यह लेख Asmita Topdar द्वारा लिखा गया है, जो लॉसिखो से एम. एंड ए., इंस्टीट्यूशनल फाइनेंस एंड इनवेस्टमेंट लॉ (पी.ई. और वी.सी. ट्रांजेक्शन) में डिप्लोमा कर रही हैं। इस लेख में लेखक ने बिटकॉइन के बारे में चर्चा करते हुऐ इस प्रश्न का जवाब दिया है की क्या हम इसके साथ एम. एंड ए. को फंड कर सकते हैं। इस लेख का अनुवाद Divyansha Saluja द्वारा किया गया है।
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परिचय (इंट्रोडक्शन)
बिटकॉइन की अवधारणा (कांसेप्ट) को, सातोशी नाकामोटो नामक एक व्यक्ति द्वारा, “बिटकॉइन: ए पीयर-टू-पीयर इलेक्ट्रॉनिक कैश सिस्टम” नामक उसके पेपर में प्रस्तावित (प्रोपोज) किए हुए 12 साल हो चुके हैं। उनके इस विचार का उद्देश्य वित्तीय संस्थानों (फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन) के माध्यम से लेनदेन करने की आवश्यकता के बिना, इलेक्ट्रॉनिक नकदी (कैश) के पीयर-टू-पीयर संस्करण (वर्जन) के रूप में दो पक्षों के बीच ऑनलाइन भुगतान की अनुमति देना था। बिटकॉइन का मूल्य, जनवरी 2021 में लगभग 32,000 डॉलर से बढ़कर लगभग 38,000 डॉलर हो गया, और ऐसा इलोन मस्क के समर्थन (सपोर्ट) वाले ट्वीट्स के साथ हुआ, जिसमे उन्होंने बिटकॉइन को अपरिहार्य (इनेविटेबल) बताया था।
हाल के दिनों में, हमने जैक डोर्सी, मार्क एंड्रीसन, रीड हॉफमैन, पीटर थिएल, चमथ पालिहापतिया और नवल रविकांत जैसे लोगों द्वारा इसी तरह के समर्थनों की बौछार होती हुई देखी है। पिछले कुछ वर्षों में ऐसी प्रवृत्ति देखी गई है जिसमें कुछ कंपनियां अपने विलय (मर्जर) और अधिग्रहण (एक्विजिशन) सौदों को फंड करने के लिए बिटकॉइन पर विचार कर रही हैं। 2020 की पी.डब्ल्यू.सी. रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में 189 विलय और अधिग्रहण सौदों को क्रिप्टोकरेंसी द्वारा फंड किया गया, जबकि 2019 में 114 एम.एंड ए. सौदे हुए थे। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि एशिया और ई.एम.ई.ए. (यूरोप, मध्य पूर्व (मिडिल ईस्ट) और अफ्रीका) धीरे-धीरे इस क्षेत्र में आगे आ रहे हैं और ज्यादातर, क्रिप्टो को एम. एंड ए. सौदों और फंड को बढ़ाने के लिए आकर्षित कर रहे हैं। यह, क्रिप्टो एम. एंड ए. फंडिंग के क्षेत्र में व्यापक दायरे को प्रदर्शित करता है।
यह लेख, क्रिप्टो एम. एंड ए. सौदों के आंकड़े (स्टेटिस्टिक्स) प्रदान करके और क्रिप्टोकरेंसी से निपटने के दौरान, भारत के कानूनों को उजागर करके बिटकॉइन द्वारा एम.एंड ए. सौदों की फंडिंग पर चर्चा करता है।
बिटकॉइन क्या है और यह कैसे काम करता है?
