भारतीय दंड संहिता के तहत राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने के अपराध का एक अवलोकन 

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यह लेख Harsha Shashwat द्वारा लिखा गया है, जो लॉसीखो से “उच्चतम न्यायालय प्रैक्टिस और मुकदमेबाजी में उन्नत डिप्लोमा: ड्राफ्टिंग, प्रक्रिया और रणनीति प्लस अधिवक्ता ऑन रिकॉर्ड परीक्षा को क्रैक करने के लिए व्यापक प्रशिक्षण” पाठ्यक्रम कर रही हैं।  इस लेख में हम भारतीय दंड संहिता के तहत राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने का एक अवलोकन करेंगे। इस लेख का अनुवाद Ayushi Shukla के द्वारा किया गया है।

परिचय  

भारतीय दंड संहिता 1860 की स्थापना ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी। भारत की स्वतंत्रता के बाद इसे कानूनी प्रणाली की नींव के रूप में अपनाया गया। भारतीय दंड संहिता अपराधों के लिए सजा निर्धारित करती है, इसलिए इसे सभी कानूनों की ‘माता’ कहा जा सकता है।  

मूल रूप से इसमें 23 अध्याय और 511 धाराएं थीं, लेकिन नवीनतम भारतीय न्याय संहिता 2023 (बी एन एस) के साथ अब इसे घटाकर 358 धाराओं तक सीमित कर दिया गया है और यह 1 जुलाई 2024 से लागू हो गई।  

राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ना क्या है?

एक ऐसा हिंसक कृत्य जो किसी देश की शांति और पवित्रता को भंग करता है, राजद्रोह (ट्रीसन) के रूप में जाना जाता है। इसमें देश के प्रति अविश्वास प्रदर्शित करने वाले विभिन्न प्रकार के व्यवहार शामिल होते हैं। राजद्रोह कई रूपों में प्रकट हो सकता है, जैसे कि पृथकतावाद (सेसेशन), विद्रोह (इंस्रैक्शन), विध्वंसक गतिविधियाँ, अलगाववाद (सेपरेटिस्म) और देश की संप्रभुता को खतरे में डालने वाले कार्य।   

पृथकतावाद में किसी क्षेत्र या व्यक्तियों के समूह का देश से अलग होकर एक स्वतंत्र राजनीतिक इकाई स्थापित करने का प्रयास शामिल है। यह मौजूदा राजनीतिक संरचना के खिलाफ एक स्पष्ट चुनौती है और केंद्र सरकार के अधिकार को चुनौती देता है। पृथकतावादी आंदोलन अक्सर जातीय, धार्मिक, या सांस्कृतिक मतभेदों, या अधिक स्वायत्तता (ऑटोनोमी) की इच्छा के कारण उत्पन्न होते हैं। 

 

दूसरी ओर, विद्रोह स्थापित सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह या बगावत है। इसमें मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था को बलपूर्वक गिराने और उसे एक नई व्यवस्था से बदलने के लिए बल या हिंसा का उपयोग शामिल है। विद्रोह अक्सर राजनीतिक शिकायतों, सरकार की नीतियों से असंतोष, या प्रतिनिधित्व की कमी के कारण प्रेरित होते हैं।   

विध्वंसक गतिविधियाँ राजद्रोह का एक और रूप हैं, जिसमें सरकार के अधिकार और स्थिरता को कमजोर करने के उद्देश्य से गुप्त कार्य शामिल हैं। इनमें प्रचार और गलत जानकारी फैलाने से लेकर तोड़फोड़ और जासूसी तक की गतिविधियाँ शामिल हो सकती हैं। विध्वंसक तत्व अक्सर गुप्त रूप से कार्य करते हैं, सरकार को भीतर से अस्थिर करने का प्रयास करते हैं।  

अलगाववाद एक बड़े राजनीतिक ढांचे से अलग होने की वकालत या प्रयास है। अलगाववादी आंदोलन जातीय, धार्मिक, या भाषाई मतभेदों के आधार पर एक स्वतंत्र राज्य या स्वायत्त क्षेत्र बनाने की कोशिश करते हैं। अलगाववाद हिंसक संघर्षों को जन्म दे सकता है, क्योंकि यह देश की क्षेत्रीय अखंडता और एकता को चुनौती देता है।  

अंततः, देश की संप्रभुता को खतरे में डालने वाले किसी भी कार्य में स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता, या राष्ट्र की राजनीतिक स्वायत्तता को धमकी देना शामिल है। इसमें विदेशी हस्तक्षेप, सैन्य कब्जा, या ऐसे अनुचित समझौते शामिल हो सकते हैं जो देश की संप्रभुता को कमजोर करते हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कार्य, जैसे विदेशी शक्तियों को संवेदनशील जानकारी प्रदान करना, भी राजद्रोह माना जा सकता है।  

