यह लेख Tanu Jaiswal द्वारा लिखा गया है जो लॉसिखो से इंटरनेशनल कॉन्ट्रेक्ट नेगोसिएशन, ड्राफ्टिंग एंड एनफोर्समेंट मे डिप्लोमा कर रही है। इस लेख मे गैर-याचना और विशिष्टता खंड और उसकी अवधारणा, गैर-याचना करार के महत्व के बारे मे विस्तृत रूप से चर्चा की गई है। इस लेख का अनुवाद Chitrangda Sharma के द्वारा किया गया है।
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परिचय
रोजगार अनुबंधों में गैर-याचना और विशिष्टता संबंधी प्रावधानों का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। ये या तो किसी अनुबंध के एक खंड के रूप में हो सकते हैं या एक अलग करार के रूप में हो सकते हैं। गैर-याचना खंड का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को ऐसी गतिविधियों में संलग्न होने से रोकना है जो उनके नियोक्ता के व्यवसाय को नुकसान पहुंचा सकती हैं, जैसे कि कंपनी छोड़ने के बाद ग्राहकों या कर्मचारियों की याचना करना। इसके विपरीत, विशिष्टता खंड आमतौर पर वाणिज्यिक (कमर्शियल) अनुबंधों में पाया जाता है, जहां यह एक पक्ष को अन्य प्रतिस्पर्धियों के साथ जुड़ने से प्रतिबंधित करता है, जिससे दूसरे पक्ष को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलती है।
ये खंड व्यावसायिक लेनदेन की गतिशीलता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती हैं, विशेष रूप से उन उद्योगों में जहां बाजार हिस्सेदारी और ग्राहक वफादारी महत्वपूर्ण हैं। यद्यपि दोनों खंड रणनीतिक लाभ प्रदान करते हैं, लेकिन वे कुछ सीमाएं भी लगाते हैं जिन पर ऐसे करारों में प्रवेश करने से पहले पक्षों द्वारा सावधानीपूर्वक विचार किया जाना चाहिए।
गैर-याचना खंड की अवधारणा
गैर-याचना खंड एक अनुबंधत्मक प्रावधान है जिसका उपयोग आम तौर पर रोजगार करारों और व्यावसायिक अनुबंधों में किया जाता है, ताकि एक पक्ष को दूसरे पक्ष के कर्मचारियों, ग्राहकों या ग्राहकों को याचना करने से रोका जा सके, आमतौर पर अनुबंध समाप्त होने के बाद एक निर्दिष्ट अवधि के लिए। यह खंड अनुबंध करने वाले पक्षों (आमतौर पर नियोक्ता और कर्मचारी) पर अपना वर्तमान रोजगार छोड़कर दूसरे पक्ष में शामिल होने पर एक प्रकार का प्रतिबंध लगाता है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने विप्रो लिमिटेड बनाम बेकमैन इंटरनेशनल मामले में निम्नलिखित सिद्धांत गिनाये:
- रोजगार के दौरान लागू किए जाने वाले नकारात्मक और सकारात्मक दोनों ही प्रकार के अनुबंधों को व्यापार पर प्रतिबंध नहीं कहा जा सकता, यदि वे उचित हों।
- इसके अलावा, ऐसे खंड या करार कर्मचारी अनुबंध की समाप्ति के बाद लागू नहीं होते हैं।
- न्यायालय को अन्य प्रकार के अनुबंधों की तुलना में नियोक्ता-कर्मचारी अनुबंधों से निपटने में अधिक सख्त रुख अपनाना चाहिए, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि नियोक्ता प्रभावशाली स्थिति में होता है।
