व्यापार चिह्न अधिनियम 1999 की धारा 59

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यह लेख Vidushi Kachroo द्वारा लिखा गया है। यह लेख व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999 की धारा 59 के तहत दिए गए पंजीकृत व्यापार चिह्न के परिवर्तन के बारे में विस्तृत विवरण प्रदान करता है। लेख अधिनियम की धारा 59 के प्रावधानों की विस्तृत व्याख्या प्रदान करता है, और व्यापार चिह्न नियम, 2017 तहत दिए गए नियमों की भी व्याख्या करता है। इसका अनुवाद Pradyumn Singh के द्वारा किया गया है।

Table of Contents

परिचय

जब हम ‘व्यापार चिह्न’ शब्द के बारे में सोचते हैं, तो हम एक सामान्य परिभाषा पर आते हैं कि यह एक प्रतीक, नाम या लोगो है, जो हमें किसी ब्रांड की पहचान करने में मदद करता है। कानूनी शब्दों में, ‘व्यापार चिह्न’ एक ऐसे चिह्न को संदर्भित करता है जिसका उपयोग ग्राहक दो संस्थाओं के बीच अंतर करने के लिए कर सकते हैं। इसका मतलब एक ऐसा चिह्न है जो एक व्यक्ति की वस्तुओं और सेवाओं को दूसरे व्यक्ति की वस्तुओं और सेवाओं से अलग करता है। यह परिभाषा व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999 (इसके बाद इसे अधिनियम के रूप में संदर्भित किया गया है) की धारा 2(1)(zb) मे दी गयी है।

यह धारा प्रदान करती है कि व्यापार चिह्न एक ऐसा चिह्न है जिसे ग्राफिक रूप से दिखाया या दर्शाया जा सकता है। व्यापार चिह्न कुछ भी हो सकता है जैसे सामान का आकार, उनकी पैकेजिंग, लोगो, अंक, प्रतीक या रंगों का संयोजन आदि। मालिकों के सामान और सेवाओं की साख(गुड्विल) उनके व्यापार चिह्न के साथ जुड़ी होती है। यह मालिकों द्वारा दी जाने वाली वस्तुओं या सेवाओं की गुणवत्ता का भी प्रतिनिधित्व करता है। 

व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999, व्यापार चिह्न की सुरक्षा के लिए भारत में प्रचलित कानून है। ऐसी कुछ परिस्थितियां हैं, जहाँ एक अपंजीकृत व्यापार चिह्न को भी अधिनियम के तहत सुरक्षा दी जा सकती है, लेकिन केवल एक पंजीकृत व्यापार चिह्न को हि बदलने की अनुमति है। अधिनियम की धारा 2(1)(w) के अंतर्गत एक पंजीकृत व्यापार चिह्न को एक ऐसे व्यापार चिह्न के रूप में परिभाषित किया गया है, जो वास्तव में रजिस्टर पर मौजूद है और लागू रहता है। अधिनियम किसी भी पंजीकृत उपयोगकर्ता को अपना व्यापार चिह्न बदलने से प्रतिबंधित नहीं करता है। हालांकि, कुछ शर्तें हैं जो प्रस्तावित परिवर्तन को अमान्य बनाती हैं।

व्यापार चिह्न में परिवर्तन में लोगो, नाम, डिज़ाइन या व्यापार चिह्न के ऐसे किसी अन्य पहलू को संशोधित करना या बदलना शामिल हो सकता है। इस तरह के परिवर्तन से इसकी मूल पहचान प्रभावित नहीं होनी चाहिए। परिवर्तन का मतलब व्यापार चिह्न की मूल पहचान को बदलना नहीं है। परिवर्तन रीब्रांडिंग रणनीति, नवीनतम बाजार बनाना, कानूनी आवश्यकताओं आदि के परिणामस्वरूप किए जा सकते हैं। पंजीकृत उपयोगकर्ता व्यापार चिह्न में बदलाव के लिए आवेदन दायर कर सकता है, लेकिन पंजीयक (रजिस्ट्रार) द्वारा अनुरोधित परिवर्तनों की प्रकृति और सीमा के आधार पर इस तरह के आवेदन को स्वीकार या अस्वीकार भी किया जा सकता है। अधिनियम में वे परिवर्तन निर्धारित किए गए हैं जिन्हें किसी भी व्यापार चिह्न में करने की अनुमति नहीं है। 

