प्रतिदेय डिबेंचर

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1886
Companies Act

यह लेख चंद्रप्रभु जैन कॉलेज ऑफ हायर स्टडीज एंड स्कूल ऑफ लॉ, जीजीएसआईपीयू में लॉ के छात्र Gautam Chaudhary द्वारा लिखा गया है। वर्तमान लेख डिबेंचर की अवधारणा और प्रतिदेय (रिडीमेबल) डिबेंचर के अर्थ, इसके प्रकार के बारे में बात करता है। इसके अलावा, इसमें इसकी प्रकृति और विशेषताओं और प्रतिदेय डिबेंचर रिजर्व का विस्तृत विवरण भी दिया गया है। इस लेख का अनुवाद Sakshi Gupta द्वारा किया गया है।

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परिचय

समय-समय पर, एक कंपनी को कॉर्पोरेट बाजार में हमेशा की तरह सुचारू रहने के लिए धन और पूंजी की आवश्यकता महसूस होती है। धन का उपयोग कंपनी के विभिन्न आवश्यक और महत्वपूर्ण कार्यों में किया जाता है। उदाहरण के लिए, धन का उपयोग शेयर जारी करने के लिए किया जा सकता है क्योंकि शेयर पूंजी प्रत्येक कंपनी के लिए आय का प्रमुख स्रोत (सोर्स) है, या उनका उपयोग व्यवसाय के विस्तार, अनुसंधान (रिसर्च) और विकास गतिविधियों आदि के संचालन के लिए किया जा सकता है। मुद्दा यह है कि कभी-कभी किसी कंपनी को लंबे समय में संचालन के लिए या तत्काल आवश्यकता के लिए पूंजी या धन की आवश्यकता होती है। उनके जीवंत स्वभाव के कारण, सरकार द्वारा उनके आवश्यक संचालन के लिए भी डिबेंचर जारी किए जाते हैं। सरकार जो डिबेंचर जारी करती है, वो सबसे सुरक्षित हैं क्योंकि इसका मकसद लोगों को नुकसान की ओर ले जाए बिना पूंजी उत्पन्न करना है। यह लेख आवश्यक धन और पूंजी जिसे एक कंपनी को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए उत्पन्न करना चाहिए, को उत्पन्न करने के स्रोत या तरीके पर चर्चा करता है ।

डिबेंचर

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(30) ‘डिबेंचर’ को परिभाषित करती है; इसमें कहा गया है कि डिबेंचर में डिबेंचर स्टॉक, बॉन्ड या कंपनी द्वारा ली गई राशि का भुगतान करने का वादा करने वाला कोई अन्य वित्तीय साधन शामिल है। आसान समझ के लिए, डिबेंचर को ऋण की अवधारणा से संबंधित किया जा सकता है क्योंकि डिबेंचर एक कंपनी के लिए ऋण के समान कार्य करता है। उदाहरण के लिए, यदि A एक कार खरीदना चाहता है जिसका मूल्य 70 लाख रुपये है और उसके पास 20 लाख रुपये हैं, तो वह कार खरीदने के लिए ऋण के लिए आवेदन करेगा। यही हाल कंपनियों का है। मान लीजिए, एक कंपनी बौद्धिक संपदा (इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी) के व्यावसायीकरण (कमर्शियलाइजेशन) को बढ़ाने के लिए अपने अनुसंधान और विकास कार्यक्रम का विस्तार करना चाहती है। कंपनी के चरण लंबी अवधि में प्रभावी साबित हुए हैं और बहुत मूल्यवान हैं। इसलिए, कंपनी जनता से ऋण लेने के लिए पहुंच जाएगी। मूल रूप से, डिबेंचर उस दस्तावेज़ को संदर्भित करता है जो कंपनी द्वारा ऋण की औपचारिक पावती (फॉर्मल एक्नोलेजमेंट) को दर्शाता है, और यह स्वीकार किया जाता है कि कंपनी ने जनता से ऋण लिया है, जिसमें यह भी बताया जाता है कि जब तक डिबेंचर मुक्त नहीं हो जाता तब तक निर्दिष्ट समय पर जनता को उधार ली गई राशि के लिए ब्याज का भुगतान किया जाएगा। सरल शब्दों में इसे कंपनी की देनदारी (लायबिलिटी) कहा जा सकता है। कंपनी के जारी किए गए शेयर खरीदने वाले निवेशक डिबेंचर धारक बन जाते हैं।

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(30) में कंपनी की संपत्ति पर चार्ज के बारे में भी बात की गई है। यहां ‘चार्ज’ शब्द का अर्थ जनता को शेयर जारी करने के बाद दिया गया अधिकार या शक्ति है। कंपनी के एसेट पर चार्ज का महत्व और आवश्यकता सर्वोपरि (सुप्रीम) है क्योंकि, आम बोलचाल में, एक चार्ज का अर्थ डिबेंचर धारकों को दी गई स्वतंत्रता है, जो तब लागू होगी जब कंपनी ब्याज के साथ उधार ली गई राशि के पुनर्भुगतान में विफल हो जाती है। इस मामले में, डिबेंचर धारकों को कंपनी की संपत्ति बेचने और अपनी दी गई मूल राशि और ऋण ब्याज की वसूली करने की अत्यधिक स्वतंत्रता होती है।