उदाहरण के लिए, एक अग्रणी विपणन (मार्केटिंग) फर्म एक वरिष्ठ खाता प्रबंधक को नियुक्त करती है जो प्रमुख ग्राहकों के साथ संबंधों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होता है। अपने व्यावसायिक हितों की रक्षा के लिए, फर्म ने कर्मचारी के अनुबंध में एक गैर-याचना खंड शामिल किया है। इस खंड में कहा गया है कि कंपनी छोड़ने के बाद एक वर्ष की अवधि के लिए, खाता प्रबंधक को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से फर्म के किसी भी ग्राहक या कर्मचारी को फर्म छोड़ने या अपना व्यवसाय किसी प्रतिस्पर्धी कंपनी में स्थानांतरित करने के लिए आग्रह करने या ऐसा करने का प्रयास करने से प्रतिबंधित किया जाता है।
उदाहरण के लिए, यदि खाता प्रबंधक इस्तीफा देकर किसी प्रतिस्पर्धी कंपनी में शामिल हो जाता है, तो वह विपणन फर्म में प्रबंधित किसी भी ग्राहक से संपर्क नहीं कर सकता है, तथा उसे अपने खातों को नई कंपनी में हस्तांतरित करने के लिए राजी नहीं कर सकता है। यह खंड कंपनी को अपने ग्राहक संबंधों को सुरक्षित रखने तथा प्रमुख कर्मचारियों के चले जाने के बाद भी अपनी प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त बनाए रखने में मदद करता है।
मद्रास उच्च न्यायालय ने हाल ही में ई-मर्ज टेक ग्लोबल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड बनाम एम.आर. विंध्यसागर एवं अन्य के मामले में फैसला सुनाया कि गैर-अनुरोध संबंधी धारा, सेवा समाप्ति के बाद तीन वर्षों तक प्रभावी रहती है तथा नियोक्ता की गोपनीय जानकारी के प्रकटीकरण को रोकने के लिए कर्मचारी पर बाध्यकारी होती है। संक्षेप में, गैर-याचना संबंधी प्रावधान व्यवसायों के लिए उनके हितों की रक्षा करने के लिए मूल्यवान उपकरण हैं, लेकिन उन्हें सावधानीपूर्वक तैयार किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे निष्पक्ष, उचित और लागू करने योग्य हैं।
विशिष्टता खंड की अवधारणा
अनुबंध कानून में विशिष्टता संबंधी खंड एक पक्ष को अन्य पक्षों के साथ खरीद, बिक्री या साझेदारी करने पर एक प्रकार का प्रतिबंध प्रदान करती हैं। ये खंड इस प्रकार तैयार की गई हैं कि एक पक्ष पर कुछ सीमाएं हों और दूसरे पक्ष को आर्थिक लाभ हो। व्यावहारिक रूप से, इसके व्यापक प्रतिबंधात्मक निहितार्थ हैं; इसलिए, ऐसे अनुबंध पर हस्ताक्षर करने का निर्णय विवेकपूर्ण होना चाहिए, जिसमें विशिष्टता संबंधी खंड हो।
उदाहरण के लिए, एक सॉफ्टवेयर अनुज्ञप्ति (लाइसेंसिंग) करार, जहां एक तकनीकी कंपनी किसी वितरक को एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में अपना सॉफ्टवेयर बेचने के लिए विशेष अधिकार प्रदान करती है। उदाहरण के लिए, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी जापान में किसी स्थानीय वितरक के साथ एक विशेष वितरण करार कर सकती है, जिससे उस वितरक को उस क्षेत्र में माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस उत्पादों का एकमात्र विक्रेता बनने की अनुमति मिल जाएगी। बदले में, माइक्रोसॉफ्ट अनुकूल मूल्य निर्धारण या विपणन सहायता की पेशकश कर सकता है, जिससे वितरक को बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त प्राप्त होगी, तथा उस क्षेत्र में उसके उत्पादों की बिक्री पर नियंत्रण बना रहेगा।