चूँकि हमने व्यापार चिह्न और उसके परिवर्तन का मूल अर्थ समझ लिया है, तो आइए व्यापार चिह्न परिवर्तन की पूरी प्रक्रिया को गहराई से समझें।

पंजीकृत व्यापार चिह्न का परिवर्तन (व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999 की धारा 59)

अधिनियम की धारा 59 विशेष रूप से एक पंजीकृत व्यापार चिह्न में परिवर्तन की प्रक्रिया और शर्तों को निर्धारित करती है। अधिनियम की धारा 2(1)(w) एक पंजीकृत व्यापार चिह्न को परिभाषित करती है। एक पंजीकृत व्यापार चिह्न का सीधा अर्थ है एक ऐसा व्यापार चिह्न जिसे व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999 के तहत पंजीकृत और लागू किया गया है। व्यापार चिह्न पंजीयक द्वारा व्यापार चिह्न रजिस्टर में पंजीकृत किया जाता है। एक पंजीकृत व्यापार चिह्न को, यदि आवश्यक हो, तो अधिनियम की धारा 59 और व्यापार चिह्न नियम, 2017 के अनुसार परिवर्तित किया जा सकता है।

एक व्यापार चिह्न को इस तरह से परिवर्तित नहीं किया जा सकता है कि ब्रांड की पहचान पूरी तरह से बदल जाए। केवल कुछ ही परिवर्तन किए जा सकते हैं जो व्यापार चिह्न की केंद्रीय पहचान को प्रभावित नहीं करते हैं। उदाहरण के लिए, भारत में प्रसिद्ध व्यापार चिह्न, अमूल ने वर्षों में अपने लोगो में परिवर्तन किए हैं जैसे कि टाइपोग्राफी में मामूली परिवर्तन, स्पष्टता और मापनीयता (स्केलेबिलिटी) के लिए समायोजन आदि, लेकिन सफेद पृष्ठभूमि पर लाल रंग में लोगो का मुख्य विषय समान रहता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि लाल और सफेद थीम ब्रांड की मुख्य पहचान बन गई है और इसलिए, अधिनियम की धारा 59 के तहत इसे बदलने की अनुमति नहीं होगी।

आम तौर पर, पंजीकृत व्यापार चिह्न के मालिक के नाम, फ़ॉन्ट या डिज़ाइन में बदलाव की अनुमति है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ऐसे बदलाव व्यापार चिह्न को पूरी तरह से नहीं बदलते हैं।

यदि व्यापार चिह्न परिवर्तन के आवेदन का किसी व्यक्ति द्वारा विरोध किया जाता है तो विपक्षी कार्यवाही से गुजरने के बाद परिवर्तन किया जा सकता है। अंत में, एक बार जब विरोध की कार्यवाही बंद हो जाती है, तो व्यापार चिह्न पंजीयक उचित समझे जाने पर परिवर्तन की अनुमति दे सकता है। 

इस अवधारणा को बेहतर ढंग से समझने के लिए, आइए धारा 59 की विस्तृत व्याख्या देखें।

व्यापार चिह्न अधिनियम की धारा 59(1)

इस उपधारा में कहा गया है कि व्यापार चिह्न के पंजीकृत मालिक द्वारा ऐसे पंजीकृत व्यापार चिह्न को जोड़ने या बदलने के लिए आवेदन किया जा सकता है। आवेदन व्यापार चिह्न पंजीयक के पास दाखिल किया जाना है। आवेदन कानून द्वारा निर्धारित तरीके से, यानी व्यापार चिह्न नियम, 2017 के प्रावधानों के अनुसार दायर किया जाएगा।

हालाँकि, ध्यान देने योग्य एकमात्र महत्वपूर्ण बात यह है कि जोड़ या परिवर्तन से व्यापार चिह्न की पहचान पूरी तरह से प्रभावित या परिवर्तित नहीं होनी चाहिए। सरल शब्दों में, किसी व्यापार चिह्न को पूरी तरह से नहीं बदला जा सकता है। इसकी मूल पहचान को बरकरार रखना होगा। पंजीयक के पास व्यापार चिह्न में बदलाव के लिए अनुमति देने या ऐसी अनुमति देने से इनकार करने का अधिकार है। वह अपनी समझ के अनुसार किसी भी शर्त पर और ऐसी सीमाओं के अधीन अनुमति दे सकता है।

