यह लेख कलकत्ता विश्वविद्यालय के छात्र Oruj Aashna द्वारा लिखा गया है। लेख में उन कारणों (रीजन्स) को शामिल किया गया है जैसे कि यदि किसी के डिवाइस में न्यूड इमेज स्टोर्ड है तो किसी की निजी तस्वीर या वीडियो को स्टोर क्यों नहीं करना चाहिए और उनके रोकथाम के उपायों (प्रिवेंशन मेजर्स) से कैसे निपटा (डील) जाए। इस लेख का अनुवाद Archana Chaudhary द्वारा किया गया है।
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परिचय (इंट्रोडक्शन)
किसी व्यक्ति को जब पता लगता है कि किसी के फोल्डर में उसकी न्यूड तस्वीर या वीडियो है तो वह उसके लिए बहुत डर की बात हो सकती है। अक्सर ऐसे में चरित्र हनन (कैरेक्टर एसासिनेशन) के डर से पीड़िता घटना को लेकर चुप रहती है। हालांकि, गलत के बारे में चुप रहना सबसे गलत है। एक ओर तो यह पीड़ित की मानसिक स्थिति (मेंटल स्टेट) को नष्ट कर देता है और दूसरी ओर दुष्परिणामों से बेपरवाह होकर भविष्य में अपराधी को ऐसा कार्य करने के लिए प्रोत्साहित (इनकरेज) करता है। ऐसे में यहां चुप रहना सही विकल्प नहीं है।
यदि किसी और के डिवाइस पर न्यूड तस्वीर या वीडियो स्टोर्ड है, तो कोई क्या कदम उठा सकता है? यहां तक कि अगर व्यक्ति ने इमेज को प्रकाशित (पब्लिश्ड)/शेयर नहीं किया है, तो किसी को अपने डिवाइस से इमेज को हटाने का अधिकार है, यदि यह गोपनीयता (प्राइवेसी) का उल्लंघन करता है या सहमति के बिना लिया जाता है। लेकिन इस पॉइंट पर जाने से पहले एक व्यक्ति और सामूहिक (कलेक्टिव) रूप से एक समाज को पीड़ित को नीचा दिखाने और उसे अपमानित करने के बजाय इस दयनीय कार्य (पथेटिक एक्ट) की कठोरता को समझना चाहिए। यदि हम पीड़ित को नीचा दिखाने की कोशिश करेंगे तो मानव समाज विफल हो जाएगा। “पीड़ित को बदनाम करने” की धारणा (नोशन) अपने आप में बेहद शर्म की बात है।
लेख दो मापदंडों (पैरामीटर्स) को ध्यान में रखता है।
- जब कोई व्यक्ति व्यक्तिगत संदेश (पर्सनल मैसेज) के रूप में वीडियो/इमेज शेयर करता है, और
- अगर कोई वीडियो कॉल के दौरान आपको रिकॉर्ड करता है या स्क्रीनशॉट लेता है या कोई आपकी जानकारी के बिना रिकॉर्ड करता है और आपकी तस्वीर लेता है।
हालांकि, किसी ऐसे व्यक्ति के साथ जिसे आप प्यार और जिस पर आप भरोसा करते हैं सेक्शुअलिटी की अभिव्यक्ति (एक्सप्रेशन) के रूप में न्यूड्स शेयर करना गलत या शर्मनाक नहीं है, लेकिन एक्ट के प्रभाव (इंप्लीकेशन) और गंभीरता पर विचार करना बुद्धिमानी है।
किसी की सिर्फ न्यूड तस्वीर रखने में क्या गलत है
निजता के अधिकार को नुकसान (डैमेज टू राइट टू प्राइवेसी)
किसी को आश्चर्य हो सकता है कि यदि डिवाइस में एक न्यूड इमेज स्टोर्ड है और वे इसे शेयर नहीं कर रहे हैं या किसी गैरकानूनी कार्य के लिए इसका उपयोग नहीं कर रहे हैं तो उसमें क्या गलत है। यह गोपनीयता है जो व्यक्ति को फोटो रखने से मना करती है, और यदि ऐसी कोई शिकायत दर्ज की जाती है, तो यह अपराधी को जेल में भेज सकती है।
आइए हम गोपनीयता की मूल (बेसिक) बातें समझते हैं। गोपनीयता का अर्थ है किसी के कार्य या निर्णय में हस्तक्षेप (इंटरफेरेंस) करने के लिए जनता के ध्यान से मुक्त होने की स्थिति।