अनुबंध पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्ति के लिए इसके नुकसान के बावजूद, यह अनुबंध के प्रभावी रहने के दौरान प्रतिद्वंद्वियों को अपने प्रतिपक्ष के साथ अनुबंध करने से रोककर प्रतिस्पर्धात्मक लाभ के साथ व्यवसायों को अतिरिक्त लाभ प्रदान करता है।
गैर-याचना और विशिष्टता खंड की प्रवर्तनीयता
नियोक्ता द्वारा कर्मचारियों पर इस प्रकार के प्रावधानों को मनमाने ढंग से लागू नहीं किया जा सकता। इसकी प्रवर्तनीयता की गारंटी के लिए खंडों में एक संतुलित समीकरण होना आवश्यक है। व्यवसाय या व्यापार की स्वतंत्रता को एक खंड, अर्थात् कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाने के आधार पर सीमित नहीं किया जा सकता, क्योंकि ऐसा खंड इसे स्पष्ट रूप से अवैध बना देगा।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने निरंजन शंकर गोलिकरी बनाम द सेंचुरी स्पिनिंग एंड मैन्युफैक्चरिंग के मामले में, जहां एक फिल्म कलाकार ने अनुबंध की अवधि के दौरान वादी को अपनी विशेष सेवा प्रदान करने के लिए एक अनुबंध में प्रवेश करने के बावजूद, अनुबंध के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए एक तीसरे व्यक्ति के साथ अनुबंध में प्रवेश किया, और इन परिस्थितियों में निषेधाज्ञा दी गई थी। इस मामले ने रोजगार के दौरान और उसके बाद गैर-याचना जैसे प्रतिबंधात्मक अनुबंधों या खंडों की प्रयोज्यता में अंतर को उजागर किया। यह देखा गया कि ये नकारात्मक अनुबंध कानूनी रूप से लागू करने योग्य होंगे यदि वे उचित हों और सार्वजनिक नीति के विरुद्ध न हों। इस प्रकार, न्यायालय ने उदार दृष्टिकोण अपनाया, क्योंकि ऐसे पारस्परिक अनुबंध या खंडों को व्यापार पर प्रतिबंध लगाने के रूप में नहीं माना जाएगा, जब तक कि वे अत्यधिक कठोर या एकतरफा न हों।
विप्रो लिमिटेड बनाम बेकमैन इंटरनेशनल मामले में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने गैर-याचना करार की कानूनी वैधता पर विचार-विमर्श किया। यह देखा गया कि ऐसे खंड को भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 की धारा 27 का उल्लंघन नहीं माना जाएगा, जब तक कि खंड को अनुचित न माना जाए।
परसेप्ट डी मार्क (इंडिया) (प्राइवेट) लिमिटेड बनाम जहीर खान एवं अन्य मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने एक प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेटर और एक वृत्तांत प्रबंध (इवेंट मैनेजमेंट) कंपनी के बीच हुए करार से जुड़े मामले पर विचार किया, जिसमें कंपनी को क्रिकेटर का एकमात्र और अनन्य एजेंट नामित किया गया था। अनुबंध की अवधि तीन वर्ष निर्धारित की गई थी, जिसमें आपसी सहमति से विस्तार का विकल्प भी शामिल था। अनुबंध समाप्त होने के बाद, क्रिकेटर ने एक अलग अभिकरण (एजेंसी) के साथ नया अनुबंध पर हस्ताक्षर किये। जवाब में, वृत्तांत प्रबंध कंपनी ने कानूनी कार्यवाही शुरू की और क्रिकेटर को तीसरे पक्ष के साथ किसी भी करार में प्रवेश करने से रोकने के लिए निषेधाज्ञा की मांग की थी।