व्यापार चिह्न अधिनियम की धारा 59(2)

यह उपधारा पंजीयक द्वारा पालन की जाने वाली प्रक्रिया बताती है। इस धारा के तहत किए गए किसी भी आवेदन को निर्धारित तरीके से विज्ञापित (ऐडवर्टाइज़्ड) किया जा सकता है यदि पंजीयक को लगता है कि ऐसा करना आवश्यक या समीचीन (इक्स्पीडीएन्ट) है। यदि आवेदन विज्ञापित किया गया है और किसी व्यक्ति द्वारा पंजीयक को ऐसे व्यापार चिह्न के परिवर्तन का विरोध का नोटिस प्रस्तुत किया गया है, तो ऐसे मामले में, यदि आवश्यक हो, तो दोनों पक्षों को सुनने के बाद पंजीयक द्वारा मामले का निर्णय लिया जाएगा। 

विरोध का नोटिस निर्धारित तरीके से और उस तारीख से निर्धारित समय अवधि के भीतर दायर किया जाएगा जिस दिन व्यापार चिह्न में बदलाव के लिए आवेदन विज्ञापित किया गया था।

व्यापार चिह्न अधिनियम की धारा 59(3)

यह उपधारा यह प्रावधान करती है कि जहां पंजीयक इस धारा के तहत व्यापार चिह्न में बदलाव के लिए अनुमति देता है, तो परिवर्तित व्यापार चिह्न को निर्धारित तरीके से विज्ञापित किया जाएगा। हालांकि, यदि आवेदन पहले ही उपधारा (2) के तहत पंजीयक द्वारा विज्ञापित किया जा चुका है, तो ऐसे मामले में, परिवर्तित व्यापार चिह्न का विज्ञापन करना आवश्यक नहीं है।

पंजीकृत व्यापार चिह्न में परिवर्तन की प्रक्रिया

यदि पंजीकृत मालिक द्वारा निर्धारित तरीके से व्यापार चिह्न में परिवर्तन के लिए आवेदन दायर किया गया है तो अधिनियम की धारा 59 पंजीयक की शर्तों और प्राधिकार को निर्धारित करती है। यह निर्धारित तरीका, जैसा कि इस धारा में उल्लिखित है, उन निर्धारित नियमों और प्रक्रियाओं को संदर्भित करता है जिनका व्यापार चिह्न में परिवर्तन के लिए पालन किया जाना है। व्यापार चिह्न परिवर्तन की प्रक्रिया व्यापार चिह्न नियम, 2017 में नियम 102 से नियम 104 के साथ नियम 45 से 51 तक दी गई है। परिवर्तन के लिए आवेदन करते समय इन नियमों का पालन करना होगा।

आइए उन चरणों के बारे में जानें जिनका एक पंजीकृत व्यापार चिह्न में परिवर्तन करने के लिए पालन किया जाना चाहिए।

आवेदन पत्र दाखिल करना

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  • नियम 102: इसमें कहा गया है कि व्यापार चिह्न का पंजीकृत मालिक ऐसे पंजीकृत व्यापार चिह्न को जोड़ने या बदलने की अनुमति का अनुरोध करने के लिए  फॉर्म टीएम-पी मे लिखित रूप से आवेदन दाखिल करेगा। मालिक को इस बात की प्रतियां भी देनी होंगी कि व्यापार चिह्न को जोड़ने या बदलने के बाद वह कैसा दिखेगा।

आवेदन की एक प्रति और इस प्रकार परिवर्तित या संशोधित व्यापार चिह्न की प्रतियां भी आवेदक द्वारा प्रत्येक पंजीकृत उपयोगकर्ता को दी जाएंगी, यदि कोई हो। पंजीकृत उपयोगकर्ता वह व्यक्ति है जिसे पंजीकृत व्यापार चिह्न का उपयोग करने के लिए पंजीकृत मालिक द्वारा अधिकृत किया गया है।

