व्यापार चिह्न का विरोध

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यह लेख Sowbhagyalaxmi S. Hegde द्वारा लिखा गया है। यह व्यापार चिह्न की विरोध कार्यवाही के विस्तृत विश्लेषण पर जोर देता है। इस लेख में, हम व्यापार चिह्न के विरोध की प्रक्रिया, दाखिल करने से लेकर सुनवाई तक की प्रक्रिया से गुजरेंगे और व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999 के तहत विरोध के आधार पर भी चर्चा की गई है। संरचित दिशानिर्देशों का पालन करके, हम विरोध प्रक्रिया के प्रत्येक चरण को समझ सकते हैं, जिसमें दोनों पक्षों की भूमिका, उनकी साक्ष्य संबंधी जिम्मेदारियां और संभावित परिणाम शामिल हैं। इस लेख का अनुवाद Chitrangda Sharma के द्वारा किया गया है।

Table of Contents

परिचय

व्यापार चिह्न एक चिह्न, लोगो या कोई अभिव्यक्ति है जो वस्तुओं या सेवाओं को अलग करने में सक्षम है। व्यापार चिह्न एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो ब्रांड को सुरक्षा प्रदान करता है और उपभोक्ताओं को आश्वासन भी देता है, जिससे उत्पाद या सेवा में विश्वास पैदा होता है। व्यापार की इस प्रतिस्पर्धी दुनिया में, व्यापार चिह्न ब्रांड की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं; वे व्यवसाय के बौद्धिक (इंटेलेक्चुअल) अधिकारों की भी रक्षा करते हैं। उदाहरण के लिए, टाटा स्टील, क्रोम आदि ऐसे ब्रांड नाम हैं जो ब्रांड के प्रति विश्वास और वफादारी स्थापित करते हैं। 

व्यापार चिह्न की सुरक्षा के लिए एक कानूनी प्रक्रिया है जिसे ‘व्यापार चिह्न के विरोध’ के नाम से जाना जाता है। व्यापार चिन्ह का विरोध व्यापार चिन्ह के आवेदन चरण के दौरान होता है। यह तब होता है जब चिह्न को आधिकारिक व्यापार चिन्ह पत्रिका में किसी विरोध के लिए प्रकाशित किया गया हो। व्यापार चिन्ह का विरोध उन व्यापार चिन्ह के पंजीकरण को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है, जो मौजूदा व्यापार चिन्ह अधिकारों का उल्लंघन कर सकते हैं, जिससे उपभोक्ताओं में भ्रम पैदा हो सकता है या इससे सार्वजनिक नीति का उल्लंघन हो सकता है। यहां, तीसरे पक्ष को आपत्तियां दर्ज करने की अनुमति है, इसलिए व्यापार चिन्ह की विरोध प्रक्रिया व्यापार चिन्ह की अखंडता और विशिष्टता को बनाए रखने में विशिष्ट ब्रांड के लिए सुरक्षा के रूप में कार्य करती है, और यह सुनिश्चित करती है कि केवल वैध और कानूनी व्यापार चिन्ह को ही सुरक्षा मिले। 

व्यापार चिन्ह का विरोध कौन कर सकता है

व्यापार चिन्ह अधिनियम, 1999 भारत में व्यापार चिन्ह के पंजीकरण के लिए प्रक्रियाएं प्रदान करता है। व्यापार चिन्ह नियम, 2017 में व्यापार चिन्ह पंजीकरण के लिए आवेदन से संबंधित प्रावधान दिए गए हैं। एक विशेष प्रारूप (फॉर्म) है, जिसे प्रारूप  टीएम-ए के नाम से जाना जाता है, जिसके माध्यम से ब्रांड का मालिक व्यापार चिन्ह के पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकता है। पंजीकरण हेतु आवेदन प्राप्त होने के बाद, व्यापार चिन्ह पत्रिका में प्रकाशन होता है। व्यापार चिन्ह अधिनियम, 1999 की धारा 21 के तहत, कोई भी व्यक्ति जिसके पास पहले से ही एक समान ब्रांड नाम है (चाहे वह व्यापार चिन्ह के रूप में पंजीकृत हो या नहीं), कंपनियों, न्यासो (ट्रस्ट) और साझेदारी फर्मों को व्यापार चिन्ह पत्रिका में व्यापार चिन्ह के प्रकाशन के चार महीने के भीतर व्यापार चिन्ह पंजीयक के पास विरोध का नोटिस दायर करके आवेदन का विरोध करने का अवसर दिया जाता है। व्यापार चिन्ह के विरोध को विरोध नोटिस प्रारूप में दायर किया जाता है, जिसे प्रारूप टीएम-ओ के नाम से जाना जाता है।  

वे आधार जिन पर व्यापार चिन्ह के पंजीकरण का विरोध किया जा सकता है

पूर्ण आधार

व्यापार चिन्ह अधिनियम, 1999 की धारा 9 में व्यापार चिन्ह पंजीकरण से इनकार करने के लिए पूर्ण आधार प्रदान किया गया है। वे इस प्रकार हैं: 