टैबूला इंडिया प्राइवेट लिमिटेड बनाम इटर्नो इन्फोटेक प्राइवेट लिमिटेड मामले में यह पाया गया कि विजेट के साथ विज्ञापन ऑनलाइन विज्ञापन के सबसे लोकप्रिय रूपों में से एक है, और राजस्व का एक बड़ा हिस्सा ऐसे प्रचारों के लिए विशिष्टता खंडों पर निर्भर करता है। इस मामले में, विशिष्टता खंड को विशिष्टता की प्रकृति के संबंध में स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है और विशेष रूप से वादी के प्रतिस्पर्धियों की पहचान की गई है जिनके खिलाफ विशिष्टता लागू की जा रही है। इस विशिष्टता खंड की प्रवर्तनीयता विशिष्ट परिस्थितियों पर निर्भर करेगी।
इस प्रकार, गैर-याचना और विशिष्टता संबंधी प्रावधानों की प्रवर्तनीयता एक संतुलित और उचित दृष्टिकोण पर निर्भर करती है। यद्यपि ये खंड वैध व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए हैं, किन्तु इन्हें मनमाने ढंग से लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि ऐसा करने से व्यापार की स्वतंत्रता का उल्लंघन हो सकता है और खंड लागू नहीं हो सकेंगे। ये खंड महत्वपूर्ण प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्रदान कर सकती हैं, लेकिन उनकी प्रवर्तनीयता उनकी निष्पक्षता और प्रत्येक मामले के विशिष्ट तथ्यों पर निर्भर करती है। अंततः, गैर-याचना और विशिष्टता दोनों धाराओं में सावधानीपूर्वक संतुलन बनाए रखना होगा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे व्यक्तियों या अन्य व्यवसायों के अधिकारों को अनुचित रूप से प्रतिबंधित किए बिना व्यावसायिक हितों की रक्षा करें।
गैर-याचना करार का महत्व
गैर-याचना करार एक कानूनी अनुबंध है जो एक पक्ष को दूसरे पक्ष के कर्मचारियों, ग्राहकों या मुवक्किल को याचना करने या लुभाने से रोकता है। इन करारों का उपयोग अक्सर व्यवसायों को अनुचित प्रतिस्पर्धा से बचाने और यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि गोपनीय जानकारी गोपनीय बनी रहे।
ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से किसी व्यवसाय के लिए गैर-याचना करार महत्वपूर्ण हो सकते है। प्रथम, इससे मूल्यवान कर्मचारियों की हानि को रोकने में मदद मिल सकती है। जब कोई कर्मचारी किसी कंपनी को छोड़ता है, तो उसके पास गोपनीय जानकारी तक पहुंच हो सकती है जिसका उपयोग किसी प्रतिस्पर्धी को लाभ पहुंचाने के लिए किया जा सकता है। एक गैर-याचना करार इस जानकारी को प्रतिस्पर्धी के साथ साझा किए जाने से रोकने में मदद कर सकता है।
दूसरा, गैर-याचना करार कंपनी के ग्राहक आधार की सुरक्षा करने में मदद कर सकता है। जब कोई ग्राहक किसी कंपनी को छोड़ता है, तो उसके किसी प्रतिस्पर्धी के साथ व्यापार करने की संभावना अधिक हो सकती है, यदि प्रतिस्पर्धी कंपनी द्वारा उसे इसके लिए आमंत्रित किया जाता है। एक गैर-याचना करार ऐसा होने से रोकने में मदद कर सकता है।
तीसरा, गैर-याचना करार कंपनी की प्रतिष्ठा की रक्षा करने में मदद कर सकता है। जब कोई प्रतिस्पर्धी किसी कंपनी के ग्राहकों या कर्मचारियों को अपने पक्ष में करने की कोशिश करता है, तो इससे कंपनी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच सकता है। एक गैर-याचना करार ऐसा होने से रोकने में मदद कर सकता है।