विभिन्न आधारों पर डिबेंचर के प्रकार

आम जनता को जारी किए गए डिबेंचर को उनकी सुरक्षा, परिवर्तनीयता (कन्वर्टिबिलिटी), प्राथमिकता, रिकॉर्ड, प्रदर्शन और कूपन दर के आधार पर विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है। इन विभिन्न प्रकार के डिबेंचर को नीचे समझाया गया है:

सुरक्षा के आधार पर

1. सुरक्षित डिबेंचर

सुरक्षित डिबेंचर संपार्श्विक (कोलेटरल) ऋण के समान हैं, जिसका अर्थ है कि ये डिबेंचर केवल संपार्श्विक सुरक्षा पर काम करते हैं जो कंपनी निवेशकों को देती है। सरल शब्दों में, ऐसे डिबेंचर के लिए कुछ संपार्श्विक रखा जाना चाहिए, और वह संपार्श्विक कंपनी की संपत्ति होगी। यदि कंपनी ब्याज सहित मूल राशि का भुगतान करने में विफल रहती है, तो डिबेंचर धारक संपत्ति की बिक्री के माध्यम से अपने पैसे की वसूली कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए, एक कंपनी XYZ को अपने व्यवसाय संचालन के लिए पूंजी की आवश्यकता होती है; ऐसा करने के लिए, यह निवेशकों के लिए सुरक्षित डिबेंचर जारी करती है। अब यहां जब कंपनी सुरक्षित प्रकृति का डिबेंचर जारी करती है, तो कंपनी ज्यादा मूल्य वाली मूर्त (टैंजिबल) संपत्ति यानि वैकल्पिक बिजली संयंत्र (प्लांट) को संपार्श्विक के रूप में रखती है। अगर भविष्य में, कंपनी दिवालिया (इंसोलवेंट) हो जाती है, तो वह बिजली संयंत्र को बेचकर डिबेंचर धारकों के कर्ज को चुका देगी। जब कंपनी दिवालिया हो जाती है, तो डिबेंचर धारक उसकी संपत्ति पर पूर्ण अधिकार प्राप्त कर लेते हैं और उसे बेचकर अपना पैसा वसूल कर सकते हैं।

सुरक्षित डिबेंचर को आगे दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। वे इस प्रकार हैं:

  • फिक्स्ड चार्ज एसेट

फिक्स्ड चार्ज एसेट्स वे विशेष संपत्तियां हैं जो कंपनी उधार लिए गए कर्ज के खिलाफ देती हैं। यह एक अचल संपत्ति है जिसके खिलाफ बिक्री के माध्यम से ऋण की वसूली की जाती है यदि कंपनी अपने वादे को पूरा करने में विफल रहती है।

अंत में, यह स्पष्ट है कि इन एसेट्स को कंपनी द्वारा डिबेंचर धारकों की सहमति के बिना नहीं बेचा जा सकता है। उदाहरण के लिए, कंपनी ने अपनी सभी प्रकार की भारी मशीनरी से एक डिबेंचर जारी किया। यह फिक्स चार्ज है।

  • फ्लोटिंग चार्ज एसेट

फ्लोटिंग चार्ज एसेट्स प्रकृति में सामान्य हैं; ये फिक्स्ड चार्ज एसेट की तरह विशिष्ट नहीं हैं। कंपनी सुरक्षा के रूप में सामान्य संपत्ति देकर डिबेंचर जारी करती है।

फ्लोटिंग चार्ज एसेट्स के मामले में, कंपनी को संपार्श्विक के रूप में रखे जाने के संबंध में पूर्ण विवेकाधिकार है, और इस कारण से, वे प्रकृति में सामान्य हैं। उदाहरण के लिए, यह संपार्श्विक के रूप में संयंत्रों, मशीनरी या अपने आधिकारिक कार्यालय भवन को रख सकती है।

2. असुरक्षित डिबेंचर

इन डिबेंचर को ‘असुरक्षित’ कहा जाता है क्योंकि उधार लिए गए ऋण को वापस करने के लिए कोई संपार्श्विक मौजूद नहीं होता है। डिबेंचर धारक कंपनी को उसकी बाजार छवि, विश्वसनीयता और मूल्य के अनुसार ऋण देते हैं। ऐसे डिबेंचर के मामले में, डिबेंचर धारकों के पास कंपनी की संपत्ति को बेचने की शक्ति नहीं होती है।

परिवर्तनीयता के आधार पर

परिवर्तनीय डिबेंचर

इस प्रकार के डिबेंचर को एक निश्चित अवधि के बाद अंततः कंपनी के इक्विटी शेयरों में बदला जा सकता है। इक्विटी शेयर सामान्य या साधारण शेयर होते हैं, जिसमें खरीद पर आंशिक (पार्शियल) स्वामित्व प्राप्त होता है।