परिवर्तन के लिए आवेदन या तो ऑनलाइन या व्यापार चिह्न लेखागार कार्यालय में जाकर दायर किया जा सकता है। आवेदन दाखिल करने के लिए शुल्क के रूप में एक निश्चित राशि का भुगतान भी करना पड़ता है। यदि परिवर्तन मालिक के पते या नाम के संबंध में है तो आवश्यक दस्तावेज संलग्न करना भी आवश्यक है।

  • नियम 103(3): यदि कोई विरोध नहीं है, तो उप-नियम (2) में निर्दिष्ट समय के भीतर, पंजीयक, आवेदक को सुनने के बाद, यदि वह चाहे, आवेदन को अस्वीकार कर देगा और आवेदक को लिखित रूप में अपना निर्णय सूचित करेगा।

साक्ष्य

नियम 45-51 प्रतिद्वंद्वी और आवेदक द्वारा अपने आवेदन के समर्थन में साक्ष्य प्रस्तुत करने की प्रक्रिया निर्धारित करते हैं। 

  • नियम 45: यह नियम प्रतिद्वंद्वी द्वारा अपने विरोध का समर्थन करने के लिए साक्ष्य, यदि कोई हो, तो प्रस्तुत करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को निर्धारित करता है। 

नियम 45(1) में कहा गया है कि प्रतिद्वंद्वी को प्रति कथन की प्रति प्राप्त होने की तारीख से 2 महीने की समय अवधि दी जाती है, जिसके भीतर वह पंजीयक को कोई भी साक्ष्य प्रस्तुत करेगा जो वह अपने विरोध नोटिस के समर्थन में पेश करना चाहता है।

कोई साक्ष्य न होने की स्थिति में, वह पंजीयक और आवेदक को लिखित रूप में सूचित करेगा कि वह कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं करना चाहता है; बल्कि, उनका इरादा विरोध के नोटिस में बताए गए तथ्यों पर भरोसा करने का है।

साक्ष्य एक हलफनामे के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा, और प्रतिद्वंद्वी उसके द्वारा पंजीयक को सौंपे गए साक्ष्य की प्रतियां, प्रदर्शन सहित, आवेदक को देगा और पंजीयक को लिखित रूप में ऐसे वितरण के बारे में सूचित भी करेगा।

नियम 45(2) में आगे कहा गया है कि यदि प्रतिद्वंद्वी उपनियम (1) के तहत उल्लिखित निर्धारित समय अवधि के भीतर कोई कार्रवाई नहीं करता है, तो ऐसी स्थिति में, उसके विरोध के नोटिस को छोड़ दिया गया माना जाएगा। 

  • नियम 46: यह नियम आवेदक द्वारा अपने प्रति कथन के समर्थन में साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को निर्धारित करता है। नियम 46(1) में कहा गया है कि आवेदक को 2 महीने का समय भी दिया जाता है, जिसके भीतर वह पंजीयक के पास शपथ पत्र के रूप में साक्ष्य जमा करेगा या छोड़ देगा, जिसे वह अपने प्रति कथन के समर्थन में प्रस्तुत करना चाहता है। 

यदि वह कोई साक्ष्य प्रस्तुत करने की इच्छा नहीं रखता है, तो ऐसी स्थिति में, वह पंजीयक और प्रतिद्वंद्वी को सूचित करेगा कि वह कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं करना चाहता है और प्रति कथन में लिखे तथ्यों पर भरोसा करना चाहता है। 

2 महीने की समयावधि उस तारीख से शुरू होगी जिस दिन उसे प्रतिद्वंद्वी द्वारा दी गई शपथ पत्रों की प्रतियां प्राप्त हुईं।

यदि आवेदक उस साक्ष्य पर भरोसा करना चाहता है जो उसने प्रश्नगत आवेदन के संबंध में पहले ही छोड़ दिया है, तो उसे इसकी सूचना पंजीयक और प्रतिद्वंद्वी को देनी होगी।

यदि आवेदक कोई साक्ष्य प्रस्तुत करता है या अपने आवेदन के संबंध में उसके द्वारा पहले छोड़े गए किसी साक्ष्य पर भरोसा करता है, तो वह प्रदर्शन सहित ऐसे शपथ पत्रों की प्रतियां प्रतिद्वंद्वी को देगा और पंजीयक को ऐसे वितरण के बारे में लिखित रूप में सूचित करेगा। 

