यह लेख M.S. Bushra Tungekar द्वारा लिखा गया है, जो यूनिवर्सिटी ऑफ़ मुंबई लॉ अकेडमी से है। इस लेख में लेखक एक स्वतंत्र निदेशक (इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स), उनकी भूमिकाओं, कर्तव्यों, कार्यों और उनके चयन (सिलेक्शन) के तरीके पर चर्चा करता है। इस लेख का अनुवाद Shreya Prakash द्वारा किया गया है।
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परिचय (इंट्रोडक्शन)
भारत में कॉर्पोरेट प्रशासन (कॉर्पोरेट गवर्नेंस) की शुरुआत के साथ ही, कंपनियों में स्वतंत्र निदेशकों की आवश्यकता महसूस की गई। कंपनी अधिनियम 1956 (कंपनीज़ एक्ट, 1956) में ये आवश्यक प्रावधान नहीं थे। इस अंतर को कम करने के लिए, कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय (मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉर्पोरेट अफेयर्स) ने 2013 में अधिनियम में संशोधन किया।
स्वतंत्र निदेशक किसी कंपनी में प्रबंधन (मैनेजमेंट) और स्वामित्व (ओनरशिप) के बीच संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्वतंत्र निदेशक न केवल ज़्यादा लाभ प्राप्त करने में मदद करते हैं बल्कि शेयरहोल्डर के कल्याण पर भी नजर रखते हैं।
सरल शब्दों में, एक स्वतंत्र निदेशक एक तीसरा पक्ष होता है जो निदेशक मंडल (बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स) का सदस्य होता है, जिसकी कंपनी के साथ निष्पक्ष स्थिति होती है। स्वतंत्र निदेशक कंपनी के रोज़ के कामकाज में भाग नहीं लेता है और न ही वह कंपनी की कार्यकारी टीम का हिस्सा होता है।
एक स्वतंत्र निदेशक कौन हो सकता है?
कंपनी अधिनियम 2013 (कंपनीज़ एक्ट, 2013) का अध्याय XI, निदेशकों की नियुक्ति और योग्यता से संबंधित है। कंपनी अधिनियम 2013 के तहत स्वतंत्र निदेशक कौन हो सकता है, इससे संबंधित प्रावधान अधिनियम की धारा 149 उपधारा (6) में दिए गए हैं। यह धारा कहती है कि किसी कंपनी के संबंध में एक स्वतंत्र निदेशक का अर्थ प्रबंध निदेशक (मैनेजिंग डायरेक्टर), या पूर्णकालिक निदेशक (व्होल-टाइम डायरेक्टर), या नामित निदेशक (नॉमिनी डायरेक्टर) के अलावा कोई अन्य व्यक्ति है:
- बोर्ड की राय में वह एक ईमानदार व्यक्ति और उचित विशेषज्ञता (एक्सपेर्टीज़) और अनुभव रखने वाला व्यक्ति है।
- वह व्यक्ति कंपनी या उसकी किसी सहायक (सब्सिडियरी) कंपनी या उसकी किसी होल्डिंग या उसकी किसी सहयोगी कंपनी का प्रमोटर नहीं होना चाहिए।
- उस व्यक्ति को न तो कंपनी के प्रमोटरों से संबंधित होना चाहिए और न ही कंपनी के निदेशकों से। इसमें इसकी होल्डिंग्स के निदेशक, इसकी कोई सहायक कंपनी या कोई भी सहयोगी कंपनी भी शामिल है।
- पिछले दो वर्षों के दौरान व्यक्ति का कंपनी (इसकी होल्डिंग्स, सहायक कंपनियों या सहयोगी कंपनियों सहित) के साथ कोई आर्थिक संबंध नहीं होना चाहिए। हालाँकि, इस धारा में दिए गए आर्थिक संबंध का अर्थ है कि यह संबंध निदेशक के रूप में वेतन के अलावा अन्य होना चाहिए या फिर लेन-देन उसकी कुल आय के 10% से अधिक नहीं होना चाहिए।
- जिनके किसी भी रिश्तेदार का कंपनी (इसकी होल्डिंग्स, सहायक कंपनियों या सहयोगी कंपनियों सहित) के साथ कोई आर्थिक या लेन-देन की प्रकृति में संबंध नहीं होना चाहिए।
- चल रहे या पिछले दो वर्षों के दौरान जिसका कोई रिश्तेदार ना ही:
- कोई प्रतिभूति (सिक्योरिटीज) या स्वार्थ रखता हो। बशर्ते यह पचास लाख या चुकता पूंजी (पेड अप कैपिटल) के 2% से अधिक न हो;
- ऋणी (इंडेब्टेड) है; या
- किसी तीसरे पक्ष की ऋणग्रस्तता (इंडेब्टनेस) के लिए गारंटी, या सुरक्षा प्रदान की हो।
- वह व्यक्ति न तो स्वयं और न ही उसका कोई रिश्तेदार:
- पिछले तीन वर्षों के दौरान किसी भी महत्वपूर्ण प्रबंधकीय (मैनेजेरियल) पद को धारण करता है या कंपनी (इसकी होल्डिंग्स, सहायक कंपनियों या सहयोगी कंपनियों सहित) में नौकरी कर रहा है।
- पिछले तीन वर्षों के लिए एक कर्मचारी या मालिक या साथी रहा है:
ऑडिटरों की फर्म,
- कंपनी सचिवों (कंपनी सेक्रीटेरी) की फर्म,
- कंपनी के कॉस्ट ऑडिटर (इसकी होल्डिंग्स, सहायक कंपनियां, या सहयोगी कंपनियां),
- कंपनी की ओर से काम करने वाली कानूनी फर्म (इसकी होल्डिंग्स, सहायक कंपनियां, या सहयोगी कंपनियां) के कुल आवर्त (ग्रॉस टर्नओवर) का 10% या उससे अधिक की राशि।
- वह व्यक्ति जिसके पास अपने रिश्तेदारों के साथ कंपनी में 2 % या अधिक वोटिंग शक्ति हो।
- गैर-लाभकारी संगठन का प्रमुख है जो कंपनी (इसकी होल्डिंग्स, सहायक कंपनियों या सहयोगी कंपनियों) से 25 % या उससे अधिक प्राप्त करता है।
- निर्धारित योग्यता रखने वाला व्यक्ति।
कौनसी कंपनियों को स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति करनी चाहिए या कौन सी कंपनियां ये कर सकती है?
