यह लेख Muskaan Garg द्वारा लिखा गया है, जो वर्तमान में सिम्बायोसिस लॉ स्कूल, पुणे से बीबीए.एलएलबी (ऑनर्स) की प्रथम वर्ष की छात्रा हैं। यह लेख आईपीसी में बताए अनुसार ‘मिस्चिफ’ की व्याख्या करता है। इसमें विषय द्वारा कवर किए गए सभी धाराएं शामिल हैं जिनमें प्रत्येक के लिए पर्याप्त स्पष्टीकरण है। इस लेख का अनुवाद Dnyaneshwari Anarse ने किया है।
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परिचय (इंट्रोडक्शन)
इंडियन पीनल कोड की धारा 425 में ‘मिस्चिफ’ को परिभाषित किया गया है। इसमें कहा गया है कि जो कोई भी, जनता या किसी व्यक्ति को, रॉंगफुल लॉस या डैमेज करने के इरादे से या यह जानते हुए कि वह किसी प्रॉपर्टी को नष्ट करने या कम करने के इरादे से, किसी भी प्रॉपर्टी को नष्ट करने का कारण बनता है, मूल्य या उपयोगिता (युटिलिटी), या इसे हानिकारक रूप से प्रभावित करता है, तो वह ‘मिस्चिफ’ करता है। एक आम आदमी की समझ में मिस्चिफ किसी व्यक्ति को किसी न किसी तरह से प्रॉपर्टी का विनाश करके उसको प्रॉपर्टी के आनंद से बाधित कर रही है। यह एक ऐसा कार्य है जो जनता या किसी व्यक्ति को रॉंगफुल लॉस या डैमेज करने के इरादे से किया जाता है। इसी के जैसे ‘क्रिमिनल मिस्चिफ’, ‘मालिशियस मिस्चिफ’ और ‘वैंडलिज्म’ कुछ समानार्थी शब्द है।
इलस्ट्रेशन
सरल समझ के लिए, मिस्चिफ के कुछ उदाहरण देखे जा सकते हैं:
- ‘A’ और ‘B’ की जोइंटली खरीदी हुई एक कार को ‘A’ नष्ट कर देता है, उसका इरादा ‘B’ को रॉंगफुल लॉस पहुंचाना है।
- ‘A’, एक छात्र परीक्षा से पहले प्रश्न पत्र की एक कॉपी लेता है, ताकि उसकी उपयोगिता को कम कर सके।
- ‘A’, ‘B’ से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेजों को डैमेज करता है, उसका इरादा ‘B’ को रॉंगफुल लॉस पहुंचाना है।
- ‘A’ पशुओं को ‘B’ की प्रॉपर्टी में प्रवेश कराने का कारण बनता है ताकि उसकी फसलों का डैमेज हो।
- ‘A’ जानबूझकर पड़ोसी ‘B’ की खिड़की पर गेंद फेंकता है।
दायरा (स्कोप)
मिस्चिफ में वह सभी कार्य शामिल हैं जो प्रॉपर्टी को डैमेज करने के इरादे से किए जाते हैं। किसी व्यक्ति के ओनरशिप वाली, किसी चीज़ के मूल्य को कम करके, किसी व्यक्ति को रॉंगफुल लॉस करने का इरादा रखने वाला कोई भी कार्य मिस्चिफ के बराबर होता है। स्वयं को गलत लाभ (रॉंगफुल गेन) प्राप्त करने के इरादे से किए गए कार्य भी मिस्चिफ के रूप में गठित (कांस्टीट्यूट) किए जाते हैं। किसी कार्य को मिस्चिफ के लिए तभी दंडनीय बनाया जाएगा जब डैमेज करने वाले कार्य जानबूझकर और परिणामों के ज्ञान के साथ किए गए हों। वेद प्रकाश बनाम चमन सिंह व अन्य के मामले में, यह माना गया था कि किसी कार्य को मिस्चिफ नहीं माना जाना चाहिए जब वह लापरवाही (नेगलिजेंट) या गलती से हुआ हो।
आवश्यक सामग्री (एसेंशियल इंग्रीडिएंट्स)
किसी कार्य को मिस्चिफ के रूप में माने जाने के लिए आवश्यक तत्व (एलिमेंट्स) हैं:
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रॉंगफुल लॉस या डैमेज करने का इरादा या ज्ञान (मेन्स रीया)
मिस्चिफ करने वाले किसी भी कार्य का सबसे आवश्यक तत्व मेन्स रीया है। आरोपी को किसी भी प्रॉपर्टी को डैमेज करने या किसी व्यक्ति को रॉंगफुल लॉस करने का इरादा या ज्ञान होना चाहिए। डैमेज करने या रॉंगफुल लॉस करने का इरादा ही इसे मिस्चिफ कहलाने के लिए काफी है। यह कार्य सीधे प्रॉपर्टी के मालिक की ओर निर्देशित (डायरेक्टेड) हो भी सकता है और नहीं भी।
कम्युनल डिस्टर्बेंस का एक उदाहरण, जहां लोगों का इरादा प्रॉपर्टी को नष्ट करने का है लेकिन प्रॉपर्टी के ओनरशिप के बारे में कम से कम चिंतित हैं। यह मिस्चिफ के मानदंड (क्राइटेरिया) में आता है।