नियम 46(2) में कहा गया है कि यदि आवेदक उप-नियम (1) के तहत उल्लिखित समय अवधि के भीतर कोई कार्रवाई नहीं करता है, तो यह माना जाएगा कि उसने अपना आवेदन छोड़ दिया है।

  • नियम 47: प्रतिद्वंद्वी, आवेदक द्वारा प्रस्तुत शपथ पत्रों की प्रतियां प्राप्त करने के 1 महीने के भीतर, आवेदक के उत्तर के रूप में, एक शपथ पत्र के रूप में, पंजीयक के पास कोई और सबूत छोड़ सकता है। यदि प्रतिद्वंद्वी द्वारा आवेदक को उत्तर के रूप में कोई साक्ष्य दिया जाता है, तो वह आवेदक को ऐसे साक्ष्य की प्रतियां प्रदान करेगा और पंजीयक को ऐसे वितरण के बारे में लिखित रूप से सूचित करेगा। 
  • नियम 48: यह नियम कहता है कि पंजीयक आवंटित समय के बाद किसी भी पक्ष से कोई साक्ष्य स्वीकार नहीं करेगा। हालांकि, पंजीयक किसी भी पक्ष को कार्यवाही के किसी भी चरण में साक्ष्य प्रस्तुत करने की अनुमति दे सकता है। ऐसा प्रस्तुतीकरण किसी भी नियम या लागत के अधीन हो सकता है जैसा वह उचित समझे।
  • नियम 49: इस नियम के अनुसार, यदि कार्यवाही के किसी भी चरण में संदर्भित कोई दस्तावेज़ हिंदी या अंग्रेजी के अलावा किसी अन्य भाषा में है, तो ऐसे दस्तावेज़ का हिंदी या अंग्रेजी में अनुवाद किया जाएगा। साथ ही, अनुवाद की एक सत्यापित प्रति पंजीयक को प्रस्तुत की जाएगी और ऐसे अनुवादित दस्तावेज़ की एक प्रति प्रतिद्वंदी को दी जाएगी।

सुनवाई एवं निर्णय

  • नियम 50: सभी साक्ष्य प्रस्तुत करने के बाद, साक्ष्य चरण बंद हो जाता है, और पंजीयक सुनवाई की पहली तारीख के लिए पक्षों को नोटिस देगा। सुनवाई की पहली तारीख उस तारीख से 1 महीने के बाद निर्धारित की जाएगी जिस दिन यह नोटिस दिया गया था, जिससे पक्षों को तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिल सके।

कार्यवाही का एक पक्ष पंजीयक से सुनवाई को स्थगित करने का अनुरोध कर सकता है। ऐसा अनुरोध फॉर्म टीएम-एम में किया जाएगा, जिसमें उचित कारण और निर्धारित शुल्क संलग्न होगा। अनुरोध सुनवाई की तारीख से कम से कम 3 दिन पहले किया जाना चाहिए।

पंजीयक के पास यह विवेकाधिकार है कि वह या तो इस तरह का स्थगन दे या इसे देने से इनकार कर दे। यदि पंजीयक स्थगन देता है, तो वह ऐसी शर्तें निर्धारित कर सकता है जो वह उचित समझे और सुनवाई की नई तारीख के बारे में पक्षों को सूचित कर सकता है।

यह महत्वपूर्ण है कि एक पक्ष को अधिकतम 2 स्थगन की अनुमति दी जाएगी, और प्रत्येक स्थगन 30 दिनों की अवधि के लिए होगा और उससे अधिक नहीं।

यदि आवेदक नोटिस में उल्लिखित सुनवाई की स्थगित तिथि और समय पर उपस्थित नहीं होता है, तो उसका आवेदन परित्यक्त माना जा सकता है।

यदि स्थगित सुनवाई की तारीख और समय पर प्रतिद्वंद्वी उपस्थित नहीं होता है, तो मामले को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाने में पक्ष की विफलता के कारण विरोध को खारिज किया जा सकता है। परिणामस्वरूप, आवेदन अधिनियम की धारा 19 के अधीन पंजीकरण के लिए आगे बढ़ सकता है। पंजीयक का निर्णय पक्षों को लिखित रूप में सूचित किया जाएगा, और इसे तामिल के लिए उनके द्वारा प्रदान किए गए पते पर पहुंचाया जाएगा।

