यह लेख Bhumika Dandona द्वारा लिखा गया है, जो स्कूल ऑफ लॉ, सुशांत विश्वविद्यालय, गुड़गांव, की छात्रा है। यह लेख एक कस्टम हाउस एजेंट के रूप में करियर बनाने से जुड़े सभी पहलुओं के बारे में चर्चा करता है। इस लेख का अनुवाद Divyansha Saluja द्वारा किया गया है।
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परिचय (इंट्रोडक्शन)
सीमा पार से माल भेजने और उन्हें प्राप्त करने की प्रथा (प्रैक्टिस) बहुत समय से प्रचलित (प्रीवेलेंट) है। यह प्रथा उस समय में किसी शुल्क के बिना होती थी। लेकिन कुछ अवधि के दौरान, कई देशों ने दो कारणों से ऐसी गतिविधियों (एक्टिविटीज) पर नियंत्रण (कंट्रोल) रखना और उन पर कर (टैक्स) लगाना शुरू कर दिया था, जो इस प्रकार हैं:
- अवैध (इल्लीगल) और असुरक्षित लेनदेन (ट्रांजेक्शन) को रोकने के लिए।
- आय (इनकम) उत्पन्न करने के लिए।
उस दौरान अर्जित आय (अर्न्ड इनकम) तब देशों के सर्वांगीण (ऑल अराउंड) विकास में चली गई और इन सभी प्रक्रियाओं (प्रोसेस) के प्रबंधन (मैनेजमेंट) के लिए पर्यवेक्षण (सुपरविजन), उपयुक्त व्यक्तियों और उपयुक्त वातावरण की आवश्यकता होती थी। तो इस तरह एक कस्टम हाउस की अवधारणा (कांसेप्ट) और इसके परिणामस्वरुप कस्टम हाउस एजेंट की अवधारणा अस्तित्व (एक्सिस्टेंस) में आई थी।
कस्टम हाउस की अवधारणा
एक कस्टम हाउस एक सरकारी इमारत है, जिसमें अधिकारियों के कार्यालय (ऑफिस) शामिल होते हैं, जो माल के आयात (इंपोर्ट) और निर्यात (एक्सपोर्ट) और वाहनों (कन्वेयंस) के प्रवेश और प्रस्थान (डिपार्चर) से जुड़े कार्यों की देखरेख करते हैं, जिसमें उन सामानों और वाहनों पर कस्टम ड्यूटी के रूप में लगने वाले करों और उनका निरीक्षण (इंस्पेक्शन) करना शामिल है।
शुरुआती वर्षों में, सरकारों ने इन घरों को, कस्टम ड्यूटी एकत्र (कलेक्ट) करने और सभी बकाया राशि के जहाजों को मुक्त करने के लिए, इन्हे बंदरगाहों (सीपोर्ट) पर बनाया था क्योंकि उस समय समुद्र के द्वारा व्यापार अक्सर होता था। आजकल, मुख्य रूप से हवाई अड्डों पर कस्टम हाउस स्थापित (सेट अप) किए जाते हैं क्योंकि वायुमार्ग के माध्यम से माल और वाहनों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरण (ट्रांसफर), उनकी त्वरितता (क्विकनेस) और दक्षता (एफिशिएंसी) के कारण आम हो गया है।
एक कस्टम हाउस, एक चेकपॉइंट के रूप में कार्य करता है जिसके माध्यम से माल और वाहनों को उनके हस्तांतरण से पहले सावधानीपूर्वक जांच के अधीन किया जाता है। यह एक कस्टम्स स्टेशन पर माल के निर्यात और आयात और वाहनों के प्रवेश और प्रस्थान के बारे में सभी रिकॉर्ड रखता है। इन सभी खातों को नियमित (रेगुलर) रूप से विस्तृत (डिटेल्ड), मदबद्ध (आइटेमाइज) और अद्यतन (अपडेट) किया जाता है। सभी शिपमेंट को उनके वितरण (डिस्ट्रीब्यूशन) और बिक्री से पहले कस्टम-हाउस से निकासी प्रमाणपत्र (क्लियरेंस सर्टिफिकेट) की आवश्यकता होती है।
एक कस्टम हाउस एजेंट कौन होता है?
