यह लेख Avinash Kumar द्वारा लिखा गया है। जो स्कूल ऑफ लॉ, यूपीईएस देहरादून से बीकॉम एलएलबी की पढ़ाई कर रहे तीसरे वर्ष के विधि छात्र हैं। यह लेख रॉयल्टी से आय पर कराधान की अवधारणा पर चर्चा करता है। इस लेख में, रॉयल्टी का अर्थ, लेखक की रॉयल्टी आय के संबंध में कटौती, पेटेंट पर रॉयल्टी के संबंध में कटौती पर चर्चा की गई है। इसका अनुवाद Pradyumn Singh के द्वारा किया गया है।
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परिचय
स्वयं आयकर अधिनियम कर बचाने के कई तरीके प्रदान करता है। बस आपको कर बचाने के लिए कर नियोजन लागू करने की आवश्यकता है। रॉयल्टी से होने वाली आय कर बचाने के तरीकों में से एक है। भारत में कर नियोजन कानूनी है। रॉयल्टी से होने वाली आय को आयकर अधिनियम, 1961 के तहत कटौती के रूप में दावा किया जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति रॉयल्टी से आय अर्जित करता है तो वह कर कटौती का लाभ उठा सकता है। यदि आपने संगीत बनाया है, नई दवाओं का आविष्कार किया है, एक किताब लिखी है तो उन स्थितियों में आप आयकर अधिनियम 1961 के तहत कर कटौती का लाभ उठा सकते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपको रॉयल्टी कहां से मिल रही है, सरकार उन रॉयल्टी को आय के रूप में मानेगी और आपसे अपेक्षा करेगी कि आप उस आय को अपने करो में दर्ज करें।
रॉयल्टी का अर्थ
आयकर अधिनियम 1961 की धारा 9 भारत में अर्जित या उत्पन्न मानी जाने वाली आय के बारे में बात करती है। जब हम किसी व्यक्ति या मालिक की मूल रूप से बनाई गई संपत्ति का उपयोग करते हैं तो उनकी संपत्ति का उपयोग करने के लिए उन्हें भुगतान की गई राशि को रॉयल्टी कहा जाता है। यह एक व्यक्ति को कानूनी रूप से बाध्यकारी भुगतान है जब तक कि उनकी संपत्ति का लाभ उठाया जा रहा होता है।
यदि कोई किसी व्यक्ति के कॉपीराइट, व्यापार चिन्ह (ट्रेडमार्क), पेटेंट, प्रक्रियात्मक ज्ञान का उपयोग करता है तो वह रॉयल्टी का भुगतान करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है। मूल रूप से, यह मालिक और उस व्यक्ति के बीच एक अनुबंध है जो अपने बौद्धिक संपदा (इन्टलेक्चुअल प्रॉपर्टी) अधिकारों के उपयोग के लिए अनुबंध कर रहा है।
उदाहरण के लिए: जब आप किसी व्यक्ति के पेटेंट का उपयोग करते हैं तो आपके द्वारा पेटेंट धारक को उनके पेटेंट का उपयोग करने के लिए भुगतान की गई राशि रॉयल्टी के रूप में मानी जाती है। इसी तरह, यदि कोई लेखक किताब लिखता है और उसका कॉपीराइट प्रकाशक (पब्लिशर) को देता है तो प्रकाशक बेची गई किताबों की संख्या के अनुसार रॉयल्टी देने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है। कभी-कभी, जब मालिक उत्पाद बेचता है तो वह रॉयल्टी के बजाय एकमुश्त (वन टाइम) भुगतान का हकदार होता है, जिसके परिणामस्वरूप वह उस पर स्वामित्व खो देता है। उदाहरण के लिए, A ने नया सॉफ्टवेयर खोजा और उसके बाद A ने अपना सॉफ्टवेयर B को बेच दिया। तो इस स्थिति में उसे अपने सॉफ्टवेयर के लिए कोई रॉयल्टी नहीं मिलेगी। जब वह अपना सॉफ्टवेयर बेचता है तो उसे रॉयल्टी के बजाय एकमुश्त भुगतान मिलता है, उसके बाद सॉफ्टवेयर पर उसका कोई अधिकार नहीं रहेगा।
किसी भी जानकारी पर प्राप्त भुगतान रॉयल्टी भुगतान होता है या नहीं?