एमपी शर्मा या खड़कसिंह मामलों में, गोपनीयता की चर्चा केवल “स्थानिक गोपनीयता (स्पेशल प्राइवेसी)” के रूप में की गई थी। “स्थानिक गोपनीयता” शब्द का अर्थ शारीरिक रूप से परेशान (फिजिकली डिस्टर्ब्ड) होने से मुक्ति है। हालांकि, गोपनीयता केवल भौतिक निकटता (फिजिकल प्रॉक्सिमिटी) नहीं है; यह एक मानसिक अवस्था भी है।
ऐसी स्थिति (सिचुएशन) के बारे में सोचें जहां एक व्यक्ति भीड़ के बावजूद संगीत कार्यक्रम में “गोपनीयता” का आनंद ले रहा हो। इसके विपरीत, अकेलेपन और भरपूर स्थानिक गोपनीयता में भी, एक व्यक्ति चिंतित और दुखी महसूस करता है। हम जिस मामले के बारे में बात कर रहे हैं, उसके लिए भी यही है। जिस व्यक्ति की स्पष्ट (एक्सप्लीसिट) तस्वीर या वीडियो किसी और के डिवाइस पर है, वह अकेले कमरे में होने पर भी मानसिक शांति में नहीं होगा। एक व्यक्ति जिस तरह की गोपनीयता का अधिकार के रूप में आनंद लेना चाहता है, वह स्थानिक गोपनीयता नहीं है, बल्कि मानसिक रूप से स्वतंत्र महसूस करने की क्षमता है।
अगर कोई आपकी जानकारी के बिना बाथरूम या बेडरूम में हिडन कैमरा लगाता है, तो यह पूरी तरह से अवैध है और निजता के अधिकार के खिलाफ है। इसी तरह, अपनी “गोपनीयता” स्थिति में न्यूड या सेमी-न्यूड स्थिति में यौन क्रिया (सेक्शुअल एक्ट) करने वाले किसी व्यक्ति की तस्वीर लेना या रिकॉर्ड करना गैरकानूनी है।
इसके विपरीत, यदि तस्वीर वहां ली गई है जहां गोपनीयता की अपेक्षा (एक्सपेक्टेशन) कम है, तो कोई इमेज या वीडियो क्लिक करने के लिए उत्तरदायी नहीं हो सकता है। उदाहरण के लिए, कोई व्यक्ति समुद्र तट पर तस्वीर क्लिक करता है या किसी सार्वजनिक क्षेत्र (पब्लिक एरिया) में मशहूर हस्तियों की तस्वीर क्लिक करता है तो ठीक है।
तकनीक का दुरुपयोग (मिसयूज ऑफ टेक्नोलॉजी)
मुझे हाल ही में एक वास्तविक कहानी मिली, जहां एक दो व्यक्ति रिलेशनशिप में थे उन्होंने स्नैपचैट के माध्यम से तस्वीरें शेयर कीं थीं। चूंकि स्नैपचैट सीमित समय के अंदर इमेज को निष्क्रिय (डिसेबल) कर देता है और स्क्रीनशॉट लेने पर उपयोगकर्ता (यूजर) को सूचित करता है, इसलिए उन्होंने न्यूड इमेजेस भी शेयर कि थीं। यह एक पूर्ण सदमे (अटर शॉक) के रूप में आया जब उसने महसूस किया कि लड़का एक सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन (आसानी से उपलब्ध) के माध्यम से उसकी सभी न्यूड तस्वीरों के स्क्रीनशॉट लेते समय स्नैपचैट को अधिसूचना (नोटिफिकेशन) भेजने से रोकता है। यह देखना अफ़सोस की बात है कि कैसे तकनीक का आविष्कार इंसानों की सुविधा के लिए किया गया था और इसका इस्तेमाल सही तरह से नहीं किया जा रहा है। यहां तक कि सबसे सुरक्षित तकनीक भी गड़बड़ी से मुक्त नहीं है। एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन प्रदान करने वाले एप्लिकेशन में संभावित कमजोरियां भी मौजूद होती हैं, जिसके माध्यम से हैकर व्यक्तिगत डेटा को चुरा सकता है।