पंजीयक का निर्णय पक्षों को लिखित रूप में सूचित किया जाएगा, और इसे उस पते पर वितरित किया जाएगा जो उन्होंने सेवा के लिए प्रदान किया है।

  • नियम 51: यह नियम कहता है कि पंजीयक किसी भी पक्ष को अधिनियम की धारा 21(6) के अनुसार सुरक्षा जमा राशि प्रदान करने के लिए कह सकता है। पंजीयक जमा की जाने वाली राशि निर्धारित कर सकता है और यदि वह आवश्यक समझे तो कार्यवाही के किसी भी बिंदु पर इसे बढ़ाने का विवेकाधिकार रखता है। 

परिवर्तित व्यापार चिह्न का पंजीकरण

नियम 104: इस नियम में कहा गया है कि यदि पंजीयक आवेदन की अनुमति देने का निर्णय लेता है, तो वह तदनुसार रजिस्टर में व्यापार चिह्न को बदल देगा और पत्रिका में एक अधिसूचना प्रकाशित करेगा जिसमें कहा जाएगा कि व्यापार चिह्न को परिवर्तित व्यापार चिह्न के साथ बदल दिया गया है।

परिवर्तित व्यापार चिह्न का निहितार्थ

अब मान लेते हैं कि व्यापार चिह्न बदल दिया गया है। लेकिन एक सवाल हमारे मन में रहता है – पुराने व्यापार चिह्न का क्या होता है?

एक बार जब पंजीयक द्वारा परिवर्तित व्यापार चिह्न को रजिस्टर में दर्ज कर दिया जाता है और उसे परिवर्तन के बारे में जनता को सूचित करने वाले पत्रिका में प्रकाशित कर दिया जाता है, तो नया परिवर्तित व्यापार चिह्न पुराने व्यापार चिह्न का स्थान ले लेगा। इसका मतलब यह है कि परिवर्तित व्यापार चिह्न सभी वस्तुओं और सेवाओं के लिए आधिकारिक तौर पर पंजीकृत व्यापार चिह्न होगा।

पंजीकृत मालिक को पंजीकरण का एक नया प्रमाणपत्र भी जारी किया जाएगा, जो इस बात का प्रमाण होगा कि नया परिवर्तित व्यापार चिह्न आधिकारिक तौर पर पंजीकृत हो गया है।

नए, परिवर्तित व्यापार चिह्न को पुराने के समान ही कानूनी सुरक्षा दी जाएगी। पंजीकृत मालिक परिवर्तित व्यापार चिह्न से जुड़े अपने अधिकारों को लागू करने का हकदार होगा, जिसमें दूसरों द्वारा नए व्यापार चिह्न के अनधिकृत उपयोग को रोकना भी शामिल है। लाइसेंसिंग या पंजीकृत उपयोगकर्ताओं से संबंधित पूर्व समझौतों के मामले में, समझौतों को नए परिवर्तित व्यापार चिह्न के साथ अद्यतन किया जाएगा।

जब परिवर्तित व्यापार चिह्न पंजीकृत किया जाएगा तो पुराना व्यापार चिह्न अपनी वैधता खो देगा। इसका मतलब यह है कि मालिक अपनी किसी भी व्यावसायिक गतिविधि में पुराने व्यापार चिह्न का उपयोग नहीं कर सकता है। पुराने व्यापार चिह्न का प्रयोग बंद कर दिया जाएगा। 

ऐसे परिवर्तन जिनकी अनुमति नहीं है

अधिनियम की धारा 59 के अनुसार, व्यापार चिह्न में परिवर्तन किया जा सकता है, लेकिन इस तरह से नहीं कि व्यापार चिह्न पूरी तरह से बदल जाए। इसका अर्थ है कि एक बार पंजीकृत होने के बाद, व्यापार चिह्न को पूरी तरह से नहीं बदला जा सकता है जिससे इसकी पूरी पहचान खतरे में पड़ जाए। उदाहरण के लिए, स्टारबक्स का व्यापार चिह्न हरे और सफेद रंग की थीम पर आधारित है। इसलिए, हरे और सफेद रंग की थीम को नहीं बदला जा सकता क्योंकि यह व्यापार चिह्न की पहचान बन गई है। केवल टाइपोग्राफी के फ़ॉन्ट से संबंधित मामूली परिवर्तनों की अनुमति दी जा सकती है।