किए गए भुगतान की सटीक प्रकृति निर्धारित करने के लिए, दी गई जानकारी के प्रकार को सत्यापित करने की आवश्यकता है। यदि कोई जानकारी देने के लिए भुगतान देता है तो उस स्थिति में यह भुगतान रॉयल्टी आय की श्रेणी में नहीं आएगा। सीआईटी बनाम हेग इंडिया 130 टैक्समैन 72 के मामले में एक भारतीय कंपनी अमेरिकी कंपनी से कुछ तकनीकी जानकारी लेना चाहती है। इस संबंध में एक भारतीय कंपनी ने अमेरिकी कंपनी को कुछ धनराशि का भुगतान किया। इस मामले में, मद्रास उच्च न्यायालय ने माना कि यदि कोई सूचना, डेटा या गणना पत्रक प्राप्त करने के लिए पैसे का भुगतान कर रहा है, तो ऐसे पैसे को रॉयल्टी भुगतान की तरह नहीं माना जाएगा।
पाठ्यपुस्तक के अलावा लेखक की रॉयल्टी आय के संबंध में कटौती (धारा 80QQB)
लेखक की रॉयल्टी आय
एक लेखक अपनी पुस्तक प्रकाशित करके आय अर्जित करता है। प्रकाशक लेखक की पुस्तक प्रकाशित करता है और लेखक को बेची गई पुस्तकों की कुल संख्या के विरुद्ध लाभ मिलता है। लेखक द्वारा अर्जित लाभ लेखक के लिए रॉयल्टी आय होगी। लेखक वह व्यक्ति होता है जो कुछ लिखने के लिए अपने कौशल, ज्ञान का उपयोग करता है। आजकल लेखक किताबें, लेख लिखते हैं और कई जगहों पर अपना लेख प्रकाशित करते हैं। एक लेखक अपनी किताबें बेचने के लिए प्रकाशक के साथ एक अनुबंध बनाता है, जबकि लेखक अपनी कहानी को फिल्म में ढालने के लिए निर्देशक के साथ एक अनुबंध बनाता है। उसके बाद लेखक को प्रकाशक से मिलने वाली धनराशि लेखक के लिए रॉयल्टी आय होगी। इस प्रकार की रॉयल्टी आय के विरुद्ध, लेखक आयकर अधिनियम 1961 के धारा 80QQB कटौती का दावा कर सकता है।
लेखक के लिए सकल कुल आय (ग्रॉस टोटल इनकम)
आयकर अधिनियम की धारा 80QQB के तहत कर कटौती के लाभ उठाने के लिए, एक व्यक्ति की सकल कुल आय में निम्नलिखित शामिल हैं:
- यदि कोई लेखक अपनी आय अपने पेशे से प्राप्त करता है;
- यदि किसी लेखक को साहित्यिक, वैज्ञानिक या कलात्मक कृति होने के नाते उसकी पुस्तकों के कॉपीराइट के संबंध में अपनी रुचि की पुस्तक लिखने से आय प्राप्त होती है;
- यदि किसी लेखक को रॉयल्टी का अग्रिम (एड्वान्स) भुगतान प्राप्त होता है, लेकिन रॉयल्टी गैर-वापसी योग्य नहीं होनी चाहिए।
धारा 80QQB के अंतर्गत रॉयल्टी कटौती के लिए दी गई अनुमति
- यदि कोई निर्धारिती (अससेसी) धारा 80QQB के तहत कटौती का दावा करना चाहता है तो उसे 3,00,000 तक की कटौती मिल सकती है।
- या उसके द्वारा अर्जित सकल कुल आय।
- या जो भी कम हो।
धारा 80QQB के तहत कटौती का दावा करने की शर्त
आयकर अधिनियम, 1961 के तहत उल्लिखित निम्नलिखित शर्तें कहती हैं कि यदि कोई निर्धारिती धारा 80QQB तहत कटौती का दावा करना चाहता है उन्हें निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी होंगी:
- कर लाभ का दावा करने के लिए निर्धारिती को भारत का निवासी होना चाहिए। धारा 80QQB के तहत कटौती गैर-निवासी के लिए उपलब्ध नहीं है।
- आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80QQB के तहत कर लाभ का दावा करने के लिए, एक निर्धारिती को लेखक होना चाहिए। यहां लेखक में संयुक्त लेखक भी शामिल है जिसका अर्थ है कि एक संयुक्त लेखक भी धारा 80QQB के तहत कर कटौती ले सकता है।
- लेखक की पुस्तक की सामग्री कलात्मक, साहित्यिक या वैज्ञानिक प्रकृति की होनी चाहिए।
- लेखक की पुस्तकों के विषय में ब्रोशर, टिप्पणियाँ, डायरी, पत्रिकाएँ, पाठ्यपुस्तकें, पैम्फलेट या समान प्रकृति के अन्य प्रकाशन शामिल नहीं होने चाहिए।
- एक निर्धारिती केवल आयकर लाभ दाखिल करते समय कर कटौती का दावा कर सकता है।
- राशि एकमुश्त प्रतिफल में प्राप्त होनी चाहिए। यदि राशि एकमुश्त प्रतिफल में प्राप्त नहीं होती है, तो वर्ष के दौरान बेची गई पुस्तकों के मूल्य के 15% से अधिक की आय को नजरअंदाज किया जाना चाहिए।
धारा 80QQB के तहत कटौती कैसे प्राप्त करें?
- यदि कोई व्यक्ति भारत का निवासी है और धारा 80QQB के तहत कटौती लेना चाहता है तो उसे प्रमाणपत्र फॉर्म 10CCD भरना होगा।
- यदि किसी व्यक्ति ने विदेश से आय अर्जित की है, तो वह कर कटौती का दावा कर सकता है, यदि वह राशि पिछले वर्ष के अंत से छह महीने की अवधि के भीतर या सक्षम प्राधिकारी द्वारा आवंटित समय अवधि के भीतर भारत में लाई जाती है। इसलिए कटौती पाने के लिए व्यक्ति को फॉर्म 10H भरना होगा।
धारा 80QQB के तहत कटौती का उदाहरण
आइए कटौती के एक उदाहरण के माध्यम से धारा 80QQB के तहत होने वाली कटौती को समझें। मान लीजिए अजीत भारती ने “घरवापसी” नाम की एक किताब लिखी है। वह भारत के रहने वाले हैं। एक वित्तीय वर्ष में, वह रु.2,00,000 प्रकाशकों से रॉयल्टी आय के रूप में कमाता है। उनका एक व्यापार भी है, जिससे वह 4,00,000 रुपये कमाते हैं। अब अगर वह धारा 80QQB के तहत कर लाभ लेना चाहता है तो उसे सकल कुल आय से रॉयल्टी की आय को घटाना होगा। इसलिए अजीत भारती को 4,00,000 रुपये पर कर देना होगा क्योंकि वह आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80QQB के तहत 2,00,000 रुपये पर कर कटौती ले सकता है।
पेटेंट पर रॉयल्टी के संबंध में कटौती (धारा 80RRB)
पेटेंट
पेटेंट सरकार द्वारा एक आविष्कारक को दिया गया अधिकार है जो आविष्कारक को एक निश्चित अवधि के लिए दूसरों को आविष्कार बनाने, बेचने या उपयोग करने से रोकने की अनुमति देता है। पेटेंट को बौद्धिक संपदा अधिकार भी कहा जाता है जो नवप्रवर्तक (इन्नोवेटर्स) को यह सुनिश्चित करता है कि नवप्रवर्तक का आविष्कार सुरक्षित है। यदि किसी व्यक्ति को पेटेंट मिल जाता है तो यह दूसरों को एक विशेष अवधि के लिए आविष्कार बनाने, बेचने या उपयोग करने से बाहर कर देता है। कुछ अनोखा आविष्कार करके एक नवप्रवर्तक नियमित आय अर्जित कर सकता है। किसी चीज़ का आविष्कार करने से नवप्रवर्तक को जो भुगतान मिलता है, उसे नवप्रवर्तक के लिए रॉयल्टी आय कहा जाएगा। पेटेंट योग्य वस्तुओं के उदाहरण रासायनिक सूत्र, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, दवाएं, चिकित्सा उपकरण, संगीत वाद्ययंत्र (म्यूज़िकल इंस्ट्रूमेन्ट) आदि हैं।