उदाहरण के लिए, कंपनी XYZ एक निश्चित अवधि के लिए डिबेंचर जारी करती है, और उक्त अवधि के दौरान कंपनी के शेयरधारक उन डिबेंचर को इक्विटी शेयरों में बदलने का निर्णय लेते हैं। परिवर्तन के बाद, सभी डिबेंचर धारक अब इक्विटी शेयरधारकों की स्थिति का आनंद लेंगे, जहां उन्हें अब कंपनी के निर्णयों और संचालन में वोट देने का अधिकार होगा।

परिवर्तनीय डिबेंचर को आगे दो वर्गों में विभाजित किया गया है, जो इस प्रकार हैं:

  • आंशिक रूप से परिवर्तनीय

ऐसे डिबेंचर जो केवल एक विशिष्ट अनुपात (प्रोपोर्शन) में इक्विटी शेयरों में परिवर्तित होते हैं, आंशिक रूप से परिवर्तनीय डिबेंचर कहलाते हैं। आम जनता को प्रतिभूतियां (सिक्योरिटी) जारी करने के बाद कंपनी परिवर्तन के लिए अनुपात तय करती है।

उदाहरण के लिए, एक कंपनी 200 रुपये प्रति डिबेंचर के मूल्य पर 100 डिबेंचर जारी करती है। कुछ समय बाद, शेयरधारकों ने 30 डिबेंचर को इक्विटी शेयरों में बदलने का फैसला किया। परिवर्तन पर, उन 30 डिबेंचर के डिबेंचर धारकों को कंपनी के संचालन में वोट देने का अधिकार होगा और उन्हें कंपनी का मालिक कहा जाएगा क्योंकि वे अब शेयरधारक हैं।

  • पूरी तरह से परिवर्तनीय

ये डिबेंचर पूरी तरह से कंपनी के इक्विटी शेयरों में परिवर्तित हो जाते हैं। कंपनी यह तय करती है कि जारी करने के समय डिबेंचर को इक्विटी शेयरों में बदलना है या नहीं।

उदाहरण के लिए, एक कंपनी XYZ 100 डिबेंचर जारी करती है और कुछ समय बाद, उन्हें इक्विटी शेयरों में बदलने का फैसला करती है। इस मामले में, सभी डिबेंचर में निवेशक अब शेयरधारकों में परिवर्तित हो जाएंगे और इसलिए उनके पास उपरोक्त अधिकार होंगे।

प्राथमिकता के आधार पर

1. पहले गिरवी रखे गए डिबेंचर

कंपनी के परिसमापन (लिक्विडेशन) के समय पहले गिरवी रखे गए डिबेंचर को पहली वरीयता (प्रिफरेंस) दी जाती है, जिसका अर्थ है कि जब कंपनी अपने ऋण और देनदारियों के अन्य रूपों को चुकाना शुरू करती है तो पहले गिरवी रखे गए डिबेंचर के धारकों को पहले भुगतान किया जाता है। इन डिबेंचर के पुनर्भुगतान के बाद ही अन्य प्रकार के डिबेंचर का भुगतान किया जाता है।

2. दूसरे गिरवी रखे गए डिबेंचर

परिसमापन के समय पहले गिरवी रखे गए डिबेंचर को चुकाने के बाद ही कंपनी द्वारा दूसरे गिरवी रखे गए डिबेंचर का भुगतान किया जाता है। वे पहले गिरवी रखे गए डिबेंचर के बाद दूसरे स्थान पर आते हैं।

उदाहरण के लिए, 100 निवेशकों में से, लगभग 50 ने पहले गिरवी रखे गए डिबेंचर में निवेश किया, और अन्य 50 ने दूसरे गिरवी रखे गए डिबेंचर में निवेश किया। अब जब कंपनी ने पूंजी उत्पन्न करना शुरू कर दिया है और अपनी देनदारियों का भुगतान करना शुरू कर दिया है, तो वह पहले गिरवी रखे हुए डिबेंचर धारकों को भुगतान करेगी और फिर दूसरे को करेगी।

रिकॉर्ड के आधार पर

1. पंजीकृत (रजिस्टर्ड) डिबेंचर

यहां ‘पंजीकृत’ शब्द का अर्थ है कंपनी द्वारा बनाए गए रजिस्टर में डिबेंचर धारकों के नाम और पते जैसी आवश्यक जानकारी दर्ज करना, जहां कंपनी द्वारा डिबेंचर के हस्तांतरण को पंजीकृत किया जाता है। जिन डिबेंचर के संबंध में उक्त रिकॉर्ड बनाया गया है वे पंजीकृत डिबेंचर हैं।