बिटकॉइन के माध्यम से एम.एंड.ए फंडिंग को समझने से पहले, पहले यह समझना बहुत जरूरी हो जाता है कि बिटकॉइन क्या है और बिटकॉइन कैसे काम करता है। बिटकॉइन एक वर्चुअल करेंसी के अलावा और कुछ नहीं है। कोई इसे ऑनलाइन नकद के रूप में भी संदर्भित (रेफर) कर सकता है। करेंसी के इस वर्चुअल मोड का उपयोग उत्पादों और सेवाओं को खरीदने के लिए किया जा सकता है, हालांकि चीन और पाकिस्तान जैसे कई देश हैं जिन्होंने इस तरह की करेंसी पर पूरी तरह से प्रतिबंध (बैन) लगा दिया है। प्रत्येक बिटकॉइन का एक बिटकॉइन पता (एड्रेस) होता है, जो उनके अंदर छपा एक निजी कोड होता है, जिसके बिना बिटकॉइन का कोई मूल्य नहीं होगा। लोग एक-दूसरे के डिजिटल वॉलेट में बिटकॉइन भेजकर लेन-देन कर सकते हैं और प्रत्येक लेन-देन एक सार्वजनिक सूची (पब्लिक लिस्ट) में दर्ज हो जाता है, जिसे ब्लॉकचेन कहा जाता है। सरकारी बैंक इन क्रिप्टो लेनदेन को नियंत्रित नहीं करते हैं और हालांकि बिटकॉइन एक सार्वजनिक सूची में दर्ज होते हैं, लेकिन लोग गुमनाम रूप से बिटकॉइन को स्थानांतरित (ट्रांसफर) कर सकते हैं, जिसमें लेनदेन खाता नंबर दिखाई नहीं देता है। यही वह आधार है, जिसके लिए कुछ देशों को डर है कि बिटकॉइन का इस्तेमाल आतंकी फंडिंग के लिए किया जा सकता है और इस तरह उन्होंने ऐसी वर्चुअल करेंसी के इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है।
बिटकॉइन का पूरा नेटवर्क ब्लॉकचेन पर बनाया गया है जो एक साझा सार्वजनिक बहीखाता (शेयर्ड पब्लिक लेजर) है। बहीखाता सभी लेनदेन को रिकॉर्ड करता है, सभी खातों के खर्च योग्य बची हुई राशि का हिसाब रखता है, और यह सुनिश्चित करता है कि बिटकॉइन का उपयोग करके कोई नकली लेनदेन तो नहीं हो रहा है। यह सत्यापित (वेरिफाई) करता है और सुनिश्चित करता है कि जिस खाते से बिटकॉइन का लेन-देन किया गया है, वह खाता धारक के स्वामित्व (ओनर) में ही है। बिटकॉइन वॉलेट, लेनदेन पर हस्ताक्षर करने के लिए, निजी चाबी (प्राइवेट की) या सीड नामक डेटा के एक गुप्त अंश का उपयोग करता है, जिससे गणितीय प्रमाण (मैथमेटिकल एविडेंस) मिलता है कि वे वॉलेट के मालिक से आए हैं। हस्ताक्षर, यह सुनिश्चित करने के लिए सत्यापन में भी सहायता करता है कि बिटकॉइन जारी करने के बाद लेनदेन में कोई बदलाव नहीं हुआ है। एक वितरित आम सहमति प्रणाली (डिस्ट्रिब्यूटेड कंसेंसस सिस्टम), जिसे खनन (माइनिंग) कहा जाता है, का उपयोग ब्लॉकचैन में, उन्हें शामिल करके, लंबित (पेंडिंग) लेनदेन की पुष्टि (कन्फर्म) करने के लिए किया जाता है। यह नेटवर्क की तटस्थता (न्यूट्रलिटी) की रक्षा करता है, ब्लॉकचेन में कालानुक्रमिक क्रम (क्रोनोलॉजिकल ऑर्डर) लागू करता है और विभिन्न कंप्यूटरों को सिस्टम की स्थिति पर आम सहमति बनाने की अनुमति देता है।
क्या बिटकॉइन के माध्यम से एम.एंड.ए सौदों को फंड करना संभव है?
