ देता है जैसी कि उसके द्वारा प्राप्त की गई थी।
  4. यदि संपत्ति का कोई भौतिक हिस्सा आंशिक रूप से या पूरी तरह से आग, आंधी या बाढ़, या युद्ध या भीड़ के हिंसक कार्यों, या अन्य अपरिवर्तनीय बल से क्षतिग्रस्त हो जाता है, जिससे यह उस उद्देश्य के लिए अक्षम हो जाता है जिसके लिए इसे पट्टे पर दिया गया था। तब पट्टेदार के विकल्प पर पट्टा अमान्य हो जाता है, लेकिन यदि पट्टेदार के कार्यों के कारण संपत्ति को कोई नुकसान होता है तो उसे इस अधिकार का लाभ नहीं मिलेगा।
  5. अनिश्चित अवधि के पट्टे के मामले में पट्टेदार और उसके कानूनी प्रतिनिधियों को उनके द्वारा बोई गई फसलों के मुनाफे के साथ-साथ संपत्ति में प्रवेश करने और बाहर निकलने का अधिकार है।
  6. पट्टेदार को पूरी तरह से या बंधक (मॉर्गेज) के माध्यम से या संपत्ति में अपने पूरे हित या किसी हिस्से को किराए पर देकर अंतरित करने का अधिकार है। पट्टेदार को इस अंतरण के उद्देश्य के लिए पट्टे की शर्तों से स्वतंत्र नहीं माना जाएगा।

पट्टेदार के दायित्व 

  1. पट्टेदार ब्याज की प्रकृति और सीमा का खुलासा करने के लिए बाध्य है जिसे वह लेने के लिए बाध्य है और जिसके बारे में पट्टाकर्ता को पता नहीं है और जो पट्टे पर दी गई संपत्ति के मूल्य को बढ़ाता है।
  2. पट्टेदार पट्टाकर्ता या उसके एजेंट को प्रीमियम या किराए का समय पर भुगतान करने के लिए बाध्य है।
  3. पट्टेदार पट्टे के प्रारंभ पर पट्टाकर्ता द्वारा प्राप्त की गई स्थिति में संपत्ति को बनाए रखने और वापस करने के लिए बाध्य है।
  4. पट्टेदार संपत्ति के पूरे या किसी हिस्से को पुनर्प्राप्त करने के लिए या पट्टाकर्ता के अधिकार में किसी भी अतिक्रमण या हस्तक्षेप के बारे में पता चलते ही किसी भी कार्यवाही के बारे में सूचित करने के लिए बाध्य हैं।
  5. पट्टेदार पट्टे की अवधि के दौरान एक मालिक के रूप में संपत्ति और उसके उत्पादों का उपयोग करने के लिए बाध्य है, लेकिन उसे स्वयं या किसी अन्य व्यक्ति को पट्टे में निर्धारित उद्देश्य के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए उपयोग करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। इस खंड पर दशरथ बाबूराव सांगले बनाम काशीनाथ भास्कर दत्ता (1993) के मामले में भी चर्चा की गई थी ।
  6. पट्टेदार को पट्टाकर्ता की सहमति के बिना पट्टे पर दी गई संपत्ति पर कोई स्थायी संरचना का निर्माण नहीं करना चाहिए।
  7. पट्टेदार पट्टे की समाप्ति पर संपत्ति का कब्जा पट्टाकर्ता को वापस करने के लिए बाध्य है।

पट्टे की समाप्ति

  1. पट्टे के तहत निर्दिष्ट समय अवधि की समाप्ति पर।
  2. ऐसी घटना के घटित होने पर जिस पर पट्टे की समाप्ति निर्भर करती है।
  3. ऐसी घटना के घटित होने पर, जिस पर संपत्ति में पट्टाकर्ता का हित समाप्त हो जाता है या उसका निपटान करने की शक्ति केवल किसी घटना के घटित होने तक ही विस्तारित होती है।
  4. यदि पूरी संपत्ति में पट्टेदार और पट्टाकर्ता के हित एक ही समय में एक ही व्यक्ति पर निहित हैं। पट्टाकर्ता और पट्टेदार के हित एक ही समय में एक ही व्यक्ति को अंतरित या निहित हो जाते हैं।
  5. पट्टेदार द्वारा अभिव्यक्त समर्पण द्वारा या पट्टेदार और पट्टाकर्ता के बीच आपसी सहमति से।
  6. निहित समर्पण।
  7. जब्ती द्वारा:
  • पट्टेदार द्वारा पट्टा समझौते की किसी भी शर्त के उल्लंघन के अवसर पर।
  • उस अवसर पर जब पट्टेदार संपत्ति का शीर्षक अंतरित करता है या अपने चरित्र को तीसरे व्यक्ति को त्याग देता है।
  • पट्टेदार के दिवालिया घोषित होने के अवसर पर और पट्टा प्रावधान कहता है कि इस घटना के घटित होने पर पट्टा समाप्त हो जाता है।

8. पट्टाकर्ता द्वारा पट्टेदार को छोड़ने की समाप्ति की सूचना दिये जाने पर पट्टा समाप्त हो जाता है।

छोड़ने का नोटिस पट्टाकर्ता द्वारा पट्टेदार को जारी किया गया एक लिखित बयान है यदि पट्टाकर्ता पट्टा समझौते को समाप्त करना चाहता है। छोड़ने के नोटिस की स्वीकृति पर किसी भी पट्टे को जब्त किया जा सकता है।

यदि पट्टेदार को दिए गए पट्टे के निर्धारण के बाद संपत्ति के कब्जे में रहता है और पट्टाकर्ता पट्टेदार से किराया स्वीकार करता है या अन्यथा उसके कब्जे में बने रहने का आश्वासन देता है, तो किसी भी विपरीत समझौते के अभाव में पट्टे को नवीनीकृत किया जाता है।

निष्कर्ष

अंत में, पट्टा अंतरण का एक मूल्यवान तरीका है जो जमींदारों और किरायेदारों दोनों को कई लाभ प्रदान करता है। यह जमींदारों को आय का एक विश्वसनीय स्रोत (सोर्स) प्रदान करता है, जबकि किरायेदार कुछ हद तक लचीलेपन और सामर्थ्य (अफोर्डेबिलिटी) का आनंद ले सकते हैं जो संपत्ति के स्वामित्व के अन्य रूपों के साथ संभव नहीं हो सकता है। हालांकि, यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनके अधिकार और दायित्व स्पष्ट रूप से परिभाषित और समझे गए हैं, दोनों पक्षों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे पट्टा समझौते को सावधानीपूर्वक और विस्तार से ध्यान दें। ऐसा करके, वे एक उत्पादक और सकारात्मक संबंध स्थापित कर सकते हैं जो दीर्घावधि (लॉन्ग टर्म) में उन दोनों को लाभान्वित करेगा। कुल मिलाकर, संपत्ति को अंतरित करने के लिए पट्टा एक प्रभावी तरीका हो सकता है, और यह किसी भी व्यक्ति के लिए विचार करने योग्य है जो संपत्ति किराए पर लेना चाहते है।

 

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