गैर-याचना करार का मसौदा तैयार करते समय कई कारकों पर विचार करना होता है। सबसे पहले, करार में उन व्यक्तियों या संस्थाओं के बारे में स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए जिन्हें कंपनी के कर्मचारियों, ग्राहकों या मुवक्किलों से संपर्क करने पर प्रतिबंध है। दूसरा, करार में उस भौगोलिक क्षेत्र का उल्लेख होना चाहिए जिसमें प्रार्थना प्रतिबंधित है। तीसरा, करार में प्रतिबन्ध की अवधि निर्दिष्ट होनी चाहिए।
किसी व्यवसाय को अनुचित प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए गैर-याचना करार एक महत्वपूर्ण उपकरण हो सकते हैं। हालांकि, यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह लागू करने योग्य है, करार पर हस्ताक्षर करने से पहले एक वकील से इसकी समीक्षा करवाना महत्वपूर्ण है।
गैर-याचना करार के कुछ अतिरिक्त लाभ इस प्रकार हैं:
- इससे व्यापार रहस्यों और अन्य गोपनीय जानकारी की हानि को रोकने में मदद मिल सकती है।
- यह किसी कंपनी के प्रतिस्पर्धात्मक लाभ को बनाये रखने में सहायक हो सकता है।
- इससे निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।
- इससे व्यवसायों के बीच विवादों को सुलझाने में मदद मिल सकती है।
यदि आप गैर-याचना करार पर विचार कर रहे हैं, तो अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं पर चर्चा करने के लिए एक वकील से बात करना महत्वपूर्ण है।
गैर-याचना करार के मुख्य प्रावधान
इन करार में आमतौर पर कई प्रमुख प्रावधान शामिल होते हैं जो दायरे, अवधि, निषिद्ध गतिविधियों और अनुबंध के उल्लंघन के लिए उपायों को रेखांकित करते हैं।
- करार का दायरा: यह प्रावधान उन विशिष्ट व्यक्तियों या संस्थाओं को परिभाषित करता है जो करार के अंतर्गत आते हैं। इसमें वर्तमान कर्मचारी, पूर्व कर्मचारी, स्वतंत्र ठेकेदार और तीसरे पक्ष शामिल हो सकते हैं जिनकी गोपनीय जानकारी या ग्राहक संबंधों तक पहुंच हो। किसी भी अस्पष्टता या विवाद से बचने के लिए करार का दायरा स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए।
- करार की अवधि: करार की अवधि उस समयावधि को निर्दिष्ट करती है जिसके दौरान करार प्रभावी रहेगा। यह अवधि विशिष्ट परिस्थितियों और व्यवसाय की प्रकृति के आधार पर भिन्न हो सकती है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि करार की अवधि उचित हो और इसमें शामिल पक्षों पर अनुचित बोझ न पड़े।
- निषिद्ध गतिविधियाँ: निषिद्ध गतिविधियाँ का धारा में स्पष्ट रूप से उन कार्यों का उल्लेख किया गया है जो करार द्वारा निषिद्ध हैं। इन गतिविधियों में आम तौर पर व्यवसाय के कर्मचारियों या ग्राहकों को लुभाना, गोपनीय जानकारी का खुलासा करना, तथा अन्य ऐसी गतिविधियों में शामिल होना शामिल होता है, जो व्यवसाय के प्रतिस्पर्धात्मक लाभ को नुकसान पहुंचा सकती हों। किसी भी भ्रम या गलत व्याख्या से बचने के लिए निषिद्ध गतिविधियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित और विशिष्ट किया जाना चाहिए।