2. अपंजीकृत (अनरजिस्टर्ड) डिबेंचर

इन डिबेंचर को बियरर डिबेंचर के रूप में भी जाना जाता है। सरल भाषा में, अपंजीकृत डिबेंचर को ‘अनौपचारिक (इंफॉर्मल) डिबेंचर’ के रूप में समझा जा सकता है, क्योंकि पंजीकृत डिबेंचर के विपरीत, उनमें औपचारिक और निर्धारित प्रक्रिया शामिल नहीं होती है। विवरण, जैसे कि डिबेंचर धारकों के नाम और पते, कंपनी द्वारा डिबेंचर के रजिस्टर में पंजीकृत नहीं होते हैं। अपंजीकृत डिबेंचर भी लिखत (इंस्ट्रूमेंट) की सुपुर्दगी (डिलिवरी) पर हस्तांतरणीय होते हैं, इसलिए लिखत रखने वाले व्यक्ति को भुगतान किया जाता है।

उदाहरण के लिए, यदि कंपनी XYZ उपर्युक्त डिबेंचर जारी करती है, तो पंजीकृत डिबेंचर के मामले में, कंपनी भविष्य में निवेशकों को आसानी से भुगतान करने के लिए सभी आवश्यक जानकारी रखने के लिए एक रजिस्टर बनाए रखेगी। लेकिन एक अपंजीकृत डिबेंचर के मामले में, कंपनी एक सूचना रिकॉर्ड रजिस्टर नहीं बनाएगी; बल्कि, यह अनौपचारिक रूप से निवेशकों को भुगतान करने के लिए एक लिखत जारी करेगी।

प्रदर्शन के आधार पर

1. प्रतिदेय डिबेंचर 

कंपनी द्वारा एक निश्चित अवधि के लिए प्रतिदेय डिबेंचर जारी किए जाते हैं। कंपनी, डिबेंचर जारी करने की तिथि पर, डिबेंचर प्रमाणपत्र प्रदान करती है, जिसमें उस तारीख का उल्लेख होता है जिस पर मूल राशि का भुगतान किया जाएगा। कंपनी, इस तरह के डिबेंचर जारी करने के बाद और जारी होने की तारीख को और उसके बाद, अपने वादे से बाध्य हो जाती है। इस प्रकार के डिबेंचर को निवेश का सबसे सुरक्षित रूप माना जाता है क्योंकि मूल राशि का पुनर्भुगतान सुनिश्चित होता है और धारक को एकमुश्त (लम सम) या किश्तों में आगे ब्याज दिया जाता है। इस पर आगे के पैराग्राफों में विस्तार से चर्चा की गई है।

2. अप्रतिदेय (इर्रिडीमेबल) डिबेंचर 

प्रतिदेय डिबेंचर के विपरीत, इन डिबेंचर में पुनर्भुगतान के लिए एक निर्दिष्ट समय अवधि नहीं होती है। कंपनी डिबेंचर धारकों को केवल तभी भुगतान करती है जब वह परिसमापन में जाती है, अर्थात, जब वह अपने ऋणों और देनदारियों का भुगतान करना शुरू करती है।

उदाहरण के लिए, एक कंपनी 1 जनवरी, 2022 को 5 साल की अवधि के लिए 50 रुपये प्रति डिबेंचर के 100 डिबेंचर जारी करती है और जारी करने के समय 5% की ब्याज दर और 2027 की 1 जनवरी को पुनर्भुगतान की तारीख का उल्लेख करते हुए एक प्रमाण पत्र जारी करती है। 5 निवेशकों ने समान रूप से निवेश किया, यानी प्रत्येक निवेशक ने 20 डिबेंचर में निवेश किया। यहां, कंपनी 1 जनवरी, 2027 को निर्दिष्ट अवधि यानि 5 साल की समाप्ति के बाद किसी भी कीमत पर डिबेंचर धारकों को ब्याज की राशि यानि 250 रुपये के साथ 1000 रुपये की मूल राशि चुकाने के लिए बाध्य है।  

कूपन दर के आधार पर

1. विशिष्ट कूपन दर डिबेंचर

डिबेंचर पर कूपन दर उनसे जुड़ी ब्याज दर है। यह वह दर है जिसके अनुसार धारक को ब्याज मिलेगा। एक विशिष्ट कूपन दर के मामले में, डिबेंचर बाजार में एक निश्चित और विशिष्ट ब्याज दर के साथ परिचालित (सर्कुलेट) होते हैं। इसके जरिए कंपनी निवेशकों को फंड उत्पन्न करने के लिए आकर्षित करती है। ऊपर दिए गए उदाहरण की तरह, डिबेंचर के लिए 5% ब्याज विशिष्ट कूपन दर है, और तदनुसार, 50 रुपये प्रति मूल्य के 20 डिबेंचर के लिए ब्याज राशि 250 रुपये होगी।

2. डिबेंचर की शून्य-विशिष्ट दर

ये डिबेंचर ब्याज दर के साथ नहीं आते हैं। दूसरे शब्दों में, डिबेंचर धारकों को मूल राशि के साथ कोई ब्याज नहीं दिया जाता है। लेकिन, धारक इन डिबेंचर के माध्यम से अप्रत्यक्ष (इनडायरेक्ट) रूप से लाभान्वित होते हैं क्योंकि ये कंपनी द्वारा रियायती (डिस्काउंट) राशि पर जारी किए जाते हैं, जो जारी किए गए डिबेंचर के अंकित मूल्य से कम है। इस प्रकार के डिबेंचर के साथ, डिबेंचर धारक को रियायती राशि और अंकित मूल्य राशि के बीच के अंतर से लाभ होता है।

अब जब हम जानते हैं कि विभिन्न प्रकार के डिबेंचर क्या हैं, तो आइए हम प्रतिदेय डिबेंचर की मूल बातों को विस्तार से जानें। आइए हम शुरू करते हैं कि प्रतिदेय डिबेंचर क्या हैं, इसके बाद उनके फायदे और नुकसान क्या है और उन्हें कैसे जारी किया जाता है।

प्रतिदेय डिबेंचर क्या हैं?