एक कस्टम हाउस एजेंट या एक सी.एच.ए, जैसा कि कस्टम हाउस एजेंट लाइसेंसिंग विनियम (रेगुलेशन), 2004 के विनियमन-2 (c) के तहत परिभाषित किया गया है, यह नियम, अधिकृत (ऑथराइज्ड) व्यक्ति को माल के आयात या निर्यात या किसी विशेष कस्टम पोर्ट या स्टेशन पर वाहनों के प्रवेश और प्रस्थान के व्यवसाय के लिए सभी लेनदेन के लिए एक एजेंट के रूप में संचालित (ऑपरेट) करने के लिए संदर्भित (रेफर) करता है।
कस्टम हाउस एजेंट का कार्य (फंक्शंस)
एक कस्टम हाउस एजेंट निम्नलिखित कार्य करता है:
- विनियमन -18 के लिए सी.एच.ए. को आयात और निर्यात से संबंधित लेनदेन के अद्यतन और विस्तृत रिकॉर्ड बनाए रखने और सभी शिपमेंट के प्रत्येक चरण (स्टेज) पर नज़र रखने की आवश्यकता है।
- वे एक कस्टम ब्रोकर के रूप में भी कार्य करते हैं, आयातकों (इंपोर्टर्स) और निर्यातकों (एक्सपोर्टर्स) की ओर से आवश्यक सेवा के संबंध में सभी आवश्यक दस्तावेजों की व्यवस्था करते हैं।
- सी.एच.ए. ग्राहकों को लॉजिस्टिक सपोर्ट (वेयरहाउस मैनेजमेंट और डिस्ट्रीब्यूशन आदि) प्रदान करता है, जिससे माल या वाहनों की परेशानी मुक्त आवाजाही (मूवमेंट) सुनिश्चित होती है।
- वे प्रवेश और शिपिंग के बिल बनाते हैं जो माल या वाहनों की निकासी (क्लियरेंस) के लिए आवश्यक हैं।
- सी.एच.ए. को, देश छोड़ने या प्रवेश करने की अनुमति देने से पहले सामान या वाहनों की भौतिक (फिजिकल) रूप से जांच करनी चाहिए।
- सी.एच.ए. अपने ग्राहकों के लिए एक सलाहकार के रूप में कार्य करता है। विनियमन -14 (d) के लिए सी.एच.ए. को ग्राहकों को सही कानूनी जानकारी प्रदान करने और विनियमों और कस्टम्स एक्ट, 1962 में उल्लिखित सभी प्रावधानों (प्रोविजंस) का पालन करने की सलाह देने की आवश्यकता है। यदि ग्राहक इनमें से किसी भी प्रावधान का उल्लंघन (वॉयलेशन) करता है, तो सी.एच.ए. को अधिकारियों को इसकी रिपोर्ट करनी चाहिए। इसके अलावा, वे अपने ग्राहकों को व्यापार सेवाओं में भी सलाह देते हैं।
एजेंट के रूप में करियर
जैसा कि पहले उल्लेख (मेंशन) किया गया है, एक कस्टम हाउस एजेंट किसी भी व्यावसायिक लेनदेन के लिए एक प्राधिकरण (अथॉरिटी) है जिसमें कस्टम स्टेशन या बंदरगाह पर माल और वाहनों के आयात और निर्यात शामिल हैं।
चूंकि इस कार्य के लिए अत्यधिक दक्षता और अनुभव की आवश्यकता होती है, इसलिए सी.एच.ए. को कस्टम्स एक्ट, 1962 की धारा 146 के तहत कमीशनर ऑफ़ कस्टम द्वारा जारी वैध लाइसेंस प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।
शैक्षिक योग्यता (एजुकेशनल क्वालिफिकेशन) और अन्य आवश्यकताएं
विनियमों का विनियमन 6 सी.एच.ए. के लिए आवेदन (एप्लाई) करने के लिए शैक्षिक योग्यता और अन्य आवश्यकताओं को प्रदान करता है जो इस प्रकार है:
- उन्हें किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक (ग्रेजुएट) होना चाहिए।
- उन्हें कस्टम निकासी कार्य में तीन साल का अनुभव होना चाहिए।
- उनके पास बैंक से प्रमाणित 5,00,000 रुपये या उससे अधिक की संपत्ति होनी चाहिए।
- उनके पास एक फर्म के कर्मचारी के रूप में, एक वर्ष के लिए फॉर्म-जी में पास होना चाहिए। इसके पास कमीशनर ऑफ़ कस्टम्स द्वारा प्राधिकरण होना चाहिए।