इसलिए, इस धारा की व्याख्या के अनुसार, अनुमत परिवर्तन मामूली प्रकृति के हो सकते हैं और पंजीकृत व्यापार चिह्न या इसकी मूल पहचान को प्रभावित नहीं करना चाहिए। इस प्रकार के कुछ परिवर्तन निम्नलिखित हो सकते हैं:

  • पंजीकृत मालिक के नाम में परिवर्तन;
  • पंजीकृत मालिक के पते में परिवर्तन;
  • फ़ॉन्ट या शब्द स्थान में मामूली परिवर्तन जो मूल अर्थ या स्वरूप को नहीं बदलते हैं; 
  • कोई मुद्रण संबंधी त्रुटियाँ।

इनके अलावा, कुछ ऐसे बदलाव भी हैं जिनकी अनुमति नहीं है। इन परिवर्तनों का अनुमान अधिनियम की विभिन्न धाराओं के साथ-साथ व्यापार चिह्न नियम, 2017 से लगाया जा सकता है। हालांकि, धारा 59 यह व्याख्या करने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत बनी रहेगी कि क्या परिवर्तन की अनुमति दी जा सकती है और क्या नहीं। इनमें से कुछ परिवर्तन इस प्रकार हैं:

  • कोई भी परिवर्तन जो व्यापार चिह्न की मूल पहचान को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है, उसे करने की अनुमति नहीं है। इसमें लोगो, शब्द या किसी डिज़ाइन तत्व में बड़े बदलाव शामिल हो सकते हैं जो व्यापार चिह्न को विशिष्ट बनाते हैं। व्यापार चिह्न का मुख्य विचार या संदेश और व्यापार चिह्न की पहचान के लिए महत्वपूर्ण प्रतीकों या वर्णों को किसी भी स्थिति में बदला नहीं जा सकता है।
  • व्यापार चिह्न में कंपनी के नाम को दर्शाने के लिए किसी भी हस्ताक्षर का उपयोग करने का इरादा रखने वाले किसी भी बदलाव की अनुमति नहीं है।
  • व्यापार चिह्न के तहत पंजीकृत वस्तुओं और सेवाओं की सूची में जोड़ने या हटाने के लिए किसी भी बदलाव की अनुमति नहीं है। यदि वस्तुओं और सेवाओं की एक नई सूची जोड़नी है, तो विस्तार के लिए एक नया आवेदन दाखिल करना आवश्यक है।
  • जिस वर्ग में व्यापार चिह्न मूल रूप से पंजीकृत था, उसे बदला जा सकता है। व्यापार चिह्न के पंजीकरण के लिए आवेदन उस वर्ग के अंतर्गत दायर किया जाता है जिसके अंतर्गत सामान या सेवाएँ आती हैं। इस वर्ग में परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
  • व्यापार चिह्न के स्वामित्व के संबंध में आम जनता को गुमराह करने वाले किसी भी बदलाव की अनुमति नहीं है। उदाहरण के लिए, यदि व्यवसाय का स्वामित्व किसी और को हस्तांतरित कर दिया गया है, लेकिन उपयोग किए गए व्यापार चिह्न में अभी भी पिछले मालिक का नाम है, इससे जनता में भ्रम हो सकता है। इसलिए, इस तरह के मामले के संबंध में परिवर्तन बिना किसी धोखे के किए जाने चाहिए। 
  • यदि प्रस्तावित परिवर्तन प्रकृति में भ्रामक हैं या मौजूदा पंजीकृत व्यापार चिह्न के समान है तो व्यापार चिह्न में बदलाव नहीं किया जा सकता है। 

निष्कर्ष

व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999, व्यापार चिह्न के पंजीकृत मालिक को किसी भी समय ऐसे व्यापार चिह्न को बदलने का अधिकार प्रदान करता है, लेकिन कुछ सीमाओं के अधीन। अधिनियम की धारा 59 मालिक को व्यापार चिह्न को इस तरह से बदलने की अनुमति देती है कि व्यापार चिह्न की मूल पहचान प्रभावित न हो। इसका मतलब यह है कि कोई भी व्यक्ति अपने नाम पर पंजीकृत व्यापार चिह्न में कुछ जोड़ या बदलाव कर सकता है, लेकिन व्यापार चिह्न की पूरी पहचान को नहीं बदल सकता है।