सबसे पहले, प्रतिदेय डिबेंचर के अर्थ को समझने के लिए, ऋणमुक्ति (रिडेंप्शन) के अर्थ पर कुछ प्रकाश डालना आवश्यक है। आइए समझते हैं कि ऋणमुक्ति क्या है। ऋणमुक्ति का अर्थ है कि उधार ली गई राशि की उस समयावधि की समाप्ति पर पुनर्भुगतान, जिसके लिए इसे पहले स्थान पर लिया गया था। इसलिए, प्रतिदेय डिबेंचर ऐसे डिबेंचर होते हैं जिन्हें कंपनी द्वारा एक विशिष्ट समय अवधि की समाप्ति पर चुकाया जाता है। कंपनी द्वारा दिए गए प्रमाण पत्र में, यह स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट होता है कि डिबेंचर कब चुकाया जाएगा, और राशि पूरी या किश्तों में चुकाई जाएगी।

प्रतिदेय डिबेंचर निश्चितता की भावना लाते हैं क्योंकि कंपनी इस प्रकार के डिबेंचर को अनिवार्य रूप से सभी डिबेंचर धारकों को चुकाने के लिए बाध्य है। प्रतिदेय डिबेंचर की उपस्थिति के कारण, कंपनियां अधिक निवेशकों को आकर्षित करती हैं या केवल इसलिए ऋण देती हैं क्योंकि वे सुरक्षित हैं, जिसमें भुगतान मिलने की संभावना को नकारा नहीं जा सकती है। उदाहरण के लिए, कंपनी X ने 23 दिसंबर 2021 को डिबेंचर जारी किया और यह कहते हुए एक प्रमाण पत्र जारी किया कि डिबेंचर 23 दिसंबर 2022 को चुकाया जाएगा। इस मामले में, डिबेंचर को समय की अवधि की समाप्ति के बाद चुकाया जाएगा।

सममूल्य पर (एट पार) प्रतिदेय

डिबेंचर के समान अंकित मूल्य के अनुसार डिबेंचर का पुनर्भुगतान सममूल्य पर प्रतिदेय कहलाता है। बांड की तरह ही, डिबेंचर का भी अंकित मूल्य होता है। यह एक मूल्य है जो एक कंपनी जारी करने के समय डिबेंचर पर सेट करती है। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि एक कंपनी ने न्यूनतम पांच साल की अवधि के लिए 100 रुपये (अंकित मूल्य) के लिए डिबेंचर जारी किए। डिबेंचर धारक इसे केवल 100 रुपये में खरीदेंगे। फिर, पांच साल के बाद, कंपनी डिबेंचर धारकों को वही राशि यानि 100 रुपये चुकाती है।

प्रीमियम पर प्रतिदेय

प्रीमियम पर प्रतिदेय या छूट पर प्रतिदेय के मामले में, कंपनी डिबेंचर को एक निश्चित अंकित मूल्य पर जारी करती है, लेकिन डिबेंचर धारकों को प्रारंभिक जारी राशि की तुलना में अधिक राशि पर चुकाती है। उदाहरण के लिए, कंपनी ने 90 रुपये (अंकित मूल्य) पर एक डिबेंचर जारी किया, और पांच साल बाद उसने डिबेंचर धारकों को दायित्व खत्म करने के लिए 110 रुपये की राशि चुका दी। यहां देखा जा सकता है कि कंपनी की चुकाई गई राशि प्रारंभिक अंकित मूल्य राशि से अधिक है।

प्रतिदेय डिबेंचर जारी करना

भारतीय कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत, डिबेंचर प्रतिभूतियों की श्रेणी में आते हैं। इसलिए, डिबेंचर जारी करने के लिए, प्रतिभूतियों के समान कानूनी प्रावधानों का पालन किया जाता है जैसा कि संहिता द्वारा प्रदान किया गया है। कंपनी अधिनियम की धारा 23 प्रतिभूतियों के मुद्दे से संबंधित है और सार्वजनिक और निजी कंपनियों द्वारा ऐसे मुद्दों को वर्गीकृत करती है। उसी पर नीचे चर्चा की गई है।