- उन्हें एक भारतीय नागरिक होना चाहिए।
- वे परीक्षा पास कर चुके हैं।
- उन्हें भारतीय कस्टम और केंद्रीय उत्पाद शुल्क सेवा (सेंट्रल एक्साइज सर्विस) (आई.सी.सी.ई.एस.) के ग्रुप-ए में कम से कम 10 साल का अनुभव होना चाहिए।
- उनके पास कम से कम 2 लाख रुपये की संपत्ति होनी चाहिए को अनुसूचित (शेड्यूल्ड) बैंक से प्रमाणित (सर्टिफाइड) हो।
लाइसेंसिंग प्रक्रिया (प्रोसीजर)
आवेदन
एक सी.एच.ए., या तो एक अस्थायी (टेंपरेरी) या स्थायी (पर्मानेंट) (नियमित) लाइसेंस प्राप्त कर सकता है। विनियमन-5 में कहा गया है कि आवेदक (एप्लीकेंट) को फॉर्म-ए में उपयुक्त अधिकार क्षेत्र (ज्यूरिस्डिक्शन) में कमिश्नर ऑफ कस्टम्स को आवेदन करना होगा। आवेदक द्वारा निर्दिष्ट (स्पेसिफाई) की जाने वाली जानकारी निम्नलिखित मामलों में भिन्न होती है:
एक फर्म के मामले में
- फर्म का नाम।
- सभी भागीदारों (पार्टनर्स) का नाम और पता।
- भागीदार या विधिवत अधिकृत (ड्यूली ऑथराइज्ड) कर्मचारी का नाम जो निकासी प्रक्रिया का ध्यान रखेगा।
एक कंपनी के मामले में
- सभी निदेशकों (डायरेक्टर्स), प्रबंध निदेशकों (मैनेजिंग डायरेक्टर) आदि के नाम।
- निदेशक या प्रबंध निदेशक का नाम जो निकासी प्रक्रिया का ध्यान रखेगा।
आवेदन का मूल्यांकन (इवेल्यूएशन ऑफ़ एप्लीकेशन)
आवेदन प्राप्त होने पर, कमिश्नर ऑफ कस्टम्स को इसका सावधानीपूर्वक मूल्यांकन और सत्यापन (वेरिफाई) करना चाहिए, जैसा कि विनियमन -7 प्रदान करता है। कमिश्नर इस संबंध में पूछताछ को आवश्यक बना सकते हैं।
परीक्षा (एग्जामिनेशन)
आवेदक द्वारा विनियम-5 और 6 के तहत सभी शर्तों को पूरा करने के बाद ही, वे विनियम-8 के अनुसार लिखित और मौखिक परीक्षा में बैठने के पात्र (एलिजिबल) होंगे। एक बार जब वे लिखित परीक्षा पास कर लेते हैं, तो वे मौखिक परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। दोनों परीक्षाओं को पास करना जरूरी है। अधिकतम (मैक्सिमम) 7 वर्ष की अवधि की अनुमति है, जिसके अंदर उन्हें परीक्षा पास करनी होती है। परीक्षा में निम्नलिखित में से कुछ प्रश्न शामिल हो सकते हैं:
- मुद्रा रूपांतरण (करेंसी कनवर्जन);
- प्रवेश और शिपिंग बिल के प्रकार;
- आयात-निर्यात निषेध (इंपोर्ट एक्सपोर्ट प्रोहिबिशन);
- आयात-निर्यात प्रोत्साहन योजनाएं (इंपोर्ट एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम);
- मूल्य निर्धारण और मूल्यांकन (वैल्यू डिटरमिनेशन एंड असेसमेंट);
- बंधन प्रक्रियाएं (बॉन्डिंग प्रोसिजर);
- बॉन्ड से निकासी (क्लियरेंस फ्रॉम बॉन्ड्स);
- शुल्क प्रक्रियाओं (ड्यूटी प्रोसीजर्स) का रिफंड;
- शुल्क की दरें (रेट ऑफ ड्यूटी);
- टैरिफ वर्गीकरण (क्लासिफिकेशन);
- निःशुल्क पुन: प्रवेश के नियम और शर्तें;
- ट्रेड एंड मर्चेंडाइज मार्क्स एक्ट, 1958, पेटेंट एक्ट, 1970 आदि में प्रदान किए गए प्रावधान।
बॉन्ड का निष्पादन (एग्जीक्यूशन)