कुछ कंपनियों के लिए एक स्वतंत्र निदेशक नियुक्त करना अनिवार्य है। कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 149 की उप-धारा (4) में प्रावधान है कि:
- हर एक सार्वजनिक सूचीबद्ध (पब्लिक लिस्टेड) कंपनी में निदेशकों की कुल संख्या का कम से कम 1/3 हिस्सा होना चाहिए।
- केंद्र सरकार अन्य वर्गों या सार्वजनिक कंपनियों के वर्गों के लिए स्वतंत्र निदेशकों की संख्या निर्धारित करेगी।
कंपनियों (निदेशकों की नियुक्ति और अर्हताएं, 2014) (कम्पनीज (अपॉइंटमेंट एंड क्वालिफिकेशन ऑफ़ डायरेक्टर्स) रूल्स, 2014) के नियम 4 स्वतंत्र निदेशकों की संख्या के बारे में बताती है। इसमें कहा गया है कि नीचे दिए गए मानदंडों (क्राईटेरिया) के तहत आने वाली सार्वजनिक कंपनियों में कम से कम दो स्वतंत्र निदेशक होंगे: –
- 10 करोड़ रुपये या उससे अधिक की चुकता शेयर पूंजी होने पर।
- 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक का कारोबार करने वाले पर।
- कुल मिलाकर, बकाया ऋण, डिबेंचर, उधार और जमा, आई एन आर 50 करोड़ से अधिक होने पर।
इसके कुछ अपवाद (एक्सेप्शन्स) भी है:
- संयुक्त उद्यम (जॉइंट वेंचर) ।
- पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडी (व्होलली ओन्ड सब्सिडियरी) ।
- अधिनियम के तहत दी गयी एक निष्क्रिय (डॉर्मेंट) कंपनी।
स्वतंत्र निदेशकों की संख्या की सीमा?
कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 165 के अनुसार, एक व्यक्ति को निदेशक के रूप में नियुक्त करने वाली कंपनियों की संख्या 20 कंपनियों (वैकल्पिक निदेशकों सहित) से अधिक नहीं होनी चाहिए। जब किसी व्यक्ति को सार्वजनिक कंपनी में निदेशक के रूप में नियुक्त करना हो, तब इस सीमा की गिनती करने के लिए उस व्यक्ति की निजी कंपनियों (होल्डिंग, सहायक कंपनी) में निदेशक पदों को भी शामिल किया जाएगा।
एक सार्वजनिक कंपनी के मामले में जिसमें एक व्यक्ति को निदेशक के रूप में नियुक्त किये जाने के लिए, 10 से अधिक कंपनियों में निदेशक नहीं होनी चाहिए। हालांकि, कंपनी अधिनियम, 2013 कंपनियों की संख्या पर किसी एक निश्चित सीमा के बारे में चुप है जहां एक व्यक्ति को एक स्वतंत्र निदेशक के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।
स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति (अपॉइंटमेंट) और पुनर्नियुक्ति (री-अपॉइंटमेंट)
योग्यता (क्वालिफिकेशन्स)
एक स्वतंत्र निदेशक की निर्धारित योग्यता से संबंधित प्रावधान कंपनी (निदेशकों की नियुक्ति) नियम, 2014 (कंपनीज़ (अपॉइंटमेंट ऑफ़ डायरेक्टर्स) रूल्स, 2014 ) के नियम 5 के तहत निर्धारित किया गया है। इस नियम में यह प्रावधान है कि एक स्वतंत्र निदेशक के पास ये सारी दी गयी योग्यताएं होनी चाहिए:
- उपयुक्त कौशल (स्किल्स) और विशेषज्ञता (एक्सपेर्टीज़) होनी चाहिए।
- वित्त (फाइनेंस) , प्रशासन, कानून, प्रबंधन, अनुसंधान (रिसर्च), कॉर्पोरेट प्रशासन, तकनीकी संचालन (टेक्निकल ऑपरेशन), बिक्री और विपणन (मार्केटिंग), या व्यवसाय के कामकाज से संबंधित किसी भी क्षेत्र में ज्ञान और अनुभव होना चाहिए।
स्वतंत्र निदेशकों का कार्यकाल (टेन्योर)
- स्वतंत्र निदेशकों के कार्यकाल की अवधि कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 149 की उपधारा (10) और उपधारा (11) के अंदर दी गई है।
धारा 149(10) के अनुसार, एक स्वतंत्र निदेशक को लगातार 5 वर्षों तक के लिए नियुक्त किया जा सकता है।
यह कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा उनके सामान्य परिपत्र (जनरल सर्कुलर) 14/2014 के माध्यम से स्पष्ट किया गया था, जिसमें कहा गया था कि 5 साल या उससे कम की अवधि के लिए एक स्वतंत्र निदेशक की नियुक्ति की अनुमति है। नियुक्ति चाहे पांच साल के लिए हो या उससे कम, इसे एक कार्यकाल माना जाएगा।