हालांकि, बाजार में कई क्रिप्टो करेंसी उपलब्ध हैं, जैसे रिपल, टेदर, टन, इथेरियम, लाइटकॉइन, लेकिन यह बिटकॉइन है जिसने अपनी लोकप्रियता के मामले में केंद्रीय स्तर (सेंट्रल स्टेज) पर कब्जा कर लिया है और ज्यादा से ज्यादा ध्यान आकर्षित किया है। मार्च 2021 में प्रकाशित एक समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक साल के दौरान भारत में क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करने वाले लेनदेन की मात्रा 60% बढ़ी है, मार्च, 2020 से फरवरी, 2021 के बीच बिटकॉइन की कीमत 445 प्रतिशत बढ़ गई है। ज़ेब पे के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर, विक्रम रंगाला ने बताया कि भारत में क्रिप्टो उद्योग (इंडस्ट्री), निवेश (इंवेस्टमेंट) के लिए एक नई एसेट क्लास बनाने की कोशिश कर रहा है, साथ ही ब्लॉकचेन पर बने विभिन्न प्रकार के एप्लिकेशन के लिए एक नया सॉफ्टवेयर भी बनाने की कोशिश कर रहा है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि भारतीय नए निवेश वाहनों के लिए खुले हैं और वैश्विक रुझानों (ग्लोबल ट्रेंड्स) का पालन करते हैं। यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि भारतीय बाजार में बिटकॉइन का महत्व बढ़ रहा है, तब भी जब नागरिक महामारी से लड़ रहे हैं और पूरी तरह से लॉकडाउन में हैं।
2019 पी.डब्ल्यू.सी. रिपोर्ट ने पहले ही संकेत दिया था कि क्रिप्टो एम.एंड ए. सौदों में निवेश, अमेरिकी बाजार से अब, एशिया और ई.एम.ई.ए. बाजारों में स्थानांतरित हो गया है। 2018 में कुल 189 एम.एंड.ए. सौदे क्रिप्टो द्वारा फंड हुए थे, जिनमें से 66% अमेरिकी बाजार से आए, जबकि 14% सौदे एशिया में हुए थे। हालांकि, क्रिप्टो एम.एंड.ए. सौदों की कुल संख्या घटकर 114 हो गई है, लेकिन एशिया में क्रिप्टो सौदे 22% तक बढ़ गए है, जबकि अमेरिका में 15% की गिरावट देखी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में भी विभिन्न क्षेत्रों में एम.एंड ए. को क्रिप्टो करेंसी द्वारा फंड किया जा रहा है। व्यापारिक बुनियादी ढांचे (ट्रेडिंग इंफ्रास्ट्रक्चर), मीडिया, परामर्श फर्मों (कंसल्टेशन फर्म्स) और अनुसंधान (रिसर्च) के क्षेत्रों में क्रिप्टो द्वारा फंड किए गए एम.एंड.ए सौदों में तेज वृद्धि देखी गई है। शीर्ष 10 क्रिप्टो एम.एंड.ए में से 7 खनन और क्रिप्टो एक्सचेंज के क्षेत्र में थे।
2020 की पी.डब्ल्यू.सी. की रिपोर्ट, यह बताती है कि 2020 में, 2019 से क्रिप्टोकरेंसी द्वारा फंड किए गए एम.एंड ए. सौदों के कुल मूल्य के दोगुने से अधिक देखा गया है, जिसमें 131% की वृद्धि हुई है। इससे भी दिलचस्प बात यह है कि यह बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई है जब पूरी दुनिया जानलेवा वायरस से जूझ रही थी और घर से काम करते हुए इस तरह के सौदों को अंतिम रूप दिया जा रहा था। इसके अलावा, 2020 में औसत (एवरेज) सौदे के आकार में, 19.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर से 52.7 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक की वृद्धि देखी गई है। एक अच्छी खबर यह है कि हालांकि ज्यादातर सौदे अभी भी अमेरिकी बाजार में हो रहे हैं, हालांकि क्रिप्टो एम.एंड.ए डील की गतिविधि धीरे-धीरे अमेरिकी से एशियाई और ई.एम.ई.ए. बाजारों में स्थानांतरित हो रही है। 2019 में, जब क्रिप्टो एम.एंड.ए डील की गतिविधि का एशिया और ईएमईए में 51% हुआ था, इसकी तुलना में 2020 में 60% हुआ। 2021 में अपने निवेश और अधिग्रहण के माध्यम से अधिक संस्थागत (इंस्टीट्यूशनल) खिलाड़ियों को क्रिप्टो बाजार में प्रवेश करने की उम्मीद है। इसके अलावा, रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में एशिया और ई.एम.ई.ए. में होने वाली अधिक गतिविधियों के साथ क्रिप्टो एम.एंड.ए सौदों की संख्या और मूल्य में वृद्धि देखने की उम्मीद है।