राजद्रोह एक गंभीर अपराध है जो किसी देश की स्थिरता और सुरक्षा पर प्रहार करता है। यह कानून के शासन को कमजोर करता है, सरकार के अधिकार को घटाता है, और नागरिक अशांति और हिंसा को जन्म दे सकता है। देश आमतौर पर राजद्रोह के कार्यों को रोकने और दंडित करने के लिए कड़े कानून बनाते हैं, क्योंकि इसे उच्चतम स्तर का विश्वासघात माना जाता है।  

  • पृथकतावाद का मतलब किसी बड़े राजनीतिक निकाय या संगठन से औपचारिक रूप से अलग होना है। इसमें स्वयं को एक स्वतंत्र पक्ष घोषित करना शामिल है। इस लक्ष्य को शांति या हिंसा के किसी भी माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।  
  • विद्रोह का मतलब बड़े पैमाने पर हिंसा के माध्यम से सरकार के प्रति गुस्सा प्रदर्शित करना है, जैसे कि प्रदर्शन या जुलूस। 
  • विध्वंसक गतिविधियाँ वे हिंसात्मक क्रियाएँ हैं जो केवल डर और अस्थिरता पैदा करने के उद्देश्य से की जाती हैं। 
  • अलगाववाद तब होता है जब लोग धर्म, संस्कृति, जाति, और लिंग के आधार पर विभाजित होते हैं। इसमें ऐसे समूहों को जानबूझकर समाप्त करने या उनके जीने के अधिकार को किसी भी रूप में नियंत्रित करने का डर हो सकता है, जैसे कि उन्हें उनके मौलिक अधिकारों, सम्मान के साथ जीने के अधिकार आदि से वंचित करना, जो विद्रोह का रूप ले सकता है। 
  • किसी देश की संप्रभुता को खतरे में डालने का मतलब किसी भी ऐसे माध्यम से देश को खतरे में डालना है जिससे देश की नींव कमजोर हो। उदाहरण के लिए, अलगाववादियों की मदद करना, अंतरराष्ट्रीय संधियों की अनदेखी करना, व्यापार पर प्रतिबंध लगाना, प्रोटोकॉल का उल्लंघन करना आदि।  

यहाँ भारतीय दंड संहिता की क्या भूमिका है  

भारतीय दंड संहिता, जिसे अब भारतीय न्याय संहिता 2023 के नाम से जाना जाता है, सभी समस्याओं का समाधान है। भारतीय न्याय संहिता 2023 में आई पी सी के उन प्रावधानों को बड़े पैमाने पर शामिल किया गया है जो देश में शांति और सौहार्द (हार्मनी) को नुकसान पहुँचाने वाली गतिविधियों से संबंधित हैं।  

पहले, आई पी सी का अध्याय VI उन अपराधों से संबंधित था जो राज्य के खिलाफ किए गए थे। इन धाराओं में 121, 121A, 122, 123, 124 और 124A शामिल थीं। अब भारतीय न्याय संहिता 2023  में ये अपराध अध्याय VII के तहत आते हैं, जो कि धारा 147, 148, 149, 150 और 151 में शामिल हैं।  

राजद्रोह की धारा को भारतीय न्याय संहिता 2023 से हटा दिया गया है। लेकिन नए अपराध, जैसे पृथकतावाद, सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियाँ, अलगाववादी गतिविधियाँ, या देश की संप्रभुता या एकता को खतरे में डालना, भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत धारा 150 में संबोधित किए गए हैं और धारा 152 के तहत अपराध घोषित किए गए हैं।  

सार्वजनिक शांति को समान महत्व दिया गया है और इसे आई पी सी के अध्याय VIII में विस्तार से संबोधित किया गया था। इसमें दंगे (राइट्स), आंतरिक अशांति और अन्य अवैध सभा शामिल हैं। जिन धाराओं का उपयोग किया जा सकता था, वे 153, 153A, 153B, 157, और 158 थीं। अब भारतीय न्याय संहिता 2023 में ये अपराध अध्याय IX के तहत आते हैं, जो कि धारा 192, 196, 197, 189(7), और 189(8) में शामिल हैं।  

आई पी सी का अध्याय XV उन सभी गैरकानूनी कार्यों से संबंधित था जो धर्म या किसी विशेष विचारधारा के नाम पर किए जाते हैं। इसमें धारा 296, 295A, 295 और 298 का उपयोग किया जा सकता था। अब भारतीय न्याय संहिता 2023 में ये अपराध अध्याय XVI के तहत आते हैं, जो कि धारा 300, 299, 298 और 302 में शामिल हैं।  