इस धारा के तहत स्वतंत्र निदेशक एक विशेष प्रस्ताव (स्पेशल रेजोल्यूशन) पास करके ही पुनर्नियुक्ति के लिए चुने जायंगे और इस जानकारी का खुलासा बोर्ड की रिपोर्ट में करना होगा।
इसके अलावा, धारा 149(11) में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को लगातार दो से अधिक कार्यकाल के लिए एक स्वतंत्र निदेशक के रूप में नियुक्त नहीं किया जाएगा। हालांकि ऐसे स्वतंत्र निदेशक 3 वर्ष की समाप्ति के बाद पुनर्नियुक्ति के पात्र होंगे।
कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा अपने सामान्य परिपत्र 14/2014 के माध्यम से स्पष्ट किए गए अनुसार, व्यक्ति को लगातार दो कार्यकाल पूरा करने पर कार्यालय से इस्तीफा देना होगा, भले ही वर्षों की कुल संख्या 10 से कम ही क्यों ना हो।
स्वतंत्र निदेशकों का पारिश्रमिक (रेम्युनरेशन)
कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 149 की उपधारा (9), स्वतंत्र निदेशकों को किसी भी स्टॉक विकल्प (स्टॉक ऑप्शन्स) को प्राप्त करने से स्पष्ट रूप से रोकती है।
हालांकि, स्वतंत्र निदेशक को शुल्क के रूप में पारिश्रमिक प्राप्त हो सकता है। यह शुल्क निदेशक मंडल द्वारा तय किया जाएगा, और यह बोर्ड या समितियों की बैठकों में भाग लेने के लिए एक स्वतंत्र निदेशक को बैठक शुल्क के रूप में दिया जायगा। हालांकि इस शुल्क की राशि प्रति बैठक 1 लाख रुपये से अधिक नहीं हो सकती है।
रोटेशन द्वारा सेवानिवृत्ति (रिटायरमेंट)
अन्य निदेशकों के विपरीत, स्वतंत्र निदेशक धारा 149 की उपधारा (13) के अनुसार रोटेशन पर सेवानिवृत्त होने के लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।
वैकल्पिक निदेशक (अल्टेरनेट डायरेक्टर)
अधिनियम की धारा 161 में वैकल्पिक निदेशकों, नामित निदेशकों (नॉमिनी डायरेक्टर) और अतिरिक्त निदेशकों (एडिशनल डायरेक्टर) की नियुक्ति का प्रावधान दिया गया है। धारा में कहा गया है कि एक व्यक्ति को एक स्वतंत्र निदेशक के लिए वैकल्पिक निदेशक के रूप में तभी नियुक्त किया जाएगा जब उसके पास वैकल्पिक निदेशक के रूप में नियुक्त होने के लिए आवश्यक योग्यताएं होंगी।
आंतरायिक निदेशक (इंटरमिटेन डायरेक्टर)
कंपनी (A) नियम, 2014 के नियम 4 के अनुसार, इस नियम के दायरे में आने वाली किसी भी कंपनी को 3 महीने के भीतर या तत्काल अगली बोर्ड बैठक से पहले ही एक स्वतंत्र निदेशक को नियुक्त करना होगा।
स्वतंत्र निदेशकों का चयन और उसके तरीके (मैंनर एंड सिलेक्शन ऑफ़ इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स)
स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति से संबंधित प्रावधान धारा 150, धारा 152, अनुसूची IV के भाग IV में दिए गए हैं।
स्वतंत्र निदेशकों का चयन
एक स्वतंत्र निदेशक की नियुक्ति का मुख्य उद्देश्य यह है कि नियुक्त व्यक्ति निष्पक्ष होकर अच्छे कॉर्पोरेट प्रशासन को बनाने में मदद करे। कंपनी अधिनियम 2013 की अनुसूची IV के भाग IV के तहत एक स्वतंत्र निदेशक की नियुक्ति का तरीका बताया गया है।
अनुसूची IV के भाग IV खंड (1) में कहा गया है कि एक स्वतंत्र निदेशक की नियुक्ति किसी भी कंपनी प्रबंधन से मुक्त होनी चाहिए। निदेशक मंडल एक स्वतंत्र निदेशक की नियुक्ति करेगा, हालांकि, नियुक्ति करते समय बोर्ड को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बोर्ड में कौशल, ज्ञान और अनुभव के बीच संतुलन है। ऐसा करने से बोर्ड को धारा 150 (1) के तहत प्रदान की गई अपनी भूमिकाओं और कर्तव्यों को अच्छी तरह से पूरा करने में सुविधा होगी।
इसलिए बोर्ड स्वतंत्र निदेशकों के रूप में नियुक्त होने वाले व्यक्ति को नामित (नॉमिनेट) कर सकता है। बोर्ड को बनाए गए डेटा बैंक से एक स्वतंत्र निदेशक का चयन करने का विकल्प भी दिया गया है। डेटा बैंक कोई भी हो सकता है, जो की केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित (नोटिफ़िएड) हो। स्वतंत्र निदेशक की नियुक्ति से पूर्व सम्यक सावधानी (ड्यू डिलिजेंस) बरतने की जिम्मेदारी बोर्ड की होगी।