एम.एंड.ए सौदों को बिटकॉइन द्वारा फंड किया जा सकता है और ऊपर दिए गए रिपोर्ट के विश्लेषण (एनालिसिस) से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि क्रिप्टो उद्योग साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है और जिसे हम महामारी के दौरान एक आशा के रूप में कह सकते हैं, वह यह है कि ई.एम.ई.ए. के साथ एशिया धीरे-धीरे इस तरह के क्रिप्टो द्वारा फंड किए गए एम.एंड.ए सौदों में लिए एक घर बन रहा है। हेनरी अर्सलानियन, पी.डब्ल्यू.सी. वैश्विक क्रिप्टो नेता ने कहा कि 2020, एम.एंड.ए और क्रिप्टो द्वारा फंड संग्रह (रेज) करने के लिए एक रिकॉर्ड था, लेकिन 2021 पहले से ही हर एक मीट्रिक से इसे पार करने के लिए ट्रैक पर है। बिटकॉइन के मूल्य में वृद्धि, निवेशकों से ब्याज और व्यवसायियों द्वारा समर्थन के साथ, यह कहा जा सकता है कि क्रिप्टो करेंसी बाजार का विस्तार हो रहा है, और हम क्रिप्टो करेंसी का उपयोग करके ऐसे कई एम.एंड.ए सौदों को फंड करते हुए देख सकते हैं।
चूंकि अब हम जानते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी द्वारा एम.एंड.ए सौदों को फंड करना न केवल संभव है बल्कि एशिया में धीरे-धीरे यह आधार प्राप्त कर रहा है और एक सुनहरा अवसर प्रदान कर रहा है, जिसका भारतीयों को लाभ उठाना चाहिए, आइए अंत में इस बारे में एक सिंहावलोकन (ओवरव्यू) प्राप्त करें कि भारत में कानून क्रिप्टो करेंसी को कैसे नियंत्रित करते है।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी के बारे में कानून क्या कहता है?
विमुद्रीकरण (डेमोनेटाइजेशन) के बाद भारतीयों में बिटकॉइन के बारे में इतनी अधिक रुचि थी कि 2017 में भारतीयों द्वारा गूगल खोज पर ‘बिटकॉइन’ सबसे अधिक खोजा जाने वाला शब्द था। हालांकि, भारतीय वित्तीय नियामक संस्था (इंडियन फाइनेंशियल रेगुलेटरी बॉडी), भारतीय रिजर्व बैंक, वर्चुअल करेंसी के प्रति शत्रुतापूर्ण रहा है और 6 अप्रैल, 2018 के सर्कुलर (सर्कुलर) के माध्यम से ऐसी वर्चुअल करेंसी में लेनदेन पर प्रतिबंध लगाने से पहले वर्ष 2013 में एक चेतावनी जारी की थी। आर.बी.आई. ने अपने 2013 के चेतावनी सर्कुलर में, वर्चुअल करेंसी से जुड़े निम्नलिखित जोखिमों की ओर इशारा किया था –
- वी.सी. को डिजिटल वॉलेट में संग्रहीत (चैनलाइज) किया जाता है जो एक इलेक्ट्रॉनिक मोड है और चूंकि उन्हें किसी अधिकृत (ऑथराइज) केंद्रीय रजिस्ट्री या एजेंसी के माध्यम से चैनलाइज़ नहीं किया जाता है, इसलिए यह एक्सेस क्रेडेंशियल्स, हैकिंग, पासवर्ड की हानि, मैलवेयर अटैक आदि जैसे जोखिमों के लिए अधिक प्रवण (प्रोन) होता है। ऐसा नुकसान से वी.सी. को स्थायी (पर्मानेंट) हानि हो सकती है और इस प्रकार इसे फिर से प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
- चूंकि लेन-देन एक सहकर्मी से सहकर्मी के आधार (पीयर-टू-पीयर बेसिस) पर हो रहा है, इसलिए विवादों या ग्राहकों की शिकायतों के मामले में सहारा लेना मुश्किल है।
- चूंकि वी.सी. को किसी संपत्ति का समर्थन नहीं मिलता है, इसलिए वी.सी. के मूल्य में भारी अस्थिरता (वोलेटिलिटी) प्रतीत होती है, जिससे ग्राहकों को संभावित जोखिमों का सामना करना पड़ता है।