  1. जहां चिह्न में किसी विशिष्ट चरित्र का अभाव है, इसका मतलब है कि सामान या सेवाओं को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग नहीं किया जा सकता है;
  2. जहां चिह्न में कोई विशेष चिह्न या संकेत शामिल हो जो प्रकार, गुणवत्ता, मात्रा, मूल्य या भौगोलिक उत्पत्ति, उत्पादन समय या माल या सेवाओं की कोई अन्य विशेषताओं का वर्णन करता हो;
  3. जहां चिह्न में कोई विशिष्ट चिह्न या संकेत दर्शाया गया हो जो प्रथागत हो जाता है;
  4. जहां कोई चिह्न जनता को भ्रमित करने या भ्रम पैदा करने में सक्षम हो;
  5. जहां चिह्नों में ऐसी सामग्री हो या शामिल हो जिससे भारतीय नागरिकों के किसी वर्ग या अनुभाग की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंच सकती हो;
  6. जहां चिह्नों में अपमानजनक या अश्लील सामग्री शामिल हो;
  7. जहां चिह्न को प्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग निवारण) अधिनियम, 1950 के अनुसार प्रतिबंधित किया गया हो।

सापेक्षिक (रिलेटिव) आधार

व्यापार चिन्ह अधिनियम, 1999 की धारा 11, व्यापार चिन्ह के पंजीकरण के लिए सापेक्षिक आधार प्रदान करती है:

  1. जहां चिह्न पहले के व्यापार चिन्ह के समान या एकरूप है और वस्तुओं या सेवाओं की समानता के कारण पहले के व्यापार चिन्ह के साथ भ्रम या संबद्धता की संभावना है;
  2. जहां चिह्न पहले के किसी व्यापार चिन्ह के समान है और इसमें शामिल वस्तुओं या सेवाओं की पहचान या समानता पहले के व्यापार चिन्ह के साथ भ्रम या संबद्धता की संभावना पैदा करती है;
  3. जहां चिह्न भारत में पहले के किसी प्रसिद्ध व्यापार चिह्न के समरूप या समान है, और बिना उचित कारण के नए चिह्न के उपयोग से पहले के व्यापार चिह्न का अनुचित लाभ होगा या उसकी विशिष्ट विशेषता या प्रतिष्ठा को हानि पहुंचेगी;
  4. जहां चिह्न उन वस्तुओं या सेवाओं के लिए अभिप्रेत है जो पहले के प्रसिद्ध व्यापार चिह्न के समान नहीं हैं, लेकिन बिना उचित कारण के नए चिह्न का उपयोग पहले के व्यापार चिह्न के विशिष्ट चरित्र या प्रतिष्ठा का अनुचित लाभ उठाएगा या उसे नुकसान पहुंचाएगा; 
  5. पंजीकरण की अनुमति केवल तभी दी जाती है जब पिछले चिह्न मालिक की सहमति होती है।

विरोध की कार्यवाही

भारत में, व्यापार चिन्ह का पंजीकरण किसी तीसरे पक्ष के व्यापार चिन्ह के आवेदन को चुनौती देने की अनुमति देता है। जब किसी पक्ष को लगता है कि व्यापार चिन्ह के अधिकारों का कोई उल्लंघन हो रहा है या इससे उपभोक्ताओं के बीच भ्रम पैदा हो रहा है, तो व्यापार चिन्ह के लिए विरोध दायर किया जा सकता है। 

व्यापार चिन्ह अधिनियम, 1999 की धारा 21 के तहत व्यापार चिन्ह विरोध दर्ज करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन किया जाना चाहिए: 

विरोध का नोटिस

व्यापार चिन्ह अधिनियम, 1999 की धारा 21(1) के तहत;

  1. व्यापार चिन्ह पत्रिका में लागू चिह्न के प्रकाशन के चार महीने के भीतर, प्रारूप टीएम-ओ भरकर पंजीयक को एक नोटिस प्रस्तुत किया जाता है; 
  2. विरोध प्रारूप प्रस्तुत करते समय, अपेक्षित शुल्क (जो उद्धृत आधारों की संख्या के आधार पर 2,000 रुपये से 9,000 रुपये तक हो सकता है) का भुगतान करना होगा; 
  3. आवेदन, विरोधी पक्ष और विरोध के कारणों के बारे में जानकारी उक्त प्रारूप में शामिल है। 

प्रति कथन (काउंटर स्टेटमेंट)

धारा 21(2) और (3) के तहत प्रारूप जमा होने के बाद पंजीयक तीन महीने के भीतर आवेदक को नोटिस की एक प्रति भेजता है। आवेदक को दो महीने के भीतर प्रारूप टीएम-ओ में प्रति-कथन भरकर पंजीयक को जवाब देना होगा, जिसमें उन आधारों का प्रति-कथन भी शामिल होगा जिन पर वह अपने आवेदन के लिए निर्भर करता है, और यदि वह ऐसा नहीं करता है, तो यह माना जाएगा कि उसने अपना आवेदन वापस ले लिया है। जब पंजीयक को प्रति कथन प्राप्त हो जाता है, तो वह उसकी एक प्रति उस व्यक्ति को भेज देता है जिसने विरोध दर्ज कराया था। 

साक्ष्य

धारा 21(4) के तहत, जब पंजीयक को प्रति-कथन प्राप्त हो जाता है तो वह इसकी समीक्षा करेगा और सभी शर्तों का अनुपालन होने पर ही दो महीने के भीतर विपक्षी को इसकी एक प्रति भेजेगा। जब विपक्षी को प्रति प्राप्त हो जाती है, तो वे शपथ-पत्र देकर अपने विरोध के समर्थन में साक्ष्य प्रस्तुत कर सकते हैं। यहां तक कि आवेदक भी विपक्षी को नकार कर साक्ष्य प्रस्तुत करता है। 