कुछ महत्वपूर्ण कानूनी मामले 

नजीर खान बनाम दिल्ली राज्य का मामला एफआईआर नंबर 658/1994 से संबंधित है, जो पी.एस. कनॉट प्लेस, दिल्ली में दर्ज की गई थी। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सभी छह आरोपियों को आतंकवादी और विघटनकारी (डिस्रप्टिव) गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (टी ए डी ए) की धारा 3(1) और 3(5) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दोषी पाया गया। विशेष रूप से, नजीर खान (A-1) और नासिर महमूद सोदोज़े (A-8) को बिना वैध दस्तावेज़ और पासपोर्ट के भारत में प्रवेश करने के लिए विदेशी अधिनियम की धारा 14 के तहत भी दोषी ठहराया गया।  

राज्य (दिल्ली एनसीटी) बनाम नवजोत संधू उर्फ अफ़सान गुरु का मामला 13/12/2001 को संसद पर हमले से संबंधित है। चार लोग— मोहम्मद अफ़ज़ल, शौकत हुसैन गुरु, एस.ए.आर. गिलानी, और नवजोत संधू (अफ़सान गुरु)— पर आरोप लगाया गया था। वे स्वचालित राइफल्स, पिस्तौल, हैंड ग्रेनेड और इलेक्ट्रॉनिक विस्फोटक (डेटोनेटर) से भारी हथियारों से लैस थे। यह हमला लगभग 30 मिनट तक चला, जिसमें 9 लोगों की मौत हुई और 16 घायल हुए। नवजोत संधू पर भारतीय सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश से संबंधित साक्ष्य छिपाने का आरोप लगाया गया था। यह अपराध आईपीसी की धारा 123 के तहत था, जो अब भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 150 के तहत आता है, और उन्हें 5 साल की कैद की सजा सुनाई गई।  

सीमाएँ  

राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ना केवल देश के भीतर किसी भी असामाजिक तत्वों द्वारा उत्पन्न आंतरिक अशांति और उपद्रव तक सीमित नहीं है। कोई भी विदेशी इकाई या समूह, जो देश की शांति को घुसपैठ, बमबारी, हथियार और गोलाबारूद भेजने या साइबर आतंकवाद जैसे किसी डिजिटल माध्यम से बाधित करने का प्रयास करता है, इसमें शामिल है। एक हालिया मामले में, भारत ने चीनी कंपनी टिक टॉक पर प्रतिबंध लगाया, क्योंकि यह आशंका थी कि यह शॉर्ट-फॉर्म वीडियो ऐप के माध्यम से संवेदनशील उपयोगकर्ता डेटा तक पहुँच सकता है। यही पब्बजी के साथ भी किया गया। सुरक्षा कारणों से भारतीय सरकार ने 581 ऐप्स और 174 सट्टेबाजी और जुआ ऐप्स को ब्लॉक कर दिया।  

भारतीय इतिहास में निर्णायक रहे कुछ प्रमुख मामले :-

  • खालिस्तान आंदोलन का मामला, जिसमें सिखों के लिए एक अलग मातृभूमि की मांग की गई थी। 1970 के दशक के दौरान, यह आंदोलन तेजी से बढ़ा, जिसमें बमबारी, अपहरण और कई मौतें हुईं, जिसमें एयर इंडिया की फ्लाइट 182 की बमबारी भी शामिल थी, जिसमें 329 लोग मारे गए थे। 1984 में, ऑपरेशन ब्लू स्टार के तहत भारतीय सेना ने स्वर्ण मंदिर में छिपे कई आतंकवादियों को मार गिराया। इसके प्रतिक्रिया स्वरूप इंदिरा गांधी की हत्या उनके सिख बॉडीगार्ड द्वारा की गई। सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों के कारण, खालिस्तान आंदोलन कमजोर हो गया। हाल ही में, यह फिर से जोर पकड़ रहा है। कनाडा में रहने वाले सिखों का एक बड़ा समूह विरोध प्रदर्शन कर रहा है और भारत में सिखों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन भारत से प्यार करने वाले अधिकांश सिख इसका विरोध कर रहे हैं।  
  • अन्य दो महत्वपूर्ण मामले 13/12/2001 का भारतीय संसद हमला और 26/11/2008 का मुंबई आतंकवादी हमला थे। इसका प्रभाव केवल दिल्ली, मुंबई या भारत तक ही सीमित नहीं था, बल्कि इसकी आलोचना विश्व स्तर पर की गई। इस प्रकार की गतिविधियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने के लिए कई संशोधन और अधिनियम पारित किए गए। संसद ने दो विधेयक भी पारित किए—एक राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एन आई ए) की स्थापना के लिए, जिसे विशेष शक्तियाँ दी गईं, और दूसरा कानूनों में संशोधन करने के लिए ताकि इस प्रकार की गतिविधियों के खिलाफ अधिक सख्त कार्रवाई की जा सके। भारतीय सेना ने समय-समय पर इन आतंकवादी संगठनों का जवाब उरी सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयरस्ट्राइक के माध्यम से दिया।  