लाइसेंस प्रदान करने से पहले, आवेदक को सभी विनियमों के उचित पालन के लिए फॉर्म-डी में एक बॉन्ड और फॉर्म-ई में एक श्योरिटी बॉन्ड में प्रवेश करना होगा। उन्हें एक बैंक गारंटी, डाक सुरक्षा (पोस्टल सिक्योरिटी) या कमिश्नर के नाम पर राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट) भी प्रस्तुत करना होगा, जिसकी राशि 50,000 रूपए होनी चाहिए।
लाइसेंस प्रदान करना (ग्रांटिंग ऑफ़ द लाईसेंस)
विनियम-9 में कहा गया है कि परीक्षा में सफल होने पर कमिश्नर को, 5000 रुपये की फीस के भुगतान पर आवेदक को फॉर्म-बी में लाइसेंस प्रस्तुत करना होगा। अब आवेदक एक सी.एच.ए. है और देश भर में किसी भी कस्टम स्टेशन में काम कर सकता है। उन्हें फॉर्म-सी में, यह सूचित करना होगा कि वे कहां काम करना चाहते हैं।
वैधता की अवधि (वैलिडिटी पीरियड)
विनियम-11 में कहा गया है कि लाइसेंस जारी होने की तारीख से 10 साल के लिए वैध होगा और विनियमों के प्रावधानों के अनुसार नवीनीकृत (रिन्यू) किया जाएगा।
लाइसेंस का निलंबन और निरसन (सस्पेंशन एंड रिवोकेशन ऑफ लाईसेंस)
विनियमन -20 में कहा गया है कि लाइसेंस कमिश्नर ऑफ कस्टम्स द्वारा निरसन (रिवोकेशन) के अधीन हो सकता है यदि:
- सी.एच.ए. उनके द्वारा लागू किए गए बॉन्ड में बताए गए नियमों और शर्तों को पूरा करने में विफल रहता है।
- वे विनियमों के प्रावधानों को पूरा करने में विफल रहते हैं।
- वे कमिश्नर के अधिकार क्षेत्र में या कहीं और गलत कार्य करते हैं क्योंकि कमिश्नर उन्हें एजेंट के रूप में कार्य करने के लिए अनुपयुक्त (अनफिट) समझते हैं।
एजेंट के खिलाफ चल रही जांच होने पर लाइसेंस निलंबित (सस्पेंड) किया जा सकता है।
इस क्षेत्र का भविष्य (फ्यूचर अहेड)
सी.एच.ए. कठिन प्रक्रियाओं को समझने में आयातकों और निर्यातकों की सहायता करते हैं। इन प्रक्रियाओं में ड्यूटी शुल्क और प्रवेश आवश्यकताओं आदि की दरें (रेट) शामिल हैं। हाल के एक अध्ययन (स्टडी) से पता चलता है कि कागजी कार्रवाई दस्तावेजों के प्रारूपण (ड्राफ्टिंग) और प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) की मांगों को पूरा करने के लिए कस्टम कार्य में लगभग 44% समय शामिल है। लेकिन जल्द ही, लागत (कॉस्ट) और समय दोनों के मामले में 31% की कमी होगी जब डिजिटलाइजेशन की शुरुआत की जाएगी।
डिजिटलाइजेशन के परिणामस्वरूप एशिया-पेसिफिक क्षेत्र में आय में 257 बिलियन अमरीकी डालर की वृद्धि होगी। इसी तरह, यूरोप में 5400 अरब यूरो की वृद्धि होगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि निकासन एजेंटों और खेप भागीदारों (कंसाइनमेंट) दोनों के लिए वर्कफ़्लो और दस्तावेज़ की घोषणा से आय में बाधा आती है।
वर्तमान कागजी कार्रवाई प्रलेखन (डॉक्यूमेंटेशन) न केवल अधिक समय लेने वाला है, बल्कि यह महंगा भी है और अक्सर इसे डूब लागत (संक कॉस्ट) के रूप में भी संदर्भित (रेफर) किया जाता है। यह एक व्यवहार्य प्रणाली (वायबल सिस्टम) की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है, जो शिपिंग दस्तावेजों को डिजिटल रूप से साझा (शेयर) करने में सक्षम होता है। इस तरह के संरचित (स्ट्रक्चर्ड) दस्तावेज, प्रत्येक खेप (असाइनमेंट) के लिए अधिकृत पार्टियों को उपलब्ध करा कर व्यापार को और अधिक सुविधाजनक बना सकते है।