सुनवाई

धारा 21(5) के तहत, जब सभी साक्ष्य पंजीयक के समक्ष प्रस्तुत कर दिए गए हों, तो मामले को सुनवाई अधिकारी के समक्ष सुनवाई के लिए निर्धारित किया जाएगा और सुनवाई अधिकारी अंतिम निर्णय देगा।

लागत के लिए सुरक्षा

धारा 21(6) के अंतर्गत, कोई व्यक्ति जो आवेदक द्वारा विरोध का नोटिस या कोई प्रति-कथन दे रहा है, जो भारत से बाहर रहता है या जिसका व्यवसाय देश के भीतर नहीं है, इस मामले में पंजीयक उनसे कार्यवाही की लागत के लिए सुरक्षा प्रदान करने की मांग कर सकता है। यदि ऐसी सुरक्षा प्रदान नहीं की जाती है, तो विरोध का नोटिस या आवेदन को त्यागा हुआ माना जा सकता है। 

त्रुटियों का सुधार

धारा 21(7) के तहत पंजीयक के पास विरोध या प्रति कथन की सूचना में किसी त्रुटि को सुधारने या संशोधन करने की विवेकाधीन शक्ति है; यह केवल पक्षों के अनुरोध पर ही किया जाता है। 

विरोध का नोटिस दाखिल करना

व्यापार चिन्ह विरोध का नोटिस एक आधिकारिक दस्तावेज है जो बताता है कि किसी तीसरे पक्ष द्वारा व्यापार चिन्ह पंजीकरण के प्रति असहमति या आपत्ति है। इस विरोध प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य व्यापार चिन्ह का भ्रम पैदा करने या समान व्यापार चिन्ह वाले अन्य लोगों को धोखा देने से बचाना है। 

विरोध नोटिस में निम्नलिखित घटक शामिल होने चाहिए:

  1. आवेदन संख्या जिसके विरुद्ध विरोध किया जाना है तथा उसका उल्लेख किया जाना है;
  2. व्यापार चिन्ह आवेदक का नाम मौजूद होना चाहिए;
  3. व्यापार चिन्ह आवेदन में उन वस्तुओं और सेवाओं की सूची दर्शाई जानी चाहिए जिनके विरुद्ध विरोध मौजूद है;
  4. यदि पहले वाला व्यापार चिन्ह स्वामी विरोध दर्ज कराता है तो उसका नाम, पता और उसके व्यापार चिन्ह का विवरण अवश्य मौजूद होना चाहिए;
  5. यदि विरोधी पक्ष का भारत में कोई व्यवसायिक स्थान नहीं है, तो विरोधी पक्ष का नाम तथा भारत में उनकी सेवाओं के लिए पता अवश्य उल्लेखित किया जाना चाहिए;
  6. यदि पहले वाला व्यापार चिन्ह विरोध का आधार है, तो उस आशय का एक बयान, संकेत की स्थिति, आवेदन संख्या, दाखिल करने की तारीख और पहले वाले व्यापार चिन्ह की प्राथमिकता का उल्लेख किया जाना चाहिए;
  7. यदि पहले वाला व्यापार चिन्ह सुप्रसिद्ध है, तो उसका विवरण तथा उस देश का विवरण जिसमें पहले वाला व्यापार चिन्ह पंजीकृत है, अवश्य होना चाहिए;
  8. विरोध के आधार स्पष्ट रूप से उल्लिखित होने चाहिए।

पंजीयक के समक्ष विरोध प्रस्तुत करने पर, पंजीयक आवश्यक दस्तावेजों की समीक्षा करता है और उनका अवलोकन करता है, फिर प्राप्ति की तारीख से तीन महीने के भीतर व्यापार चिन्ह के आवेदक को विरोध के नोटिस की एक प्रति प्रदान करता है, जिसके बाद आवेदक प्रति-कथन दाखिल करके आगे बढ़ता है। 

विरोध का ऐसा नोटिस प्राप्त होने पर, आवेदक को विरोध का नोटिस प्राप्त होने की तारीख से दो महीने के भीतर एक प्रति-कथन प्रस्तुत करना होगा। वैधानिक अवधि के भीतर प्रति-कथन दाखिल न करने पर पंजीयक द्वारा आवेदक के व्यापार चिन्ह को त्याग दिया जाएगा। 

प्रति-कथन दाखिल करना

विपक्षी द्वारा दायर विरोध नोटिस के जवाब में व्यापार चिन्ह आवेदक द्वारा एक प्रति-कथन दायर किया जाता है। आवेदक प्रति-कथन को एक औपचारिक दस्तावेज के रूप में दाखिल करता है जो विपक्षियों द्वारा विरोध नोटिस में लगाए गए आरोपों का जवाब देता है। 

आवेदक को व्यापार चिन्ह नियम, 2017 के नियम 44 के तहत पंजीयक को विरोध के नोटिस पर अपना प्रति-कथन, आवेदक द्वारा नोटिस की प्रति प्राप्त होने के दो महीने के भीतर प्रारूप  टीएम-ओ में दाखिल करना होगा। इसके बाद पंजीयक आवेदक द्वारा प्राप्त प्रति-कथन को दो माह के भीतर विपरीत पक्ष को अग्रेषित (फॉरवर्ड) कर देगा। 