कृष्ण गोपाल सिंह व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में, यह कहा गया कि मिस्चिफ का अपराध नहीं माना जाएगा यदि आरोपी ने किसी व्यक्ति या जनता को रॉंगफुल लॉस या डैमेज करने के इरादे से कोई कार्य नहीं किया है। इसका तात्पर्य यह भी है कि किसी भी दबाव में किए गए कार्य, आरोपी की स्वतंत्र सहमति (फ्री कंसेंट) के बिना, मिस्चिफ के दायरे में नहीं आते हैं।
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रॉंगफुल लॉस या डैमेज
मिस्चिफ करते समय आवश्यक मानसिक तत्व को जनता या किसी भी व्यक्ति को ‘प्रॉपर्टी को नष्ट’, ‘डैमेज’ या ‘रॉंगफुल लॉस’ करने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए जो मिस्चिफ के अपराध के लिए कार्रवाई का गठन करेगा। आरोप लगाने वाले का इरादा किसी भी व्यक्ति को रॉंगफुल लॉस या डैमेज करने का हो सकता है। उदाहरण के लिए, प्रॉपर्टी या वित्त (फाइनेंस) से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों को फाड़ देना।
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किसी भी प्रॉपर्टी को नष्ट करना या उसमें कोई परिवर्तन करना
यह महत्वपूर्ण है कि डैमेज किसी न किसी तरह से होना चाहिए और डैमेज कथित (एलेज्ड) कृत्य का प्रत्यक्ष (डायरेक्ट) परिणाम होना चाहिए। किसी प्रॉपर्टी को नष्ट करने या परिवर्तन करने से भी मिस्चिफ हो सकता है। उदाहरण के लिए, किसी भाषण के शब्दों को बदलना या किसी के ओनरशिप वाली वस्तु को जानबूझकर नष्ट करना।
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मूल्य या उपयोगिता, आदि को नष्ट या कम करना
किसी चीज का मूल्य कम करना, परीक्षा का पेपर लीक करना या जरूरत के समय जानबूझकर महत्वपूर्ण फाइलों और फोल्डर को गलत तरीके से रखना मिस्चिफ है। वस्तु की उपयोगिता की कल्पना मालिक की अनुभुति (परसेप्शन) से की जानी चाहिए न कि आरोपी की। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन बनाम एनईपीसी इंडिया लिमिटेड और अन्य के मामले में, प्रतिवादी (डिफेंडेन्ट) ने विमान के इंजनों को हटा दिया जिससे उसकी उपयोगिता कम हो गई और उस वजह से वह विमान बेकार हो गया। यह माना गया कि डैमेज होने के कारण मिस्चिफ के सभी तत्वों को संतुष्ट किया गया और इस प्रकार मिस्चिफ का अपराध गठित किया गया।
मिस्चिफ के बढ़े हुए रूप (अग्रावेटेड फॉर्म्स ऑफ मिस्चिफ)
अब हम आईपीसी में बताए गए मिस्चिफ के विभिन्न रूपों और मानदंडों को देखेंगे, जो इस प्रकार हैं:
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डैमेज के मूल्य के आधार पर
जब मिस्चिफ किया जाता है और डैमेज को शब्दों में निर्धारित किया जा सकता है तो सजा डैमेज के परिमाण पर आधारित होती है। पशुओं या कृषि को डैमेज के मामले में व्यक्ति 50 रुपये और उससे अधिक या 10 रुपये या उससे अधिक की किसी भी प्रॉपर्टी के डैमेज के लिए कारावास, जुर्माना या दोनों की सजा का हकदार है।
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प्रॉपर्टी के डैमेज की प्रकृति के आधार पर
धारा 428 से धारा 434 डैमेज प्रॉपर्टी की प्रकृति के आधार पर मिस्चिफ के उग्र (अग्रावेटेड) रूपों की सजा से संबंधित है। यह धारा डैमेज की मात्रा में परिवर्तन के साथ सजा में अंतर बताती हैं। सामान्य सजा कारावास या जुर्माना है। डैमेज के अधिक परिमाण वाले मामलों में, दोनों को भी सम्मानित किया जा सकता है। कारावास की अवधि और जुर्माने की राशि स्थिर (कांस्टेंट) नहीं है और मिस्चिफ की डिग्री, डैमेज और उसके प्रभाव के अनुसार बदलती रहती है।
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10 रुपये या उससे अधिक मूल्य के पशु को मारकर या मैमिंग करके मिस्चिफ करना