अनुमोदन (अप्रूवल)
बोर्ड स्वतंत्र निदेशक के पद के लिए व्यक्तियों को नामित करता है। हालांकि, अनुसूची IV के भाग IV खंड (2) के तहत दिए गए शेयरहोल्डर्स की बैठक में ही स्वतंत्र निदेशक की नियुक्ति को मंजूरी दी जानी चाहिए।
धारा 150 (2) में कहा गया है कि कंपनी द्वारा आयोजित आम बैठक (जनरल मीटिंग) में ही एक स्वतंत्र निदेशक की नियुक्ति को मंजूरी दी जानी चाहिए। इसके अलावा, सामान्य बैठक की सूचना के साथ एक व्याख्यात्मक विवरण (एक्सप्लेनटोरी स्टेटमेंट) को भी साथ में भेजना चाहिए। नोटिस में उस स्वतंत्र निदेशक के चयन की वजह भी प्रदान कि जानी चाहिए।
इसके अलावा, धारा 152 (5) में यह बताने के लिए व्याख्यात्मक विवरण (एक्सप्लेनटोरी स्टेटमेंट) की भी आवश्यकता है कि बोर्ड की राय में, स्वतंत्र निदेशक इस अधिनियम और इसके नियमों के तहत निर्धारित शर्तों को पूरा करता है।
नियुक्ति पत्र (अपॉइंटमेंट लेटर)
स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति को नियुक्ति पत्र द्वारा औपचारिक (फॉर्मल) रूप दिया जाना चाहिए। नियुक्ति पत्र में नीचे दी गयी बातों का उल्लेख होगा (जैसा कि अनुसूची IV के भाग IV खंड (4) द्वारा बताया गया है।):
- स्वतंत्र निदेशक का कार्यकाल।
- बोर्ड और बोर्ड स्तर की समिति (समितियों) की अपेक्षाएं जिनमें स्वतंत्र निदेशक की सेवा करने की उम्मीद है।
- प्रत्ययी कर्तव्य (फिड्यूशरी ड्यूटीस) और उसके संबंधित और काम।
- निदेशक और अधिकारी बीमा के प्रावधान।
- इसके निदेशकों और कर्मचारियों द्वारा पालन की जाने वाली व्यावसायिक आचार संहिता (कोड ऑफ़ बिज़नेस एथिक्स)।
- कंपनी में कार्य करते समय निषिद्ध कार्यों की सूची।
- पारिश्रमिक, आवधिक शुल्क (पीरियौडिक फीस), खर्चों की प्रतिपूर्ति (रीइम्बर्समेन्ट) का प्रावधान और लाभ संबंधी कमीशन; यदि कोई।
- स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति के नियम और शर्तें कंपनी की वेबसाइट पर पोस्ट की जानी चाहिए और अनुसूची IV के खंड IV (5) (6) के तहत प्रदान की गई कंपनी के पंजीकृत कार्यालय (व्यावसायिक घंटों के दौरान) में निरीक्षण के लिए उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
सहमति (कंसेंट)
प्रत्येक व्यक्ति जिसे एक स्वतंत्र निदेशक के रूप में एक पद धारण करने के लिए नियुक्त किया गया है, को एक स्वतंत्र निदेशक के रूप में कार्य करने के लिए अपनी सहमति देनी होगी और यह सहमति, अधिनियम की धारा 152 (5) के अनुसार 30 दिनों के भीतर रजिस्ट्रार के पास दर्ज की जानी चाहिए।
इसके अलावा, स्वतंत्र निदेशक को कंपनी (निदेशकों की नियुक्ति और योग्यता) नियम, 2014 के नियम 8 के अनुसार फॉर्म डीआईआर 2 (डी.आई.आर. 2) में अपनी नियुक्ति पर या उससे पहले लिखित रूप में सहमति देनी होगी।
पुन: नियुक्ति (री-अपॉइंटमेंट)
अनुसूची IV के खंड V के अनुसार, स्वतंत्र निदेशकों को प्रदर्शन मूल्यांकन (परफॉरमेंस इवैल्यूएशन) रिपोर्ट के आधार पर फिर से नियुक्त किया जाएगा।
इस्तीफा और निष्कासन (रेजीग्नेशन एंड रिमूवल)
एक स्वतंत्र निदेशक उसी तरह से इस्तीफा दे सकता है या पद से हटाया जा सकता है जिस तरह से कोई अन्य निदेशक इस्तीफा देता है या हटाया जाता है। यदि एक स्वतंत्र निदेशक ने इस्तीफा दे दिया है या उसे पद से हटा दिया गया है तो कंपनी को 3 महीने के भीतर एक नए व्यक्ति को नियुक्त करना होगा।
हालांकि, यदि कोई कंपनी एक नए व्यक्ति को नियुक्ति किये बिना एक स्वतंत्र निदेशक के कार्यों की आवश्यकता को पूरा करती है, तो कंपनी एक नए स्वतंत्र निदेशक की नियुक्ति नहीं भी कर सकती है।
अलग बैठक (सेपरेट मीटिंग)