इसके अलावा, यह एजेंटों को शिपमेंट के लिए फाइलिंग और प्रसंस्करण में तेजी लाने में सक्षम करेगा। डिजिटलाइजेशन से उन्हें 33 मिनट की कॉल, ई-मेल और डेटा एंट्री की बचत होगी। शिपमेंट की स्थिति आसानी से पता लगाने योग्य हो जाएगी, जिससे ग्राहक सेवा प्रदाता (कस्टमर केयर प्रोवाइडर) को समय-समय पर कॉल करने की समस्या समाप्त हो जाएगी।
डिजिटलाइजेशन, त्रुटि (एरर) के लिए भी कोई जगह नहीं छोड़ेगा, जो मैन्युअल डेटा प्रविष्टि (एंट्री) प्रक्रिया के दौरान सामना करता है और धोखाधड़ी दस्तावेजों के जोखिम को कम करता है। इस प्रकार, सी.एच.ए. का भविष्य वास्तव में उज्ज्वल और समृद्ध (फ्लरिश) है।
प्रसिद्ध कस्टम हाउस एजेंसियां
नीचे उल्लेखित (मेंशन) भारत की 15 सबसे अधिक प्रसिद्ध कस्टम हाउस एजेंसियां हैं:
वी.टी.एल. लॉजिस्टिक्स (चेन्नई)
वी.टी.एल. क्लियरिंग एजेंसी सटीक (एक्यूरेट) दस्तावेजों और रीयल-टाइम ट्रैकिंग सुविधा के साथ समय पर, सुरक्षित रूप से शिपमेंट फ्लो की सुविधा प्रदान करती है।
एक्स्ट्रा केयर लॉजिस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड (अहमदाबाद)
एक्स्ट्रा केयर लॉजिस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड, सभी ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा करने वाली एक प्रमुख फ्रेट फ़ॉरवर्डिंग कंपनी है।
डॉल्फिन लॉजिस्टिक्स इंडिया (गुजरात)
डॉल्फिन लॉजिस्टिक्स इंडिया का पूरे भारत और दुनिया भर में एक विश्वसनीय और अच्छी तरह से स्थापित नेटवर्क है। वे अपने ग्राहकों को सहज कस्टम निकासी सेवाएं प्रदान करते हैं।
ऑरोमा लॉजिस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड (चेन्नई)
2009 में अजय विरमानी द्वारा स्थापित (एस्टेब्लिश), ऑरोमा लॉजिस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड का एकमात्र उद्देश्य, ग्राहकों को उनकी सभी लॉजिस्टिक्स आवश्यकताओं के साथ मदद करना है। यह नवीनतम तकनीक का उपयोग करता है और इसका एक विशाल परिवहन (ट्रांसपोर्टेशन) नेटवर्क है।
ईज़ी वे लॉजिस्टिक्स (चेन्नई)
ईज़ी वे लॉजिस्टिक्स एजेंसी अंतरराष्ट्रीय कस्टम आवश्यकताओं से संबंधित अपने ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करती है। ग्राहकों के लिए 24 घंटे सेवाओं के लिए इसका अपना सी.एच.ए. लाइसेंसिंग और परिवहन नेटवर्क है।
फ्लाई ओवर कार्गो (नई दिल्ली)
फ्लाई ओवर कार्गो 2010 में स्थापित किया गया था और यह मानकीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठन (इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर स्टैंडरडाइजेशन) (आई.एस.ओ.) प्रमाणित (सर्टिफाइड) है। मुंबई और चीन में इसकी शाखाएं हैं।
इनेक्स्ट लॉजिस्टिक्स (नई दिल्ली)
इनेक्स्ट लॉजिस्टिक्स की स्थापना 2009 में अमरदीप सिंह खुराना द्वारा की गई थी। यह कुशल निकासी सुविधाएं प्रदान करके अंतरराष्ट्रीय व्यापार से संबंधित मामलों में अपने ग्राहकों का समर्थन (सपोर्ट) करता है।
कैप्रीकॉर्न लॉजिस्टिक्स (महाराष्ट्र)