व्यापार चिह्न  को मामूली परिवर्तनों के साथ बदला जा सकता है जो उपभोक्ताओं के मन में किसी भी प्रकार का भ्रम पैदा नहीं करते हैं या इसके द्वारा व्यक्त किए गए मुख्य विचार को नहीं बदलते हैं। 

उदाहरण के लिए, किसी व्यापार चिह्न का लोगो पूरी तरह से नहीं बदला जा सकता है, क्योंकि इससे अंततः आम जनता के बीच भ्रम पैदा होगा जो उस विशेष व्यापार चिह्न द्वारा एक निश्चित व्यवसाय की पहचान करने के आदी हैं। 

किसी व्यापार चिह्न को पूरी तरह से बदलने का मतलब ऐसे चिह्न से जुड़े व्यवसाय या ब्रांड की संपूर्ण पहचान को बदलना होगा। इसलिए, पंजीकृत व्यापार चिह्न में परिवर्तन की अनुमति देने के साथ-साथ, धारा 59 यह भी प्रतिबंध लगाती है कि परिवर्तन कैसे और किस हद तक किया जा सकता है। 

धारा 59 में प्रावधान दिए गए हैं कि व्यापार चिह्न को कैसे बदला जा सकता है, लेकिन इसके संबंध में विस्तृत प्रक्रिया और तरीके व्यापार चिह्न नियम, 2017 के नियम 45 से 51 के साथ नियम 102 से 104 के तहत निर्धारित किए गए हैं। ये नियम विस्तृत जानकारी देते हैं कि किस फॉर्म में आवेदन करना है, साक्ष्य कैसे प्रस्तुत किया जाता है, और विरोध के मामले में कार्यवाही कैसे होती है।

एक बार जब व्यापार चिह्न में परिवर्तन कर दिया जाता है और पंजीयक द्वारा आधिकारिक रूप से पंजीकृत कर दिया जाता है, तो यह पुराने व्यापार चिह्न की जगह ले लेता है। परिवर्तित व्यापार चिह्न को किसी भी प्रकार के उल्लंघन के खिलाफ पुराने व्यापार चिह्न को दी गई समान कानूनी सुरक्षा दी जाती है, और इसके पंजीकृत मालिक इसके लिए अनन्य अधिकारों के हकदार हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू)

व्यापार चिह्न के पंजीकरण के लिए किस फॉर्म का उपयोग किया जाता है?

व्यापार चिह्न के पंजीकरण के लिए फॉर्म टीएम-ए में आवेदन दाखिल किया जाता है। इसे व्यापार चिह्न के लिए आधिकारिक वेबसाइट के ई-फाइलिंग बिन्दु का उपयोग करके या तो ऑनलाइन दाखिल किया जा सकता है, या वैकल्पिक रूप से इसे भारत में पांच व्यापार चिह्न पंजीयक कार्यालयों में से किसी एक में भौतिक रूप से दाखिल किया जा सकता है।

क्या कोई पंजीकृत उपयोगकर्ता पंजीकृत व्यापार चिह्न निर्दिष्ट या प्रसारित कर सकता है?

नहीं, व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999 की धारा 54 के तहत यह निर्धारित करता है कि इस अधिनियम का कोई भी प्रावधान पंजीकृत उपयोगकर्ता को पंजीकृत व्यापार चिह्न के अंतरण (असाइनमेंट) या संचरण (ट्रांसमिशन) का अधिकार प्रदान नहीं करता है। पंजीकृत उपयोगकर्ता वह है जिसे व्यापार चिह्न के मालिक द्वारा उसका उपयोग करने की अनुमति दी जाती है।

किसी पंजीकृत व्यापार चिह्न को गलत तरीके से प्रस्तुत करने के लिए किसी व्यक्ति को किस धारा के तहत दंडित किया जा सकता है?

किसी व्यापार चिह्न का गलत प्रतिनिधित्व करने पर 3 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं, जैसा कि व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999 की धारा 107 में दिया गया है।

संदर्भ

 

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