यह नोट करना है, किसी को अपने निजी स्थान (प्राइवेट प्लेस) पर क्लिक करना या रिकॉर्ड करना तकनीकी दुरुपयोग (एब्यूज) के अंतर्गत आता है। साथ ही, किसी के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को हैक करना या एक्सेस करना और उसकी व्यक्तिगत तस्वीर निकालना एक अपराध है और इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 की धारा 72 के तहत दंडनीय हो सकता है। फिर भी, जो कुछ भी तकनीक के दुरुपयोग का परिणाम होता है, उसका गहरा प्रभाव होगा।
सहमति का अभाव (एब्सेंस ऑफ कंसेंट)
सहमति इस मामले में आवश्यक तत्वों (एलिमेंट) में से एक है। यह प्राथमिक चीज है जो इच्छा के विचार को वहन (कैरी) करती है। अगर कोई बिना सहमति के किसी के निजी परिसर (प्रीमाइस) में तस्वीर या वीडियो कैप्चर करता है, तो यह इच्छा के विरुद्ध है और अवैध है। यहां तक कि सार्वजनिक स्थानों पर भी जहां आप किसी को सार्वजनिक रूप से (जैसे पार्क में) किसी की अंतरंग स्थिति (इंटिमेट पोजिशन) में तस्वीर क्लिक करते हुए देखते हैं, या ऐसी स्थिति में जहां उसका निजी क्षेत्र (प्राइवेट एरिया) दिखाई देता है, वह व्यक्ति ऐसे तस्वीरों/रिकॉर्डिंग को मेमोरी कार्ड से हटाने के लिए कह सकता है।
आइए एक और स्थिति लेते हैं, मान लीजिए कि एक फोटोग्राफर एक सेमी-न्यूड तस्वीर लेता है जो आपकी सहमति के बिना सार्वजनिक क्षेत्र में ली गई है, जहां “गोपनीयता” की कोई उम्मीद नहीं थी। उस स्थिति में, तस्वीर फोटोग्राफर की संपत्ति है, और कानूनी तौर पर उसे इमेज को हटाना नहीं चाहिए। लेकिन अगर आपकी अनुमति के बिना पैसे कमाने के लिए वह आपकी एक तस्वीर का व्यावसायिक (कमर्शियली) रूप से उपयोग करता है तो आपके पास तस्वीर को हटाने का अधिकार है।
क्या आप अपनी इमेज हटाने के लिए कह सकते हैं?
हां, यदि आपकी सहमति के बिना और अधिकारों का उल्लंघन करता है तो ऐसे व्यक्ति के डिवाइस से रिकॉर्डिंग बंद करने या (सार्वजनिक स्थान पर) हटाने के लिए कहा जा सकता है।
ऐसी स्थिति में उठाए जाने वाले कदम
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साफ तौर पर बोलना (स्पीक अप)!
यदि आप अपने आप को ऐसी स्थिति में पाते हैं और अपने मन में लगातार लड़ाई के कारण परेशान और मानसिक रूप से परेशान हैं, तो सामाजिक कलंक से बाहर निकलें और अपने करीबी (परिवार, दोस्तों, आदि) को साफ बताएं। जो डिप्रेशन, आत्महत्या के विचार (सुसाइडल थॉट्स) और मानसिक उत्पीड़न (मैंटल हैरेसमेंट) जैसी स्थितियों में रहता है उसके जोखिम (रिस्क) को कम करने में समाज एक बड़ी भूमिका निभाता है और यहां तक कि वे एक त्रुटिहीन समाधान (इंपेकेबल सॉल्यूशन) के साथ आ पाएंगे।
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तस्वीर/वीडियो को हटाने का प्रयास करें (मेक एन अटेम्प्ट टू टेक द पिक्चर/वीडियो डाउन)
यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जिसके पास आपकी निजी तस्वीर या वीडियो है, तो उसे हटाने के लिए कहें और उन्हें अपनी गोपनीयता और सुरक्षा के बारे में बताएं। व्यक्ति को डराने (इंटीमिडेट) की कोशिश न करें। तस्वीर/वीडियो को हटाने के बाद, सुनिश्चित करें कि तस्वीर को उसके डिवाइस से हर जगह से हटा दिया गया है। यदि व्यक्ति इन सभी वार्ताओं (नेगोशिएशंस) के बावजूद इमेजेज/वीडियो को नहीं हटा रहा है, तो अगला कदम उठाएं।