कंपनी के स्वतंत्र निदेशक एक वित्तीय (फाइनेंसियल) वर्ष में कम से कम एक बार विशेष बैठक करेंगे। बैठक गैर-स्वतंत्र निदेशकों के बिना होगी। ऐसी बैठकों में कंपनियों के सभी स्वतंत्र निदेशकों को उपस्थित होनी ही चाहिए।
बैठक का एजेंडा इस प्रकार होगा:
- गैर-स्वतंत्र निदेशकों और कंपनी के अध्यक्ष के बोर्ड के प्रदर्शन की समीक्षा (रिव्यु) करना।
- बोर्ड के कुशल और प्रभावी कामकाज के लिए बोर्ड और कंपनी प्रबंधन के बीच संरचना (स्ट्रक्चर) और सूचना के प्रवाह (फ्लो) के बारे में भी बात करना आवश्यक है।
एक स्वतंत्र निदेशक के प्रदर्शन का मूल्यांकन (इवैल्यूएशन ऑफ़ थे परफॉरमेंस ऑफ़ इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स)
स्वतंत्र निदेशकों के लिए संहिता के भाग VIII में प्रावधान है कि प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट के आधार पर एक स्वतंत्र निदेशक की अवधि बढ़ाई जा सकती है या उसे फिर से नियुक्त किया जा सकता है। स्वतंत्र निदेशक का प्रदर्शन मूल्यांकन पूरे निदेशक मंडल द्वारा किया जाता है।
निदेशक पहचान संख्या (डीआईएन)
निदेशक पहचान संख्या एक अनोखा 8 अंकों की पहचान संख्या है जो उस व्यक्ति को दी जाती है जो निदेशक बनना चाहता है या कोई व्यक्ति जो पहले से ही किसी कंपनी का निदेशक है। यह नंबर केंद्र सरकार द्वारा बांटा जाता है।
कंपनी अधिनियम की धारा 152 निदेशकों के लिए एक विशिष्ट पहचान संख्या प्राप्त करना अनिवार्य बनाती है। निदेशक पहचान संख्या से संबंधित प्रावधान कंपनी (निदेशकों की नियुक्ति और योग्यता) नियम, 2014 की धारा 153 और नियम 9 के तहत निर्धारित किए गए हैं।
निदेशक पहचान संख्या, डेटाबेस को बनाए रखने में सरकार को सुविधा प्रदान करती है। निदेशक बनने का इरादा रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति या प्रत्येक व्यक्ति जो पहले से ही किसी कंपनी में निदेशक है, उसे एक ही नंबर दिया जाएगा, भले ही उसके पास कितने भी निदेशक पद क्यों ना हों।
निदेशक पहचान संख्या प्राप्त करने के लिए एक व्यक्ति को निर्धारित शुल्क के साथ निर्धारित तरीके से कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय में आवेदन करना होता है। केंद्र सरकार एक महीने के अंदर ही इन व्यक्तियों को निदेशक पहचान संख्या दे देती है।
डीआईएन जीवन भर के लिए वैध होता है। डीआईएन प्राप्त करने के बाद, निदेशक को एक महीने के भीतर उस के बारे में उन सभी कंपनियों को सूचित करना होगा जहां वह निदेशक का पद धारण करता है या पद धारण करने का इरादा रखता है। डीआईएन प्राप्त होने पर कंपनी को कंपनी के रजिस्ट्रार को 15 दिनों के भीतर निदेशक के डीआईएन के बारे में सूचित करना होगा।
डीआईएन के आवेदन के लिए प्रक्रिया और आवश्यकताएं कंपनी (निदेशकों की नियुक्ति और योग्यता) नियम, 2014 के नियम 9 के तहत दी गयी है। डीआईएन के लिए जांच करते समय, कंपनी (निदेशक की नियुक्ति और योग्यता) नियम 2014 के नियम 10 को भी देखा जाता है।
स्वतंत्र निदेशकों का डेटा बैंक
अच्छे कॉर्पोरेट प्रशासन को मजबूत करने के लिए, कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय ने स्वतंत्र निदेशकों के लिए एक डेटाबैंक बनाया है। डेटाबैंक स्वतंत्र निदेशकों का एक डेटाबेस रखता है जो कि स्वतंत्र निदेशक का पद लेने के इच्छुक हैं और पद के लिए भी पात्र हैं। डेटा बैंक कंपनी द्वारा स्वतंत्र निदेशकों की चयन प्रक्रिया में सुविधा देती है जिससे कंपनिया अपने आवश्यकताओं के अनुसार लोगों का चयन कर सकते हैं।
भारतीय कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय को स्वतंत्र निदेशकों के लिए डेटा बैंक बनाने और बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार द्वारा अधिकार दिया गया है। डाटा बैंक एक ऑनलाइन डाटा बैंक है जो संस्थान की वेबसाइट पर प्रदर्शित होता है।