प्रति-कथन में आवेदक विपक्षी द्वारा विरोध नोटिस में लगाए गए आरोप को स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है। आवेदक अपने व्यापार चिन्ह आवेदन के समर्थन में साक्ष्य और विस्तृत तर्क भी प्रस्तुत कर सकता है, साथ ही विपक्षी द्वारा उठाए गए विरोध के अस्वीकृत आधार भी प्रस्तुत कर सकता है। 

प्रति-कथन, विरोध प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि यह आवेदक को अपने आवेदन का बचाव करने तथा उसे व्यापार चिन्ह अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करने का अवसर देता है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि यदि निर्धारित समय के भीतर प्रति-कथन दाखिल नहीं किया जाता है, तो आवेदन रद्द हो जाता है। 

व्यापार चिन्ह नियम, 2017 के नियम 45 के तहत साक्ष्य शपथ पत्र

व्यापार चिन्ह नियम, 2017 के नियम 45 के तहत, आवेदक से प्रति-कथन प्राप्त होने के दो महीने के भीतर विपक्षी द्वारा साक्ष्य के समर्थन में एक शपथ पत्र प्रस्तुत किया जाता है। शपथ-पत्र को सभी साक्ष्यों के साथ पंजीयक के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए तथा उसकी प्रतियां आवेदक को भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए। 

साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जाने वाला शपथ-पत्र विस्तृत होना चाहिए तथा उसमें विशिष्ट आवश्यकताओं का पालन होना चाहिए। इसमें विपक्ष के दावों का समर्थन करने वाले तथ्य जैसी जानकारी शामिल होनी चाहिए। इसमें साक्ष्यकर्ता का पता तथा साक्ष्य दाखिल करने वाले पक्ष का विवरण भी स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए। 

यदि विपक्षी शपथ-पत्र दाखिल न करना चाहे तथा केवल विरोध के नोटिस में बताए गए तथ्यों पर ही भरोसा करना चाहे, तो इसकी सूचना पंजीयक तथा आवेदक को निर्धारित समय के भीतर लिखित रूप में दी जानी चाहिए। यदि विपक्षी साक्ष्य प्रस्तुत करने में असफल रहता है तो विरोध नोटिस को छोड़ने का विकल्प मौजूद है। इसलिए, विपक्षी के लिए नियम 45 का पालन करना महत्वपूर्ण है, ताकि यह पता चले कि आवेदक के चिह्न का लगातार विरोध हो रहा है। यदि विपक्षी को साक्ष्य दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता है, तो विपक्षी समय सीमा से पहले समय विस्तार का अनुरोध कर सकता है। 

व्यापार चिन्ह नियम, 2017 के नियम 46 के तहत साक्ष्य शपथ पत्र

व्यापार चिन्ह नियम, 2017 के नियम 46 के तहत आवेदक को अपने व्यापार चिन्ह के आवेदन के समर्थन में विपक्षी द्वारा साक्ष्य प्रस्तुत करने के दो माह के भीतर साक्ष्य सहित शपथ पत्र प्रस्तुत करने की अनुमति है। आवेदक पहले से प्रस्तुत प्रति-कथन या साक्ष्य पर भरोसा करने का विकल्प भी चुन सकता है। 

साक्ष्य दाखिल करना और प्रस्तुत करना

  • समय-सीमा: दो महीने के भीतर आवेदक को साक्ष्य दाखिल करना होगा, तथा यदि उसे एक महीने का समय विस्तार चाहिए तो आवेदक पंजीयक से अनुरोध कर सकता है।
  • साक्ष्य का प्रारूप: यह आमतौर पर व्यापार चिन्ह साक्ष्य के लिए एक प्रतिरूप प्रदान करता है। इससे पता चलता है कि व्यापार चिन्ह जनता के लिए कितना समान या भ्रामक है। 
  • छूट का विकल्प: आवेदकों के पास साक्ष्य दाखिल करने से छूट का विकल्प होता है और वे केवल अपने प्रति-कथन या पूर्व में प्रस्तुत साक्ष्य पर ही भरोसा कर सकते हैं, जिसके लिए वे लिखित रूप में विपक्षी और पंजीयक को सूचित कर सकते हैं। 
  • साक्ष्य प्रस्तुत करना: यहां, आवेदक अपने साक्ष्य शपथ पत्र की एक प्रति विपक्षी को सौंपता है।
  • विफलता: समय सीमा के भीतर साक्ष्य या छूट पत्र दाखिल न करने पर आवेदन रद्द किया जा सकता है। 

नियम 47 के अंतर्गत विपक्ष के समर्थन में साक्ष्य

व्यापार चिन्ह नियम 2017 के नियम 47 के तहत विपक्षी, आवेदक द्वारा नियम 46 के तहत दायर प्रति-साक्ष्य पर उत्तर साक्ष्य दायर कर सकता है। विपक्षी के पास नियम 46 के साक्ष्य प्राप्त होने से लेकर उत्तर साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए एक माह का समय होता है। हालाँकि, उत्तर साक्ष्य प्रस्तुत करना वैकल्पिक है, और यदि विपक्षी कुछ भी प्रस्तुत नहीं करना चाहता है तो विपक्ष सुनवाई के लिए आगे बढ़ेगा। 