धारा 428 में 10 रुपये या उससे अधिक मूल्य के किसी भी जानवर को मैमिंग करके या मारकर मिस्चिफ करने की सजा का प्रावधान है। मैमिंग का मतलब जानवर को स्थायी (परमनेंट) रूप से घायल करना और उसे बेकार कर देना है। धारा में एक अवधि के लिए कारावास, जिसे दो 2 साल तक बढ़ाया जा सकता है, उचित समझे जाने पर जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। यहां कानून का मकसद जानवरों पर होने वाली क्रूरता को रोकना है।
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पशुओं को मारना या उनका शिकार करना आदि द्वारा मिस्चिफ
धारा 429 अपराध की वैसी ही प्रकृति के लिए सजा से संबंधित है, लेकिन जो व्यावसायिक (कमर्शियल) उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले जानवर ‘मवेशी (कैटल)’ को मारना या मैंमिंग करना इस धारा से संदर्भित है। आईपीसी किसी भी अपराध के पीछे के इरादे और मकसद का विश्लेषण करने की कोशिश करता है और इस प्रकार इस धारा में यह माना जाता है कि आरोप लगाने वाले का इरादा मालिक को रॉंगफुल लॉस करने के मकसद से पशुओं को मारने या मैंमिंग करने का था। इसलिए, यह एक अवधि के लिए कारावास, जिसे 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है, 50 रुपये और उससे अधिक मूल्य के पशुओं के साथ मिस्चिफ करने के लिए जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
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सिंचाई के कार्यों को डैमेज करके मिस्चिफ
धारा 430 सिंचाई के कार्यों को डैमेज करने और उसे बेकार करने या गलत तरीके से गड़बड़ी करने के लिए, उसे गलत तरीके से मोड़ने के लिए दंड से संबंधित है। इस धारा का उद्देश्य व्यावसायिक उद्देश्यों जैसे कृषि, विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) या पीने और भंडारण (स्टोरेज) जैसी आवश्यक जरूरतों के लिए उपयोग किए जाने वाले पानी की आपूर्ति (सप्लाई) में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोकना है। बताई गई सजा एक अवधि के लिए कारावास है जिसे 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है, जुर्माना या दोनों। यह आरोप लगाने वाले के इरादे को ध्यान में रखता है कि वह मिस्चिफ करके व्यक्ति को रॉंगफुल लॉस पहुंचाए।
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सार्वजनिक सड़क, पुल, नदी या चैनल को डैमेज करके मिस्चिफ
धारा 431 में आम जनता द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली किसी भी प्रॉपर्टी को नुकसान करने की सजा का प्रावधान है। किसी भी सार्वजनिक सड़क, पुल, नदी या चैनल को डैमेज करना और उसे यात्रा या प्रॉपर्टी को ले जाने के लिए बेकार या कम सुरक्षित बनाना इस धारा के आवेदन (एप्लीकेशन) को आकर्षित करता है। यह अभियोजक (अक्यूज़र) के इरादे को प्रॉपर्टी के मूल्य को नष्ट या कम करके बड़े पैमाने पर जनता को रॉंगफुल लॉस करने का इरादा रखता है, जिसके लिए, यह एक अवधि के लिए कारावास, जिसे 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है, जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
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सार्वजनिक ड्रेनेज में बाधा डालकर मिस्चिफ
धारा 432 सार्वजनिक जल ड्रेनेज में बाढ़ या रुकावट पैदा करने के लिए दंड से संबंधित है जो पहले से ही डैमेज है। यह मिस्चिफ के एकमात्र उद्देश्य के लिए प्रॉपर्टी को नष्ट करना और बड़े पैमाने पर जनता को प्रभावित करने के विचार को पूरा करता है। बताई गई सजा वही है जो सार्वजनिक प्रॉपर्टी को डैमेज करने में है।