2001 में स्थापित, कैप्रीकॉर्न लॉजिस्टिक्स का एकमात्र उद्देश्य सर्वोत्तम लॉजिस्टिक्स समाधान प्रदान करना है। इसका भारत में 32 कार्यालयों और अमेरिका, चीन, यूरोप और संयुक्त अरब अमीरात (यू.ए.ई.) जैसे देशों में 10 विदेशी कार्यालयों में नेटवर्क है।
अभिशन लॉजिस्टिक्स (महाराष्ट्र)
अभिशन लॉजिस्टिक्स, आयात और निर्यात खेप के लिए कस्टम निकासी जैसी संपूर्ण लॉजिस्टिक और विशिष्ट सेवाएं प्रदान करता है। यह समुद्री फ्रेट फारवर्डर सेवाओं, भारत के भीतर परिवहन सेवाओं, बीमा सेवाओं और कोरियर सेवाओं की भी व्यवस्था करता है।
20क्यूब (बैंगलोर)
20क्यूब कस्टम-संबंधित सेवाओं का पूर्ण डिजिटलाइजेशन प्रदान करता है।
इन्वेंट्रैक्स प्राइवेट लिमिटेड (विशाखापत्तनम)
इन्वेंट्रैक्स प्राइवेट लिमिटेड, अंतरराष्ट्रीय स्तर (लेवल) पर बदलती मांगों को ध्यान में रखते हुए, आवेदन की सेवाओं और नवीनतम (लेटेस्ट) तकनीक में अपने विशाल अनुभव के साथ व्यवसायों की मदद करता है।
टी.वी.एस. डायनेमिक ग्लोबल फ्रेट सर्विसेज (हैदराबाद)
टी.वी.एस. डायनेमिक ग्लोबल फ्रेट सर्विसेज का कारोबार 8.5 अरब अमेरिकी डॉलर का है और इसमें 50 हजार से अधिक कर्मचारी हैं।
स्टाको प्राइवेट लिमिटेड (उत्तर प्रदेश)
स्टाको प्राइवेट लिमिटेड अपने ग्राहकों को बेहतर सेवाएं देने के लिए व्यवसाय के साथ प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजी) को जोड़ती है।
केरी इंदेव लॉजिस्टिक्स (चेन्नई)
1984 में स्थापित, केरी इंदेव लॉजिस्टिक्स अपने ग्राहकों को त्रुटिहीन (इम्पिकेबल) सेवाएं प्रदान करता है। इसका सफलता का आदर्श ट्रैक रिकॉर्ड है। इसका आदर्श वाक्य है- सक्षम, प्रतिस्पर्धी और व्यापक (कॉम्पीटेंट, कंपेटिटीव एंड कॉम्प्रिहेंसिव)।
ईगल इंटरनेशनल कस्टम हाउस (नई दिल्ली)
ईगल इंटरनेशनल कस्टम हाउस अपने ग्राहकों को शिपमेंट प्रक्रियाओं से संबंधित सभी परेशानियों से छुटकारा पाने में मदद करता है। उनकी विशेषज्ञता (एक्सपर्टाइज) उन कन्सिग्नमेंट को संभालने में है, जिन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है और विदेशी एजेंटों के अच्छे नेटवर्क के साथ मिलती है। उनके ग्राहकों के रूप में, उनके पास कई बहुराष्ट्रीय (मल्टीनेशनल) कंपनियां भी हैं।
निष्कर्ष (कंक्लूज़न)
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पूरी तरह से बढ़ रहा है, और संबंधित लेनदेन, उनके जोखिम और सीमाओं के साथ आते हैं। कस्टम्स के दृश्य (सीन) पर प्रवेश के साथ, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और अधिक कठिन हो गया है। साथ ही, लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि उनके सामान या अन्य आवश्यक कागजी कार्रवाई के लिए कितना टैक्स प्रासंगिक (रिलेवेंट) है। उन्हें इस पर विशेषज्ञ (एक्सपर्ट) सलाह की जरूरत होती है। एक कस्टम हाउस एजेंट, अपने विशाल अनुभव के साथ, लोगों को व्यापार लेनदेन सुचारू (स्मूथ) रूप से करने में मदद करने में सक्षम होगा। इस प्रकार से, कस्टम हाउस एजेंटों, ने व्यापार उद्योग और अर्थव्यवस्था (इकोनॉमी) में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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