उदाहरण के लिए, मान लेते हैं, रोहन ने एक ऐसी दवा का आविष्कार किया जो कैंसर की बीमारियों को ठीक करती है और वह पेटेंट के लिए आवेदन करता है, और उसे पेटेंट मिल जाता है तो इन दवाओं पर उसका अधिकार हो जाता है।
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 RBB
एक व्यक्ति जिसकी आय का स्रोत कला, पेटेंट, आविष्कारों से संबंधित कार्यों पर भुगतान की गई रॉयल्टी के रूप में है, वह आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80RRB के तहत कटौती का दावा कर सकता है।
पेटेंट से आय के संबंध में कटौती का दावा करने की पात्रता
यदि कोई व्यक्ति आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80RRB के तहत कटौती का दावा करना चाहता है तो उसे निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करना होगा:
- वह भारत का निवासी होना चाहिए;
- आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80RRB के तहत कटौती का दावा करने के लिए एक व्यक्ति को पेटेंट का मालिक होना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति के पास मूल पेटेंट नहीं है तो वह कर लाभ का दावा नहीं कर सकता है;
- पेटेंट के संबंध में रॉयल्टी से अर्जित आय को 1 अप्रैल 2003 को या उसके बाद पेटेंट अधिनियम, 1970 के तहत पंजीकृत किया जाना चाहिए।
पेटेंट पर किस सीमा तक कटौती का दावा किया जा सकता है?
रॉयल्टी से अर्जित आय आयकर अधिनियम 1961 के तहत कटौती के लिए पात्र है। ये निम्नलिखित बातें हैं जिन्हें किसी व्यक्ति को धारा 80RRB तहत कटौती का दावा करते समय ध्यान में रखना होगा।
- कोई व्यक्ति अधिकतम 3 लाख रुपये की कटौती का दावा कर सकता है। यदि उनकी आय 3 लाख रुपये से अधिक है तो रॉयल्टी के तहत कटौती उससे अधिक नहीं हो सकती। यदि उनकी रॉयल्टी आय 3 लाख से कम है तो उन्हें धारा धारा 80RRB के तहत उस आय पर कटौती मिलेगी।
- कोई व्यक्ति अन्य स्रोतों की आय को रॉयल्टी आय के साथ नहीं जोड़ सकता है। इसका मतलब यह है कि वे केवल रॉयल्टी से प्राप्त होने वाली राशि के लिए कटौती का दावा कर सकते हैं।
- जिन व्यक्तियों के पास मूल पेटेंट नहीं है, वे आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80RRB के तहत कर लाभ के लिए पात्र नहीं हैं।
- यदि कोई व्यक्ति भारत के बाहर से रॉयल्टी आय अर्जित करता है तो धारा 80RRB के तहत कटौती का दावा पिछले वर्ष के अंत से छह महीने के भीतर ही किया जा सकता है। धारा 80RRB के तहत कटौती का लाभ प्राप्त करने के लिए आयकर विभाग को दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करना अनिवार्य है। यदि आप दस्तावेज़ प्रस्तुत नहीं करते हैं तो आप कटौती पाने के पात्र नहीं हैं।