डेटाबैंक द्वारा आवश्यक विवरण से संबंधित प्रावधान कंपनियों (स्वतंत्र निदेशकों के डेटाबैंक का निर्माण और रखरखाव) नियम 2019 (दा कंपनीज़ (क्रिएशन एंड मेंटेनेंस ऑफ़ डाटाबैंक ऑफ़ इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स ) रूल्स 2019) के तहत प्रदान किया गया है। इसके अनुसार डेटाबैंक द्वारा व्यक्ति के निम्नलिखित विवरण (डिटेल्स) आवश्यक हैं:
- निदेशक पहचान संख्या (डीआईएन)
- पूरा नाम
- आयकर पैन
- पिता का नाम
- जन्म की तारीख
- लिंग
- राष्ट्रीयता
- पेशा
- पिन कोड के साथ वर्तमान और स्थायी पूरा पता
- फ़ोन नंबर
- ईमेल आईडी
- शैक्षिक योग्यता और व्यावसायिक योग्यता
- अनुभव या विशेषज्ञता का विवरण (यदि कोई हो)
- यदि कोई लंबित आपराधिक कार्यवाही
- सीमित देयता भागीदारी (लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप) का विवरण जिसका वह हिस्सा है:
- सीमित देयता भागीदारी की सूची,
- नाम,
- सीमित देयता भागीदारी के उद्योग की प्रकृति,
- तिथियों के साथ अवधि,
- उन कंपनियों का विवरण जिनका वह हिस्सा हैं:
- कंपनियों का नाम।
- उद्योग की प्रकृति।
- तिथियों के साथ अवधि।
- निदेशक पद की प्रकृति यानी चाहे वह एक स्वतंत्र निदेशक या एक कार्यकारी निदेशक, या नामित निदेशक, या एक प्रबंध निदेशक के रूप में कार्य करता हो।
कंपनी द्वारा निर्धारित शुल्क के भुगतान पर संस्थान द्वारा डेटा प्रदान किया जाएगा। भारतीय कॉर्पोरेट मामलों के संस्थान को किसी भी जानकारी की सटीकता की कमी के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। जैसा कि पहले भी कहा गया है, यह कंपनी की जिम्मेदारी है कि वह संभावित स्वतंत्र निदेशकों पर उचित खोज करे।
जिस व्यक्ति का नाम किसी भी परिवर्तन की स्थिति में डेटाबेस में शामिल किया गया है, उसे 15 दिनों के भीतर संस्थान को सूचित करना होगा।
इसके अलावा, किसी भी व्यक्ति के संबंध में जिसे एक स्वतंत्र निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है या जो एक स्वतंत्र निदेशक का पद धारण करने का इरादा रखता है, संस्थान निम्नलिखित बातों का पालन करेगा:
- लेखा (एकाउंटेंसी), कंपनी कानून, प्रतिभूति कानून (सिक्योरिटीज लॉ), और कामकाज से संबंधित अन्य क्षेत्रों जैसे विषयों को कवर करने वाले पाठ्यक्रम के साथ एक योग्यता स्व-मूल्यांकन (सेल्फ असेसमेंट) परीक्षा आयोजित करें। परीक्षा ऑनलाइन ही ली जाएगी।
- उपर दिए गए मूल्यांकन (असेसमेंट) के लिए उपस्थित होने वाले व्यक्तियों के लिए आवश्यक अध्ययन सामग्री (स्टडी मटेरियल) जमा करें। अध्ययन सामग्री ऑनलाइन पाठ या दृश्य-श्रव्य (ऑडियो विज़ुअल्स) के रूप में होगी।
- व्यक्तियों के लिए ऊपर दिए गए क्षेत्रों के लिए एक अग्रिम परीक्षा (एडवांस्ड टेस्ट) लेने और उसके लिए अध्ययन सामग्री तैयार करने का प्रावधान भी है।
निदेशकों के लिए कोड
कंपनी अधिनियम, 2013 की अनुसूची IV के तहत निदेशकों द्वारा अपेक्षित (एक्सपेक्टेड) मानकों (स्टैंडर्ड्स) और पेशेवर आचरण (प्रोफेशनल कंडक्ट) को निर्धारित किया गया है। स्वतंत्र निदेशक के लिए कोड में पेशेवर आचरण, स्वतंत्र निदेशकों के कर्तव्यों, उनकी भूमिकाओं और कार्यों के लिए दिशानिर्देश (गाइडलाइन्स) शामिल हैं। इनकी चर्चा नीचे की गई है:
पेशेवर आचरण (प्रोफेशनल कंडक्ट)
अनुसूची IV के भाग I के अनुसार स्वतंत्र निदेशक को:
- नैतिक मानकों (एथिकल स्टैंडर्ड्स) को बनाए रखना है।
- अपने कर्तव्यों को निभाते हुए निष्पक्ष रहना है।
- कंपनी के हित में अपनी जिम्मेदारियों को निभाना है।
- अपने पेशेवर दायित्वों को पूरा करने के लिए आवश्यक समय निकला करें ताकि उसे एक सूचित निर्णय लेने में सुविधा हो।
- कंपनी के लाभ के लिए निर्णय लेते समय किसी भी अनावश्यक विचार-विमर्श की अनुमति न दें जो उसके स्वतंत्र निर्णय में बाधा बन जाये।
- अपने पद का दुरुपयोग नहीं करना है।