- चूंकि बिटकॉइन जैसे वी.सी. अस्पष्ट कानूनी स्थिति वाले अधिकार क्षेत्र (ज्यूरिसडिक्शन) में स्थित विभिन्न एक्सचेंजों में कारोबार करते हैं, यह निवेशकों के लिए वित्तीय और कानूनी दोनों जोखिम पैदा कर सकता है।
- सहकर्मी से सहकर्मी की प्रणाली में गुमनाम चरित्र के कारण एंटी-लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग गतिविधियों के लिए वी.सी. का उपयोग करने में भी जोखिम है।
2018 के सर्कुलर ने उन संस्थानों (इंस्टीट्यूशंस) पर प्रतिबंध लगा दिया, जो आर.बी.आई. द्वारा विनियमित (रेगुलेट) हैं या तो किसी व्यक्ति या संस्था को वी.सी. से निपटने या निपटाने में सुविधा प्रदान करने के लिए सेवाएं प्रदान करते हैं। ऐसी सेवाओं में खातों का रखरखाव (मेंटेनेस), व्यापार, समाशोधन (क्लियरिंग), पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन), निपटान, वर्चुअल टोकन के बदले कर्ज देना, उन्हें संपार्श्विक (कोलेटरल) के रूप में स्वीकार करना, उनसे निपटने वाले एक्सचेंज के खाते खोलना और वी.सी. की खरीद/बिक्री से संबंधित खातों में धन का हस्तांतरण (ट्रांसफर)/प्राप्ति शामिल है। इसने वर्चुअल करेंसी में लेनदेन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। सर्कुलर की प्रयोज्यता (एप्लीकेबिलिटी) केवल उन संगठनों (ऑर्गेनाइजेशन) तक सीमित थी जो आर.बी.आई. के विनियमन के दायरे में थे और इस प्रकार उन संगठनों को छूट दी गई थी जिन्हें न तो आर.बी.आई. द्वारा विनियमित किया जाता है और न ही वर्चुअल करेंसी (वी.सी.) में काम करने के लिए आर.बी.आई. विनियमित संस्थानों से किसी भी समर्थन की आवश्यकता होती है।
हालांकि, ऐसी चेतावनी जारी करने से पहले आर.बी.आई. द्वारा विस्तृत शोध (डिटेल्ड रिसर्च) की कमी थी। श्री वरुण सेठी द्वारा दायर एक आर.टी.आई. आवेदन (एप्लीकेशन) , जिसमे उन्होंने 2018 के सर्कुलर में बताए गए निर्णय पर पहुंचने के लिए किए गए प्रयासों पर स्पष्टीकरण (एक्सप्लेनेशन) मांगी थी, इस पर आर.बी.आई. ने जवाब देते हुए पुष्टि की कि उसने प्रकृति, कार्य और उपयोग को समझने के लिए अधिकारियों की एक टीम की स्थापना नहीं की है और 2013 के सर्कुलर में निर्धारित वी.सी. से जुड़े जोखिमों को निर्धारित करने के लिए न तो किसी समिति का गठन (कंस्टीट्यूट) किया और न ही किसी नियामक ढांचे (रेगुलेटरी फ्रेमवर्क) को समझने के लिए अन्य देशों में केंद्रीय बैंकों के साथ संवाद किया है।
आर.बी.आई. द्वारा 2018 के आदेश के बाद कई रिट याचिकाएं (पिटीशन) दायर की गईं और आखिरकार 4 मार्च, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया बनाम भारतीय रिजर्व बैंक के मामले में आर.बी.आई. के 6 अप्रैल, 2018 के सर्कुलर को अल्ट्रा वायर्स के रूप में माना क्योंकि यह आनुपातिकता (प्रोपोर्शनलिटी) और तार्किकता (रीजनेबलनेस) के परीक्षण (टेस्ट) में खरा नहीं उतरा और मौलिक अधिकार (फंडामेंटल राइट्स) पर रोक लगा दी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णायक अनुपात (रेश्यो डिसीडेंडी) मुख्य रूप से दो सवालों पर आधारित था- क्या क्रिप्टोकरेंसी पैसा है या एक कमोडिटी है और क्या सर्कुलर अपनी शक्ति का एक उपयुक्त प्रयोग था या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्धारित करने की कोशिश की, कि क्या क्रिप्टोकुरेंसी ‘पैसे’ की चार दीवारों के भीतर गिर गई है यानी- विनिमय का माध्यम (मीडियम ऑफ एक्सचेंज), पैसे