सुझाव

भारत, जिसकी 140 करोड़ की जनसंख्या और व्यापक भौगोलिक संरचना है, उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में हिंद महासागर, दक्षिण-पश्चिम में अरब सागर और दक्षिण-पूर्व में बंगाल की खाड़ी तक फैली हुई है। यह नौ पड़ोसी देशों—अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, चीन, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका—से जुड़ा हुआ है। भारत की विशाल भूमि सीमाएँ, विविध भूभाग जैसे रेगिस्तान, उपजाऊ भूमि, दलदली क्षेत्र, बर्फ से ढके और उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) सदाबहार वन, और भौगोलिक जटिलताएँ (कॉम्प्लेक्सिटी) देश की सुरक्षा बनाए रखने में बड़ी भूमिका निभाती हैं।  

हमारे देश के सामने कुछ प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं:  

  • सीमापार आतंकवाद (क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म): यह पड़ोसी देशों के बीच असहमति के प्रमुख कारणों में से एक है। संघर्षविराम (सीजफायर) उल्लंघन और बमबारी की हमेशा संभावना रहती है, जिसके लिए सरकार ने मजबूत निगरानी तकनीक तैयार की है।  
  • घुसपैठ (इन्फिलटेरेशन): पाकिस्तान जैसे देशों में राजनीतिक अस्थिरता और संकट सीमापार घुसपैठ में वृद्धि का कारण बनते हैं। बार-बार होने वाली घुसपैठ राष्ट्र के लिए खतरा है। अवैध प्रवास, तस्करी, और हथियार, गोला-बारूद और ड्रग्स की बिक्री आम प्रथाएँ बन गई हैं। इसके लिए सरकार ने दीवारों और बाड़ (फेंसिंग) जैसे भौतिक अवरोध बनाए हैं ताकि सीमा पार कोई अनधिकृत पारगमन न हो। और चेकपॉइंट्स पर उचित बैरिकेड्स, सतर्कता टीम और उपकरणों की व्यवस्था की गई है। हाल ही में जम्मू और कश्मीर के रियासी जिले में एक तीर्थयात्रियों की बस पर एक आतंकवादी समूह ने हमला किया।  
  • साइबर आतंकवाद: कई ऑनलाइन ऐप्स, गेम्स, और दुर्भावनापूर्ण (मलेशियस) लिंक लॉन्च करना, जो किसी भी तरह से देश के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। इसके लिए सरकार ने साइबर फोरेंसिक क्षमताओं के विकास में निवेश किया है। गृह मंत्रालय ने साइबर अपराध से निपटने के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करने हेतु I4C लॉन्च किया है।  

इसे केवल मजबूत कानूनों और मशीनरी के माध्यम से ही शांति और सुरक्षा को बढ़ावा दिया जा सकता है। कुछ उपाय, राष्ट्रीय स्तर पर नहीं, बल्कि सामुदायिक स्तर पर और क्षेत्र और उसके लोगों के भीतर, इस सुधार में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। आर्थिक विकास लोगों को अवैध गतिविधियों में शामिल होने से रोक सकता है। शिकायतों को संबोधित करके और सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देकर कट्टरता को रोका जा सकता है। समुदायों को अहिंसक विकल्पों और विवाद समाधान (कॉन्फ्लिक्ट रेजोल्यूशन) के तरीकों के बारे में शिक्षित करना। हाल ही में सीएए, एनपीआर और एनआरसी को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन में, एक विशेष समुदाय इस कानून के लागू होने से नाराज हो गया। ऐसी स्थिति में सरकार द्वारा इसके लाभ और हानि के बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता थी, बजाय इसके कि कुछ राजनीतिक और धार्मिक पक्ष लोगों को गलत जानकारी देकर गुमराह करें, जिसके परिणामस्वरूप ऐसे विरोध प्रदर्शन हुए।

निष्कर्ष  

समय-समय पर कानूनों को मजबूत करने के लिए अधिनियमों और संशोधनों के माध्यम से कदम उठाए गए हैं ताकि देश में शांति और व्यवस्था का माहौल बना रहे। किसी व्यक्ति या समाज के अनैतिक और बेईमान व्यवहार पर अंकुश लगाने और नियंत्रण रखने के लिए एक मजबूत कानूनी ढाँचे की आवश्यकता है और भारतीय दंड संहिता, अब भारतीय न्याय संहिता 2023, ऐसा आधार प्रदान करती है। कानूनों में विनियमन बहुत आवश्यक है ताकि कोई अपराधी किसी भी खामी के कारण स्वतंत्र न घूम सके।  

संदर्भ

 

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