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प्रकाशस्तंभ या सीमार्क को नष्ट करके मिस्चिफ (मिस्चिफ बाय डिस्ट्रोइंग ऑफ लाइटहाउस ओर सीमार्क)
धारा 433 नाविकों (नेवीगेटर्स) के लिए एक गाइड के रूप में रखे गए किसी भी प्रकाशस्तंभ (लाइटहाउस) या समुद्र के निशान को नष्ट करने या बिगाड़ने के लिए दंड से संबंधित है। यह किसी भी समुद्र के निशान के एक हिस्से में इस तरह से नष्ट या मिस्चिफ करके नाविकों को गुमराह (मिसगाइड) करने के इरादे को ध्यान में रखता है जिससे यह बेकार हो जाता है या इसका उपयोग कम हो जाता है। इस धारा में सजा को 7 साल तक के लिए कारावास, जुर्माना या दोनों तक बढ़ा दिया गया है। सजा में वृद्धि (इनक्रीज) मिस्चिफ के कारण होने वाले बड़े व्यावसायिक या व्यक्तिगत डैमेज की संभावना के कारण की गई है।
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स्थलों के निशानों को नष्ट करके मिस्चिफ (मिस्चिफ बाय डिस्ट्रोइंग ऑफ लैंडमार्क)
धारा 434 भी ऊपर की तरह एक समान श्रेणी से संबंधित है, एकमात्र अंतर समुद्र के निशान के बजाय स्थलों के निशानों का डैमेज है। इस मामले में डैमेज समुद्र के निशान को डैमेज करने की तुलना में कम होगा। इसलिए इस धारा में सजा को कम करके एक अवधि के लिए कारावास, जिसे केवल 1 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, जुर्माना या दोनों हो सकता है। नष्ट या छोटे किए गए स्थलों के निशान महत्वपूर्ण होने चाहिए और एक लोक सेवक (पब्लिक सर्वेंट) के अधिकार द्वारा तय किए गए होने चाहिए।
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डैमेज करने के लिए अपनाए गए तरीको के आधार पर मिस्चिफ के बढ़े हुए रूप: आर्सन के अपराध
धारा 435 से धारा 438 डैमेज करने के लिए अपनाए गए तरीको के आधार पर मिस्चिफ के उग्र रूपों से संबंधित है। इन वर्गों को सामूहिक रूप से आर्सन के अपराध कहा जाता है, जिसे जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण (मालिशियस) रूप से प्रॉपर्टी को जलाने के रूप में परिभाषित किया गया है। वह आग से प्रॉपर्टी को नष्ट करने के निहितार्थ (इम्प्लिकेशन्स) से निपटते हैं।
धारा 435 में आग या विस्फोटक (एक्सप्लोजिव) पदार्थों से 100 रुपये और उससे अधिक की प्रॉपर्टी को डैमेज करने पर सजा का प्रावधान है। कृषि उपज (एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस) के मामले में 10 रुपये और उससे अधिक की राशि का डैमेज दंडनीय है। इस धारा में सजा के रूप में एक अवधि के लिए कारावास जिसे 7 साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना हो सकता है।
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धारा 436 का स्कोप
धारा 436 किसी भी मानव आवास (ह्यूमन ड्वैलिंग) को आग या विस्फोटक पदार्थ से नष्ट करके मिस्चिफ करने की सजा से संबंधित है। इसमें ऐसी प्रॉपर्टीयां शामिल हैं जो आम तौर पर मानव आवास के रूप में उपयोग की जाती हैं जैसे, कोई घर, पूजा की जगह या प्रॉपर्टी की हिरासत (कस्टडी) के लिए जगह आदि। यह जरूरी नहीं कि एक पूर्ण सुसज्जित संरचना (वेल-फर्निश्ड स्ट्रक्चर) हो। यह आंशिक (पार्शियल) रूप से बनाया जा सकता है और किसी भी पदार्थ (मटेरियल) का हो सकता है। इस धारा की स्थापना के लिए जिसने भी वास्तव में प्रॉपर्टी को आग लगा दी उसकी पहचान के संबंध में स्पष्ट सबूत (एविडेंस) की आवश्यकता है। इस धारा के तहत आरोपी को आजीवन कारावास या 10 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
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आग या विस्फोटक पदार्थ द्वारा डेक पोत के लिए मिस्चिफ (मिस्चिफ टू डेक वेसल बाय फायर ओर एक्सप्लोसिव सब्सटांस)