- केवल वही निर्धारिती कर कटौती के लाभ का दावा कर सकता है जो निवासी के मानदंडों को पूरा करता है। एक गैर-निवासी व्यक्ति आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80RRB के तहत कटौती का दावा नहीं कर सकता है।
- पेटेंट देने के संबंध में, यह दो पक्षों के बीच एक समझौता है लेकिन कुछ परिस्थितियों में, सरकार बड़े पैमाने पर जनता के लिए पेटेंट का उपयोग करने का लाइसेंस देती है। ऐसी स्थिति में सरकार पेटेंट अधिकार देने वाले नियंत्रक (कंट्रोलर) के साथ रॉयल्टी की राशि तय करेगी।
गैर- निवासियों के मामले में रॉयल्टी के माध्यम से आय की गणना (धारा 44DA)
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 44DA, एक गैर-निवासी के मामले में रॉयल्टी के माध्यम से आय के विशेष प्रावधान से संबंधित है।
गैर-निवासी कौन है?
आयकर अधिनियम 1961 की धारा 6 के अनुसार, एक निर्धारिती गैर-निवासी के रूप में योग्य होगा यदि वे निम्नलिखित में से किसी एक शर्त को पूरा करते हैं:
- एक वित्तीय वर्ष में, व्यक्तिगत रूप से 181 दिनों से कम समय तक भारत में रहना; और
- एक वित्तीय वर्ष में, व्यक्ति भारत में 60 दिनों से अधिक नहीं रहते हैं;
- यदि कोई व्यक्ति भारत में एक वित्तीय वर्ष में 60 दिनों से अधिक रहता है, लेकिन पिछले 4 वित्तीय वर्षों के दौरान 365 दिनों या उससे अधिक नहीं रहता है।
गैर-निवासी के मामले में रॉयल्टी के माध्यम से आय की गणना के लिए धारा 44DA के तहत प्रावधान
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 44DA गैर-निवासी के मामले में रॉयल्टी के माध्यम से आय की गणना करने के प्रावधान के बारे में बात करती है। यदि किसी गैर-निवासी को 1 अप्रैल 2003 से पहले किए गए समझौते के अनुसरण में कोई राशि प्राप्त होती है तो यह आयकर अधिनियम 1961 की धारा 44DA के तहत शासित होगी। यदि कोई विदेशी कंपनी या गैर-निवासी भारत में स्थायी प्रतिष्ठान (इस्टैब्लिश्मेंट) के माध्यम से भारत से तकनीकी सेवा शुल्क या रॉयल्टी आय अर्जित कर रहा है तो तकनीकी सेवा या रॉयल्टी के लिए ऐसे शुल्क की गणना “मुनाफा” और व्यवसाय या पेशे का लाभ” मदों (हेड) के अंतर्गत की जाएगी।
निष्कर्ष
आयकर सभी पांच मदों पर कर वसूलता है और यह उस पर कटौती भी प्रदान करता है जिसे कर बचाने के लिए निर्धारिती द्वारा दावा किया जा सकता है। जब कोई व्यक्ति रॉयल्टी से आय अर्जित कर रहा हो तो आयकर अधिनियम के तहत ऐसे कई प्रावधान हैं जो कर कटौती की बात करते हैं। एक लेखक को आयकर अधिनियम की धारा 80QQB के तहत कर कटौती का दावा करने का अधिकार है। पेटेंट धारक आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80RRB के तहत कर कटौती का लाभ ले सकता है। हालांकि, यदि कोई व्यक्ति जानकारी साझा कर रहा है और रॉयल्टी ले रहा है तो वह रॉयल्टी आय के अंतर्गत नहीं आएगा।