सार्वजनिक कंपनी

धारा 23 में कहा गया है कि एक सार्वजनिक कंपनी सभी आवश्यक विवरणों को निर्दिष्ट करते हुए एक प्रॉस्पेक्टस जारी करके सार्वजनिक पेशकश के माध्यम से प्रतिभूतियां जारी कर सकती है। जबकि उपधारा 1 (b) में यह भी प्रावधान है कि कंपनी अधिनियम की धारा 42 के तहत दिए गए प्रावधान का पालन करते हुए प्रतिभूतियों को निजी प्लेसमेंट के माध्यम से जारी कर सकती है, भाग (c) आगे प्रदान करता है कि उन्हें राइट्स इश्यू या बोनस इश्यू के माध्यम से, किसी सूचीबद्ध कंपनी द्वारा, या ऐसी कंपनी के माध्यम से भी जारी किया जा सकता है जो अपनी प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध करना चाहती है। इस मामले में, इच्छुक कंपनी भारतीय प्रतिभूति विनिमय (एक्सचेंज) बोर्ड अधिनियम, 1992 द्वारा प्रदान किए गए नियमों और प्रावधानों का पालन करेगी।

निजी कंपनी 

धारा 23 निजी कंपनियों द्वारा प्रतिभूतियों के मुद्दे से संबंधित है, जिसमें यह है कि यह अधिनियम द्वारा प्रदान किए गए आवश्यक प्रावधानों का पालन करते हुए राइट इश्यू या बोनस इश्यू के माध्यम से प्रतिभूतियां जारी कर सकती है। यह भी प्रावधान करती है कि यह अधिनियम की धारा 42 के तहत दिए गए प्रावधानों का पालन करते हुए निजी प्लेसमेंट के माध्यम से प्रतिभूति जारी कर सकती है।

प्रतिदेय डिबेंचर की विशेषताएं

  • लिखित वादा

जैसा कि ऊपर कहा गया है, प्रतिदेय डिबेंचर ब्याज के साथ उधार दिए गए पैसे को वापस करने के आश्वासन के साथ निर्णायक (कंक्लूसिवली) रूप से लिखित वादे हैं।

  • पुनर्भुगतान

प्रतिदेय डिबेंचर की सबसे प्रमुख विशेषता उधार ली गई राशि का पुनर्भुगतान है। प्रतिदेय डिबेंचर जारी करके, एक कंपनी एक विशेष समय, 5 साल की समाप्ति के बाद धारकों को चुकाने के लिए एक प्रतिभूति भी जारी करती है, क्योंकि कंपनी पुनर्भुगतान की तारीख बताते हुए डिबेंचर के प्रमाण पत्र से बाध्य हो जाती है।

  • प्रतिदेय डिबेंचर का मूल्य

निश्चित समय अवधि की समाप्ति पर, कंपनी पूरी राशि या किश्तों में राशि का भुगतान करती है। यह प्रतिदेय डिबेंचर की दूसरी विशेषता है। राशि का पुनर्भुगतान या तो सममूल्य पर किया जा सकता है, अर्थात, जारी करने के समय अंकित मूल्य के समान, या प्रीमियम पर, अर्थात, जारी करने के समय की वास्तविक राशि से अधिक राशि पर।

उदाहरण के लिए, एक कंपनी, XYZ, ने 20 लाख रुपये के अंकित मूल्य के साथ सममूल्य पर प्रतिदेय डिबेंचर जारी किए, और दूसरी कंपनी DYC ने 20 लाख रुपये के अंकित मूल्य के साथ प्रतिदेय डिबेंचर जारी किए लेकिन इसे 2% प्रीमियम दर पर जारी किया। यहां, XYZ कंपनी अपने डिबेंचर धारकों को केवल 20 लाख रुपये की राशि का भुगतान करेगी क्योंकि यह सममूल्य पर जारी किए गए थे, जबकि कंपनी DYC 20 लाख की राशि को 2% की दर यानि 20 हजार रुपये के साथ चुकाएगी, चूंकि यह प्रीमियम पर जारी किए गए थे।

डिबेंचर रिडंप्शन रिजर्व (डीआरआर)

भारतीय कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 71(4) भारत में काम कर रही कंपनियों के लिए निवेशकों को डिबेंचर जारी करने के बाद एक डिबेंचर रिडंप्शन रिजर्व (डीआरआर) स्थापित करना अनिवार्य बनाती है। इसका मकसद निवेशकों को उनके निवेशित धन के लिए सुरक्षा की भावना प्रदान करना है। उक्त रिजर्व कंपनी द्वारा डिबेंचर जारी करने के माध्यम से जुटाई गई नकद राशि का एक निश्चित प्रतिशत अलग रखकर बनाया जाता है। यह कंपनी को अपने ऋण दायित्व को दूर करने के लिए एक बैकअप योजना के रूप में नकदी का उपयोग करने की अनुमति देता है, अगर भविष्य में, कंपनी किसी भी कारण से विफल हो जाती है। उक्त प्रावधान कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए अनिवार्य किया गया है क्योंकि ऐसे डिबेंचर एसेट और ग्रहणाधिकार (लिएन) की जमानतदार (श्योरिटी) द्वारा समर्थित नहीं होते हैं।