यदि विपक्षी व्यापार चिन्ह नियम, 2017 के नियम 47 के तहत जवाब दाखिल नहीं करना चाहता है, तो व्यापार चिन्ह पंजीयक आवेदक के बयान और दस्तावेजों को स्वीकार कर सकता है। इसका मतलब यह है कि सुनवाई के दौरान विपक्षी उन्हें चुनौती नहीं दे सकता, टिप्पणी नहीं कर सकता या इनकार नहीं कर सकता है। 

विपक्षी नियम 47 के तहत उत्तर साक्ष्य दाखिल करने के अपने अधिकार का भी त्याग कर सकता है और उसके पास नियम 45 के तहत दायर विपक्षी नोटिस और साक्ष्य पर पूरी तरह निर्भर रहने का विकल्प है। 

पंजीयक के पास शपथपत्र या मौखिक गवाही के आधार पर साक्ष्य को अनुमति देने या अस्वीकार करने का विवेकाधीन अधिकार है। पंजीयक के पास आवेदक या विपक्षी को कार्यवाही के दौरान अतिरिक्त साक्ष्य प्रस्तुत करने की अनुमति देने का भी अधिकार है। 

सुनवाई का संचालन

दोनों पक्षों द्वारा साक्ष्य चरण पूरा हो जाने के बाद, पंजीयक सुनवाई की तारीख तय करेगा और पक्षों को इसकी सूचना दी जाएगी। सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध दोनों पक्षों द्वारा किया जा सकता है। अनुरोधकर्ता पक्ष को 900 रुपये की निर्धारित शुल्क के साथ प्रारूप टीएम-एम के तहत कारण बताना होगा, और अनुरोधकर्ता पक्ष को सुनवाई की तारीख से कम से कम 3 दिन पहले यह कारण बताना होगा। इसके अतिरिक्त, किसी भी पक्ष को दो से अधिक स्थगन नहीं दिए जाएंगे और यह स्थगन 30 दिनों से अधिक का नहीं होगा। 

हालाँकि, स्थगन के ऐसे अनुरोध को स्वीकार करना पंजीयक पर निर्भर करता है। यदि पंजीयक द्वारा स्थगन स्वीकार कर लिया जाता है, तो इसकी सूचना पक्षों को तदनुसार दी जाएगी। यदि कोई भी पक्ष निर्दिष्ट समय पर सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं होता है, तो पंजीयक तदनुसार दूसरे पक्ष के पक्ष में आदेश पारित करेगा। पंजीयक का ऐसा निर्णय अन्य पक्षों को दिए गए तामिल (सर्विस);पते पर लिखित रूप में सूचित किया जाएगा। हालांकि, यदि दोनों पक्ष निर्दिष्ट समय और तिथि पर सुनवाई में उपस्थित होते हैं, तो पंजीयक दोनों पक्षों को सुनवाई और प्रस्तुत साक्ष्य की समीक्षा करने का अवसर प्रदान करेगा; इसके बाद यह निर्धारित किया जाएगा कि व्यापार चिन्ह पंजीकृत किया जाएगा या नहीं, जिससे कार्यवाही अंतिम निर्णय पर पहुंच जाएगी। 

व्यापार चिन्ह विरोध के लाभ

व्यापार चिन्ह विरोध के लाभ व्यवसाय की अखंडता की रक्षा करने और निष्पक्ष बाज़ार सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं। कुछ अतिरिक्त विशेषताएं जो व्यापार चिन्ह विरोध को लाभ पहुंचाती हैं।

  1. ब्रांड की सुरक्षा: व्यापार चिन्ह विरोध, जो व्यवसाय को दूसरों को समान चिह्न पंजीकृत करने से रोककर अपनी ब्रांड इक्विटी की रक्षा करने की अनुमति देता है। इस प्रकार, इससे यह सुनिश्चित होता है कि बाज़ार में आपकी एक विशिष्ट पहचान है। 
  2. उपभोक्ता भ्रम की रोकथाम: व्यापार चिन्ह में संभावित भ्रम का विरोध करना, क्योंकि यह उन उपभोक्ताओं के विश्वास और वफादारी को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है, जो किसी विशेष व्यापार ब्रांड के साथ कुछ गुणों और मूल्यों को जोड़ते हैं। 
  3. उल्लंघन के विरुद्ध बाधा: विरोधी प्रक्रिया संभावित उल्लंघनकर्ताओं के लिए एक बाधा है। 
  4. कानूनी लाभ और स्पष्टता: सफल विरोध जो कानूनी लाभ सुनिश्चित करता है और व्यापार चिन्ह संरक्षण की सीमाओं को स्पष्ट करता है। 
  5. लागत प्रभावी: किसी ब्रांड की रक्षा के लिए महंगे मुकदमे की तुलना में व्यापार चिन्ह विरोध करना अधिक लागत प्रभावी हो सकता है।
  6. प्रतिष्ठा प्रबंधन: किसी ऐसे व्यापार चिन्ह का विरोध करना जो किसी ब्रांड की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकता है, यह सुनिश्चित करता है कि उसकी प्रतिष्ठा खराब न हो।
  7. निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा: व्यापार चिन्ह विरोध निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा का समर्थन करता है, यह सुनिश्चित करके कि व्यवसाय स्थापित ब्रांडों की सद्भावना और प्रतिष्ठा से उचित लाभ नहीं उठा सकते हैं।  