की इकाई (यूनिट ऑफ़ मनी), स्थगित भुगतान का मानक (स्टैंडर्ड ऑफ़ डिफर्ड पेमेंट) और मूल्य का भंडार (स्टोर ऑफ़ वैल्यू)। उसी का विश्लेषण करने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने वर्चुअल करेंसी की प्रकृति को स्पष्ट नहीं किया और इसलिए आगे की व्याख्या (इंटरप्रिटेशन) के लिए जगह छोड़ दी। कोर्ट के आदेश में केवल यह उल्लेख किया गया है कि यदि एक अमूर्त संपत्ति (इंटेंजिबल प्रॉपर्टी) कुछ परिस्थितियों में धन के रूप में कार्य कर सकती है (यहां तक कि बिना किसी नकली करेंसी के), तो आर.बी.आई. निश्चित रूप से इस पर ध्यान दे सकता है और इससे निपट सकता है।
इस संबंध में, कि क्या आर.बी.आई. के पास वी.सी. को विनियमित करने वाले ऐसे सर्कुलर जारी करने की शक्ति है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ‘भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम (पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम्स एक्ट), 2007 की पूरी योजना (स्कीम) में, यह कहना असंभव है कि आर.बी.आई. के पास, उन बैंकों के लिए जो सिस्टम सहभागी (पार्टिसिपेंट्स) हैं, लेन-देन के संबंध में जो भुगतान दायित्व (पेमेंट ऑब्लिगेशन) या भुगतान निर्देश (इंस्ट्रक्शन) की श्रेणी में आते हैं, यदि भुगतान प्रणाली नहीं है,’ नीतियां बनाने और निर्देश जारी करने की शक्ति नहीं है। यह भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 की धारा 18 के संदर्भ में था, जो आर.बी.आई. को भुगतान प्रणालियों के नियमन से संबंधित नीतियां निर्धारित करने और भुगतान प्रणालियों से संबंधित व्यवसाय के संचालन से संबंधित निर्देश देने की शक्ति देता है।
इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट का आदेश अब एक राहत के रूप में आया है और वी.सी. और क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन के लिए मंच मुक्त कर दिया गया है। हालांकि, आर.बी.आई. सर्कुलर द्वारा हाइलाइट किए गए संभावित जोखिमों को अनदेखा नहीं करना चाहिए और ब्लाइंड स्पॉट दिए जाने चाहिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में वीसी से जुड़े संभावित (पॉसिबल) जोखिमों से इंकार नहीं किया है।
निष्कर्ष (कंक्लूज़न)
भारत में वर्तमान में कोई कानून नहीं है जो क्रिप्टोकरेंसी को नियंत्रित करता है, न ही उसने चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के विपरीत भारत में क्रिप्टोकुरेंसी पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट आर.बी.आई. द्वारा पहले लगाए गए प्रतिबंधों से राहत देता है। जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश क्रिप्टोकरेंसी में व्यवहार करते समय जुड़े संभावित जोखिमों से इंकार नहीं करता है, वी.सी. में व्यापार और निवेश करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। क्रिप्टो करेंसी उद्योग में क्रिप्टो-फंड एम.एंड.ए सौदों की संख्या और मूल्यों के साथ हर साल वृध्दि हो रही है। इस तरह के क्रिप्टो सौदों में निवेश, विश्लेषण और अध्ययन (स्टडी) के बाद किया जा सकता है कि कैसे जापान जैसे अन्य एशियाई देश इस डर पर काबू पा रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं। जैसा कि कहा जाता है कि हर बादल में एक चांदी की परत होती है, यह तथ्य कि एशिया धीरे-धीरे क्रिप्टो एम.एंड.ए सौदों के लिए एक घर बन रहा है, महामारी के समय में एक चांदी की परत से कम नहीं है।
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