प्रतिदेय डिबेंचर के लाभ

प्रतिदेय डिबेंचर, डिबेंचर धारकों को बड़ी संख्या में लाभ प्रदान करते हैं जो आय का एक अच्छा स्रोत साबित होते हैं, और निवेशकों के लिए फायदेमंद होते हैं। निम्नलिखित का उल्लेख नीचे किया गया है।

  • सुरक्षित

प्रतिदेय डिबेंचर प्रकृति में आर्थिक रूप से सुरक्षित साबित होते हैं। इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि इस प्रकार के डिबेंचर निश्चित रूप से चुकाए जाते हैं क्योंकि कंपनी, जारी होने की तारीख में, यह बताते हुए एक प्रमाण पत्र देती है कि भविष्य में उधार की गई राशि और ब्याज कब और कैसे चुकाया जाएगा। हालांकि, यह एक लंबे समय के बाद होता है। लेकिन फिर भी, यह वित्तीय बाजार के अन्य सभी जोखिम भरे और अस्थिर रूपों के विपरीत है, जैसे क्रिप्टोकरेंसी और स्टॉक आदि।

  • आय का स्थिर स्रोत

निवेश करके, या दूसरे शब्दों में, कंपनी को पैसा उधार देकर, निवेश करने वाला व्यक्ति डिबेंचर धारक बन जाता है। यह डिबेंचर धारक अब उचित अवधि के लिए आय का एक स्थिर स्रोत कमा सकता है और प्राप्त कर सकता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि एक डिबेंचर धारक केवल जारी किए गए डिबेंचर पर उपलब्ध ब्याज दर के माध्यम से कमाता है, और वह अपनी पसंद के अनुसार एक अंतहीन संख्या में डिबेंचर खरीद सकता है। जितने अधिक डिबेंचर जारी किए जाएंगे, उतना ही अधिक लाभ होगा।

  • धन का अच्छा स्रोत

डिबेंचर जारी करने का मुख्य उद्देश्य किसी कंपनी की व्यावसायिक जरूरतों को पूरा करना है। एक कंपनी जो व्यापार क्षेत्राधिकार (ज्यूरिस्डिक्शन), अनुसंधान और विकास के विस्तार, और संयंत्र और मशीनरी की खरीद जैसे बड़े संचालन को अपनी जेब से नहीं खरीदती है, इसका कारण इसकी भारी लागत है। इसलिए, कंपनी केवल इन डिबेंचर के माध्यम से वित्तीय शक्ति उत्पन्न करती है। ये इन कंपनियों को डिबेंचर के माध्यम से धन उत्पन्न करने में भी मदद करते हैं, जो एक प्रीमियम पर प्रतिदेय होते हैं।

प्रतिदेय डिबेंचर के नुकसान

  • कम आय

प्रतिदेय डिबेंचर अन्य वित्तीय प्रतिभूतियों की तुलना में कम ब्याज दर के साथ आते हैं। इसलिए, निवेशक इन डिबेंचर से अन्य प्रतिभूतियों जैसे बांड, शेयर, स्टॉक आदि की तुलना में कम राशि कमाते हैं।

  • वित्तीय भार

इस घटना में कि जारीकर्ता, यानी कंपनी, लाभ कमाने में सक्षम नहीं है, तो ये डिबेंचर कंपनी पर वित्तीय बोझ बन जाते हैं क्योंकि वे मूल राशि का भुगतान करने के लिए बाध्य होते हैं और अंततः निर्दिष्ट तिथि की समाप्ति के बाद इसका भुगतान करते हैं। ऐसे मामलों में, कंपनी घाटे का सामना करती है और डिबेंचर धारकों को अपनी जेब से भुगतान करती है।

  • मतदान का अधिकार नहीं होता है

परिवर्तनीय डिबेंचर के विपरीत, प्रतिदेय डिबेंचर कंपनी के प्रबंधन और निर्णयों में वोटिंग अधिकार नहीं बनाते हैं।

प्रतिदेय और गैर प्रतिदेय डिबेंचर के बीच अंतर

प्रतिदेय डिबेंचर और गैर-प्रतिदेय डिबेंचर के बीच प्रमुख अंतर निम्नलिखित हैं:

प्रतिदेय डिबेंचर  गैर प्रतिदेय डिबेंचर 
इन डिबेंचर में पुनर्भुगतान की एक निश्चित तिथि होती है। इनमे पुनर्भुगतान की कोई निश्चित तिथि नहीं होती है।
कंपनी उस विशिष्ट तिथि को निर्दिष्ट करते हुए एक प्रमाण पत्र जारी करती है जिस पर पुनर्भुगतान संचालित किया जाएगा। कंपनी एक प्रमाणपत्र जारी करती है जिसमें पुनर्भुगतान की कोई तारीख नहीं होती है।
कंपनी निर्दिष्ट तिथि की समाप्ति के बाद चुकाने के लिए बाध्य होती है। कंपनी राशि का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं होती है।
कंपनी निर्दिष्ट समय अवधि की समाप्ति के बाद ही राशि का भुगतान करेगी। निश्चित अवधि से पहले नहीं करेगी और न ही ज्यादा समय बाद करेगी। कंपनी केवल तभी भुगतान करती है जब वह परिसमापन में जाएगी या उसके द्वारा बताई गई शर्तों के अनुसार होगी।