- उन कार्यों से दूर रहें जिनसे उसे अपनी स्वतंत्रता खोनी पड़े।
- अच्छे कॉर्पोरेट प्रशासन को शामिल करने में कंपनी की सहायता भी करनी है।
निदेशकों के कर्तव्य
अनुसूची IV के भाग II के अनुसार स्वतंत्र निदेशक के निम्नलिखित भूमिकाएँ और कार्य हैं:
- रणनीतिक जोखिम प्रबंधन (स्ट्रेटेजिक रिस्क मैनेजमेंट), संसाधनों (रिसोर्सेज), प्रमुख नियुक्तियों, आचरण के मानक (स्टैण्डर्ड ऑफ़ कंडक्ट) और प्रदर्शन से संबंधित मुद्दों के मामले में, स्वतंत्र निदेशक को एक स्वतंत्र निर्णय लाने में सुविधा प्रदान करनी चाहिए।
- प्रबंधन और कंपनी के बोर्ड के प्रदर्शन के मूल्यांकन पर विचार करते समय स्वतंत्र निदेशक को निष्पक्ष होना चाहिए
- उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वित्तीय नियंत्रण (फाइनेंशियल कंट्रोल्स) और जोखिम प्रबंधन प्रणाली कुशल और प्रभावी हैं।
- एक स्वतंत्र निदेशक को हमेशा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह सभी हितधारकों (स्टेकहोल्डर्स) विशेषकर अल्पांश (माइनॉरिटी) शेयरहोल्डर्स के हितों की रक्षा कर रहा है।
- सभी हितधारकों के कोई भी विरोधी हितों (कन्फ्लिक्टिंग इंटरेस्ट) के मामले में, स्वतंत्र निदेशक को संतुलन बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।
- स्वतंत्र निदेशक को विभिन्न स्तरों के लिए पारिश्रमिक निर्धारित करने में सुविधा प्रदान करनी चाहिए:
- कार्यकारी निदेशकों (एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर्स)
- प्रमुख प्रबंधकीय कर्मचारी (की मैनेजरियल पर्सनल्स)
- वरिष्ठ प्रबंधन (सीनियर मैनेजमेंट) और जहां भी आवश्यक हो।
- मामलों का निर्णय लेते समय, स्वतंत्र निदेशक को कंपनी के हित को ध्यान में रखते हुए ही निर्णय लेना चाहिए।
स्वतंत्र निदेशकों के कर्तव्य
- स्वतंत्र निदेशक को नियमित रूप से कंपनी के साथ अपने कौशल ज्ञान और पहचान को और बढ़ाना चाहिए।
- एक स्वतंत्र निदेशक को बोर्ड की सभी बैठकों में भाग लेने का लक्ष्य रखना चाहिए जिसका वह सदस्य होता है।
- स्वतंत्र निदेशक को कंपनी के बाहरी वातावरण के बारे में खुद को अपडेट रखने की कोशिश करनी चाहिए जिसके तहत वह काम करता है।
- किसी भी संबंधित पार्टी लेनदेन को मंजूरी देने से पहले स्वतंत्र निदेशक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लेनदेन कंपनी के हित में है और इस पर अच्छे से विचार किया गया है।
- एक स्वतंत्र निदेशक को अनैतिक व्यवहार (अनएथिकल बेहेवियर) से संबंधित मामलों की रिपोर्ट करनी चाहिए चाहे वह आचार संहिता के लिए कंपनी की नैतिकता नीति की असल में धोखाधड़ी हो।
- स्वतंत्र निदेशक को कभी भी गोपनीय जानकारी का खुलासा नहीं करना चाहिए, जब तक कि कानून द्वारा इस तरह के जानकारी की आवश्यकता न हो।
- अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए या कोई निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र निदेशक विशेषज्ञ की राय या जानकार से सलाह की मांग कर सकते हैं।
- बोर्ड की समितियों का उसे सक्रिय और निष्पक्ष सदस्य बन कर रहना चाहिए जिसका वह हिस्सा हैं।
- प्रस्तावित कार्य योजना या योजना के संबंध में किसी भी चिंता के मामले में, स्वतंत्र निदेशक को बोर्ड को अपनी चिंता व्यक्त करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका सही से समाधान भी किया जाए।
- स्वतंत्र निदेशकों को अनुचित रूप से किसी भी कार्य में बाधा डालने से भी प्रतिबंधित किया जाता है
- स्वतंत्र निदेशकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कंपनी में एक उचित और कुशल निगरानी तंत्र (विजिल मैकेनिज्म) मौजूद है।
- स्वतंत्र निदेशकों को कभी भी अपने अधिकार का गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कंपनी, उसके शेयरहोल्डर्स और उसके कर्मचारियों के हितों की रक्षा करना ही एक स्वतंत्र निदेशक का पहला कर्तव्य है।