व्यापार चिन्ह विरोध पर न्यायिक पूर्ववर्ती मामले और दिशानिर्देश

मेसर्स नंदिनी डिलक्स बनाम मेसर्स कर्नाटक कोऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर फेडरेशन लिमिटेड 

मामले के तथ्य

इस मामले में विवाद व्यापार चिन्ह “नंदिनी” को लेकर उत्पन्न हुआ था। अपीलकर्ता नंदिनी डिलक्स नामक एक रेस्तरां श्रृंखला है जो अपने खाद्य उत्पादों के लिए “नंदिनी” व्यापार चिन्ह पंजीकृत कराना चाहती है। यहां, प्रतिवादी ने अपने पंजीकृत व्यापार चिन्ह “नंदिनी” के साथ भ्रामक समानता के आधार पर उनके पंजीकरण का विरोध किया, जहां प्रतिवादी दूध और दूध से बने उत्पाद बेचता था। 

उठाए गए मुद्दे 

  1. क्या व्यापार चिन्ह “नंदिनी” प्रतिवादी के चिन्ह के समान भ्रामक है? 
  2. क्या व्यापार चिन्ह “नंदिनी” औसत उपभोक्ताओं के बीच भ्रम पैदा करने में सक्षम है?

निर्णय

भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि प्रतिवादी को “नंदिनी” चिह्न से अच्छी तरह से जाना जाता है। यदि अपीलकर्ता ने इस चिह्न का उपयोग किया है, तो यह औसत बुद्धिमान उपभोक्ता के लिए भ्रम पैदा करेगा, क्योंकि यह प्रतिवादी चिह्न “नंदिनी” के समान है। इसलिए, अदालत ने माना कि प्रतिवादी का चिह्न पर पूर्ण अधिकार है और अपीलकर्ता के व्यापार चिन्ह, “नंदिनी” के पंजीकरण के खिलाफ फैसला सुनाया। 

मेसर्स आईटीसी लिमिटेड बनाम नेस्ले इंडिया लिमिटेड (2020)

मामले के तथ्य

इस मामले में, अपीलकर्ता ने मैगी नूडल्स के लिए “मैजिकल मसाला” का उपयोग करने के लिए प्रतिवादी पर मुकदमा दायर किया, जिसने प्रतिवादी उत्पाद, यानी सनफीस्ट यिप्पी नूडल्स में इस्तेमाल किए गए अपीलकर्ता के व्यापार चिन्ह “मैजिक मसाला” का उल्लंघन किया है। अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि “मैजिक मसाला” शब्द उसके उत्पाद के व्यापार चिन्ह से भ्रामक समानता रखता है, तथा प्रतिवादी ने तर्क दिया कि यह शब्द सामान्य है तथा यह केवल स्वाद को दर्शाता है, व्यापार चिन्ह को नही दर्शाता है।

उठाए गए मुद्दे

  1. क्या प्रतिवादी द्वारा “मैजिक मसाला” शब्द का प्रयोग अपीलकर्ता के व्यापार चिन्ह का दुरुपयोग है और उनके उत्पाद को गलत तरीके से प्रस्तुत करना है? 
  2. क्या ‘मैजिक मसाला’ शब्द ने विशिष्टता हासिल कर ली है? 
  3. क्या “मैजिक मसाला” व्यापार चिन्ह संरक्षण के लिए पात्र है या यह केवल वर्णनात्मक है?

निर्णय

माननीय मद्रास उच्च न्यायालय ने प्रतिवादी का पक्ष लेते हुए कहा कि “मैजिक मसाला” केवल वर्णनात्मक था और व्यापार चिन्ह संरक्षण के लिए योग्य नहीं था। यह भी कहा गया कि दोनों उत्पादों के बीच कोई भ्रम नहीं है क्योंकि ब्रांडिंग में स्पष्ट अंतर है। 

व्यापार चिन्ह विरोध बोर्ड

व्यापार चिन्ह विरोध बोर्ड (टीओबी) एक नियामक निकाय या प्राधिकरण है जो व्यापार चिन्ह विरोध कार्यवाही की देखरेख और निर्णय देने के लिए जिम्मेदार है। बोर्ड का उद्देश्य तीसरे पक्षों को व्यापार चिन्ह आवेदनों के पंजीकरण को चुनौती देने के लिए एक मंच प्रदान करना है, जिनके बारे में उनका मानना है कि वे उनके अधिकारों का उल्लंघन करते हैं या उपभोक्ताओं के बीच भ्रम पैदा करते हैं। 

विभिन्न देशों में व्यापार चिन्ह विरोध बोर्डों का अवलोकन

भारत

भारत में व्यापार चिन्ह विरोध प्रक्रिया व्यापार चिन्ह अधिनियम, 1999 और व्यापार चिन्ह नियम, 2017 द्वारा शासित होती है। यहां, विरोध व्यापार चिन्ह पंजीकरण (रजिस्ट्री) के समक्ष दायर किया जाता है, जो भारत में व्यापार चिन्ह विरोध बोर्ड के रूप में कार्य करता है।