निष्कर्ष

कंपनी, धन उत्पन्न करने के लिए, स्टॉक एक्सचेंजों पर स्टॉक और शेयर जैसे वित्तीय प्रतिभूतियों के विभिन्न रूपों को जारी कर सकती है, लेकिन इसे सुरक्षित रखने के लिए, डिबेंचर जारी कर सकती है। चूंकि स्टॉक और शेयर अपने जोखिम वाले कारकों को अपने साथ रखते हैं, उनके विपरीत, कंपनी डिबेंचर के माध्यम से काफी अच्छी मात्रा में पूंजी बना सकती है क्योंकि यह सुरक्षित होते है। इन्हे धन उत्पन्न करने के सबसे सस्ते तरीकों में से एक भी कहा जा सकता है।

एक निवेशक के दृष्टिकोण से, प्रतिदेय डिबेंचर गारंटीकृत पुनर्भुगतान और ब्याज के साथ निवेश का सबसे सुरक्षित रूप है। कंपनी के समापन के समय भी उन्हें प्राथमिकता दी जाती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू)

एक डिबेंचर क्या दर्शाता है?

एक डिबेंचर धन जुटाने के उद्देश्य से जनता से लिए गए ऋण का प्रतिनिधित्व करता है। उदाहरण के लिए, एक कंपनी, XYZ के नाम पर, अपने व्यापार का विस्तार करना चाहती है और इसके लिए संयंत्र और मशीनरी लेना चाहती है। यहां, कंपनी, मशीनरी की खरीद और व्यापार विस्तार के लिए धन उत्पन्न करने के लिए, जनता के लिए डिबेंचर जारी कर सकती है। जब निवेशक (स्थानीय जनता से) इन डिबेंचर को खरीदते हैं, तो कंपनी और निवेशक के बीच ऋण का संबंध बनता है। इस प्रकार, इस उदाहरण में, कंपनी डिबेंचर धारक (धारकों) को ब्याज राशि के साथ निवेश की गई मूल राशि का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है।

सुरक्षित डिबेंचर को ‘सुरक्षित’ क्यों कहा जाता है?

एसेट पर चार्ज की अवधारणा की उपस्थिति के कारण सुरक्षित डिबेंचर को ‘सुरक्षित’ कहा जाता है। यदि किसी भी मामले में, कंपनी उधार की गई राशि और ब्याज को चुकाने में सक्षम नहीं है, तो डिबेंचर धारक को हमेशा कंपनी के एसेट को बेचने और मूल राशि को ब्याज के साथ प्राप्त करने का अधिकार होता है।

क्या डिबेंचर को ऋण कहा जा सकता है?

मुख्य रूप से एक डिबेंचर को जनता से लिया गया ऋण कहा जा सकता है, लेकिन इसे आगे ऋण लेने की कंपनी द्वारा घोषणा और स्वीकृति कहा जा सकता है। घोषणा डिबेंचर प्रमाणपत्र जारी करके की जाती है।

डिबेंचर प्रमाणपत्र क्या है?

एक डिबेंचर प्रमाणपत्र एक दस्तावेज है जो कंपनी द्वारा अपनी आधिकारिक मुहर के तहत जारी किया जाता है, इसे डिबेंचर डीड के रूप में भी जाना जाता है। यह डिबेंचर धारक के पक्ष में जारी किया जाता है। दस्तावेज़ में विभिन्न आवश्यक विवरण होते हैं जैसे कि एक डिबेंचर धारक ने कितनी इकाइयों में निवेश किया है, किस तारीख को कंपनी राशि चुकाएगी, ब्याज की दर, और एसेट के नाम और विवरण आदि।

डिबेंचर का उद्देश्य क्या है?

कंपनी अनुसंधान एवं विकास, बड़ी परियोजनाओं को करने, मशीनरी खरीदने आदि जैसे विभिन्न तरीकों के माध्यम से अपने विकास और वृद्धि के लिए डिबेंचर जारी करती है।

प्रतिदेय डिबेंचर को निवेश का एक सुरक्षित रूप क्यों माना जाता है?

प्रतिदेय डिबेंचर को निवेश का एक सुरक्षित रूप माना जाता है, क्योंकि इस प्रकार के डिबेंचर में, निवेशकों के लिए दी गई राशि के पुनर्भुगतान के लिए एक प्रतिभूति मौजूद होती है। चूंकि कंपनी उस तारीख को निर्दिष्ट करते हुए एक प्रमाण पत्र जारी करती है जिस पर राशि का भुगतान किया जाएगा, यह जारी होने की तारीख से समाप्ति की तारीख तक बाध्य होता है। प्रतिदेय डिबेंचर में नुकसान की कोई गुंजाइश नहीं होती है।

संदर्भ

 

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