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एक वकील या कानूनी प्राधिकरण को शामिल करें (इन्वॉल्व ए लॉयर ऑर लीगल अथॉरिटी)
यदि व्यक्ति न्यूड वीडियो/तस्वीर को हटाने के लिए प्रतिरोधी (रेजिस्टेंट) करता है, तो मामले को संभालने के लिए किसी वकील या किसी कानूनी प्राधिकारी से पूछें। कानूनी व्यक्ति तस्वीर/वीडियो को हटाने या जनता के साथ प्रकाशित या शेयर किए जाने के जोखिम को कम करने के लिए उचित कार्रवाई करेगा।
ध्यान दें, आरोपों का समर्थन करने के लिए किसी के पास सबूत या उचित घटना (रीजनेबल इंसीडेंट) होनी चाहिए।
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संगठन जो मदद करते हैं (ऑर्गेनाइजेशन देट हेल्प)
ऑनलाइन ऐसे संगठन हैं जो अपने ग्राहकों (क्लाइंट्स) को उनके अंतरंग (इंटिमेट) या व्यक्तिगत तस्वीर, वीडियो, रिकॉर्डिंग आदि को हटाने में मदद करते हैं जो ऑनलाइन प्रकाशित होते हैं (उदाहरण के लिए, डीएमसीए, नीडहेल्पनाउ.सीए)। इसके अलावा, अगर किसी को एक समय में खुद की कोई न्यूड इमेज या वीडियो का पता चलता है, तो यह सहायता केंद्र तस्वीर को हटाने में मदद करता है।
ऐसी स्थिति में आपकी सुरक्षा के लिए कानूनी प्रावधान
आपराधिक कानून (अमेंडेड) एक्ट, 2013 की धारा 354C
आपराधिक कानून (अमेंडेड) एक्ट की अमेंडेड धारा 354C, जिसे ‘दृश्यरति धारा (वॉयरिज्म सेक्शन)’ के रूप में भी जाना जाता है, महिलाओं की तस्वीरों को उनके निजी स्थान पर कैप्चर करने और वितरित (डिस्ट्रीब्यूट) करने का अपराधीकरण (क्रिमिनलाइजेज) करती है।
प्राइवेसी (प्रोटेक्शन) बिल, 2013
प्राइवेसी (प्रोटेक्शन) बिल, 2013 व्यक्तिगत डेटा के एकत्र (कलेक्टिंग), भंडारण (स्टोरेज), विनाश (डिस्ट्रक्शन), प्रॉसेसिंग, सुरक्षा (सिक्यॉरिटी) और प्रकटीकरण (डिस्क्लोजर) से संबंधित है। मुख्य गोपनीयता आयुक्त (चीफ प्राइवेसी कमिशनर) के आदेश के अनुसरण (पर्सुअंस) को छोड़कर बिल किसी अन्य व्यक्ति के संचार (कम्यूनिकेशन) को बाधित (इंटरसेप्शन) करता है। यदि कोई व्यक्ति जो बिल का पालन नहीं कर रहा है डेटा एकत्र, प्राप्त, स्टोर या प्रॉसेस करता है तो उसे कारावास और जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। उक्त बिल के प्रावधान (प्रोविजंस) गोपनीयता पर जोर देते हैं और गोपनीयता के उल्लंघन पर सख्त दायित्व (स्ट्रिक्ट लायबिलिटी) लागू करते हैं।
इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 की धारा 66E
आईटी एक्ट, 2000 की धारा 66E निजता के उल्लंघन के लिए दंड का प्रावधान करती है।
प्रावधान तभी लागू होगा यदि:
- कोई भी व्यक्ति जो जानबूझकर किसी भी व्यक्ति के निजी क्षेत्र को प्रदर्शित (एक्जीबिट) करने वाली इमेज को कैप्चर, प्रकाशित या शेयर करता है;
- सब्जेक्ट की सहमति के बिना इमेज को कैप्चर, ट्रांसमिट या प्रकाशित किया जाता है;
- एक्ट के परिणामस्वरूप सब्जेक्ट की गोपनीयता का उल्लंघन होता है।
इस तरह का अपराध करने वाले व्यक्ति को कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे 3 (तीन) साल तक बढ़ाया जा सकता है या जुर्माने के साथ जो 2,00,000 रुपये (रुपये दो लाख) से अधिक नहीं होगा या दोनों के साथ भी दंडित किया जा सकता है।
इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धारा 67
धारा 67 न्यूड तस्वीरों/वीडियो को बनाने (प्रोडक्शन) और प्रकाशन के लिए दंडित करने के लिए बाध्य करती है। मुंबई में 2015 के एक मामले में, एक व्यक्ति ने अपनी पूर्व प्रेमिका के अंतरंग वीडियो उसकी सहमति के बिना सोशल मीडिया मैसेजिंग ग्रुप पर पोस्ट कर दिए।
उक्त मामले में, सहमति से ऐसी सामग्री (मैटेरियल) को रिकॉर्ड करना धारा 67 के तहत प्रथम दृष्टया (प्रिमा फैसी) दोषी नहीं था। यहां आपराधिक अपराध (क्रिमिनल कल्पेबिलिटी) ने प्रेमिका की सहमति और निजता का उल्लंघन किया। बहरहाल, उस व्यक्ति को सेक्शुअल सामग्री के प्रसारण (ट्रांसमिशन) के लिए धारा 67 के तहत गिरफ्तार किया गया था, न कि सहमति और गोपनीयता के उल्लंघन के लिए।
इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) नियम, 2021
नया नियम जो भारी बहस में है, बिचौलियों (इंटरमीडियरीज) के लिए सख्त नियम प्रदान करता है। इस प्रावधान का मुख्य उद्देश्य बलात्कार, यौन रूप से स्पष्ट सामग्री (सेक्सुअल एक्सप्लीसिट मैटेरियल), या बाल यौन शोषण सामग्री से संबंधित अपराध से संबंधित अपराध को रोकना (प्रीवेंट), पता लगाना (डिटेक्ट), जांच करना और दंडित करना है।
निष्कर्ष (कंक्लूज़न)
व्यक्तिगत जानकारी किसी के लिए भी सबसे संवेदनशील (सेंसिटिव) और मूल्यवान होती है। तकनीकी के युग में, प्रत्येक और सभी के पास डिजिटल मोड और मीडिया तक पहुंच है। यह दिल दहला देने वाला होता है जब कोई इन माध्यमों का उपयोग किसी अन्य व्यक्ति की स्पष्ट तस्वीरों को बिना सहमति के स्टोर करने के लिए करता है। सेक्सुअल इच्छाएं ऐसी होती हैं जिनकी हर किसी को जरूरत होती है, लेकिन किसी की न्यूड्स लेकर उन इच्छाओं को पूरा करना एथिकली और नैतिक रूप से गलत है। अक्सर लोग कहते हैं कि यह उनके मानवाधिकारों (ह्यूमन राइट्स) का हिस्सा है। लेकिन फिर भी, अगर किसी के अधिकारों और मानसिक शांति की कीमत पर किसी की सेक्सुअल इच्छाएं प्राप्त होती हैं, तो उसे कार्य करने से पहले पुनर्विचार करना चाहिए। कानून नुकसान को नियंत्रित करने के लिए नियम या कानून बना सकता है, लेकिन जड़ मानसिकता (माइंडसेट) में निहित है।
याद रखें, किसी को भी न्यूड तस्वीरें भेजना या किसी सेक्सुअल गतिविधि में शामिल होना यह “दायित्व (ऑब्लिगेशन)” नहीं है। ऐसी किसी भी कार्रवाई में भाग लेने से पहले जागरूकता बढ़ाना और संभावित जोखिम (पोटेंशियल रिस्क) के बारे में खुद को शिक्षित करना आवश्यक है। ऐसे कई मामले हैं जहां कपल्स के बीच न्यूड्स शेयर किए गए, और हटाए जाने के बाद भी, यह लीक हो गए।
पीड़ित को जिन परिणामों का सामना करना पड़ता है, वे किसी की भी कल्पना से बाहर होते हैं। उसके ऊपर, अगर हम पीड़ित को भड़काने वाले के रूप में देखते हैं, तो यह हमारी ईमानदारी (प्रॉबिटी) में गलत है। यह दो बिंदुओं को नीचे लाता है: पहला, यह एक वर्जित (टैबू) विषय नहीं है, और दूसरी बात, यह पीड़ित की गलती नहीं है। कोई भी शर्मिंदा होने का पात्र नहीं है। गलत करने वाले को इसलिए प्रोत्साहित किया जाता है क्योंकि समाज इस विषय पर चुप है।
संदर्भ (रेफरेंसेस)