  • संरचना और इसकी भूमिका: पंजीयक व्यापार चिन्ह विरोध प्रक्रिया पर नजर रखता है। विरोध का नोटिस प्राप्त होने पर पंजीयक दोनों पक्षों को अपने साक्ष्य और तर्क प्रस्तुत करने की अनुमति देकर मामले की जांच करता है और अंततः मामले का निर्णय करने के लिए सुनवाई आयोजित करता है। पंजीयक अंतिम निर्णय देता है। 
  • अधिकार क्षेत्र: पंजीयक के निर्णय के विरुद्ध बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड (आईपीएबी) के समक्ष अपील की जा सकती है। 

संयुक्त राज्य अमेरिका

संयुक्त राज्य अमेरिका में, व्यापार चिन्ह विरोध बोर्ड संयुक्त राज्य अमेरिका पेटेंट और व्यापार चिन्ह कार्यालय (यूएसपीटीओ) के अधीन कार्य करता है, विशेष रूप से व्यापार चिन्ह परीक्षण और अपील बोर्ड (टीटीएबी) के रूप में कार्य करता है। 

  • संरचना और भूमिका: टीटीएबी न केवल विरोध कार्यवाही बल्कि व्यापार चिन्ह पंजीकरण से संबंधित रद्दीकरण कार्यवाही और अपील भी संभालता है। यहां, विरोध का नोटिस देकर विरोध दर्ज किया जाता है, जिसके बाद कई चरण होते हैं जिनमें खोज, साक्ष्य प्रस्तुत करना और सुनवाई शामिल होती है। 
  • अधिकार क्षेत्र: टीटीएबी के निर्णयों के विरुद्ध संघीय परिधि (सर्किट) के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के अपील न्यायालयों में अपील की जा सकती है या संघीय जिला न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। 

यूनाइटेड किंगडम

यूनाइटेड किंगडम में, बौद्धिक संपदा कार्यालय (आईपीओ) व्यापार चिन्ह विरोध बोर्ड के रूप में कार्य करता है। आईपीओ आधिकारिक सरकारी एजेंसी है जो ब्रिटेन में बौद्धिक संपदा (आईपी) अधिकारों का प्रबंधन करती है, जिसमें व्यापार चिन्ह, पेटेंट और डिजाइन शामिल हैं। 

  • संरचना और भूमिका: यूके आईपीओ विरोध कार्यवाही को संभालता है, जहां तीसरा पक्ष व्यापार चिन्ह के पंजीकरण को व्यापार चिन्ह आधिकारिक पत्रिका में प्रकाशित होने के बाद चुनौती दे सकते हैं। यह प्रक्रिया, जिसमें विरोध का नोटिस दाखिल करना शामिल है, साक्ष्य और लिखित तर्क प्रस्तुत करने के साथ आगे बढ़ती है और यदि आवश्यक हो, तो सुनवाई भी हो सकती है। 
  • अधिकार क्षेत्र: यूके, आईपीओ द्वारा निर्णय, जिसके विरुद्ध नियुक्त व्यक्ति या उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है। 

कनाडा

कनाडा में, व्यापार चिन्ह विरोध बोर्ड कनाडियन बौद्धिक संपदा कार्यालय (सीआईपीओ) के अधीन कार्य करता है। 

  • संरचना और भूमिका: बोर्ड को व्यापार चिन्ह आवेदनों के विरुद्ध विरोध नोटिस प्राप्त होता है। विरोध प्रक्रिया में विरोध का बयान, प्रति-कथन, साक्ष्य प्रस्तुत करना और यदि आवश्यक हो तो मौखिक सुनवाई शामिल है। 
  • अधिकार क्षेत्र: बोर्ड के निर्णय के विरुद्ध कनाडा के संघीय न्यायालय में भी अपील की जा सकती है। 