- अनुबंध के उल्लंघन के लिए उपाय: यह प्रावधान उन परिणामों को रेखांकित करता है जो अनुबंध के उल्लंघन होने पर उत्पन्न होंगे। अनुबंध के उल्लंघन के उपचार में निषेधाज्ञा (इंजंक्शन), क्षतिपूर्ति और विशिष्ट निष्पादन शामिल हो सकते हैं। निषेधाज्ञा न्यायालय के आदेश होते हैं जो उल्लंघनकर्ता पक्ष को निषिद्ध गतिविधियों में संलग्न होने से रोकते हैं। क्षतिपूर्ति, उल्लंघन के कारण हुई हानि की भरपाई के लिए गैर-उल्लंघनकर्ता पक्ष को दिया जाने वाला मौद्रिक मुआवजा है। विशिष्ट निष्पादन एक न्यायालय आदेश है जो उल्लंघनकर्ता पक्ष को अनुबंध के तहत अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए बाध्य करता है।
अतिरिक्त मुद्दो पर विचार करना
- गोपनीयता: गैर-याचना करार में अक्सर गोपनीयता प्रावधान शामिल होते हैं जो पक्षों को उनके रिश्ते के दौरान प्राप्त गोपनीय जानकारी का खुलासा करने से रोकते हैं। गोपनीय जानकारी में व्यापार रहस्य, ग्राहक सूची और अन्य संवेदनशील व्यावसायिक डाटा शामिल हो सकते हैं।
- कानून और अधिकार क्षेत्र का चयन: करार में उस शासकीय कानून और अधिकार क्षेत्र का उल्लेख होना चाहिए जो विवाद की स्थिति में लागू होगा। यह किसी भी भ्रम या अनिश्चितता से बचने के लिए महत्वपूर्ण है कि किस कानून और अदालत का करार पर अधिकार होगा।
- पृथक्करणीयता (सेवरेबिलिटी): पृथक्करणीयता खंड यह सुनिश्चित करता है कि यदि करार का कोई प्रावधान अप्रवर्तनीय पाया जाता है, तो शेष प्रावधान वैध और बाध्यकारी बने रहेंगे। यह खंड करार की अखंडता को बनाए रखने में मदद करता है और किसी एक अप्रवर्तनीय प्रावधान के कारण पूरे करार को अमान्य होने से रोकता है।
निष्कर्ष
गैर-याचना और विशिष्टता दोनों खंड अनुबंध कानून में अनुबंध पक्षों के हितों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में काम करती हैं, विशेष रूप से नियोक्ता-कर्मचारी और वाणिज्यिक संबंधों में। दिल्ली उच्च न्यायालय और मद्रास उच्च न्यायालय जैसे न्यायालयों द्वारा बरकरार रखे गए गैर-याचना खंड का उद्देश्य नियोक्ता की गोपनीय जानकारी और व्यावसायिक हितों की रक्षा करना है, बशर्ते यह उचित हो और रोजगार के दौरान लागू किया जाए। हालांकि, सेवा समाप्ति के बाद इसकी प्रवर्तनीयता सीमित बनी हुई है, जो नियोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच शक्ति संतुलन में न्यायालय के सतर्क दृष्टिकोण को दर्शाती है।
दूसरी ओर, विशिष्टता संबंधी खंड, एक पक्ष को अन्य पक्षों के साथ जुड़ने से रोककर महत्वपूर्ण प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्रदान करते हैं, लेकिन उनके व्यापक प्रतिबंधात्मक निहितार्थों के कारण उन पर सावधानीपूर्वक विचार किया जाना चाहिए। ये खंड व्यवसायों को बाजार में मजबूत स्थिति प्रदान कर सकती हैं, जैसा कि विशिष्ट सॉफ्टवेयर वितरण करारों जैसे उदाहरणों में देखा गया है, लेकिन इनमें प्रतिबंध पर सहमति जताने वाले पक्ष के लिए संभावित कमियां भी हैं। इसलिए, पक्षों के लिए यह आवश्यक है कि वे ऐसे खंडों वाले अनुबंधों में प्रवेश करने से पहले लाभों और सीमाओं का मूल्यांकन करें।
हालांकि, संगठनों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे रोजगार करारों में ऐसे खंडों को शामिल करते समय निष्पक्ष दृष्टिकोण अपनाएं, तथा यह सुनिश्चित करें कि प्रतिबंध अत्यधिक व्यापक न हों तथा लागू करने योग्य बने रहें।