विभिन्न समितियों में स्वतंत्र निदेशकों की स्थिति
कंपनी अधिनियम 2013 में स्वतंत्र निदेशकों को कुछ समितियों का हिस्सा बनने की आवश्यकता है जैसे कि:
लेखा परीक्षा समिति (ऑडिट कमिटी)
कंपनियों (बोर्ड की बैठकें और उसकी शक्तियां) के नियम 6 के अनुसार :
नियम, 2014, कंपनियों के निम्नलिखित वर्ग एक लेखा परीक्षा समिति का गठन करेंगे: –
- हर सार्वजनिक सूचीबद्ध कंपनी
- 10 करोड़ या उससे अधिक की चुकता (पेड अप) शेयर पूंजी वाली एक सार्वजनिक कंपनी
- एक सार्वजनिक कंपनी जिसका टर्नओवर 100 करोड़ या उससे अधिक है
- एक सार्वजनिक कंपनी जिसमें कुल मिलाकर, बकाया ऋण, डिबेंचर, उधार और जमा, आई एन आर 50 करोड़ से अधिक है।
कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 177 में प्रावधान है कि लेखा परीक्षा (ऑडिटर) समिति में कम से कम तीन निदेशक होंगे। लेखा परीक्षा समिति में अधिकांश निदेशक स्वतंत्र निदेशक होने चाहिए।
नामांकन समिति और पारिश्रमिक समिति (नॉमिनेशन कमिटी एंड रेम्युनरेशन कमिटी)
कंपनियों (बोर्ड की बैठकें और उसकी शक्तियां) के नियम 6 के अनुसार :
नियम, 2014, कंपनियों के निम्नलिखित वर्ग एक लेखा परीक्षा समिति का गठन करेंगे: –
- हर सार्वजनिक सूचीबद्ध कंपनी
- 10 करोड़ या उससे अधिक की चुकता (पेड उप) शेयर पूंजी वाली एक सार्वजनिक कंपनी
- एक सार्वजनिक कंपनी जिसका टर्नओवर 100 करोड़ या उससे अधिक है
- एक सार्वजनिक कंपनी जिसमें कुल मिलाकर, बकाया ऋण, डिबेंचर, उधार और जमा, आई एन आर 50 करोड़ से अधिक है।
कंपनी अधिनियम की धारा 178 के अनुसार, नामांकन समिति और पारिश्रमिक समिति में कम से कम तीन या अधिक गैर-कार्यकारी निदेशक शामिल होंगे। समिति के आधे हिस्से में स्वतंत्र निदेशक होंगे।
कंपनी का अध्यक्ष पारिश्रमिक समिति या नामांकन समिति की अध्यक्षता नहीं कर सकता, भले ही वह कार्यकारी या गैर-कार्यकारी (नॉन-एग्जीक्यूटिव) निदेशक होने चाहिए। नामांकन समिति या पारिश्रमिक समिति का अध्यक्ष एक स्वतंत्र निदेशक ही होना चाहिए।
कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी समिति (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी कमिटी)
कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 135 के अनुसार, 500 करोड़ रुपये का शुद्ध मूल्य (नेट वर्थ) या 5 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ (नेट प्रॉफिट) या 1000 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाली कंपनी एक कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व समिति का गठन करेगी।
कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी समिति में तीन या अधिक निदेशक होंगे, जिनमें से एक को एक स्वतंत्र निदेशक होना चाहिए।
निष्कर्ष (कंक्लूज़न)
एक स्वतंत्र निदेशक प्रबंधन और उसके शेयरहोल्डर्स के बीच की दुरी को कम करता है। वे अपने हितधारकों के लिए कंपनी के खुलासे (डिसक्लोजर्स), पारदर्शिता (ट्रांसपेरेंसी) और जवाबदेही के सहारे कॉर्पोरेट प्रशासन के सिद्धांतों को बढ़ावा देते हैं।
वे कंपनी को सबसे अच्छे कॉर्पोरेट प्रशासन प्रथाओं को बनाने में मदद करते हैं। स्वतंत्र निदेशक यह सुनिश्चित करते हैं कि कंपनी इस तरह से काम कर रही है कि वह अपने हितधारकों, ग्राहकों, शेयरधारकों, श्रमिकों, अपने खुद के हित और बड़े पैमाने पर जनता के हित को ध्यान में रखती है।
एक स्वतंत्र निदेशक कंपनी के लिए एक निष्पक्ष और स्वतंत्र निर्णय लेता है। यह एक रखवाले के रूप में कार्य करता है। स्वतंत्र निदेशकों को शामिल करने से यह सुनिश्चित होगा कि कंपनियां कोई धोखाधड़ी नहीं कर रही हैं। कॉर्पोरेट गवर्नेंस में स्वतंत्र निदेशकों का भारत के कॉर्पोरेट वातावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
संदर्भ (रेफरेंसेस)