व्यापार चिन्ह की आपत्ति और व्यापार चिन्ह के विरोध के बीच अंतर

क्र.सं. विवरण व्यापार चिन्ह की आपत्ति व्यापार चिन्ह का विरोध
1. आरंभिक चरण व्यापार चिन्ह की आपत्ति, जो व्यापार चिन्ह पंजीकरण के लिए आवेदन प्रस्तुत करने के तुरंत बाद शुरू की जाती है। पंजीकरण के प्रारंभिक चरण में ही इस पर आपत्ति की जाती है। व्यापार चिन्ह का विरोध, व्यापार चिन्ह की आपत्ति के बाद का चरण है।
2. एक व्यक्ति जो पहल करता है व्यापार चिन्ह के आवेदन में व्यापार चिन्ह परीक्षक द्वारा व्यापार चिन्ह की आपत्ति उठाई जाती है। कोई भी तीसरा पक्ष व्यापार चिन्ह के पंजीकरण के विरुद्ध व्यापार चिन्ह विरोध दर्ज करा सकता है।
3. प्रपत्र का स्वरूप परीक्षक व्यापार चिन्ह की जांच रिपोर्ट के रूप में व्यापार चिन्ह आपत्ति दर्ज करता है। कोई भी तीसरा पक्ष विरोध नोटिस का प्रारूप दाखिल कर सकता है। 
4. प्रस्तुतिकरण का प्रपत्र परीक्षक परीक्षा की रिपोर्ट में व्यापार चिन्ह की आपत्ति प्रस्तुत करता है, जिसे व्यापार चिन्ह के लिए प्रस्तावित किया जाता है। जिन भी पक्षों ने विरोध दर्ज कराया है, उन्हें प्रस्तावित व्यापार चिन्ह के विरोध के साक्ष्य और कारणों के साथ व्यापार चिन्ह विरोध का नोटिस प्रस्तुत करना होगा।
5. प्रारंभ के लिए उत्तर आवेदक को व्यापार चिन्ह की आपत्ति प्राप्त होने के एक महीने के भीतर व्यापार चिन्ह के रजिस्ट्रार को जांच रिपोर्ट का जवाब भेजना होगा। आवेदक को विरोध नोटिस प्राप्त होने के दो महीने के भीतर विरोध नोटिस का उत्तर भेजना होगा।
6. अपील यदि व्यापार चिन्ह की आपत्ति का उत्तर भेजने के बाद भी व्यापार चिन्ह के लिए आवेदन अस्वीकार कर दिया जाता है तो आवेदक अपील दायर कर सकता है। व्यापार चिन्ह के आवेदन के विरुद्ध व्यापार चिन्ह विरोध के मामले में रजिस्ट्रार के निर्णय के विरुद्ध अपील की जा सकती है।
7. शुल्क व्यापार चिन्ह की आपत्ति के उत्तर के लिए आवेदक को कोई शुल्क नहीं देना होगा। आवेदक को विरोध नोटिस का उत्तर प्रस्तुत करने के लिए उचित शुल्क का भुगतान करना आवश्यक है।
8. प्रक्रिया की अंतिमता व्यापार चिन्ह की आपत्ति प्रक्रिया की अंतिमता के बाद जब व्यापार चिन्ह का आवेदन स्वीकार कर लिया जाता है, तो व्यापार चिन्ह को व्यापार चिन्ह पत्रिका में प्रकाशित कर दिया जाता है। जब व्यापार चिन्ह के विरोध प्रक्रिया की अंतिमता के बाद व्यापार चिन्ह को स्वीकार कर लिया जाता है, तो निर्णय आवेदक और तीसरे पक्ष को सूचित किया जाता है, जिसने विरोध के नोटिस के लिए आवेदन किया था।

निष्कर्ष

विपक्ष यह सुनिश्चित करता है कि बाजार का रास्ता साफ हो, जो भ्रम के कोहरे से मुक्त हो। व्यापार चिन्ह विरोध, व्यापार चिन्ह पंजीकरण प्रक्रिया के प्रमुख चरणों में से एक है। चूंकि व्यापार के लिए व्यापार चिन्ह महत्वपूर्ण है, इसलिए उस व्यापार चिन्ह की सुरक्षा करना भी एक महत्वपूर्ण कदम है, और व्यापार चिन्ह विरोध के रूप में सुरक्षा प्रदान की जाती है। व्यापार चिन्ह विरोध विशिष्ट व्यापार चिन्ह की सुरक्षा करने और उपभोक्ता को भ्रमित होने से बचाने की एक प्रक्रिया है। व्यापार चिन्ह विरोध की कार्यवाही प्रक्रियात्मक नियमों पर निर्भर करती है, जिसमें नोटिस दाखिल करने, प्रति-कथन और साक्ष्य प्रस्तुत करने का समय शामिल है। अपीलकर्ता के विपक्षी को अपने व्यापार चिन्ह के समर्थन में साक्ष्य प्रस्तुत करना होगा, तथा यह भी दर्शाना होगा कि इससे भ्रम, समानता उत्पन्न नहीं होती है, या यह दुर्भावना से नहीं बनाया गया है। प्रक्रियात्मक निष्पक्षता यह सुनिश्चित करती है कि पक्षों को अपना मामला प्रस्तुत करने का उचित अवसर मिले। अंततः, पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य व्यवसाय को अनुचित प्रतिस्पर्धा और भ्रम से बचाकर बाज़ार में स्पष्टता और निष्पक्षता बनाए रखना है। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू)

क्या पंजीयक के निर्णय के विरुद्ध अपील की जा सकती है?

हां, यदि कोई भी पक्ष दिए गए निर्णय से असहमत हो तो पंजीयक के निर्णय के विरुद्ध बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड (आईपीएबी) में अपील की जा सकती है। 

यदि निर्धारित समय के भीतर विरोध दर्ज नहीं कराया गया तो क्या होगा?

यदि चार महीने के भीतर विरोध दर्ज नहीं किया जाता है, तो व्यापार चिन्ह का आवेदन पंजीकरण के लिए आगे बढ़ जाता है। 

क्या चिन्ह का विरोध दर्ज करने के लिए कोई शुल्क है?

हां, विरोध दर्ज कराने के लिए शुल्क देना होगा। लेकिन यह उद्धृत आधारों की संख्या के अनुसार अलग-अलग होता है और 2,000 रुपये से 9,000 रुपये तक होता है। 

व्यापार चिन्ह विरोध प्रक्रिया में पंजीयक क्या करता है?

व्यापार चिह्नों का पंजीयक विरोध प्रक्रिया से गुजरता है, पक्षों द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य की समीक्षा करता है, सुनवाई करता है, और बाद में निर्णय लेता है कि चिह्न को पंजीकृत किया जाना चाहिए या नहीं। 

संदर्भ

 

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