धारा 437 में कहा गया है कि 20 टन और उससे अधिक के बोझ वाले जहाज को नष्ट करने या असुरक्षित (अनसेफ) करने पर 10 साल तक की अवधि के लिए कारावास और जुर्माने की सजा दी जाएगी।
धारा 438 भी ऊपर दी हुई धारा के समान श्रेणी से संबंधित है, केवल अंतर यह है कि भरा हुआ पोत (वेसल) यदि आग या किसी विस्फोटक पदार्थ से डैमेज हो जाता है, इस मामले में सजा को आजीवन कारावास तक भी बढ़ाया जा सकता है।
एक्ट को प्रभावित करने वाले अन्य आपराधिक उद्देश्यों के आधार पर मिस्चिफ के बढ़े हुए रूप (अग्रावेटेड फॉर्म्स ऑफ मिस्चिफ बेस्ड ऑन अदर क्रिमिनल मोटिव्स इंफ्लुएंसिंग द एक्ट)
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जानबूझकर जहाज एग्राउंड या अशोर चलाना
धारा 439 किसी प्रॉपर्टी की चोरी करने के इरादे से या ऐसी प्रॉपर्टी का बेईमानी (डिशोनेस्टली) से दुरुपयोग करने के इरादे से जहाज को जानबूझकर अशोर पर चलाने के लिए दंड से संबंधित है। इसमें 10 साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है।
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मौत या चोट करने की तैयारी करने के बाद की गई मिस्चिफ
धारा 440 मौत, चोट या गलत तरीके से रोकने की तैयारी करने के बाद मिस्चिफ करने के लिए सजा से संबंधित है। इसमें 5 साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है।
सुधार के प्रस्ताव
आईपीसी में, मिस्चिफ से संबंधित, कुल मिलाकर 15 धाराएँ हैं, लेकिन फिर भी अपराध की सभी संभावनाओं को शामिल करने में असफल है। यह उस परिभाषा का उल्लेख करता है जिसे कुछ परिदृश्यों (सिनेरियो) में पालन किया जाता है जिसमें ‘मिस्चिफ’ को अपराध के रूप में दंडित किया जाता है। आईपीसी में उल्लिखित ये कुछ परिदृश्य, उन कार्यो की व्यापक (वाइड) संभावनाओं के लिए पर्याप्त नहीं हैं जिन पर मिस्चिफ का आरोप लगाया जा सकता है, जिसके कारण किसी भी तरह के मिस्चिफ से जुड़े बड़े मामले, जिनका उल्लेख आईपीसी में कहीं नहीं है, अदालतों के डिस्क्रेशन पर निर्भर करते हैं। इस प्रकार, अपराध की स्थापना और सजा के लिए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि एक अपराध के रूप में ‘मिस्चिफ’ की प्रक्रियात्मक (प्रोसीज़रल) कानून की बहुत ठोस पकड़ (सॉलिड होल्ड) नहीं है और इसे विस्तृत (डिटेल्ड) करने की आवश्यकता है। इसलिए, इस धारा के तहत एक अच्छा सुधार उन कार्यो के बारे में विस्तार से बताना होगा जो किसी भी संभावना में मिस्चिफ के दायरे में आ सकते हैं।
निष्कर्ष (कंक्लूज़न)
अपराध एक सदियों पुरानी घटना है, एक गहरी जड़ वाली बुराई है, जो मनुष्य के विकास के साथ पैदा हुई और विकसित हुई, और धीरे-धीरे प्रत्येक समाज को पीड़ित करने वाली एक सार्वभौमिक (यूनीवर्सल) बीमारी बन गई। तेजी से बढ़ रहे विभिन्न अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए विभिन्न सुधारात्मक (रिफॉर्मेटिव) कदम उठाए जा सकते हैं। दोषी व्यक्तियों को उचित दंड देना और बिना किसी देरी के उन्हें लागू करना यही अपराधों को नियंत्रित करने और समाज पर इसके संबंधित बुरे प्रभावों को कम करने का एकमात्र तरीका है।
आईपीसी का उद्देश्य निषिद्ध आचरण (फोर्बिडन कंडक्ट) की औपचारिक (फॉर्मल) और सामाजिक निंदा (कंडेम्नेशन) व्यक्त करना है जो इसे रोकने के लिए गणना (कैलक्युलेट) की गई मंजूरी द्वारा समर्थित है। यह किए गए कार्य के इरादे और मकसद का आकलन (एसेस) करने की कोशिश करता है। हमारे समाज के प्रगतिशील (प्रोग्रेसिव) विकास के साथ, विभिन्न प्रकार की समस्याएं और अपराध हैं जिनसे निपटने की आवश्यकता है। इस प्रकार हमें सही व्याख्या (इंटरप्रिटेशन) और सख्त कार्यान्वयन (इम्प्लीमेंटेशन) के साथ अपनी कानून व्यवस्था के आधुनिकरण (मॉडर्नाइजेशन) की आवश्यकता है।